‘‘मां,’’ बड़ी कठिनाई से लव कह सका, जैसे कोई अपराध कर रहा हो. तुम कहां चली गई थीं?’’
‘‘मैं...’’ वर्षा का स्वर गले में ही अटक गया. कैसे कहे कि उस ने पुनर्विवाह कर लिया. आदित्य की यादें मिटाने की खातिर वह सुधीर का दामन थाम चुकी है. फिर लव को वह सब पता भी तो नहीं है. जिस वक्त सुधीर से उस की शादी मंदिर में हुई थी, लव को घर में छिपा कर रखा गया था.
‘‘मां, मेरे लिए नए कपड़े नहीं लातीं?’’ एकाएक लव की आंखों में आकांक्षाओं की चमक तैर उठी.
वर्षा को याद आया, वह लव से यही कह कर घर से निकली थी कि वह उस के लिए नए कपड़े खरीदने बाजार जा रही है, फिर 1 वर्ष पश्चात आज ही लौट कर आई है. वर्षा की पलकें भीग उठीं कि कितनी पुरानी बात याद रखी है लव ने. वह उस के पुराने, घिसेफटे, कपड़े देखती रही, भाभी कहां नए कपड़े दिलवा पाती होंगीं?
‘‘मां, मेरे नए कपड़े दे दो न?’’ लव जिद करने लगा.
वर्षा के मन में आया कि वह भरत के नए कपड़े ला कर लव को पहना दे. नाप ठीक आएगा क्योंकि दोनों हैं भी एक आयु के पर वह ऐसा नहीं कर सकी. मन में डर की लहर सी उठी कि अगर भरत ने कपड़ों की बाबत सुधीर व मांजी को बता दिया तो?
तभी भाभी ने टोका, ‘‘चलो दीदी, पहले भोजन कर लो, बाद में ऊपर आ जाना.’’
वर्षा सीढि़यों की तरफ बढ़ गई. बीच में ही भाभी ने पूछना शुरूकर दिया, ‘‘दीदी, तुम लव के लिए कपड़े, खिलौने वगैरह कुछ ले कर नहीं आईं?’’
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