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टोयोटा की नई ‘इनोवा क्रिस्टा’, जानिए क्या है खास

टोयोटा किर्लोस्‍कर मोटर ने ऑटो एक्‍सपो 2016 में मल्‍टी पपर्स व्‍हीकल (एमपीवी) ‘इनोवा क्रिस्‍टा’ को पेश किया है. यह कंपनी के पॉपुलर मॉडल इनोवा का पूरी तरह से नया अवतार है. इनोवा क्रिस्‍टा में नए इंजन का इस्‍तेमाल किया गया है. यह 6 स्‍पीड ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन के साथ है. कंपनी इसे 2016 में इंडियन मार्केट में लॉन्‍च कर सकती है.

टोयोटा का कहना है भारत में पिछले 11 साल से भारतीय कार मार्केट के एमपीवी सेगमेंट में इनोवा नंबर वन बनी हुई है. कंपनी का मानना है कि इनोवा क्रिस्‍टा इस ग्रोथ को और आगे ले जाएगी. टोयोटा ने भारतीय कार मार्केट में क्‍वालिस के साथ एंट्री की थी. टोयोटा किर्लोस्‍कर जापान की टोयोटा और इंडिया के किर्लोस्‍कर ग्रुप का ज्‍वाइंट वेंचर है. इसमें टोयोटा मोटर कार्प की हिस्‍सेदारी 87 फीसदी और किर्लोस्‍कर ग्रुप की हिस्‍सेदारी 11 फीसदी है.

कंपनी की प्रोडक्‍शन कैपेसिटी 3.1 लाख यूनिट सालाना है. कंपनी इंडियन मार्केट में इनोवा, फॉर्च्‍यूनर, प्राडो, लैंड क्रूजर, प्रियस, कोरोला अल्टिस, इटिऑस, इटिऑस लीवा, इटिऑस क्रास, कैमरी और कैमरी हाइब्रिड की बिक्री करती है.

इनोवा क्रिस्‍टा का एक्‍सटीरियर
– तीन नए कलर में पेश

– 17 अलॉय व्‍हील्‍स

– स्‍मार्ट एंट्री सिस्‍टम (स्‍टार्ट एंड स्‍टॉप बटन)

– इजी क्‍लोजर बैक डोर

– क्रोम विंडो लाइनिंग

इंटीरियर
– ऑटोमेटिक क्‍लाइमेट कंट्रोल विद रीयर ऑटो कूलर

– 7 इंच ऑडियो विद नेविगेशन

– क्रूज कंट्रोल एंड पावर ड्राइवर सीट

– 1 टच टंबल सेकेंड रो सीट

– 1 टच थर्ड रो स्‍पेस अप

सेफ्टी
– स्‍टैंडर्ड एयरबैग्‍स स्‍टैंडर्ड

– इलेक्‍ट्रानिक ब्रेक फोर्स डिस्‍ट्रीब्‍यूशन और ब्रेक एसिस्‍ट स्‍टै्ंडर्ड के साथ एंटी लॉक ब्रेक सिस्‍टम

 

दिल्ली प्रेस की पत्रिका ‘मोटरिंग वर्ल्ड’ से साभार

www.motoringworld.net

सिर्फ साढ़े सात रुपए में वरुण एरॉन ने रचाई शादी

टीम इंडिया के तेज गेंदबाज वरुण एरॉन ने सोमवार को अपनी बचपन की दोस्त रागिनी सिंह के साथ शादी कर ली. वरुण और रागिनी की शादी काफी खास है क्योंकि दोनों ने बेहद साधारण ढंग से जमशेदपुर में मात्र साढे सात रुपए में कोर्ट मैरिज की है. आजकल जहां सिलिब्रेटी अपनी शादी पर काफी खर्च करते हैं ऐसे में इतनी साधारण शादी काफी कम देखने को मिलती है.

शादी का आवेदन देने में वरुण के ढाई रुपये लगे जबकि पांच रुपये का शुल्क कोर्ट में लगा. दोनों 4 फरवरी को सेंट मैरी चर्च में पारंपरिक तरीके से शादी के बंधन में बंधेंगे. रागिनी की मां सुचित्रा सिंह ने रजिस्ट्री ऑफिस में लड्डू बांटकर शादी की खुशियां मनाई. इस मौके पर वर-वधू दोनों पक्ष के लोग पहुंचे थे. वरुण और रागिनी की शादी को लेकर रजिस्ट्री ऑफिस में खूब गहमागहमी रही. दोनों ठीक सवा दस बजे अपने परिजनों और मित्रों के साथ रजिस्ट्री ऑफिस पहुंच गए थे. उनके लॉयर हर्ष पांडेय ने विवाह की कागजी प्रक्रिया शुरू की.

वरुण एरॉन आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से खेलते हैं. इससे पहले वे कोलकाता नाइट राइडर्स और रॉयल चैलेंजर्स, बेंगलुरु टीम की ओर से भी खेल चुके हैं. वरुण झारखंड के सिंहभूम जिले के रहने वाले है.

लारा बोले, टी-20 वर्ल्ड कप की प्रबल दावेदार टीम इंडिया

दुनिया के कई दिग्गज क्रिकेटरों का मानना है कि इस बार टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया से पार पाना किसी भी विरोधी टीम के लिए आसान नहीं होगा. इसी लिस्ट में वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा भी शामिल हो गए हैं.

लारा की माने तो टीम इंडिया टी-20 वर्ल्ड कप के लिए खिताब का प्रबल दावेदार बताया है. लारा ने कहा, 'मैं वेस्टइंडीज को टी-20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के लिए सबसे प्रबल दावेदार मानता हूं लेकिन टीम इंडिया को घरेलू परिस्थितियों का निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा, उनके खिलाड़ी अपनी घरेलू पिच और माहौल से अच्छी तरह से वाकिफ हैं. टी-20 फॉरमैट में टीम इंडिया दुनिया की टॉप टीमों के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है.'

लारा ने वेस्टइंडीज के बारे में कहा, 'वेस्टइंडीज गत चैंपियन है और टीम के पास ताज को फिर से हासिल करने का शानदार मौका है. डैरेन सैमी की अगुवाई और क्रिस गेल, कीरन पोलार्ड, डैरेन ब्रावो जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी में वेस्टइंडीज दुनिया की किसी भी टीम को चौंकाने में सक्षम है. टीम अगर अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखती है तो टूर्नामेंट में बड़ा खतरा साबित हो सकती है.'

सरदार सिंह पर मंगेतर ने लगाए यौन प्रताड़ना के आरोप

भारतीय मूल की एक इंटरनेशनल हॉकी खिलाड़ी ने भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. लुधियाना पुलिस स्टेशन में इस मामले में सरदार सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है.

महिला खिलाड़ी ने आरोप लगाया कि चार साल पहले दोनों की सगाई हो चुकी है. आरोप के मुताबिक सरदार सिंह ने उसे मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक तरीके से प्रताड़ित किया. उसने कहा कि 2015 में सरदार सिंह ने उसे अबॉर्शन के लिए भी मजबूर किया जबकि वो अबॉर्शन नहीं कराना चाहती थी.

लुधियाना पुलिस कमिश्नर पीएस उम्रनांगल ने बताया कि शिकायत दर्ज हो चुकी है और इसकी जांच हो रही है अभी एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है. शिकायत के मुताबिक इस खिलाड़ी की मुलाकात सरदार सिंह से लंदन ओलंपिक के दौरान हुई थी.

इतना ही नहीं महिला ने बताया कि अबॉर्शन के बाद से सरदार सिंह उससे दूर भाग रहा है और साथ ही शादी करने के लिए भी मना कर दिया है. महिला ने कहा कि मैंने शिकायत दर्ज करा दी है और उम्मीद है कि मुझे न्याय मिलेगा.

 

क्या शाहिद कपूर का जुगाड़ सफल होगा…?

बौलीवुड में हर शुक्रवार कलाकारों की तकदीर बदल जाती है. मगर शाहिद कपूर की तकदीर कम ही बदलती है. तेरह साल के अभिनय करियर में शाहिद कपूर 27 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. मगर अफसोस की बात यह है कि फिल्म ‘हैदर’ को चर्चा मिली तथा ‘जब वी मेट’ और ‘आर राज कुमार’ को बाक्स आफिस पर सफलता मिल पायी. अन्यथा अब तक करियर की गति को बढ़ाने की दिशा में शाहिद कपूर का उठाया गया हर कदम गलत ही सिद्ध होता आ रहा है. यहां तक कि करण जौहर की खोज माने जाने वाली आलिया भट्ट के करियर में भी असफलता की कील शाहिद कपूर की ही वजह से गड़ी. वास्तव में ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ से करियर शुरू करने वाली आलिया भट्ट की हर फिल्म बाक्स आफिस पर सफलता के झंडे गाड़ रही थी. मगर ‘‘शानदार’’ में आलिया भट्ट ने शाहिद कपूर के साथ काम किया और ‘‘शानदार’’ बाक्स आफिस पर बुरी तरह से असफल हो गयी. बौलीवुड के पंडित ‘‘शानदार’’ की असफलता के लिए पूरी तरह से शाहिद कपूर को ही दोषी ठहरा रहे हैं. कुछ लोग तो यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि आलिया भट्ट के करियर को डुबाने का काम शाहिद कपूर ने किया है.

सूत्रों के अनुसार बौलीवुड के कुछ लोगों के बीच जो चर्चाएं हो रही हैं, उससे शाहिद कपूर बहुत परेशान हैं. फिलहाल, शाहिद कपूर एक तरफ विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘‘रंगून’’ में कंगना रनोट के अलावा एक अन्य फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ में ‘जब वी मेट’ की अपनी सह कलाकार करीना कपूर के साथ अभिनय कर रहे हैं. इन दो फिल्मों की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है. अब इसके बाद क्या? यह सवाल इन दिनों शाहिद कपूर को भी परेशान किए हुए हैं. सूत्र बताते हैं कि शाहिद कपूर इन दिनों एक नवोदित संघर्षरत अभिनेता की ही तरह फिल्में पाने के लिए जुगाड़ में लगे हुए हैं.

सूत्रो के अनुसार शाहिद कपूर एक तरफ करण जौहर के  दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ रोहित शेट्टी से भी मिल रहे हैं, तो तीसरी तरफ वह  कुछ नए निर्देशकों से भी संपर्क कर रहे हैं. बौलीवुड के सूत्रों के अनुसार शाहिद कपूर की निगाहें अब फिल्म ‘राम लखन’ के रीमेक फिल्म पर हैं. सूत्र बताते हैं कि फिल्म ‘राम लखन’ में लखन का किरदार अनिल कपूर ने निभाया था और अब उसी रीमेक फिल्म में लखन के किरदार को शाहिद कपूर हथियाना चाहते हैं.

सूत्रों की माने तो करण जौहर ‘राम लखन’ का रीमेक करने वाले हैं, जिसके निर्देशन की जिम्मेदारी रोहित शेट्टी निभाने वाले हैं. सूत्र तो यह भी दावा कर रहे हैं कि करण जौहर ने ‘राम लखन’ की रीमेक फिल्म में वरूण धवन और सिद्धार्थ मल्होत्रा के नाम पर सहमति बना चुके हैं. मगर शाहिद कपूर अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं कि ‘राम लखन’ से वह जुड़ जाएं. इसीलिए वह करण और रोहित से बार बार मुलाकात कर रहे हैं. अब शाहिद कपूर  की मुलाकातों का सच तो समय ही बताएगा. पर बौलीवुड के ट्रेड पंडितों की निगाह इस बात पर है कि शाहिद कपूर का जुगाड़ फिट बैठता है या नहीं…

एडल्ट सेक्स कामेडी फिल्मों का क्या होगा भविष्य

धीरे धीरे एडल्ट व सेक्स कामेडी फिल्मों के खिलाफ बौलीवुड में भी आवाज उठने लगी है. यूं तो 13 सितंबर 2013 को रिलीज हुई इंद्र कुमार की एडल्ट कामेडी फिल्म ‘‘ग्रैंड मस्ती’’ ने बाक्स आफिस पर सौ करोड़ रूपए कमाए थे. मगर तब भी आमिर खान ने ‘सरिता’ पत्रिका से बात करते हुए बताया था कि उन्होने ‘ग्रैंड मस्ती’ देखने के बाद फिल्म के निर्माता व निर्देशक इंद्र कुमार को सलाह दी थी कि वह इस फिल्म को रिलीज न करें. इसे हमेशा के लिए ठंडे डिब्बे में बंद कर दें. लेकिन इंद्र कुमार जी ने आमिर खान की सलाह मानने की बजाय इस फिल्म को रिलीज किया था. फिल्म ‘‘ग्रैंड मस्ती’’ ने जब बाक्स आफिस पर सौ करोड़ का बिजनेस कर लिया, तो मिलाप मिलन झवेरी को जरुरत से ज्यादा जोश आ गया. क्योंकि ‘ग्रैंड मस्ती’ के लेखक मिलाप मिलन झवेरी ही थे. मिलाप ने तुरंत एकता कपूर को सेक्स कामेडी ‘क्या कूल हैं हम 3’ बनाने के लिए राजी किया और इसका लेखन करते हुए मिलाप ने ‘क्या कूल हैं हम 3’ में पार्न का तड़का भी डाल दिया.

मिलाप यहीं पर नहीं रूके, खुद बतौर लेखक व निर्देशक ‘‘मस्तीजादे’’ बना डाली. तो वहीं इंद्र कुमार को जोश दिलाकर उनसे ‘ग्रैंड मस्ती’ का सिक्वअल ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ बनाने के लिए कहा. ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ के भी लेखक मिलाप झवेरी ही हैं. ‘ग्रैंड मस्ती’ की सफलता के बाद इंद्र कुमार ने अपनी बेटी को लांच करने के लिए फिल्म ‘सुपर नानी’ बनायी थी, जो कि बाक्स आफिस पर सुपर फ्लाप साबित हो गयी. ‘‘सुपर नानी’’ के असफल होने से निर्माता अशोक ठाकरिया और इंद्र कुमार को बीस करोड़ रूपए का नुकसान हुआ था. सूत्रों की माने तो ‘सुपर नानी’ के असफल होने पर मिलाप झवेरी ने ही इंद्र कुमार को सलाह दी कि उन्हें सफल एडल्ट कामेडी फिल्म ‘‘ग्रेंड मस्ती’’ का सिक्वअल बनाना चाहिए. सूत्र यहां तक बताते हैं कि मिलाप झवेरी ने इस फिल्म के निर्माण में एकता कपूर को भागीदार भी बनवा दिया. फिल्म ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ पूरी हो चुकी है और इंद्र कुमार ने इसके रिलीज की तारीख 25 मार्च घोषित कर रखी है. मगर अब सूत्रो की माने तो ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ की रिलीज टाल दी गयी है.

वास्तव में दो एडल्ट कामेडी फिल्में ‘‘क्या कूल हैं हम 3’ और ‘मस्तीजादे’ एक सप्ताह के अंतराल से रिलीज हुई और इन दोनों को दर्शक नहीं मिले. इससे इंद्र कुमार का अपनी फिल्म ‘ग्रेट ग्रेंड मस्ती’ को लेकर आत्मविश्वास डगमगा गया. मजेदार बात यह है कि ‘‘क्या कूल हैं हम 3’’ और ‘‘मस्तीजादे’’ के बाद ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ में भी तुषार कपूर ने ही अभिनय किया है. इतना ही नहीं ‘क्या कूल हैं हम 3’ और ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ दोनों में तुषार कपूर के सह कलाकार आफताब शिवदसानी ही हैं. इस वजह से भी इंद्र कुमार का आत्मविश्वास हिल गया. अब सूत्रों के अनुसार इंद्र कुमार ने फिल्म की सहनिर्माता एकता कपूर से बात कर फिल्म ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ को कुछ समय के लिए न रिलीज करने पर सहमति बना ली है. सूत्रों के अनुसार इसी के चलते फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में फिल्म ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ का प्रोमो लांच समारोह भी रद्द कर दिया गया. इतना ही नहीं अब बौलीवुड से भी एडल्ट कामेडी फिल्मों के खिलाफ आवाज उठने लगी है. 

‘रांझणा’ की कहानी पर फिल्म ‘डायरेक्ट इश्क’

बौलीवुड में भेड़चाल व कहानी की चोरी कोई नई बात नहीं है. जब से राजीव रूइया निर्देशित फिल्म ‘‘डायरेक्ट इश्क’’ का ट्रेलर आया है, तब से बालीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि फिल्म ‘‘डायरेक्ट इश्क’’ की कहानी हूबहू वही है, जो कि कुछ साल पहले प्रदर्शित फिल्म ‘‘रांझणा’’ की थी. ‘‘रांझणा’’ की ही तरह ‘‘डायरेक्ट इश्क’’ का कथानक भी बनारस का ही है.

आनंद एल राय निर्देशित फिल्म ‘‘रांझणा’’ में बनारस शहर में एक देसी लड़के की मुलाकात एक लड़की से होती है और वह उससे प्यार कर बैठता है, जबकि लड़की उसे अपना अच्छा दोस्त समझती है. कुछ दिन बाद दिल्ली शहर से एक आधुनिक शहरी लड़का आता है, उसे भी इस लड़की से प्यार हो जाता है. पर लड़की द्विविधा में पड़ जाती है. यह थी एक त्रिकोणीय प्रेम कहानी. लगभग यही कहानी है राजीव एस रूइया निर्देशित फिल्म ‘‘डायरेक्ट इश्क’’ की.

‘‘रांझणा’’ में धनुष, सोनम कपूर और अभय देओल थे. जबकि ‘‘डायरेक्ट इश्क’’ में रजनीश दुग्गल, निधि सुब्बैया और अर्जुन बिजलानी हैं.

कहानी या कहानी के प्लाट चोरी के मसले पर फिल्म ‘‘डायरेक्ट इश्क’’ के लेखक व निर्देशक राजीव एस रूइया ने चुप्पी साध रखी है. मगर फिल्म के अभिनेता रजनीश दुग्गल इसे सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं-‘‘माना कि कहानी बनारस की है और तीन मुख्य पात्र हैं. महज इसी वजह से एक ही कहानी होने का आरोप लगा देना गलत है. हमारी फिल्म के तीनो पात्र बहुत अलग हैं. इस फिल्म में मेरा पात्र बात करने से पहले मारने वाला विद्यार्थी नेता है तथा लोगों की मदद करता रहता है. वह निधि के पात्र की मदद करता रहता है, जो कि बहुत बडी गायक बनना चाहती है. जबकि अर्जुन बिजलानी का पात्र ईवेंट मैनेजमेंट से जुड़ा हुआ है,वह निधि को गाने का मौका देता है. इसके बीच प्यार व रोमांस होना स्वाभाविक है. यह अलग तरह की प्रेम कहानी है.’’

शाहरुख भी करेंगे कम बजट वाली फिल्मों का निर्माण

बाक्स आफिस पर ‘‘दिलवाले’’ की दुर्गति के बाद भले ही शाहरुख खान की प्रोडक्शन कंपनी ‘‘रेड चिल्ली’’ के अफसरों ने रोहित शेट्टी को बुरा भला कहते हुए उनके निर्देशन की कमियां गिना दी हों, मगर ‘‘दिलवाले’’ की असफलता ने शाहरुख खान को अंदर से हिलाकर रख दिया है. इसी के चलते अब शाहरुख खान और उनकी प्रोडक्शन कंपनी ने कम बजट में फिल्मों का निर्माण करने का निर्णय लिया है. सूत्र बताते हैं कि अपने इस निर्णय पर काम करते हुए अब शाहरुख खान भी अपनी कंपनी ‘‘रेड चिल्ली’’ में ‘यशराज फिल्मस’ की तरह एक टैंलेट बैंक बनाने जा रहे हैं. इस टैलेंट बैंक में वह अभिनय, निर्देशन व लेखन आदि से जुड़ी नई प्रतिभाओं को जोड़ेंगे और फिर अपने टैलेंट बैंक की प्रतिभाओं के संग ही कम से कम बजट में अच्छी फिल्मों को बनाएंगे.

पर इसके यह मायने कतई नहीं लगाए जाने चाहिए कि शाहरुख खान खुलेआम ‘‘दिलवाले’’ की असफलता को स्वीकार कर रहे हैं. शाहरुख खान अभी भी अपने पुराने अंदाज में ही बातें करते हुए कहते हैं-‘‘हम किसी से उधार लेकर या बैंक से लोन लेकर फिल्में नहीं बनाते हैं. हम अपने पैसे से फिल्में बनाते हैं. हर कहानी को बडे़ बजट की जरुरत नहीं होती है. हम इस साल तीन फिल्मों का निर्माण करने वाले हैं. जिनकी कहानी आदि पर काम हो रहा है. कहानी के आधार पर ही कम बजट में फिल्में बनेंगी. हम अपनी इन फिल्मों में युवा कलाकारों को लेने वाले हैं. पर फिल्म के क्रिएटिव साइड को संभालने के साथ ही प्रमोशन मैं खुद ही करुंगा.’’

कटरीना-अभिषेक पर सपना ने लगाया रंगभेद का आरोप

कुछ दिन पहले सोनम कपूर ने रंगभेद का आरोप लगाया था. अब मशहूर अंतरराष्ट्रीय हेअर स्टाइलिस्ट व समाजसेवी सपना भवनानी ने फिल्म ‘‘फितूर’’ की मुख्य अदाकारा कटरीना कैफ और निर्देशक अभिषेक कपूर पर रंगभेदी/नस्लभेदी होने का आरोप लगाया है.

वास्तव में बौलीवुड में यह चर्चा काफी गर्म है कि फिल्म ‘‘फितूर’’ के किरदार को निभाने के लिए कटरीना कैफ ने अपने बालों को लाल रंग में रंगने के लिए पचपन लाख रूपए खर्च किए. सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘‘फितूर’’ की कहानी कश्मीर पर आधारित है. कश्मीर में चिनार के पेड़ काफी होते हैं और चिनार के पत्ते लाल रंग के होते हैं. लाल रंग ही प्यार व पैशन का प्रतीक है. इसी के चलते फिल्म ‘‘फितूर’’ के निर्देशक अभिषेक कपूर ने कटरीना कैफ के बालों को लाल रंग में रंगने की सलाह दी. पर उनके विजन के अनुसार बालों को रंगत देने के लिए कटरीना कैफ को लंदन जाकर वहां की हेअर स्टाइलिस्ट से अपने बाल लाल रंग के कराने पड़े. इसके लिए कटरीना कैफ लगातार कई माह तक लंदन जाती रही. सूत्र बताते हैं कि निर्माता ने कटरीना के बालों को लाल रंगत देने के लिए 55 लाख रूपए खर्च किए.

कटरीना के लंदन जाकर बालों को लाल रंग देने की खबर फैलने के बाद कटरीना कैफ और फिल्म के निर्माता तथा निर्देशक पर सफेद चमड़ी का गुलाम होने तथा रंगभेदी/नस्लभेदी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए मशहूर अंतरराष्ट्रीय स्तर की भारतीय हेअर स्टाइलिस्ट सपना भवनानी ने फेशबुक पर लिखकर हंगामा मचा दिया है. सपना भवनानी ने फेसबुक पर कटरीना कैफ को संबोधित करते हुए लिखा है-‘‘सफेद चमड़ी (ब्रिटिश) के लोग चले गए, पर हम अभी भी उनके द्वारा पिटना चाहते हैं. कोई भी भारतीय हेअर स्टाइलिश इससे बेहतर ढंग से काम कर सकता था, (शायद इससे अच्छा कर देता या ऐसा न करने की सलाह देता, क्योंकि वह बताता कि आपके उपर ठीक नहीं लगेगा.) लेकिन मुद्दा यह नही है. मुद्दा यह है कि कौन सा निर्माता यही काम करने के लिए एक भारतीय हेअर स्टाइलिश को 55 लाख रूपए देता? मुझे नहीं लगता कि मुझे इस सवाल के जवाब की जरुरत है…मुझे भारतीय हेअर उद्योग से प्यार है. मैं सभी भारतीय हेअर स्टाइलिश को उनके बेहतरीन काम के लिए सलाम करती हूं. और मैं इन सभी से कहना चाहती हूं कि हम भारतीय बहुत बेहतरीन हैं. इस तरह का रंगभेद/नस्लभेद हर क्षेत्र में है, चाहे वह माडलिंग हो, फोटोग्राफी हो या निर्देशन हो या वार्डरोब का मसला हो या हेअर/मेकअप आर्टिस्ट का मसला हो. पहले एक औरत,फिर एक भारतीय होने के नाते इसे बदला जाना चाहिए. समान वेतन को लेकर दोहरा मापदंड हास्यास्पद है.’’

मजेदार बात यह है कि फेसबुक पर सपना भवनानी के इन विचारों के आने के बाद कटरीना कैफ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा-‘‘कुछ बातें गलत ढंग से मीडिया में चल रही हैं. यह खबर आधारहीन है. चिनार के पत्ते लाल रंग के होते हैं, इसलिए निर्देशक अभिषेक कपूर ने मेरे बालों को लाल रंग का करने की सलाह दी. इतना ही लाल रंग तो पैशन व प्यार का भी प्रतीक है.’’ मगर किसी भारतीय हेअर स्टाइलिश की मदद लेने के मुद्दे पर कटरीना कैफ व फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर ने चुप्पी ही साध रखी. जबकि सपना भवनानी के विरोध के बाद अब फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर ने भी बाल रंगने के लिए 55 लाख रूपए देने की बात से इंकार किया है.

कामदुनी: दोषियों के मानवाधिकार पर सवाल

28 जनवरी 2016 बंगाल के बहुत खास दिन था. यह कामदुनी बलात्कार और हत्याकांड का अंतिम फैसला सुनाए जानेवाला दिन था. उत्तर 24 परगना के बारासात का कामदुनी इस बलात्कार और हत्याकांड के कारण पूरे देश भर में नामजद हो चुका है. पीडि़ता का परिवार अब कामदुनी नहीं रहता है. लेकिन इस दिन कामदुनी के कान खड़े थे. वैसे कामदुनी क्यों, पूरा बंगाल फैसले के इंतजार में रहा. बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम अदालत पहुंचा. बाकी लोग टीवी पर नजर गड़ाए रहे. बहुसंख्यक लोग दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनाए जाने के पक्ष में थे. इतनी बेकरारी के बाद भी इस दिन न्यायाधीश संचियता सरकार ने फैसला सुनाया.

7 जून 2013 की घटना थी. बारासात के कामदुनी में एक दोपहर को कॉलेज से परीक्षा देकर वह लौट रही थी. तभी कुछ लोगों ने उसका दिन-दहाड़े अपहरण किया और उसे एक वर्षों से बंद कारखाने में ले गए. बलात्कार के दौरान लड़की बेहोश हो गयी. बेहोशी में भी बलात्कार किया गया. होश में आने के बाद उसके साथ फिर बलात्कार किया गया. लड़की के गुप्तांग में दो गंभीर जख्म पाए गए थे. दरअसल, गैंगरेप के बाद सबूत मिटाने के लिए लड़की को दोनों पांव से चीर कर हत्या कर दी गयी थी. घटना के बाद पूरा बारासात तो उफनने लगा ही था. कोलकाता समेत पूरे प. बंगाल को इस घटना ने हिला दिया था. दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर 2013 से लेकर 2016 को फैसला सुनाए जाने तक आंदोलन चलाया गया. गौरतलब है कि अमिर खान के सत्यमेव जयते में भी कामदुनी की घटना को शामिल किया गया था.

बहरहाल, घटना के दस दिन के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कामदुनी गयीं. उस समय कामदुनी गांव का माहौल तृणमूल के विरोध में नजर आया था. स्थानीय तृणमूल कांग्रेस को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि गांव में किस तरह माहौल गरमा रहा है. चूंकि इस कांड के दोषियों का संपर्क तृणमूल से था, इसीलिए बलात्कार की शिकार मृत लड़की की दो सहेलियों ने ममता बनर्जी से सवाल किया तो उन्हें माओवादी करार दे दिया गया. घटना के बाद खड़े हुए आंदोलन की धार कुंद करने के लिए मृत लड़की के परिवार को कामदुनी से ले जाकर दूसरी जगह बसाया गया. लड़की के भाई को सरकारी नौकरी दी गई. बावजूद इसके मृत लड़की का परिवार दोषियों की कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग से पीछे नहीं हटा. 

कामदुनी बलात्कार कांड में अगले दिन कुल नौ गिरफ्तारियां हुई थी. सुनवाई के दौरान एक की मौत हो गयी थी. इनमें से दो तमाम आरोपों से बरी हो गए. छह को सजा हुई. तीन को फांसी और तीन को आजीवन कैद. सजा सुनाई थी न्यायाधीश संचिता सरकार ने. 19 साल के अपने कैरियर में उन्होंने पहली बार किसी को फांसी की सजा सुनाई है. यहां तक कि बैंकशाल कोर्ट में भी पहली बार किसी को फांसी की सजा सुनायी गयी थी. लेकिन दो को बरी कर दिए जाने को बंगाल की जनता ने अच्छी तरह नहीं लिया. आरोप है कि ये दोनों शासक दल से जुड़े हैं, इसीलिए इनके अपराध को पुलिस ने कम करके आंका है. आरोप है कि चार्जशीट को जानबूझ कर पुलिस ने कमजोर बना दिया था, उनके खिलाफ प्रमाण जुटाने में भी ढि़लाई बरती गयी, ताकि ये छूट जाएं.

दोषियों को सजा

पहला दोषी आमिन अली (32) को जब फांसी की सजा सुनायी गयी तो वह एकदम से टूट गया. इससे पहले अदालत में यही कहता रहा कि मैंने कुछ भी नहीं किया. मैं निर्दोश हूं. मुझे शडयंत्र के तहत फंसाया गया है.

दूसरा दोषी अंसार अली (37) तीन बच्चों का पिता. सुनवाई के दौरान अदालत से रहम की गुहार लगाते हुए कहता रहा, ‘परिवार में मैं अकेला कमानेवाला हूं. मुझे माफ कर दें.’ साथ में वह सीबीआई जांच, ब्रेन मैपिंग की बात कहता रहा. पर जब सजा सुनायी गयी तो उसकी खैर थी. वह दोषी करार दिया गया. सजा सुनने के बाद अदालत में मौजूद अपने भाई से कहता है, ‘चिंता मत कर. जो होना है, वही होगा.’

तीसरा दोषी सईफुल अली (33). हर सुनवाई के दौरान उसकी आंखें नम नजर आती थी. अदालत में अपने आपको वह निर्दोश बताता रहा. और यह भी कि जबरन फंसाया गया है. घर पर बूढ़े मां-बाप हैं. बड़ी मेहनत से घर चलाता हूं. इसीलिए बख्श दिया जाए. पर ऐसा नहीं हुआ. सजा सुनाए जाने के दौरान अदालत में सईफुल अली एकदम शांत था. उस दिन परिवार का कोई भी अदालत में मौजूद नहीं था. इस कारण वह पूरी से टूट गया था. वहीं जिन तीन को आजीवन कैद की सजा सुनायी गयी वे अमिनूर रहमान, इमानूल इस्लाम और भोला नस्कर है.

ढ़ाई साल तक चली सुनवाई क सजा सुनाने का काम ढ़ाई से तीन मिनट में पूरी हो गया. इस सजा के खिलाफ दोषी उच्च अदालत में अपील की तैयारी में है. वहीं पीडि़त परिवार भी दोषियों की अपील के खिलाफ कमर कसने की तैयारी कर रहा है. बहरहाल, दोषियों को चरम सजा मिलने से कहा जा सकता है कि मृत लड़की को न्याय मिला. मौसमी और टूंपा नाम की उसकी दोनों सहेलियों, स्कूल के प्रधानाध्यापक और उस लड़की के परिवार समेत बंगाल की जनता की लड़ाई सार्थक रही. कुल मिलाकर लोकतंत्र की जीत हुई.

उत्तर 24 परगना के इसी बारासात उपनगर में अकेला कामदुनी चर्चित कांड नहीं है. ऐसी ही एक और घटना है जो स्कूल की रिंकु दास के साथ घटा, जो राजीव हत्याकांड के नाम से जाना जाता है. 14 फरवरी 2011 में घटी इस वारदात में रिंकु दास रात को ट्यूशन करके लौट रही थी. बारासात स्टेशन पर उसे कोई लेने आता था. उस दिन बारिश हो रही थी. भाई को आने में देर हो गयी. दोनों साइकिल से घर लौट रहे थे कि कुछ लोगों ने जबरन खींच कर साइकिल से रिंकु को उतारा. उसे उठा कर ले जाने लगे तो भाई राजीव बहन को बचाने के लिए कूद पड़ा. असामाजिक तत्वों ने भाई के पेट में छूरा भोंक दिया. यह सब जिलाधिकारी के आवास के सामने हुआ. रिंकु जिलाधिकारी आवास पर खड़े गार्डों से भाई को बचाने की गुहार लगाती रही. लेकिन कोई आगे नहीं आया. राजीव ने वहीं तड़प-तड़क रिंकु के आंखों के सामने दम तोड़ दिया. यह कांड भी बहुत चर्चित रहा.

फांसी पर बंटा समाज

दोषियों में कुछ लोगों का संबंध शासक दल के साथ होने के कारण देर से ही सही प्रशासन ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी की. ढ़ाई साल की सुनवाई के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले को किनारा मिला. पुलिस द्वारा दो अभियुक्तों के खिलाफ पुख्ता सबूत न जुटा पाने के कारण अदालत ने उन्हें बरी किया. तीन को आजीवन कैद की सजा हुई और तीन को फांसी.

हत्या व बलात्कार के नृशंसता की सीमा पार करनेवाले मामले जब कभी फांसी की सजा किसीको सुनायी गयी है, तभी समाज का एक तबका सजायाफ्ता के लिए मानवाधिकार का सवाल उठाता रहा है. मानवाधिकार का सवाल उठाने वाले स्टेरिओटाइप तरीके से फांसी की सजा को बर्बर, मध्ययुगीन बताते हुए ऐसी सजा को सभ्य समाज में कलंक कहते हैं. कुछ शोध-सर्वेक्षण का हवाला देते है, जिसके नतीजे कहते हैं कि आजीवन कैद की तुलना में फांसी की सजा कहीं अधिक कारगर है- वैज्ञानिक दृष्टि से इसका कहीं कोई प्रमाण नहीं है. बंगाल के मावनाधिकार के पैरोकार यही कहते सुने जाते रहे हैं कि 2008 में धनंजय चटर्जी को फांसी की सजा दिए जाने के बाद राज्य से बलात्कार खत्म नहीं हुआ, कामदुनी भी इसका जीता-जागता सबूत है.

फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी कृष्ण अय्यर के एक बयान का हवाला भी दिया जाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारे देश के कानून के तहत बहुत सारे अपराध फांसी की सजा के दायरे में आते हैं. लेकिन यह बड़े ही खेद का विशय है कि फांसी की सजा समाज में अपराध को कम करने में कतई कारगर साबित नहीं हो सकी है.

माना फांसी की सजा से समाज में अपराध कम नहीं होगा. लेकिन क्या यह भी देखा जाना चाहिए कि सुधारगृह से बाहर आने के बाद कितने प्रतिशत अपराधियों में सही मायने में सुधार हुआ है? क्या वे समाज की मूलधारा में वापस लौटने के योग्य हो गए हैं? प. बंगाल में 1993 में सजल वारुई को ही लें. अपने दोस्तों की मदद से जब अपने पिता समेत सौतेली मां और भाई की उसने बेरहमी के साथ हत्या के मामले में निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कैद में तब्दील कर दिया. सजा के दौरान सजल भाग गया और मुंबई और फिर वापस कोलकाता लौट कर दूसरी कई गंभीर आपराधिक कार्यकलापों में लगा रहा. कई बार गिरफ्तारियां हुई. सजा काट कर बाहर निकला और फिर उसने अपराध को अंजाम दिया. 2011 में एक डकैती के मामले में गिरफ्तार हुआ.

मानवाधिकार का मुद्दा क्या केवल सजायाफ्ता के लिए उठाया जाना कहां तक जायज होगा! दरिंदगी के साथ जिसका बलात्कार किया गया और उसी दरिंदगी के साथ उसकी हत्या कर दी गयी, उस मृत लड़की के मानवाधिकार का क्या! क्या रिंकु और उसके भाई राजीव के मानवाधिकार का हनन नहीं हुआ! लाभपुर की आदिवासी लड़की को प्रेम करने की सजा ग्राम प्रधान ने उसका गैंगरेप करके दी. क्या यहां मानवाधिकार का हनन नहीं हुआ! भारतीय समाज की अरुणा शानबाग, माया त्यागी, अंजना मिश्र, निर्भया और इन जैसी हजारों-हजार की संख्या में बलात्कार की शिकार हुई लड़कियों के मानवाधिकार का क्या! और उस मासूम बच्ची के मानवाधिकार का क्या, जिसके साथ छह लोगों ने अप्राकृतिक दुशकर्म किया और उसके शरीर में मोमबत्तियां और शीशी डाल कर मानवता को शर्मसार करनेवाली यातनाएं दी!

वह लड़की अपने गांव की पहली लड़की थी, जो स्नातक स्तर पर पहुंची थी. सवाल यह भी उठता है कि इस फैसले के बाद गांव की दूसरी लड़की बेखौफ स्कूल-कौलेज में पढ़ने के लिए, काम पर जाने के लिए, घूमने-फिरने के लिए घर से निकलने का साहस कर सकेंगी? शायद नहीं. इस घटना के बाद स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद लड़कियों को घर पर बिठा दिया जा रहा है. बहुत सारी लड़कियों की शादी करवा दी जा रही है. इस गांव के बहुत सारे लोग चोरी-छिपे घर व जमीन बेच कर रातोंरात निकल गए हैं. गौरतलब है कि पीडि़त परिवार को भी गांव छोड़ कर जाने को मजबूर होना पड़ा. इतने सारे लोगों के मानवाधिकार की चिंता कौन करेगा?

कामदुनी कांड का फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश संचिता सरकार ने जो कुछ कहा यहां उसका उल्लेख किया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि फांसी की सजा से समाज अपराधमुक्त हो जाएगा, ऐसी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती न ही इसकी कोई गारंटी नहीं है. लेकिन इसी के साथ यह भी सच है कि आजकल समाज में हर रोज जिस पैमाने पर बलात्कार और हत्या की घटनाएं घट रही है. ऐसे में ‘लघु’ सजा दिए जाने पर आम जनता पर इसका प्रभाव पड़ेगा. इसीलिए यह कहना जरूरी है कि न्यायालय की ओर से सजा के रूप में समाज को कड़ा संदेश दिया जाना जरूरी है. समाज के माध्यम से यह संदेश अपराधी तत्वों तक भी पहुंचे. और भविष्य में वे ऐसा कोई काम करने की हिम्मत न करें. 

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