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ये तीन भारतीय फिल्में हुईं ऑस्कर की दौड़ से बाहर

ऑस्कर पुरस्कारों के लिये बेस्ट विदेशी फिल्म की श्रेणी में स्थान पाने में असफल रही  फिल्म 'कोर्ट' के बाद तीन और भारतीय फिल्में इस होड़ से बाहर हो गई.

ऑस्कर के लिए घोषित नामांकित सूची में  'जलम ', 'रंगीतरंगा ' और 'नचोमिया कुम्पसर' अपना स्थान बना पाने में असफल रही. इससे पहले पिछले महीने मराठी फिल्म 'कोर्ट ' ऑस्कर की होड़ से बाहर हो गई थी.

भारत को 'कोर्ट ' के लिए काफी आशाएं थी, लेकिन इसे सफलता नहीं मिलने के बावजूद बेस्ट ओरिजनल सांग और बेस्ट ओरिजनल स्कोर जैसी श्रेणियों में 'जलम' , 'रंगीतरंगा' और ' नचोमिया कुम्पसर' जैसी फिल्मों से उम्मीदें बंधी थी लेकिन ये भी इस दौड़ से बाहर हो गई.

88वें एकेडमी अवार्ड के लिये नामांकित सूची की घोषणा एकेडमी प्रेसीडेंट चेर्ली बून इसाक्स, अभिनेता जॉन क्रांसिस्की और फिल्म निर्माताओं गिलेरमो टोरो और आंग ली ने की. भारत की ओर से मलयालम फिल्म 'जलम' और ' रंगीतरंगा' बेस्ट ओरिजनल सांग तथा कोंकणी फिल्म 'नचोमिया कुम्पसर' बेस्ट ओरिजनल स्कोर की प्रतिस्पर्धा में थी , लेकिन ये फिल्में घोषित सूची में अपना स्थान नहीं बना पाईं.

88वें ऑस्कर समारोह अगले महीने 28 फरवरी को अमेरिका में डॉल्बी थियेटर में होगा. ऑस्कर फिल्मों के इतिहास में बेस्ट फिल्म के तीन भारतीय फिल्में महबूब खान की 'मदर इंडिया', मीरा नायर की 'सलाम बॉम्बे' और आशुतोष गोवारीकर की 'लगान: वंस अपना एक टाइम इन इंडिया ' ऑस्कर पुरस्कार की रेस में रही लेकिन जीत के लक्ष्य तक पहुंचने में कामनाब न हो सकी.

 

कंगना ने खोले कई राज, कई बार हुआ शारीरिक शोषण

बॉलीवुड की 'क्वीन' बनने के लिए कंगना रनौत को बहुत महंगी कीमत चुकानी पड़ी है. उनका कई बार शारीरिक शोषण हुआ. उन्हें तरह तरह की यातनाएं दी गयी. एक बात तो उनके सिर पर इतनी जोर से वार किया गया कि उनके सिर से खून निकलने लगा.

कंगना रानौत ने बॉलीवुड में आने से पहले के दिनों को याद करते हुए पत्रकार बरखा दत्त की किताब 'द यूनीक लैंड' के लांच पर कई चौकाने वाले खुलासे किये. उन्होंने खुलासा किया कि कैसे वह बहुत कम उम्र में कुछ करने का सपना लेकर मुंबई आयी थी लेकिन एक वक्त आया जब उन्हें लगा कि वो फंस गयी है.  

कंगना ने उस शख्स के नाम का खुलासा नहीं किया लेकिन उन्होंने बताया कि एक वक्त ऐसा आया था जब उन्हें लगने लगा था कि उन्हें इस दलदल से कोई नहीं निकाल पायेगा. कंगना ने बताया कि वह शुरुआती दिनों में उनके मेंटर की तरह था लेकिन धीरे-धीरे उसने मेरा शारीरिक शोषण करना यातनाएं देना शुरू कर दिया. वह पल मेरे लिए काफी मुश्किल भरा था. मैं ज्यादा गहराई में नहीं जाना चाहती लेकिन जिंदगी का वह पल मेरे लिए सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाला था.

 पत्रकार बरखा दत्त ने जब उस शख्स के बारे में पूछा तो कंगना ने उसका नाम नहीं लिया उन्होंने कहा कि उस वक्त मेरी उम्र 17 साल की थी और वो मेरे पिता की उम्र का था. वह दिखावा करता था कि मैं इसका गॉडफादर हूं 

अपने ही ‘सरबजीत’ को नहीं पहचान सके उमंग कुमार

रणदीप हुडा बौलीवुड के उन चंद कलाकारों में से हैं, जो कि अपनी फिल्म की विषयवस्तु व अपने किरदार को लेकर स्वयं काफी होमवर्क करते हैं. किरदार के लुक आदि पर भी काम करते हैं. इन दिनों वह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक उमंग कुमार के संग पाकिस्तानी जेल में बंद रहे सरबजीत पर बन रही फिल्म ‘‘सरबजीत’’ में सरबजीत का किरदार निभा रहे हैं, जिसकी शूटिंग शुरू हो चुकी हैं.

सूत्रों के अनुसार रणदीप हुडा ने पाकिस्तानी जेल में बंद सरबजीत के लुक में खुद को तैयार करके पैदल ही सेट पर पहुंचे, तो पहले गेट पर वाचमैन ने उन्हे नहीं पहचाना. किसी तरह से वह उसे समझाकर सेट पर पहुंचे और एक कोने में कुर्सी लेकर बैठ गए. फिल्म के निर्देशक उमंग कुमार ने उन्हे देखा पर यह पहचान नहीं पाए कि यह रणदीप हुडा ही है.

उमंग कुमार कुछ देर तक रणदीप हुडा का इंतजार करते रहे, फिर गुस्से में बड़बड़ाने लगे कि आज कल कलाकार भी सेट पर समय से नहीं पहुंचते हैं. धीरे धीर सभी कलाकार अनप्रोफेशनल होते जा रहे हैं. तब रणदीप ने भी चिल्लाकर एक कैदी की ही तरह जवाब दिया कि, ‘‘मैं कब से शूटिंग शुरू होने का इंतजार कर रहा हूं. पर आप ही आराम कर रहे हैं. तो मैं क्या करुं’’

रणदीप की आवाज सुनकर उमंग कुमार ने उन्हे पहचाना और उन्हे सरबजीत के लुक में देखकर हैरान रह गए. इसका जिक्र जब उमंग कुमार से चला तो उमंग कुमार ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा- ‘‘सच तो यही है कि मैने भी उन्हे सरबजीत के लुक में नहीं पहचाना था. एक कलाकार के तौर पर यह उनका अपने काम व अपनी कला के प्रति समर्पण व त्याग की मिसाल ही है. वह मैथिड एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस किरदार के लिए वह उससे भी कई कदम आगे बढ़ गए.

यूं तो रणदीप बहुत बेहतरीन कलाकार हैं, मगर सरबजीत का किरदार उनके करियर का सर्वाधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण किरदार है. उस दिन सेट पर जब मैने उन्हे नहीं पहचाना, तो मैं इस बात से संतुष्ट हो गया कि वह पूरी फिल्म में सरबजीत के किरदार के साथ भरपूर न्याय कर सकते हैं.’’

ज्ञात है कि फिल्म निर्माता संदीप सिंह, उमंग कुमार और वासु भगनानी तथा निर्देशक उमंग कुमार अपनी फिल्म ‘‘सरबजीत’’ का वर्ल्ड प्रीमियर 20 मई 2016 को ‘‘कान अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल’’ में करने की मंशा के साथ इस फिल्म को पूरा करने में जुटे हुए हैं.

 

घटिया गेंदबाजी ने डुबोई टीम इंडिया की लुटिया

ऑस्‍ट्रेलिया के हाथों भारत को लगातार दूसरी हार का सामना करना पड़ा. इस हार के पीछे भी गेंदबाजों की बड़ी भूमिका रही. गेंदबाजों ने जमकर रन लुटाये. स्पिनरों के दम पर उछलने वाली टीम इंडिया को इस विभाग में निराशा हाथ लगी. आर अश्विन ने दस ओवर की गेंदबाजी में 60 रन लुटाये और एक भी ऑस्‍ट्रेलियाई बल्‍लेबाजों को आउट नहीं कर सके.

तेज गेंदबाजों में एक-एक विकेट उमेश यादव और इशांत शर्मा को मिले, लेकिन दोनों ने इसके लिए जमकर रन खर्च किये. इशांत ने 10 ओवर में 60 रन देकर 1 विकेट लिये. वहीं उमेश यादव ने 10 ओवर की गेंदबाजी में एक विकेट लेकर सबसे अधिक 74 रन दिये. पहले मैच में सबसे अधिक तीन विकेट लेने वाले बरिंदर सरन को आज कोई भी विकेट नहीं मिल. एक विकेट रवींद्र जडेजा की झोली में आया.

टीम इंडिया की हार के और भी वजहें हैं आइये एक-एक कर जाने

1. फिंच,मार्श और स्मिथ ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की

ऑस्‍ट्रेलियाई बल्‍लेबाजों के आगे आज फिर भारतीय गेंदबाज बौने साबित हुए. पहले मैच में जीत के हीरो रहे कप्‍तान स्‍टीवन स्मिथ और बैली ने भारतीय गेंदबाजों की धुनाई तो की ही, इस मैच में अरोन फिंच और मार्श ने भी कोई कसर नहीं छोड़ा.  ऑस्‍ट्रेलिया की ओर से फिंच (71),मार्श (71) और बेली (76) ने अर्धशतक जमाया. वहीं कप्‍तान स्मिथ ने 46 रनों की पारी खेली.

2. भारत की कमजोर ओपनिंग

ऑस्‍ट्रेलिया की धरती में एक भारत की बड़ी पारी में से एक है. लेकिन इस स्‍कोर को और भी बढ़ाया जा सकता था, लेकिन भारत की ओपनिंग जोड़ी ने फिर निराश किया. रोहित शर्मा ने तो अपना काम बखूबी निभाया लेकिन शिखर धवन ने फिर निराश किया.

 3. धौनी की कप्‍तानी में सवाल

ऑस्‍ट्रेलिया में टीम इंडिया की लगातार दूसरी हार के बाद एक बार फिर से कप्‍तान महेंद्र सिंह धौनी की कप्‍तानी कटघरे में आ गयी है. मैदान में धौनी का कमाल आज भी देखने को नहीं मिला. हालांकि धौनी अपने गेंदबाजों की लचर प्रदर्शन से काफी निराश चल रहे हैं.

4. बेहद खराब फिल्डिंग, मार्श को चार जीवन दान

टीम इंडिया की हार के लिए सबसे बड़ी वजह खराब फिल्डिंग भी रही. टीम इंडिया के फिल्‍डरों ने आज कई कैच छोड़े. 71 रनों की पारी खेलने वाले मार्श को चार-चार बार जीवनदान मिला. भरतीय फिल्‍डरों ने मार्श के चार कैच छोड़े. सबसे पहले मार्श को 19 रन पर जीवन दान मिला. जडेजा की गेंद पर इशांत शर्मा ने आसान सा कैच छोड़ दिया. उसके बाद मार्श जक 22 के स्‍कोर पर बल्‍लेबाजी कर रहे थे तो इशांत की गेंद पर रहाणे ने कैच छोड़ा. मार्श को तीसरा जीवनदान 57 के स्‍कोर पर मिला. उमेश यादव की गेंद पर बरिंदर सरन ने मार्श का कैच छोड़ा. उसके बाद 69 के स्‍कोर पर मार्श का कैच मनीष पांडे ने छोड़ा. इस तरह से मार्श को लगातार जीवनदान मिलने से टीम की बूरी हार हुई.

सानिया-मार्टिना ने जीता सिडनी इंटरनेशनल खिताब

सानिया मिर्जा और मार्टिना हिंगिस की स्टार जोड़ी ने शुक्रवार को एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया है. इस जोड़ी ने डब्ल्यूटीए सिडनी इंटरनेशनल ओपन टेनिस टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर लिया. सानिया-हिंगिस ने यह मुकाबला एक घंटे, 13 मिनट में जीता.

भारतीय सनसनी सानिया मिर्जा और उनकी जोड़ीदार स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस ने अपना विजय अभियान जारी रखते हुए एक और खिताब अपनी झोली में डाल लिया. शीर्ष वरीय इंडो-स्विस जोड़ी ने शुक्रवार को लगातार 30वां मैच जीतने के साथ ही डब्ल्यूटीए सिडनी इंटरनेशनल ओपन टेनिस टूर्नामेंट का खिताब भी अपने नाम किया. दर्शकों के बीच "सानटिना" के नाम से मशहूर हो रही इस जोड़ी का यह इस सत्र का लगातार दूसरा खिताब है. सानिया-हिंगिस की जोड़ी फाइनल में कैरोलिन गार्सिया और क्रिस्टीना लादेनोविक की जोड़ी को 1-6, 7-5 10-5 से हराकर चैंपियन बनी. सानिया-हिंगिस ने यह मुकाबला एक घंटे, 13 मिनट में जीता.

एक समय इंडो-स्विस जोड़ी 1-6 से पहला सेट गंवाने के बाद दूसरे सेट में भी 1-4 से पीछे चल रही थी, लेकिन उसके बाद उन्होंने जबरदस्त खेल देखते हुए पहले स्कोर 5-5 किया और उसके बाद सुपर टाईब्रेकर में सेट अपने नाम कर लिया. यूएस ओपन और विम्‍बलडन चैंपियन जोड़ी ने तीसरे सेट में पहले 8-3 से बढ़त बनाई और फिर आसानी से मैच के साथ ट्रॉफी भी जीत ली. वहीं स्वेतलाना कुज्नेत्सोवा चैंपियन बन कर उभरीं. सिंगल्स खिताब रूस की स्वेतलाना कुज्नेत्सोवा ने जीता. कुज्नेत्सोवा ने फाइनल में प्यूर्टो रिको की मोनिका पूइग को आसानी से सीधे सेटों में 6-2, 6-0 से शिकस्त देकर चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया.

 

वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने से सिर्फ 19 रनों से चूके विराट कोहली

टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली शुक्रवार को वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने से महज 19 रनों से चूक गए. विराट के पास इसका शानदार मौका था, लेकिन वो दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 59 रनों पर रनआउट हो गए.

वनडे क्रिकेट में 7000 रन पूरे करने के लिए कोहली को 78 रनों की दरकार थी, लेकिन वो यह कारनामा करने से चूक गए. अगर वह गाबा पर ये रन जुटा लेते तो वह 7000 रनों तक सबसे कम पारियों में पहुंचने वाले बल्लेबाज बन जाते.

अब तक सबसे तेजी से 7000 रन बनाने का रिकॉर्ड दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स के नाम है. डिविलियर्स ने 166 पारियों में इतने रन जुटाए हैं. पर्थ में हुए पहले मैच में 91 रन बनाने वाले कोहली अब तक 168 मैचों में 160 पारियां खेली हैं. वह 50.89 के औसत से अब तक कुल 6981 रन बना चुके हैं. इसमें 23 सेंचुरी और 36 हाफसेंचुरी शामिल हैं.

कोहली के पास डिविलियर्स का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए अभी भी पांच पारियां हैं. सबसे तेजी से 7000 रन पूरे करने का मौजूदा रिकॉर्ड सौरव गांगुली के नाम है, जिन्होंने 174 पारियों में इतने रन बनाए हैं.

कोहली अगर गाबा मैदान पर 78 रन बनाने में सफल रहे तो वह 7000 या उससे अधिक वनडे रन बनाने वाले दुनिया के 36वें और भारत के 8वें खिलाड़ी बन जाएंगे.

कोहली से अधिक रन बनाने वाले भारतीयों में सचिन तेंदुलकर (18426), गांगुली (11363), राहुल द्रविड़ (10889), मोहम्मद अजहरुद्दीन (9378), महेंद्र सिंह धौनी (8850), युवराज सिंह (8329), वीरेंद्र सहवाग (8273) शामिल हैं.

 

फिल्म रिव्यू: दिलवाले

दिलवाले फिल्म को अगर आप ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे’ जैसी समझ कर देखने जाएंगे तो आप को निराशा हाथ लगेगी. फिल्म की विशेष बात यह है कि इस में शाहरुख खान और काजोल की रोमांटिक जोड़ी है, जो लगभग 6-7 साल बाद स्क्रीन पर साथसाथ नजर आई है. बाकी तो यह रुटीन मसाला फिल्म है जिस में खूब ऐक्शन है, गोलीबारी है, कौमेडी है. लेकिन एक बात है, फिल्मी कहानी होने के बावजूद यह फिल्म इसलिए बांधे रखती है क्योंकि यह काफी हद तक दर्शनीय है.

फिल्म देख कर लगता है निर्देशक रोहित शेट्टी ने अपनी पिछली कई फिल्मों के ही सीन दोहरा दिए हैं. हवा में गाडि़यों को उड़ाना, लंबेलंबे ऐक्शन सींस के बीच लवस्टोरी चलती रहती है. मगर एक कमी इस रोमांस में जरूर रह गई है. रोहित शेट्टी शाहरुख और काजोल की लव स्टोरी को ट्रैक पर लाने में कामयाब नहीं हुआ है. दोनों पासपास होते हुए भी दूरदूर लगते हैं. शाहरुख खान और रोहित शेट्टी का ओवर कौन्फिडैंस फिल्म को कमजोर बना गया है.

कहानी 2 भाइयों-राज (शाहरुख खान) और वीर (वरुण धवन) की है. वीर को गोआ में अपनी बहन माया (काजोल) के साथ रेस्तरां खोलने आई इशिता (कृति सेनन) से प्यार हो जाता है. वीर का बड़ा भाई राज मैकेनिक है और कारों को डिजाइनर बनाता है. राज को जब वीर और इशिता के प्यार के बारे में पता चलता है तो वह इशिता की बहन माया से मिलने उस के घर जाता है. वहां पहुंच कर राज का सामना अपने अतीत से होता है जिसे वह 15 साल पहले बुलगारिया में छोड़ आया था और अपने दोस्त शक्ति सिंह (मुकेश तिवारी),  अनवर (पंकज त्रिपाठी) व छोटे भाई वीर के साथ गोआ में नई जिंदगी शुरू करने आया था.

यहां कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है. बुलगारिया के अंडरवर्ल्ड डौन बख्शी (विनोद खन्ना) और देव मलिक में सोने की लूट को ले कर खूनी जंग चली थी. जंग में बख्शी का बड़ा बेटा काली (शाहरुख खान) भी शामिल था. बाद में काली ने अपना नाम बदल कर राज कर लिया था. मीरा देव मलिक की बेटी है. जंग में देव मलिक मारा जाता है. मीरा को लगता है काली ने ही उसे मारा है. अब 15 साल बाद माया और काली (अब राज) आमनेसामने हैं. उसे अपने पिता के बारे में सचाई मालूम पड़ती है. दोनों की लवस्टोरी फिर परवान चढ़ती है. माया अपनी बहन इशिता की शादी वीर से करने को राजी हो जाती है, साथ ही वह राज का हाथ थाम लेती है.

फिल्म की यह कहानी घिसीपिटी जरूर है मगर रोहित शेट्टी ने दमदार कौमेडी व ऐक्शन सींस से दर्शकों को कुछ हद तक बांधे रखने की कोशिश की है. शाहरुख और काजोल ने अपने पुराने किरदारों को बस निभा भर दिया है. ‘वरुण धवन गोविंदा की कौपी करता नजर आया. इशिता की भूमिका में कृति सेनन निराश करती है. जौनी लीवर ने दर्शकों को खूब हंसाया है. ऐसे कई फनी वन लाइनर्स हैं जिन्हें सुनते ही दर्शकों के चेहरे पर मुसकान आ जाती है. विनोद खन्ना और कबीर बेदी के किरदारों को जाया किया गया है.

फिल्म का गीतसंगीत कहानी के अनुकूल है. क्लाइमैक्स कुछ लंबा खिंच गया है. कहानी में उतारचढ़ाव काफी हैं, जिन्हें पचाना थोड़ा मुश्किल होता है. क्लाइमैक्स में एक बार फिर शाहरुख खान ने डौन किंग (बोमन ईरानी) की धुनाई कर के ऐक्शन किए हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. बुलगारिया की लोकेशनें सुंदर बन पड़ी हैं. कुल मिला कर फिल्म टाइमपास है.

फिल्म रिव्यू: बाजीराव मस्तानी

यह पीरियड फिल्म मराठी उपन्यासकार एन एस इनामदार के उपन्यास ‘राऊ’ पर आधारित है. संजय लीला भंसाली ने फिल्म को बनाने में 12 साल का वक्त लगाया. फिल्म बनाने से पहले उन्होंने इस ऐतिहासिक कहानी पर काफी रिसर्च की. लेकिन फिल्म बनाते वक्त उन्होंने काफी लिबर्टी ली है और बाजीराव पेशवा के किरदार को गढ़ने में काफी कुछ बदलाव किए हैं. उन्होंने फिल्म में महाराष्ट्रियन कल्चर को खूबसूरती से दिखाते हुए बाजीराव पेशवा के फिल्मी किरदार को जीवंत कर दिया है.

संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों में महंगे और आलीशान सैट्स लगाने व उन्हें भव्यता देने के लिए जाने जाते हैं. इस से पहले गुजराती पृष्ठभूमि पर बनी उन की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ के भव्य सैट काफी आकर्षक रहे थे.

‘बाजीराव मस्तानी’ एक प्रेम कहानी है. यह प्रेम या इश्क आज के जमाने का नहीं है. यह इश्क है अनारकलीसलीम जैसा, जिसे जिंदा चिनवा दिया गया, यह प्रेम है शीरींफरहाद जैसा, यह प्रेम है लैलामजनू जैसा. इस फिल्म में बाजीराव की प्रेमिका मस्तानी को भी अनारकली की तरह कैद किया जाता है. संजय लीला भंसाली ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि इश्क या प्रेम का कोई धर्म नहीं होता.

फिल्म की कहानी 17वीं शताब्दी की है. मराठा साम्राज्य का महान योद्धा पेशवा बाजीराव (रणवीर सिंह) अपने साम्राज्य का विस्तार करने में लगा हुआ था. उस की शादी काशीबाई (प्रियंका चोपड़ा) से हुई थी. एक दिन उस का सामना बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल (बेंजामिन गिलानी) की बेटी मस्तानी (दीपिका पादुकोण) से होता है. मस्तानी सुंदर तो है ही, तलवारबाजी और युद्धकौशल में भी पारंगत है. वह बाजीराव से मदद लेने आई है ताकि अपने राज्य को मुगल आक्रमणकारियों से बचा सके. बाजीराव लावलश्कर के साथ बुंदेलखंड जाता है और मुगल आक्रमणकारियों को खदेड़ देता है. युद्ध के दौरान बाजीराव और मस्तानी एकदूसरे के करीब आते हैं और मस्तानी बाजीराव से इश्क कर बैठती है. जातेजाते बाजीराव अपनी कटार मस्तानी को दे जाता है. मस्तानी मुसलिम राजपूत राजकुमारी है, जिन का विवाह कटार से भी होता था.

बाजीराव वापस चला जाता है. उस के अपने महल पहुंचते ही मस्तानी भी वहां पहुंच जाती है. राव की मां (तन्वी आजमी) मस्तानी से खफा होती है. लेकिन बाजीराव उसे अपनी पत्नी स्वीकार कर लेता है. पूरी पेशवाई में उस की बदनामी होती है. लाख कोशिशों के बाद भी राव मस्तानी को पत्नी का दरजा नहीं दिला पाता. उस की मां और भाई चिमाजी अप्पा (वैभव) को यह रिश्ता मंजूर नहीं होता. बाजी के युद्ध के मैदान में जाते ही उस की मां मस्तानी को कैदखाने में डाल देती है. राव को जब पता चलता है तो वह आपा खो देता है और अपने प्राण त्याग देता है. उधर मस्तानी भी छटपटाहट में अपने प्राण त्याग देती है. फिल्म की यह कहानी दुखांत है.

अकसर बौलीवुड में यह कहा जाता है कि फिल्म के अंत में अगर नायक और नायिका मर जाते हैं तो समझो फिल्म की भी मौत हो गई. मगर इस फिल्म को देख कर ऐसा लगता नहीं. यह कहानी भी उसी तरह की प्राचीन कहानियों जैसी है जिस में इश्क में डूब कर अपनी जान गंवानी पड़ती थी. संजय लीला भंसाली ने फिल्म को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उस का निर्देशन सधा हुआ है. गीतसंगीत, सिनेमेटोग्राफी, किरदारों के परिधान, उन का अभिनय, संवाद सभी कुछ उत्कृष्ट है. फिल्म जहां मोहब्बत की मिसाल पेश करती है वहीं बलिदान को भी दर्शाती है.

रणवीर सिंह ने पेशवा के किरदार को जीवंत कर दिया है. दीपिका पादुकोण ने अपने अभिनय से सब कलाकारों से बाजी मार ली है. उम्दा ऐक्ंिटग, बेहतरीन डांस और एक वीरांगना के तौर पर इस मस्तानी ने हर फ्रेम में अपनी छाप छोड़ी है. प्रियंका चोपड़ा ने एक समर्पित पत्नी के किरदार के साथ न्याय किया है. अन्य कलाकार भी अपनीअपनी भूमिकाओं में फिट हैं. फिल्म में पंडों के वर्चस्व को दिखाया गया है. 17वीं शताब्दी में भी पंडों का बोलबाला था. राजामहाराजाओं तक को उन्होंने अपनी मुट्ठी में कर रखा था. जराजरा सी बात पर वे बहिष्कार कर देने की धमकियां देते थे. यहां तक कि षड्यंत्र रच कर वे किसी का खून कर देने से भी नहीं चूकते थे. मस्तानी को षड्यंत्र रच कर इन्हीं पंडों ने मरवाने की कोशिश की.

किसी भी राजपाट में कई और तरह के षड्यंत्रों की गुंजाइश होती है, जिन्हें निर्देशक दिखाने से बचा रहा है. फिल्म की पटकथा कसी हुई तो है फिर भी कहींकहीं फिल्म भागती सी लगती है. फिल्म का गीतसंगीत अच्छा है. छायांकन तो बढि़या है ही.

‘बाजीराव मस्तानी’ के सैट भी देखने लायक हैं. इस के अलावा फिल्म का चित्रांकन इतनी खूबसूरती से हुआ है कि दर्शक मुग्ध हो कर देखते रहते हैं. मस्तानी महल और शनिवारवाड़ा की खूबसरत नक्काशी देखने लायक है. इस फिल्म के भव्य सैट्स और संवादों की तुलना ‘मुगलेआजम’ फिल्म से की जा रही है. युद्ध के दृश्य तो देखने लायक हैं.

क्या आपको दिल, दिमाग और दांत चाहिए…?

मैडिकल साइंस में जब से मानव अंगों का सफल ट्रांसप्लांटेशन हुआ है तब से प्रत्यारोपित अंगों की मांग बढ़ गई है लेकिन आज भी इन अंगों को दान करने वालों की भारी कमी है. अब वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी खोज की है कि इन अंगों को जरूरत के अनुसार प्रिंटर से प्रिंट कर सकेंगे. प्रिंटर से ही जीवित दिल और रक्त वाहिकाएं मिल जाएंगी. यह सब आने वाले दिनों में संभव हो सकेगा क्योंकि 3 डी बायो प्रिंटर की खोज वैज्ञानिकों ने कर ली है.

अमेरिकन कंपनी आर्गेनोवो ने यह 3 डी प्रिंटर बनाने की शुरुआत कर दी है. अभी तक इस की मदद से केवल रक्तशिराएं बनाने का काम चल रहा है, जो दिल की बाईपास सर्जरी में काफी मददगार हो रही है. वैज्ञानिकों का विश्वास है कि इसी प्रिंटर की मदद से अगले 10 सालों में दांत और हड्डियों को भी प्रिंट किया जा सकेगा. यह तकनीकी 3 डी प्रिंटर के समान ही है. बस, केवल अंतर इतना है कि सामान्य 3 डी प्रिंटर में प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है, इस बायो प्रिंटर में प्लास्टिक की जगह ऊतकों का प्रयोग होता है.

अब स्क्रीन बन जाएगी आप की ड्रैस

हौलीवुड की साइंस फिक्शन मूवीज में आप ने फोल्डिंग स्क्रीन कंप्यूटर, स्किन स्क्रीन और कई नायकनायिकाओं को ऐसी ड्रैस पहने देखा होगा जो जरूरत पड़ने पर टच स्क्रीन में बदल जाती हैं. फिल्मों में ऐसा वीएफएक्स तकनीक और स्पैशल इफैक्ट की मदद से किया जाता है. पर अब गूगल ऐसे स्मार्ट फैब्रिक वाले कपड़ों को मार्केट में लाने की तैयारी में है जो जरूरत पड़ने पर टच स्क्रीन में बदल जाएंगे.

गूगल के एडवांस्ड टैक्नोलौजी ऐंड प्रोजैक्ट्स यानी एटीएपी प्रयोगशाला के ‘प्रोजैक्ट जैकार्ड’ के तहत जिन धागों का विकास किया जा रहा है वे टच सैंसेटिव और मजबूत दोनों होंगे, ताकि उन से कोई भी कपड़ा बनाया जा सके. टच सैंसेटिव धागों में पतले, मिश्र धातुओं को कपास या रेशम के मानक धागों के साथ मिलाया जाएगा.

सुचालक धागे, टच और जैस्चर सैंसेटिव क्षेत्रों को कपड़े की निश्चित जगहों पर बुना जा सकता है जिन का जरूरत के अनुसार टच स्क्रीन की तरह उपयोग किया जा सकता है. गूगल के इस कपड़े से बना परिधान एक चलतेफिरते कंप्यूटर के समान होगा. इस फैब्रिक से कपड़े बनाने में डेनिम कपड़े बनाने वाली कंपनी लिवाइस ने दिलचस्पी दिखाई है.

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