दिलवाले फिल्म को अगर आप ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे’ जैसी समझ कर देखने जाएंगे तो आप को निराशा हाथ लगेगी. फिल्म की विशेष बात यह है कि इस में शाहरुख खान और काजोल की रोमांटिक जोड़ी है, जो लगभग 6-7 साल बाद स्क्रीन पर साथसाथ नजर आई है. बाकी तो यह रुटीन मसाला फिल्म है जिस में खूब ऐक्शन है, गोलीबारी है, कौमेडी है. लेकिन एक बात है, फिल्मी कहानी होने के बावजूद यह फिल्म इसलिए बांधे रखती है क्योंकि यह काफी हद तक दर्शनीय है.
फिल्म देख कर लगता है निर्देशक रोहित शेट्टी ने अपनी पिछली कई फिल्मों के ही सीन दोहरा दिए हैं. हवा में गाडि़यों को उड़ाना, लंबेलंबे ऐक्शन सींस के बीच लवस्टोरी चलती रहती है. मगर एक कमी इस रोमांस में जरूर रह गई है. रोहित शेट्टी शाहरुख और काजोल की लव स्टोरी को ट्रैक पर लाने में कामयाब नहीं हुआ है. दोनों पासपास होते हुए भी दूरदूर लगते हैं. शाहरुख खान और रोहित शेट्टी का ओवर कौन्फिडैंस फिल्म को कमजोर बना गया है.
कहानी 2 भाइयों-राज (शाहरुख खान) और वीर (वरुण धवन) की है. वीर को गोआ में अपनी बहन माया (काजोल) के साथ रेस्तरां खोलने आई इशिता (कृति सेनन) से प्यार हो जाता है. वीर का बड़ा भाई राज मैकेनिक है और कारों को डिजाइनर बनाता है. राज को जब वीर और इशिता के प्यार के बारे में पता चलता है तो वह इशिता की बहन माया से मिलने उस के घर जाता है. वहां पहुंच कर राज का सामना अपने अतीत से होता है जिसे वह 15 साल पहले बुलगारिया में छोड़ आया था और अपने दोस्त शक्ति सिंह (मुकेश तिवारी), अनवर (पंकज त्रिपाठी) व छोटे भाई वीर के साथ गोआ में नई जिंदगी शुरू करने आया था.
यहां कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है. बुलगारिया के अंडरवर्ल्ड डौन बख्शी (विनोद खन्ना) और देव मलिक में सोने की लूट को ले कर खूनी जंग चली थी. जंग में बख्शी का बड़ा बेटा काली (शाहरुख खान) भी शामिल था. बाद में काली ने अपना नाम बदल कर राज कर लिया था. मीरा देव मलिक की बेटी है. जंग में देव मलिक मारा जाता है. मीरा को लगता है काली ने ही उसे मारा है. अब 15 साल बाद माया और काली (अब राज) आमनेसामने हैं. उसे अपने पिता के बारे में सचाई मालूम पड़ती है. दोनों की लवस्टोरी फिर परवान चढ़ती है. माया अपनी बहन इशिता की शादी वीर से करने को राजी हो जाती है, साथ ही वह राज का हाथ थाम लेती है.
फिल्म की यह कहानी घिसीपिटी जरूर है मगर रोहित शेट्टी ने दमदार कौमेडी व ऐक्शन सींस से दर्शकों को कुछ हद तक बांधे रखने की कोशिश की है. शाहरुख और काजोल ने अपने पुराने किरदारों को बस निभा भर दिया है. ‘वरुण धवन गोविंदा की कौपी करता नजर आया. इशिता की भूमिका में कृति सेनन निराश करती है. जौनी लीवर ने दर्शकों को खूब हंसाया है. ऐसे कई फनी वन लाइनर्स हैं जिन्हें सुनते ही दर्शकों के चेहरे पर मुसकान आ जाती है. विनोद खन्ना और कबीर बेदी के किरदारों को जाया किया गया है.
फिल्म का गीतसंगीत कहानी के अनुकूल है. क्लाइमैक्स कुछ लंबा खिंच गया है. कहानी में उतारचढ़ाव काफी हैं, जिन्हें पचाना थोड़ा मुश्किल होता है. क्लाइमैक्स में एक बार फिर शाहरुख खान ने डौन किंग (बोमन ईरानी) की धुनाई कर के ऐक्शन किए हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. बुलगारिया की लोकेशनें सुंदर बन पड़ी हैं. कुल मिला कर फिल्म टाइमपास है.