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जड़ें: शिखा से हर वक्त मौसीजी को क्यों दिक्कत होती थी

मेरी पत्नी शिखा की कविता मौसी रविवार की सुबह 11 बजे बिना किसी पूर्व सूचना के जब मेरे घर आईं तब रितु भी वहीं थी. उन दोनों का परिचय कराते हुए मैं कुछ घबरा उठा था.

2 मिनट रितु से बातें कर के जब वे पानी पीने के लिए रसोई की तरफ चलीं तो मैं भी उन के पीछे हो लिया.

‘‘शिखा कहां गई है?’’ उन्होंने शरारती अंदाज में सवाल किया तो मेरी घबराहट कुछ और बढ़ गई.

‘‘वह मायके गई हुई है, मौसीजी,’’ मैं ने अपनी आवाज को सामान्य रखते हुए जवाब दिया.

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‘‘रहने के लिए?’’

‘‘हां, मौसीजी.’’

‘‘कब लौटेगी?’’

‘‘अगले रविवार को.’’

‘‘बालक, शिखा के पीछे यह कैसा चक्कर चला रहे हो? यह रितु कौन है?’’

मौसी की झटके से कैसा भी खुराफाती सवाल पूछ लेने की आदत से मैं पहले से परिचित न होता तो जरूर हकला उठता. पर मुझे ऐसे किसी सवाल के पूछे जाने का अंदेशा था, इसलिए उन के जाल में नहीं फंसा था.

मैं ने बड़े संजीदा हो कर जवाब दिया, ‘‘मौसीजी, यह रितु शिखा की ही सहेली है. यह पड़ोस में रहती है और उसी से मिलने आई थी. आप उस के और मेरे बारे में कोई गलत बात न सोचें. मैं वफादार पतियों में से हूं.’’

‘‘वे तो सभी होते हैं… जब तक पकड़े न जाएं,’’ अपने मजाक पर जब मौसी खूब जोर से हंसीं तो मैं भी उन का साथ देने को झेंपी सी हंसी हंस पड़ा.

फ्रिज में से ठंडे पानी की बोतल निकालते हुए उन्होंने मुझे फिर से छेड़ा,

‘‘बालक, तुम दोनों की शादी को मुश्किल से 3 महीने हुए हैं और तुम ने उसे घर भेज रखा है? क्या तुम्हें मनचाही पत्नी नहीं मिली है?’’

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, मौसीजी. शिखा को मैं बहुत प्यार करता हूं. वही जिद कर के मायके भाग जाती है. मेरा बस चले तो मैं उसे 1 रात के लिए भी कहीं न छोड़ूं,’’ मैं ने अपनी आवाज को इतना भावुक बना लिया कि वे मेरी नीयत पर किसी तरह का शक कर ही न सकें.

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‘‘देखो, अगर तुम दोनों के बीच कोई मनमुटाव पैदा हो गया है तो मुझे सब सचसच बता दो. मैं तुम्हारी प्रौब्लम यों चुटकी बजा कर हल कर दूंगी,’’ उन्होंने बड़े स्टाइल से चुटकी बजाई.

‘‘हमारे बीच प्यार की जड़ें बहुत मजबूत हैं. आप किसी तरह की फिक्र न करो, मौसीजी,’’ मैं ने यह जवाब दिया तो वे मुसकरा उठीं.

‘‘यू आर ए गुड बौय, नीरज. मेरी बातों का कभी बुरा नहीं मानना,’’ कह उन्होंने आगे बढ़ कर मुझे गले से लगाया और फिर पीने के लिए बोतल से गिलास में पानी डालने लगीं.

ड्राइंगरूम में लौट कर उन्होंने बिना कोई भूमिका बांधे रितु की मुसकराते हुए तारीफ कर डाली, ‘‘रितु, तुम बहुत सुंदर हो.’’

‘‘थैंक यू, मौसीजी,’’ रितु खुश हो गई.

‘‘तुम ने शादी करने के लिए कोई लड़का देख रखा है या मैं तुम्हारे लिए कोई अच्छा सा रिश्ता ढूंढ़ कर लाऊं?’’

‘‘न कोई लड़का ढूंढ़ रखा है न मैं अभी शादी करना चाहती हूं, मौसीजी.’’

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‘‘अरे, शादी करने में बहुत ज्यादा देर मत कर देना. शादी के बाद भी लड़की बहुत ऐश कर सकती है. फिर कभीकभी ऐसा भी हो जाता है कि बाद में अच्छे लड़कों के रिश्ते आने बंद हो जाते हैं. मेरी सलाह तो यही है कि तुम शादी के लिए अब फटाफट हां कर दो.’’

‘‘आप इतना जोर दे कर समझा रही हैं तो मैं राजी हो ही जाती हूं मौसीजी. अब आप ढूंढ़ ही लाइए मेरे लिए कोई अच्छा सा रिश्ता,’’ उस ने नाटकीय ढंग से शरमाने का बढि़या अभिनय किया तो मौसीजी खिलखिला कर हंस पड़ीं.

‘‘तुम सुंदर होने के साथसाथ स्मार्ट और आत्मविश्वास से भरी हुई लड़की भी हो. तुम जिसे मिलोगी वह सचमुच खुशहाल इंसान होगा,’’ मौसीजी ने भावविभोर हो उसे प्यार से गले लगा कर आशीर्वाद दिया और फिर अचानक पूछा, ‘‘तुम कौन सा सैंट लगाती हो, रितु? बड़ी अच्छी महक आ रही है.’’

‘‘यह सैंट मैं ने आर्चीज की शौप से लिया है, मौसीजी. ज्यादा महंगा भी नहीं है.’’

‘‘मैं भी यह सैंट जरूर खरीद कर लाऊंगी. आज तो नीरज और शिखा के साथ कहीं घूम आने की इच्छा ले कर मैं घर से निकली थी. अब मुझे यह साफसाफ बता दो कि तुम दोनों ने पहले से कहीं जाने का कोई प्रोग्राम तो नहीं बना रखा है?’’

‘‘कोई प्रोग्राम नहीं है हमारा. मैं अब चलती हूं. शिखा के आने पर फिर आऊंगी,’’ रितु जाने को उठ खड़ी हुई.

मैं ने उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं करी तो वह मौसीजी को नमस्ते कर अपने घर चली गई.

उस के जाते ही मौसीजी ने मुझे फिर छेड़ा, ‘‘मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मैं ने बिना बताए यहां आ कर रंग में भंग डाल दिया है?’’

‘‘मौसीजी, आप भी बस बेकार में मुझ पर शक किए जा रही हो. शिखा के सामने ऐसा कोई मजाक मत कर देना नहीं तो वह बेकार ही मुझ पर शक करने लग जाएगी,’’ मैं कुछ नाराज हो उठा था.

‘‘तुम टैंशन मत लो, क्योंकि मेरी मजाक करने की आदत से वह भलीभांति परिचित है, बालक. अच्छा, अब तुम मेरे साथ चलने के लिए जल्दी से तैयार हो जाओ.’’

‘‘हमें जाना कहां हैं, मौसीजी?’’

‘‘मैं आज तुम्हारी मुलाकात बड़े खास इंसान से करवाने जा रही हूं,’’ वे रहस्यमयी अंदाज में मुसकरा उठी थीं.

‘‘कौन है यह इंसान, मौसीजी?’’

‘‘क्या तुम्हें पता है कि मैं ने तुम्हारे मौसाजी से दूसरी शादी करी है?’’

‘‘आप मुझ से मजाक मत करो?’’ मैं

चौंक पड़ा.

‘‘अरे, मैं सच बता रही हूं. अपनी पहली शादी के 6 महीने बाद ही मैं ने अपने पहले पति राजीव से तलाक लेने का मन बना लिया था.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘कारण बाद में बताऊंगी. हम उन्हीं से मिलने चल रहे हैं.’’

‘‘आप उन से मिलती रहती हैं.’’

‘‘हां. आज के दिन तो जरूर ही मैं उन से मिलने जाती हूं, क्योंकि आज उन का जन्मदिन है.’’

‘‘तलाक होने के बावजूद उन से आप ने अपने संबंध पूरी तरह से खत्म नहीं किए हैं?’’

‘‘करैक्ट.’’

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‘‘बस, यह और समझा दो कि आप मुझे उन से क्यों मिलाने ले चल रही हैं?’’

‘‘अरे, अपने भूतपूर्व पति से अकेले मिलने जाना क्या मेरे लिए समझदारी की बात होगी? पता नहीं शराब पी कर मारपीट करने का शौकीन वह बंदा किस मूड में हो? अपनी हिफाजत के लिए मैं तुम्हें साथ ले जा रही हूं, बालक.’’

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि उन की शराब पी कर मारपीट करने की आदत के कारण आप ने उन्हें तलाक दिया था?’’

‘‘यह नंबर 2 पर आने वाला महत्त्वपूर्ण कारण था.’’

‘‘और नंबर 1 वाला कारण क्या था?’’

‘‘वह कारण तुम्हें उन से मिलाने के बाद बताऊंगी,’’ उन्होंने इस विषय पर आगे कोई चर्चा न करते हुए मुझे तैयार हो जाने के लिए बैडरूम की तरफ धकेल दिया था.

घंटेभर बाद घंटी बजाए जाने पर मौसीजी के पहले पति राजीव के घर का

दरवाजा उन के पुराने नौकर रामदीन ने खोला. वह मौसीजी को पहचानता था. मैं ने नोट किया कि वह उन्हें देख कर खुश नहीं हुआ. मौसीजी उस से कोई बात किए बिना ड्राइंगरूम की तरफ बढ़ गईं.

‘‘हैप्पी बर्थ डे…’’ मौसीजी ने जब अपने भूतपूर्व पति को विश किया तो वे जबरदस्ती वाले अंदाज में मुसकराए.

‘‘थैंक यू, कविता. वैसे मेरी समझ में नहीं आता है कि तुम हर साल यहां आ कर मुझे विश करने का कष्ट क्यों उठाती हो?’’ उन्होंने मौसी को ताना सा मारा.

‘‘रिलैक्स, राजीव. हर साल मैं आ जाती हूं, क्योंकि मुझे मालूम है कि मेरे अलावा तुम्हें विश करने और कोई नहीं आएगा,’’ मौसीजी ने उन

की बात का बुरा माने बगैर आगे बढ़ कर उन से हाथ मिलाया.

‘‘यह भी तुम ठीक कह रही है. यह कौन है?’’ उन्होंने मेरे बारे में सवाल पूछा.

‘‘यह नीरज है. मेरी बड़ी बहन अनिता की बेटी शिखा का पति,’’ मौसीजी ने उन्हें मेरा परिचय दिया तो मैं ने एक बार फिर से उन्हें हाथ जोड़ कर नमस्ते कर दी.

उन्होंने मेरे अभिवादन का जवाब सिर हिला कर दिया और फिर ऊंची आवाज में बोले, ‘‘रामदीन, इन मेहमानों का मुंह मीठा कराने के लिए फ्रिज में से रसमलाई ले आ.’’

‘‘तुम्हें मेरी मनपसंद मिठाई मंगवाना हमेशा याद रहता है.’’

‘‘तुम से जुड़ी यादों को भुलाना आसान नहीं है, कविता.’’

‘‘खुद को नुकसान पहुंचाने वाली मेरी यादों को भूला देते तो आज तुम्हारा घर बसा होता.’’

‘‘तुम्हारी जगह कोई दूसरी औरत ले नहीं पाती, मैं ने दोबारा अपना घरसंसार ऐसी सोच के कारण ही नहीं बसाया, कविता रानी.’’

‘‘मुझे भावुक कर के शर्मिंदा करने की तुम्हारी कोशिश हमेशा की तरह आज भी बेकार जाएगी, राजीव,’’ मौसीजी ने कुछ उदास से लहजे में मुसकराते हुए जवाब दिया, ‘‘मैं फिर से कहती हूं कि मुझ जैसी बेवफा पत्नी की यादों को दिल में बसाए रखना समझदारी की बात नहीं है. यह छोटी सी बात मैं तुम्हें आज तक नहीं समझा पाई हूं. इस बात का मुझे सचमुच बहुत अफसोस है, राजीव.’’

मौसीजी ने खुद को बेवफा क्यों कहा था, इस का कारण मैं कतई नहीं

समझ सका था. तभी राजीव अपने नौकर को कुछ हिदायत देने के लिए मकान के भीतरी भाग में गए तो मैं ने मौसीजी से धीमी आवाज में अपने मन में खलबली मचा रहे सवाल को पूछ डाला, ‘‘आप ने अभीअभी अपने को बेवफा क्यों कहा?’’

मेरी आंखों में संजीदगी से झांकते हुए मौसीजी ने मेरे सवाल का जवाब देना शुरू किया, ‘‘नीरज, हमारे बीच जो तलाक हुआ उस का दूसरे नंबर पर आने वाला महत्त्वपूर्ण कारण तो मैं तुम्हें पहले ही बता चुकी हूं. इन्हें दोस्तों के साथ आएदिन शराब पीने की लत थी और मुझे शराब की गंध से भी बहुत ज्यादा नफरत थी. मैं इस कारण इन से झगड़ा करती तो ये मुझ पर हाथ उठा देते थे.

‘‘तब मैं रूठ कर मायके भाग जाती. ये मुझे जाने देते, क्योंकि इन्हें अपने दोस्तों के साथ पीने से रोकने वाला कोई न रहता. फिर जब मेरी याद सताने लगती तो मुझे लेने आ जाते. मेरे सामने कभी शराब न पीने वादा करते तो मैं वापस आ जाती थी.’’

‘‘लेकिन इन के वादे झूठे साबित होते. शराब पीने की लत हर बार जीत जाती. हमारा फिर झगड़ा होता और मैं फिर से मायके भाग आती. यह सिलसिला करीब 3 महीने चला और फिर अमित मेरी जिंदगी में आ गया.’’

‘‘अमित कौन?’’

‘‘जो आज तुम्हारे मौसाजी हैं. उन्हीं का नाम अमित है, नीरज. वे मेरी एक सहेली के बड़े भाई थे. उन की पत्नी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. उन्होंने जब मेरे दांपत्य जीवन की परेशानियों और दुखों को जाना तो बहुत गुस्सा हो उठे. मेरे लिए उन के मन में सहानुभूति के गहरे भाव पैदा हुए. पहले वे मेरे शुभचिंतक बने, फिर अच्छे दोस्त और बाद में हमारी दोस्ती प्रेम में बदल गई.’’

‘‘नीरज, ये राजीव भी दिल के बहुत अच्छे इंसान होते थे. हमारे बीच प्यार का रिश्ता भी मजबूत था, लेकिन इन्होंने शराब पीने की सुविधा पाने को मुझे मायके भाग जाने की छूट दे कर बहुत बड़ी गलती करी थी. विधुर अमित ने इस भूल का फायदा उठा कर अपना घर बसा लिया और राजीव की गृहस्थी ढंग से बसने से पहले ही उजड़ गई.

‘‘राजीव ने मेरे सामने बहुत हाथ जोड़े थे. छोटे बच्चे की तरह बिलख कर रोए भी पर मेरे दिल में तो इन की जगह अमित ने ले ली थी. मैं ने अमित के साथ भविष्य के सपने देखने शुरू कर दिए थे. मैं ने इन के साथ बेवफाई करी और ये हमारे बीच तलाक का पहला और मुख्य कारण बन गया.’’

‘‘मैं मानती हूं कि मैं ने राजीव के साथ बहुत गलत किया. अब तक भी मैं अपने मन में बसे अपराधबोध से मुक्त नहीं हो पाई हूं और इसी कारण तलाक हो जाने के बावजूद इन की खोजखबर लेने आती रहती हूं. क्या अब तुम समझ सकते हो कि मैं तुम्हें आज यहां अपने साथ क्यों लाई हूं?’’

‘‘क्यों?’’ बात कुछकुछ मेरी समझ में आई थी और इसी कारण मेरा मन बहुत बेचैन हो उठा था.

‘‘तुम भी वैसी ही मिस्टेक कर रहे हो जैसी कभी राजीव ने करी थी. ये बेरोकटोक शराब पीने की खातिर मुझे मायके भाग जाने देते थे और तुम रितु के साथ ऐश करने को शिखा को मायके जा कर रहने की फटाफट इजाजत दे देते हो. कल को…’’

‘‘मेरा रितु के साथ किसी तरह का चक्कर…’’

‘‘मुझ से झूठ बोलने का क्या फायदा है, नीरज? मैं ने तुम्हें रसोई में और रितु को ड्राइंगरूम में गले लगाया था. तुम्हारे कपड़ों में से रितु के सैंट की महक बहुत जोर से आ रही थी और तुम भला लड़कियों वाला सैंट क्यों प्रयोग करोगे?’’

‘‘मैं अपनी भूल स्वीकार करता हूं, मौसीजी,’’ और ज्यादा शर्मिंदगी से बचने के लिए मैं ने उन्हें टोक दिया और फिर तनावग्रस्त लहजे में बोला, ‘‘पर आप मुझे एक बात सचसच बताना कि क्या मायके में रहने की शौकीन शिखा का वहां किसी के साथ चक्कर चल रहा है?’’

‘‘नहीं, बालक. मगर ऐसा कभी नहीं हो सकता है, इस की कोई गारंटी नहीं. रितु के साथ मौज करने के लिए तुम जो अपने विवाहित जीवन की खुशियों और सुरक्षा को दांव पर लगा रहे हो, वह क्या समझदारी की बात है? कल को अगर कोई अमित उस की जिंदगी में भी आ गया तो क्या करोगे?’’

‘‘मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा,’’ मैं उत्तेजित हो उठा.

‘‘राजीव ने भी कभी मुझे खो देने की कल्पना नहीं करी थी, नीरज. जैसे मैं भटकी वैसे ही शिखा क्यों नहीं भटक सकती है?’’

‘‘मैं उसे कल ही वापस…’’

‘‘कल क्यों? आज ही क्यों नहीं, बालक?’’

‘‘हां आज ही…’’

‘‘अभी ही क्यों नहीं निकल जाते हो उसे अपने पास वापस लाने के लिए?’’

‘‘अभी चला जाऊं?’’

‘‘बिलकुल जाओ, बालक. नेक काम में

देरी क्यों?’’

‘‘तो मैं चला, मौसीजी. मैं आप को विश्वास दिलाता हूं कि शिखा के साथ आपसी प्रेम की जड़ें मैं बहुत मजबूत कर लूंगा. मेरी आंखें खोलने के लिए बहुतबहुत धन्यवाद.’’ कह मैं ने उन के पैर छुए और फिर लगभग भागता सा शिखा के पास पहुंचने के लिए दरवाजे की तरफ चल पड़ा.

 

Crime Story : चाकू की धार पर प्यार

सौजन्या-सत्यकथा

सभी गहरी नींद में सोए हुए थे. उस समय रात के 3 बज रहे थे. अचानक एक मकान में = चीखपुकार मच गई. शोर सुन कर आसपास के लोग जाग गए और उस मकान की ओर दौड़े. उन्होंने देखा कि चीखती हुई कामिनी दरवाजे से बाहर 20 कदम दूर आ गई. बाहर वह एक ही बात बोल रही थी, ‘‘गोविंद ने मार डाला… गोविंद ने मार डाला.’’

कामिनी के पड़ोस में रहने वाले चाचा गणेश, दादी शकुंतला व भाई मनीष भी आ गए. ग्रामीणों व घर वालों के आने पर हत्यारा गोविंद सब को चाकू दिखा कर धमकाता हुआ भाग गया.
जब लोग मकान में पहुंचे तो वहां का वीभत्स दृश्य देख कर सहम गए. कामिनी की मां शारदा देवी घर के फर्श पर तथा रागिनी दरवाजे के पास खून से लथपथ पड़ी हुई थीं. अत्यधिक खून बहने से दोनों की सांसें थम चुकी थीं.

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लोगों को आया देख डरीसहमी घर की बहू रेखा कमरे की कुंडी खोल कर बाहर आई. वह भी गंभीर रूप से घायल थी. उस ने बताया, ‘‘पड़ोसी गोविंद ने सास और ननद पर चाकू से हमला किया, जब वह उन्हें बचाने आई तो उस पर भी हमला कर घायल कर दिया. वह किसी तरह जान बचा कर कमरे में भागी और अंदर से कुंडी लगा ली. इसी बीच किसी ने इस घटना की सूचना थाने को दे दी.’’ यह बात 8 मार्च, 2021 की है.

डबल मर्डर की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विनोद कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. डबल मर्डर की घटना से कस्बे में सनसनी फैल गई थी. तब तक मकान के बाहर भीड़ जुट गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ही 2 महिलाओं की हत्या होने से हड़कंप मच गया. आननफानन में आईजी (आगरा जोन) ए. सतीश गणेश, एसएसपी बबलू कुमार, एसपी (पूर्वी) अशोक वेंकट, फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड के साथ मौके पर पहुंच गए.

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आगरा के थाना बाह के कस्बा जरार के मोहल्ला हवेली निवासी उमेश सविता की करीब 15 साल पहले मृत्यु हो चुकी थी. पत्नी शारदा देवी जरार के प्राइमरी स्कूल में रसोइया का काम कर परिवार पाल रही थीं. उन के 5 बेटेबेटियों में राहुल और लक्ष्मी की शादी हो चुकी थी. तीसरे नंबर के बेटे मनीष के विवाह की तैयारियां चल रही थीं. चौथे नंबर की बेटी रागिनी की पिछले साल बीमारी से मौत हो गई थी. सब से छोटी कामिनी का भी रिश्ता तय हो चुका था.

उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और मांबेटी के कत्ल के दौरान गंभीर रूप से घायल हुई रेखा को उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. मांबेटी के गले व सीने पर चोट के गहरे निशान थे. दोनों की हालत देखने से लग रहा था कि हत्या के लिए बेहद क्रूर तरीका अपनाया गया था. मौत से पहले दोनों ने हत्यारे के साथ संघर्ष भी किया था.

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फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर जांच कर सबूत जुटाए. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शवों को मोर्चरी भिजवा दिया. अस्पताल में भरती घटना की चश्मदीद बहू रेखा ने बताया कि उस की सास शारदा देवी व ननद कामिनी बरामदे के टिनशैड में अगलबगल सोई हुई थीं. गोविंद छत से घर के अंदर आया था. सीढि़यों से नीचे आने के बाद उस ने दोनों पर हमला कर दिया.

रेखा अपने 5 महीने के बेटे सार्थक के साथ कमरे में सो रही थी. चीखपुकार सुन कर वह जाग गई और सास व ननद को बचाने दौड़ी. अपनी पहचान होते देख आरोपी गोविंद ने रेखा पर भी चाकू से हमला कर दिया.
जान बचाने को रेखा कमरे की ओर दौड़ी और अपने आप को कमरे में बंद कर लिया. घटना के समय घर में कोई पुरुष मौजूद नहीं था. रेखा का पति राहुल काम के सिलसिले में दिल्ली गया हुआ था. जबकि देवर मनीष पड़ोस में रहने वाले अपने चाचा गणेश के यहां सोया हुआ था.

घटना की जानकारी होते ही मृतकों के अन्य परिजन भी आ गए. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. जांच के दौरान पता चला कि मामला प्रेमप्रसंग का था. आरोपी गोविंद के मृतका कामिनी से प्रेम संबंध थे. कामिनी के घर वाले गोविंद का विरोध करते थे. इस के चलते पहले भी गोविंद व कामिनी के घर वालों में झगड़ा व मारपीट हुई थी. तब मामला रफादफा हो गया था. लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हो गया था, जो गोविंद ने अपनी प्रेमिका के अलावा उस की मां की हत्या करने के साथ ही मृतका की भाभी को भी घायल कर दिया था.

पुलिस पूछताछ में मृतका के घर वालों ने बताया कि गोविंद पहले भी कामिनी को अकेला देख कर एक दिन घर में घुस आया था. शोर मचाने पर आसपास के लोगों के पहुंचने पर वह भाग गया था. तब घर वालों ने पुलिस में उस की कोई शिकायत नहीं की थी.

ग्रामीणों ने पुलिस को जानकारी दी कि दोनों की दोस्ती से कामिनी का परिवार खुश नहीं था. कुछ दिन पहले दोनों परिवारों में इस बात को ले कर झगड़ा भी हुआ था. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी. जब पुलिस हत्यारोपी के घर गई और गोविंद के पिता को घटना के बारे में बताया तो वह बेहोश हो गए.
इस बीच पुलिस ने हत्यारोपी के परिवार के कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया. हत्यारे गोविंद के विरुद्ध मनीष ने भादंवि की धारा 302 व 307 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया.

पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि घटना से 15 दिन पहले गोविंद ने अपने दोस्तों के बीच ऐलान किया था कि वह बड़ा कांड करेगा. उस का कहना था, मुझे पहले कामिनी ने अपने प्यार में फंसाया, जब मुझे गहराई से प्यार हो गया तो वह मुझे छोड़ने की बात कह रही है. उस की मोहब्बत को ठुकराने का अंजाम क्या होता है, यह हर कोई देखेगा. वह दोस्तों से पूछता था कि जेल में मिलने आओगे या नहीं? दोस्तों ने उस की बात को मजाक में लिया था. किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह ऐसा खूनी खेल खेलेगा.

धारदार हथियार से 50 वर्षीय शारदा और उन की बेटी 19 वर्षीय कामिनी की नृशंस हत्या करने के बाद हत्यारे के फरार हो जाने और पुलिस द्वारा गिरफ्तार न कर पाने से लोग आक्रोशित थे. सोमवार को गम और गुस्से में जरार का बाजार बंद रहा. घटना की जानकारी होने पर बाह की विधायक पक्षालिका सिंह जरार पहुंचीं. मांबेटी की मौत पर परिजनों का रोना सुन कर वह भी अपने आंसू नहीं रोक सकीं. उन्होंने पुलिस को आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.

आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की 5 टीमें गठित कर इटावा, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मुरैना और दिल्ली रवाना कर दी गई थीं. सोमवार की रात को ही एसएसपी बबलू कुमार ने हत्यारोपी गोविंद पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया था.

सोमवार 8 मार्च की सुबह आगरा पुलिस ने शिकोहाबाद के मोहल्ला जैन स्ट्रीट में स्थानीय पुलिस के साथ गोविंद के चचेरे भाई नवीन जैन के यहां दबिश दी. लेकिन पुलिस के आने से पहले सुबह 4 बजे मकान का ताला लगा कर परिवार कहीं चला गया था. पुलिस टीम हत्यारोपी के एक अन्य रिश्तेदार को पूछताछ के लिए अपने साथ बाह ले आई.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कामिनी के शरीर पर 8 और उस की मां शारदा के शरीर पर 6 घाव आए थे. सभी घाव गरदन और सीने पर थे. पुलिस को पता चला कि हत्यारा गोविंद फिरोजाबाद भागने की फिराक में है. पुलिस ने फिरोजाबाद में भी कई स्थानों पर दबिश दी. लेकिन पुलिस के हाथ निराशा ही लगी. फिर भी पुलिस सरगर्मी से उस की तलाश में जुटी रही.

घटना के दूसरे दिन मंगलवार 9 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि गोविंद को जरार से 10 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध तीर्थ बटेश्वर में देखा गया है. इस पर तलाश में लगी पुलिस टीम सचेत हो गई. बटेश्वर में पहुंची पुलिस टीम को आरोपी गोविंद बाइक से फिरोजाबाद की ओर जाता दिखाई दिया.
पुलिस ने बटेश्वर में नौरंगी घाट पर गोविंद से रुकने को कहा. पुलिस को देखते ही गोविंद ने यू टर्न लिया और फायरिंग कर दी. पुलिस की जवाबी काररवाई में गोविंद के बाएं पैर में गोली लगी. गोली लगते ही वह गिर गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उस के पास से 315 बोर का एक अवैध तमंचा व 3 कारतूस और बाइक बरामद की.

घायल गोविंद को पुलिस ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. पुलिस पूछताछ में दोहरे हत्याकांड के आरोपी गोविंद ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस का कहना था, मैं हर रोज दर्द नहीं सह सकता था. गोविंद से पूछताछ के बाद डबल मर्डर की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी

कामिनी और गोविंद बाह के जरार कस्बे के मोहल्ला हवेली में रहते थे. 19 वर्षीय कामिनी जहां 11वीं में पढ़ती थी, वहीं 21 वर्षीय गोविंद बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र था. गोविंद का घर कामिनी के घर से 50 मीटर की दूरी पर था. घटना से एक साल पहले एक दिन कालेज जाते समय दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरा गईं. दोनों ही जवानी की देहरी पर कदम रख चुके थे. गोविंद को कामिनी भा गई वहीं कामिनी को भी गोविंद अच्छा लगा. फिर अकसर जैसा 2 युवाओं के बीच होता है, उन के बीच भी हुआ.

दोनों मिले और शुरू हो गया चोरीछिपे मिलनाजुलना और बतियाना. छोटे कस्बे में लड़केलड़की का आपस में मिलना और बात करना आसान नहीं होता. कामिनी और गोविंद अपने भावी जीवन के सपने देखते. जमाने से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहते. पर गांवदेहात में प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पातीं. किसी तरह कामिनी के घर वालों को पता चल गया कि उस का गोविंद के साथ चक्कर चल रहा है. लिहाजा मां व भाइयों ने उसे समझाया कि वह उस लड़के से मिलनाजुलना बंद कर दे.

फिर भी दोनों की चोरीछिपे मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा. इस की वजह से दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ती गई. कामिनी पर जब बंदिश लगाई गई तो घटना से पहले एक दिन वह कामिनी से मिलने घर में घुस आया. चूंकि गोविंद दूसरी बिरादरी का था, इसलिए कामिनी के घर वालों ने साफ कह दिया कि कामिनी के साथ उस की शादी नहीं हो सकती. गोविंद को समझाया भी. इस के बाद भी कामिनी से बात करते देख लेने पर उन्होंने कई बार गोविंद को पीटा.

गोविंद कामिनी के मोहपाश में बंधता चला गया. उसे समाज, बिरादरी की कोई परवाह नहीं थी. उसे तो हर हाल में जीवनसाथी के रूप में कामिनी चाहिए थी. कामिनी के घर वालों ने गोविंद की हरकतों और उस की जिद से मोहल्ले में हो रही उन की बदनामी को देखते हुए कामिनी का रिश्ता 20 दिन पहले ही फिरोजाबाद के कस्बा सिरसागंज के गांव अटारैना में तय कर दिया. अभी शादी की तारीख तय नहीं हुई थी.

इस बात ने आग में घी का काम किया. अपनी प्रेमिका की शादी तय हो जाने से गोविंद मायूस था. इस से बौखला कर उस ने टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर एक खौफनाक निर्णय ले लिया. उस ने कामिनी की हत्या की योजना बनाई. इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम देने के लिए गोविंद ने रात के तीसरे पहर का समय चुना. उस समय लोग गहरी नींद में होते हैं. उस ने अपने घर में चारपाई पर तकिया रख कर रजाई से ढक दिया था ताकि लगे कि वह सोया हुआ है.

मां बेटी की हत्या करने के लिए गोविंद छत के रास्ते सीढि़यों से शारदा के घर में आ गया. उस ने चाकू से पहला वार सोती हुई शारदा पर किया, मां की चीख सुन कर बगल में सो रही कामिनी की आंखें खुल गईं.
दोनों ने गोविंद से धारदार हथियार छीनने का प्रयास किया,लेकिन सफलता नहीं मिली. मांबेटी लहूलुहान हालत में जान बचाने घर से बाहर भागीं, लेकिन हत्यारे ने उन पर चाकू से लगातार कई वार किए. बुरी तरह से घायल मां फर्श पर गिर गई.

वहीं कामिनी चीखती हुई घर के बाहर भागी. कामिनी की भाभी रेखा उन्हें बचाने आई, पहचाने जाने के डर से गोविंद ने रेखा पर भी वार कर घायल कर दिया. वह रेखा की भी हत्या करना चाहता था. घटना को अंजाम देने के बाद वह सब से पहले अपने घर पहुंचा. वहां उस ने कपड़े बदले. 400 रुपए और बाइक ले कर वह बाहर निकल गया. खून से सने कपड़े और चाकू एक पौलीथिन में रख कर जंगल में फेंक दिया और छिप गया. मंगलवार सुबह वह फिरोजाबाद की ओर भाग रहा था, तभी पुलिस ने उसे दबोच लिया. कातिल गोविंद को न्यायालय में पेश किया गया. कोर्ट के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया.

अपने घर की चारदीवारी हर किसी के लिए महफूज मानी जाती है. लेकिन शारदा और उस की बेटी कामिनी के लिए अपना घर भी सुरक्षित नहीं रहा. सिरफिरे आशिक ने प्यार की खातिर इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दे डाला. कामिनी के भाई मनीष की 25 मई को शादी होनी थी. उस के कुछ दिनों बाद जहां कामिनी की घर से डोली उठनी थी, वहां मातम छा गया था.

जमाना बदल गया- भाग 1 : आकांक्षा को अपने नाम से क्यों परेशानी थी

मेरा नाम आकांक्षा है. अब बड़ी होने के बाद अकसर सोचती हूं कि मेरा यह नाम क्यों पङा… सभी कहते थे कि तुम्हारा नाम बहुत प्यारा है. मम्मी कहती थीं,”मैं ने तो पंडितजी से पूछा था. उन्होंने कहा था कि इस का नाम आकांक्षा रखना ताकि इस लड़की की सारी इच्छाएं पूरी हों.”

सारी इच्छाएं तो जाने दें, यहां तो जरूरी इच्छाएं भी पूरी नहीं हुईं. आप सोच रहे होंगे कि यह मैं कैसी पहेली बुझा रही हूं? मगर यह पहेली नहीं, मेरी जिंदगी का सत्य है.

मेरे मम्मीपापा पढ़ेलिखे और नौकरी करने वाले थे. मेरी मां एमए पास थीं. उन्होंने मुझे अंगरेजी मीडियम स्कूल में पढ़ाया. आजकल तो गलीगली में अंगरेजी मीडियम के स्कूल हैं. उस समय तो एक ही स्कूल था. जानेमाने स्कूल में मेरा दाखिला दिलवाया था. दोनों ही बड़े खुले विचारों और आधुनिक सोच वाले थे.

मैं पढ़ने में तेज और औलराउंडर थी.पढ़ने के साथ ऐक्टिंग व संगीत में भी मैं माहिर थी. मम्मी को गाने का बहुत शौक था इसलिए उन्होंने स्कूल के बाद गायन क्लास में भी ऐडमिशन दिलवाया.

पापा मेरी किसी भी बात को मना नहीं करते थे. उन से मैं ने बहुत कुछ सीखा. तब स्कूल के सभी प्रोग्राम में मैं भाग लेती थी. क्या नाटक, क्या वादविवाद और क्या गानाबजाना, सभी में मैं ने पुरस्कार प्राप्त किया था. मैं टीचर्स की फैवरिट स्टूडेंट्स में से एक थी.

स्कूल के बाद मैं कालेज में आई. मैं ने नाटकों और लगभग सभी ऐक्टिविटीज में भाग लिया. कालेज के शिक्षकों ने भी मुझे बहुत प्रोत्साहित किया.

मेरी मम्मी आकाशवाणी में प्रोग्राम देती थीं. मैं भी उन के साथ बच्चों के प्रोग्राम में भाग लेती थी. बड़ी होने पर वहां पर मुझे दूसरे प्रोग्राम में लेने लगे. मैं कंपेयरिंग करने लगी.

थोड़े दिनों बाद तो जयपुर शहर में दूरदर्शन भी खुल गया था. मुझे वहां भी जाने का अवसर प्राप्त हुआ. आकाशवाणी में न्यूज रीडर और ड्रामा विभाग में मेरा सिलैक्शन हो गया था.

मैं ने पढ़ाई के साथसाथ दूरदर्शन में न्यूज रीडर और ड्रामा आर्टिस्ट के लिए इंटरव्यू दिया. दोनों ही में मेरा सिलैक्शन हो गया. मम्मीपापा बड़े खुश हुए. मैं तो खुश थी ही क्योंकि मेरी मनोकामनाएं जो पूरी हो गई थीं.

सब ठीकठाक चल रहा था. मम्मी को मेरी शादी की चिंता होने लगी. इसी समय मेरे पापा का ऐक्सीडैंट हो गया. उन की आंखों से कम दिखाई देने लगा. जब मोतियाबिंद का औपरेशन कराया तो वह बिगड़ गया. पापा डिप्रैशन में आ गए थे. अतः उन का  बाहर आनाजाना कम हो गया.

अब तो मम्मी को मेरी बहुत चिंता सताने लगी कि बेटी की शादी कैसे होगी? जैसे ही मेरे एमए प्रीवियस का रिजल्ट आया मैं अच्छे नंबरों से पास हो गई. अब तो मेरी मम्मी ज्यादा ही शोर मचाने लगीं,”अभी से देखना शुरू करेंगे तभी लड़का मिलेगा. ढूंढ़ने में भी 2 साल लगेंगे,” ऐसा वे हरएक से कहती रहतीं.

पता नहीं पापा के डिप्रैशन से उन्हें भी डिप्रैशन हो गया, जिसे मैं पहचान नहीं पाई. मुझ में कोई कमी तो थी नहीं. शक्लसूरत भी मेरी अच्छी थी. पढ़ाई के साथ लगभग हर ऐक्टिविटीज में भी आगे थी ही, इस के अलावा मम्मी ने मुझे घर के कामों में भी निपुण बना दिया था.

ननिहाल वालों ने एक लड़का बताया जो लैक्चरर था, पर उन की फैमिली बहुत बैकवर्ड थी. पापा उसे बड़े परेशान हो कर देखने गए. उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आया. मम्मी को यह बात अच्छी नहीं लगी. वे कहने लगीं,”शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा. कालेज में लैक्चरर है और क्या चाहिए?”

वे कई दिनों तक नाराज रहीं.पापा बोले, “लड़का इंग्लिश मीडियम का पढ़ा हुआ नहीं है, छोटीछोटी जगहों पर उस की पोस्टिंग होगी. बेटी आकांक्षा को तकलीफ होगी.”

खैर मेरे तक तो बात पहुंची नहीं, वहीं समाप्त हो गई. अब किसी ने मम्मी को बता दिया एक लड़का सरकारी कालेज में लैक्चरर है. पापामम्मी दोनों देखने गए. लड़का सचमुच अच्छा था, देखने में भी और योग्यता में भी, पर वे लोग बहुत ही पारंपरिक, अंधविश्वासी और पूजापाठ करने वाले थे. मेरे पापा तो आर्य समाजी थे. उन को यह सब बातें पसंद नहीं आईं. पर मेरी मम्मी तो पीछे ही पड़ गईं. लड़का पढ़ालिखा है, बाहर जा कर तेज हो जाएगा. उदाहरण दे कर समझाने लगीं.

मेरे पापा बोले,”ठीक है, शादी कर लेते हैं पर लड़की को एमए पास कर लेने दो.” लड़के के पापा अङ गए,”नहीं… 1 महीने के अंदर ही शादी होगी. नहीं तो यह शादी नहीं होगी?” पापा तो हरगिज तैयार नहीं थे. उन को लगा दाल में कुछ काला है, पर मम्मी तो पीछे पड़ गईं, “लड़के वाले हैं, उन की बात तो माननी ही पड़ेगी. वे कह रहे हैं कि हम उसे पढ़ने के लिए नहीं रोकेंगे, फिर क्या बात है…”

मुझे भी लड़का पसंद तो आया था पर घरपरिवार से मैं संतुष्ट नहीं थी. मम्मी ने अपने पीहर वालों को भी इस बारे में बताया. मामाजी और नानीजी भी आ गए.

बाॅलीवुड गायक अरिजीत सिंह ने ग्रामीण भारत में ‘कोविड पीड़ितों की मदद के लिए गिव इंडिया और फेसबुक के साथ मिलाया हाथ

कोरोना महामारी के समय कई फिल्मी हस्तियां अलग मंच से कोरोना पीड़ितेा की मदद करने में जुटी हुई हैं.इस कार्य में मशहूर बाॅलीवुड गायक अरिजीत सिंह भी पीछे नही है.अरिजीत सिंह ग्रामीण भारत में केाविड से राहत दिलाने के लिए आवश्यक धन इकट्ठा करने के लिए अपनी पहल ‘सोशल फार फूड’’और ‘गिवइंडिया’ के माध्यम से फेसबुक के साथ हाथ मिलाया है.

ऐसा पहली बार हुआ है,जब अरिजीत सिंह एक लाइव फंडरेजर की मेजबानी कर रहे हैं. ‘ग्रामीण भारत को सांस लेने और सुरक्षित रहने में मदद करना‘के अभियान के तहत अरिजीत सिंह छोटे शहरों और गांवों में महामारी से प्रभावित लोगों को ऑक्सीजन उपकरण, बिस्तर, दवाएं, भोजन और वित्तीय सहायता जैसी आवश्यक आपूर्ति प्रदान करना चाहते हैं.

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‘‘कोविड-19’’की दूसरी लहर ने पहले ही आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की मांग को बढ़ाते हुए शहरों में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को पंगु बना दिया है.तो वहीं देश के छोटे शहरों और गाँवों में वायरस के फैलने के साथ ही समस्या बढ़ गई है.अपनी पहल के माध्यम से अरिजीत सिंह ऐसे क्षेत्रों में चिकित्सा उपकरण और स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर लोगों की मदद करना चाहते हैं.मसलन-उनका अपना गृह नगर मुर्शिदाबाद, पश्चिमबंगाल.

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इस पहल का समर्थन करने के लिए दान देने को इच्छुक लोग ‘ गिव इंडिया अनुदान संचय’’के पृष्ठ पर जा सकते हैंऔरइस कार्य में योगदान कर सकते हैं. अभियान के एक हिस्से के रूप में, अरिजीत रविवार, 6 जूनको अपने गांव मुर्शिदाबाद से फेसबुक के माध्यम से एक लाइव स्ट्रीम भीकरेंगे,

जिसका विवरण वह अपने फेसबुक पेज पर घोषित करेंगे. प्रशंसक लाइव कॉन्सर्ट का आनंद ले सकते हैं, और गिव इंडिया पर उनके अनुदान संचय में योगदान कर सकते हैं. धन एकत्रित करने के इस अभियान पर टिप्पणी करते हुए अरिजीत सिंह कहते हैं-‘

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‘मैं पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के एक छोटे से शहर में पला-बढ़ा हूं.ऐसे में मेरा पहला कर्तव्य बनता है कि मैं अपने उस छोटे शहर के लोगों की मुसीबत के वक्त साथ दॅूं,जिस शहर ने मुझे परवरिश दी.मुझे यह दुदख होता है कि ‘कोविड 19’ की वजह से किस तरह ग्रामीण भारत के लोग प्रभावित हो रहे हैं.इतना ही नहीं इन क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी देखकर भी मुझे दुःख होता है.

और इन क्षेत्रों में चीजों में सुधार करना करोड़ों लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है.”
फेसबुक इंडिया के निदेशक और पार्टनरशिप के प्रमुख मनीष चोपड़ा ने कहा, ‘‘फेसबुक की सोशल फॉर गुड पहल जागरूकता और फंडिंग बढ़ाने के लिए सार्वजनिक हस्तियों और रचनाकारों को एक साथ लाकर बड़े सामुदायिक कारणों का समर्थन करने पर केंद्रित है.हम इसका रण से अरिजीत सिंह और गिवइंडिया के साथ साझेदारी करके खुश हैं और लोगों को इस समय संगीत के माध्यम से हमारे मंच पर एक साथ आने और जरूरतमंद लोगों के लिए धन जुटाने में मदद करने में सक्षम बनाते हैं.’’

गिव इंडिया के सीईओ और संस्थापक 2.0 अतुल सती जाने कहा, “जहां एक घातक चरम के बाद शहरों में कोविड 19 मामलों की घटती संख्या इन अंधकारमय समय मेंआशा की किरणहै,मगर ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण का प्रसार बहुत चिंता जनक है.इन क्षेत्रों में अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं और बुनियादी जरूरतों तक सीमित पहुंच है. जीवन रक्षक चिकित्सा आपूर्ति के साथ हमारी ग्रामीण आबादी का समर्थन करना, स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को वहां रखना जहां कोई नहीं है, और पोषण और वित्तीय सहायता में मदद करना महत्वपूर्ण है. ग्रामीण भारत में महामारी के नकारात्मक प्रभावको कम करने के अभियान के माध्यम से समर्थन के लिए गिव इंडिया अरिजीत का आभारी है.”

Bollywood में एकबार फिर उठी MeToo की गूंज, Jackky Bhagnani समेत कई लोगों पर FIR दर्ज

सोमवार को बॉलीवुड इंजस्ट्री से एक और मामला सामने आया है . जिसमें एक मॉ़डल ने कुछ कलाकारों पर रेप करने के आरोप लगाएं हैं. मशहूर फोटोग्राफर कॉलस्टन जूलियन , प्रॉड्यूसर जैक्की भागनानी टैंलेट कंपनी क्वान के फाउंडर अनिर्बाद दास ब्लाह समेत कुल 8 लोगों  के ऊपर उत्पीड़न का केस दर्ज करवाया है.

पीड़ीता ने सभी लोगों के खिलाफ बांद्रा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज करवाया है. मॉ़डल ने अपनी शिकायत में कहा है कि साल 2014 से 2019 तक उनके साथ सैक्सूअल हैरसमेंट किया गया. महिला की शिकायत पर पुलिस ने आईपीसी धारा 376 और 354 के तहत केस दर्ज कर लिया है.

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इस मामले के सामने आते ही बॉलीवुड के गलियारे में एक बार फिर से मी टू का शोर सुनाई देने लगा है. हालांकि पुलिस ने इस मामले में जांच करनी शुरू कर दी है और इस मामले में अब रिएक्शन भी आने शुरू हो गए हैं.

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इस मामले पर प्रॉडयूसर अजीत ठाकुर ने कहा है कि सारे मामले निराधार और दुर्भावपूर्ण हैं. अजीत ठाकुर की ओर से आए बयान पर उनके वकील का कहना है कि मॉडल सिर्फ अजात ठाकुर के कैरेक्टर को गंदा करना चाहती थी. इस वजह से उसने ये गिरी हुई हरकत की है. उनका कहना है कि महिला उन्हें और बाकी लोगों को ब्लैकमेल कर रही थी, जिस वजह से उसने यह गलत कदम उठाए हैं.

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अब देखना यह है कि यह मामला कितना आगे तक बढ़ता है या फिर यहीं पर रूक जाएगा. हालांकि लोगों में एक बार फिर से MeToo डर सामने नजर आने लगा है.

 

सीरो सर्वे से पता लगेगा कितने लोगों में बन चुकी है  एंटीबॉडी

लखनऊ . उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की गहन पड़ताल के लिए 04 जून से सीरो सर्वे शुरू किया जा रहा है. सभी 75 जिलों में होने वाले इस सर्वे के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि किस जिले के किस क्षेत्र में कोरोना का कितना संक्रमण फैला और आबादी का कितना हिस्सा संक्रमित हुआ. यही नहीं, इससे यह भी सामने आएगा कि कितने लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी बन चुकी है.

सोमवार को राज्य स्तरीय टीम-09 की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीरो सर्वे को लेकर हो रही तैयारियों की जानकारी ली. अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि 04 जून से शुरू हो रहे इस सर्वे को लेकर कार्ययोजना तैयार हो चुकी है. सैम्पलिंग कर लिंग और आयु सहित विभिन्न मानकों पर सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जिलेवार सर्वे करने वाले कार्मिकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके परिणाम जून के अंत तक आने को संभावना है.

पहली लहर में भी हुआ था सीरो सर्वे:

कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में 11 जिलों में सीरो सर्वे कराया गया था. यह सर्वे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, मेरठ, कौशांबी, बागपत व मुरादाबाद में हुआ था. उस समय सीरो सर्वे में 22.1 फीसद लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी.

वायरल हुआ ‘Anupama’ रुपाली गांगुली का ऑडिशन वीडियो, की थी जबरदस्त एक्टिंग

टीवी दुनिया के सबसे चर्चित शो में से एक अनुपमा है. जिसे लगभग हर घर में लोग देखना पसंद करते हैं. ऐसे में रुपाली गांगुली के किरदार को भी खूब पसंद किया जाता है.

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें रुपाली गांगुली ऑडिशन देते हुए नजर आ रही हैं. वह एक दम परफेक्ट एक्सप्रेशन के साथ ऑडिशन दे रही हैं. जिसे फैंस काफी ज्यादा लाइक देरहे हैं.

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बता दें कि इस वीडियो में रुपाली गांगुली कॉटन की साड़ी पहनी हुईं हैं. रुपाली के एक्सप्रेशंस से यह साबित होता है कि इस रोल के लिए उनसे बेहतर कोई हो नहीं सकता था. रुपाल गांगुली ही इस किरदार के लिए बेहतर थी.

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अनुपमा एक पारिवारिक सीरियल है जिसमें यह दिखाया जाता है कि एक औरत को अपने परिवार को चलाने के लिए कितना कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है. वह जिंदगी के कई बुरे दौर से गुजरती है लेकिन वह कभी हार नहीं मानती है.

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कुछ ऐसी ही कहानी अनुपमा की भी है उसका साथ उसके पति भी नहीं देते हैं. उसके आंखों के सामने उसके पति किसी और को पसंद करते हैं लेकिन वह अपने परिवार और बच्चों को तकलीफ न हो इसके लिए वह सभी चीजों को भूलकर अपने जीवन में आगे बढ़ने की सोचती है.

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अनुपमा एक दिन यह नर्णय लेती है कि वह अपना नाम खुद बनाएगी, जिससे वह हर चीज खुद से करने की कोशिश करने लगती है. इसमें उसका साथ उसके बच्चे देते हैं.

कोरोना काल में योगी सरकार ने तोड़े गेंहू खरीद रिकार्ड

लखनऊ . उत्तर प्रदेश में किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योगी सरकार प्रत्येक दिन नए मुकाम हासिल कर रही है. सूबे में अभी तक कुल 39.58 लाख मी.टन गेहं खरीद की जा चुकी है. इसके माध्यम से 828697 किसानों को सीधा लाभ मिला है. जबकि पिछले साल आज तक 23.92 लाख मी. टन गेहूं खरीद ही हो पाई थी. कोरोना की लड़ाई में पूरी ताकत से जुटी योगी सरकार किसानों के हित में हर संभव प्रयास करने में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों की बकाया 7817.68 करोड़ की राशि में से 6029.27 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों से यूपी के किसान काफी खुश है. उनका कहना है कि पिछली सरकारों में कभी उनको इतनी सहूलियत नहीं मिली थीं.

यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद के दौरान किसानों को भुगतान भी तेजी से किया जा रहा है. मात्र 72 घंटों के भीतर पैसा सीधे किसानों के एकाउंट में पहुंच रहा है. इतना ही नहीं ई-पॉप मशीनों का इस्तेमाल होने से मंडियों में बिचौलिये भी खत्म हो गये हैं. वर्षा की चेतावनी को देखते हुए सरकार हर सावधानी बरत रही है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गेहूं खरीद में क्रांति लाते हुए पहली बार मंडियों में न केवल अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया बल्कि किसानों के लिये मंडियों में पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था के सख्त निर्देश भी दिये.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार किसानों को उनके खेत के 10 किमी के दायरे में गेहूं खरीदकर उनकी दिक्कतों को समाप्त करने का बड़ा काम किया है. इससे यूपी के किसानों को गेहूं खरीद में काफी राहत मिली है. जीवन और जीविका को बचाने के उद्देश्य से योगी सरकार ने कोरोना काल में मंडियो में कोविड प्रोटोकाल का पूरा पालन कराने के निर्देश दिये. जिसके बाद से खरीद केंद्रों पर ऑक्सीमीटर, इफ्रारेड थर्मामीटर की व्यवस्था भी की गई है.

इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनायेगी यूपी सरकार

लखनऊ . प्रदेश सरकार अब इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनाने की मुहिम में जुट गई है. इसके तहत राज्य में गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54 और चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने के सात प्रोजेक्ट लगाए जाने की कार्रवाई चल रही हैं. गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54  प्रोजेक्ट में से 27 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं, जबकि 27 प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं, आगामी सितंबर के अंत तह यह भी पूरे हो जायंगे.

चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट में भी अगले चंद महीनों में उत्पादन शुरू हो जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्टों की समीक्षा करते हुए इनमें जल्द से जल्द इनमें उत्पादन शुरू करने के निर्देश हैं. उत्पादन शुरू करने के लिए एनओसी जारी करने में को विलंब ना हो, यह भी मुख्यमंत्री ने कहा है.

गन्ना राज्य के किसानों की एक मुख्य नगदी फसल है. बुन्देलखंड को छोड़ कर राज्य के हर जिले में किसान गन्ने की पैदावार होती हैं. कुछ समय पहले तक चीनी मिले, खंडसारी और गुड के कारोबारी ही गन्ने पैदावार के खरीददार थे लेकिन अब गन्ने से इथेनॉल भी बनाई जाने लगी हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही पहल पर राज्य में इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने के लिए लोगों ने रूचि दिखाई है. जिसके चलते अब किसानों को चीनी मिलों या खांडसारी करोबारियों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. प्रदेश सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ाने की शुरुआत कर अब गन्ने को ग्रीन गोल्ड सरीखा बना दिया है. इस क्षेत्र में अब भारी निवेश हो रहा है. राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों के जरिए इथेनॉल बनाने के लिए 61 प्रोजेक्ट लगाने के लिए लोगों का आगे आना इसका सबूत है. निवेश के इन प्रस्तावों के सूबे में आने से अब गन्ना उत्पादन में इजाफा होगा. सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों से इथेनॉल बनाने संबंधी लगाए जा रहे कुल 61 प्रोजेक्टों से 25 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा.

इन विशेषज्ञों का कहना है कि इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाने तथा उसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस योजना से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि इथेनॉल गन्ने,  मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है. ये विशेषज्ञों कहते हैं कि दो माह पहले केंद्र सरकार ने इथेनॉल को स्टैंडर्ड फ्यूल घोषित किया है. ऐसे में अब इथेनॉल की मांग में इजाफा होगा. जिसका संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने उचित समय पर इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट लगाने में तेजी दिखाई है. प्रदेश सरकार के इस प्रयास से उत्तर प्रदेश इथेनॉल के उत्पादन सबसे अन्य राज्यों से बहुत आगे निकल जाएगा. अभी भी उत्तर प्रदेश से हर वर्ष 126.10 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की जाती है. राज्य में करीब 50 आसवानियां इथेनॉल बना रही हैं. इस वर्ष इथेनॉल बनाने संबंधी नए प्रोजेक्टों में उत्पादन शुरू होने से इथेनॉल उत्पादन में प्रदेश देश में सबसे ऊपर होगा और राज्य के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा. क्योंकि इन प्रोजेक्ट में गन्ना देने वाले किसानों को उनके गन्ने का भुगतान पाने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. और किसान गन्ना की फसल बोने से संकोच नहीं करेंगे. गन्ना किसानों के किए सोने जैसा खरा साबित होगा. इसी सोच के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबधी प्रोजेक्ट पर विशेष ध्यान देते हुए उनके शुरू करने की कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिया हैं.

क्या होता है  इथेनॉल  :

अगर आसान शब्दों में कहें तो इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. एथेनॉल का उत्पादन वैसे तो गन्ने से होता है लेकिन अब प्रदेश सरकार ने चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से भी इसे तैयार करने के सात प्रोजेक्ट स्थापित करने की अनुमति दी है. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में स्थापित और नए लग रहे प्रोजेक्ट से उत्पादित इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर 35 फीसदी तक कार्बन मोनोऑक्साइड कम किया जा सकता है. साथ ही, इससे सल्फर डाइऑक्साइड को भी किया जा सकता है. मौजूदा समय में केंद्र सरकार सरकार ने 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य रखा है.पिछले साल सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था. सरकार के इस फैसले से आम लोगों को प्रदूषण से राहत मिलेगी. इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से गन्ना किसानों को सीधा फायदा होगा. क्योंकि शुगर मिलों के पास आसानी से पैसा उपलब्ध हो जाएगा.

भूख : लाजो अपने बच्चों के लिए खाने का इंतजाम कैसे करती थी

लाजो आज घर से भूखे पेट ही काम पर निकली थी. कल शाम बंगलों से मिले बचे-खुचे भोजन को उसने सुबह बच्चों की थाली में डाल दिया था. बच्चे कुछ ज्यादा ही भूखे थे. जरा देर में थाली सफाचट हो गयी थी. लाजो के लिए दो निवाले भी न बचे. लाजो ने लोटा भर पानी हलक में उंडेला और काम पर निकल गयी. सोचा किसी बंगले की मालकिन से कुछ मांग कर पेट भर लेगी.

लाजो एक रिहायशी कॉलोनी के करीब बसी झुग्गी-बस्ती में रहती है. पास की पांच-छह कोठियों में उसने झाड़ू-पोंछे और बर्तन मांजने का काम पकड़ रखा है. पांच बरस पहले जब उसका पति ज्यादा शराब पीने के कारण मरा था तब उसका सोनू पेट में ही था. उसके ऊपर दो बिटियां थीं. तीन बच्चों का पेट पालना इस मंहगाई में अकेली लाजो के लिए कितना मुश्किल था, यह सिर्फ वो ही जानती है. किराए की झुग्गी है. बच्चों को पास के प्राइमरी स्कूल में डाल रखा है. घर के किराए, बच्चों के कपड़े, फीस, किताबों में उसकी सारी कमाई छूमंतर हो जाती है. महीने बीत जाते हैं बच्चों को दूध-दही का स्वाद चखे. घर में खाना कभी-कभी ही बनता है. सच पूछो तो बंगलों से मिलने वाली जूठन पर ही उसका परिवार पल रहा है.

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लाजो, पहली कोठी में काम के लिए घुसी तो मेमसाहब ने कहा, ‘लाजो, आज बर्तन नहीं है, साफ-सफाई के बाद ये लिस्ट लेकर सामने किराने की दुकान पर चली जाना. यह सारा सामान ले आना. साहब बात कर आये हैं. आज से नवरात्रे हैं. साराउपवास का सामान है. हाथ अच्छी तरह धो कर जाना.’

लाजो थैला लेकर किराने की दुकान पर पहुंची तो लिस्ट में लिखा सामान लाला ने निकाल कर उसके सामने रख दिय. प्लास्टिक की थैलियों में भरे मखाने, छुहारे, राजगिरी, सूखे मेवे, आलू और अरारोट के चिप्स, पापड़, देसी घी के डिब्बे और न जाने क्या-क्या, जिनके बारे में लाजो ने न कभी सुना था और न ही देखा था. उपवास में ऐसा भोजन? इसका मतलब आज उसको इस घर से बचा-खुचा रोटी-दाल नहीं मिलने वाला. उसका मन भारी हो गया. बच्चों के भूखे चेहरे आंखों के सामने नाचने लगे. उसके बाद के दो घरों में भी व्रत-पूजा के कारण लाजो को रोटी नहीं मिली. बस एक घर में चाय ही मिल पायी, जो उसके पेट की आग का दमन करने में असमर्थ रही. लाजों को अब ज्यादा चिन्ता इस बात की होने लगी कि अगर किसी घर से बचा हुआ खाना न मिला तो दोपहर को घर लौट कर वह बच्चों की थाली में क्या रखेगी?

उसका ध्यान धोती के छोर में बंधे पैसों की ओर गया. उसने खोल कर देखा. एक दस का नोट और पांच के तीन नोट के साथ चंद सिक्के ही थे. पूरा महीना सिर पर था, यह पैसे भी खर्च नहीं कर सकती थी. वह तेजी से चौथे बंगले की ओर चल दी. मल्होत्रा साहब की कोठी थी. ये लोग आर्यसमाजी थे. लाजो ने उनके वहां धार्मिक कर्मकांड कभी नहीं देखे थे. उनकी औरत तो व्रत-उपवास भी नहीं करती थी. उसको उम्मीद थी कि वहां तो जरूर रोटी मिल जाएगी.

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तीसरी गली के बंगला नं. 5 के आगे भीड़ लगी थी. लोग कई कई गुटों में खड़े बातचीत कर रहे थे. लाजो का दिल किसी अनहोनी से धड़कने लगा. बाहर खड़ी एक महिला से पूछा तो पता चला मल्होत्रा साहब नहीं रहे. आज ग्यारह बजे उनका देहावसान हो गया. अंदर फर्श पर अर्थी पड़ी थी. घर की औरतें अर्थी को घेरे विलाप कर रही थीं. लाजो एक कोने में जाकर बैठ गयी. दो घंटे बीत गये. लोगों का तांता लगा हुआ था, अर्थी उठने का नाम ही नहीं ले रही थी. लाजो को खीज लगने लगी. उसकी आंतें भूख से कुलबुला रही थीं. उसे रह-रह कर अपने बच्चे भी याद आ रहे थे. कोठरी के दरवाजे पर मां का इंतजार करते भूखे बैठे होंगे.

दोपहर 2 बजे जाकर कहीं अर्थी उठी. मल्होत्रा मेमसाहब के दारुण क्रंदन से लाजो की आंखें भी भर आयीं. स्वयं के साथ घटित घटनाक्रम चलचित्र की तरह आंखों के सामने घूम गया, जब उसके पति की मृत्यु हुई थी. स्वयं का विलाप और दोनों बेटियों का हिचकियां लेकर रोना याद कर उसका गला रुंध गया.

अर्थी जा चुकी थी. घर में मरघर सा सन्नाटा पसरा था. रिश्तेदार अपने-अपने घर लौट गये थे. मेमसाहब बच्चों सहित अपने कमरे में बंद हो गयी थीं. जवानी में सुहाग उजड़ गया. छोटे-छोटे बच्चे थे. बेचारी. लाजो ने ड्राइंगरूम ठीक करना शुरू किया. सारा फर्नीचर जो अर्थी रखने के लिए इधर-उधर खिसका दिया गया था, लाजो ने अकेले खींच-खींच कर जगह पर लगाया. फिर पूरे घर में झाड़ू पोछा किया. सारा काम निपटाते-निपटाते साढ़े तीन बज गये. उसकी भूख भी खत्म हो चुकी थी, मगर बच्चों की भूख याद करके उसकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी. काम खत्म करके वह मल्होत्रा साहब की बूढ़ी मां के पास आकर बैठ गयी. थोड़ी देर बाद बड़ी मुश्किल से बोली, ‘अम्माजी, मैं जाऊं क्या? कोई काम हो तो छह बजे तक फिर से आ जाऊंगी. बच्चे घर में अकेले मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे. भूखे होंगे.’

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अम्माजी ने हामी भरी तो वह उठी. घर जाकर पहले नहाना होगा. फिर कुछ न कुछ तो पकाना ही पड़ेगा. चाहे पन्द्रह रुपये के चावल ही जाते वक्त खरीद लेगी. वह चलने को हुई तो पीछे से अम्माजी की आवाज आयी, ‘लाजो, जरा रुकना.

लाजो पलट कर उनके पास पहुंची तो बूढ़ी औरत ने धीमे स्वर में कहा, ‘लाजो, घर से मिट्टी उठी है, सूतक लगा है. आज दोपहर का भोजन तो पक चुका था. मगर खाएगा तो कोई नहीं. रसोई में पड़ा है. सारा तू ले जा.’

लाजो की आंखें एकबारगी चमक उठीं. भागते कदमों से रसोई में पहुंची. रसोई में कढ़ाई भर कर पत्तागोभी की सब्जी, दाल, पनीर का तरी वाली सब्जी, गर्म डिब्बे में रखी रोटियां, भात, पापड़, अचार और न जाने क्या-क्या रखा था. अम्माजी ने कुछ साफ पोलिथीन की थैलियां लाजो को पकड़ा दीं. लाजो ने फटाफट सारा खाना भर लिया. वह तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ी कि जल्दी-जल्दी पहुंच कर बच्चों का पेट भर दे कि अचानक उसके कदम ठिठक गये. यह खाना उस घर का था, जहां से अभी-अभी एक अर्थी उठी थी. सूतक लगे घर का खाना. क्या यह खाना वह अपने बच्चों को खिलाएगी? कोई अपशगुन तो न हो जाएगा? वह सन्न खड़ी हो गयी कि सूतक लगे घर का खाना लेकर जाए या न जाए? बंगलों से बचा-खुचा ले जाना अभी तक उसकी नियति थी. उसकी परिस्थितियां ही ऐसी थीं. ऐसे में सूतक लगे घर का खाना ले जाना भी तो परिस्थितियों के साथ समझौता ही था. पेट के आगे क्या शगुन, क्या अपशगुन?

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दीवार घड़ी ने चार बजने के घंटे बजाए तो उसकी तंद्रा भंग हुई. कशमकश की दलीलों और तर्कों पर स्वयं उसकी और बच्चों की भूख हावी हो चुकी थी. हाथ में खाने का बड़ा सा पैकेट संभाले वह लंबे-लंबे डग भरते हुए घर की ओर भागी जा रही थी. आज मुद्दतों बाद उसको और उसके बच्चों को कम से कम दो वक्त भरपेट और अच्छा खाना नसीब होने वाला था. उसको याद नहीं पड़ता इससे पहले उसने रोटी, सब्जी, दाल, चावल इकट्ठे कब खाये थे?

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