लेखक- रोहित और शाहनवाज
मोगा पंजाब के उन 8 म्युनिसिपल कारपोरेशन में से एक मात्र निकाय है जहां कांग्रेस बहुमत सीटों के आंकड़ों को नहीं छू पाई है. कांग्रेस को यहां से कुल 20 सीटें ही प्राप्त हुई जबकि बहुमत के लिए 26 वार्ड्स में जीत हासिल करनी जरुरी है. दिलचस्प यह कि मोगा में इंडिपेंडेंट पार्षदों की संख्या पहले से भले ही कम हुई हो किन्तु इस बार भी इंडिपेंडेंट कैंडिडेट्स की इस निकाय चुनाव में धाक रही और वह 10 वार्ड्स में जीत हासिल करने में सफल रहे. यह इंडिपेंडेंट पार्षद मेयर का चयन करने कराने में अहम भूमिका निभाने वाले हैं.
इसी को ले कर हम मोगा के 46 नंबर वार्ड से जीते 65 वर्षीय इंडिपेंडेंट पार्षद सुरिंदर सिंह गोगा से मिलने पहुंचे. सुरिंदर सिंह गोगा, कच्चा जीरा रोड, मिशन स्कूल काम्प्लेक्स के नजदीक पट्टी वाली गली के इलाके से जीते हैं. हमें सुरिंदर सिंह गोगा जहां मिले वह उन की कोयले की दूकान थी जिस का नाम उन्होंने पूरण सिंह डिपो के नाम से रखा था. यह दूकान मोगा बस अड्डे से तकरीबन आधा किलोमीटर दूर बीडीओ ऑफिस के नजदीक था.
ये भी पढ़ें- ‘वे टू पंजाब’- “मसला कमल को हराना था”
गली कूचों से गुजरते हुए और लोगों से पूछ-पाछ कर हम उन की दूकान पर पहुंचे. यह दूकान जिस जगह पर थी वह इलाका मिडिल क्लास लोगों के रेजिडेंशियल एरिए के अन्दर था. तकरीबन 200 गज की उन की यह दूकान लकड़ी और कोयले से सनी पड़ी थी. इस के एक चौथाई हिस्से पर सुरिंदर गोगा ने एक ऑफिस बनाया हुआ था जिस में लगातार लोगों की आवाजाही चल रही थी. वहीँ एक छोटा सा कमरा वहां काम कर रहे मजदूरों के लिए रखा गया था. कुछ लोग वहां पर लकड़ी व कोयला खरीदने आ रहे थे, वहीँ बधाई देने वालों का ताता लगा हुआ था. शायद इसीलिए ही दूकान के भीतर 8-9 कुर्सियां दूकान के आँगन में और चाय के गिलासों का ढेर नल के नीचे रखे हुए थे.
तकरीबन 15-20 मिनट इंतज़ार करने के बाद सुरिंदर गोगा अपना काम निपटा कर हम से मुखातिब हुए. लगभग 5.10 की हाईट, सांवला रंग, चेहरे पर घनी ग्रेइश दाढ़ी, काली पग बांधे, सादे कपड़ों में गोगा कुर्सी पर बैठे और हम से बात करने लगे. उन का मानना था जो अपने इलाके के लिए काम करता है उसे लोग जिताते जरूर हैं.
ये भी पढ़ें- फूल-पत्तों को तो बख्शो
जब हम ने उन से पूछा की यहां निर्दलीय उम्मीदवारों की शुरू से इतनी धाक कैसे हैं तो वह कहते हैं, “हमें कांग्रेस का भीतर से समर्थन था. यहां के एमएलए अन्दरखाते हमारे साथ थे. इस के अलावा जो लोग शुरुआत से यहां काम करते रहे हैं, लोग उन पर अपना भरोसा जताते हैं और उन्हें वोट देते हैं. हमारे यहां किसी पार्टी को वोट नहीं मिलता. काम को वोट मिलता है. मैं खुद यहां तीसरी बार पार्षद बना हूं. एक बार 2005 में, फिर 10 में फिर अब 21 में.
इसी के चलते हम ने उन से यह सवाल पूछा कि पिछली बार कांग्रेस को पुरे मोगा में सिर्फ 1 वार्ड में जीत हांसिल हुई थी लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ की वह सब से ज्यादा वार्ड जीत गई, तो इस पर सुरिंदर सिंह ने कहा, “पिछली बार उन की हवा खराब थी. उस समय भारतीय जनता पार्टी का जोर था. लेकिन जीतने के बाद मोदी ने काम चंगा नी कित्ता (अच्छे नहीं किए). इस बार सब लोग मोदी के खिलाफ हो गए. हमारे लोग दिल्ली में ठंड से मर गए, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ा. यहां तक कि देश के लोग एक तरफ हो गए और मोदी दूसरी तरफ.
ये भी पढ़ें- अडानी पर क्यों भड़के स्वामी
वे आगे कहते हैं, “पेट्रोल कितना महंगा हो गया, डीजल कितना महंगा हो गया, गैस कितनी महंगी हो गई. यह सारे पंगे पाए मोदी ने (यह सब मोदी ने किया है). देश में लोग भूखे मर रहे हैं, गरीब आदमी बर्बाद हो गया है. युवाओं के पास कोई काम नहीं है. भाजपा अकाली पंजाब में गिरी तो कांग्रेस उठ खड़ी हुई.”
सुरिंदर सिंह गोगा अपनी बात आगे बढ़ा ही रहे थे कि एक ग्राहक उन के पास कोयला लेने आया, तो उन्होंने तकरीबन 10 मिनट का ब्रेक लिया और फिर जैसे ही काम निपटाया वह फिर से हम से बात करने लगे. हम ने उन से पूछा की आप इंडिपेंडेंट तो लड़ रहे हैं लेकिन आपको किस पार्टी का काम पसंद आ रहा है. उन्होंने जवाब दिया, “यहां कांग्रेस को समर्थन पब्लिक से भी है और जितने सभी इंडिपेंडेंट कैंडिडेट जीते हैं उन्हें ही समर्थन दे रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने हमारा साथ दिया है.”
हमने उन से पूछा की यदि आप ही जीतने वाले थे इस वार्ड में कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट क्यों खड़ा किया. तो उन्होंने बताया, “मैं चाह रहा था कि मुझे कांग्रेस से टिकट मिल जाए. लेकिन कांग्रेस ने मुझे टिकट नहीं दिया. जब की वह यह जानती थी कि इस जगह से मेरी उम्मेदवारी मजबूत है. मसला यह है कि भीतरखाने इनकी आपसी टसल है. इस जिले से जो टिकट बांटता है वह पहले अपने लोगों को टिकट देता है.
“कांग्रेस से मुझे टिकट ही नही मिलती. केंद्र के बड़े लोगों से सिफारिश कर लोग अपने लिए टिकट ले लेते हैं लेकिन हमारी पहुंच इतनी ऊपर नहीं है की हमें कांग्रेस का नगर निगम का ही टिकट मिल जाए.”
वे कहते हैं, “यहां के मेयर चुने जाने के लिए हम सभी इंडिपेंडेंट कांग्रेस को समर्थन देंगे. हमारा कोई लालच नहीं है. मेरा काम लोगों की सेवा करना है. अगर में यहाँ किसी लालच में आऊंगा, पैसे खाऊंगा तो पुरे इलाके में बदनामी होगी, घर वालों को लोगों से ताने सुनने को मिलेंगे, आखिर हमें रहना तो यहीं है.
“यहां कांग्रेस के प्रधान को हमने पूरी ताकत दी हुई है. वह चाहे किसे भी मेयर के लिए चुनें, लेकिन हमारे यहां के सारे काम होने चाहिए. मेरी सभी इंडिपेंडेंट पार्षदों से बात लगातार हो रही है. हम परसों एक साथ चंडीगढ़ गए. वहां हमारी मुलाक़ात कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड से हुई. उन्होंने कहा की आप सब हमारे साथ रहो हम साथ में मिल कर काम करेंगे.”
सुरिंदर सिंह ने बताया की उन्हें अपने इलाके से 535 वोट्स मिले थे. उन के मुकाबले जो कांग्रेस के उम्मीदवार खड़े थे उन्हें 330 वोट्स मिले थे. 205 वोट्स के मार्जिन से उन्होंने इस वार्ड में जीत हासिल की है.