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YRKKH: अक्षरा-अभिमन्यु का होगा तलाक, नए चेहरे की होगी एंट्री

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है लंबे  समय से दर्शकों को दिल पर राज कर रहा है, इस सीरियल को देखना फैंस खूब पसंद करते हैं तो वहीं इस सीरियल में भी आए दिन नए – नए ट्विस्ट आते रहते हैं. अब इन दिनों सीरियल में दिखाया जाएगा कि नील की मौत हो जाती है.

नील की मौत का सारा इल्जाम अभिमन्यु की मां मंजरी पर लगता है, जिसके बाद से अभिमन्यु का दिमाग खराब हो जाता है और वहीं दूसरी तरफ मंजरी सारा इल्जाम अक्षरा पर डाल देती है जिसके बाद से अक्षरा और अभिमन्यु का तलाक होने वाला है.

 

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यानि की अक्षरा और अभिमन्यु एक बार फिर से अलग हो जाएंगे, अभिमन्यु के इस फैसले पर कोई भी घरवाला अंगूली नहीं उठाएगा, अब आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि बिरला हाउस में नील की मौत के बाद से दिखाया जाएगा कि बिरला हाउस में मातम का  माहौल है सभी घरवाले नील की मौत से परेशान हैं.

वहीं अगले एपिसोड में मंजरी नील का अंतिम संस्कार भी नहीं करने देगी अक्षरा को, वहीं अभिमन्यु की बड़ी मां भी मंजरी का साथ देती हैं, वह कहती है कि अक्षरा कि वजह से आज हमने अपना बहुत कुछ खोया है, आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अभिमन्यु अपने भाई की मौत से पूरी तरह से टूट जाता है,

अक्षरा अपने घर चली जाती है और अभिमन्यु घरवालों को बताता है कि हमलोगों का तलाक हो गया है अब हम कभी एक -दूसरे के नहीं हो सकते हैं.

 

धर्म: नरक पुराण

धर्म की दुकानदारी के 2 बड़े प्रोडक्ट काल्पनिक स्वर्ग व काल्पनिक नर्क हैं. नर्क का इतना वीभत्स चित्रण धार्मिक साहित्य में है कि लोग इस के बारे में सुन कर कांप उठते हैं और यातनाओं से बचने के लिए दानदक्षिणा यानी घूस देने को आसानी से तैयार हो जाते हैं. दुकान चलती रहे, इसलिए कोई इन ढकोसलों का विरोध नहीं करता. हिंदू धर्मग्रंथों के सार ‘गीता’ के अध्याय 2, श्लोक 23 के अनुसार- नैनं छिंदंति

शस्त्राणि नैनं दहति पावक : न चैन क्लेदयंत्यापो न शोखयति मारूत : अर्थात, आत्मा को शस्त्र आदि नहीं काट सकते, इस को आग नहीं जला सकती, इस को जल नहीं गीला कर सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती है. ‘गीता’ के अध्याय 11, श्लोक 8 के अनुसार- न तु मां शक्यसे द्रष्टुमनेनैव स्वचक्षुषा. दिव्यं ददामि ते चक्षु: पाश्व मे योगमैश्वरम्… परंतु मु?ो इन अपने प्राकृत नेत्रों द्वारा देखने का निसंदेह समर्थ नहीं है, इसी से (मैं) तेरे लिए दिव्य अर्थात अलौकिक चक्षु देता हूं, उस से (तू) मेरे प्रभाव और योगशक्ति को देख. आज तक गीता तथा आत्मा के बारे में किसी भी हिंदू संत, संगठन, समाज आदि ने कोई विरोध नहीं जताया है कि इन बातों में कुछ गलत है या कपोल कल्पित है.

लेकिन इस के साथ ही गरुड़पुराण – (सारोद्वार सानुवाद (1416) मुद्रक गीता प्रेस, गोरखपुर) में वर्णित नरकों का, यममार्ग की यातनाओं का, मृत शैयादान, गोदान, अन्य दान का, गरुड़ पुराण, श्रवण का फल आदि का भी किसी ने कभी विरोध नहीं किया. अब गोल और गरुड़ पुराण की बातें एकदूसरे की विरोधी हैं. सही क्या है, यह हिंदुत्व की सोच का विषय बना रहे तो अति उत्तम है.

गरुड़ पुराण के कुछेक श्लोक और उन का अर्थ इस प्रकार है- प्रथम अध्याय के पृष्ठ क्र. 13 पर स्पष्ट उल्लेखित है कि मरणोपरांत जो पिंड दिए जाते हैं उन्हीं से शरीर के सारे अंग फिर बनते हैं. य: पिण्डस्तेन मूर्धा प्रजायते, ग्रीवास्कन्धौ द्वितीयेन तृतीयाद्धदयं भवेत् … चतुर्थेन भवेत् पृष्ठं पंचमान्नाभिरेव च. षण्ठे च सप्तमे चैव कटी गुह्यं प्रजायते (51-52) ऊरुश्चाष्टमे चैव जान्वड्घ्री नवमे तथा. नवभिर्देहमासाद्य दशमेऽह्नि क्षुधा तृषा… पिण्डजं देहमाश्रित्य क्षुधाविष्टस्तृषार्दित र् एकादशं द्वादर्श च प्रेतो भुडेक्त दिनद्वयम् (53-54) त्रयोदशेऽहनि प्रेतो यन्त्रितो यमकिड्करै र् तस्मिन् मार्गे व्रजत्येको गृहीत इव मर्कटर् षडशीतिसहस्राणि योजनानां प्रमाणतर् यममार्गस्य विस्तारो विना वैतरणीं खग (55-56) पहले दिन जो पिंड दिया जाता है उस से उस का सिर बनता है,

दूसरे दिन के पिंड से ग्रीवा (गरदन) और स्कंध (कंधे) तथा तीसरे पिंड से हृदय बनता है. (51) चौथे पिंड से पृष्ठभाग (पीठ), 5वें से नाभि, छठे तथा 7वें पिंड से क्रमश: कटि (कमर) और गुह्याड्ग उत्पन्न होते हैं. (52) 8वें पिंड से ऊरु (जांघें) और 9वें पिंड से जानु (घुटने) तथा पैर बनते हैं. इस प्रकार 9 पिंडों से देह को प्राप्त कर के 10वें पिंड से उस की क्षुधा और तृषा (भूखप्यास) ये दोनों जाग्रत होती हैं. (53) पिंड से शरीर को प्राप्त कर के भूख और प्यास से पीडि़त जीव 11वें तथा 12वें 2 दिन भोजन करता है. (54) 13वें दिन यमदूतों द्वारा बंदर की तरह बंधा हुआ वह प्राणी अकेला उस यममार्ग में जाता है. (55) हे खग, (मार्ग में मिलने वाली) वैतरणी को छोड़ कर यमलोक के मार्ग की दूरी का प्रमाण छियासी हजार योजन है.

ये बातें हर मृत्यु के होने के बाद गरुड़ पुराण पाठ में दोहराई जाती हैं ताकि हिंदू जनता इस का पूरा लाभ उठा सके और मरने तक उसे याद रहे कि उस के शरीर व आत्मा के साथ क्याक्या होने वाला है. गरुड़ पुराण के अध्याय 2 के पृष्ठ क्रमांक 16 पर स्पष्ट वर्णन है कि मरने के बाद शरीर को जलाने के बाद वही प्राणी बर्फ सी ठंडी हवा से परेशान होता है. उसे विष वाले सर्प डसते हैं. उसे शेर और कुत्तों द्वारा खाया जाता है. उसे बिच्छुओं द्वारा डसा जाता है. उसे जलाया भी जाता है. इन सब यातनाओं को ?ोलने के बाद वह नरक में जाता है.

तस्मिन् गच्छति पापात्मा शीतवातेन पीडि़त: कंटकैर्विध्यते क्वापि क्वचित्सर्पैर्महाविषै…3. सिंहैर्व्याघ्रै : श्रभिघोरैर्भक्ष्यते क्वापि पापकृत्. वृश्किर्दंश्यते क्वापि क्वचिद्दह्याति वह्निना…6. तत : क्वचिन्महाघोरमसिपत्रवनं महत. योजनानां सहस्रे द्वे विस्तारायामतर् स्मृतम्…7. उस मार्ग में जाता हुआ पापी कभी बर्फीली हवा से पीडि़त होता है तथा कभी कांटे चुभते हैं और कभी महाविषधर सर्पों द्वारा डसा जाता है. (वह) पापी कहीं सिंहों, व्याघ्रों और भयंकर कुत्तों द्वारा खाया जाता है, कहीं बिच्छुओं द्वारा डसा जाता है और कहीं उसे आग से जलाया जाता है. तब कहीं अति भयंकर महान असिपत्रवन नामक नरक में वह पहुंचता है, जो दो हजार योजन विस्तार वाला कहा गया है.

गरुड़ पुराण अध्याय 2 के पृष्ठ क्रमांक 17 में कहा गया है कि अब उसे मरे हुए तथा दाह संस्कार किए व्यक्ति को तपी हुई बालू पर, धधकते हुए रास्ते से, आग भरी सड़क, धुएं से भरे रास्ते पर चलना पड़ता है. उस पर खून, गरम पानी तथा शस्त्र पड़ते हैं. संतप्तवालुकाकीर्णे ध्मातताम्रयते क्वचित्. क्वचिदड्गारराशौ च महाधूमाकुले क्वचित्…11. क्वचिदड्गारवृष्टिश्च शिलावृष्टिर्सवज्रका. रक्तवृष्टिर् शस्त्रवृष्टि :क्वचिदुष्णाम्बुवर्षणम्…12. क्षारकर्दमवृष्टिश्च महानिम्नानि च क्वचित्. वप्रप्ररोहणं क्वापि कन्देषु प्रवेशनम्…13. कहीं तपी हुई बालुका से व्याप्त और कहीं धधकते हुए ताम्रमय कौए, कीड़ेमकोड़े और अतिथि के लिए भोजन का कुछ भाग देना चाहिए,

नहीं दिया है तो नरकों में यातनाएं ?ोलनी होंगी. ग्रासार्द्धमपि नो दत्तं न श्वायसयोर्बलिम्. नमस्कृता नातिथयो न कृतं पितृतर्पणम्…41. यमस्य चित्रगुप्तस्य न कृतं ध्यानमुत्तमम्. न जप्तश्य तयोर्मन्त्रो न भवेद्येन यातना 42. नापि किंचित्कृतं तीर्थ पूजिता नैव देवता: गृहाश्रमस्थितेनापि हन्तकारोऽपि नोद्धृत…43. (तुम लोगों ने) आधा ग्रास भी कभी किसी को नहीं दिया और न ही कुत्ते तथा कौऐ के लिए बलि ही दी. अतिथियों को नमस्कार नहीं किया और पितरों का तर्पण नहीं किया (41). यमराज तथा चित्रगुप्त का उत्तम ध्यान भी नहीं किया और उन के मंत्रों का जप नहीं किया, जिस से तुम्हें यह यातना न होती (42).

कभी कोई तीर्थयात्रा नहीं की, देवताओं की पूजा भी नहीं की. गृहस्थाश्रम में रहते हुए भी तुम ने हंतकार नहीं निकाला (43). अभी भी जेब ढीली करने का मन नहीं बना तो और डोज दे दी जाए कि नरक में क्याक्या होता है. यह आप न पूछें कि पुराण के रचयिता को यह गुप्त ज्ञान कैसे हुआ? या भगवान और यमराज नरक टूर पर बुलाते हैं कि भई देख लो और हिंदू जनता के भले के लिए यहां ये टूर गाइड लिख दो ताकि लोगों को पता रहे कि मरने के बाद क्याक्या हो सकता है. इसी हिंदू पुराण में अध्याय 3, पृष्ठ क्रमांक 38 पर नरक का वर्णन है. कहते हैं वहां एक पेड़ है, वह भी जलती हुई आग जैसा और 5 योजन तक विस्तार वाला है. उस के ही नीचे सांकलों से बांधकर मरे जीव को पीटा जाता है. वहां भूख तथा प्यास के मारे यमदूतों द्वारा पीटे गए अनेक पापी लटकते हैं.

तत्र वृक्षो महानेको ज्वलदग्निसमप्रभ: पंचयोजनविस्तीर्ण: एकयोजनमुच्छित:… (34). तद्वृक्षे श्रड्खलैर्बद्ध्वाऽधोमुखं ताडयन्ति ते. रुदङ्क्षत ज्वलितास्तत्र तेषां त्राता न विद्यते (35). तस्मिन्नेव शाल्मलीवृक्षे लम्बेन्तेऽनेकपापिनर् क्षुत्पिपासापरिश्रान्ता यमदूतश्च ताडितार्..(36). क्षमध्वं भोऽपराधं से कृतांजलिपुटा इति. विज्ञापयन्ति तान् दूतान् पापिष्ठास्ते निराश्रयार्…(37). हमारे थानों के बारे में भी उसी तरह के पुलिस पुराण लिखे जाने चाहिए ताकि लोग पकड़े जाने से पहले पुलिस वालों की पूजा और ज्यादा तत्परता से करें. इस पुलिस पुराण का पाठ हर उस व्यक्ति के घर में हो जिसे जेल भेजा गया हो.

गरुड़ पुराण किसी भी तरह की पुलिस की यातना से ज्यादा दुखदायी वीभत्स दंड से ज्यादा यातना देता है इस का वर्णन अभी बहुत बाकी है. वहां जलती हुई अग्नि के समान प्रभा वाला एक विशाल वृक्ष है, जो 5 योजन में फैला हुआ है तथा एक योजन ऊंचा है (34). उस वृक्ष में नीचे मुख कर के उसे सांकलों से बांध कर वे दूत पीटते हैं. वहां जलते हुए वे रोते हैं, (पर वहां) उन का कोई रक्षक नहीं होता (35).

उसी शाल्मली वृक्ष में भूख और प्यास से पीडि़त तथा यमदूतों द्वारा पीटे जाते हुए अनेक पानी लटकते रहते हैं (36). वे आश्रयविहीन पापी अंजलि बांध कर ‘हे यमदूतो, मेरे अपराध को क्षमा कर दो’, ऐसा उन दूतों से निवेदन करते हैं (37). इसी प्रकार यहां मुख्य नरकों के नाम तथा वहां मिलने वाली यातनाओं का वर्णन है : तामिस्र लोहशंकुश्च महारौरवशाल्मली. रौरवर् कुड्मलर् कालसूत्रकर् पूतिमृत्तिक र् (61). संघातो लोहितोदश्च सविषर् संप्रतापनर् महानिरयकाकोलौ संजीवनमहापथौ..(62). अवीचिरन्धतामिस्रर् कुम्भीपाकस्तभ्थैव च. सम्प्रतापननामैकस्तपनस्त्वेकविंशति…

(63). नानापीडामयर् सर्वे नानाभेदैर् प्रकल्पितार् नानापापविपाकश्च किड्करौघैरधिष्ठिता…

(64). जैसे जेलों में वर्गीकरण किया गया है कि ये जेलें क्रूर हैं और ये और ज्यादा क्रूर है, ऐसे ही नरकों का. असल में जेलों के अधीक्षक अवश्य नियमित गरुड़ पुराण पढ़ते होंगे ताकि कैदियों को मनाने के तरीके पता रहें. जेलों के वर्गीकरण की तरह नरक के वर्गीकरण के बारे में पढि़ए. तामिश्र, लोहशंकु, महारौरव, शाल्मली, रौरव, कुड्मल, कालसूत्रक, पूतिमृत्तिक, संघात, लोहितोद, सविष, संप्रतापन, महानिरय, काकोल, संजीवन, महापथ, अवीचि, अंधतामित्र, कुंभीपाक, संप्रतापन तथा पतन ये 21 नरक हैं (61-63). ये सभी अनेक प्रकार की यातनाओं से परिपूर्ण होने के कारण अनेक भेदों से परिकल्पित हैं.

अनेक प्रकार के पापों का फल इन में प्राप्त होता है और ये यम के दूतों से अधिष्ठित हैं (64). एतेषु पपिता मूढा र् पापिष्ठा धर्मवर्जिता र् यत्र भुंजन्ति कल्पान्तर् तास्ता नरकयातना..(65) यास्तामिस्रान्धतामिस्ररौरवाद्याश्च यातना र् भुड्ेक्त नरो वा नारी वा मिथर् सड्गेन निर्मिता..(66). एवं कुटुंम्बं बिभ्राणा उदरम्भर एववा. विसृज्येहोभयं प्रेत्यभुड्क्ते तत्फलमीदृशम. (67). अगर पुरुष गरुड़ पुराण को ?ाठा मानें तो औरतों को डराने का उपाय भी गरुड़ पुराण में मौजूद है. स्त्रियों को डराने व उन से उन की रोटी छीनने का निर्देश आगे स्पष्ट है. इन नरकों में गिरे हुए मूर्ख, पापी, अधर्मी जीव कल्पपर्यंत उन नरक यातनाओं को भोगते हैं (65). तामिस्र और अंधतामिस्र तथा रौरवादि नरकों की जो यातनाएं हैं, उन्हें स्त्री और पुरुष पारस्परिक संग से निर्मित हो कर भोगते हैं (66).

इस प्रकार कुटुंब का भरणपोषण करने वाला अथवा केवल अपना पेट भरने वाला भी यहां कुटुंब और शरीर दोनों छोड़ कर मृत्यु के अनंतर इस प्रकार का फल भोगता है (67). गरुड़ पुराण नरकों का वर्णन करने के बाद अपने श्रोताओं को राहत का प्रबंध भी रखता है. भीषण गरमी के बाद बादल आते हैं न. इसलिए धार्मिक लोगों की बातें भी हैं. धार्मिक वे हैं जो दान देते हैं, मंदिर जाते हैं, यज्ञहवन कराते हैं. अध्याय 4 के पृष्ठ 46 पर लिखा है कि जो लोग पाप कार्यों में लगे रहते हैं वे उपरोक्त वर्णित एक नरक से दूसरे तक दुख भोगते हैं तथा भय को प्राप्त होते हैं. यहां 4 द्वार हैं.

दक्षिण दिशा के द्वार से पापी तथा अन्य द्वारों से धार्मिक लोग आते हैं. सदैवाकर्मनिरतार् शुभकर्मपराड्मुखार् नरकान्नरकं यान्ति दुर्खाद्दुर्खं भयाभ्दयम्..(2). धर्मराजपुरे यान्ति त्रिभिर्द्वारैस्तु धार्मिका:. पापास्तु दक्षिणद्वारमार्गेणैव वजन्ति तत्..(3). श्रीभगवान बोले- सदा पापकर्मों में लगे हुए, शुभकर्म से विमुख प्राणी एक नरक से दूसरे नरक को, एक दुख के बाद दूसरे दुख को तथा एक भय के बाद दूसरे भय को प्राप्त होते हैं (2). धार्मिकजन धर्मराजपुर में 3 दिशाओं में स्थित द्वारों से जाते हैं और पानी पुरुष दक्षिण द्वार के मार्ग से वहां जाते हैं (3). क्या आप पुराण सुनते हुए दान और पूजा की व्यवस्था में लगे हुए थे. आप को डराने और फुसलाने का पूरा प्रबंध इस ग्रंथ में है. महंगी दवा के साथ मिलने वाली कई पृष्ठों की निर्देश पुस्तिका की प्रेरणा पक्की बात है, गरुड़ पुराण से भी की गई है.

16 अध्यायों के अंत में इस गरुड़ पुराण को पढ़नेपढ़वाने वालों के लिए फल लिखा गया है. पृष्ठ 262 में वर्णित किया गया है कि जो इसे सुनता और सुनाता है उस की परिवार सहित मुक्ति होती है. प्रेतकल्पङ्क्षमद पुण्यं श्रृणाति श्रावयेच्चय र्.उभौ तो पापनिर्मुक्ती दुर्गति नैव गच्छत र् (6). मातापित्रोश्च मरणे सौपर्ण श्रृणुते तु यर् …पितरौ मुक्तिमापन्नौ सृतर् संतितमान भवेत र् (7). न श्रुतं गारुडं येन गयाश्रार्द्ध च नो कृतम्. वृषोत्सर्ग र् कृतो नैव न च मासिकवार्षिके र् (8). स कथं कथ्यते पुत्रर् कर्थ मुच्येत् ऋणत्रयात्. मातरं पितरं चैव कथं तारयितुं क्षमर् (9).

तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्रोतव्यं गारुडं किल. धर्मार्थकाममोक्षाणां दायकं दुर्खनाशनम्..(10). पुराणं गारुडं पुण्य पवित्र पापनाशनम् श्रृण्वतां कामनापूरं श्रोतव्यं सर्वदैव हि. (11). ब्राह्मणो लभते विद्यां क्षत्रिय पृथिवीं लभेत्. वैश्यो धनिकतामेति शुद्रर् शुद्धयति पातकात..(12). जो इस पुण्यप्रद प्रेतकल्प को सुनता और सुनाता है, वह दोनों ही पापों से मुक्त हो कर दुर्गति को नहीं प्राप्त होता है (6).

माता और पिता के मरण में जो पुत्र गरुड़ पुराण सुनता है, उस के मातापिता की मुक्ति होती है और पुत्र को संतति की प्राप्ति होती है (7). जिस पुत्र ने (मातापिता की मृत्यु होने के अनंतर) गरुड़ पुराण का श्रवण नहीं किया, गया में श्राद्ध नहीं किया, वह कैसे पुत्र कहा जा सकता है और ऋणत्रय से उसे कैसे मुक्ति प्राप्त हो सकती है और वह पुत्र मातापिता को तारने में कैसे समर्थ हो सकता है? (8-9). इसलिए सभी प्रकार के प्रयत्नों को कर के धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्षरूप पुरुषार्थचतुष्टय को देने वाले तथा सर्वविधि दुख का विनाश करने वाले गरुड़ पुराण को अवश्य सुनना चाहिए (10). यह गरुड़ पुराण पुण्यप्रद, पवित्र तथा पापनाशक है. सुनने वालों की कामनाओं को पूर्ण करने वाला है.

इसे सुन कर ब्राह्मण विद्या, क्षत्रिय पृथिवी, वैश्य धनाढ्य तथा शूद्र पालकों से शुद्ध हो जाता है (12). अनेक ग्रंथों में शूद्रों को एक तरह से बाहर रखा गया है पर गरुड़ पुराण उन पर भी मेहरबान है. शूद्र भी मरता है न और मृत्यु कर देने का प्रावधान तो उस के लिए भी होना चाहिए. अंत में यातनाओं से बचने के उपाय न हों तो नरक का वर्णन बेकार जाएगा. अगर ये यातनाएं सब को सहनी ही हैं तो फिर क्यों चिंता करें. इसलिए पुराण के रचयिता ने बाकायदा इन यातनाओं से मुक्ति पाने का प्रबंध कर रखा है. गरुड़ पुराण के अंतिम पृष्ठों क्रमांक 263 एवं 264 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि इस में संशय नहीं और वाचक के संतुष्ट होने पर मैं भी संतुष्ट हो जाता हूं. यानी भगवान, वाचक कब संतुष्ट होता है जब उसे शैयादान आदि संपूर्ण दान दिए जाएं अन्यथा इस का श्रवण फलदायक नहीं होता.

साथ ही, वाचक को वस्त्र, अलंकार, गऊदान और दक्षिणा आदि दे कर वाचक की आदरपूर्वक पूजा करनी चाहिए. वाचक की पूजा से ही मेरी पूजा होती है. स्वाभाविक है कि भगवान तो हर जगह उपस्थित नहीं होते. सो, उन के एजेंटों को नियुक्त किया गया है. श्रुत्वा दादानि देयानि वाचकायाखिलानि च. पूर्वोक्तशयनादीनि नान्यथा सफलं भवेत्..13. पुराणं पूजयेत् पूर्व वाचकं तदनन्तरम्. वस्त्रालड्कारगोदानैर्दक्षिणाभिश्च सादरम्..14. अन्नैश्च हेमदानैश्च भूमिदानैश्च भूरिभिर् पूजयेद्वाचकं भक्त्या बहुपुण्यफलाप्तये..15. वाचकस्यार्चनेनैव पूजितोऽहं न संशयर् संतुष्टे तुष्टियां यामि वाचके नात्र संशय..16. इस गरुड़ पुराण को सुन कर सुनाने वाले आचार्य को पूर्वोक्त शैयादानादि संपूर्ण दान देने चाहिए. अन्यथा इस का श्रवण फलदायक नहीं होता (13).

पहले पुराण की पूजा करनी चाहिए, तदनंतर वस्त्र, अलंकार, गोदान और दक्षिणा आदि दे कर आदरपूर्वक वाचक की पूजा करनी चाहिए (14). प्रचुर पुण्यफल की प्राप्ति के लिए प्रभूत अन्न, स्वर्ण और भूमिदान द्वारा श्रद्धाभक्तिपूर्वक वाचक की पूजा करनी चाहिए. वाचक की पूजा से ही मेरी पूजा हो जाती है, इस में संशय नहीं और वाचक के संतुष्ट होने पर मैं भी संतुष्ट हो जाता हूं,

इस में भी कोई संशय नहीं (15-16). आज का जमाना ग्राहकसेवा का है. इसीलिए पंडित ग्राहकों की सुविधा के लिए प्रबंध करने लगे हैं. यही कारण है कि हरिद्वार आदि स्थानों पर पंडों के घर गाय बंधी है जो बारबार दान होती है तथा डबल बैड, सिंगल बैड, गद्देचादर, रजाईतकिए के साथ रखी होती हैं. यह सब हिंदुओं के पित्तरों के लिए ही हैं. अब औनलाइन गरुड़ पुराण का पाठ भी उपलब्ध है और दान देने के लिए क्रैडिट कार्ड सुविधा भी है. यह क्रैडिट कार्ड यमराज बैंक का नहीं, धरती के बैंकों का ही है क्योंकि पंडितों को इस में से पैसा अपनी मृत्यु से पहले चाहिए.

लेखक-संभाजीराव शिंदे 

Manohar Kahaniya: नफरत की आग में खाक हुए रिश्ते

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी शहर में एक बड़ी आबादी वाला मोहल्ला है पुरोहिताना. यह कोतवाली थाना अंतर्गत आता है. इसी मोहल्ले में गुड्डू खटीक अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी विनीता के अलावा एक बेटा करन तथा बेटी कोमल थी.

सरस्वती बालिका इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वह आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से मांबाप ने इजाजत नहीं दी.

कोमल के घर से 2 घर बाद 25 वर्षीय करन गोस्वामी का घर था. वह अपनी मां पिंकी तथा भाई रौकी के साथ रहता था. उस के पिता प्रेमपाल की मौत हो चुकी थी. करन प्राइवेट नौकरी करता था और ठाठबाट से रहता था.

पड़ोसी होने के नाते कोमल के भाई करन खटीक व करन गोस्वामी में दोस्ती थी. दोनों साथ उठतेबैठते और बोलतेबतियाते थे. करन गोस्वामी का दोस्त के घर आनाजाना लगा रहता था. करन गोस्वामी जब भी करन खटीक के घर जाता, उस की मुलाकात कोमल से भी होती थी. कभीकभार उस से बातचीत भी हो जाती थी.

बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो उन के दिलों में प्यार पनपने लगा. करन की आंखों के रास्ते कोमल उस के दिल में समा चुकी थी.

कोमल बनसंवर कर घर से निकलती थी. करन तिरछी नजरों से उसे रोज देखा करता था. उस की नजरों से ही पता चलता था कि वह उसे चाहता है. करन का तिरछी नजरों से निहारना कोमल को अच्छा लगता था. करन के प्यार का एहसास कोमल के दिल को छू गया था.

एक शाम कोमल बाजार जा रही थी, तभी सिंधिया तिराहे के पास करन गोस्वामी मिल गया. औपचारिक बातचीत के बाद करन ने कहा, ‘‘कोमल, मेरे मन में बहुत दिनों से एक बात घूम रही है. मौका न मिलने की वजह से वह बात मैं तुम से कह नहीं सका. आज मैं तुम से वह बात कह देना चाहता हूं. तुम मुझे हनुमान मंदिर के पास मिलो.’’

उस की बात सुन कर कोमल समझ रही थी कि वह क्या कहना चाहता है. फिर भी वह नासमझ बनते हुए बोली, ‘‘ऐसी क्या बात है करन, जो तुम मुझे अलग में बताना चाहते हो. फिर भी तुम कहते हो तो मैं हनुमान मंदिर के पास मिलती हूं.’’

कुछ देर बाद दोनों हनुमान मंदिर पहुंच गए. चबूतरे पर दोनों आमनेसामने बैठ गए. लेकिन करन की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपने मन की बात उस से कहे. तभी कोमल बोली, ‘‘करन, तुम कुछ कहने के लिए मुझे यहां लाए थे. बताओ, क्या बात है?’’

करन ने हिम्मत जुटा कर उस की नजरों से नजरें मिला कर कहा, ‘‘कोमल, तुम मेरे दिल में रचबस गई हो. तुम्हारा यह सुंदर सलोना चेहरा हमेशा मेरी आंखों के सामने घूमता रहता है. अब तुम्हारे बिना नहीं रहा जाता.’’

करन की बातें सुन कर कोमल चहक कर बोली, ‘‘करन, मैं भी तुम से प्यार करती हूं. लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या कोमल?’’ करन ने मायूस हो कर पूछा.

कोमल गंभीर हो कर बोली, ‘‘करन, तुम जानते ही हो कि मेरी और तुम्हारी जाति अलग है. इस वजह से यह रिश्ता कभी नहीं हो सकता. अगर हम ने कोशिश की तो पूरा समाज हमारे खिलाफ हो जाएगा.’’

करन ने कोमल का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘कोमल, मैं तुम्हारे प्यार में पागल हूं. तुम्हारे लिए मैं किसी से भी टकराने को तैयार हूं.’’

करन का हौसला देख कर कोमल की हिम्मत बढ़ गई. उस ने मुसकराते हुए प्यार के इस रिश्ते पर अपनी मुहर लगा दी.

इस के बाद कोमल और करन का प्यार दिन दूना और रात चौगुना बढ़ने लगा. करन की आवाजाही भी दोस्त के घर

बढ़ गई. वह कोमल से फोन पर भी घंटों बतियाने लगा.

कोई काम न होने के बावजूद करन के आनेजाने से कोमल की मां विनीता को शक होने लगा. एक दिन करन ने कोमल के दरवाजे पर दस्तक दी तो उस की मां ने दरवाजा खोला. सामने करन को देख कर उस ने कहा, ‘‘करन, तुम्हारा हमारे यहां बेमतलब आनाजाना ठीक नहीं है. हमारे घर सयानी बेटी है, लोग तरहतरह की बातें करते हैं.’’

करन समझ गया कि कोमल की मां विनीता को शक हो गया है, इसलिए वह वापस चला गया.

कोमल को मां का यह व्यवहार पसंद नहीं आया. इसलिए उस ने कहा, ‘‘मम्मी, करन के साथ तुम्हें इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए था.’’

रात में कोमल ने करन को फोन किया कि मां ने उस के साथ जो किया, वह उसे अच्छा नहीं लगा. अब वह काफी परेशान है. करन ने उसे समझाया कि वह मिलने का कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा, इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं.

अब वे देर रात को फोन पर बतियाने लगे थे. लेकिन एक दिन कोमल के भाई करन खटीक ने रात में कोमल को मोबाइल फोन पर बातें करते सुन लिया तो उस का माथा ठनका. करन ने उस के हाथ से मोबाइल छीन कर देखा तो वह जिस नंबर पर बात कर रही थी, वह उस के दोस्त करन गोस्वामी का था.

पहले तो उसे केवल शक था, पर अब विश्वास हो गया कि दोस्त ने उस के साथ दगा किया है.

करन गोस्वामी के प्रति उस के मन में नफरत पैदा होने लगी. सुबह को उस ने यह बात अपनी मां को बताई तो घर वालों की नजरें चौकस हो गईं. सभी कोमल पर निगाह रखने लगे.

लेकिन शायद उन्हें यह बात पता नहीं थी कि प्यार पर जितना पहरा बिठाया जाता है. वह उतना ही बढ़ता जाता है.

एक शाम विनीता बाजार से घर वापस आई तो घर पर कोमल नहीं थी. विनीता को समझते देर नहीं लगी कि कोमल करन से मिलने गई होगी. परेशान विनीता घर में चहलकदमी कर ही रही थी कि उस का बेटा करन खटीक आ गया. उसे जब पता चला कि बहन घर पर नहीं है तो वह उसे ढूंढने निकल गया.

ढूंढतेढूंढते वह प्राइमरी स्कूल के पीछे पहुंचा. वहां उस ने कोमल को करन गोस्वामी से बातें करते देखा. बहन को दोस्त के साथ देख उस का खून खौल उठा. उस ने लपक कर करन गोस्वामी का गिरेबान पकड़ लिया और गालियां देते हुए बोला, ‘‘मादर… तेरी मां की… तेरी ये हिम्मत कि मेरी इज्जत पर हाथ डाले.’’

करन गोस्वामी बोला, ‘‘दोस्त, मैं कोमल से प्यार करता हूं और उस से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘दोस्त है, इसलिए आखिरी चेतावनी दे कर छोड़ रहा हूं. आइंदा फिर कभी इस से मिला तो मैं तुझे जिंदा ही जमीन में गाड़ दूंगा.’’ करन खटीक ने धमकाया.

इस के बाद वह बहन कोमल को घसीटता हुआ घर ले आया और मां से बोला, ‘‘संभालोे इसे, वरना ये जान से जाएगी.’’

भाई के इस व्यवहार से कोमल का मन बागी हो उठा. उस ने तय कर लिया कि वह करन के साथ ही ब्याह करेगी. उस की वजह से घर में तनाव रहने लगा. करन खटीक को लगा कि कहीं कोमल परिवार की बदनामी का कारण न बन जाए, इसलिए वह उस की शादी करने की सोचने लगा.

कोमल को जब पता चला कि उस के लिए रिश्ता तलाशा जा रहा है तो वह बागी हो गई.

अब कोमल की जिंदगी एकदम नीरस हो गई. कोमल की शादी के बारे में करन गोस्वामी को पता चला तो वह भी परेशान हो उठा. उस ने कोमल के भाई को फोन कर के कहा कि वह दोस्ती को रिश्ते में बदलना चाहता है.

तब करन खटीक ने उसे डांटते हुए कहा कि ऐसा हरगिज नहीं हो सकता. इस बारे में वह उसे आइंदा फोन न करे, वरना अच्छा नहीं होगा.

करन गोस्वामी ने अपने घर वालों को कोमल से शादी करने के लिए राजी कर लिया था, लेकिन कोमल के घर वाले नहीं मान रहे थे. कोमल का भाई व चाचा शादी का सख्त विरोध कर रहे थे. करन ने भी तय कर लिया था कि कुछ भी हो वह कोमल को नहीं भूल सकता.

इधर कोमल ने भी अपने घर वालों से साफ कह दिया था कि वह शादी करेगी तो करन से वरना कुंवारी ही रहेगी.

कोमल की इन बातों से विनीता सहम जाती. उसे डर सताने लगा कि कोमल ने यदि जान दे दी तो वह कहीं की नहीं रहेगी. अत: उस ने बेटी का विवाह उस के प्रेमी करन गोस्वामी के साथ करने का फैसला कर लिया. इस के लिए उस ने अपने

बेटे करन खटीक को भी राजी कर लिया.

इस के बाद विनीता ने कोमल को विश्वास में ले कर कहा, ‘‘हम तेरी शादी अपनी बिरादरी में करना चाहते थे, पर तू इस के लिए तैयार नहीं है. तू करन गोस्वामी से शादी करना चाहती है न, हम तेरी खुशी के लिए तैयार हैं. हम ने तेरे भाई को भी राजी कर लिया है.’’

‘‘सच मां,’’ कह कर कोमल खुशी से उछल पड़ी. उस की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे. उस ने घर वालों के राजी होने की जानकारी अपने प्रेमी करन को दी तो वह भी खुशी से झूम उठा. इस के बाद वह शादी की तैयारी में जुट गया.

इधर विनीता बेटी का विवाह गैरजाति के लड़के से करने को राजी तो हो गई थी, लेकिन उस के लिए यह आसान न था. कारण उस के देवर दिलीप, सनी व रविंद्र खटीक इस शादी का घोर विरोध कर रहे थे. उन्हें यह बरदाश्त ही न था कि उन की भतीजी कोमल की शादी गैरजाति के युवक से हो.

विनीता को डर था कि परिवार के लोग बेटी की शादी में बाधा पहुंचा सकते हैं, अत: उस ने कोमल की शादी उस की ननिहाल से करने का फैसला किया.

विनीता का मायका उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के अलीगंज गांव में था. उस ने अपने भाइयों को सारी बात बताई और मदद मांगी. तब उस के भाई परिस्थिति को समझ कर कोमल की शादी अपने घर से करने को राजी हो गए. शादी की तारीख 20 अप्रैल, 2022 तय हुई.

एक सप्ताह पहले ही विनीता अपनी बेटी कोमल व बेटे करन खटीक के साथ अलीगंज पहुंच गई और शादी की तैयारी में जुट गई. 20 अप्रैल को करन गोस्वामी भी अपने भाई रौकी व मां पिंकी के साथ अलीगंज पहुंच गया. यहां देर रात कोमल की शादी करन गोस्वामी के साथ हो गई.

21 अप्रैल, 2022 को कोमल, करन गोस्वामी की दुलहन बन कर ससुराल आ गई. पुरोहिताना मोहल्ले में यह खबर जंगल में लगी आग की तरह फैल गई कि कोमल ने करन गोस्वामी से शादी कर ली है. इस से खटीक परिवार में गुस्सा फूट पड़ा. परिवार के लोग अपने को अपमानित महसूस करने लगे और वे करन खटीक व उस की मां विनीता को कोसने लगे.

करन खटीक भी अपने को लज्जित महसूस करने लगा था. मोहल्ले के लोग उस पर फब्तियां कसते तो वह तिलमिला उठता था. उस के चाचा सनी, दिलीप व रविंद्र भी उसे धिक्कार रहे थे और उकसा भी रहे थे. करन खटीक का अब घर से निकलना दूभर हो गया था. उस के मन में अब बहन व उस के प्रेमी पति के प्रति नफरत की आग सुलगने लगी थी.

इस नफरत की आग में घी डालने का काम किया करन गोस्वामी व उस के घर वालों ने. शाम होते ही करन कोमल के साथ छत पर पहुंच जाता और वहां बैठ कर कोल्डड्रिंक पीता, खूब हंसहंस कर बातें करता और करन खटीक को देख कर हंसीठिठोली करता. करन का भाई रौकी व मां पिंकी भी उस का साथ देते.

खतरा भांप कर विनीता ने करन गोस्वामी को आगाह किया कि वह कोमल को साथ ले कर कहीं दूर चला जाए. यहां उन की जान को खतरा हो सकता है. इस पर करन गोस्वामी सीना तान कर बोला कि वह खतरों का खिलाड़ी है. उसे खतरों से खेलना और खतरों से निपटना अच्छी तरह आता है. वह किसी से डरने वाला नहीं है.

फिर अपनी बहन व उस के पति करन गोस्वामी को सबक सिखाने का फैसला करन ने कर लिया. करन खटीक ने अपने दोस्त गौरव व धर्मवीर को भी अपनी योजना में शामिल कर लिया.

ये दोनों पुरोहिताना मोहल्ले के ही रहने वाले थे और अपराधी प्रवृत्ति के थे. करन खटीक ने इन्हीं दोनों की मदद से तमंचा तथा कारतूसों का भी इंतजाम कर लिया.

कोमल की शादी को अभी 5 दिन ही हुए थे. वह ससुराल में खुश थी. उसे विश्वास था कि शादी के बाद सब कुछ सामान्य हो गया है. भाई और चाचा लोगों का गुस्सा भी ठंडा पड़ गया है. लेकिन यह उस की भूल थी. उसे क्या पता था कि नफरत की आग में रिश्ते खाक होने वाले हैं.

योेजना के तहत 26 अप्रैल, 2022 की शाम 4 बजे करन खटीक अपने चाचा दिलीप, सनी व रविंद्र के साथ छत के रास्ते अपनी बहन की ससुराल वाले घर में दाखिल हुआ.

कोमल उस समय कमरे में थी और पलंग पर लेटी थी. भाई व चाचा लोगों को देख कर वह समझ गई कि उन के इरादे नेक नहीं हैं. वह चीखती उस के पहले ही करन खटीक ने बहन कोमल के सीने में गोली दाग दी. कोमल पलंग पर ही लुढ़क गई.

गोली चलने की आवाज सुन कर करन गोस्वामी कमरे में आया तो करन खटीक ने उस पर भी गोली चला दी. वह भी फर्श पर गिर पड़ा और छटपटाने लगा. इसी समय करन गोस्वामी का भाई रौकी व मां पिंकी कमरे में आ गईं. करन खटीक व उस के चाचा सनी, रविंद्र व दिलीप उन दोनों पर टूट पड़े. उन्होंने तमंचे की बट से दोनों के सिर पर प्रहार किया फिर फायरिंग करते हुए भाग गए.

भागते हमलावरों को पड़ोसियों ने देखा, लेकिन उन्हें पकड़ने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका. तड़ातड़ गोलियों की आवाज सुन कर पड़ोसी इकट्ठा हो गए थे. उन्हीं में से किसी ने थाना कोतवाली पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना पाते ही कोतवाल अनिल कुमार सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल आ गए. घटनास्थल देख कर कोतवाल भी सन्न रह गए. पलंग पर 20-22 वर्षीया नवविवाहिता मृत पड़ी थी. उस के सीने में गोली दागी गई थी. फर्श पर एक युवक मूर्छित पड़ा था. उस की कनपटी में गोली लगी थी. एक अन्य युवक व अधेड़ महिला के सिर से खून बह रहा था. लेकिन वे दोनों होश में थे.

थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह ने महिला से पूछताछ की तो उस ने अपना नाम पिंकी बताया. उस ने कहा कि पलंग पर मृत पड़ी युवती उस की बहू कोमल है. फर्श पर मूर्छित पड़ा उस का बड़ा बेटा करन गोस्वामी है तथा घायल छोटा बेटा रौकी है.

पूछताछ के बाद थानाप्रभारी ने घायलों को तत्काल मैनपुरी के जिला अस्पताल में भरती करा दिया. चूंकि करन गोस्वामी की हालत नाजुक थी, अत: डाक्टरों ने उसे सैफई के मैडिकल कालेज रेफर कर दिया.

थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह ने इस वीभत्स कांड की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो कुछ ही देर बाद एसपी अशोक कुमार राय तथा सीओ (सिटी) अमर बहादुर सिंह घटनास्थल पर आ गए.

उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर मृतका कोमल के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

पूछताछ के बाद एसपी अशोक कुमार राय ने कोतवाल अनिल कुमार सिंह को आदेश दिया कि वह मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू करें. इसी के साथ उन्होंने सीओ (सिटी) अमर बहादुर सिंह की निगरानी में एक पुलिस टीम गठित कर दी. सहयोग के लिये सर्विलांस टीम को भी लगा दिया.

एसपी के आदेश पर थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह ने मृतका के देवर रौकी की तरफ से करन खटीक, दिलीप, सनी, रविंद्र, गौरव व धर्मवीर के खिलाफ भादंवि की धारा 302/307/452/147/308/34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस टीम ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी.

28 अप्रैल, 2022 की सुबह 4 बजे पुलिस टीम को पता चला कि मुख्य आरोपी करन खटीक अपने सहयोगियों के साथ सिंधिया तिराहे पर मौजूद है. शायद वह फरार होने के उद्देश्य से किसी गाड़ी के आने का इंतजार कर रहा है.

यह पता चलते ही पुलिस टीम घेराबंदी के लिए वहां पहुंच गई. पुलिस टीम को देखते ही लगभग आधा दरजन लोग भागने लगे. लेकिन टीम ने घेराबंदी कर 4 लोगों को पकड़ लिया, जबकि 2 पुलिस को चकमा दे कर भाग गए.

पकड़े गए युवकोें को थाना कोतवाली लाया गया. इन में एक आरोपी करन खटीक था, जबकि दूसरा उस का चाचा सनी खटीक था.

2 अन्य आरोपी गौरव व धर्मवीर थे, जो करन खटीक के दोस्त थे. फरार आरोपी दिलीप व रविंद्र थे. उन की जामातलाशी ली गई तो करन व सनी खटीक के पास से .315 बोर के 2 तमंचे बरामद हुए. जबकि गौरव व धर्मवीर के पास से 2-2 जिंदा कारतूस मिले.

चूंकि आरोपियों के पास से तमंचा व कारतूस बरामद हुए थे, अत: पुलिस ने उन के खिलाफ 3/25/27 आर्म्स ऐक्ट के तहत एक अन्य मुकदमा भी दर्ज कर लिया. पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने सहज ही जुर्म कुबूल कर लिया.

पुलिस ने दर्ज मुकदमे के तहत करन खटीक, सनी, गौरव व धर्मवीर को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

कोतवाल अनिल कुमार सिंह ने कोमल के हत्यारोपियों को पकड़ने और जुर्म कुबूल करने की जानकारी एसपी अशोक कुमार राय को दी, तो उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और मीडिया के समक्ष हत्या का खुलासा किया.

29 अप्रैल, 2022 को पुलिस ने आरोपी करन खटीक, सनी खटीक, गौरव व धर्मवीर को मैनपुरी कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. दिलीप तथा रविंद्र खटीक फरार थे.

कथा संकलन तक पुलिस उन की तलाश में जुटी थी. मृतका कोमल का पति करन गोस्वामी सैफई अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आहुति: नैनीताल में क्या हुआ था आहुति के साथ

वृंदा मिश्रा

Winter 2022: इन सर्दियों में अदरक से बनाएं ये 7 चीजें

अदरक का टौनिक

सामाग्री

अगर अदरक का रस 100 ग्राम हो, तब चीनी 350 ग्राम, साइट्रिक एसिड 7-8 ग्राम और पानी 1.5 लिटर. पानी और चीनी मिला लें. एक उबाल में अदरक रस भी मिला लें, फिर मिश्रण में एक उबाल आने दें.

विधि

ताजा अदरक की गांठों को सही तरह से पानी से धो लें और इस के बाद इन गांठों को कद्दूकस कर लें और रस निकाल लें.

साफ की हुई बोतल में डाल कर क्राउन कार्क लगा दें. उस के बाद बोतलों को उबलते पानी में 20-25 मिनट तक उपचारित करें.

अदरक एपीटाइजर

सामाग्री

अदरक एपीटाइजर बनाने के लिए अदरक का रस 400 मिलीलिटर, सेब का गूदा 1 किलोग्राम (सेब की जगह और फलों के गूदों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे खुमानी, नाशपाती, आड़ू वगैरह), 1.7 किलोग्राम नीबूवर्गीय फलों का रस 600 मिलीलिटर, साइट्रिक अम्ल 22 ग्राम के करीब इस्तेमाल करते हैं.

विधि

इसे तैयार करने के लिए सब से पहले चीनी की चाशनी लें और चाशनी को थोड़ा ठंडा होने पर ऊपर लिखित पदार्थ डाल दें और अच्छी प्रकार मिश्रण मिला दें.

परिरक्षित करने के लिए 15 ग्राम पोटैशियम सल्फाइड को थोड़े पानी में घोल कर एपीटाइजर और तैयार की हुई बोतलों में डाल कर ठीक तरह से ढक्कन लगा दें और ऊपर तक घोल भर दें.

जिंजरेल

सामाग्री

नीबू का रस एक बड़ा चम्मच, अदरक का रस 1/2 छोटा चम्मच, चीनी 2 बड़े चम्मच, यीस्ट 1/4 चम्मच छोटा, पानी 2 लिटर, नमक स्वादानुसार.

विधि

एक बोतल में यीस्ट और चीनी डालें. अदरक के रस में नीबू का रस मिलाएं और स्लरी बनाएं. इसे बोतल में पानी डाल कर बंद करें. 24-28 घंटे गरम जगह पर रखें, तत्पश्चात फ्रिज में रखें.

अदरक का जूस

सब से पहले तो आप अदरक को अच्छे से धो कर साफ  कर लें और इसे छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें और फिर इन कटे हुए अदरक के टुकड़ों को मिक्सर से अच्छे से पीस लें.

फिर इस के जूस को किसी गिलास में निकाल लें और इस में ऊपर से शहद और थोड़ा सा नीबू निचोड़ लीजिए. अदरक का रोगनाशक आयुर्वेदिक जूस बन कर तैयार है.

अदरक का मुरब्बा

अदरक का मुरब्बा बनाने के लिए ताजा, मुलायम और रेशे वाले अदरक को छांट लें. इसे पानी में खुरच कर पूरी तरह घोल लें.

इस के बाद गांठों को टुकड़ों में काट कर गुदाई कर लें. गुदाई किए टुकड़ों को मलमल के कपड़े से बांध कर और उबलते हुए पानी में डाल कर 40-50 मिनट नरम होने तक रखें. नरम होने के बाद थोड़ा सुखा लें. आधा किलोग्राम चीनी में पानी मिला दें और इस घोल को उबालें.

अदरक के टुकड़ों को इसी चीनी के घोल में 10-15 मिनट तक पकाएं और ठंडा होने के लिए रातभर पड़ा रहने दें.

अगले दिन अदरक को चीनी के घोल में से निकाल लें और बची हुई चीनी की मात्रा को इस घोल में डाल दें और उबाल लें, ताकि यह गाढ़ा हो जाए और इस के बाद टुकड़ों को फिर से घोल में डाल दें. 4-5 दिन इसी तरह से रखें. उस के बाद टुकड़ों को निकाल कर चाशनी को और गाढ़ी कर दें, ताकि यह 70 फीसदी चीनी की मात्रा तक पहुंच जाए.

अदरक की कैंडी

कैंडी एक तरह का मुरब्बा है. पर इस में मुरब्बा बनाने के बाद टुकड़ों को निकाल कर चाशनी को और गाढ़ा करते हैं, ताकि चीनी की मात्रा 75 फीसदी तक पहुंच जाए और टुकड़ों को चाशनी में डाल कर 7-15 दिनों तक इसी प्रकार रखा जाता है, ताकि चाशनी पूरी तरह से टुकड़ों के अंदर चली जाए.

उस के बाद टुकड़ों को 5 मिनट तक चाशनी के साथ उबाल लें. फिर टुकड़ों में से चाशनी निथार कर उन्हें सुखा लें. सुखाने वाले यंत्र पर 50 सैंटीग्रेड तापमान पर सुखाएं या फिर खुली धूप में सुखा लें.

अदरक का पाक

सामाग्री

अदरक 450 ग्राम (अच्छे से धुला व कद्दूकस), दूध 1.5 किलोग्राम, चीनी 1.5 किलोग्राम, नारियल 200 ग्राम, बादाम 200 ग्राम, काली मिर्च 20 ग्राम, बड़ी इलायची 20 ग्राम ले कर एक कड़ाही में धीमी आंच पर दूध गरम करें.

विधि

दूध में उबाल आने पर इस में कद्दूकस किया अदरक डाल दें. कलछी से धीरेधीरे हिलाएं. कुछ देर बाद इस में बारीक कटे बादाम, घिसा हुआ नारियल और पिसी हुई काली मिर्च व बड़ी इलायची मिलाएं.

इस मिश्रण के गाढ़ा होने पर चीनी डाल कर दोबारा गाढ़ा होने तक धीरेधीरे चलाएं. अच्छे से पकने और गाढ़ा होने के बाद थोड़ा ठंडा होने पर किसी कांच या स्टील के बरतन में भर कर रख दें. सुबहशाम एकएक चम्मच दूध के साथ इसे लें.

दिसंबर महीने में खेती के काम

यह महीना खेती के लिहाज से काफी अहम है. उत्तर भारत में इस समय ठंड बढ़ जाती है. जिन किसानों ने गेहूं की अगेती किस्में बोई हैं और उन के खेत में खरपतवार गेहुंसा और जंगली जई उग आई हैं, ऐसी संकरी व चौड़ी पत्ती वाले दोनों खरपतवारों के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरान 75 फीसदी व मेट सल्फ्यूरान मिथाइल 5 फीसदी डब्ल्यूजी की 40 ग्राम मात्रा को 600-800 लिटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. जिन किसानों ने गेहूं की समय से बोआई की है, वह गेहूं में नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा दें और 15-20 दिन के अंतराल से सिंचाई करते रहें.

समय से बोई गई गेहूं की फसल में शिखर जड़ विकास का समय होता है, इसलिए इस माह में बोआई के 21 दिन पूरे हो जाने पर फसल की सिंचाई से बिलकुल नहीं चूकना चाहिए, नहीं तो पैदावार में भारी गिरावट हो जाती है. अगर गेहूं की बोआई के 30 दिन बाद नीचे की तीसरी या चौथी पत्तियों पर हलके पीले धब्बे, जो बाद में बड़े आकार के हो जाते हैं, दिखाई पड़ रहे हैं, तो यह जस्ते की कमी के लक्षण हैं. इस स्थिति में तुरंत 0.7 फीसदी जिंक सल्फेट व 2.7 फीसदी यूरिया का घोल बना कर 10 से 15 दिन के अंतर पर छिड़कें, वरना पैदावार कम होने के साथसाथ फसल पकने में 10-15 दिन की देरी हो जाती है. जिन किसानों ने गेहूं की अभी तक बोआई नहीं की है, वह इस महीने के पहले पखवारे तक अवश्य पूरा कर लें.

इस के लिए गेहूं की उन्नतशील पछेती किस्मों का चयन करें, वहीं गेहूं की पछेती किस्मों की बोआई के लिए प्रति हेक्टेयर 125 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. पछेती बोआई के लिए उन्नत किस्मों में सोनालिका, डब्ल्यूएस 291, एचडी 2285, सोनक, यूपी 2338, राज 3767, पीबीडब्ल्यू 373, पीबीडब्ल्यू 138 व टीएल 1210 शामिल हैं. गेहूं को बोने के पहले कार्बोक्सिन 37.5 फीसदी व थीरम 37.5 फीसदी का मिश्रण 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की मात्रा के अनुसार बीजोपचार करें. देरी से गेहूं की बोआई करने वाले किसान बीज की बोआई जीरो टिलेज विधि से जीरो टिलेज मशीन से करें.

इस से गेहूं की खेती में लागत में कमी आने के साथ ही उपज में वृद्धि होती है और उर्वरक का उचित प्रयोग संभव हो पाता है. साथ ही, पहली सिंचाई में पानी न लगने के कारण फसल बढ़वार में रुकावट की समस्या नहीं रहती है. इस के अलावा गेहूं में खरपतवार में कमी आती है. जो किसान जौ की बोआई अभी तक नहीं कर पाए हैं, वह दिसंबर महीने के दूसरे हफ्ते तक पछेती किस्मों को बो दें. इस के लिए एक हेक्टेयर में 100 से 110 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. रबी सीजन में जो किसान सूरजमुखी की फसल बोना चाहते हैं, वह दिसंबर के आखिरी हफ्ते तक हर हाल में बोआई कर लें.

सूरजमुखी की उन्नत किस्में मौडर्न, बीएसएच 1, एमएसएच, सूर्या व ईसी 68415 हैं. शरदकालीन गन्ने में नवंबर के दूसरे पखवारे में सिंचाई न की गई हो, तो दिसंबर में सिंचाई कर के निराईगुड़ाई करें. गन्ने के साथ राई व तोरिया की सहफसली खेती में जरूरत के मुताबिक सिंचाई कर के निराईगुड़ाई करना लाभप्रद होता है. गेहूं के साथ सहफसली खेती में बोआई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई करें. दिसंबर महीने में गन्ने की कटाई जोरों पर होती है. इस समय यह ध्यान दें कि कटाई जमीन की सतह के साथ करें और गन्ना मिलों की मांग के अनुसार करें. जिन किसानों ने तोरिया की फसल ली है, वह दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक पकी हुई फसल की कटाई कर लें.

इस के अलावा सरसों में दाने भरने की अवस्था में दिसंबर के पहले पखवारे में सिंचाई कर दें. पीली सरसों में भी फूल आने पर सिंचाई करें. जिन किसानों ने मटर की खेती की है, वे फसल में फूल आने से पहले एक हलकी सिंचाई कर दें. वहीं फसल में भभूतिया यानी पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण दिखने पर घुलनशील गंधक 80 फीसदी डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लिटर की दर से छिड़काव करें. इस की एक हेक्टेयर में 1.5 किलोग्राम मात्रा की जरूरत पड़ती है या फफूंदीनाशक फ्लुसिलाजोल 40 फीसदी ईसी की 120 मिलीलिटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 800 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. जिन किसानों ने मसूर अभी तक नहीं बोई है, वह दिसंबर महीने में इस फसल की पछेती बोआई कर सकते हैं. इस के लिए 50-60 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत पड़ती है.

अलसी की बोई गई फसल में लीफ ब्लाइट और रतुआ रोग के नियंत्रण के लिए 2 ग्राम इंडोफिल एम-45 या 3 ग्राम ब्लाईटौक्स को प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़कें. आलू की फसल लेने वाले किसान अगर तापमान के अत्यधिक कम होने और पाला पड़ने की संभावना हो, तो फसल में सिंचाई जरूर करें. इस फसल में अगर पछेती ?ालसा का प्रकोप दिखे, जो फफूंद से लगने वाली एक बीमारी है. इस बीमारी का प्रकोप आलू की पत्ती, तने व कंदों के साथसाथ सभी भागों पर होता है. फफूंदीनाशक दवा साईमोक्जिल 8 फीसदी व मैंकोजेब 64 फीसदी डब्ल्यूपी के मिश्रण की प्रति हेक्टेयर 1.5 किलोग्राम मात्रा के घोल का छिड़काव 8-10 दिन के अंतराल पर करें. इस के अलावा आलू की फसल में अगेती ?ालसा की दशा में मैंकोजेब 63 फीसदी डब्ल्यूपी व कार्बंडाजिम 12 फीसदी डब्ल्यूपी की मात्रा को 600 से 800 लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें.

अगर आलू की फसल में पत्ती मुड़ने वाला रोग यानी पोटैटो लीफ रोल का प्रकोप दिखाई पड़ रहा है, तो एसिटामिप्रिड 20 फीसदी एसपी की 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की मात्रा को 600 से 800 लिटर पानी में मिला कर 1-2 छिड़काव दिसंबर महीने में करें. दिसंबर महीने में मशरूम की तैयार फसल को तोड़ने के बाद आकार के अनुसार उन की छंटनी कर लें और 3 फीसदी कैल्शियम क्लोराइड घोल से धोने के बाद साफ पानी से धोएं. इस के बाद धुले मशरूम को कपड़े पर फैला दें, ताकि अतिरिक्त पानी सूख जाए. फिर 250 ग्राम, 500 ग्राम के पैकेट बना कर सील कर दें और थैलियों में रख कर इसे रैफ्रिजरेटर में 7-8 दिन तक रख सकते हैं. ताजा मशरूम भी बाजार में आसानी से बिक जाती है. जिन किसानों ने प्याज की रोपाई नहीं की है, वह दिसंबर महीने के अंतिम हफ्ते तक प्याज की रोपाई जरूर कर दें. लाइन में 6 इंच व पौधों में 4 इंच की दूरी रखें. इस में 10 टन कंपोस्ट, पौना बोरा यूरिया, 2.5 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट व 1 बोरा म्यूरेट औफ पोटाश डालें और रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें.

मूली, शलजम, गाजर में मिट्टी चढ़ाएं, ताकि पैदावार अधिक हो. बाकी सब्जियों को 15-20 दिन में हलकी सिंचाई करते रहें और पौलीथिन सीट से ढक कर पाले से भी बचाएं. टमाटर व मिर्च में ?ालसा रोग से बचाव के लिए मैंकोजेब 63 फीसदी डब्ल्यूपी व कार्बंडाजिम 12 फीसदी डब्ल्यूपी की मात्रा को 600 से 800 लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. दिसंबर का महीना गुलाब के पौधों में काटछांट करने और गुड़ाई के लिए सही समय है. गुड़ाई के बाद गुलाब के तनों व जड़ों को धूप लगाने और कंपोस्ट देने से वसंत ऋतु में अच्छे फूल आते हैं. इस माह गुलाब के पौधों के तनों की कलम भी आसानी से लग जाती है. बाकी फूलों में जरूरत के अनुसार व देशी खाद, पानी व गुड़ाई देते रहें. पाले से पौधों को बचाएं. ग्लैडियोलस की फसल में जरूरत के अनुसार सिंचाई व निराईगुड़ाई करें. मुर?ाई टहनियों को निकालते रहें और बीज न बनने दें. दिसंबर का महीना बगीचों में खाद देने का होता है. इसलिए आम, नीबू व अनार के पौधों में गोबर की खाद 17 से 20 किलोग्राम प्रति पौधा प्रति वर्ष के हिसाब से दें.

5 साल या ऊपर के पौधों में 77 से 100 किलोग्राम प्रति पौधा दें. खाद देने के साथ गुड़ाई भी करें. नीबू में केंकर रोग की रोकथाम के लिए 20 मिलीग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लीन को 25 ग्राम कौपर सल्फेट के साथ 200 लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. बेर में सफेद चूर्णी रोग दिखाई देने पर घुलनशील गंधक 400 ग्राम को 200 लिटर पानी में घोल कर पेड़ों पर छिड़कें. दिसंबर महीने में आड़ू के मिट्टीरहित पौधे लगाए जा सकते हैं. इस के लिए शरबती, सफेटा, मैचप्लेस, पलोरडासन किस्में उपयुक्त हैं. पौधों को रोपने के लिए 1 वर्गमीटर के गड्ढे खोदें और ऊपर की आधा मीटर मिट्टी में सड़ीगली देशी खाद बराबर मात्रा में मिला कर 20 मिलीलिटर क्लोरोपायरीफास 20 ईसी डाल कर भर दें. पौधे लगाने से पहले गड्ढे को पानी से भरें और फिर मिट्टी डाल कर बराबर करने के बाद पेड़ लगाएं और पानी दें. पौधों में यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट व म्यूरेट औफ पोटाश प्रति पौधा प्रति वर्ष की आयु के हिसाब से भी डालें.

अमरूद में फलमक्खी रोग के नियंत्रण के लिए साइपरमेथ्रिन 2.0 मिलीलिटर प्रति लिटर की दर से पानी में घोल बना कर फल परिपक्वता के पूर्व 10 दिनों के अंतर पर 2-3 बार छिड़काव करें. प्रभावित फलों को तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए. बगीचे में फलमक्खी के वयस्क नर को फंसाने के लिए फैरोमौन ट्रैप लगाने चाहिए. आंवला की तुड़ाई के उपरांत फलों को बावस्टीन (0.1 फीसदी) से उपचारित कर के भंडारित करने से रोग की रोकथाम की जा सकती है. आम के पौध में कीट नियंत्रण के लिए किसान बागों की गहरी जुताई, गुड़ाई करें और कीटों को पौधों पर चढ़ने से रोकने के लिए मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सैंटीमीटर चौड़ी पट्टी को तने के चारों ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बांध दें, जिस से कीट ऊपर न चढ़ सकें. इस से बचाव के लिए दिसंबर माह में एक पखवारे के अंतराल पर 2 बार क्लोरोपायरीफास चूर्ण भी प्रति पेड़ के हिसाब से पौधों पर बुरकाव करें. इस के बाद भी अगर कीट पौधे पर चढ़ जाएं, तो क्विनालफास अथवा डायमेथोएट का पानी में घोल बना कर पौधों पर बुरकाव करें.

दिसंबर माह में फलों की तुड़ाई होती है. संक्रमित गिरे हुए फल को उठा कर एक बालटी में डुबो कर रखें. तुड़ाई के बाद हलकी छंटाई शाखाओं की कटी हुई सतहों पर कौपर औक्सीक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी 100 ग्राम प्रति 250 मिलीलिटर को पानी में मिला कर प्रूनिंग के बाद डालें. दिसंबर महीने में हुई ताजा बर्फबारी सेब के लिए लाभदायक होती है. इस से सेब के बगीचों को नमी मिलती है. वैज्ञानिक सलाह के अनुसार उपयुक्त समय पर बगीचों का प्रबंधन करें और सही वक्त पर खाद डालें. दिसंबर में रातें लंबी और दिन छोटे होते हैं. ऐसे में दिसंबर की बर्फबारी सेब के पौधों के लिए खुराक का काम करती है. पौधों को 12 सौ से 16 सौ घंटे तक कड़क ठंड की जरूरत रहती है. चिलिंग आवर्स पूरे होते हैं, तो अगले सेब सीजन में पैदावार अच्छी होने की उम्मीद जगती है.

दिसंबर महीने में किन्नू की कुछ प्रजातियों की तुड़ाई करना जरूरी है. किन्नू के फल जब उचित आकार और आकर्षक रंग में आ जाएं, तो किन्नू तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. ध्यान रखें कि किन्नू की सही समय पर तुड़ाई करना जरूरी है, क्योंकि समय से पहले या देरी से तुड़ाई करने से फलों की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है. किन्नू के फलों की तुड़ाई के बाद फलों को साफ पानी से धोएं और फिर क्लोरिनेटड पानी को प्रति लिटर पानी में मिला कर बनाए घोल में फलों को भिगो दें. इस के बाद फलों को छांव में सुखाएं और फिर डब्बों में पैक करें. पशु से जुड़े पशुपालक पशुओं का आहार संतुलित व नियंत्रित हो, इस के लिए दिन में 2 बार 8-10 घंटे के अंतराल पर चारापानी देना चाहिए. इस से पाचन क्रिया ठीक रहती है और बीच में जुगाली करने का समय भी मिल जाता है. पशु का आहार सस्ता, साफ, स्वादिष्ठ और पाचक हो. चारे में एकतिहाई भाग हरा चारा और दोतिहाई भाग सूखा चारा होना चाहिए. पशु को जो आहार दिया जाए, उस में विभिन्न प्रकार के चारेदाने मिले हों.

चारे में सूखा व सख्त डंठल नहीं हो, बल्कि ये भलीभांति काटा हुआ और मुलायम होना चाहिए. इसी प्रकार जौ,चना, मटर, मक्का इत्यादि दली हुई हो और इसे पका कर या भिगो कर व फुला कर देना चाहिए. दाने को अचानक नहीं बदलना चाहिए, बल्कि इसे धीरेधीरे और थोड़ाथोड़ा कर के बदलना चाहिए. पशुओं को उस की जरूरत के मुताबिक ही आहार देना चाहिए, कम या ज्यादा नहीं. नांद एकदम साफ होनी चाहिए, नया चारा डालने से पूर्व पहले का जूठन साफ कर लेना चाहिए. गायों को 2-2.5 किलोग्राम शुष्क पदार्थ व भैंसों को 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम वजन भार के हिसाब से देना चाहिए. इस महीने पशुओं का ठंड से बचाव करें. वयस्क व बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा पिलाएं. साथ ही, खुरपका व मुंहपका रोग का टीका लगवाएं. हरे चारे के लिए बोई गई जई और बरसीम की कटाई करें. इस के बाद 25-30 दिन के अंतराल से कटाई करते रहें.

भूमि सतह से 5-7 सैंटीमीटर की ऊंचाई पर कटाई करें. कटाई के फौरन बाद ही सिंचाई कर देनी चाहिए. मछलीपालक दिसंबर महीने में मछलियों की वृद्धि और तालाब में उपलब्ध भोजन की जांच करते रहें. अगर मछलियों में रोग के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, तो तालाब में सब से पहले 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से चूने का प्रयोग करें. उस के 15 दिन बाद 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पोटैशियम परमेगनेट (लाल दवा) का प्रयोग करें. जो लोग मधुमक्खीपालन से जुड़े हैं, उन्हें सर्दी से बचाने के लिए विशेष सजगता बरतनी पड़ती है. ऐसे में मधुमक्खीपालकों को टाट की बोरी की 2 तह बना कर आंतरिक ढक्कन के नीचे बिछा देनी चाहिए. इस से मौनगृह का तापमान एकसमान गरम बना रहता है. इस के अलावा मधुमक्खियों के प्रवेश द्वार को छोड़ कर पूरे बक्से को पौलीथिन से ढक देना चाहिए. साथ ही, मधुमक्खियों के डब्बों को फूल वाली फसल के नजदीक रखना चाहिए,

जिस से कम समय में अधिक से अधिक मकरंद और पराग एकत्र किया जा सके. अंडा देने वाली मुरगियों को लेयर फीड दें और सीप का चूरा भी दें. बरसीम का हरा चारा भी थोड़ी मात्रा में दे सकते हैं. चूजों को ठंड से बचाने के लिए पर्याप्त गरमी की व्यवस्था करें. ठ्ठ – लेख में कीटनाशक व रसायन डा. प्रेम शंकर, विशेषज्ञ फसल सुरक्षा, कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती द्वारा सु?ाए गए हैं. आर्गेनिक खेती और देशी बीज का प्रशिक्षण संपन्न पिछले दिनों अजय सिंह राजपूत, क्षेत्रीय निदेशक, नागपुर, महाराष्ट्र, भारत सरकार के निर्देशन में एक कार्यशाला आयोजित की गई, जिस में आर्गेनिक खेती और देशी बीजों का प्रशिक्षण दिया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रकाश सिंह रघुवंशी ने किसानों को जैविक खेती और उन्नत बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया. 2 बार राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने अब तक 300 से अधिक प्रजाति विकसित की हैं, ने कहा कि गेहूं की नई किस्म कुदरत 8 विश्वनाथ किसी वरदान से कम नहीं है. उन्होंने ही इस प्रजाति को विकसित किया है.

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि गेहूं की कुदरत 8 विश्वनाथ का पौधा छोटा यानी बौना होता है. इस किस्म की बाली की लंबाई तकरीबन 9 इंच (तकरीबन 20 सैंटीमीटर) होती है और ऊंचाई 90 सैंटीमीटर. इस का दाना मोटा व चमकदार होता है. इस किस्म के पौधे मौसम के घटतेबढ़ते तापमान को सहने की क्षमता रखते हैं. यह किस्म 110-115 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. उन्होंने आगे कहा कि यह देशी बीज है, जिस से किसान बीज से बीज भी बना सकते हैं. एक एकड़ में तकरीबन 30 क्विंटल उपज प्राप्त हो जाती है. बोआई का उचित समय 10 जनवरी तक है.

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र के तकरीबन 200 किसानों ने प्रशिक्षण में हिस्सा लिया. प्रकाश सिंह रघुवंशी ने वहां आए सभी किसानों को 100 ग्राम कुदरत 8 विश्वनाथ के बीज पैकेट मुफ्त में बांटे. एक पैकेट से किसान तकरीबन 20 किलोग्राम बीज उत्पादन कर लेगा. यदि कोई किसान उन के द्वारा विकसित नई किस्म कुदरत 8 विश्वनाथ के देशी बीज मंगवाना चाहता है या बोआई करना चाहता है, तो वह प्रकाश सिंह रघुवंशी के मोबाइल नंबर 9598246411 या 9839253974 पर बात कर सकते हैं या कुदरत कृषि अनुसंधान संस्थान, ताडि़या, जक्खिनी, वाराणसी -221305 पर संपर्क कर के बीज मंगा सकते हैं.

मीडिया: न्यूज चैनल नहीं, धार्मिक चैनल

आज मुख्यधारा के अधिकतर न्यूज चैनल जनता के हितों की खबरें दिखाने की जगह धर्म और सत्ता पक्ष का प्रचार करने में जुटे हैं. यह बिना सरकार, नेताओं और पूंजीपतियों के संभव नहीं. ऐसा कर के वे देश के लोकतंत्र को खाई में धकेलने का काम ही कर रहे हैं. 11 अक्तूबर, 2022 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में महाकाल मंदिर में जय महाकाल मंदिर के श्रीमहाकालेश्वर मंदिर कौरिडोर’ का उद्घाटन करने गए थे. इस को खबरिया चैनलों ने ‘श्री महाकाल लोक’ के रूप में स्थापित करने का काम किया. यह भी बताया गया कि इस कौरिडोर के बनने से पर्यटकों की संख्या में बड़ा बदलाव हुआ है.

‘न्यूज 24’ ने कौरिडोर के लोकापर्ण कार्यक्रम को ‘मोदी के महादेव’ नामक टाइटल के साथ दिखाया. 20 मिनट के इस प्रसारण में एंकर पूजा ने महाकाल की पूजा, इतिहास और प्रभाव के साथ मंत्र और आरती के साथ दर्शकों को मोदी की पूजापाठ को दिखाया. ‘जी न्यूज’ ने ‘महाकाल के मंदिर में पीएम मोदी’ नाम से 15 मिनट का कार्यक्रम दिखाया. इस में मोदीमय हो कर एंकर ने लोगों से बात की. ‘जी न्यूज’ ने ही अपने दूसरे कार्यक्रम ‘मोदी का जय महाकाल’ नामक कार्यक्रम दिखाया. इसी तरह से ‘न्यूज नेशन’ ने ‘मोदी का महाकाल कौरिडोर’ का प्रसारण किया. 10 मिनट के इस कार्यक्रम में मोदी महात्मय का विवरण किया गया. वे कितने धार्मिक हैं यह बताया गया. ‘इंडिया न्यूज’ ने ‘पीएम मोदी इन महाकाल’ नाम से लाइव प्रसारण किया. 30 मिनट के इस प्रसारण में भव्य महाकाल, दिव्य महाकाल और मोदी का जिक्र हुआ. ‘इंडिया न्यूज’ पर ही दूसरा कार्यक्रम ‘महाकाल में बाबा के भक्त’ का प्रसारण किया गया. एक ही समाचार को अलगअलग ‘टाइटल’ और ‘थंबनेल’ बना कर पूरेपूरे दिन दिखाया गया. समाचारों की जगह सासबहू के सीरियल की तरह इस को दोदो दिन तक खींचने का काम किया गया.

इस की वजह से दर्शक यह सम?ा नहीं पा रहे थे कि यह न्यूज पहले दिखाई जा चुकी है या नई दिखाई जा रही है. यात्रा से 2 दिनों पहले और 2 दिनों बाद तक खबर दिखाने वाले चैनलों को देख कर यह सम?ा नहीं आ रहा था कि यह खबर दिखाने वाले चैनल हैं या बाबाओं का प्रवचन करने वाले चैनल. पूजा, आरती और पूरे विधिविधान का प्रसारण किया जा रहा था. मोदी, केदारनाथ और बद्रीनाथ का माहात्म्य 22 अक्तूबर, 2022 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीवाली के पहले केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर थे. इस को ले कर यात्रा एक सप्ताह पहले से खबरिया चैनलों ने धार्मिक चैनलों की तरह से खबरों के कार्यक्रम दिखाने शुरू कर दिए. प्रधानमंत्री के दौरे की वीडियो फुटेज एएनआई न्यूज एजेंसी से ले कर अपने संवाददाताओं के साथ केदारनाथ मंदिर से सामने से 3-3 घंटे की लाइव कवरेज दिखाने की पूरी होड़ सी लगी रही. प्रधानमंत्री ने किसी भी चैनल से बात नहीं की.

इस के बाद भी चैनल के रिपोर्टर ने मंदिर के पुजारियों, पंडों और संतों से बात करते हुए पूजा विधि से ले कर उस के प्रभाव तक का पूरा खाका खींचने का काम किया. प्रधानमंत्री की इस कवरेज को टुकड़ोंटुकड़ों में अलगअलग कार्यक्रम बना कर भी दिखाया गया. इस में उदाहरण के लिए कुछ चैनलों के विश्लेषण दिखे. वैसे, हर चैनल का एकजैसा ही हाल था. ‘एबीपी न्यूज’ ने ‘बाबा केदारनाथ की शरण में पीएम मोदी’ नाम से 30 मिनट का एक कार्यक्रम पेश किया. इस में केदारनाथ के महाभारत काल से महत्त्व की चर्चा के साथ ही साथ पूजा और मंदिर का पूरा धार्मिक प्रसारण किया गया.

‘जी न्यूज’ ने 19 मिनट की लाइव कवरेज ‘मोदी के महादेव’ में अपने संवाददाता अमित प्रकाश से बातचीत के साथ कई धार्मिक लोगों से बात की, जिस से पूरा प्रसारण समाचार की जगह पर धार्मिक चैनल सा लग रहा था. ‘एबीपी न्यूज’ में ही ‘मोदी के नाथ’ नाम से अलग प्रसारण भी किया गया. यह मोदी की केदारनाथ यात्रा की तैयारी को ले कर तैयार किया गया था. ‘न्यूज लाइव’ ने 15 मिनट के अपने कार्यक्रम ‘बद्रीनाथ धाम रवाना हुए पीएम मोदी’ का प्रसारण किया और ब्रदीनाथ धाम का पूरा धार्मिक विवरण पेश किया. इसी कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि नरेंद्र मोदी की यह दूसरी बद्रीनाथ धाम की यात्रा है. ‘न्यूज इंडिया’ के अपने कार्यक्रम ‘मोदी का भक्ति पर्व’ में एंकर अनुपमा ?ा ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 6 बार केदारनाथ धाम की यात्रा की है.

30 मिनट के कवरेज में यह बताया गया कि मोदी पूजा के बाद किस से मिलेंगे, किस गुफा में ध्यान लगाएंगे, कितनी देर तक ध्यान में रहेंगे. अयोध्या में मोदीयोगी उत्सव 23 अक्तूबर, 2022 : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला की पूजा और दीपउत्सव में हिस्सा लिया. यहां भी खबरिया चैनलों ने खबर कम और धर्म का महत्त्व अधिक बताया. दीपउत्सव में 17 लाख दीये जलाने का विश्व रिकौर्ड बनाया गया. रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले कलाकारों को रूस से खासतौर पर बुलवाया गया था. भगवान के पहनावे में इन का विमान अयोध्या की धरती पर उतारा गया. भगवान का स्वरूप मान कर इन की आरती की गई. राष्ट्रवाद की बात करने वालों से किसी ने यह नहीं पूछा कि विदेशी कलाकारों में ही राम का स्वरूप क्यों दिखा? ‘इंडिया टीवी’ ने ‘अयोध्या दीपउत्सव में मोदी’ नाम से अपना कार्यक्रम पेश किया. इस लाइव प्रसारण में अयोध्या की पूरी कवरेज दिखाई गई.

‘इंडिया टीवी’ ने ही ‘मोदी चले अयोध्या’ कार्यक्रम भी पेश किया. ‘इंडिया टीवी’ ने ‘अयोध्या में रामराज्य’ के टाइटल से भी प्रसारण किया. इस को 1990 के मोदी के राममंदिर आंदोलन की भूमिका से शुरू किया गया. यह बताया गया कि मोदी का सपना कैसे साकार हुआ. अयोध्या को सनातन धर्म से जोड़ कर बताया गया कि यह मोदी की पूजा की सफलता है. मोदी ने मंदिर निर्माण देखा और मुख्यमंत्री को इस को भव्य बनाने के निर्देश दिए. ‘आर भारत’ ने ‘अयोध्या से विहंगम कवरेज’ पेश की. इस में ‘पीएम मोदी इन अयोध्या’ को लाइव दिखाया गया. यह बताया गया कि मोदी ने केवल दर्शन ही नहीं किए, मंदिर में दान भी दिया. मंदिर निर्माण की तैयारियों से ले कर किसकिस तरह से पीएम मोदी रुचि ले रहे हैं, इस का सविस्तार विवरण पेश किया गया. रामकथा पार्क के बारे में बताया गया. ‘न्यूज 18’ ने ‘राम जानकी मंदिर में योगी’ नाम से भी कार्यक्रम प्रसारण पेश किया.

‘न्यूज-18’ ने ‘पीएम ने की रामलला की पूजा’ टाइटल से पूरी पूजा को दिखाया. ‘जी न्यूज’ ने ‘अयोध्या के विकासपथ पर मोदी का महामंथन’ नाम से कवरेज किया. अक्तूबर माह में धार्मिक कवरेज की धूम अक्तूबर माह में खबरिया चैनलों में खबरों की जगह पर धर्म पूरी तरह से छाया रहा. इस माह के त्योहारों में जो कवरेज दिखाई गई उस में महंगाई, बेरोजगारी, डेंगू जैसी बीमारियां और गुजरात में मोरबी पुल हादसे जैसी खबरों को वह जगह नहीं मिल पाई जो धार्मिक कार्यक्रमों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महाकाल, केदारनाथ और अयोध्या की कवरेज को मिली. एक समय प्रवचन वाले धार्मिक चैनल अलग होते थे और खबर दिखाने वाले चैनल अलग. आज के दौर में खबर दिखाने वाले चैनल धार्मिक चैनलों से अधिक धर्म का प्रचार कर रहे है. इस के अलगअलग कारण हैं.

प्राइम टाइम यानी रात 8 बजे से 10 बजे तक के समय का 90 फीसदी हिस्सा प्रधानमंत्री मोदी के नाम रहता है. चैनल उन को महाभारत और रामायण काल से जोड़ते हैं. हर चैनल पर वहीवही बातें अलगअलग एंकरों द्वारा बताई जाती हैं. अगर रिमोट से चैनल बदलबदल कर देखें तो बातें वही होती हैं. बस, बताने वालों के चेहरे बदले दिखते हैं. अक्तूबर माह में कई त्योहार भी होते हैं तो उन के बहाने भी खबरिया चैनलों पर धार्मिक प्रवचन जारी रहते हैं. बुद्विजीवी नहीं धार्मिक चेहरे न्यूज के रूप में जो बहस या डिबेट होती हैं, उन के विषय भी धार्मिक होते हैं. उन में वाराणसी का ज्ञानवापी मसला सब से प्रमुख रहा. इस की आड़ में तमाम डिबेट में मथुरा का नाम भी सामने आता रहा. अगर यहां कुछ नया नहीं मिला तो पाकिस्तान-भारत, जनसंख्या और नागरिकता संशोधन कानून को ले कर होने वाली बहस को धार्मिक रूप दे दिया जाता है. कुल मिला कर खबर दिखाने वाले ये चैनल खबर कम, धर्म का प्रचार अधिक करते हैं. डिबेट में पहले बुद्धिजीवी, समाजशास्त्री लोगों को हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाता था लेकिन धर्म का प्रचार बढ़ने के बाद डिबेट में धार्मिक चेहरों को अधिक महत्त्व दिया जाने लगा है. पार्टियों और निजी जीवन में हर तरह की गतिविधियां करने वाले एंकर लोगों को धर्म की राह पर चलने की इस तरह से शिक्षा देते जैसे वे खुद इस पर चलते हों. धार्मिक कवरेज करने वाले कई एंकर तो अपना हुलिया भी धार्मिक बना लेते हैं, जिस से वे एंकर कम, पुजारी अधिक नजर आने लगते हैं.

खबरिया चैनलों का काम खबरें दिखाना होता है लेकिन वे खबर कम, प्रवचन अधिक करने लगे हैं. राजनीतिक वजहों से बदली रणनीति अचानक खबर दिखाने वाले चैनलों ने अपना हुलिया कैसे और क्यों बदला, इस को देखें तो पता चलता है इस की वजहें कुछ और हैं. खबर दिखाने वाले इन चैनलों को चलाने के लिए जिस बजट की जरूरत होती है वह बिना सरकार, नेताओं और पूंजीपतियों के बिना संभव नहीं है. 2014 के बाद देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया. देश पर धार्मिक विचारधारा हावी होने लगी. इस विचारधारा के प्रचारप्रसार के लिए खबरिया चैनलों का भी सहारा लिया गया. इस का व्यापक असर देखने को मिला. 2014 के बाद देश में बेरोजगारी, महंगाई, खराब अर्थव्यवस्था किसी चुनाव का मुद्दा नहीं बनी. देश का पूरा चुनावी माहौल धर्म के चारों तरफ घूमने लगा.

2017 में जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए, उस के पहले नोटबंदी, जीएसटी और कर सुधार के कई नए कानून लागू हो चुके थे. जनता उन से त्राहित्राहि कर रही थी. सभी यह मान रहे थे कि भाजपा चुनाव जीत नहीं पाएगी. अगर जीत भी गई तो बिना किसी सहयोगी के सरकार नहीं बना पाएगी. चुनावी माहौल धर्म के तरफ मोड़ने का काम शुरू हो गया. नोटबंदी, जीएसटी, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे दब गए. भाजपा बहुमत से चुनाव जीत गई. धर्म को और चमकदार बनाए रखने के लिए भाजपा ने अपने नेताओं को दरकिनार कर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में धर्म के रथ का ही सहारा लिया गया. धर्म की चमक को बढ़ाने लिए अनुच्छेद 370, नागरिकता संशोधन कानून और राममंदिर निर्माण की दिशा में काम किया गया. इस बीच पूरे देश में कोरोना जैसी महामारी हुई. इस से लगा कि अब भाजपा की हार तय है.

इस के बाद 2022 में देश के सब से बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए. कोरोना जैसी त्रासदी का शिकार होने के बाद भी लोगों ने भाजपा को वोट दिया और योगी आदित्यनाथ ने दोबारा यूपी के सीएम बन कर इतिहास रच दिया. इस से यह बात साफ हो गई कि धर्म का मुद्दा सफल है. इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए देश के बड़े मंदिरों के कायाकल्प करने की योजना तैयार की गई. इस योजना को जनजन तक पहुंचाने के लिए खबरिया चैनलों को धार्मिक चैनल बनाना जरूरी था. सामने लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत को सुनिश्चित करने का रोडमैप यही है कि धर्म का मुद्दा प्रभावी बना रहे. जनता को केवल और केवल मंदिरों की चमक दिखे, उस का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी, खराब अर्थव्यवस्था, अस्पतालों में मरते लोगों की तरफ न जाए.

खबरिया चैनलों ने जो धार्मिक माहौल देश के सामने रख दिया है उस में विपक्ष भी चकाचौंध हो कर रह गया है. वह भी मोदी और भाजपा को घेरने के बजाय नोट पर लक्ष्मीगणेश की फोटो लगाने की वकालत कर के खुद को धर्म का रक्षक बताने लगे हैं. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी जनेऊ पहनने लगे हैं. ढह गया चौथा स्तंभ संविधान ने पत्रकारिता को लोकतंत्र में चौथे स्तंभ की संज्ञा दी थी. इस को ताकत देने का काम जनता पर छोड़ दिया था. राज और सरकार चलाने वालों ने ‘लोकतंत्र के चौथे स्तंभ’ को पंगु करने का काम किया. जनता ने उस को ताकत नहीं दी. लिहाजा, पत्रकारिता सरकार के रहमोकरम पर निर्भर हो गई.

सरकार ने अपने रहमोकरम की कीमत कुछ इस कदर वसूल की कि जिस से चौथा स्तंभ ढह गया. वह सरकार की रोटी देख कर दुम हिलाने लगा है. उस ने जनता के हित की जगह पर सरकार के हित को देखना और उस को लाभ पहुंचाना शुरू कर दिया है. जिस का विस्तार रूप यह है कि जो सरकार दिखाना और सम?ाना चाहती है वह जनता देख और सम?ा रही है. इस का सब से बड़ा नुकसान यह है कि वोट देने के लिए जनता अपने मुद्दे को भूल कर सरकार की उस चमक में फंस रही है जो खबरिया चैनल दिखा रहे हैं. जनता टीवी और मोबाइल पर दीपउत्सव, केदारनाथ और महाकाल की चमक में खोई है. उसे मोरबी के टूटे पुल, डेंगू में मर रहे मरीजों की परवा ही नहीं है. वह भूल गई कि नोटबंदी और तालाबंदी में क्या हुआ? उसे यह भी नहीं पता कि उस के घर में बेटाबेटी बेरोजगार भटक रहे हैं.

निजीकरण की आंधी जेब काट रही है. पैंशन और सुरक्षा खत्म हो गई है. उस को यह सम?ाया जा रहा है कि सब समय की बात है. जैसे कर्म पूर्वजन्म में किए हैं वही भोग रहे हैं. यह खतरनाक है. जनता की आंखों पर धर्म की पट्टी बंधी है. वह आपस में धार्मिक आधार पर बंट चुकी है. उस को साथ रहने की जगह, आपस में ?ागड़ने की शिक्षा दी जा रही है. इस में चौथे स्तंभ की भूमिका सब से अधिक विवादास्पद है. जो कुछ लोग सच बयान करने का काम कर रहे हैं, उन की आवाज को बंद करने, दबाने और उन को अप्रासंगिक बनाने का काम किया जा रहा है. जनता भी सोने के हिरन को देख कर चकाचौंध है. वह यह भूल चुकी है कि सोने के हिरन के कारण ही सीता का हरण हुआ था. वह धार्मिक मृगमरीचिका से बाहर निकलने को तैयार नहीं है.

बच्चों को खूब भाया यूपी-112 का सेंटा

लखनऊ । कथीड्रल चर्च में यूपी-112 की पहल से सेंटा ने नागरिकों को पुलिस की सेवाओं के प्रति जागरुक किया. पुलिस रिस्पांस वीहिकल (पीआरवी) के साथ नागरिकों ने सेल्फ़ी ली. सेंटा ने बच्चों को उपहार बाँटा. क्रिसमस के मौक़े पर लखनऊ के हज़रतगंज स्थित कथीड्रल चर्च में नागरिकों के लिए 24 दिसम्बर की देर शाम यूपी-112 द्वारा जागरूकता कार्यक्रम किया गया। इस मौक़े पर सेंटा क्लॉस द्वारा यूपी-112 की योजनाओं और सेवाओं को कार्टून के माध्यम से बताया गया।

बच्चों को कॉमिक बुक के माध्यम से पुलिस विभाग की सेवाओं के बारे में जागरुक किया गया। इस मौक़े पर अपर पुलिस अधीक्षक यूपी-112  द्वारा लोगों को बताया गया कि सिर्फ़ पुलिस सम्बन्धी सहायता के लिए ही नहीं बल्कि आग लगने पर, मेडिकल सम्बन्धी सहायता के लिए और किसी आपदा के समय भी यूपी-112 से सहायता ली जा सकती है।

हाईवे या ट्रेन में सफ़र के दौरान भी नागरिकों को 112 द्वारा सहायता प्रदान की जाती है .कार्यक्रम में और बच्चों को सेंटा द्वारा उपहार भी प्रदान किया गया।

छोटी अनु की वजह से अनुज और अनुपमा में आएगी दरार

टीवी का मशहूर शो अनुपमा इन दिनों लगातार टीआरपी लिस्ट में बा हुआ है, हर दिन इस सीरियल में नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिसे फैंस देखना पसंद करते हैं.इस सबसे शो की रेटिंग लगातार बढ़ती हुई नजर आ रही है.

कुछ वक्त पहले इस सीरियल की कहानी पाखी और अधिक की लव स्टोरी पर आकर रुक गई थी, लेकिन इस वक्त अनुज अनुपमा के इर्द गिर्द घूम रहा है, जिसमें अनुपमा और अनुज में इन दिनों अनबन होती नजर आ रही है.

 

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अनुपमा और अनुज में शाह परिवार  की वजह से दरार आ रही है, छोटी अनु को अनुपमा वक्त नहीं दे पा रही है. अनुपमा शाह परिवार में होती है जहां पर छोटी अनु को पैनिक अटैक आता है और वहां अनुज तो पहुंच जाता है लेकिन अनुपमा नहीं पहुंचती है.

जिस वजह से अनुज के मन में अनुपमा के खिलाफ कड़वाहट भर जाता है.

अनु ये कहकर रोने लगती है कि क्या अनुपमा उसकी मां नहीं है प्लीज सच बताओ जिसके बाद से अनुज अनुपमा को समझाने की कोशिश करता है कि शाह परिवार की वजह से अपना रिश्ता खराब मत करो.

वहीं आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुपमा और अनुज में शाह परिवार की वजह से अनबन हो जाएगी. अब आगे एपिसोड में दिखाया जाएगा कि कैसे अनुपमा इस मुसीबत से बाहर आएगी.

Bigg Boss 16 : प्रियंका की हरकतों के लिए सलमान खान ने डांटा, कहा- महानता की देवी

बिग बॉस 16 से अंकित गुप्ता बाहर हो चुके हैं लेकिन प्रियंका चहर चौधरी ने जो कदम उनके लिए उठाया है वो शायद अब तक किसी ने नहीं उठाया होगा इतने सालों में

सलमान खान ने पिछले दिनों प्रियंका की क्लास लगाई और उन्होंने उन्हें महानता की देवी कहा कि इतने सालों में ऐसा कोई कंटेस्टेंट नहीं आया है जिन्होंने ऐसा काम किया हो, लेकिन प्रियंका आप ऐसा किया हो लेकिन आप एकलौती हैं जो बिना अपने बारे में सोचें अंकित के बारे में इतना सोचा.

जब प्रियंका से सलमान खान ने पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा कि मैं अपनी दोस्ती को खत्म नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने ऐसा किया, क्योंकि मैं अपनी पुरानी दोस्ती को खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने ऐसा किया है.

दरअसल , प्रियंका ने अंकित को बचाने के लिए बटन नहीं दबाया है, जिसके बाद से प्रियंका को घरवाले भी पहले से ज्यादा अलग नजर से देखऩे लगे हैं, सलमान खान ने कहा कि इस महान देवी की पूजा करो. आगे सलमान ने कहा कि अगर आप किसी के बारे में इतना ज्यादा सोच रही है लेकिन अगर आपके साथ ऐसा कोई नहीं करेगा तो आपको कितनी तकलीफ होगी .

सलमान के इस बात पर प्रियंका ने कोई जवाब नहीं दिया. खैर घर में अंकित के जाने के बाद से खबर है की किसी नए सदस्य की एंट्री हो सकती है. खैर पूरे घरवालों को प्रियंका से सफाई चाहिए कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया.

 

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