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तुनीषा शर्मा की मौत पर मुकेश खन्ना का विवादित बयान, इन्हें बताया जिम्मेदार

बॉलीवुड एक्टर राजेश खन्ना ने शक्तिमान और भीष्मपितामह एक्टिंग के जरिए अपनी खास पहचान बनाई है, इस सीरियल में उन्हें खूब पसंद किया गया था लेकिन इसके साथ ही मुकेश खन्ना को उनके विवादित बयान के लिए भी खूब जाना जाता है.

वह कई ऐसी तमाम मुद्दो पर बात करते नजर आते हैं, जिससे लोग उन्हें लेकर खबरे बनाने लगते हैं. हाल ही में मुकेश खन्ना ने तुनीषा आत्महत्या पर अपनी बयान दी है. जिसें उन्होंने तुनीषा के माता पिता को आरोपी बताया है.

 

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उन्होंने कहा है कि हर किस्से में एक बॉयफ्रेंड ऐसा होता है जो लड़की उसपर पूरी तरह से डिपेंड होती है और जब वह उसका साथ छोड़ता है तो वह कमजोर बन जाती है और हार मानकर आत्महत्या कर लेती है. ऐसे में मां बाप को  बताया है कि सब लोग बॉयफ्रेंड को लेकर बात कर रहे हैं लेकिन यहां तो मासला ही कुछ और है, जिससे सीधा पता चल रहा है .

आगे मुकेश खन्ना ने कहा कि कम उम्र कि लड़कियां ऐसे ही लोगों के प्रति आकर्षित होती हैं और फिर वह लोग उनका फायदा उठाते हैं . लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड को सबकुछ मान लेती है, जहां से उनकी लाइफ खराब होनी शुरू हो जाती है.

तुनीषा ने एक खतरनाक फैसला लिया जिससे उसका परिवार परेशान हो गया.

बेटी की आखिरी तस्वीर देखकर बेसुध हुई तुनीषा शर्मा की मां

एक्ट्रेस तुनीषा शर्मा ने 24 सितंबर को आत्म हत्या कर ली थी, जिसके बाद से लगातार उनकी आत्हत्या को लेकर कई तरह की बातें की जा रही थीं, इसके बाद से मंगलवार को तुनीषा शर्मा का अंतिम संस्कार कर दिया गया .

तुनीषा के इस तरह से चले जाने से पूरा टीवी इंडस्ट्री सदमें में हैं. पोस्टमार्टम के बाद से तुनीशा शर्मा का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. तमाम लोग उनके अंतिम संस्कार पर पहुंचे थें,

 

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वहीं तुनीषा शर्मा की मां का बुरा हाल था बेटी को आखिरी विदाई देते समय वह बार- बार बेहोश हो रही थी, इतनी कम उम्र में उनकी बेटी उनका साथ छोड़कर चली गई भला उनका क्या हाल होगा.

तुनीषा के अंतिम संस्कार में तमाम लोग आएं थें, जहां तुनीषा की मां की हालत को देखकर सभी इमोशनल हो रहे थें. तुनीषा अपनी मां की एकलौत बेटी थी, अपनी मां की काफी ज्यादा करीब थी तुनीषा.

 

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तुनीषा की मां की हालत ये थी कि वह चल भी नहीं पा रही थी, बार बार बेटी का नाम लेकर बेसुध हो रही थीं. यह दृश्य काफी ज्यादा इमोशनल लग रहा था. तुनीषा की मां को भरोसा नहीं हो रहा था कि तुनीषा उन्हें छोड़कर चली गई है. वह बार बार यह कह रही है कि प्लीज वापस आ जाओ.

लोग उन्हें सहारा देकर कार में बैठा रहे थें , वहीं कुछ लोग उन्हें संभालने की कोशिश कर रहे थें.

धार्मिक सरकारों का दखल

एक आम आदमी या औरत की जिंदगी में सरकार और धर्म दोनों के दखल की ज्यादा जरूरत नहीं है पर दोनों ही कोशिश करते हैं कि वे लोगों के निजी मामलों में भी टांग अड़ाते रहें ताकि इस के बहाने उन से एक तो टैक्स या पैसा वसूल किया जा सके और दूसरे उन को जबरन सरकार व धर्म के आदेश मानने को मजबूर किया जा सके. इतिहास साक्षी है कि बीचबीच में जब भी सरकार और धर्म की ताकतें एक हाथ में हो जाती हैं, जनता गुलाम से भी ज्यादा बदतर हो जाती है.

ईरान में आज यही हाल है. वहां की राजशाही, जिसे अमेरिका का समर्थन मिला था, 1979 में धार्मिक क्रांति के बाद ध्वस्त हो गई और उस देश में इसलाम को घरघर पर थोप दिया गया जिस में एक यह नियम भी था कि औरतों को हिजाब पहनना होगा. 1979 से पहले ईरान की शहरी औरतें आजादी से घूमती थीं चाहे गांवों में परदा चलता रहता हो क्योंकि वहां स्थानीय मुल्ला की ज्यादा चलती थी. क्रांति के बाद ईरान पर इसलामिक नियम थोप दिए गए और आज ईरानी अपने घर में कैद हो गया.

ईरान में गश्ते इरशाद यानी नैतिक पुलिस बना दी गर्ई जिस की हरी वरदी में पुरुष पुलिस और काली चादर में महिला पुलिस हर औरतआदमी पर नजर रखने लगे कि वे क्या पहन रहे हैं, कैसे बरताव कर रहे हैं. पूरा ईरान एक खुली जेल हो गया.

इस साल एक कुर्दिश औरत म्हासा अमीनी को अपने स्कार्फ से निकले कुछ बालों के कारण पीट कर मार डाला गया तो पूरा ईरान भडक़ गया. ढाई महीने से वहां लगातार धरनेप्रदर्शन हो रहे हैं. 300 लोग मारे जा चुके हैं. 15 हजार लोगों को गिरफ्तार कर यातनाएं भी दी गईं. पर जब मामला शांत नहीं हुआ तो दिसंबर में प्रैसिडैंट इब्राहिम रईसी ने कहा कि हालांकि ईरान का संविधान इसलामिक सिद्धातों पर टिका है लेकिन उन को लागू करने में कुछ लचीलापन तो हो ही सकता है.

इसी बात की पुष्टि अटौर्नी जनरल मोहम्मद जफर मुन्तज़री ने की कि नैतिक पुलिस का न्यायव्यवस्था से कुछ लेनादेना नहीं है और इसे भंग किया जा रहा है. यह अभी पक्का नहीं है कि सरकार के ये आदेश केवल कूटनीति का हिस्सा हैं या दबाव के कारण झुक जाना है. यह याद रहे कि  इसी साल कतर में हो रहे वर्ल्ड फुटबौल कप मैचों में ईरानी टीम ने भरे स्टेडियम में ईरान के राष्ट्रीय गान के समय होंठ बंद कर रखे जबकि परंपरा है कि सारे खिलाड़ी राष्ट्रगान की माइक की धुन के साथ अपना राष्ट्रगान गाते हैं. यह संकेत था कि बहुत हो चुका है.

इसलामिक देशों ही नहीं, चीन जैसे तानाशाही देश में विरोध की आवाजें उठने लगी हैं. जो कट्टरता हमारे यहां लाई जा रही है, वह कुछ दिन चल सकती है, ज्यादा दिन नहीं. यह ईरान का रुख स्पष्ट कर रहा है. आज धर्म की पोलपट्टी खोलना एक अपराध हो गया है क्योंकि धर्म के दुकानदार चाहते हैं कि लोग जागरूक न हों. आज धर्म के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं पर बढ़ते धार्मिक अंधविश्वासों की जिम्मेदारी कोई नहीं ले रहा. औरतें ईरान में भी पहली शिकार बनीं, अफगानिस्तान में भी और अब भारत में भी बनने लगी हैं.

सरगम कौशल: सौंदर्य की श्रीमती

भारतीय सौंदर्य की प्रतीक बन गई सरगम कौशल के इस जज्बे को आज देश सलाम कर रहा है कि कभी देश के लिए ‘मिस यूनिवर्स’ का खिताब जीतने वाली सुष्मिता सेन को देख कर विश्व सुंदरी बनने का सपना जिस युवती ने देखा था वह आखिरकार एक कदम आगे बढ़ सकार हो गया. धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर की सरजमीं पर पैदा हुई बेटी सरगम कौशल ने जम्मू के एक स्कूल में अंग्रेजी साहित्य की शिक्षिका के तौर पर अध्यापन करते हुए ‘मिसेज वर्ल्ड’ का खिताब अपने नाम कर लिया. दरअसल 21 साल पहले यह खिताब माडल – अभिनेत्री अदिति गोवित्रिकर के सिर पर सजकर भारत आया था. तब सरगम कौशल मात्र 11 वर्ष की थीं. उसी दरमियान सरगम ने मन ही मन संकल्प ले लिया था कि 1 दिन वह भी इस ताज को पहनेंगी और देश का नाम दुनिया में रोशन करेगी. यह भी सच हो गया है कि सरगम कौशल के मिसेज यूनिवर्स बनने से देश के साथ-साथ जम्मू कश्मीर का सौंदर्य भी आज दुनिया के सामने है .

सरगम कौशल के मुताबिक वह जब बहुत छोटी थीं, तब उनके पिता उनसे सुष्मिता सेन जैसा बनने के लिए प्रेरित किया करते थे. यही नहीं सरगम कौशल के पापा ने उसे सुष्मिता सेन का एक आकर्षक चित्र लाकर भी दिया था, जिसमें वह ब्रह्मांड सुंदरी का ताज पहने नजर आ रही थीं. यहीं से सरगम कौशल के मन में यह भावना जागृत हो गई थी एक न एक दिन वह इस मुकाम तक अवश्य पहुंचेगी और जब वह अपने मुकाम पर पहुंची तो उसे खुद विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा हो गया है उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए.

उल्लेखनीय है कि सरगम कौशल के पति भारतीय नौसेना में अफसर है और नाम है आदित्य मनोहर शर्मा. सरगम कौशल ऐतिहासिक सफलता पर उन्होंने कहा यह एक ख्वाब का हकीकत में बदलना है. वही सरगम कौशल के मुताबिक एक नौसैनिक की पत्नी होने के नाते इस बार देश का गौरव बढ़ाने की अपने हिस्से की जिम्मेदारी उन्होंने खुद निभाई. इस पूरे सफर में मेरे पति पूरी मजबूती से मेरे साथ खड़े रहे.
सरगम कौशल बताती है विश्व स्तरीय प्रतियोगिता से पहले वे कभी भी देश से बाहर नहीं गई थीं. ‘मिसेज इंडिया’ का खिताब जीतने के बाद जब वह ‘मिसेज वर्ल्ड’ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका रवाना हुई तो उन्होंने पहली बार देश से बाहर कदम रखा.

सरगम के मुताबिक, प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना मेरी पहली विदेश यात्रा थी और वह भी अकेले, लेकिन मैं पूरे भारत की महिलाओं को अपने दिल में अपने साथ ले गई थी. मेरी यह सफलता देश की नारी शक्ति के सौंदर्य की सफलता है.महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सरगम कौशल ने प्रतियोगिता के दौरान जो परंपरागत पोशाकें पहनी वे कश्मीर की उन ग्रामीण महिलाओं ने बनाई थीं, जिनके पति हिंसा की भेंट चढ़ गए थे, 17 सितंबर 1990 को जम्मू में जन्मी सरगम कौशल के पापा श्री जी एस कौशल बैंक आफ इंडिया में मुख्य प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं सरगम की मां मीना कौशल है, और उनका भाई मंथन कौशल उनसे सात बरस छोटा है. जीवन साथी आदित्य मनोहर शर्मा से उनकी मुलाकात 2015 में हुई और 2018 में उन्होंने वैवाहिक जीवन का आरंभ किया .

सरगम कौशल ने जम्मू के प्रजेंटेशन कांवेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद वुमेंस कालेज से स्नातक स्तर की पढ़ाई की और फिर जम्मू विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि ग्रहण की. उन्होंने जम्मू के सरकारी बीएड कालेज से बीएड किया और के सी इंटरनेशनल स्कूल में अंग्रेजी साहित्य की शिक्षिका के तौर पर अपना करियर शुरू किया. यही नहीं उन्होंने एक माडल के तौर पर ग्लैमर जगत में भी कदम रखा.और सफल रहीं.

पांच फीट आठ इंच लंबी सरगम ने वर्ष2022 जून में ‘मिसेज इंडिया वर्ल्ड’ का खिताब जीता और उसी के आधार पर उन्होंने अमेरिका में ‘मिसेज वर्ल्ड’ प्रतियोगिता में शिरकत की. सरगम का दुनिया की 63 सुंदरियों को हराकर ‘मिसेज वर्ल्ड’ का खिताब जीतना एक बार फिर यह बताता है कि कोई अगरचे मन और दिल से किसी मुकाम को पाने की ख्वाहिश कर प्रयास करे तो पूरी कायनात उसे वह चीज दिलाने में मदद करती है और एक न एक दिन सफलता उसके कदम भी चुमती है.

पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाएं ये टीके

भारत में पशुधन का अत्यधिक महत्त्व है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो पशुधन ही कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. पशुधन को हम रोजगार का जरीया भी बना सकते हैं. पशुओं की सही देखभाल और बीमारियों से बचाना भी बहुत जरूरी है. पशुपालकों के लिए बीमार पशु काफी परेशानी का कारण बनते हैं. पशुधन में कुछ संक्रामक रोग ऐसे होते हैं, जिन्हें मात्र नियमित समय पर टीकाकरण करवा कर रोका जा सकता है. संक्रामक रोग जीवाणुजनित अथवा विषाणुजनित हो सकते हैं, जो एक पशु से दूसरे पशु में दूषित आहार चारा, घास, दाना, पानी, बिछावन,

हवा आदि से फैल सकते हैं. अगर संक्रामक रोगों से बचाव के लिए उचित समय पर टीकाकरण न कराया जाए, तो पशु इन गंभीर रोगों से ग्रसित हो सकता है, जिस का उपचार अत्यंत कठिन है और पशु असमय ही मर सकता है. जिन रोगों में पशुओं के टीके लगवाए जाते हैं, वे छोटेछोटे रोगाणु जैसे बैक्टीरिया, वायरस, माइकोप्लाज्मा आदि से फैलते हैं. ये रोगाणु हवा, चारा, दाना, पानी, बिछावन, पेशाब, गोबर, खाद और खुले गड्ढे आदि में पाए जाते हैं. कुछ संक्रामक रोग इस प्रकार हैं, जिन से बचाव उचित समय पर टीकाकरण करवा कर किया जा सकता है. गलघोंटू छूत का यह गंभीर रोग लगभग सभी पालतू पशुओं भैंसों, गायों, भेड़ों और बकरियों को होता है. यह जीवाणुजनित (पाश्चुरेला मल्टीसिडा) से होने वाला रोग है. भैंसों में यह रोग अन्य पशुओं की अपेक्षा अधिक घातक होता है.

बाढ़ पीडि़त क्षेत्रों या ऐसे गांवों में, जहां आसपास पानी भर जाता है, नदीनालों के आसपास के क्षेत्र में यह रोग अधिक होता है. इस रोग की प्रथम पहचान यह है कि एक पशु जो शाम को ठीक दिखाई देता है, अगले दिन सुबह मरा हुआ पाया जा सकता है यानी इस रोग में पशु की अचानक मौत हो जाती है. इस बीमारी से ग्रसित पशु सुस्त हो जाता है, चारा खाना छोड़ देता है और जुगाली नहीं करता. सांस व नाड़ी की गति तेज हो जाती है. इस रोग से ग्रसित पशु के गले और अगली टांगों के बीच सूजन आ जाती है, सांस लेने में तकलीफ होती है और कष्टपूर्ण आवाज सुनाई देती है.

मुंह से लार टपकती है, बहुत तेज बुखार हो जाता है. भैंसों के गले में सूजन हो जाती है, जो कि मुंह के आसपास और गरदन तक और कभीकभी अगली टांगों और कंधों तक फैल जाता है. इस रोग का आक्रमण इतनी तेजी से होता है कि उपचार का समय नहीं मिलता है. इस रोग से बचाव के लिए हर साल बरसात का मौसम शुरू होने से पहले पशुओं को बचावकारी टीका लगवा देना चाहिए. इस संक्रामक रोग से बचाव के लिए पशुओं को मई माह में प्रति वर्ष रोग बचावकारी टीका लगवाएं. टीका लगवाने से गाभिन अथवा दूध देने वाले पशुओं की सेहत पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. पशुओं को सूखे, धूप वाले, हवादार मकान में रखें. खुरपकामुंहपका पशुओं का यह एक प्राचीन विषाणुजनित संक्रामक रोग है, जो गाय, भैंस, भेड़, बकरियों में होता है. संकर नस्ल के और विदेशी पशु इस से ज्यादा पीडि़त होते हैं. जो पशु इस रोग से पीडि़त हो कर ठीक हो जाते हैं, वे बहुत कमजोर और खेतीबारी के लायक नहीं रहते.

दुधारू पशुओं का दुध देना कम हो जाता है. यह रोग बीमार पशु के संपर्क में आने से या दूषित पानी पीने, घास, भूसा और चरागाहों द्वारा फैलता है. खुरपकामुंहपका रोग से पीडि़त पशु के मुंह और खुरों में फफोले पड़ जाते हैं. खुरों में और खुरों एवं त्वचा के बीच घाव हो जाते हैं. रोग बढ़ जाने पर खुर गिर जाते हैं. ऐसी दशा में पशु को चलाना नहीं चाहिए और खुरों पर जीवाणुनाशक मरहम लगा कर प्रतिदिन पट्टी करनी चाहिए. इस रोग के आरंभ में पशु कांपता है, उसे बुखार आता है, मुंह गरम लगता है और मुंह से लार टपकती है, जीभ पर छाले पड़ जाते हैं, जो फट कर एक गहरे और बड़े आकार के घाव का रूप ले लेते हैं. इस रोग में गाय के थनों पर भी फफोले आ जाते हैं. पीडि़त पशु के मुंह को 2 फीसदी फिटकरी के घोल या 0.1 फीसदी पोटैशियम परमैगनेट के घोल से धोना चाहिए. साथ ही, खुरों को फिनायल से साफ करना चाहिए. इस से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण आवश्यक है. पहला बचाव टीका 4 हफ्ते की आयु होने पर, दूसरा टीका पहले टीके के 6 हफ्ते बाद और तीसरा टीका दूसरे टीके के 6 महीने बाद और इस के बाद हर साल टीका लगवाना चाहिए. संकर प्रजाति या विदेशी प्रजाति के पशुओं को यह टीका हर साल 2 बार 6 महीने के अंतर पर लगवाना चाहिए.

भारत भूमि युगे युगे: काशी के दारोगा

काशी के दारोगा राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट… वाली राष्ट्रीय मुहिम में अब काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी भी शामिल हो गए हैं. उन्होंने अपना दामन योगी आदित्यनाथ के सामने फैलाते इतनी भर सौगात मांगी है कि काशी का मेयर इस बार किसी संतमहंत को बनाया जाए.

कट्टर सनातनी इस धर्मगुरु ने यह सोचने की भी जहमत नहीं उठाई कि अब कहने को ही सही लोकतंत्र तो है जिस में जनप्रतिनिधि जनता चुनती है. मोदीजी प्रधानमंत्री और योगीजी मुख्यमंत्री हैं, इस का यह मतलब नहीं कि धर्म के नाम पर बिलकुल ही अंधेरगर्दी मचाई जा सकती है. यह जरूर हर कोई जानता है कि अधिकतम अंधेरगर्दी मची हुई है और हर छोटेबड़े चुनाव में वोट धर्म के नाम पर ही मांगे जा रहे हैं. अब अतिउत्साही और महत्त्वाकांक्षी कुलपति की गलती क्या जो वाकई ज्ञानी हैं, इसलिए उन्होंने यह तुच्छ पद तीनों लोकों के स्वामी देवों के देव से न मांगते, नीचे वाले देवताओं से मांगा.

मैनपुरी के विभीषण मुलायम सिंह की सीट कही जाने वाली मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा ने नेताजी के चेले रघुराज सिंह शाक्य पर ही दांव खेला जिस से एक बात जरूर साफ हो गई कि भाजपा का आत्मविश्वास अब लड़खड़ाने लगा है. उसे सुग्रीव, जामवंत, नल, नील, केवट, जटायु और हनुमान वगैरह से ज्यादा भरोसा विभीषणों पर है. बात सही भी है क्योंकि रामायण में दिलचस्पी न रखने वाले भी जानते हैं कि राम ने लंका महज इसलिए नहीं जीत ली थी कि वे बहुत बड़े योद्धा थे, बल्कि इस में योगदान घर के भेदियों का भी था.

विभीषण अब उन कांग्रेसियों को कहा जाने लगा है जो तिलक के लिए भाजपा जौइन कर लेते हैं. बात हर्ज की नहीं लेकिन अब सच्चे रामभक्त बड़े पैमाने पर पूछने लगे हैं कि अगर इन्हीं के भरोसे हिंदू राष्ट्र बनाना है तो हमारी जरूरत क्या, हम क्या बचपन से इन की पालकी उठाते अपने कंधे छिलवा रहे थे. बढ़ती का नाम दाढ़ी जैसेजैसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ आगे बढ़ती जा रही है वैसेवैसे राहुल गांधी का आत्मविश्वास और दाढ़ी दोनों बढ़ते जा रहे हैं. दाढ़ी तो घर की खेती है जो कभी भी कटाई जा सकती है लेकिन आत्मविश्वास कोई बालों का ?ांड नहीं जिसे उस्तरे से काटा जा सके. देशभर के हैरानपरेशान और दुखियारे इस यात्रा से खुद से जुड़ रहे हैं जिस से भगवा खेमे में तनाव है क्योंकि बीचबीच में राहुल सावरकर की चिट्ठी उजागर करने जैसे अप्रत्याशित विवाद भी खड़े कर देते हैं.

दाढ़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बढ़ाई थी जिसे ले कर भक्तों ने हवा फैला दी थी कि उन्होंने कसम खाई है कि अब राममंदिर निर्माण के बाद ही इसे कटाएंगे. यह तो राम ही जाने कि सच क्या है लेकिन राहुल की खिचड़ी दाढ़ी देख लगता है कि कहीं वे भी प्रधानमंत्री बन जाने तक इसे धारण करने की कसम खाए तो नहीं चल रहे. पीयू में जदयू के माने बिहार की राजनीति में युवाओं का रोल हमेशा ही अहम और बदलाव वाला रहा है. राज्य के तमाम बड़े नेता लालू प्रसाद यादव,

नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुशील कुमार मोदी छात्र राजनीति की ही देन हैं. हालिया पटना यूनिवर्सिटी यानी पीयू के चर्चित और टसल वाले छात्र संघ चुनाव में जनता दल यूनाइटेड की एक तरफा जीत से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वेवजह उत्साहित नहीं हैं. युवाओं ने उन के पैनल पर भरोसा जता कर यह संकेत तो दे ही दिया है कि 2024 उस का और राजद का ही होगा. इस जीत से भगवा खेमा मायूस है जो यह नहीं सम?ा पा रहा कि हिंदी पट्टी के राज्यों में बिहार इकलौता राज्य है जहां के युवा भगवा गमछे और जयजय श्रीराम वाली राजनीति में ज्यादा यकीन नहीं करते. उन की प्राथमिकता रोजगार और अमनचैन की जिंदगी है. इस बाबत उन्हें नीतीश व तेजस्वी की जोड़ी मुफीद लग रही है तो उसे ही अपना ट्रैक बदल लेना चाहिए.

विंटर स्पेशल : सर्दी में ऐसे रखें अपने पेट्स को गरम

सर्दी के मौसम में पालतू कुत्ते की देखभाल के लिए कैसे, क्या करना है, इसे समझना जरूरी है. लंबे बालों वाली कुछ प्रजातियां जैसे जरमन शेफर्ड और ह्सकीज सर्दी के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं, उन्हें यह मौसम पसंद आता है पर तापमान गिरते ही इन प्रजातियों के कुत्तों को भी सुरक्षा की आवश्यकता पड़ती है.इन दिनों आप को अपने फर वाले मित्रों का खयाल सावधानीपूर्वक रखने की जरूरत है. मौसम की स्थितियों में परिवर्तन, घटता तापमान और सर्दी के अन्य खतरे उन के स्वास्थ्य के लिए जानेअनजाने खतरे पैदा कर सकते हैं.

एक जिम्मेदार पालक की तरह आप को अपने मित्र का खयाल वैसे ही रखना है जैसे आप अपना रखते हैं. इस में गरम कपड़े पहनना, भोजन का ध्यान रखना और अनावश्यक बाहरी गतिविधियों पर नियंत्रण शामिल हैं. कुछ बुनियादी सावधानियां बरत कर आप उन का खयाल रख सकते हैं. पालतू जानवर को इस मौसम में फिट और स्वस्थ रखने के लिए सुनिश्चित कीजिए कि आप उन्हें उपयुक्त आहार दे रहे हैं. इस के साथ कुछ सामान्य इनडोर टिप्स का पालन कीजिए.

पौष्टिक भोजन

ठंड के मौसम में पालतू जानवर को गरमी के मुकाबले ज्यादा भोजन दीजिए. उदाहरण के लिए, सर्दी में कुत्तों को गरमी के मुकाबले 25 प्रतिशत ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता हो सकती है. खासकर उन्हें, जो बाहर व्यायाम करते हैं. इस से उन्हें अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता होती है. सुनिश्चित कीजिए कि आप उन्हें ज्यादा ताकत देने वाला भोजन, जैसे पेडिग्री ऐक्टिव या कोई अन्य संपूर्ण व संतुलित पोषण दें. इस बात का खयाल रखें कि पालतू जानवर सर्दी में मोटे हो सकते हैं या उन का वजन बढ़ सकता है. मोटे या भारी पालतू जानवरों को जख्म या बीमारी की आशंका सामान्य वजन वाले पालतू जानवरों के मुकाबले ज्यादा होती है.

व्यायाम जरूरी

ज्यादातर पालतू जानवर खुद व्यायाम नहीं करते, हालांकि दूसरे पालतू जानवर या परिवार के सदस्य के साथ वे खेल सकते हैं अथवा खिलौनों से अपना मनोरंजन कर सकते हैं. इसलिए, हमारा यह काम है कि हम उन्हें फिट रहने में सहायता करें. और इस के लिए घर में उन का काम बढ़ाएं. मौसम जब कभी ठीक हो उस का लाभ उठाइए और अपने कुत्ते के साथ थोड़ी देर के लिए वौक पर निकल जाइए. कुछ मिनट के व्यायाम से भी अंतर लाने में सहायता मिलेगी.

ड्राई क्लीनिंग (सूखी सफाई)

संभव है ठंड में आप का कुत्ता बहुत गंदा न हो और आप को उन्हें नहलाने की जरूरत न लगे. पर अगर आप उसे नहलाएं तो बहुत जरूरी है कि उस के बाद आप उसे गरम रखें. नहलाने के बाद उसे पोंछ कर सुखा दें. इस के लिए आप अच्छे ड्रायर का उपयोग भी कर सकते हैं. जब तक वह अच्छी तरह न सूख जाए उसे बाहर खुले में न जाने दें. पानी से नहलाने के बजाय आप उसे सूखा भी नहला सकते हैं. इस के लिए उसे कौर्न स्टार्च या बेबी पाउडर से ब्रश कर दीजिए.

द बिग चिल

पालतू पिल्ले को लंबे समय तक बाहर मत रखिए क्योंकि शरीर का कम तापमान (हाइपोथेमिया) मौत का कारण बन सकता है. अगर हवा चल रही हो और विंड चिल इंडैक्स 20 डिगरी से कम हो तो छोटे कुत्तों, उम्रदराज कुत्तों और बिल्लियों या छोटे बालों वाले कुत्तों को बाहर मत ले जाइए. अगर आप उन्हें बाहर ले ही जाना चाहें तो स्वेटर पहनाइए. इस से उन्हें ठंड का मुकाबला करने में आसानी होगी.

कैसा हो बिस्तर

बेहद गीले या ठंडे मौसम में कुत्ते हाइपोथर्मिक हो सकते हैं और अगर वे ऐसी जगह पर रहते हैं जहां बर्फ पड़ती है तो उन्हें फ्रोस्टबाइट भी हो सकता है. इसलिए यह देखना जरूरी है कि आप का प्यारा कुत्ता जहां सोता है वहां हवा का झोंका तो नहीं आता. कुत्ते के सोने के लिए भी कई विकल्प हैं. आप उन में से अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार चुन सकते हैं. जो विकल्प प्रमुख हैं उन में पैड, कंबल, रजाई, भूसा और पुआल प्रमुख हैं. आप चाहें तो कुत्ते के बिस्तर पर मोटा कंबल भी बिछा सकते हैं. इस से न सिर्फ उन्हें अतिरिक्त गरमी मिलेगी बल्कि तकलीफदेह जोड़ों के लिए उन्हें अतिरिक्त गद्दा भी मिलेगा.

उम्रदराज कुत्ता आमतौर पर मौसम के प्रतिकूल प्रभावों से जल्दी परेशान होता है. जिन कुत्तों में हार्मोन असंतुलन, हृदय की बीमारी, किडनी की बीमारी या डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य की स्थितियां हों वे शरीर की ऊष्मा को उपयुक्त ढंग से रैगुलेट नहीं कर पाते हैं. आर्थ्राइटिस के शिकार उम्रदराज कुत्ते ठंड के मौसम में काफी असुविधा का सामना करते हैं क्योंकि इन दिनों उन के सख्त जोड़ और सख्त हो जाते हैं. दवाओं, उपचार के विकल्पों और आर्थ्राइटिस के शिकार अपने कुत्ते को सर्दी में आराम से रखने के तरीकों के बारे में उस के चिकित्सक से सलाह लें. टीकाकरण, पेट के कीड़ों के लिए दवा और स्वास्थ्य की नियमित जांच सर्दी के मौसम में महत्त्वपूर्ण होती है. सो, अपनी सेहत के साथ अपने पालतू की सेहत के प्रति चौकन्ने रह कर स्वस्थ जीवन जिएं और जीने दें.

बाल गिरना

भारत में कुत्तों का बाल गिरना बहुत आम शिकायत है. फोटो पीरियड (लाइट इंटैंसिटी) पोषण, जैनेटिक्स आदि स्वास्थ्य से जुड़े मुख्य कारण हैं जिन से कुछ मौसम में कुत्तों के बाल तेजी से गिरते हैं. हर सर्दी में कुत्ते गरमी के अपने कोट उतारते हैं और सर्दी के लिए उन्हें घनी, मोटी परत होने देते हैं. इस प्रक्रिया को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है. हालांकि, हमारा सुझाव यह है कि जब उस के बाल गिर रहे हों तो किसी चिकित्सक को दिखा लें ताकि यह पक्का हो जाए कि बाल गिरना सामान्य है और ऐसा किसी विशेष कारण से नहीं हो रहा है.

विंटर स्पेशल : सर्दी के मौसम में हाथों का रूखापन दूर करने के लिए अपनाएं ये खास होममेड मास्क

सर्दियों के मौसम में त्वचा को सबसे ज्यादा मौइस्चराइज करने की जरूरत ज्यादा होती है. क्योंकि सर्द हवाएं त्वचा की नमी को पूरी तरह से छीन लेती हैं, जिससे चेहरे की त्वचा के साथ-साथ हाथ की त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है. इसलिए हाथ को कोमल और मुलायम बनाने के लिए ऐसे मास्क का इस्तेमाल करें जो असरदार होने के साथ आपके किचन में ही आसानी से मिल जायेंगे.

1.हाथों के लिए घरेलू मास्क

हाथों की त्वचा हमारे शरीर की सबसे पतली त्वचा होती है. इसलिए सर्दी के मौसम में बार-बार पानी के संपर्क में जाने से हाथों की त्वचा रूखी और बेजान होने लगती है. हाथों के रूखेपन को दूर करने के लिए कुछ घरेलू मास्‍क का प्रयोग करें.

2.हाथों के लिए गाजर का मास्क

गाजर का मास्‍क बनाने के लिए सबसे पहले गाजर का पेस्ट बनाकर उसमें नींबू का रस डाल कर  मिला ले और फिर हाथों पर लगाएं. हाथों  के रूखेपन को दूर करने का यह सबसे अच्‍छा उपाय है. क्योंकि  गाजर में विटामिन ए और सी के अलावा एंटीऑक्‍सीडेंट और पोटैशियम व आयरन आदि भी भरपूर मात्रा में होता है. इसके अलावा इसमें विटामिन ई भी बहुत अधिक होता है. यह शरीर को नमी प्रदान करने में सहायता करता है.

3. हाथों के लिए एलोवेरा मास्‍क

आप एलोवेरा की पत्ती में से जैल को निकालकर उसमें नींबू डाल कर अच्छे से  लें। और अपने हाथों पर लगा लें। रात भर ऐसे ही लगा रहने दें, सुबह अपने हाथों को पानी से साफ कर लें। कुछ दिन के इस्तेमाल से आपको अपने हाथों में फर्क महसूस होने लगेगा. सदियों से एलोवेरा हमारी त्वचा से जुड़ी हर समस्‍या को पल भर में दूर करता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट और मॉश्‍चराइजिंग गुण त्‍वचा के रूखेपन को दूर करने के साथ उसमें निखार भी लता है और असमय आने वाली झुर्रियों को भी दूर करता है.

4. हाथों के लिए आलू का मास्क

अगर आप सर्दी के मौसम में हाथों के रूखेपन और सर्दी के कारण त्वचा की सिकुड़न से परेशान है तो आलू का मास्क लगाएं। आलू त्वचा के दाग-धब्‍बों, कील-मुंहासों, एजिंग की समस्‍या और कालेपन से छुटकारा दिलाने के साथ त्वचा के रूखेपन को भी दूर करता है. खासतौर पर यह सर्दियों के मौसम में में हाथों की अच्‍छे से देखभाल करता है. इसमें मौजूद स्‍टार्च एक नेचुरल ब्‍लीचिंग एजेंट के रूप में काम करता है. आलू का मास्‍क बनाने के लिए सबसे पहले दो आलू को उबाल लें और उसे अच्छी तरह से मैश कर लें। फिर इसमें थोड़ा सा दूध मिला कर स्मूद पेस्ट बनाकर अपने हाथों पर लगाकर सूखने के लिए कुछ देर ऐसे ही छोड़ दें। फिर अपने हाथों को धो लें. इस मास्क का असर आपको अपने हाथों पर दूसरे ही इस्तेमाल पर नजर आने लगेगा.

5. हाथों के लिए अंडे का मास्क

आप अंडे की पीली जर्दी में नींबू और ऑलिव ऑयल अच्छी तरह से मिलाकर पेस्‍ट बना लें। फिर इस पेस्ट को मिक्स करके हाथों पर लगा कर 15 से 20 मिनट के लिए लगा हुआ ही छो़ड़ दें. फिर गुनगुने पानी से हाथों को साफ़ कर लें. अंडे में मौजूद प्रोटीन त्वचा को पोषण देना का काम करता है. जिसकी वजह से त्वचा कोमल और मुलायम रहती है. इसके अलावा इसमें विटामिन A भी होता है। विटामिन A दाग-धब्बों को दूर करने, कील-मुंहासों को बढ़ने से रोकने और फाइन लाइन्स को दूर करने में सहायता करता है.

इसके अलावा सर्दी में हाथों की नमी को बरक़रार रखने के लिए विटामिन-ई युक्त क्रीम का इस्तेमाल करें. पानी में काम करने के बाद हर बार हैंड क्रीम का प्रयोग करें. ज्यादा सर्दी के मौसम में हाथों में दस्ताने पहन कर उसे सर्द हवाओं से बचाएं.

विंटर स्पेशल: घर पर बनाएं अजवाइनी पनीर टिक्का

आज आपको अजवाइनी पनीर टिक्का की रेसिपी बताते है, जो आपको खाने में बहुत टेस्टी लगेगी. आप इसे घर पर आए मेहमानों को परोस सकते हैं और इसे बनाना भी काफी आसान है.

सामग्री

– 2 बड़ा चम्मच बेसन

– 1 बड़ा चम्मच नीबू का रस

– 1 बड़ा चम्मच सरसों का तेल मैरिनेट करने के लिए

– फ्राई करने के लिए औयल

– 200 ग्राम पनीर

– 3 बड़े चम्मच हंग कर्ड

– 1 छोटा चम्मच अदरक और लहसुन का पेस्ट

– 1-1 चम्मच हलदी, लालमिर्च व धनिया पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच गरममसाला

– 2 छोटे चम्मच अजवाइन

– 2 छोटे चम्मच कसूरी मेथी पाउडर

–   नमक स्वादानुसार

बनाने की विधि

एक पैन में बेसन डाल कर उसे तब तक भूनें जब तक खुशबू न आने लगे, फिर आंच बंद कर ठंडा होने दें.

इस बीच पनीर को छोटे टुकड़ों में काट लें. फिर एक बाउल में भुना बेसन, दही, नीबू का रस, सरसों का तेल और बाकी बची सारी सामग्री मिला कर पेस्ट तैयार कर उसे पनीर के टुकड़ों में लपेट कर 30 मिनट तक मैरिनेट होेने दें.

फिर एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर उस में पनीर को सुनहरा होने तक फ्राई कर उस पर चाट मसाला और नीबू का रस डाल कर हरी सब्जियों से सजा कर पुदीने की चटनी के साथ सर्व करें.

व्यंजन सहयोग: टिप्सी एलिफैंट

बिग बॉस 16 के घर में आएगा नया ट्विस्ट, घरवाले नहीं जनता चुनेगी कैप्टन

बिग बॉस 16 में आए दिन नए- नए ट्विस्ट आ रहे हैं, पिछले दिनों आपने देखा कि घर में अंकित के जाने के बाद से विवाद खड़ा हुआ है, फैंस भी परेशान है कि  आगे आने वाले एपिसोड में क्या होने वाला है, दरअसल इस बार कुछ नया होने वाला है.

दरअसल इस बार हर बार की तरह घर की जनता कैप्टन को नहीं चुनेगी , इस बार जनता कैप्टन को चुनने का काम करेगी, घर के अंदर इंडिया के कोने कोने से जानता आएंगे चुनने के लिए जहां पर देखना यह है कि किसको कितना वोट मिलेगा. फैंस अपने पसंदीदा कंटेस्टेंट को वोट करेंगे, तो वहीं घर में निमृत और प्रियंका के बीच में बहस हो गई है और उन दोनों ने एक-दूसरे को नॉमिनेट कर दिया है.

वहीं घर में अब्दु की दूबारा वापसी हुई है जिससे सभी घर वाले पहले से ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं अब्दु के साथ में . जब घर में जनता वोट की प्रक्रिया चल रही थी उस दौरान सौदर्यां चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी कि जनता कैप्टन किसीको भी चुने लेकिन असली कैप्टन तो मैं ही रहूंगी,

हालांकि उनके विवादित बयान पर अभी तक किसी ने कुछ कहा नहीं है, लेकिन देखना अब ये है कि जनता आखिर कैप्टन किसको चुनती है. घर का कौनसा सदस्य दूबारा कैप्टन बनेगा या पहली बार कोई नया सदस्य कैप्टन बनेगा.

दूसरी तरफ हम अच्छे तो हम अच्छे की लड़ाई प्रियंका और

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