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मारुति ने पेश की इगनिस और बलेनो आरएस

मारुति सुजुकी ने दूसरे दिन प्रीमियम हैचबैक सेग्मेंट में कॉन्सेप्ट कार इगनिस और बलेनो का नया वर्जन पेश किया है. इगनिस को मारुति ने हैचबैक सेग्मेंट में पेश किया है. वहीं बलेनो का नया वर्जन बलेनो आरएस होगा. कंपनी दोनों कारें इसी साल फेस्टिव सीजन में लॉन्च करेगी. कंपनी की ये दोनों कारें उसके नेक्सा डीलरशिप नेटवर्क पर उपलब्ध होंगी.

नई बलेनो में क्या है खास  
बलेनो की सफलता को देखते हुए मारुति सुजुकी ने इसका नया वर्जन बलेनो आरएस लॉन्च किया है. इसमें 1.0 बूस्टर जेट डायरेक्ट इंजेक्शन टर्बो का इस्तेमाल किया गया है. कंपनी के अनुसार, नई बलेनो स्पोर्टी वर्जन में बाजार में आएगी. इसके अलावा नई बलेनो पुरानी की तुलना में कहीं ज्यादा हल्की और सुरक्षित होगी. बलेनो आरएस भी प्रीमियम हैचबैक सेग्मेंट में होगी. बलेनो आरएस की कीमत 7-9 लाख रुपए के बीच हो सकती है.

इगनिस में क्या है खास
इगनिस 4 मीटर से छोटी कार है, जो हैचबैक सेग्मेंट की कार होगी. मारुति ने इसे हैचबैक क्रॉस एसयूवी का नाम दिया है. यानी ऐसी कार जो हैचबैक (छोटी कार) होगी, लेकिन उसका लुक एसयूवी जैसा होगा. इस मौके पर मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर केनिची आयुकावा ने कहा कि कॉन्सेप्ट इगनिस और कॉन्सेप्ट बलेनो मारुति के थर्ड जेनरेशन कस्टमर को अट्रैक्ट करेगी.

– इगनिस को स्मार्ट कॉमपैक्ट अरबन कॉनसेप्ट व्हीकल के रुप में पेश किया गया है

– नए जेनरेशन प्लेटफॉर्म पर डेवलप

– हाई ग्राउंड क्लीयरेंस

– संभावित कीमत: 5 लाख रुपए से हो सकती सकती है शुरूआत

न्यू जेनरेशन प्लेटफॉर्म भी लांच
कंपनी ने इसके अलावा न्यू जेनरेशन प्लेटफॉर्म भी पेश किया है, जो कंपनी के मौजूदा प्लेटफार्म से कहीं ज्यादा हल्का और मजबूत होगा. मारुति सुजुकी इगनिसऔर बलेनो आरएस दोनों को न्यू जेनरेशन प्लेटफॉर्म पर ही लॉन्च करेगी. इसके अलावा कंपनी ने 1.0 बूस्टर जेट डायरेक्ट इंजेक्शन टर्बो को भी लॉन्च किया है.

 

दिल्ली प्रेस की पत्रिका ‘मोटरिंग वर्ल्ड’ से साभार

www.motoringworld.net

झांसी: अपने इतिहास के लिए चर्चित एक शहर

झांसी शहर अपने इतिहास के लिए प्रसिद्ध है और इसे नाम व मान देने में रानी लक्ष्मीबाई ने अहम भूमिका अदा की थी. रानी लक्ष्मीबाई ने हाथ में तलवार ले कर अंगरेजों के दांत खट्टे कर दिए थे और जीतेजी फिरंगियों को किले में घुसने नहीं दिया. आज भी बच्चे इन पंक्तियों को बड़े ही गर्व से गाते हैं :

‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.

झांसी दिल्ली से करीब 415 किलोमीटर दूर है20.7. यह शहर लगभग  वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां का नजदीकी हवाई अड्डा ग्वालियर है जो  किलोमीटर की दूरी पर है.

नेशनल हाइवे 25 और 26 से जुड़ा यह शहर अपनी ऐतिहासिक लोकप्रियता के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

दर्शनीय स्थल

किला : झांसी का ऐतिहासिक किला ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव ने 1610 में बंगरा की पहाड़ी पर बनवाया था, जो आज भी अपनी पहले की स्थिति में मौजूद है जबकि 1857 में इस किले पर अंगरेजों ने गोले बरसाए थे. झांसी का किला और इस से संबंधित झांसी राज्य 18वीं शताब्दी में मराठों के हाथ में चला गया था. मराठों के अंतिम शासक गंगाधर राव थे, जिन की मौत 1853 में हुई थी. उन के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने शासन की बागडोर संभाली थी.

किले में रखी ‘भवानी शंकर’ और ‘कड़क बिजली’ नामक अष्टधातु की बनी तोपें लक्ष्मीबाई की वीरता की याद ताजा करती हैं. झांसी के दुर्ग का भीतरी भाग आकर्षक एवं दर्शनीय है. झांसी का किला आज भी अपने कल के वैभव का प्रतीक है.

रानी महल : शहर के बीच रानी महल का निर्माण महाराज रघुनाथ राव और महारानी लक्ष्मीबाई के समय में हुआ था. रानी महल का पुराना नाम ‘बाई साहब की हवेली’ था. इस महल की रंगबिरंगी पच्चीकारी, चित्रकारी और कला के नमूने आज भी मौजूद हैं जिन्हें देख कर अतीत की शिल्पकला का एहसास होता है. बड़ीबड़ी ढलानों की मेहराबों पर पत्थर की कारीगरी प्राचीन शिल्प को सुरक्षित रखे हुए है. अंगरेजों के खिलाफ अपने सरदारों में विद्रोह की भावना रानी के इसी महल में भरी थी. रानी महल में पुरातत्त्व विभाग का संग्रहालय है जिस में बुंदेलखंड के चांदपुर एवं दुहाई स्थलों से लाई गई मूर्तियां हैं. यह महल शहर के बीचोंबीच स्थित है.

संग्रहालय : यहां पर हथियार, मूर्तियां, राजसी कपड़े, चित्र आदि देखने को मिलते हैं जो स्वयं इतिहास की कहानी कहते हैं.

बीरबल भवन : इस महल में कभी अकबर के 9 रत्नों में एक बीरबल रहा करते थे.

महागठबंधन में नये बंधन

महागठबंधन के जरिये बिहार में सत्ता बचाने वाले जनता दल यूनाइटेड यानि जदयू ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी महागठबंधन बनाने की कवायद शुरू कर दी है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने जदयू नेताओं की बैठक में इस मसले पर विचार विमर्श किया. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश निरंजन ‘भैया जी’ ने बताया कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही दूर हो पर जदयू ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. जदयू का प्रयास होगा कि वोटों को बिखरने से रोका जाये. बिहार में महागठबंधन तोडने वाले समाजवादी पार्टी प्रमुख के नेता मुलायम सिंह यादव के प्रति जदयू की तल्खी बरकरार है.

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने सापफतौर से कहा कि उत्तर प्रदेश में बनने वाले महागठबंधन में सपा नेता मुलायम का कोई रोल नहीं होगा. महागठबंधन से बाहर जाकर मुलायम ने खुद दरवाजे बंद कर लिये हैं. जदयू को यह पता है कि बिहार की तरह उत्तर प्रदेश की राह आसान नहीं है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में वोटों का बिखराव रोकने के लिये सपा और बसपा का साथ होना जरूरी होगा. यह दोनो ही दल महागठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकते. कांग्रेस इस महागठबंधन की मुख्य धुरी बन सकती है. कांग्रेस के साथ जदयू और राजद यानि लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल, चौधरी अजीत सिंह का लोकदल महागठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं. कांग्रेस जिस तरह से क्षेत्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी को रोकने का काम कर रही है उससे साफ लगता है कि उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन के मजबूत प्रयास होंगे. उत्तर प्रदेश में बहुत उलझे और जटिल मुद्दे हैं. विधानसभा की चुनावी लडाई तीन दलों सपा-बसपा और भाजपा में मुख्य मुकाबला होगा. ऐसे में अगर महागठबंधन इस मुकाबले में हिस्सेदारी बनाने में सफल हो गया तो वह लडाई को किसी भी तरफ मोडने में सफल हो सकता है.

उत्तर प्रदेश के वर्तमान हालात किसी भी दल के पक्ष में नहीं हैं. सपा सरकार के बहुत सारे उपायों के बाद भी जनता में सरकार के कामकाज से कोई खुश नहीं है. भाजपा के पक्ष में लोकसभा चुनावों में जो हवा बनी थी वह अब कमजोर पड चुकी है. मायावती की बसपा के पक्ष में भी कोई लहर नहीं है. ऐसे में अगर महागठबंधन सही नेता और गठजोड के सहारे विधानसभा चुनावों में लडाई को लडती है तो उसे भी सीधी लडाई में शामिल होने का मौका मिलेगा.

कांग्रेस पर ऐसी लडाई के सहारे ही भाजपा को चित्त करना चाहती है ऐसे में उसका अनुभव छोटे दलों के लिये मददगार साबित हो सकता है. उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले गठबंधन के गणित को कांग्रेस पश्चिम बंगाल, असम, केरल और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में परखना चाहती है. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस विरोध की आंधी का वेग धीरे धीरे कम हो रहा है. कांग्रेस इसका लाभ उठाकर भाजपा के खिलापफ नये गठजोड लाकर राजनीतिक सफलता हासिल करने की फिराक में है.

शराब मुक्त बंगाल की मांग

मौद मुक्त बांग्ला चाई – यानि शराब मुक्त बंगाल चाहिए – के नारे के साथ कोलकाता की सड़कों पर बड़ी संख्या में महिलाएं उतरी. शराब मुक्त बंगाल की मांग को लेकर सड़क पर उतरी महिलाओं में ज्यादातर निम्न और निम्न-मध्य वर्ग की महिलाएं ही बड़ी तादाद में थी. लेकिन जुलूस में इन वर्गों की हर उम्र की महिलाओं ने भाग लिया. जाहिर है ये महिलाएं पहले शराब की सतायी हैं और फिर शराब के लिए पतियों के अत्याचार से. शराब ने सिर से छत छीन लिया, बच्चों को भूखा रहने को मजबूर किया – ऐसी महिलाओं ने इस जुलूस-प्रदर्शन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. पार्क सर्कस से लेकर बऊबाजार आबकारी विभाग तक जुलूस-प्रदर्शन किया. इस जुलूस का आयोजन वेलफेयर पार्टी औफ इंडिया नाम संगठन ने किया था.

जुलूस में शामिल विभा मंडल ने बताया कि वह सुबह से शाम तक लोगों के घरों में बर्तन-चौका और कपड़े धोने का काम करके किसी तरह घर चलाती है. लेकिन शाम को घर पहुंचते ही बेरोजगार पति शराब के लिए पैसे मांगता है. आनाकानी करने पर मारता-‍पीटता है. एक बार तो पैसे न देने पर पांच साल की बेटी को बेचने का जुगाड़ तक कर लिया. इसके बाद पति के साथ न रहने का माला ने मन बना लिया. अब वह अपनी बेटी के साथ मायके में रहती है.

शकिना बेगम के पति को गुजरे 12 साल हो गए. तबसे तीन बेटे और दो बेटियों को बीड़ी बना कर शकिना ने किसी तरह बड़ा किया. गनीमत थी कि मध्य कोलकाता की एक बस्ती (झोपड़पट्टी इलाका) उसका अपना घर था. लेकिन बड़ा होने के साथ बेटों ने शराब पीना शुरू किया. पहले कभी-कभार पीता था. अब शराब की लत लग चुकी है. आए दिन मां से झगड़ा करता पैसों के लिए. शराब का खर्च जुगाड़ने के लिए एक दिन पता चला कि दोनों बेटों ने मिलकर घर बेच दिया. मुहल्ले के क्लब के पास गुहार लगाने गयी. लेकिन क्लब वालों ने कानूनी रास्ता अपनाने का सुझाव दिया. शकिना ने इसके लिए भी थोड़ी भाग-दौड़ की. चूंकि यह उसके बस का नहीं था, इसीलिए तीन बेटियों के लेकर किराए की खोली में उसे जाना पड़ा.

मोलीना सरदार का पति चोलाई (एक प्रकार का देसी शराब) पीने का आदि था. एक दिन जहारीली चोलाई शराब ने उसकी जान ले ली. इसके बाद ससुरालवालों ने बच्चों के साथ उसका घर में टिकना वैसे ही मुहाल कर दिया था, पति के बाद देवर भी उसी राह चल पड़ा. हर रोज शराब के लिए पैसे मांगता. शर्त रखी कि या तो वह हर रोज उसे बीस रुए दे, नहीं तो घर छोड़ कर जाए. सास-ससुर ने भी उसका साथ नहीं दिया. हार कर उसे घर से बाहर निकालना ही पड़ा.

विभा मंडल, मोलीना और ‍शकिना बेगम की तरह और भी बहुत सारी महिलाओं ने शराब मुक्त बंगाल के लिए हाथ में प्लेकार्ड लेकर एक-दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाया. नारा लगाया – मौद संत्रास दूर करो, दूध-मधूते बांग्ला मौरो! (शराब का आंतक दूर करो, दूध-शहद की धारा बंगाल में बहोने दो.)

मोलीना का कहना है कि यह अकेले दो-चार महिलाओं की समस्या नहीं है. किसी भी तरह का शराब- चाहे वह देसी हो या विलायती- हर घर में महिलाओं का जीना इस शराब ने मुहाल कर दिया है. शराब का खर्च जुगाड़ने के लिए कुछ लड़के तो चोरी-चकारी तक कर रहे हैं. पहले बस्ती में और फिर बस्ती के बाहर ‘भद्रलोक’ के घरों में भी चोरी करते हैं.

आयोजक संगठन वेलफेयर पार्टी औफ इंडिया के सदस्य मो. सुजाउद्दीन का कहना है कि आजकल शराब बेचने का लाइसेंस बहुत आसानी से मिल जाता है. इस कारण कुकरमुत्ते की तरह शराब के दूकान खुल रहे हैं. हर गली मुहल्ले में एकाध शराब का ठेका या दूकान मिल ही जाएगी. इलाके में गरीब बच्चों के लिए एक अदद स्कूल हो या न हो; लेकिन शराब की दुकान जरूर मिल जाती है. इसके अलावा बगैर लाइसेंस वाली शराब की दुकाने भी हैं. ऐसा कोलकाता और उसके आसपास के उपनगरों की ही नहीं, राज्य के उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक के जिलों में शराब समस्या बन गयी है और इसका सबसे बड़ा खामियाजा परिवार की महिलाओं और बच्चों को उठाना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न जिलों के गांव-देहातों में आबादी का एक खासा बड़ा हिस्सा किसान है या खेतिहार मजदूर. उसके बाद आबादी का एक बड़ा हिस्सा कारखानों में मजदूरी करता है. जाहिर है इनकी कमाई कुछ खास नहीं है. लेकिन जो भी और जितनी भी कमाई है, उसका ज्यादा हिस्सा हर रोज शराब में जाया हो जाता है. सुजाउद्दीन कहते हैं कि युवा समाज को शराब के नशे की लत से बचाने के लिए सरकार को आगे आना होगा. थोक के भाव लाइसेंस देने की नीति पर लगाम लगाना जरूरी है. यही बात सरकार के कानों तक पहुंचाने और समाज में शराबबंदी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए वेलफेयर पार्टी औफ इंडिया ने यह कदम उठाया है.

गौरतलब है कि बिहार में नीतीश कुमार ने भी शराबबंदी की घोषणा की थी. लेकिन इसको लेकर बड़े पैमाने पर विरोध भी सामने आया. लेकिन अब तक की खबर के मुताबिक बिहार में अप्रैल से देसी शराब बंद हो जाएगी. विदेशी शराब सरकारी निगरानी में बिकेगी. अप्रैल में बंगाल में विधानसभा चुनाव होने है. अब देखना है कि ममता बनर्जी क्या कदम उठाती हैं.

सशक्त नारी की सही परिभाषा

पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी जीवन में आगे बढ़ना, विकास करना आकर्षित करता है. उन्हें भी सपने देखने व उन्हें हकीकत में बदलने का अधिकार है. वे भी घररूपी पिंजरे से बाहर निकल कर खुले आसमान में उड़ना और चहकना चाहती हैं. वे भी परिश्रम कर ऊंचाइयां छूना चाहती हैं.

आज हर नारी का सफलता के आसमान में सूरज बन कर चमकने का अरमान है. ऐेसे में यह जरूरी है कि अपने परिवार, समाज में खुद के लिए सोचने व काम करने के लिए औरतों को पुरुषों के बराबर अवसर मिलें.

स्पर्धा व संघर्ष की रोक में औरत

आज सभी इस बात से अवगत हैं कि समाज में स्पर्धा का जोर है. जिसे देखो वही दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगा है. गुजराती लेखक हरींद्र दवे ने क्या खूब लिखा है:

‘‘एक रज सूरज बनने को बेचैन,

उदय में जा उड़े, पल भर में अस्त हो चले.’’

आज दुनिया कितनी भी आगे क्यों न निकल गई हो औरत को प्रोफैशनल लैवल पर कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. समाज, घरपरिवार में भी मानसिक सोच, विचार भेद, स्वतंत्रता बाबत बातें झेलनी पड़ती हैं. इतनी रुकावटों के बावजूद औरत मानसिक रूप से पुरुषों से कई गुना मजबूत व सशक्त होती है. वह किसी भी हालात से जूझना जानती है, अपने बूते समस्या का समाधान निकाल लेती है. प्रस्तुत हैं, आज की औरत के व्यक्तित्व की 3 खूबियों पर एक सकारात्मक दृष्टिकोण:

बोल्डनैस

प्राचीनकाल से ही औरत को अबला व कमजोर समझा जाता रहा है, जबकि सचाई यह है कि वह प्राचीन समय से सशक्त व्यक्तित्व की स्वामिनी रही है और इस के कई उदाहरण हमारे इतिहास में मौजूद हैं. झांसी की रानी, कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, विजया लक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली जैसी और न जाने कितनी महिलाएं समाज और महिलाओं के लिए मार्गदर्शक बनीं. इन का नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है.

वर्तमान समय की ही बात करें तो सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, बिजनैस वूमन इंद्रा नूई, मैरी कौम, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण आदि ने अपनी अलग सोच व किसी भी मुद्दे पर बेबाक अपनी बात समाज के सामने रख कर दुनिया में भारत को गौरव दिलाया है.

ब्राइटनैस

ब्राइटनैस आधुनिक नारी के व्यक्तित्व का सबल गुण है. ब्राइट यानी तेज. यह एक ऐसा गुण है, जो दूसरों को प्रभावित करता है. आज की नारी अपनी चपलता और तेजस्विता से सभी को प्रभावित कर रही है. ज्ञान का दूसरा नाम है प्रतिभा और प्रतिभा यानी तेज. आज नारी का ज्ञान आसमान छू रहा है. समाज में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ मुहिम जोरों पर है. पहले मातापिता अपनी बेटियों को ‘पराई अमानत’, ‘पराया धन’ कह कर नहीं पढ़ाते थे. कहते थे कि लड़कियां पढ़लिख कर क्या करेंगी? उन्हें तो पराए घर जा कर घर का काम ही तो करना है? परंतु आज इस पुरानी सोच व हालात में परिवर्तन आया है. लड़कों की तुलना में लड़कियां ज्यादा गंभीरता से शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. फिर अब मातापिता भी इस बात को बखूबी समझने लगे हैं कि अगर लड़कियां पढ़ीलिखी होंगी तो उन की घरगृहस्थी भी सुचारु चलेगी.

ब्रेन विद ब्यूटी

अपनी सुंदरता व बुद्धि से आज नारी स्वयं को हर क्षेत्र में साबित कर रही है. किसी भी महिला के व्यक्तित्व की यह खासीयत होती है कि वह अपने विकास के साथसाथ अपने साथ जुड़े हर व्यक्ति को भी प्रगति के पथ पर ले कर चलती है. ब्यूटी के 2 प्रकार कहे जा सकते हैं- बाह्य और आंतरिक. नारी में कुदरती रूप से किसी भी व्यक्ति को समझने की शक्ति होती है. पुरुषों की तुलना में महिलाएं किसी भी समस्या का हल आसानी से निकाल सकती हैं. तभी तो कहा गया है कि एक मां सौ शिक्षकों के बराबर होती है.

आज देश में असहिष्णुता, कट्टरवाद, असंवेदनशीलता जैसे विषयों पर खूब बहसें और हंगामे हो रहे हैं. हमारे देश में प्राचीनकाल से ही मां का अपने बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सब से ज्यादा योगदान रहा है. अगर महिलाएं ठान लें तो वे कोई भी मुश्किल काम कर सकती हैं. अगर हमें भावी पीढ़ी को समाज के प्रति संवेदनशील, सहिष्णु बनाना है तो हमें भी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मुहिम में भागीदार बनना होगा. सशक्त महिलाएं ही समाज को सही राह दिखाने व सामाजिक मूल्यों को बरकरार रखने में सहायक हो सकती हैं.

भेदभाव की संस्कृति

हैदराबाद में रोहित वेमुला द्वारा आत्महत्या किए जाने के कारण उठे तूफान पर अगर आश्चर्य होना चाहिए तो सिर्फ यह कि आखिर गांवों के मजदूर दलितों की इतनी हिम्मत हो गई है कि वे अपने को बराबर का समझने लगे हैं. हमारा समाज 2 तरह से बंटा हुआ है. एक, पैसे से और दूसरा, जन्म से. एक तीसरा विभाजन धर्म का भी है पर वह असल में जन्म के विभाजन से जुड़ा है क्योंकि भारत के अधिकांश मुसलिम, ईसाई, बौद्ध, सिख उन जातियों से धर्मपरिवर्तन कर के बने हैं जिन्हें हिंदू धर्म की मुख्य ताकतवर धारा पिछले जन्मों के पापों का फल भोगने का अपराधी मानती है.

इस सोच के उदाहरण हर शहर में दिख जाएंगे. जब हैदराबाद का मामला सुर्खियों में था तभी दिल्ली के बाबुओं और साहबों के क्लब जिमखाना में एक सदस्य के मेहमानों को खाना परोसने से इनकार कर दिया गया क्योंकि मेहमान उस की घरेलू नौकरानियां और ड्राइवर थे. मोहिनी गिरि, जो कभी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष थीं, अपनी संस्था गिल्ड औफ सर्विस के पदाधिकारियों को खाना खिलाने ले गई थीं और तब प्रबंधकों ने आपत्ति की थी.

पैसे की ऊंचनीच को समझा जा सकता है. एक ही घर के कुछ लोग बेहद अमीर और कुछ गरीब हो सकते हैं. पर जन्म से दिए गए भेदभाव का कुछ नहीं किया जा सकता. रोहित वेमुला पढ़ने में होशियार हो, जनरल कैटेगरी से प्रवेश पा कर पढ़ रहा हो पर उस के साथ सामाजिक भेदभाव होगा ही. ऐसा हर दफ्तर में हो रहा है. सरकारी सेवाओं में ऐसाroh जम कर हो रहा है जहां आरक्षण के कारण कल के अछूत अब सचिव स्तर तक पहुंच गए हैं. न्यायपालिका में कितने ही आरक्षणप्राप्त जज शिकायतें करते नजर आ रहे हैं.

200 साल की तार्किक शिक्षा, सभ्यता, बराबरी के सिद्धांतों की दुहाई, लोकतंत्र, बराबरी आदि के बखानों के बावजूद देश में खाई उसी तरह मौजूद है. करोड़पति दलित यह जानते हैं कि उन का हजारपति ब्राह्मण कर्मचारी उन्हें हेय दृष्टि से देखता है. मोहिनी गिरि ने जिमखाना क्लब की 60 साल की सदस्यता के बाद सवाल उठाया क्योंकि उन्हें भुगतना पड़ा, वरना इस देश का सिद्धांत हो गया है कि जन्मजात भेदभाव को आंख मूंद कर मान लो. इस का विरोध करने की हिम्मत न समाजवादियों में है न कम्युनिस्टों में. साहित्यकारों में कुछ को दर्द का अनुभव होता है पर वे समाज की धारा को बदलने में असमर्थ हैं. इस बात को वे बहुत जल्द ही समझ जाते हैं. यही भेदभाव समाज को जर्जर बना रहा है. हमारी राजनीति गंदगी की दलदल है क्योंकि यहां लोग सेवा करने नहीं, मेवा कमाने आते हैं. शासक हमेशा अपने को ऊंचे कुल में जन्म लिया हुआ मानते रहे हैं. जिन कबीलों के मुखियाओं ने तलवार के बल पर कभी ताकत और सत्ता पा ली, वे भी ब्राह्मणों को खिलापिला कर अपना संस्कृतिकरण कराने में लगे रहे हैं. रोहित वेमुला और मोहिनी गिरि की कोई सुनेगा, इस में संदेह है.

आपस में बातें करेंगी कारें

हौलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों या फिर कार्टून फिल्मों में आप ने गाडि़यों को एकदूसरे से बातें करते हुए अवश्य देखा होगा, लेकिन अब फिल्मों में ही नहीं बल्कि हकीकत में भी ऐसी कारों का निर्माण हो रहा है जो आपस में बातें करेंगी. अमेरिका के नियामक विभाग ने यहां ‘व्हीकल टू व्हीकल कम्युनिकेशन टैक्नोलौजी’ को मान्यता दे दी है. अत: जल्द ही अमेरिका की सड़कों पर ऐसी कारें नजर आएंगी जो आपस में बात कर सकेंगी. यहां गाडि़यां आपस में सेफ्टी डाटा ऐक्सचैंज कर पाएंगी. अपनी स्पीड और जगह के बारे में दूसरी गाडि़यों को सूचना देंगी, जिस से इन के बीच किसी भी टक्कर या दुर्घटना से बचा जा सके.

गाडि़यों में वायरलैस डिवाइस लगे होते हैं, जो ड्राइवर को दुर्घटना के बारे में सचेत करते हैं. यह मोड़ पर सामने से आने वाली दूसरी गाडि़यों की जानकारी देते हैं या वहां पर गाड़ी पहले से खड़ी है, तो आगाह करते हैं. लेन चेंज में गाडि़यां संवाद करने में सक्षम होंगी, जिस से हादसे टाले जा सकें. इस से गाडि़यों में पीछे से टक्कर या चौराहों पर गाडि़यों के भिड़ने की संख्या में भी कमी आएगी. अमेरिकी परिवहन विभाग ने वर्ष 2012 में तकनीक परीक्षण के बाद इसे मान्यता दे दी है.

यह तकनीक आप को सिर्फ दूसरी गाडि़यों से बातचीत करने में ही सहायता करेगी. इस से औटोमैटिक ब्रैक लगाने या गाड़ी चलाने में कोई मदद नहीं मिलेगी. हालांकि इस से पहले भी कार ड्राइविंग को स्मार्ट बनाने के कई तरीके ईजाद किए गए हैं. आप के डैशबोर्ड के लिए फिटबिट जैसे सौफ्टवेयर लाए गए. लेकिन गाडि़यों के बीच कम्युनिकेशन का यह पहला प्रयोग है. यह तकनीक भारत जैसे देशों में कारगर साबित हो सकती है. वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन के मुताबिक भारत में सड़क दुर्घटना की दर 16.8 थी जो 2013 में बढ़ कर 18.9 हो गई.

इटली के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने एक ऐसा सौफ्टवेयर विकसित किया है, जिस की मदद से सड़क पर कारें एकदूसरे से बातचीत कर पाएंगी. बोलोग्ना विश्वविद्यालय के एक दल का कहना है कि इस से मिलतीजुलती तकनीक पहले भी प्रयोग में लाई जा चुकी है, लेकिन इस तकनीक से कारें यह भी जानने में सक्षम होंगी कि कुछ किलोमीटर आगे क्या घटना घटित हुई है. दल के प्रमुख प्रोफैसर मार्को रोसेती के अनुसार यह प्रणाली पुरानी प्रणाली से अलग है. वर्तमान तकनीक किसी अवरोध को उस के सामने लाने पर ही समझ पाती है. कारों में बातचीत उन में लगे सैंसर के जरिए होगी. असामान्य स्थिति में अलार्म संदेश के जरिए ही बातचीत संभव होगी. दुर्घटनाग्रस्त होने पर किसी कार की गति प्रभावित हुई है, तो दूसरी कार में लगा सैंसर इस बदलाव को पकड़ लेगा और उसी दिशा में जा रही दूसरी कार को सतर्क कर देगा. यह अलार्म एक के बाद एक कार में पहुंचता जाएगा, ताकि वे सही दूरी पर स्वयं को रोक लें.

यदि कार आप से कहे, ‘आगे मत जाना, दुर्घटना घटित हो जाएगी,’ तो क्या आप यकीन करेंगे या कार छोड़ कर भाग जाएंगे? परंतु यह हकीकत है. यूरोपियन यूनियन ने नई कारों में आपात सिस्टम शुरू किया है. इस का नतीजा यह होगा कि इस से हजारों जानें बचाई जा सकेंगी. इस का नाम है, ईकौल सिस्टम. कुछ कार बनाने वाली कंपनियां, जिन में वौल्वो शामिल है, ने यह सिस्टम शुरू कर दिया है.

बोलने वाली टैक्सीकार आप की सेवा में हाजिर है. जब आप थकेमांदे घर जाने के लिए टैक्सी में बैठेंगे, तो दरवाजा खोलते ही वह आप से कहेगी, ‘हैलो, वैल्कम सर/मैडम.’ आरामदायक सीटों पर कुछ देर सुस्ताने के बाद जब आप अपने गंतव्य पर पहुंचेंगे और टैक्सी से बाहर निकलने के लिए दरवाजा खोलने लगेंगे, तो यह आप से कहेगी, ‘गुडबाय, लैफ्ट एनीथिंग बिहाइंड.’ जी हां, सिंगापुर में चलने वाली टैक्सियां यही बोलेंगी. इन में ऐसे स्पीकर लगाए गए हैं जिन में ये संदेश रिकौर्ड हैं. लोग जल्दबाजी या लापरवाही में टैक्सी से उतरते समय अपना सामान भूल जाते हैं. लेकिन अब टैक्सियां उन्हें सामान भूलने नहीं देंगी.

जापान की एक कार बनाने वाली कंपनी ने ‘पिवो-2’ नामक एक कार बनाई है. 3 सीटों वाली इस कार में रोबोटिक उपकरण लगाए गए हैं. इस में लगे सैंसर ड्राइवर को झपकी लगने की स्थिति में जागने का संदेश देते हैं. सैंसर यह संवाद अंगरेजी और जापानी दोनों भाषाओं में देते हैं. सैंसर ड्राइवर को यह बताते रहते हैं कि कैफे कितनी दूर है या पैट्रोल पंप कहां है. औडियोवीडियो के लिए इन कारों में आधुनिक उपकरण लगे हुए हैं. भविष्य में ऐसी कारें भी आ रही हैं जो अपने ड्राइवरों से बातें करेंगी. ये कारें ऐसी तकनीक से लैस होंगी कि चलतेचलते, सुस्ताने और थकने पर ये अच्छे दोस्त की तरह सलाह भी देंगी. ये आप को किसी संभावित टक्कर से पहले सावधान भी करेंगी. टोक्यो मोटर शो निशान ने पिवो-2 रोबोट एजेंट कौंसैप्ट कार पेश की है. यह कार ड्राइवर के हावभाव, इमोशंस और फिजिकल कंडीशंस को पहचानती है. मसलन, अगर कोई कट मार कर आप की कार से आगे निकलता है, तो यह आप के परेशान होने पर कहेंगी, ‘डोंट वरी, यू आर औल राइट.’

वाह, पिगी चौप्स के क्या कहने…!

पहले देसी गर्ल, फिर क्वांटिका गर्ल और अब औस्कर में प्रेजेंटर की भूमिका. एक के बाद एक प्रियंका चोपड़ा के लिए सफलता के नए आयाम खुलते चले जा रहे हैं. देशी गर्ल की बौलीवुडी सफलता के बाद क्वांटिका की लोकप्रियता और फिर बेवौच में कास्ट किया जाना. कहने की जरूरत नहीं कि बेवाच प्रियंका का अब तक का आखिरी पड़ाव नहीं. प्रियंका को हेवीवेट हौलीवुड अभिनेता-अभिनेत्रियों को औस्कर का सम्मान देने के लिए नामजद किया गया है. वाह प्रियंका, क्या कहने!

अमेरिकी टीवी शो क्वांटिका में अपने अभिनय से प्रियंका ने हौलीवुड का नजर बखूबी खींच लिया. इस टीवी शो हाल ही में लौस एंजेल्स में पीपुल्स च्वौयस अवार्ड मिली. इसके बाद ‘बेवाच’ से पिगी के हौलीवुडी सफर का आगाज की घोषणा हो चुकी है. 88वें औस्कर अवार्ड में ‘स्टील एलीज’ फेम जुलियन मूर, ‘वाक दि लाइन’ फेम रीज विदरस्पून और ग्रैमी के स्टार क्वेंसी जौन के साथ प्रियंका हौलीवुड अभिनेता-अभिनेत्रियों को अवार्ड देंगी. हमारी पिगी चौप्स खुद भी बहुत उत्साहित हैं. ट्वीट किया है – लुकिंग फौरवर्ड एट दि एकाडमी. दिस विल बी एन इंसेन नाइट. जाहिर है अब उन्हें 28 फरवरी का इंतजार है. इसी दिन औस्कर अवार्ड दिया जाना है. इस दिन का प्रियंका बेसब्री के साथ इंतजार कर रही हैं.

औस्कर में प्रेजेंटर की भूमिका बेशक किसी भी बौलीवुड शख्स के लिए अपने आपमें सम्मान की बात है. वैसे औस्कर से पहले 30 जनवरी को लौस एंजेल्स में आयोजित 22वें स्क्रीन एक्टर गिल्ड अवार्ड की प्रेजेंटर रह चुकी हैं और पेड्रो पास्कल के साथ ‍पिग ने स्टेज भी शेयर किया है. अब तक की खबर के मुताबिक हौलीवुठ के डोलबे थिएटर के इस अवार्ड फंक्शन में भारत का प्रतिनिधित्व अकेले प्रियंका चोपड़ा करेंगी.

अब नही बनेगी ‘एक था गैंगस्टर’

एक फिल्म की असफलता के साथ ही बौलीवुड में सारे समीकरण बड़ी तेजी से बदल जाते हैं. फिल्म ‘‘दिलवाले’’ की असफलता ने शाहरुख खान व रोहित शेट्टी को अपने निर्णयों पर सोचने पर मजबूर किया. तो दूसरी तरफ बौलीवुड सूत्रो के अनुसार फिल्म ‘‘जज्बा’’ की असफलता के बाद मशहूर फिल्म निर्माता व निर्देशक संजय गुप्ता के सितारे गर्दिश में पहुंच गए हैं. ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ फिल्म ‘‘जज्बा’’ की शूटिंग के दौरान संजय गुप्ता ने अभिषेक बच्चन के साथ गैंगस्टर फिल्म ‘‘एक था गैंगस्टर’’ तथा जॉन अब्राहम के साथ फिल्म ‘‘मुंबई सागा’’ के निर्माण की घोषणा की थी. सूत्रों के अनुसार इन दोनों फिल्मों की शूटिंग अब तक पूरी हो जानी थी, लेकिन इनकी शूटिंग ही शुरू नहीं हुई है.

संजय गुप्ता ने एस हुसेन जैदी के 2014 के सर्वाधिक बिक्री वाले उपन्यास ‘‘भायखला टू बैंकाक’’ पर ‘‘एक था गैंगस्टर’’ बनाने की योजना बनायी थी और इसमें उन्होने अभिषेक बच्चन को हीरो लिया था. लेकिन एक तरफ ‘जज्बा’ असफल हुई, तो दूसरी तरफ एस हुसेन जैदी के उपन्यास पर बनी फिल्म ‘‘फैंटम’’ असफल हो गयी. इससे संजय गुप्ता को बड़ी निराशा हुई. सूत्र बताते हैं कि इसी निराशा के चलते संजय गुप्ता ने ‘‘एक था गैंगस्टर’’ को हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया. यानी कि अब ‘‘एक था गैंगस्टर’’ नहीं बनेगी. जहां तक ‘‘मुंबई सागा’’ का सवाल है, तो इस फिल्म के निर्माण पर भी सवालिया निशान लग चुका है. हाल ही में जब जॉन अब्राहम से फिल्म ‘‘मुंबई सागा’’ के बारे में पूछा गया, तो जॉन अब्राहम ने कहा-‘‘मुझे खुद इस फिल्म को लेकर कुछ भी नहीं पता है. लंबे समय से संजय गुप्ता की तरफ से इस फिल्म के संबंध में मैने कुछ सुना ही नहीं.’’ यानी कि जॉन अब्राहम मानकर चल रहे हैं कि फिल्म ‘मुंबई सागा’’ के शुरू होने की उम्मीदें नही है.

बौलीवुड के सूत्रों की माने तो फिलहाल संजय गुप्ता ‘‘एक था गैंगस्टर’’ और ‘‘मुंबई सागा’’ फिल्मों को भूलकर एक नई फिल्म ‘‘काबिल’’ के अलावा ‘‘बालाजी टेलीफिल्मस’’ की गैंगस्टर फिल्म ‘‘शूटआउट रीलोडेड’’ पर काम कर रहे हैं. मगर संजय गुप्ता की तरफ से अभी तक ‘‘एक था गैंगस्टर’’ या ‘‘मुंबई सागा’’ के भविष्य को लेकर कोई घोषणा नहीं की गयी है.

BMW 7 सीरीज लांच, पहली बार आए ये फीचर्स

ऑटो एक्सपो 2016 में BMW 7-Series और BMW X1 लॉन्‍च कीं गई. इन कारों को सचिन तेंदुलकर ने लांच किया. इन कारों की मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनी के चेन्‍नई प्‍लांट में की गई है. इनमें कई फीचर्स ऐसे हैं, जिनका अभी तक ऑटोमोटिव वर्ल्‍ड में पहली बार उपयोग किया गया है. इन कारों के लिए कंपनी के डीलरों के पास ऑर्डर बुक कराया जा सकता है. हालांकि, इनकी डिलिवरी अप्रैल 2016 से होगी.

कीमत
शानदार फीचर्स से लैस BMW 7-Series की कीमत दिल्‍ली में एक्‍स–शोरूम प्राइस 1.1 करोड़ रुपए से लेकर 1.5 करोड़ रुपए के बीच है.

खासियत
नई BMW 7-Series सीडान नए क्‍लस्‍टर आर्किटेक्‍चर (क्‍लीयर) रीयर व्‍हील ड्राइव प्‍लेटफॉर्म पर बनी है. इसकी डिजाइन पहले की सीरीज की डिजाइन से बेहतर और स्‍मार्ट है. नई कार में अच्‍छी ऐवरेज के लिए एक्टिव एयरो फंक्‍शन के साथ बड़ी और चौड़ी किडनी ग्रिल है.

नए मॉडल में लेजरलाइट हेडलैंम्‍प्‍स वैकल्पिक हैं. इसकी कैबिन बेहद आकर्षक है. कंपनी ने कार की बॉडी के लिए कार्बन फाइबर, स्‍टील, अल्‍युमिनियम और प्‍लास्टिक का उपयोग किया है.

दुनिया में पहली बार इस्तेमाल हुए ये फीचर्स
BMW की ये कारें प्रीमियम कंपैक्‍ट स्‍पॉर्ट्स एक्टिविटी व्‍हीकल (एसएवी) कैटेगरी में आती हैं. इन कारों का निर्माण अत्‍याधुनिक तकनीकों के साथ किया गया है.  BMW 7 Series लग्‍जरी और इनोवेटिव टेक्‍नोलॉजी का शानदार मिक्‍स है. इनमें कई फीचर्स ऐसे हैं, जिनका अभी तक ऑटोमोटिव वर्ल्‍ड में पहली बार उपयोग किया गया है. इन फीचर्स में जेश्‍चर कंट्रोल, रिमॉट कंट्रोल पार्किंग, बीएमडब्‍ल्‍यू डिस्‍प्‍ले की, बीएमडब्‍ल्‍यू टच कमांड सिस्‍टम, वायरलेस चार्जिंग और स्‍काई लॉन्‍ज शामिल हैं.

BMW 7 Seriesके दो डीजल वैरिएंट
BMW 7 Series दो डीजल वैरिएंट में उपलब्‍ध हैं. इनके नाम हैं- BMW 730Ld Design Pure Excellence और BMW 730Ld M Sport. दोनों की मैन्‍युफैक्‍चरिंग भारत में ही हुई है.

 

दिल्ली प्रेस की पत्रिका ‘मोटरिंग वर्ल्ड’ से साभार

www.motoringworld.net

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