हौलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों या फिर कार्टून फिल्मों में आप ने गाडि़यों को एकदूसरे से बातें करते हुए अवश्य देखा होगा, लेकिन अब फिल्मों में ही नहीं बल्कि हकीकत में भी ऐसी कारों का निर्माण हो रहा है जो आपस में बातें करेंगी. अमेरिका के नियामक विभाग ने यहां ‘व्हीकल टू व्हीकल कम्युनिकेशन टैक्नोलौजी’ को मान्यता दे दी है. अत: जल्द ही अमेरिका की सड़कों पर ऐसी कारें नजर आएंगी जो आपस में बात कर सकेंगी. यहां गाडि़यां आपस में सेफ्टी डाटा ऐक्सचैंज कर पाएंगी. अपनी स्पीड और जगह के बारे में दूसरी गाडि़यों को सूचना देंगी, जिस से इन के बीच किसी भी टक्कर या दुर्घटना से बचा जा सके.

गाडि़यों में वायरलैस डिवाइस लगे होते हैं, जो ड्राइवर को दुर्घटना के बारे में सचेत करते हैं. यह मोड़ पर सामने से आने वाली दूसरी गाडि़यों की जानकारी देते हैं या वहां पर गाड़ी पहले से खड़ी है, तो आगाह करते हैं. लेन चेंज में गाडि़यां संवाद करने में सक्षम होंगी, जिस से हादसे टाले जा सकें. इस से गाडि़यों में पीछे से टक्कर या चौराहों पर गाडि़यों के भिड़ने की संख्या में भी कमी आएगी. अमेरिकी परिवहन विभाग ने वर्ष 2012 में तकनीक परीक्षण के बाद इसे मान्यता दे दी है.

यह तकनीक आप को सिर्फ दूसरी गाडि़यों से बातचीत करने में ही सहायता करेगी. इस से औटोमैटिक ब्रैक लगाने या गाड़ी चलाने में कोई मदद नहीं मिलेगी. हालांकि इस से पहले भी कार ड्राइविंग को स्मार्ट बनाने के कई तरीके ईजाद किए गए हैं. आप के डैशबोर्ड के लिए फिटबिट जैसे सौफ्टवेयर लाए गए. लेकिन गाडि़यों के बीच कम्युनिकेशन का यह पहला प्रयोग है. यह तकनीक भारत जैसे देशों में कारगर साबित हो सकती है. वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन के मुताबिक भारत में सड़क दुर्घटना की दर 16.8 थी जो 2013 में बढ़ कर 18.9 हो गई.

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