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अंडर एज ड्राइविंग को करें ना

याद करो जब आप बचपन में कार पार्किंग में जाकर बंद कार को चलाने की कोशिश करते थें. उस वक्त आपको कार चलाना सिर्फ एक गेम लगता था. लेकिन रूकिए कार चलाना कोई गेम नहीं है जब तक आप एक सही उम्र में नहीं आ जाते.

अगर आप पेरेंट्स हैं और आप चाहते हैं कि आपके बच्चे कार चलाएं और पड़ोस तक लेकर जाएं तो आपको ध्यान रखना होगा कि आपके बच्चे सही उम्र में ही कार चलाएं. क्योंकि ड्राइविंग करने की क्षमता उम्र और एक्सपीरियंस के साथ आती है. ऐसे में ज्यादाजल्दबाजी में कहीं आपके बच्चे से कोई गलती न हो जाएं इस बात का ख्याल आपको रखना होगा. क्योंकि कई बार आपको ऐसी गटनाएं सुनने को मिलती है जिसमें कम उम्र के बच्चों से गलती हो जाती है. इसिलिए कार चलाने के दौरान अपने बच्चों को साथ ही साथ लोगों के भी सुरक्षा का ध्यान रखें.

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आज कल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी कार चलाने के लिए ज्यादा इच्छुक होते हैं इसलिए सभी यंगस्टर्स के लिए एक सलाह है कि वह अपने सही समय और सही उम्र का इंतजार करें. जब तक आपको कार चलाने की सर्टिफिकेट न मिल जाए तब तक कार को कहीं लेकर न जाएं. इससे आपके साथ- साथ रोड़ पर यात्रा कर रहे लोगों को भी नुकसान हो सकता है. कोई भी काम आप सही समय और सही उम्र से करते हैं तो आपको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती है. सही समय का इंतजार करें.#BeTheBetterGuy

मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ और अक्षय कुमार की खास मुलाकात, फिल्म ‘रामसेतु’ को लेकर चर्चा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन दिन से मुंबई में डेरा जमाए हुए हैं और बॉलीवुड की हस्तियों के साथ बैठकें कर रहे हैं.मुंबई पहुॅचने पर सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार संग बात की.उस वक्त कहा जा रहा था कि योगी आदित्यनाथ और अक्षय कुमार के बीच उत्तर प्रदेश में प्रस्ताविक फिल्मसिटी के सिलसिले में ही गहन मंत्रणा होनी है.मगर सारे कयास गलत साबित हुए.

सूत्रों के अनुसार योगी आदित्यनाथ और अक्षय कुमार के बीच मुंबई के त्रिडेंट होटल में तकरीबन डेढ़ घंटे लंबी बैठक में फिल्मसिटी को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.बल्कि दोनों के बीच अक्षय कुमार की नई फिल्म‘‘राम सेतु’’ को लेकर लंबी चर्चा हुई.

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अक्षय कुमार अपने साथ अपना लैपटाॅप भी लेकर गए थे.सूत्र बताते है कि अक्षय कुमार ने लैपटाॅप पर योगी आदित्यनाथ को अपनी फिल्म ‘रामसेतु’के पोस्टर व फिल्म की कल्पना के बारे में विस्तार से बताया.

इतना ही नही अक्षय कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपनी इस फिल्म को अयोध्या में फिल्माने के लिए अनुमति भी मांगी.अक्षय कुमार से फिल्म की विषयवस्तु के संबंध में विस्तार से जानने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी प्रसन्नचित नजर आए और हर संभव मदद का आष्वासन दिया.

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ज्ञातब्य है कि दीवाली के दिन अक्षय कुमार ने अपनी नई फिल्म‘राम सेतु’का पोस्टर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा था-‘‘इस दीपावली,भारत राष्ट् के आदर्ष और महानायक भगवान श्रीराम की पुण्य स्मृतियों को युगों युगों तक भारत की चेतना में सुरक्षित रखने के लिए एक ऐसा सेतु बनाएं,जो आने वाली पीढ़ियों को राम से जोड़कर रखे.इसी प्रयास में हमारा भी यह छोटा सा संकल्प है..राम सेतु..’’
फिल्म राम सेतु का निर्माण अरूणा भाटिया और विक्रम मल्होत्रा कर रहे हैं.

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इस फिल्म के रचनात्मक निर्माता डाॅं. चंद्रप्रकाश द्विवेदी हैं.डां. चंद्र प्रकाष द्विवेदी के निर्देशन में बन रही फिल्म‘‘पृथ्वीराज’में अभिनय कर रहे हैं.डां.चंद्रप्रकाश इससे पहले सीरियल ‘चाणक्य’के अलावा राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत फिल्म‘पिंजर’ सहित कई धारावाहिकों व फिल्मों का निर्देषन कर चुके हैं.जबकि फिल्म के निर्देशक अभिषेक शर्मा हैं.इस फिल्म में अक्षय कुमार ही मुख्य भूमिका निभाएंगे.

बच्चों के लिए इस तरह बनाएं सूखी मूंग दाल , सेहत के लिए भी है फायदेमंद

हम सभी अपने बचपन से सुनते आ रह हैं कि मूंग दाल प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत है. यह फटाफट बनने वाला नाश्ता है. यह स्वाद में जितना अच्छा होता है. उतना ही सेहतमंद भी होता है. अगर आप भी अपने बच्चों को मूंग दाल एक बार खालाएंगे तो इसकी फरमाइश रोज आने लगेगी.

आइए जानते हैं कैसे बनाएं मूंग दाल कम समय में अपने घर पर

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समाग्री

मूंग दाल

जीरा

हिंग

हल्दी पाउडर

लाल मिर्च

नमक

घी

विधि

सबसे पहले मूंग दाल को अच्छे से साफ करके बीन लीजिए फिर 20 मिनट के लिए भिंगो दीजिए. अब प्रेशर कुकक में घी को थोड़ा गर्म करके उसमें जीरा डालिए. जब जीरा चटकना शुरू हो जाए तो उसमें हींग डाल दीजिए. अब उसमें हल्दी पाउडर डालकर कुछ सेकेंड्स के लिए भूनें.

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अब उसमें भिंगी हुई मूंग की दाल  डालकर अच्छे से मिलाए. अब इसमें मिर्च और बाकी अन्य मसाला को डालकर अच्छे से मिलाए. मिलाने के बाद उसे एक सिटा लगा दें. सिटी निकालने के बाद आप देखेंगे कि मूंग का दाल एकदम खिला खिला सुखा बनता है जो खाने में बहुत अच्छा लगता है.

आप चाहे तो इस दाल को कड़ाही में भी बना सकते हैं. इस दाल को सर्व करते समय मीठी चटनी या फिर दही के साथ सर्व करें.

दिशा परमार के लिए राहुल वैद्या की मां ने दिया ग्रीन सिग्नल

राहुल वैद्या और दिशा परमार के फैंस इन दिनों सातवें आसमान पर हैं. रहे भी क्यों न बात ही कुछ ऐसी है. इन दोनों के फैंस अभी से शादी के ख्वाब सजानें लगे हैं. वहीं अब राहुल वैद्या की मां  ने भी ग्रीन सिग्नल दे दिया है.

बता दें कि राहुल वैद्या की मां गीता ने एक इंटरव्यू में कहा है कि मैं दिशा परमार को अपने घर की बहू बनाने के लिए बेकरार हूं. साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल वैद्या ने अपनी फिलींग्स के बारे में कभी कुछ नहीं बताया कि वह दिशा परमार को कितना चाहते हैं.

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आगे उन्होंने कहा कि दिशा और राहुल एक दूसरे के साथ म्यूजिक वीडियो में काम कर चुके हैं. दोनों की बॉन्डिंग काफी अच्छी है. वह कई दफा मेरे घर आ चुकी है. मैं उसके साथ अच्छा वक्त बीता चुकी हूं. मुझे अच्छी लगती है. मैं अपने बेटे के लिए उसे पर्फ्केट मानती हूं.

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अगर हमारे दोनों बच्चे साथ में खुश हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मैं इस रिश्ते से खुश हूं. दरअसल, राहुल वैद्या ने दिशा परमार को बिग बॉस के घर में किया था. जिसके बाद से सभी को इनके रिश्ते के बारे में पता चल गया था. हालांकि दिशा परमार अभी तक इस बारे में किसी से कुछ नहीं कही हैं.

 

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वहीं खबर ये भी आ रही है कि बिग बॉस के मेकर्स ने दिशा परमार को बिग बॉस में आने का न्योता दिया था लेकिन दिशा ने बिग बॉस के घर में आने से मना कर दिया है.

बिग बॉस 14:  पवित्रा पुनिया ने एजाज खान के लिए लिखा इमोशनल पोस्ट, कहा मेरा दिल टूट गया

बिग बॉस का घर एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां हर कंटेस्टेंट को आजादी है कि वह अपने मन की बात करते हैं. ऐसा आपको बिग बॉस के हर सीजन में देखने को मिलता है. इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. बिग बॉस के घर में इम्यूनिटी स्टोन हासिल करने का टास्क दिया गया था. जिसमें अपने जिंदगी की कुछ ऐसी सच्चाई बतानी थी जिसके बारे में आपने कभी किसी को नहीं बताई होगी.

एजाज खान ने इस टास्क को जीता उन्होंने बताया कि वह बचपन में यौन शोषण का शिकार हो चुके हैं. यह राज अभी तक उन्होंने किसी को नहीं बताया था. एजाज खान की दर्द भरी कहानी सुनने के बाद सभी घरवाले इमोशनल हो गए थें.

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वहीं कुछ कंटेस्टेंट के आंसू छलक गए थें. जिसके बाद सभी ने एजाज खान को हिम्मत वाला भी बताया कि वह अपनी वर्षो पुरानी बात पूरा दुनिया के सामने रखें. इस दौरान बिग बॉस के घर से जा चुकी पवित्रा पुनिया ने एजाज खान के लिए एक पोस्ट लिखा है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि तुम्हारी इज्जत हमारी नजरों में दोगुना बढ़ गई है. पहले से ज्यादा मैं तुम्हें इज्जत देने लगी हूं. अब मुझे समझ आ रहा है कि आखिर क्यों तुम मुझे छुने से मना करते थें. मैं पूरी उम्मीद के साथ कह सकती हूं कि तुम ही होगे इस शो के विजेता.

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आगे पवित्रा ने लिखा यह जानकर मेरा दिल टूट गया कि तुम्हारे साथ ऐसा भी हुआ है.

पवित्रा पुनिया के इस ट्वीट को लोग बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इस पर फैंस के बहुत सारे कमेंट आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि एजाज खान बहुत स्ट्रोंग कंटेस्टेंट हैं.

सहचारिणी-भाग 1: छोटी मां के आते ही क्या परिवर्तन हुआ

आज का दिन मेरी जिंदगी का सब से खास दिन है. मेरा एक लंबा इंतजार समाप्त हुआ. तुम मेरी जिंदगी में आए. या यों कहूं कि तुम्हारी जिंदगी में मैं आ गई. तुम्हारी नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी, मेरा मन पुलकित हो उठा. लेकिन मुझे डर लगा कि कहीं तुम मेरा तिरस्कार न कर दो, क्योंकि पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है. लोग आते, मुझे देखते, नाकभौं सिकोड़ते और बिना कुछ कहे चले जाते. मैं लोगों से तिरस्कृत हो कर अपमानित महसूस करती. जीवन के सीलन भरे अंधेरों में भटकतेभटकते कभी यहां टकराती कभी वहां. कभी यहां चोट लगती तो कभी वहां. चोट खातेखाते हृदय क्षतविक्षत हो गया था. दम घुटने लगा था मेरा. जीने की चाह ही नहीं रह गई थी. मैं ऐसी जिंदगी से छुटकारा पाना चाहती थी. धीरेधीरे मेरा आत्मविश्वास खोता जा रहा था.

वैसे मुझ में आत्मविश्वास था ही कहां? वह तो मेरी मां के जाने पर उन के साथ चला गया था. वे बहुत प्यार करती थीं मुझे. उन की मीठी आवाज में लोरी सुने बिना मुझे नींद नहीं आती थी. मैं परी थी, राजकुमारी थी उन के लिए. पता नहीं वे मुझ जैसी साधारण रूपरंग वाली सामान्य सी लड़की में कहां से खूबियां ढूंढ़ लेती थीं.

मगर मेरे पास यह सुख बहुत कम समय रहा. मैं जब 5 वर्ष की थी, मेरी मां मुझे छोड़ कर इस दुनिया से चली गईं. फिर अगले बरस ही घर में मेरी छोटी मां आ गईं. उन्हें पा कर मैं बहुत खुश हो गई थी कि चलो मुझे फिर से मां मिल गईं.

वे बहुत सुंदर थीं. शायद इसी सुंदरता के वश में आ गए थे मेरे बाबूजी. मगर सुंदरता में बसा था विकराल स्वभाव. अपनी शादी के दौरान पूरे समय छोटी मां मुझे अपने साथ चिपकाए रहीं तो मैं बहुत खुश हो गई थी कि छोटी मां भी मुझे मेरी अपनी मां की तरह प्यार करेंगी. लेकिन धीरेधीरे असलियत सामने आई. बरस की छोटी सी उम्र में ही मेरे दिल ने मुझे चेता दिया कि खबरदार खतरा. मगर यह खतरा क्या था, यह मेरी समझ में नहीं आया.

सब के सामने तो छोटी मां दिखाती थीं कि वे मुझे बहुत प्यार करती हैं. मुझे अच्छे कपड़े और वे सारी चीजें मिलती थीं, जो हर छोटे बच्चे को मिलती हैं. पर केवल लोगों को दिखाने के लिए. यह कोई नहीं समझ पा रहा था कि मैं प्यार के लिए तरस रही हूं और छोटी मां के दोगले व्यवहार से सहमी हुई हूं.

सुंदर दिखने वाली छोटी मां जब दिल दहलाने वाली बातें कहतीं तो मैं कांप जाती. वे दूसरों के सामने तो शहद में घुली बातें करतीं पर अकेले में उतनी ही कड़वाहट होती थी उन की बातों में. उन की हर बात में यही बात दोहराई जाती थी कि मैं इतनी बदनसीब हूं कि बचपन में ही मां को खा गई. और मैं इतनी बदसूरत हूं कि किसी को भी अच्छी नहीं लग सकती.

उस समय उन की बात और कुटिल मुसकान का मुझे अर्थ समझ में नहीं आता था. मगर जैसेजैसे मैं बड़ी होती गई वैसेवैसे मुझे समझ में आने लगा. मगर मेरा दुख बांटने वाला कोई न था. मैं किस से कहूं और क्या कहूं? मेरे पिता भी अब मेरे नहीं रह गए थे. वे पहले भी मुझ से बहुत जुड़े हुए नहीं थे पर अब तो उन से जैसे नाता ही टूट गया था.

मैं जब युवा हुई तो मैं ने देखा कि दुनिया बड़ी रंगीन है. चारों तरफ सुंदरता है, खुशियां हैं, आजादी है और मौजमस्ती है. पर मेरे लिए कुछ भी नहीं था. मैं लड़कों से दूर रहती. अड़ोसपड़ोस के लोग घर में आते तो मुझ से नौकरानी सा व्यवहार करते. मेरी हंसी उड़ाते. अब आगे मैं कुछ न कहूंगी. कहने के लिए है ही क्या? मैं पूरी तरह अंतर्मुखी, डरपोक और कायर बन चुकी थी.

लेकिन कहते हैं न हर अंधेरी रात की एक सुनहरी सुबह होती है. सुनहरी सुबह मेरी जिंदगी में भी तब आई जब तुम बहार बन कर मेरी वीरान जिंदगी में आए.

तुम्हारी वह नजर… मैं कैसे भूल जाऊं उसे. मुझे देखते ही तुम्हारी आंखों में जो चमक आ गई थी वह जैसे मुझे एक नई जिंदगी दे गई. याद है मुझे वह दिन जब तुम किसी काम से मेरे घर आए थे. काम तुरंत पूरा न होने के कारण तुम्हें अगले दिन भी हमारे घर रुक जाना पड़ा था.

उन 2 दिनों में जब कभी हमारी नजरें टकरा जातीं या पानी या चाय देते समय जरा भी उंगलियां छू जातीं तो मेरा तनमन रोमांचित हो उठता. मेरी जिंदगी में उत्साह की नई लहर दौड़ गई थी.

फिर सब कुछ बहुत जल्दीजल्दी घट गया और तुम हमेशा के लिए मेरी जिंदगी में आ गए. एक लंबी तपस्या जैसे सफल हो गई. छोटी मां ने अनजाने में ही मुझ पर बहुत बड़ा उपकार कर दिया. उन्हें लगा होगा बिना दहेज के इतना अच्छा रिश्ता मिल रहा है और यह अनचाही बला जितनी जल्दी घर से निकल जाए उतना अच्छा.

तुम्हारे साथ तुम्हारे घर जा कर ही मुझे पता चला कि तुम दफ्तर जा कर कलम घिसने वाले व्यक्ति नहीं, बल्कि फैशन डिजाइनिंग क्षेत्र के बहुत बड़ी हस्ती हो. तुम्हारा आलीशान मकान तो किसी फिल्म के सैट से कम नहीं था. नौकरचाकर, ऐशोआराम की कमी नहीं थी. मैं तो जैसे सातवें आसमान में पहुंच गई थी. फिर भी मेरे दिमाग में वही संदेह. इतने बड़े आदमी हो कर तुम ने मुझे क्यों चुना?

मेरी जिंदगी में कई अविस्मरणीय घटनाएं घटीं. अलौकिक आनंद के पल भी आए. जब भी तुम्हें कोई सफलता मिलती तुम मुझे अपनी बांहों में भर लेते और सीने से लगा लेते. उस स्पर्श की सुकोमलता तथा तुम्हारी आंखों में लहराता प्यार का सागर और तुम्हारे नम होंठों की नरमी को मैं कैसे भूल सकती हूं? ऐसे मधुर क्षणों में मुझे अपने पर गर्व होता. पर दूसरे ही पल मन में यह शंका शूल सी चुभती कि क्या मैं इस सुख के काबिल हूं? तुम मुझ पर इतने मेहरबान क्यों? जब कभी मैं ने अपने इन विचारों को तुम्हारे सामने प्रकट किया, तुम्हारे होंठों पर वही निश्छल हंसी आ जाती जिस ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया था. फिर मैं सब कुछ भूल कर तुम्हारे प्यार में खो जाती.

मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए तुम कहते, ‘‘तुम नहीं जानतीं कि तुम क्या हो. अब रही सुंदरता की बात, तो मुझे रैंप पर कैटवाक करती विश्व सुंदरी नहीं चाहिए. मुझे जो सुंदरता चाहिए वह तुम में है.’’

‘‘एक बात कहूं, तुम ने मुझे अपना कर मुझे वह सम्मान दिया है, जो किसी को विरले ही मिलता है. मगर एक प्रश्न है मेरा…’’

‘‘हां मुझे मालूम है. अब तुम यह पूछोगी न कि तुम तो दावा करते हो कि मैं तुम्हें पहली ही नजर में भा गई. मगर पहली ही नजर में तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ कैसे पता चला? यही है न तुम्हारा प्रश्न?’’ तुम ने मेरी आंखों में झांकते हुए शरारत भरी हंसी के साथ कहा तो मुझे मानना ही पड़ा कि तुम सुंदरता ही नहीं लोगों के दिलों के भी पारखी हो.

Winter Special: प्रेग्नेंसी के दौरान जरूर कराएं ये 5 टेस्ट

गर्भधारण करना किसी भी महिला के लिए सब से बड़ी खुशी की बात और शानदार अनुभव होता है. जब आप गर्भवती होती हैं, तो उस दौरान किए जाने वाले प्रीनेटल टैस्ट आप को आप के व गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हैं. इस से ऐसी किसी भी समस्या का पता लगाने में मदद मिलती है, जिस से शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है जैसे संक्रमण, जन्मजात विकार या कोई जैनेटिक बीमारी. ये नतीजे आप को शिशु के जन्म के पहले ही स्वास्थ्य संबंधी फैसले लेने में मदद करते हैं.

यों तो प्रीनेटल टैस्ट बेहद मददगार साबित होते हैं, लेकिन यह जानना भी महत्त्वपूर्ण है कि उन के परिणामों की व्याख्या कैसे करनी है. पौजिटिव टैस्ट का हमेशा यह मतलब नहीं होता है कि आप के शिशु को कोई जन्मजात विकार होगा. आप टैस्ट के नतीजों के बारे में अपने डाक्टर से बात करें और उन्हें समझें. आप को यह भी पता होना चाहिए कि नतीजे मिलने के बाद आप को सब से पहले क्या करना है.

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डाक्टर सभी गर्भवती महिलाओं को प्रीनेटल टैस्ट कराने की सलाह देते हैं. कुछ महिलाओं के मामले में ही जैनेटिक समस्याओं की जांच के लिए अन्य स्क्रीनिंग टैस्ट कराने की जरूरत पड़ती है.

5 नियमित टैस्ट

गर्भावस्था के दौरान कुछ नियमित टैस्ट यह सुनिश्चित करने के लिए होते हैं कि आप स्वस्थ हैं. आप का डाक्टर आप के खून और पेशाब की जांच कर कुछ परिस्थितियों का पता लगाएगा. इन में निम्नलिखित टैस्ट शामिल हैं:

– हीमोग्लोबिन (एचबी)

– ब्लड शुगर एफ और पीपी

– ब्लड ग्रुप टैस्ट

– वायरल मार्कर टैस्ट

– ब्लड प्रैशर.

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अगर आप गर्भधारण करने के बारे में सोच रही हैं, तो डाक्टर आप को फौलिक ऐसिड (सप्लिमैंट्स) टैबलेट्स लेने की सलाह दे सकता है. ये टैबलेट लेने की सलाह आप को तब भी दी जा सकती है, जब आप स्वस्थ हों और अच्छा आहार भी ले रही हों. विटामिन बी सप्लिमैंट्स और कैल्सियम लेने की सलाह सभी गर्भवती, स्तनपान करा रही महिलाओं और स्तनपान कर रहे शिशुओं को दी जाती है. इन्हें शुरू करने से पहले डाक्टर से सलाह जरूर ले लें.

अन्य टैस्ट

स्कैनिंग टैस्ट: अल्ट्रासाउंड आप के शिशु और आप के अंगों की पिक्चर लेने के लिए ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करता है. अगर आप की गर्भावस्था सामान्य है, तो आप को 2-3 बार यह कराना होगा. पहली बार शुरुआत में यह देखने के लिए कि क्या स्थिति है, दूसरी बार शिशु का विकास देखने के लिए करीब 18-20 सप्ताह का गर्भ होने पर, जिस से यह सुनिश्चित हो सके कि शिशु के शरीर के सभी अंग अच्छी तरह विकसित हो सकें.

जैनेटिक टैस्ट: प्रीनेटल जैनेटिक टैस्ट विशेष तौर पर उन महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं, जिन के शिशु को जन्मजात विकार या जैनेटिक समस्या होने का जोखिम ज्यादा होता है. ऐसा निम्न परिस्थितियों के दौरान होता है:

– आप की उम्र 35 वर्ष से अधिक है.

– आप को कोई जैनेटिक बीमारी है या आप के व आप के साथी के परिवार में किसी जैनेटिक बीमारी का इतिहास हो.

– आप का पहले गर्भपात हुआ हो या मृत शिशु पैदा हुआ हो.

डा. मोनिका गुप्ता, एमडी, डीजीओ गाइनोकोलौजिस्ट के अनुसार, स्वस्थ गर्भावस्था के लिए इन जांचों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है. प्रीनेटल टैस्ट में ब्लड टैस्ट शामिल है, जिस से आप के ब्लड टाइप, आप को ऐनीमिया है या नहीं इस के लिए आप के हीमोग्लोबिन का स्तर, डायबिटीज की जांच के लिए ब्लड ग्लूकोज का स्तर, आप का आरएच फैक्टर (अगर आप का ब्लड आरएच नैगेटिव है और शिशु के पिता का ब्लड आरएच पौजिटिव है, तो शिशु में भी पिता का आरएच पौजिटिव ब्लड हो सकता है, जिस से आप के शरीर में ऐंटीबौडीज बननी शुरू हो सकती हैं और उस से आप के गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है) जांचा जाएगा. एचआईवी, हैपेटाइटिस सी और बी जैसी बीमारियों के लिए आप का वायरल मार्कर टैस्ट भी होगा, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान ये बीमारियां हो सकती हैं.

अगर आप को पहले से जानकारी हो कि आप को व आप के साथी को एक खास बीमारी है, तो आप पहले से ही भावनात्मक तौर पर तैयार हो सकती हैं. पहले से जानकारी होने पर आप को परिस्थितियों पर बेहतर नियंत्रण रखने में आसानी होगी.

– डा. सुनीता यादव, प्रमुख क्वालिटी कंट्रोल, डालमिया मैडिकेयर

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Crime Story: मौत के सौदागर

सौजन्या-सत्यकथा

घटना 5 जुलाई, 2020 की है. मध्य प्रदेश का शाजापुर शहर जब गहरी नींद में सो रहा था, शहर के सदर बाजार क्षेत्र में रहने वाले एक प्रतिष्ठित व्यापारी का परिवार बड़े जोरशोर से अपनी बेटी की शादी की तैयारी में जुटा था.

इस परिवार की खूबसूरत और सुशील बेटी सोनू परिवार की शान मानी जाती थी. सोनू शहर के ही सरस्वती स्कूल में उपप्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत थी तथा अपनी योग्यता और व्यवहार के कारण स्कूल के सभी विद्यार्थियों की चहेती भी.

सोनू की शादी उज्जैन जिले के नागदा के रहने वाले प्रतिष्ठित बागरेचा परिवार के बेटे के साथ होने जा रही थी. दूल्हे के मामा जावरा सर्राफा बाजार में रहते थे.

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मामा चाहते थे कि भांजे की शादी जावरा से हो, इसलिए दोनों परिवारों ने एक मत हो कर 5 जुलाई को जावरा के कोठारी रिसोर्ट से विवाह करने की तैयारी कर ली. इसलिए सोनू का परिवार उस दिन सुबह जल्दी ही शाजापुर से जावरा के लिए निकलने वाला था.

ऐसे में जिस लड़की की शादी हो, उसे नींद कैसे आ सकती है. इसलिए सोनू भी परिवार वालों के साथ जाग रही थी.

सोनू के अलावा रतलाम के दीनदयाल नगर इलाके में रहने वाला एक युवक राम यादव भी जाग रहा था. वैसे राम इस परिवार का सदस्य नहीं था लेकिन राम के इस तरह जागने का कारण सोनू की शादी से जरूर जुड़ा था.

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इसलिए सुबह को जिस वक्त सोनू अपने परिवार के साथ जावरा को रवाना हुई, लगभग उसी समय राम यादव भी अपने एक दोस्त पवन पांचाल के साथ मोटरसाइकल पर सवार हो कर जावरा के लिए निकल पड़ा.

दोनों एक ही शहर के लिए रवाना हुए थे, मगर उन की मंजिलें अलगअलग थीं. सोनू की मंजिल उस का होने वाला पति था तो राम यादव की मंजिल सोनू थी.

सुबह कोई साढ़े 8 बजे सोनू अपने परिवार के साथ जावरा के कोठारी रिसोर्ट पहुंच गई. लौकडाउन के कारण शादी में ज्यादा मेहमानों को शामिल करने की मनाही होने के कारण दोनों पक्षों के गिनेचुने खास मेहमान ही शामिल होने के लिए आए थे. इसलिए उस रिसोर्ट में बहुत ज्यादा चहलपहल नहीं थी.

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सुबह के 9 बजे के आसपास सोनू अपनी चचेरी बहन के साथ शृंगार करवाने के लिए पहले से बुक किए ब्यूटीपार्लर जाने को तैयार हुई तो उस के भाई ने दोनों बहनों को कार में बैठा कर आंटिक चौराहे पर स्थित ब्यूटीपार्लर के सामने सड़क पर छोड़ दिया.

इधर रतलाम से जावरा पहुंचा राम यादव पिछले 2 घंटे से पागलों की तरह सड़कों पर सोनू को तलाश रहा था. संयोग से जैसे ही चौराहे पर सोनू अपनी बहन के साथ कार से उतरी वैसे ही उस पर राम की नजर पड़ गई. लेकिन जब तक वह उस के पास पहुंचता सोनू बिल्डिंग में दाखिल हो गई.

बिल्डिंग के अंदर ब्यूटीपार्लर देख कर राम समझ गया कि सोनू पार्लर में आई होगी, इसलिए उस ने दोस्त पवन के मोबाइल से सोनू के मोबाइल पर फोन लगाया.

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सोनू मेकअप सीट पर बैठ चुकी थी, इसलिए उस का फोन साथ आई चचेरी बहन ने रिसीव किया. जिस से राम को पता चल गया कि सोनू पार्लर में ही है. इसलिए फोन काटने के बाद वह चारों दिशाओं का जायजा ले कर पार्लर में दाखिल हो गया.

मेकअप सीट पर बैठी सोनू ने सामने लगे आइने में दरवाजे से राम को अंदर आता देखा तो उस का दिल धड़क उठा. लेकिन इस से पहले कि वह कुछ कर पाती राम ने तेजी से पास आ कर सोनू का मेकअप कर रही लड़की को जोर से धक्का दे कर एक तरफ गिरा दिया. फिर झटके के साथ जेब से बड़ा सा चाकू निकाल कर सोनू की गरदन रेत दी और वहां से फरार हो गया.

यह सूचना वरवधू के घर वालों को मिली तो वे सदमे में आ गए. घटनास्थल पर तड़पती सोनू को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले उस की मृत्यु हो गई. कुछ ही घंटे बाद फेरे लेने जा रही दुलहन की हत्या की खबर फैलते ही जावरा में सनसनी फैल गई.

इस घटना की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी बी.डी. जोशी पुलिस टीम के साथ पहुंच गए. उन के पहुंचने के थोड़ी देर बाद सीएसपी पी.एस. राणावत भी मौके पर पहुंच गए. सोनू के साथ पार्लर गई उस की चचेरी बहन से पूछताछ की गई, लेकिन उस का कहना था कि वह हत्यारे को नहीं जानती.

उस ने बताया कि इस घटना से 2 मिनट पहले ही सोनू के मोबाइल पर एक फोन आया था. वह किस का था, यह पता नहीं. थानाप्रभारी ने वह नंबर हासिल कर लिया. वह समझ रहे थे कि हत्यारे तक पहुंचने के लिए वह नंबर पहली सीढ़ी हो सकता है.

इस बीच घटना की खबर पा कर एसपी गौरव तिवारी तथा आईजी (उज्जैन) राकेश गुप्ता भी जावरा पहुंच गए. उन के निर्देश पर पुलिस टीम ने चारों तरफ नाकेबंदी कर जावरा से बाहर जाने वाले रास्तों पर संदिग्ध मोटरसाइकिल की तलाश की.

इस जांच में पुलिस को एक बाइक एमपी43डीटी 8979 पर सवार 2 युवक राजस्थान की तरफ तेजी से भागते दिखे. लेकिन वह पुलिस के हाथ न लग सके.

सोनू के साथ घटना जावरा में हुई जरूर थी, लेकिन वह जावरा की रहने वाली नहीं थी, इसलिए पुलिस को शक था कि उस का हत्यारा उस के पीछे शाजापुर या किसी अन्य शहर से आया होगा. इसलिए जब बाइक नंबर के आधार पर रतलाम में बाइक की तलाश की गई तो एक सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि इस बाइक पर सवार 2 युवक सुबह करीब 6 बजे रतलाम से जावरा की तरफ निकले थे.

इसलिए सीसीटीवी के आधार पर इस बात की संभावना नजर आई कि वह युवक रतलाम के ही होंगे. लिहाजा पुलिस ने सीसीटीवी से ले कर दोनों युवकों के फोटो पहचान के लिए सभी थानों में भिजवा दिए.

इस प्रयास में दीनदयाल नगर थाने में तैनात एक आरक्षक ने फुटेज के फोटो देखते ही दोनों की पहचान राम यादव और पवन पांचाल के रूप में कर दी, जो जाटों का वास इलाके के रहने वाले थे. चूंकि राम यादव पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा की जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी था, जिस से पुलिस ने उसे आसानी से पहचान लिया.

इस पर पुलिस ने राजस्थान के रास्ते पर नाकाबंदी कर दी. क्योंकि सीएसपी राणावत को भरोसा था कि इन में से पवन पांचाल वापस रतलाम लौट सकता है क्योंकि ब्यूटीपार्लर में लगे सीसीटीवी कैमरे में केवल राम यादव पार्लर में जाते और निकल कर भागते दिखाई दिया था. इस से साफ था कि हत्या राम यादव ने की है जबकि पवन उस की मदद करने की गरज से साथ गया था.

सीएसपी राणावत का सोचना एकदम सही साबित हुआ. पवन जल्द ही उस समय पुलिस की गिरफ्त में आ गया, जब वह राजस्थान से वापस लौट रहा था. पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने बता दिया कि सोनू की हत्या राम यादव ने की थी तथा वह उसे बांसवाड़ा डिपो पर छोड़ कर वापस आ रहा था.

राम को पवन के पकड़े जाने की खबर नहीं थी, इसलिए पुलिस ने पवन से उसे फोन करवाया. राम यादव ने उसे बताया कि कि वह सावरियाजी में है. यह पता चलते ही पुलिस ने एक टीम तुरंत सावरियाजी भेज दी. वहां से पुलिस ने राम को भी गिरफ्तार कर लिया.

एक दिन में ही सोनू के हत्यारे पुलिस की गिरफ्त में आ गए थे, जिन से पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त बड़ा चाकू और राम के खून सने कपड़े भी बरामद कर लिए. पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ की तो सोनू की निर्मम हत्या के पीछे की कहानी इस प्रकार से सामने आई.

शाजापुर के व्यापारी परिवार की बेटी सोनू गुणों के संग रूप की भी खान थी. नातेरिश्तेदार, सहेलियां सभी उसे चाहते थे. सोनू के लिए उस के पिता ने काफी सोचसमझ कर वर का चुनाव कर सन 2010 में उस की शादी उज्जैन निवासी सजातीय युवक से कर दी. लेकिन पति के साथ सोनू की पटरी नहीं बैठने के कारण दोनों में विवाद होने लगा, जो इस हद तक बढ़ा कि शादी के 4 साल बाद ही उस का पति से तलाक हो गया.

तलाक के बाद सोनू वापस मायके में आ कर रहने लगी. उच्चशिक्षित तो वह थी ही, इसलिए उस ने शाजापुर आ कर स्थानीय सरस्वती विद्यालय में शिक्षिका की नौकरी कर ली, जहां वह जल्द ही अपनी योग्यता के आधार पर वह उप प्राचार्य के पद तक पहुंच गई.

सोनू की हत्या की कहानी की भूमिका 3 साल पहले सन 2017 में उस वक्त शुरू हुई, जब वह अपने एक रिश्तेदार के घर शादी में शामिल होने के लिए रतलाम गई. वह रिश्तेदार रतलाम शहर के दीनदयाल नगर में रहते थे.

उन के पड़ोस में ही राम यादव रहता था. ज्वैलर्स की दुकान पर काम करने वाला राम भाजयुमो का नेता था. इस शादी में राम यादव भी शामिल हुआ था.

यहीं पर राम यादव की सोनू से पहली मुलाकात हुई. राम सोनू से उम्र में 7 साल छोटा था फिर भी सोनू के रूप ने उस पर ऐसा जादू डाला कि वह पूरी शादी में उस के आगेपीछे घूमता रहा.

इस दौरान औपचारिकतावश दोनों में बातचीत हुई तो राम ने सोनू से उस का मोबाइल नंबर ले लिया, जिस से शादी के बाद दोनों की अकसर सोशल मीडिया पर बातचीत होेने लगी.

सोनू खुले विचारों की थी ही, इसलिए उसे समाज के इस राजनैतिक युवक की बातों में बहुत कुछ सीखने को मिलने लगा. वह भी राम से अकसर चैटिंग करने लगी. लेकिन उसे नहीं मालूम था कि राम के मन में उसे ले कर क्या चल रहा है. वह खुद राम से उम्र में काफी बड़ी थी, इसलिए वह सोच भी नहीं सकती थी कि राम उस में अपनी प्रेमिका तलाश रहा है.

बहरहाल, इस सब के बीच राम के साथ सोनू की दोस्ती काफी गहरी होती गई तो राम ने एक दिन उस के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया.

सोनू समझदार थी. वह जानती थी कि ऐसे दीवाने अचानक मना करने से कुछ बवाल खड़ा कर सकते हैं, इसलिए उस ने समझदारी दिखाते हुए राम को टालते हुए कहा कि उस ने कभी इस बारे में नहीं सोचा. सोचने का समय दो, फिर अपना निर्णय बता सकूंगी.

राम को लगा कि टीचर होने के नाते सोनू प्यार सीधे स्वीकार नहीं कर पा रही है, कुछ दिन बाद वह राजी हो जाएगी. इसलिए वह लगातार उस से फोन कर के या फेसबुक वाट्सऐप पर चैट करते हुए प्रणय निवेदन करता रहा.दोनों की अकसर फोन पर बातें भी होती थीं. इसलिए जून के अंतिम दिनों में फोन पर बात करते हुए जब राम ने एक बार फिर सोनू के सामने शादी कर प्रस्ताव रखा तो सोनू ने उस से कहा, ‘‘राम, यह संभव नहीं है. एक तो तुम्हारी उम्र मुझ से काफी कम है. दूसरे मैं एक बार तलाक का दंश झेल चुकी हूं, इसलिए अब मैं वहीं शादी करने जा रही हूं, जहां मेरे पिता ने कहा है.’’

‘‘क्याऽऽ तुम शादी कर रही हो?’’ राम ने चौंकते हुए पूछा.‘‘हां, 5 जुलाई को मेरी शादी है और घर वालों ने जावरा में एक रिसोर्ट भी बुक करा दिया है. ‘‘कहां, किस से.’’ राम ने पूछा तो मन की साफ सोनू ने उसे सब कुछ बता दिया. यह सुन कर राम गुस्से में पागल हो गया तथा उस ने सोनू को यह शादी न करने की धमकी दी. लेकिन सोनू ने उस की नहीं सुनी और आगे से उस का फोन अटैंड करना भी  बंद कर दिया.

राम सोनू को ले कर न जाने क्याक्या सपने देख चुका था. सोनू की शादी की खबर ने उस के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. इस से उसे गुस्सा आ गया. उस ने उसी समय फैसला ले लिया कि यदि सोनू उस की नहीं हुई तो वह किसी और की नहीं हो सकती. यह बात राम ने अपने दोस्त पवन पांचाल को बताई तो वह राम का साथ देने को तैयार हो गया. उस ने 5 जुलाई को ही सोनू की हत्या करने की ठान ली.

इस के बाद 5 जुलाई को उस ने दोस्त पवन के साथ जावरा पहुंच कर उस की हत्या कर दी.इधर सोनू के परिवार वालों का कहना है कि उन की बेटी का किसी से कोई संबंध नहीं था. आरोपी अपने अपराध को छिपाने के लिए उन की बेटी पर गलत आरोप लगा रहा है. पुलिस ने आरोपी राम यादव और पवन पांचाल से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

पड़ोसिन- पति की बात सुनकर सुधा क्यों घबराई

रविवार को सुबह ही घर की घंटी ने हम सब को जगा दिया. मैं दरवाजा खोलने के लिए उठने लगी तो पति ने कहा, ‘‘रुको, मैं देखता हूं. हो सकता है अखबार वाला हिसाब लेने आया हो. उस की खबर लेता हूं. महीने में 5-6 दिन पेपर नहीं डाला उस ने. ’’

पति अखबार वाले को कोसते हुए दरवाजा खोलने चले गए. मैं ने फिर चादर से मुंह ढक लिया.

‘‘सुधासुधा, जरा बाहर आना,’’ पति की आवाज सुन कर मैं चादर को एक ओर फेंक कर जल्दी से बाहर आ गई. दरवाजे पर सीमा को खड़ी देख मुझे अजीब लगा.

‘‘भाभीजी, आप अब तक सो रही हैं? चलो जाने दो. यह देखो मैं आप सब के लिए इडलीसांभर बना कर लाई हूं,’’ कह कर सीमा ने 2 बड़े बरतन मेरी ओर बढ़ा दिए. न चाहते हुए भी मुझे बरतन पकड़ने पड़े.

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‘‘अच्छा भाभीजी मैं चलती हूं,’’ कह कर सीमा चली गई.

‘‘क्या बात है सुधा… नई पड़ोसिन से अच्छी बन रही है तुम्हारी …थोड़े दिन पहले कोफ्ते और आज इडलीसांभर …बढि़या है,’’ पति ने अखबार के पन्ने पलटते हुए कहा, पर मैं मन ही मन कुढ़ रही थी.

सीमा को हमारे पड़ोस में आए अभी 1 महीना ही हुआ है, पर वह हर किसी से कुछ ज्यादा ही खुलने की कोशिश करती है खासकर मुझ से, क्योंकि हम आमनेसामने के पड़ोसी थे. इसीलिए वह बिना बताए बिना बुलाए किसी भी वक्त मेरे घर आ धमकती, कभी कुछ देने तो कभी कुछ लेने. हम पिछले 5 सालों से यहां रह रहे हैं. इस कालोनी में सब अपने में मस्त रहते हैं. किसी को किसी से कोई लेनादेना नहीं. बस कभीकभार महिलाओं की किट्टी पार्टी में या फिर कालोनी के पार्क में शाम को मिल जाते हैं. इतने सालों में मैं शायद ही कभी किसी के घर गई हूं. इसीलिए सीमा की यह आदत आजकल चर्चा का विषय बनी हुई थी.

रविवार को सारा दिन आराम करने में निकल गया. शाम को बच्चों ने पार्क चलने को कहा तो पति भी तैयार हो गए. बच्चे और मेरे पति फुटबौल खेलने में व्यस्त हो गए, तो मैं कालोनी की महिलाओं के साथ बातों में लग गई.

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‘‘और सुधाजी, आप की पड़ोसिन के क्या हालचाल हैं… यार, सच में कमाल की औरत है. आज सुबहसुबह आ कर इडलीसांभर दे गई… सारी नींद खराब कर दी हम सब की,’’ कह हमारे घर से 4 मकान छोड़ कर रहने वाली एकता ने बुरा सा मुंह बनाया.

‘‘अरे अच्छा ही हुआ जो इडली दे गई. मेरी नाश्ता बनाने की छुट्टी हो गई,’’ पड़ोसिन सविता हंसते हुए बोली.

‘‘अरे बरतन देखे थे …आज स्टील के बरतन कौन इस्तेमाल करता है? हमारी तो सारी क्रौकरी विदेशी है… बच्चे तो स्टील के बरतन देखते ही चिढ़ गए,’’ एकता बोली.

आजकल कालोनी में जब भी महिलाओं का ग्रुप कहीं एकसाथ नजर आए तो समझ लीजिए सीमा ही चर्चा का विषय होगी. कमाल है यह सीमा भी.

तभी सामने से सीमा आती दिखी तो एकता दबी जबान में बोली, ‘‘देखो तो जरा इसे… इस का दुपट्टा कहीं से भी सूट से मेल नहीं खा रहा… कैसी गंवार लग रही है यह.’’

‘‘क्या हाल हैं भाभीजी… आप सब को इडली कैसी लगी?’’ सीमा ने बहुत उत्साह से पूछा.

‘‘अरे, कमाल का जादू है तुम्हारे हाथों में सीमा… बहुत अच्छा खाना बना लेती हो तुम…’’ सब ने एक ही सुर में सीमा की तारीफ की. फिर थोड़ी देर बाद उस के जाने पर सभी उस का मजाक उड़ाते हुए हंसने लगीं.

कुछ दिन बाद कालोनी के शादी के हौल में एकता ने अपने बेटे का जन्मदिन मनाया. हर कोई बनठन कर पहुंचा. सीमा इतनी चटक रंग की साड़ी और इतने भारी गहने पहन कर आई गोया किसी शादी में आई हो. फिर एक बार वह सब के बीच मजाक का पात्र बन गई. आए दिन कालोनी में उस का या उस के पति का यों ही मजाक उड़ता. पूरी कालोनी की कारें साफ करने के लिए हम सब ने मिल कर 2 लोगों को रखा हुआ था. पर सीमा का पति दिन में 2-3 बार खुद अपनी कार साफ करता था. आए दिन कालोनी में सीमा का मजाक उड़ता और मैं भी उस में शामिल होती. हालांकि सीमा की काफी बातें मुझे अच्छी लगतीं पर कहीं सब इस की तरह मेरा भी मजाक न उड़ाएं, इसलिए मैं उस से दूरी बनाए रखती.

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कुछ दिन बाद मेरी बूआ सास को दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया. देवर का फोन आते ही मैं और मेरे पति अस्पताल भागे. वहां हमें काफी समय लग गया. मैं ने घड़ी देखी तो खयाल आया कि बच्चे स्कूल से आते ही होंगे. जल्दबाजी में मैं चाबी चौकीदार को देना भूल गई. मुझे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं. मैं ने एकता को फोन किया तो वह बोली कि यार सौरी मुझे शौपिंग के लिए जाना है. अभी घर पर ताला ही लगा रही थी और उस ने फोन काट दिया. एकता के अलावा मेरे पास और किसी का फोन नंबर नहीं था. मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था कि इतने सालों में मैं ने किसी का फोन नंबर लेने की भी कोशिश नहीं की. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. फिर मैं ने इन से कार की चाबी ली और घर चल दी. रास्ते में जाम ने दुखी कर दिया. घर पहुंचतेपहुंचते काफी देर हो गई.

सोच रही थी कि बच्चे 1 घंटे से दरवाजे पर खड़े होंगे. खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था. कार पार्क कर के घर पहुंची तो दरवाजे पर बच्चे नहीं थे. मैं घबरा उठी कि बच्चे कहां जा सकते हैं. पति को फोन मिलाने लगी तो देखा कि किसी अनजान नंबर से 4 मिस कालें आई थीं और 1 मैसेज भी था कि मम्मी आप, फोन क्यों नहीं उठा रहीं… हम सीमा आंटी के घर में हैं. मैसेज पढ़ कर मेरी जान में जान आई. मैं सीमा के घर पहुंची तो बच्चे खाना खा कर टीवी देख रहे थे.

‘‘अरे भाभी, आप कहां चली गई थीं? बच्चे स्कूल से आ कर घंटी बजा रहे थे, तो मैं यहां ले आई. भाभी, आप मुझे बोल जातीं तो जल्दी घर नहीं आना पड़ता… अच्छा जाने दो… 1 मिनट रुको,’’ कह सीमा अंदर जा कर एक डब्बा ले आई. बोली, ‘‘भाभी, आप थक गई हैं… इस में सब्जीरोटी है. आप खा कर आराम कर लेना.’’

मैं उसे थैंक्यू कह कर बच्चों को ले कर घर आ गई. बच्चे कपड़े बदल कर पढ़ने बैठ गए. मैं मेज पर रखे डब्बे को देख रही थी. स्टील का डब्बा बिलकुल वैसा जैसा हम स्कूल ले कर जाते थे… मुझे याद है कि जब मां घर नहीं होती थीं, तो हम अपने पड़ोसी के घर खाना खा लेते थे और अगर मां को देर से आना होता था तो वहीं सो भी जाते थे. कभी घर मेरी पसंद की सब्जी नहीं बनी होती थी, तो साथ वाली लीला चाची के घर जा कर खाना खा आती थी. कभी मां या पिताजी की तबीयत ठीक नहीं होती थी तो लीला चाची, कमला मौसी हमारा घर संभाल लेती थीं. मां अकसर कहती थीं कि सुधि हारी बीमारी में रिश्तेदारों से पहले पड़ोसी काम आते हैं. पर अब देखो कालोनी में अगर कोई मर भी जाए तो उस का पता भी कालोनी के नोटिस बोर्ड से चलता है. मैं ने एक ठंडी सांस ली और डब्बा खोल कर खाना खा लिया.

अगले दिन बच्चों के स्कूल जाने से पहले मैं उन को सीमा के घर ले गई और बोली, ‘‘देखो बच्चों स्कूल से सीधा सीमा मौसी के घर आना …और सीमा बच्चो का खयाल रखना. मुझे आज अस्पताल में देर हो जाएगी.’’ मेरी बात सुन कर सीमा के चेहरे पर खुशी के भाव आ गए, तो मेरे पर संतोष के.

कपास को कीड़ों से बचाएं

कपास भारत में उगाई जाने वाली खास रेशेदार व नकदी फसल है. गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सूबे मिल कर देश के उत्पादन का करीब 90 फीसदी कपास पैदा करते?हैं. देश की करीब 60 फीसदी कपास की पैदावार केवल 3 राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में होती है. दूसरे खास कपास उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा हैं.

विश्व के कपास के कुल रकबे की तुलना में भारत में कपास की खेती सब से ज्यादा रकबे 78.11 लाख हेक्टेयर में होती है. हमारे देश में कपास की खेती महाराष्ट्र में सब से?ज्यादा रकबे में होती?है. इस के बाद गुजरात, मैसूर, मध्य प्रदेश और पंजाब में कपास की खेती होती है. कपास के गुणों पर बारिश, गरमी व हवा वगैरह का बहुत असर पड़ता है.

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कपास की फसल को कीड़ों से बहुत ज्यादा नुकसन पहुंचता?है. यहां कपास में लगने वाले कीड़ों व उन से बचाव के बारे में विस्तार से बताया जा रहा?है.

रस चूसक कीट

माहू (एफिड गौसीपाई) : यह काले या पीले रंग का छोटा कीड़ा है, जिस का आकार 4 से 6 मिलीमीटर होता है. ये कीड़े झुंड में पाए जाते?हैं. ये कीड़े 2-3 हफ्ते तक जिंदा रहते?हैं. मादा रोजाना 5 से 20 अर्भक पैदा करती है. अर्भक करीब 5 दिनों में बड़े कीड़े में बदल जाते?हैं. इस का असर दिसंबर से मार्च तक ज्यादा होता?है. इस के बच्चे व बड़े पत्तियों व फूलों से रस चूसते?हैं, जिस से पत्तियां किनारों से मुड़ जाती?हैं. ये चिपचिपा पदार्थ अपने शरीर से बाहर निकालते?हैं, जिस से पत्तियों के ऊपर काली फफूंद आ जाती है, इस से पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया पर असर पड़ता है.

रोकथाम

* कीड़े के असर वाले भागों को तोड़ कर खत्म कर दें.

* माहू का असर होने पर पीले चिपचिपे ट्रैप का इस्तेमाल करें, ताकि माहू ट्रैप पर चिपक कर मर जाएं.

* परभक्षी काक्सीनेलिड्स या सिरफिड या क्राइसोपरला कार्निया का संरक्षण कर 50000-100000 अंडे या सूडि़यां प्रति हेक्टेयर की दर से छोड़ें.

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* नीम का अर्क 5 फीसदी या 1.25 लीटर नीम का तेल 100 लीटर पानी में मिला कर छिड़कें.

* बीटी का 1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* जरूरत के हिसाब से थायोमिथाक्सोम 25 डब्लूपी 100 जी या मिथाइल डेमीटान 25 ईसी 1 लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 1.0 मिलीलीटर या मेटासिसटाक्स का 1.5-2.0 का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए.

सफेद मक्खी (बेमीसिया टेबेसी) : इस के निम्फ धुंधले सफेद होते?हैं. निम्फ व वयस्क दोनों ही पत्ती की निचली सतह पर बैठना पसंद करते?हैं. इन के शरीर पर सफेद मोमिया पर्त पाई जाती है.

मादा मक्खी पत्तियों की निचली सतह पर 1-1 कर के अंडे देती है, जिन की संख्या तकरीबन 100-150 तक होती है. निम्फ अवस्था 81 दिनों में पूरी हो जाती है. इस का प्रकोप पूरी फसल के समय में बना रहता, साथ ही साथ दूसरी फसलों पर पूरे साल इस का प्रकोप पाया जाता?है. निम्फ व वयस्क पत्तियों की निचली सतह पर झुंड में पाए जाते?हैं, जो पत्तियों की कोशिकाओं से रस चूसते हैं, जिस से पत्तियां कमजोर हो कर गिर जाती हैं.

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रोकथाम

* पीले चिपचिपे 12 ट्रैप प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करें.

* क्राइसोपरला कार्निया के 50000-100000 अंडे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छोड़ें.

* कीट लगे पौधों पर नीम का तेल 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें या मछली रोसिन सोप का 25 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

* बीच या बाद की अवस्था में थायोमिथाक्सोम 25 डब्ल्यूपी 100 जी का छिड़काव करें या?क्लोथिनीडीन 50 फीसदी डब्ल्यूडीजी 20-24 ग्राम 500 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें या एक्टामाप्रिड 20 एसपी या फोसलोन 35 ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या क्यूनालफास 25 ईसी का 2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

लीफ हौपर (अमरासका डेवासटेंस) : यह बहुत ही छोटा कीट है, जिस की लंबाई करीब 4 मिलीमीटर होती है. इस का रंग भूरा, पंख पर छोटे काले धब्बे व सिर पर 2 काले धब्बे होते?हैं. इस की मादा निचले किनारे पर पत्ती की शिराओं के अंदर पीले से अंडे देती है. ये अंडे 6 से 10 दिनों में फूटते?हैं. पंखदार वयस्क 2 से 3 हफ्ते तक जिंदा रहते हैं. इस के शिशु व वयस्क पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते?हैं, जिस से पत्तियों के किनारे मुड़ जाते हैं और लालभूरे हो जाते?हैं और पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं.

रोकथाम

* पौधे के कीटग्रस्त भाग को तोड़ कर खत्म कर देना चाहिए.

* प्रपंची फसलें जैसे भिंडी का इस्तेमाल करना चाहिए.

* क्राइसोपरला कार्निया परभक्षी के 50000 अंडे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छोड़ें.

* जरूरत पड़ने  डाईमेथोएट 30 ईसी का 1.0-1.5 लीटर या मेटासिसटाक्स का 1.5-2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

थ्रिप्स (थ्रिप्स?टैबेकी) : ये बहुत ही?छोटे आकार के कीट होते?हैं. वयस्क कीट का रंग भूरा व अर्भक का रंग हलका पीलापन लिए होता है. इस की लंबाई करीब 1 मिलीमीटर होती?है. इस की मादा हरे पौधों के?ऊतकों के अंदर 1-1 कर के हर रोज गुर्दे की शक्ल के 4-5 अंडे देती?है. इन में से 5 दिनों में निम्फ निकल आते?हैं. निम्फ का जीवनचक्र 5 दिनों, प्यूपा का 4-5 दिनों व वयस्क का 2-4 हफ्ते का होता?है. वयस्क कीट भूरे रंग का कटे पंख वाला होता?है. इस की इल्ली व वयस्क पत्ती की सतह फाड़ कर रस चूसते?हैं, इस से पत्तियां मुड़ जाती?हैं और सूख कर नीचे गिर जाती?हैं.

रोकथाम

* पौधे के उन भागों को जहां कीट का हमला होता?है, तोड़ देना चाहिए.

* बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस 7 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित करने से फसल 8 हफ्ते तक खराब नहीं होती?है.

* क्राइसोपरला कार्निया परभक्षी के 50000 से 75000 अंडे प्रति हेक्टेयर छोड़ें.

* जरूरत होने पर थायोमिथाक्सोम 25 डब्ल्यूपी 100 जी या क्लोथिनीडीन 50 फीसदी डब्ल्यूडीजी 20-24 ग्राम 500 लीटर पानी में या डाईमैथोएट 30 ईसी का 1.0-1.5 लीटर या मेटासिसटाक्स का 1.5-2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

लाल कीड़ा (डिस्डर्कस सिंगुलेटस) : यह कीट गहरे लाल रंग का होता?है. इस के अगले पंख के पिछले भाग पर काले धब्बे होते?हैं. मादा कीट नरम मिट्टी या जमीन की दरारों में 100 से 130 अंडे देती?है. इस का विकास 49 से 89 दिनों में पूरा होता?है. सर्दियों में यह वयस्क अवस्था में रहता है. वयस्क लंबे गोलाकार फैले हुए गहरे लाल रंग के होते?हैं. उदर पर एक ओर से दूसरी ओर तक सफेद पट्टी होती?है. इस की इल्ली व वयस्क हरे गूलरों का रस चूस कर उन में छेद कर देते?हैं. इस से गूलरों पर सफेद से पीले धब्बे बनते?हैं. ये रेशों को अपने मल द्वारा खराब कर देते हैं, जिस से फोहा रेशा पीला हो जाता है.

रोकथाम

* अंडे व प्यूपा को शुरू में ही इकट्ठा कर के खत्म करते रहना चाहिए.

* गूलर खिलते ही चुनाई कर लें.

* 5 फीसदी नीम अर्क के?घोल का इस्तेमाल करना चाहिए.

* रासायनिक रोकथाम के लिए डाईमैथोएट 30 ईसी का 1.0-1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

गूलर खाने वाले कीट

पत्ती लपेटक कीट (साइलेप्टा डेरोगेटा) : प्रौढ़ कीट का रंग हलका पीलापन लिए हुए सफेद होता?है, जिस पर कालेभूरे रंग के धब्बे होते?हैं. इस की मादा पत्ती की निचली सतह पर 1-1 कर के 250-350 अंडे देती?है. सूंड़ी अर्द्धपारदर्शी हरापन लिए सलेटी या गुलाबी रंग की होती है. इस का प्यूपा मिट्टी या लिपटी हुई पत्तियों में पाया जाता?है. जीवनचक्र 23-53 दिनों में पूरा होता है. इस कीट की केवल सूंड़ी ही नुकसानदायक होती है. सूंड़ी किनारे या मध्य से 2-3 पत्तियों को एकसाथ मोड़ कर उन का हरा भाग खाती रहती है, जिस से पत्तियों से?भोजन बनना बंद हो जाता है और वे सूख जाती?हैं.

रोकथाम

* ग्रसित पत्तियों को हाथ से चुन कर सूंडि़यों सहित खत्म कर देना चाहिए.

* ट्राइकोकार्ड (ट्राइकोग्रामा बेसिलिएनसिस) के 50000 से 100000 अंडे प्रति हेक्टेयर की दर से छोड़ें.

* प्रकोप बढ़ने पर क्लोरपाइरीफास

20 ईसी 2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर या डाइक्लोरवास डब्ल्यूएससी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या इंडोक्साकार्ब 14.5 फीसदी

एससी (1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर)

प्रति लीटर का छिड़काव करें.

तंबाकू की सूंड़ी (स्पोडोप्टेरा लिट्यूरा) : इस के वयस्क पतंगों के पंख सुनहरे भूरे रंग के सफेद धारीदार होते?हैं. हर मादा पतंगा 1000-2000 अंडे गुच्छों में पत्तियों के नीचे देती है. इस के अंडे के गुच्छे बादामी रोओं से ढके रहते?हैं. अंडे 3-5 दिनों में फूटते हैं. सूंड़ी मटमैले से काले रंग की, शरीर पर हरीनारंगी धारियां लिए होती है. इस की साल में 6-8 पीढि़यां पनपती हैं. सूंडि़यां झुंड में पत्ती की निचली सतह पर हरा पदार्थ खा कर व चूस कर नुकसान पहुंचाना शुरू करती हैं. आखिर में पत्तियों की शिराएं बाकी बचती?हैं. पत्तियों के बाद ये फूलों की कलियों व डंठलों वगैरह को खाती हैं. कपास के अलावा इन का हमला फूलगोभी, तंबाकू,?टमाटर व चना वगैरह पर पाया जाता है.

रोकथाम

* अंडे या सूंड़ी के गुच्छों को हाथ से पत्ती के साथ तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.

* खेत में 20 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाएं.

* खेत में चारों ओर अरंडी की फसल की बोआई करें.

* ट्राइकोग्रामा कीलोनिस 1.5 लाख प्रति हेक्टेयर या किलोनस ब्लैकबर्नी या?टेलिनोमस रिमस के 100000 अंडे प्रति हेक्टेयर 1 हफ्ते के अंतराल पर छोडें़.

* 5 किलोग्राम धान का भूसा, 1 किलोग्राम शीरा व 0.5 किलोग्राम कार्बारिल को मिला कर पतंगों को आकर्षित करें.

* एसएलएनपीवी 250 एलई का प्रति हेक्टेयर की दर से 8-10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें.

* 1 किलोग्राम बीटी का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* प्रकोप बढ़ने पर फिपरोनिल 5 एससी या क्वालीनोफास 25 ईसी 1.5-2.0 का प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.

* फसल में जहर चारा 12.5 किलोग्राम राईसबीन, 1.25 किलोग्राम जगेरी, कार्बेरिल 50 फीसदी डब्ल्यूपी 1.25 किलोग्राम और 7.5 लीटर पानी के?घोल का शाम के समय छिड़काव करें, जिस से जमीन से सूंडि़यां निकल कर जहर चारा खा कर मर जाएंगी.

अमेरिकन गूलर सूंड़ी (हेलिकोवरपा आर्मिजेरा) : यह कीट साल भर विभिन्न फसलों पर सक्रिय रहता?है. प्रौढ़ कीट का पंख विस्तार 3-4 सेंटीमीटर होता?है और इस के शरीर की लंबाई 2 सेंटीमीटर होती?है. इस का रंग हलका हरापन लिए हुए पीला या भूरा होता?है, जिस पर काले या?भूरे धब्बे पाए जाते हैं. मादा का रंग नर से गहरा होता?है. मादा पौधे के कोमल अंगों पर 1-1  कर के सफेद अंडे देती है. एक मादा 500 से 700 तक अंडे देती?है. ये अंडे 3-4 दिनों में फूटते?हैं. अंडों की अवस्था 3-5 दिनों, सूंड़ी की 17-35 दिनों व प्यूपा की 17-20 दिनों की होती है. 25-60 दिनों में इस का जीवनचक्र पूरा हो जाता है. इस का प्यूपा मिट्टी में बनता है. हर साल 7-8

पीढि़यां बनती हैं. इस की सूंड़ी हरे से पीले रंग की होती है, शरीर पर उभरे हुए निशान होते हैं.

रोकथाम

* सूंड़ी सहित कीट लगे भागों को खत्म कर दें.

* जाल फसल के लिए बीचबीच में टमाटर की लाइन लगाएं.

* खेत में 20 फेरोमोन ट्रेप प्रति हेक्टेयर की दर से 20-25 मीटर की दूरी पर लगाएं.

* अंडों व सूंड़ी के गुच्छों को हाथ से पत्ती सहित तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.

* कीट का आक्रमण या अंडे दिखाई पड़ते ही ट्राइकोग्रामा किलोनिस 1.5 लाख अंडे प्रति हेक्टेयर प्रति हफ्ते के अंतराल पर 6-8 बार छोडें़.

* सूंड़ी दिखाई देते ही एनपीवी की 250 एलई या 3 ग 1012 पीओबी का प्रति हेक्टेयर की दर से 7-8 दिनों के अंतराल पर

छिड़काव करें.

* उस के बाद 1 किलोग्राम बीटी का छिड़काव करें. इस के अलावा 5 फीसदी नीम की निबोली के सत का इस्तेमाल कर सकते?हैं.

* स्पाइनोसैड 45 एससी, इंडोक्सकार्ब 14.5 एससी व थायोमेंक्जाम 70 डब्ल्यूएससी का 1 मिलीमीटर प्रति लीटर का इस्तेमाल करें.

गुलाबी सूंड़ी (पेक्टीनोफोरा गोसीपिएला) : ये कीट छोटे आकार के तकरीबन 1 सेंटीमीटर लंबे होते?हैं. ये पतंगे कलियों, टहनियों और नई छोटी पत्तियों पर सफेद अंडे देते?हैं. काले रंग की मादा पतंगा अंडे देने के लिए रोएंदार भाग पसंद करती?है. इन से 8-41 दिनों में सूंड़ी निकलती है. छोटी सूंड़ी पहले पीले रंग की व बाद में गुलाबी हो जाती?है. भूरा सिर इस की खास पहचान है. सूंड़ी

छोटे गूलर बनने की अवस्था में ही अंदर घुस जाती है और बिना पके कच्चे बीज बिनौला खाती है. यह फल में घुसने के बाद छेद को बंद कर लेती है. सूड़ी गिरी हुई पत्तियों में अपना कुकून बनाती?है और 16-29 दिनों तक इस अवस्था में रहती है.

रोकथाम

* खेत की गहरी जुताई करें, जिस से खाली वाली अवस्था सूंड़ी व प्यूपा खत्म हो जाएं.

* खेत में 20 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से 20-25 मीटर की दूरी पर लगाएं.

* ट्राइकोग्रामा किलोनिस 1.5 लाख अंडे प्रति हेक्टेयर प्रति हफ्ते के अंतराल

पर 6-8 बार छोंडे़.

* परभक्षी क्राइसोपरला कार्निया के 50000 से 100000 अंडे खेत में छोड़ें.

* 1 किलोग्राम बीटी का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.

* प्रकोप ज्यादा होने पर ट्राफाईजोफोस 40 ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या कलोरोपाइरीफास 20 ईसी का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए.

चित्तीदार सूंड़ी (एरियास फेबिया) : यह कीट पीलापन लिए हुए हरे रंग का होता?है. इस का पंख विस्तार 25 सेंटीमीटर होता?है. इस के वयस्क के पंखों में फन के आकार की हरी धारी पंख के शुरू से आखिर तक होती?है. मादा पतंगा 1-1 कर फूलों की पंखडि़यों पर 200-400 अंडे देती है.

सूंड़ी 10 से 16 दिनों तक बनी रहती है. प्यूपा 4-9 दिनों व वयस्क 8-22 दिनों तक रहता है. प्यूपा नीचे पुरानी पत्तियों में बनता है. सूंड़ी शुरू में सिरे की छोटी टहनियों में छेद कर देती है, जिस से शाखाएं सूख जाती?हैं. ग्रसित फूल व कलियां नीचे गिर जाती हैं. ग्रसित गूलर नीचे गिरने से खराब हो जाते?हैं और गूलर

के अंदर की रुई सड़ने के कारण बेकार हो जाती है.

रोकथाम

* सब से पहले अंडों के समूहों को इकट्ठा कर के खत्म कर देना चाहिए.

* फसल में?ट्रैप फसल भिंडी की बोआई करनी चाहिए.

* बोआई के 40 दिनों बाद या कीड़े दिखाई पड़ते ही ट्राइकोग्रामा किलोनिस

1.5 लाख अंडे प्रति हेक्टेयर 8-10 दिनों के अंतराल पर 4-6 बार छोड़ें.

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