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Yeh Rishta Kya Kehlata Hai में आएंगे ये 7 बड़े ट्विस्ट एंड टर्न, अक्षरा-अभिमन्यु की होगी शादी!

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai Upcoming Episode : टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इस समय काफी मजेदार ट्रैक चल रहा है. शो में प्रणाली राठौड़ यानी अक्षरा और हर्षद चोपड़ा यानी अभिमन्यु की जोड़ी को लोगों का खूब प्यार मिल रहा है. इसके अलावा टीआरपी लिस्ट में भी सीरियल की रेटिंग लगातार बढ़ रही है.

हालांकि, शो को नंबर वन बनाने के लिए मेकर्स कहानी में एक के बाद एक कई नए ट्विस्ट ला रहे हैं. वहीं अब कहा जा रहा है कि शो में अब बैक टू बैकल 7 नए ट्विस्ट एंड टर्न आएंगे. तो आइए जानते हैं सीरियल में आने वाले उन नए 7 ट्विस्ट के बारे में.

1. अभिमन्यु को माफ नहीं करेगी मुस्कान

आपको बता दें कि इस समय शो (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai Upcoming Episode) में दिखाया जा रहा है कि अक्षरा और अभिमन्यु के बीच की दूरियां धीरे-धीरे कम हो रही हैं, जो कि मुस्कान को बर्दास्त नहीं हो रहा है. दरअसल मुस्कान अपने भाई अभिनव की मौत के लिए अभिमन्यु को जिम्मेदार मानती है. इसी वजह से उसका गुस्सा अभिमन्यु के लिए बढ़ता जाएगा और वो रोजाना घर में कलेश करेगी.

2. अक्षरा से भी नफरत करेगी मुस्कान

इसके अलावा आगे दिखाया जाएगा कि मुस्कान, अक्षरा की इज्जत पर कीचड़ उछाड़ेगी. वह बार-बार सभी घरवालों से कहेगी कि अभिनव के जाते ही अक्षरा फिर से अभिमन्यु के करीब चली जाएगी.

3. कायरव-मुस्कान के रिश्ते में आएंगी दूरियां

शो (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai Upcoming Episode) में आगे देखने को मिलेगा कि मुस्कान अपना पूरा ध्यान और पूरा समय अक्षरा और अभिमन्यु के बीच में दरार लाने पर लगाती है. जिस कारण वह अपने और कायरव के रिश्ते पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती, जिससे धीरे-धीरे दोनों का रिश्ता बिगड़ने लगेगा.

4. गोयनका हाउस में रहेगा अभिमन्यु

आपको बता दें कि बीते दिनों ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ का नया प्रोमो वीडियो जारी किया गया है, जिसमें दिखाया गया है कि अभिमन्यु अबीर के लिए गोयनका हाउस में रहने का फैसला करता है, जिसके चलते वह अक्षरा से बात भी करेगा.

5. एक घर में रहेंगे अक्षरा-अभिमन्यु

इसके आगे दिखाया (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai Upcoming Episode) जाएगा कि बड़े पापा, अभिमन्यु को गोयनका हाउस में रहने की इजाजत दें देते है. इस वजह से अब अक्षरा-अभिमन्यु एक घर में एक साथ रहेंगे.

6. राखी का त्योहार साथ मनाएंगे दोनों परिवार

जहां एक तरफ अक्षरा और अभिमन्यु एक साथ गोयनका परिवार में रहेंगे, तो इससे धीरे-धीरे गोयनका और बिरला परिवार भी एक दूसरे के करीब आएंगे. इसके अलावा दोनों परिवार इस साल राखी भी साथ मनाएंगे.

7. अक्षरा से शादी करेगा अभिमन्यु!

इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि आने वाले एपिसोड (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai Upcoming Episode) में दिखाया जाएगा कि अभिमन्यु, अक्षरा की मांग भरेगा और दोनों फिर से अपने रिश्ते की शुरुआत करेंगे.

Alia Bhatt की मां ने किया दामाद का सपोर्ट, कैंसिल कल्चर को लेकर कहीं बड़ी बात

Alia bhatt lipstick statement : बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट जितना अपनी फिल्मों से लाइमलाइट में बनी रहती हैं. उतना ही वह अपने बयानों के चलते सुर्खियां बटोरती हैं. इस समय उनका लिपस्टिक वाला बयान इतना वायरल हो रहा है कि लोगों ने उसे मुद्दा बना दिया और लोग उनके पति रणबीर कपूर को ट्रोल कर रहे हैं.

आलिया पर अपनी मर्जी थोपते हैं रणबीर!

दरअसल, हाल ही में एक इंटरव्यू में आलिया भट्ट (alia bhatt lipstick statement) अपने मेकअप पर बात कर रही थी. इस बीच उनसे पूछा गया कि उनकी फेवरेट लिपस्टिक कौन सी है. तो इस पर उन्होंने कहा, वह कई सालों से एक ही शेड की लिपस्टिक इस्तेमाल कर रही हैं. फिर इसके आगे आलिया कहती हैं कि वह लिपस्टिक लगाने के बाद उसे पोंछ भी देती हैं क्योंकि उनके पति रणबीर कपूर को उनके होठों का नेचुरल रंग ज्यादा पसंद है.

जैसे ही आलिया (alia bhatt lipstick statement) का ये बयान सामने आया, वैसे ही लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरु कर दी. जहां कुछ लोगों ने कहा कि रणबीर आलिया पर अपनी मर्जी थोपते हैं. तो वहीं कुछ ने आलिया-रणबीर का सपोर्ट भी किया. हालांकि अब इस मुद्दे में आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान कूद गई है.

जानें क्या कहा रणबीर की सासु मां ने?

आपको बता दें कि महेश भट्ट की पत्नी सोनी राजदान (Soni Razdan) ने अपने दामाद का सपोर्ट किया है. रणबीर की सासु मां ने बिना किसी का नाम लिए कहा, ‘क्या है, बेवकूफी बढ़ती जा रही है. कैंसिल कल्चर… अब लोग तय करेंगे कि दूसरे लोगों की जिंदगी में क्या सही है और क्या नहीं. फिर दूसरे लोग भी इसे मुद्दा बनाएंगे और जबरदस्ती का इसमें घुसेंगे. जबकि इससे उनका कोई लेना देना भी नहीं होता है. इस फनी जमाने में जी रहे हैं हम लोग.’

मैं… मैं… और मैं : नरेंद्र दामोदरदास मोदी

भारत ने इतिहास बनाया 23 अगस्त, 2023 को, जब चांद पर भारत ने कदम रखे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा भाषण अगर आप ध्यान से देखें, तो स्पष्ट है इस में, “मैं… मैं…” की भावना अपने शबाब पर है. आप इस रिपोर्ट में देखेंगे कि किस तरह नरेंद्र मोदी पर मैं… मैं… का फोबिया अपने रंग दिखा रहा है.

एक- देश में अमृत काल मनाया जा रहा है, विगत 76 वर्षों में देश के 12 प्रधानमंत्री हुए हैं, इन में नरेंद्र दामोदरदास मोदी पहले हैं, जिन्होंने यह काम किया है. अपने लिए 8,400 करोड रुपए का एक विमान खरीदा है और आप उस से उतरते ही नहीं है. क्या यह मैं… मैं… का उदाहरण नहीं है. दूसरा –
प्रधानमंत्री ब्रिक्स सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. स्वागत के लिए एक कैबिनेट मंत्री के आने की खबर सुन कर नरेंद्र मोदी रूठ गए और विमान से उतरने से इनकार कर दिया. बात दूर तक पहुंची. भारत सरकार ने नाराजगी जाहिर की, तब जा कर दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति स्वागत के लिए पहुंचे और नरेंद्र मोदी विमान से उतरे. पाठको, नरेंद्र मोदी का यह मैं… मैं… का सब से बड़ा उदाहरण कहा जा सकता है.

लोकसभा के चुनाव हों या फिर किसी राज्य सभा के, हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी एक ही चेहरा सामने रखती है, वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का. यह मोदी का मैं… मैं… का सब से ज्वलंत उदाहरण है. दीघाट समय में जब हिमाचल प्रदेश का चुनाव हुआ, वहां पार्टी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा. यही सबकुछ कर्नाटक में भी हुआ और नरेंद्र मोदी लंबे समय तक चुनाव प्रचार करते रहे, मगर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह पराजित हो, यह मैं… मैं… ही है कि आगामी समय में देश में पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, यहां भी भारतीय जनता पार्टी किसी स्थानीय चेहरे को सामने न ला कर सिर्फ मोदी के चेहरे को मतदाताओं के बीच ले जा कर के वोट मांगने की तैयारी में है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “मैं …मैं…” कर के हर एक कामकाज की सफलता को अपना बताने की फितरती भावना अपने उफान पर है.

नरेंद्र मोदी की यह सब से बड़ी खामी है कि वह ऐसा कोई दिन, समय, भाषण नहीं होता, जब स्वयं को दुनिया के समक्ष प्रदर्शित करने का मौका चूक जाते हों. यह बात कुछ मायने में तो सहज रूप से स्वीकार आम जनमानस कर लेता है, मगर हर एक जगह आप देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उस एक एकाधिकार, विश्वास और प्रेम का दुरुपयोग कर रहे होते हैं, जो आप को प्रधानमंत्री के नाते इस देश की जनता ने सौंपा है.

दरअसल, यह इतिहास में पहली दफा हुआ है. प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हों या फिर लाल बहादुर शास्त्री अथवा इंदिरा गांधी या फिर अटल बिहारी वाजपेयी, इन सब के भाषणों पर अगर शोध किया जाए, तो स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने “मैं” की भावनाओं को दूर रख कर सदैव “हम” को आगे रखा और देश को विकास देने का प्रयास किया.

जब देश का एक प्रधानमंत्री देश की हर एक योजना, परियोजना और भाग्यवश हर एक अच्छे हो जा रहे काम की दाद लेने के लिए तो तैयार है, मगर जहां कहीं कोई कमी हो जाती है, जैसे नोटबंदी, कोरोना महामारी से मृत लोगों को राहत, वहां आप मौन धारण कर लेते हैं या फिर विपक्ष को गरियाने लगते हैं, नेहरू और पूर्ववर्ती सरकारों को दोषी बताने लगते हैं. देश की जनता यह सब देख रही है और इस की विवेचना भी कर रही है, जिस का सार संक्षिप्त यही है कि नरेंद्र मोदी लगातार आबाध गति से जिसजिस तरह “मैं… मैं…” कर रहे हैं, वह उन के व्यक्तित्व के लिए तो नुकसानप्रद है ही, देश के लिए भी बहुत नुकसानदायक है.

अब जैसे आज 23 अगस्त, 2023 को देशभर के समाचारपत्रों में नरेंद्र मोदी का एक वक्तव्य छपा है, जिसे पढ़ कर आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत आने वाले वर्षों में पूरी दुनिया की वृद्धि का इंजन बनेगा.”

मोदी ने कहा, “उन की सरकार ने ‘मिशन’ के रूप में सुधारों को आगे बढ़ाया है, जिस से देश में कारोबार सुगमता की स्थिति बेहतर हुई है.”

5 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनेंगे

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहांसबर्ग ब्रिक्स ‘बिजनेस फोरम लीडर्स डायलाग’ को संबोधित करते हुए कहा, “भारत जल्द ही पांच लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था होगा. भारत के पास दुनिया की तीसरी बड़ी स्टार्टअप पारिस्थितिकी है और यहां पर सौ से भी अधिक यूनिकार्न मौजूद हैं. एक अरब डालर से अधिक राजस्व वाले स्टार्टअप यूनिकार्न की श्रेणी में आते है.” यह कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह स्वीकार करना चाहिए कि देश को आज इस ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए देश की करोड़ जनता में और पहले के नेतृत्व में ईमानदारी से काम किया है. तब आने वाले समय में हम इस मुकाम पर पहुंच पा रहे हैं. मगर, नरेंद्र मोदी की बौडी लैंग्वेज और भाषण के एक भी शब्द से इस सचाई पर कोई तथ्य सामने नहीं आता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस “मैं… मैं…” के स्याह पक्ष की विवेचना करते हुए साफगोई से बताना चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मंगलवार को जोहांसबर्ग पहुंचे. इस दौरान नरेंद्र मोदी 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं और दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अगस्त, 2023 को सुबह दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना होने से पहले एक वक्तव्य में कहा कि ब्रिक्स देश विभिन्न क्षेत्रों में एक मजबूत सहयोग एजेंडा अपना रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि ब्रिक्स विकास संबंधी अनिवार्यताओं और बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार सहित पूरे ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए चिंता का सबब बने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने का मंच बन गया है.”

दरअसल, उन्होंने कोई भी ऐसा मंच या भाषण के समय मौका नहीं चूका है, जब वे “मैं… मैं…” पर नहीं आ जाते हैं और दुनिया को बताने का प्रयास करते हैं कि भारत देश में अगर कोई विकास का रास्ता खुल रहा है, तो उस के पहले और अंतिम जनक वही हैं. लेकिन सच तो यह है कि इस बात को कोई थोड़ा भी पढ़ालिखा व्यक्ति या बौद्धिक कभी भी नहीं मान सकता. सच तो यह है कि देश को आगे बढ़ाने में सभी का योगदान होता है और अगर एक प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी इस सच को स्वीकार कर “हम… हम” करने लगे तो उन की एक बेहतर छवि और संदेश देशदुनिया में सकारात्मक ही जाएगा.

चांद और मोदी

भारत देश के लिए 23 अगस्त, 2023 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया जब चंद्रयान-3 ने सौफ्ट लैंडिंग कर साउथ पोल चंद्रमा पर अपने कदम रखते हुए तिरंगा झंडा लहराने लगा. संपूर्ण देश में खुशियों का जो सैलाब उठा वह स्वाभाविक था. देश के लिए यह बहुत ही गर्व की बात थी. मगर एक प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र दामोदरदास मोदी को जो एक समयकाल मिला है उस में नरेंद्र मोदी जिस तरह अपनेआप को, अपने चेहरे को, अपने नाम को प्रोजैक्ट करते हैं वह रेखांकित करने योग्य है.

हितोपदेश में भी माना गया है कि हमें अपना काम, अपनी छवि इस तरह प्रस्तुत करनी चाहिए कि कोई भी उंगली न उठा सके. मगर चंद्रयान 3 की सफलता के बाद जिस तरह नरेंद्र दामोदरदास मोदी का प्रचारतंत्र अपना काम करने लगा और यह बताने लगा कि किस तरह नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में वैज्ञानिकों को काम करने के लिए यह यह सुविधा दी गई और अगर नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं करते तो आज यह ऐतिहासिक दिन देश नहीं देख पाता.

दरअसल, यह भावना देशप्रेम, देशभक्ति तो नहीं कहा जा सकता. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति जैसे पदों पर बैठे हुए व्यक्तियों को संयम से काम लेने की आवश्यकता होती है. आप को देश ने सम्मान दिया है। चुन कर कुरसी पर बैठाया है इस से अधिक आप को और क्या चाहिए. नरेंद्र मोदी के संदर्भ में यह और भी ज्यादा प्रासंगिक है.

मोदी… मोदी… मोदी…

चंद्रयान के चांद पर पहुंचने की खबर देश ही नहीं दुनियाभर के सभी अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई है। यह संपूर्ण मानवता के लिए एक ऐसा समय था जिसे हरकोई अपनेअपने तरीके से कैद कर लेना चाहता था। मगर जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चांद पर चंद्रयान के पहुंचने के पहले ही स्वयं को प्रदर्शित करने का काम किया है वह आलोचना का विषय बन गया. भारत से प्रकाशित एक मात्र द टेलीग्राफ ने इसे बखूबी लक्ष्य कियाऔर लिखा,’इसरो के यूट्यूब चैनल पर चंद्रयान को चांद पर पहुंचने से पहले दिखाया और बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी भी देख रहे हैं. इस के बाद चंद्रयान उतरा और बैंगलुरु के नियंत्रणकक्ष में तालियां बजने लगीं.’

अखबार ने बेबाकी से लिखा,’इसरो के यूट्यूब फुटेज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सौफ्ट लैंडिंग के अंतिम चरण को देखते हुए दिखाया गया है. आधिकारिक यात्रा पर दक्षिण अफ्रीका गए नरेंद्र मोदी का चेहरा और एक एनिमेटेड लैंडर आखिरी मिनट में स्क्रीन पर दिखाई दिया.’

इसरो के कमैंटेटर ने कहा, “हम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को देख सकते हैं, जो हमें प्रोत्साहित करने के लिए यहां हैं और वह दृश्यों को गंभीरता से देख रहे हैं.”

यह सब देश ने और दुनिया ने टैलिविजनों के माध्यम से देखा और देखा कि किस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस के बाद लंबा व्वक्तव्य भी देने लगे जो सारगर्भित रूप से भी कहा जा सकता था.

मगर चांद के धरातल पर चंद्रयान के उतरने से पहले जिस तरह मोदी मोदी मोदी मोदी का माहौल बनाया गया वह आलोचना का विषय तो बनना ही था. देश ने देखा कि किस तरह नरेंद्र मोदी ने इस का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश और उस के कुछ सैकंड बाद बैंगलुरु का नियंत्रणकक्ष तालियों से गूंज उठा. लाखों लोगों ने इसरो के यूट्यूब चैनल और टीवी स्क्रीन पर इस लैंडिंग को देखा और चारों तरफ खुशियों का माहौल बन गया.

शिव शक्ति वैज्ञानिक दृष्टि का अभाव

चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के सौफ्ट लैंडिंग वाली जगह को एक नाम दिया गया है. नरेंद्र मोदी अपनी 2 दिन की यात्रा के बाद जब भारत आए तो बैंगलुरु में इसरो वैज्ञानिकों से मिलने पहुंचे.

यहां वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मेरे परिवारजनों, आप जानते हैं कि स्पेस मिशन के टचडाउन पौइंट को एक नाम दिए जाने की वैज्ञानिक परंपरा है. चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है भारत ने उस स्थान का भी नामकरण का फैसला लिया है. जिस स्थान पर चंद्रयान 3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस पौइंट को शिव शक्ति के नाम से जाना जाएगा.

दरअसल, नरेंद्र मोदी ने यहां एक बार फिर दिखा दिया कि उन की सोच वैज्ञानिक नहीं है और यहां भी उन्होंने हिंदुत्व और वोट बैंक की राजनीति का खेल शुरू कर दिया. अगर नरेंद्र मोदी में वैज्ञानिक दृष्टि होती तो नाम कुछ ऐसा होता कि दुनिया में भारत के वैज्ञानिकों का मान और बढ़ सकता था.

पीठ दर्द : इलाज है न

पीठ के निचले हिस्से का दर्द बेहद आम है. लेकिन हम में से ज्यादातर लोगों का ध्यान इस की तरफ तब जाता है जब हम झुक कर अथवा हाथ ऊपर की ओर बढ़ा कर कोई चीज उठाने की कोशिश करते हैं और तब दर्द महसूस करते हैं. पीठ का तेज दर्द हमारी रोजमर्रा की गतिविधियों, मनोरंजन और व्यायाम आदि में बाधा उत्पन्न कर सकता है. कभीकभी इस के चलते काम करना भी मुश्किल हो जाता है.

एक अध्ययन में यह पाया गया है कि पीठ के निचले हिस्से में होने वाले इस दर्द का इलाज शुरुआत में ही कराना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में इलाज न कराने पर यह गंभीर रूप ले सकता है. जागरूकता की कमी के चलते ज्यादातर लोग डाक्टर के पास ही नहीं जाते. वे पारंपरिक तरीकों से अथवा कैमिस्ट से दवा ले कर मनमरजी से उपचार कराने की कोशिश करते हैं. ऐसा करना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है.

पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द के लक्षणों और गंभीरता के आधार पर इसे 3 प्रकारों में बांटा गया है:

एक्यूट लो बैक पेन: दर्द 6 सप्ताह से कम अवधि तक रहता है.

सब क्रौनिक लो बैक पेन: दर्द 6 से 12 सप्ताह तक रहता है.

क्रौनिक लो बैक पेन: दर्द 12 सप्ताह से ज्यादा रहता है. हालांकि इस स्थिति के कारण अलगअलग हो सकते हैं लेकिन हर स्थिति में सही निदान बेहद महत्त्वपूर्ण है.

दर्द को गंभीरता से लें

पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना यों तो कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन कईर् कारण इस में योगदान देते हैं और गंभीरता का स्तर अलगअलग हो सकता है. ज्यादातर मामलों में इस का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता. लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह मांसपेशियों या हड्डियों में किसी प्रकार के खिंचाव, तनाव या मोच के कारण हो सकता है. पीठ के निचले हिस्से का दर्द दुनिया भर में करीब 80% लोगों को प्रभावित करता है.

आमतौर पर दर्द किसी विशेष गति के बाद होता है. जैसे मुड़ना, झुक कर कुछ उठाना आदि. इस के लक्षण गति के तुरंत बाद शुरू हो जाते हैं, जब आप सुबह सो कर उठते हैं. लक्षण मध्यम से ले कर गंभीर रूप ले सकता है. लेकिन कई बार हम लंबे समय तक इस की उपेक्षा करते हैं, जिस के चलते यह गंभीर दर्द में बदल जाता है.

पीठ के निचले हिस्से का दर्द आम बीमारी बन चुका है. इस के बारे में 3 मुख्य बिंदुओं को समझ कर आप इस का यथासंभव प्रबंधन कर सकते हैं.

यह क्यों होता है

इस के 2 कारण हो सकते हैं- विशिष्ट और गैर विशिष्ट. विशिष्ट कारण 20% से भी कम होते हैं. ऐसे में एक विशेष मामले में दर्द का विशिष्ट कारण होने की संभावना 0.2% तक होती है. कुछ मामलों में यह भौतिक कारणों का परिणाम भी होता है. युवाओं में वाहन से लगी चोट और बुजुर्गों में औस्टियोपोरोसिस के साथ हड्डी टूटना इस के मुख्य कारण हो सकते हैं. गैर विशिष्ट कारण पीठ दर्द के मामलों की अधिक प्रतिशतता बनाते हैं

यह कैसे होता है

यह कारण की विशिष्टता और गैर विशिष्टता पर निर्भर करता है.

यह कब होता है

नीचे दिए गए कारक पीठ दर्द की संभावना को बढ़ाते हैं. इन मामलों में पीठ में दर्द हो सकता है:

अभिव्यक्तियां: सीधे खड़े होने में परेशानी, टांगों की ओर जाता हुआ दर्द, बुखार, लगातार पीठ दर्द, शरीर के निचले हिस्सों का सुन्न होना आदि.

जोखिम के कारण: चिंता, व्यायाम न करना, गतिहीन जीवनशैली और काम, धूम्रपान, मोटापा या औबेसिटी, नींद ठीक से न लेना, सामान्य से अधिक शारीरिक व्यायाम, उम्र बढ़ना आदि.

इस के कारण हैं: मांसपेशियों और स्नायु में खिंचाव, कटिस्नायुशूल या स्किऐटिका, औस्टियोपोरोसिस, रीढ़ का कैंसर, औस्टियो और्थ्राइटिस, डिस्क का डिजनरैशन, गद्दे जो पीठ को सीधा रखते हैं और आराम नहीं देते, पीठ दर्द का कारण बन सकते हैं.

उचित उपचार

बहुत से लोग इंटरनैट पर इस के लक्षण और उपचार खोजने की कोशिश करते हैं. इस के बाद वे कुछ गलत व्यायाम करते हैं और बिना कारण को समझे पेन किलर दवा लेने लगते हैं, जो स्थिति को और अधिक बदतर बना देता है. कई बार इस से कुछ देर के लिए राहत तो मिल सकती है, लेकिन आने वाले समय में हालात बिगड़ जाते हैं. समस्या के कारण अलगअलग हो सकते हैं, इसलिए हमेशा डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए, जो सही निदान करे और सही उपचार दे. लगातार और तेज दर्द का मतलब है कि आप को अच्छे निदान की जरूरत है. इसलिए सही इलाज कराएं.

इन तरीकों को अपना कर आप पीठ के निचले हिस्से के दर्द को काफी हद तक रोक अथवा कम कर सकते हैं:

– आरामदायक और धीमी गतिविधियां.

– पूल थेरैपी यानी पानी में व्यायाम.

– सहारा ले कर बैठने से पीठ पर दबाव कम होता है और राहत मिलती है.

– हीट एवं कोल्ड पैक आमतौर पर दर्द और सूजन में भी राहत देते हैं.

लगातार दर्द आप के लिए परेशानी का कारण बन सकता है. हो सकता है कि आप इस के चलते ठीक से काम भी न कर पाएं. दर्द से राहत पाने के लिए विशेषज्ञ से सलाह लें. खुद दवा ले कर अपनेआप को कष्ट न दें.

– डा. शंकर आचार्य, और्थोपैडिक एवं स्पाइन सर्जन, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली

Raksha Bandhan : घर पर ही बनाएं पेठा हलवा, मल्टीग्रेन खीर और खोया कचौड़ी, जानें विधि

  1. पेठा हलवा

सामग्री :

500 ग्राम पीला पेठा, 150 ग्राम चीनी, 4 बड़े चम्मच घी, 1 छोटा चम्मच केवड़ा ऐसेंस, चुटकीभर फूड कलर, 150 ग्राम खोया, 4 बड़े चम्मच मिलेजुले मेवे.

विधि :

पेठे को कड़ाही में डाल कर चीनी डालें और पानी सूखने तक चलाएं.

अब घी डाल कर भूनें और फिर फूड कलर व ऐसेंस डालें.

आधे मावे को भून कर पेठे के हलवे में मिला कर आंच बंद कर दें.

फिर बचे आधे खोये और मेवे डाल कर हलवे को सजाएं. ठंडा या गरम परोसें.

2. आलू न्योकी

सामग्री :

4 उबले व कद्दूकस किए आलू, 1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर, 4 चम्मच मक्खन, 2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर, 100 ग्राम स्वीटकौर्न, 2 छोटे चम्मच धनियापत्ती कटी, 1 गिलास दूध, 11/2 चम्मच मैदा, 1 बड़ा चम्मच चाटमसाला, नमक स्वादानुसार.

विधि :

सौस बनाने के लिए पैन में 1 चम्मच मक्खन डालें, फिर मैदा डाल कर हलका ब्राउन होने तक भूनें. जब मैदा भुन जाए तो दूध डाल कर हलका सा नमक डालें. कालीमिर्च पाउडर डालें और गाढ़ा होने तक चलाती रहें. आंच से उतार कर सौस को ठंडा होने दें.

उबले आलू, कौर्नफ्लोर, चाटमसाला व नमक को अच्छी तरह गूंध कर छोटीछोटी लोइयां बना कर अंगूठे की सहायता से बीच में छेद कर दें.

बचे मक्खन को पैन में डाल कर गरम करें और लोइयों को हलका फ्राई करने के बाद ब्राउन पेपर पर लोइयों को निकाल लें.

लोइयों को एक प्लेट में रख कर उस पर तैयार सौस डालें. ऊपर से चाटमसाला डालें और मक्के के दानों व धनियापत्ती से सजा कर तुरंत परोसें.

3. खोया कचौड़ी

सामग्री :

1/2 कप सूजी, 11/2 कप गेहूं का आटा, 1/2 छोटा चम्मच अजवाइन, 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर, 150 ग्राम खोया, 2 कप दूध, 6 छोटे चम्मच

मोयन, तलने के लिए पर्याप्त तेल, नमक स्वादानुसार.

विधि :

खोए को फ्राइंगपैन में हलका भूनें. फिर ठंडा होने दें.

अब सूजी, आटा, अजवाइन, जीरा पाउडर सब को अच्छी तरह मिला कर मोयन डालें और आटा गूंध लें.

छोटीछोटी लोइयां बना कर उन के बीच में खोए का मिश्रण भरें और मोटा बेल कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तल लें.

अब गरमागरम खोया कचौड़ी परोसें.

4. मल्टीग्रेन खीर

सामग्री :

2-3 हरी इलायची, 1/4 कप बाजरा, 2 किलोग्राम दूध, 1/4 कप गेहूं का दलिया, 1/4 कप चावल, 1/2 कप ओट्स, 1/2 कप चीनी, 1 छोटा चम्मच केवड़ा ऐसेंस, 2 बड़े चम्मच नारियल पाउडर, थोड़े से काजूबादाम, 100 ग्राम खोया.

विधि :

बाजरा, दलिया, ओट्स और चावल को 1 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रखें.

दूध उबलने के लिए रखें. जब दूध उबलने लगे तो उस में इलायची और भीगे मल्टीग्रेन्स डाल कर चलाती रहें.

जब दूध गाढ़ा हो जाए और मल्टीग्रेन्स अच्छी तरह पक जाएं तो खोया, नारियल पाउडर, मेवा व चीनी डाल कर 10 मिनट धीमी आंच पर पकाएं.

ऐसेंस डाल कर तुरंत आंच बंद कर दें. गरमागरम परोसें.

रहने के लिए एक मकान 

मैं अपने गांव लौटने लगा तो मेरे आंखों में आंसू झिलमिला रहे थे. मेरे दोहेते अपने घर के बालकनी से प्रेम से हाथ हिला रहे थे,”बाय ग्रैंड पा, सी यू नाना…”

धीरेधीरे मैं बस स्टैंड की ओर चल दिया.

मैं मन ही मन सोचने लगा,’बस मिले तो 5 घंटे में मैं अपने गांव पहुंच जाऊंगा. जातेजाते बहुत अंधेरा हो जाएगा, फिर बस स्टैंड पर उतर कर वहां एक होटल है. उस में कुछ खापी कर औटो से अपने घर चला जाऊंगा.’

2 साल पहले मेरी पत्नी बीमार हो कर गुजर गई. तब से मैं अकेला ही हूं. मेरे गांव का मकान पुस्तैनी है. उस की छत टिन की है. पहले घासपूस की छत थी.

जब एक बार बारिश में बहुत परेशानी हुई तब टिन डलवा दिया था. मेरा एक भाई था वह भी कुछ साल पहले ही चल बसा था. अब इस घर में आखिरी पीढ़ी का रहने वाला सिर्फ मैं ही हूं.

मेरी इकलौती बेटी बड़े शहर में है अत: वह यहां नहीं आएगी. जब बारिश होती है तो छत से यहांवहां पानी टपकता है. एक बार इतनी बारिश हुई कि दूर स्थित एक बांध टूट गया और कमर भर पानी मकान के अंदर तक जा घुसा था. कई बार सोचा घर की मरम्मत करा दूं पर इस के लिए भी एकाध लाख रूपए तो चाहिए ही.

मैं सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ हूं अत: मुझे पैंशन मिलती है. उम्र के साथ दवा भी खाने होते हैं मगर फिर भी इस खर्च के बाद थोड़ाबहुत बच जरूर जाता है.

2 महीने में एक बार मैं शुक्रवार को दोहेतो को देखने की उत्सुकता में बेटी के घर जा कर 2-3 दिन ठहर कर खुशीखुशी दिन बिता कर मैं वापस आ जाता हूं. इस से ज्यादा ठहरना मुझे ठीक नहीं लगता.

मेरे दामाद अपना प्रेम या विरोध कुछ भी नहीं दिखाते. मैं घर में प्रवेश करता तो एक मुसकान छोड़ अपने कमरे में चले जाते.

दामाद शादी के समय बिल्डिंग बनाने वाली बड़ी कंपनी में सीनियर सुपरवाइजर थे. जो मकान बने वे बिक न सके. बैंक से उधार लिए रुपए को न चुकाने के कारण कंपनी बंद हो गई थी. तब से वह रियल ऐस्टेट का ब्रोकर बन गया.

“कुदरत की मरजी से किसी तरह सब ठीकठाक चल रहा है पापा,” ऐसा मेरी बेटी कहती.

पति की नौकरी जब चली गई थी तब मेरी बेटी दोपहर के समय टीवी सीरियल न देख कर सिलाई मशीन से अड़ोसपड़ोस के बच्चों व महिलाओं के कपड़े सिल कर कुछ पैसे बना लेती.

“पापा, आप ने कहा था ना कि बीए कर लिया है तो अब बेकार मत बैठो, कुछ सीखना चाहिए. तब मैं सिलाई सीखी. वह अब मेरे काम आ रही है पापा,” भावविभोर हो कर वह कहती.

पिछली बार जब मैं गया था तो दोहेतो ने जिद्द की, “नानाजी, आप हमारे साथ ही रहो. क्यों जाते हो यहां से?”

बच्चे जब यह कह रहे थे तब मैं ने अपने दामाद के चेहरे को निहारा. उस में कोई बदलाव नहीं.

मेरी बेटी रेनू ही आंखों में आंसू ला कर कहती,”पापा… बच्चों का कहना सही है. अम्मां के जाने के बाद आप अकेले रहते हैं जो ठीक नहीं. आप बीमार भी रहते हो.”

वह कहती,”पापा, हमारे मन में आप के लिए जगह है पर घर में जगह की कमी है. आप को एक कमरा देना हो तो 3 रूम का घर चाहिए. रियल ऐस्टेट के बिजनैस में अभी मंदी है. तकलीफ का जीवन है. इस घर में बहुत दिनों से रहते आए हैं अत: इस का किराया भी कम है. अभी इस को खाली करें तो दोगुना किराया देने के लिए लोग तैयार हैं. क्या करें? इस के अलावा मेरा सिरदर्द जबतब आ कर परेशान करता है.”

मैं बेटी को समझाता,”बेटा रो मत. यह सब कुछ मुझे पता है. अब गांव में भी क्या है? मुझे तुम्हारे साथ ही रहना है ऐसा भी नहीं. पड़ोस में एक कमरे का घर मिल जाए तो भी मैं रह लूंगा. मैं अभी ₹21 हजार पैंशन पाता हूं. ₹6-7 हजार भी किराया दे कर रह लूंगा. अकेला तो हूं. तुम्हारे पड़ोस में रहूं तो मुझे बहुत हिम्मत रहेगी,” यह कह कर मैं ने बेटी का चेहरा देखा.

“अरे, जाओ पापा… अब सिंगलरूम कौन बनाता है? सब 2-3 कमरों का बनाते हैं. मिलें तो भी किराया ₹10 हजार. यह सब हो नहीं सकता पापा,” कह कर बेटी माथे को सहलाने लग जाती.

अगली बार जब मैं बेटी के घर गया, तब एक दिन सुबह सैर के लिए निकला. अगली 2 गलियों को पार कर चलते समय एक नई कई मंजिल मकान को मैं ने देखा जो कुछ ही दिनों में पूरा होने की शक्ल में था.

उस में एक बैनर लगा था,’सिंगल बैडरूम का फ्लैट किराए पर उपलब्ध है.’

मुझे प्रसन्नता हुई और उत्सुकता भी. वहां एक बैंच पर सिक्योरिटी गार्ड बैठा था. मैं ने उस से जा कर पूछताछ की.

“दादाजी, उसे सिंगल बैडरूम बोलते हैं. मतलब एक ही हौल में सब कुछ होता है. 1-2 से ज्यादा नहीं रह सकते. आप कितने लोग हैं?” वह बोला.

“मैं बस अकेला ही हूं. मेरी बेटी पड़ोस में ही रहती है. इसीलिए यहां लेना चाहता हूं.”

“अच्छा फिर तो ठीक है. घर को देखिएगा…” कह कर अंदर जा कर चाबी के गुच्छों के साथ बाहर आया.

दूसरे माले में 4 फ्लैट थे.

“इन चारों के एक ही मालिक हैं. 3 फ्लैटों के पहले ही ऐडवांस दे चुके हैं.”

उस ने दरवाजे को खोला. लगभग 250 फुट चौड़ा और लंबा एक हौल था. उस में एक तरफ खाना बनाने के लिए प्लेटफौर्म आधी दीवार खींची थी. दूसरी तरफ छोटा सा बाथरूम बड़ा अच्छा व कंपैक्ट था.

“किराया कितना है?” मैं ने पूछा.

“मुझे तो कहना नहीं चाहिए फिर भी ₹ 7 हजार होगा क्योंकि इसी रेट में दूसरे फ्लैट भी दिए हैं. ऐडवांस ₹50 हजार है. रखरखाव के लिए ₹500-600 से ज्यादा नहीं होगा. मतलब सबकुछ मिला कर ₹7-8 हजार के अंदर हो जाएगा दादाजी,” वह बोला.

“ठीक है भैया, इसे मुझे दिला दो. मालिक से कब बात करें?”

“अभी बात कर लो. एक फोन लगा कर बुलाता हूं. आप बैठिए,” वह बोला.”

वहां एक प्लास्टिक की कुरसी थी. मैं उस पर बैठ कर इंतजार करने लगा.

सिक्योरिटी गार्ड ने बताया,“वे खाना खा रही हैं. 10-15 मिनट में पहुंच जाएंगी. तब तक आप यह अखबार पढ़िए.”

मालिक से बात कर किराया थोड़ा कम करने के बारे में पूछ लूंगा. फिर एक औटो पकड़ कर घर जा कर लड़की को भी ला कर दिखा कर तय कर लेंगे. बेटी इस मकान को देख कर आश्चर्य करेगी.

ऐडवांस के बारे में कोई बड़ी समस्या नहीं है. मैं पास के एक बैंक में हर महीने जो पैसे जमा कराता हूं उस में ₹30 हजार के करीब तो होंगे ही.बाकी रुपयों के लिए पैंशन वाले बैंक से उधार ले लूंगा. फिर एक दिन शिफ्ट हो जाऊंगा.

यहां आने के बाद एक आदमी का खाना और चाय का क्या खर्चा होगा?

‘आप खाना बनाओगे क्या पापा,’ ऐसा डांट कर बेटी प्यार से खाना तो भिजवा ही देगी.

खाना बनाने का काम भी बच जाएगा. पास में लाइब्रैरी तो होगा ही. वहां जा कर दिन कट जाएगा.

सामने की तरफ थोड़ी दूर पर एक छोटा सा टी स्टौल था. मैं ने सोचा 1 कप चाय पी कर हो आते हैं. तब तक मकानमालकिन भी आ ही जाएगी.

वहां कौफी की खुशबू आ रही थी. मैं ने सोचा कि कौफी पी लूं. यहां रहने आ जाऊंगा तो नाश्ते और चाय की कोई फ्रिक नहीं रहेगी.

पैसे दे कर वापस आया तो सिक्योरिटी गार्ड बोला,“घर के औनर आ गए हैं. वे ऊपर गए हैं. आप वहीं चले जाइए.”

मैं धीरेधीरे सीढ़ियां चढ़ने लगा. ऊपर पहुंच कर औनर को नमस्कार बोला.

पीठ दिखा कर खड़ी वह महिला धीरे से मुड़ी तो वह मेरी बेटी रेणू थी.

Raksha Bandhan : मुंहबोला भाई- सब से बेखौफ मिलवाएं

स्कूल कालेज में साथसाथ पढ़तेपढ़ते लड़केलड़कियों की दोस्ती होना स्वाभाविक है, लेकिन कई बार यह दोस्ती एक प्यारे से रिश्ते में तबदील भी हो जाती है और वह रिश्ता होता है मुंहबोले भाईबहन का. इस रिश्ते में कोई बुराई भी नहीं है. जब साथ पढ़ने वाली 2 लड़कियां सहेली से बढ़ कर बहनें हो सकती हैं तो लड़कालड़की के बीच भाईबहन का रिश्ता क्यों नहीं हो सकता. लेकिन ऐसे रिश्ते को समाज बहुत जल्दी स्वीकार नहीं करता और लोग उसे गलत नजर से देखने लगते हैं. इस के लिए सिर्फ समाज ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि इस रिश्ते को बनाने वाले को भी चाहिए कि वह इस के बारे में सब को समझाए और बताए कि यह रिश्ता किसी भी सगे भाईबहन के रिश्ते से कम नहीं है. इस के लिए जरूरी है कुछ बातों का ध्यान रखें :

खुद के मन में चोर न रखें

अपने रिश्तेदारों और दूसरे लोगों को अपने इस रिश्ते के बारे में बताने से पहले आप को खुद यह स्वीकार करना होगा कि आप कुछ गलत नहीं कर रही हैं. जब आप सच्चे मन और कौन्फिडैंस के साथ भाई से अपना रिश्ता स्वीकार कर लेंगी तो फिर आप निडर हो कर अपने और मुंहबोले भाई के बारे में बात कर पाएंगी. मुंहबोले भाईबहन का रिश्ता बहुत नाजुक होता है जरा सी गलतफहमी रिश्ते में दरार पैदा कर सकती है. इसलिए इस रिश्ते को गलतफहमी का शिकार न होने दें.

झिझकें नहीं

आप जब कुछ गलत नहीं कर रही हैं तो फिर भाई को किसी से मिलवाने में झिझक कैसी? यदि आप यह सोच रही हैं कि सामने वाला आप के और भाई के रिश्ते को गलत न समझ ले तो यह भी आप पर निर्भर करता है कि आप उन के और अपने रिश्ते को किस तरह पब्लिकली प्रैजैंट करती हैं. अगर आप कौन्फिडैंस के साथ बिना झिझके लोगों को उस से मिलवाएंगी तो गलतफहमी के लिए जगह ही नहीं बचेगी. बोलने वाले का मुंह तो आप पकड़ नहीं सकते, बस आप की फैमिली को आप पर विश्वास हो, यह जरूरी है.

फैमिली से मेलजोल बढ़वाएं

मुंहबोले भाई से रिश्ता रखने के लिए जरूरी है कि आप की फैमिली उसे अच्छी तरह जानती हो, इस के लिए पहले अपनी फैमिली को बताएं कि आप ने एक दोस्त से भी बड़ा मुंहबोले भाई का रिश्ता बनाया है और वह भी आप को अपनी सगी बहन से ज्यादा समझता है. जब भी आप उस से मिलें या कहीं घूमने भी जाएं तो अपनी फैमिली को बता कर ही जाएं. उसे अपने घर बुलाएं, परिवार वालों से उस का परिचय कराएं और उन से मेलजोल बढ़वाएं.

फैमिली गैदरिंग में इन्वाइट करें

यदि आप के घर कोई पार्टी या किसी तरह का कोई फंक्शन है तो अपने दोस्तों के साथ अपने उस मुंहबोले भाई को भी इन्वाइट करें और उसे अपने सभी रिश्तेदारों से मिलवाएं ताकि फैमिली के साथसाथ रिश्तेदारों से भी उस का परिचय हो जाए. जब एकदो बार वह आप के फैमिली फंक्शंस में आ जाएगा तो सभी को उस से आप का रिश्ता पता चल जाएगा और फिर आप दोनों किसी को कहीं बाहर भी मिलते हैं तो आप को घबराने या अपनी सफाई देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

बौयफ्रैंड से भी मिलवाएं

अकसर लड़कियां अपने इस तरह के मुंहबोले भाई से बौयफ्रैंड को मिलवाने में झिझकती हैं. उन्हें लगता है कि कहीं बौयफ्रैंड के साथ इस बात को ले कर अनबन न हो जाए. पता नहीं वह कैसे रिऐक्ट करे और भाईबहन के इस रिश्ते को समझ भी पाएगा या नहीं. अगर आप के मन में भी कुछ इस तरह की बातें चल रही हैं तो यह बात यही दर्शाती है कि भाई का तो पता नहीं, लेकिन बौयफ्रैंड से रिश्ता मजबूत नहीं है.

रिश्ते में ईमानदारी रखें

मुंहबोले भाई से रिश्ता रखते हुए आप को भी इस बात का खास खयाल रखना पड़ेगा कि इस रिश्ते के प्रति आप भी पूरी तरह ईमानदार रहें. कुछ भी ऐसा न कहें कि यह रिश्ता बदनाम हो जाए. आप को भाई के रिश्ते की मर्यादा को समझना होगा.

भाई की फैमिली के साथ भी इन्वौल्व हों

सिर्फ आप ही भाई को अपनी फैमिली से न मिलवाएं बल्कि भाई की फैमिली से भी मिलें और उन में घुलनेमिलने की कोशिश करें. अगर आप चाहती हैं कि वह आप की फैमिली में इन्वौल्व हो तो वह भी ऐसा ही चाहता होगा.

विरोध करने वाले को समझाएं

आप के अपने परिवार और नातेरिश्तेदारों में से कुछ लोग तो ऐसे जरूर होंगे जो आप के इस तरह के रिश्ते पर सवाल उठाएंगे और कहेंगे कि सगे रिश्तों के होते हुए मुंहबोले की क्या जरूरत है, लेकिन आप को उन की बातों पर न तो चिढ़ना है और न ही दुखी होना है. उन की बातें ध्यान से सुनें और उन्हें प्यार से समझाएं कि मुंहबोले भाई से आप का रिश्ता गलत नहीं है. अगर दोस्त हो सकते हैं तो मुंहबोले भाई क्यों नहीं

छिपाने के नुकसान

लोग आप को गलत समझेंगे : अगर आप अपना और मुंहबोले भाई का रिश्ता छिपाएंगी तो दूसरों की तो छोडि़ए आप के अपने परिवार के लोग ही इस रिश्ते को गलत नजर से देखने लगेंगे. जब तक आप उन्हें इस रिश्ते के बारे में बताएंगी नहीं उन्हें क्या पता कि आप का और उस का मिलनाजुलना क्यों है?

बेवजह आप दोनों के अफेयर की खबरें उड़ेंगी : आप छिपाएंगी तो लोग शक करेंगे कि आप दोनों के बीच कोई चक्कर है तभी इतना मेलजोल बढ़ गया है. दोनों को साथ देखते ही लोग बातें बनाना शुरू कर देंगे और फिर इस सिचुएशन के बाद आप लाख सफाई भी देंगी तो कोई विश्वास नहीं करेगा इसलिए सभी को पहले ही अपने मुंहबोले भाई के बारे में बताएं. अफेयर की अफवाह न उड़ने दें. यह भाई और आप दोनों के लिए जरूरी है.

छिपाया वहीं जाता है जहां दाल में कुछ काला हो : आप यह बात छिपा कर लोगों को बोलने का मौका खुद दे रही हैं, उन्हें आमंत्रित कर रही हैं कि वे आप के बारे में ऊटपटांग कहें.

खुद को भी परखें : एक सच यह भी है कि छिपाते वे हैं जिन के मन में चोर होता है. इसलिए अपने मन को परखें कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि भाई की आड़ में आप के मन में ही कुछ और चल रहा है और अगर ऐसा नहीं है तो फिर बिंदास भाई से रिश्ता रखें.

ध्यान दें

– अपना रिश्ता भाई के साथ ऐसा रखें कि किसी को उंगली उठाने का मौका न मिले.

– नए बनाए इस रिश्ते में इतना भी न खो जाएं कि अपने सगे भाईबहनों से रिश्ता निभाना ही भूल जाएं.

– पहले समाज लड़का और लड़की के रिश्ते को सहजता से नहीं लेता था, लेकिन पहले की तुलना में संबंधों में अब ज्यादा सहजता आई है इसलिए उस का लाभ उठाएं.

– जब किसी के साथ अपने संबंध को आप रिश्ते में बांध देते हैं तो फिर उस के साथ जिम्मेदारियां और अपेक्षाएं अपनेआप जुड़ जाती हैं, इसलिए घबराएं नहीं और इस रिश्ते को पूरी शिद्दत के साथ निभाएं.

– अपने इस नए बनाए रिश्ते की अहमियत और गरिमा को आप खुद भी समझें और अन्य लोगों को भी इस का एहसास कराएं.

मेरी शादी को 10 साल हो गए हैं और हमारे कोई बच्चा नहीं है, इसलिए मेरी सास मुझे ताने मारती रहती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी शादी को 10 साल हो गए हैं और हमारे कोई बच्चा नहीं है, जिस के कारण मेरी सास मुझे ताने मारती रहती है और एक बार तो उन्होंने मुझे घर से भी निकाल दिया. मैं काफी पढ़ीलिखी हूं. मेरे पति ज्यादा कोऔपरेटिव नहीं हैं. मेरे मांबाप का देहांत हो चुका है जिस के कारण मैं खुद को काफी अकेला महसूस करती हूं. कई बार तो आत्महत्या करने को भी दिल करता है?

जवाब
भले ही आप की शादी को 2 साल हुए हों या फिर 10 साल, मां बनना आप के हाथ में थोड़ी न है. आप तो अपनी तरफ से कोशिश कर ही रही हैं तो फिर इस में अकेले आप का क्या दोष. और सिर्फ मां नहीं बनने के कारण सास का आप को घर से बाहर निकाल देना सरासर गलत है.

माना कि आप के मातापिता नहीं हैं लेकिन फिर भी आप खुद को अकेली न समझें बल्कि हिम्मत से हर स्थिति का सामना करें. अपने पति को भी समझा दें कि सब का आप के प्रति इस तरह का व्यवहार आप को बरदाश्त नहीं, वरना कानून का सहारा लेने में देर नहीं लगेगी.

जब आप जैसी पढ़ीलिखी लड़कियां आत्महत्या करने के बारे में सोचेंगी तो अत्याचार तो बढ़ेंगे ही, इसलिए आप को उन्हें दिखाना होगा कि अकेली लड़की क्या कर सकती है, इसलिए हिम्मत से स्थिति का सामना करें, डरें नहीं.

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प्रैगनैंसी टालें पर एक सीमा तक

आज कई महिलाएं अपना कैरियर बनाने और अपनी फिगर मैंटेन रखने के चलते प्रैगनैंसी को टालती रहती हैं. और जब प्रैगनैंट होना चाहती हैं, तो कई तरह की परेशानियां उन के प्रैगनैंट होने में बाधक बन जाती हैं.

‘‘अनुज, आखिर क्यों यह निर्णय हम ने पहले नहीं लिया? कैरियर और पैसा कमाने के चक्कर में आज मैं मां बनने के लिए तरस रही हूं,’’ एक वर्किंग वूमन ने अपने पति से कहा.

‘‘नेहा, तुम चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा,’’ पति ने उसे सांत्वना दी.

‘‘लेकिन कैसे अनुज? कितने ही डाक्टरों को दिखाया पर सब का वही जवाब कि आप चिंता मत कीजिए. पर हमारी शादी को 6 वर्ष बीत गए. काश, यह फैसला हम ने पहले लिया होता,’’ अब नेहा को अपने फैसले पर अफसोस था.

यदि उम्र ज्यादा हो जाए तो कंसीविंग में काफी अड़चनें आ जाती हैं. इस के पीछे स्त्री रोग विशेषज्ञा डा. नूपुर पगौड़े ने कुछ कारण बताए:

प्रैगनैंसी टालने के कारण

– आजकल इस समस्या में ज्यादा बढ़ोतरी देखी जा रही है. इस का कारण है, देर से शादी याशादी के बाद ऐंजौयमैंट को प्राथमिकता देते हुए बच्चा पैदा न करना.

– कैरियर बनाने, सही मुकाम पाने, सफलता पाने के चक्कर में जल्दी बच्चा पैदा न करने की जिद.

– अच्छा घर, लग्जरी कार, घर में हर आरामदायक वस्तु का होना. सुविधा की वस्तुएं होंगी तभी तो लाइफस्टाइल अच्छा होगा, स्टेटस बनेगा. इस होड़ में बच्चे से पहले इन वस्तुओं को प्राथमिकता दी जाती है.

– फिगर खराब न हो जाए, इस के चलते भी प्रैगनैंसी को टाला जाता है.

– औफिस में क्या इंप्रेशन पड़ेगा, यदि इतनी जल्दी बच्चा हो जाएगा. यह सोच कर भी जल्दी बच्चे का होना टाला जाता है.

– कई लड़कियां अपने औफिस में अपनी शादी छिपाती हैं, इसलिए भी जल्दी बच्चा पैदा करने से कतराती हैं.

– इस के अलावा कुछ शारीरिक परेशानियों के चलते भी प्रैगनैंसी टाली जाती है. जैसे किसी को टीबी है या कोई अन्य बीमारी है तो डाक्टर ही जल्दी बच्चे पैदा न करने की सलाह देते हैं.

– अंडाणु का न बन पाना, फैलोपियन ट्यूब खराब होना और शुक्राणु के विकार के कारण भी प्रैगनैंसी में बाधा आती है.

– कुपोषण, तनाव, प्रदूषण, मोटापा जैसी समस्याएं भी कुछ हद तक प्रैगनैंसी में बाधा उत्पन्न करती हैं.

गर्भधारण की सही उम्र

इन्हीं कारणों की वजह से महिलाएं गर्भधारण करने से या तो बचती हैं या मजबूरी में नहीं कर पातीं, जिस की वजह से एक उम्र के बाद गर्भधारण में बहुत सी मुश्किलें आने लगती हैं.

सामान्य रूप से गर्भधारण की सही उम्र अमूमन 30-32 से पहले ही मानी जाती है. लेकिन कैरियर बनाने या अन्य कारणों के चलते 30-32 साल की उम्र तो यों ही बीत जाती है और जब महिलाएं प्रैगनैंट होना चाहती हैं तो काफी दिक्कतें आती हैं.

आज की युवा पीढ़ी बंधन नहीं चाहती. नए दंपती अपनीअपनी जिंदगी जीने में विश्वास रखते हैं. ऐसे में बच्चा एक आफत लगता है. और जब मां बनने की सुध आती है, तब तक या तो देर हो चुकी होती है या किसी अन्य कारण से गर्भधारण में परेशानी आती है.

इस तरह सभी को या तो बच्चा होने से पहले या बच्चा होने के बाद किसी न किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन यदि देखा जाए तो दोनों ही हालात में पतिपत्नी को ज्यादा समझदारी दिखाने की जरूरत होती है.

मराठी एक्टर Milind Safai का हुआ निधन, 53 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Marathi Actor Milind Safai Death : पिछले काफी समय से कैंसर से जंग लड़ रहे दिग्गज मराठी अभिनेता मिलिंद सफई की मौत हो गई है. बीते दिन यानी 25 अगस्त 2023 को सुबह करीब 10:45 बजे एक्टर ने 53 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.

टीवी से लेकर कई फिल्मों में किया था काम

मिलिंद सफई (Marathi Actor Milind Safai Death) ने ‘प्रेमाची गोश्त’, ‘लकडाउन’ और ‘पोश्टर बॉयज’ जैसी कई बड़ी फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा मिलिंद ‘मेकअप’, ‘पोश्टर बॉयज’, ‘थैंक यू विट्ठला’, ‘टारगेट’, ‘बी पॉजिटिव’ और ‘चाडी लागे चाम चाम’ जैसी कई शानदार फिल्मों का भी हिस्सा रहे हैं. लेकिन ज्यादातर उनको मराठी टीवी सीरियल ‘आई कुठे काय करते’ में काम करने के लिए जाना जाता हैं.

अभिनेता जयवंत ने दी निधन की खबर

एक्टर मिलिंद सफई (Marathi Actor Milind Safai Death) की निधन की खबर अभिनेता जयवंत वाडकर ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर दी है. उन्होंने मिलिंद के निधन पर शोक व्यक्त किया है. हालांकि जैसे ही ये खबर सामने आई पूरी मराठी फिल्म इंडस्ट्री में गम की लहर छा गई है. साथ ही एक्टर के फैंस भी काफी उदास है. इसके अलावा मराठी फिल्म इंडस्ट्री के तमाम बड़े स्टार्स और मिलिंद सफई के फैंस उन्हें श्रदांजली दे रहे हैं.

दो दिन में मराठी फिल्म इंडस्ट्री को लगा दूसरा झटका

आपको बता दें कि मिलिंद (Marathi Actor Milind Safai Death) की मौत से सिर्फ एक दिन पहले यानी 24 अगस्त को प्रसिद्ध मराठी अभिनेत्री सीमा देव का भी निधन हुआ था. वह काफी समय से अल्जाइमर की समस्या से जूझ रही थी. ऐसे में एक्टर मिलिंद की मौत से मराठी फिल्म इंडस्ट्री को एक और बड़ा झटका लगा है.

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