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वनराज शाह को देखते ही रणबीर कपूर ने कही ये बात, देखें VIDEO

अनुपमा के स्टारकास्ट के साथ बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) खूब मस्ती करते नजर आये. दरअसल एक्टर इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म शमशेरा (Shamshera) का जमकर प्रमोशन कर रहे हैं.

दरअसल रणबीर कपूर स्टार प्लस का शो रविवार विद स्टार परिवार के सेट पर पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने अनुपमा की स्टारकास्ट (Anupama Starcast) के साथ क्वालिटी टाइम बिताया और अपनी फिल्म शमशेरा का प्रमोशन भी किया.

 

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रूपाली गांगुली यानी अनुपमा ने कई तस्वीरें शेयर की है, जिसमें रणबीर  नजर आ रहे हैं. तो वहीं अनुज कपाड़िया और वनराज शाह ने भी  रणबीर कपूर के साथ फोटोज और वीडियोज शेयर किया है.

 

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अनुपमा ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि  वह रणबीर की कितनी बड़ी फैन हैं. सुधांशु पांडे ने रणबीर कपूर के साथ एक मजेदार वीडियो बनाया है, जिसमें रणबीर का मस्तमौला अंदाज देखते ही बन रहा है.

 

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इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि  रणबीर कपूर कह रहे हैं, वनराज शाह इस बैक.  इसके तुरंत बाद ही सुधांशु पांडे बोल रहे हैं, शमशेरा इज बैक. आपको बता दें कि शमशेरा 22 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है.

पेठा: कद्दू की उन्नत खेती

राघवेंद्र विक्रम सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषि प्रसार, कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती,

प्रो. डा. एसएन सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती

आगरा का पेठा न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में मशहूर है, इसलिए इस की मांग भारत के दूसरे प्रदेशों के अलावा दुनिया के तमाम देशों में बनी हुई है.

यह मिठाई कई स्वाद और खुशबुओं में उपलब्ध है. इसे अंगूरी पेठा, नारियल पेठा, सूखा पेठा, काजू पेठा इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. ये सभी मिठाइयां इस कद्दूवर्गीय प्रजाति के फल से बनी होती हैं, इसलिए इस का नाम भी कद्दू पेठे के नाम से मशहूर है.

यह हलके रंग का होता है, जो लंबे व गोल आकार में पाया जाता है. इस का उपयोग सब्जियों के अलावा सर्वाधिक पेठा नाम की मिठाई बनाने में किया जाता है. इस फल के ऊपर हलके सफेद रंग के पाउडर की तरह परत चढ़ी होती है. इस की कुछ प्रजातियां 1-2 मीटर लंबे फल भी देती हैं.

इस पेठा कद्दू प्रजाति की मांग सब्जियों के लिए बहुत कम है, लेकिन पेठा मिठाई बनाने के लिए जितनी मांग है, उतने का उत्पादन आज भी नहीं हो पा रहा है.

कद्दू पेठे की खेती सर्वाधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है. इस के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित पूरे भारत में इस की खेती बहुतायत मात्रा में होती है.

कद्दू की इस प्रजाति को अलगअलग जनपदों में अलगअलग नाम से जाना जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में भतुआ कोहड़ा, भूरा कद्दू, कुष्मान या कुष्मांड फल के नाम से भी जाना जाता है. यह पकने के बाद एकदम सफेद हो जाता है. इस प्रजाति के कुछ फल पकने के बाद पीलापन भी लिए होते हैं.

चूंकि पेठा कद्दू की मांग पेठा मिठाई बनाने के लिए है, ऐसे में इस की खेती का किया जाना किसानों के लिए माली आमदनी का अच्छा जरीया बन सकता है. कद्दू की इस प्रजाति की मार्केटिंग में किसानों को किसी तरह की परेशानी से नहीं जूझना पड़ता है, क्योंकि पेठा मिठाई के कारोबारी इस की तैयार फसल को खेतों से ही खरीद लेते हैं. इस की खेती सर्दी व गरमी दोनों मौसम में की जाती है, लेकिन अधिक पैदावार के लिए यह कोशिश करनी चाहिए कि फसल पर पाले का असर न होने पाए.

पेठा कद्दू की कुछ उन्नत प्रजातियां

पेठा कद्दू की खेती के लिए तमाम उन्नत प्रजातियां उपलब्ध हैं, जो न केवल अधिक उत्पादन देने वाली हैं, बल्कि इस पर कीट, बीमारियां व विपरीत मौसम का असर भी कम होता है.

पेठा की उन्नतशील प्रजातियों में पूसा हाईब्रिड 1, काशी उज्ज्वल, काशी सुरभि, काशी धवली, पूसा विश्वास, पूसा विकास, सीएस 14, सीओ 1 व 2, हरका चंदन, नरेंद्र अमृत, अर्का सूर्यमुखी, कल्याणपुर पंपकिंग 1, अंबली, पैटी पान, येलो स्टेटनेप, गोल्डन कस्टर्ड इत्यादि प्रजातियां प्रमुख हैं.

इस की बोआई का प्रमुख समय जूनजुलाई, सितंबर से अक्तूबर व फरवरी से मार्च महीने में होता है. इस के अलावा पर्वतीय इलाकों में इस की बोआई मार्चअप्रैल माह में की जाती है, जबकि नदियों के किनारों पर यह नवंबरदिसंबर माह में बोया जाता है. एक हेक्टेयर खेत के लिए 7-8 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.

मिट्टी व खेत की तैयारी

पेठा कद्दू की खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी गई है. इस के अलावा यह मध्यम अम्लीय मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है. जीवांशयुक्त मिट्टी इस की खेती के लिए सब से अच्छी होती है. इस को बोने के पहले खेतों की अच्छी तरह से जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए और

2-3 बार कल्टीवेटर से जुताई कर पाटा लगाना चाहिए. खेत में बीज की बोआई के पहले एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 40-50 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद व 20 किलोग्राम नीम की खली के साथ 30 किलोग्राम अरंडी की खली अच्छी तरह से मिला देना चाहिए.

उपरोक्त चीजों को मिट्टी में मिलाने के लिए पहले पाटा लगाए गए खेत में इस का बुरकाव कर दें. उस के बाद एक जुताई कर के दोबारा पाटा लगा दें.

खाद व उर्वरक

कद्दू पेठे की बोआई के समय एक हेक्टेयर खेत के लिए 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश की मात्रा की जरूरत पड़ती है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा व फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा बोआई के समय ही खेत में मिला देना चाहिए. नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा को फसल में 3-4 पत्तियां आने के दौरान व दूसरा, फूल आने के दौरान 20 किलोग्राम के हिसाब से फसल में प्रयोग करना चाहिए.

कद्दू पेठे की जायज सीजन की फसल के लिए प्रत्येक 15 दिन पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है, लेकिन खरीफ सीजन में अच्छी बारिश की अवस्था में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है. गरमियों में ली जाने वाली फसल में प्रत्येक

8-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए. फसल की अच्छी बढ़वार व उत्पादन के लिए फसल को खरपतवार से मुक्त बनाए रखना चाहिए.

कीट व बीमारियां

कद्दू पेठा की फसल में जिन कीटों का प्रकोप पाया गया है, उस में फल मक्खी का अधिक प्रकोप देखा जाता है. यह मक्खी पेठा फल के अंदर प्रवेश कर के वहीं अंडे देती है और इन अंडों से निकलने वाली सूंडि़यां फल को अंदर से खा कर उसे बेकार कर देती हैं. इस के लिए कार्बेनिल, 10 फीसदी धूल का छिड़काव फसल में कीट का प्रकोप दिखाए जाने के समय ही कर देना चाहिए.

इस के अलावा जिन कीटों का प्रकोप देखा गया है, उस में सफेद ग्रब व लालरी प्रमुख है. लालरी कीट का प्रकोप पौध में पत्तियां व फूल आने के समय देखा गया है. यह कीट पत्तियों व फूल के साथ जमीन के अंदर पौध की जड़ों को काट कर नष्ट कर देती है. वहीं सफेद ग्रब कीट भी जमीन के अंदर पौध की जड़ों का खा कर नष्ट कर देता है, जिस से फसल सूख जाती है. इस की रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफास 20 ईसी या प्रोफेनोफास 50 ईसी का छिड़काव करना चाहिए.

कद्दू पेठा में जिन रोगों का प्रकोप देखा गया है, उस में चूर्णी फफूंदी, मृदु रोमिल फफूंदी, मोजैक, एंथ्रेक्नोज नाम की बीमारियां पाई जाती हैं.

चूर्णी फफूंदी व मृदु रोमिल फफूंदी की वजह से पत्तियों व तनों पर सफेद व गोलाकार जलने जैसा निशान बन जाता है, जिस की वजह से पत्तियां कत्थई हो जाती हैं और पीली पड़ कर सूख जाती हैं.

मोजैक बीमारी की वजह एक विषाणु है, जिस से पत्तियां मुड़ जाती हैं और पौध की बढ़वार रुक जाती है. इस की वजह से पौधों में लगने वाले फल का आकार एकदम छोटा हो जाता है.

एंथ्रेक्नोज बीमारी की वजह से पत्तियों और फलों पर लाल व काले धब्बे पड़ जाते हैं, जो कि बीज के उपचारित न किए जाने की वजह से होता है. ऐसे में इस बीमारी से बचने के लिए थीरम से बीजों को शोधित करना चाहिए, वहीं मोजैक व फफूंदी वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए कार्बंडाजिम, मैंकोजेब, थीरम, मेटालेक्जिल, डीनोकेप दवाओं का प्रयेग करना चाहिए.

फलों की तुड़ाई व लाभ

पेठा कद्दू की फसल बोआई के तकरीबन 3-4 माह में तुड़ाई के योग्य तैयार हो जाती है. फसल की तुड़ाई से पहले यह देखना चाहिए कि फलों पर सफेद रंग के चूर्ण की परत चढ़ चुकी हो. वैसे, फलों की तुड़ाई से पहले पेठा कारोबारियों से संपर्क कर लेना ज्यादा उचित होता है, जो तैयार फसल को खेतों से ही खरीद लेते हैं. फलों की तुड़ाई के लिए किसी तेज धारदार चाकू से अलग करना चाहिए.

एक हेक्टेयर खेत से तकरीबन

500-550 क्विंटल की उपज प्राप्त होती है, जिस का थोक बाजार मूल्य सीजन के हिसाब से 800-1,000 रुपए प्रति क्विंटल तक प्राप्त हो सकता है.

एक हेक्टेयर खेत में जुताई, बीज, उर्वरक व सिंचाई को ले कर तकरीबन 35,000 रुपए की लागत आती है. ऐसे में अच्छा उत्पादन होने की दशा में किसान लागत को छोड़ कर 4-5 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त कर सकता है.

इस तरह कम समय, कम लागत व कम देखभाल के साथसाथ कम जोखिम की अवस्था में किसानों को पेठे की खेती से अच्छी आमदनी हो सकती है.

अगर किसान पेठे की तैयार फसल से पेठा मिठाई बनाने की जानकारी हासिल कर अच्छी क्वालिटी का पेठा बना कर सीधेतौर पर उसे बाजार मे बेचें, तो यह मुनाफा कई गुना तक बढ़ जाता है.

Crime Story: जिद पर अड़ी इश्कजादी

सौजन्य- सत्यकथा

भाईबहन अपनीअपनी जिद पर अड़े थे. आखिरकार भाई मनोहर ने अपनी छोटी बहन नीलम से कहा,

‘‘देख, मेरे कहने और न कहने से कुछ नहीं होता, बापू जो कहेंगे वही मानना होगा.’’

‘‘चल, यही ठीक रहेगा, आने दे बापू को. आने वाले ही होंगे. उन के सामने ही फैसला कर लेते हैं. लेकिन हां, उस वक्त मुकर मत जइयो,’’ नीलम प्यार से बोली.

‘‘मुकरना क्या है, तू मेरी बहन है, कोई गैर थोड़े है. मैं अपनी समस्या बताऊंगा और तुम अपनी बात कहना. बापू को जो सही लगेगा हमें कहेंगे,’’ भाई बोला.

‘‘…के बात हो गई, तुम दोनों भाईबहन फिर आपस में बहस करने लगे.’’ पिता सुभाष कश्यप की आवाज बैठक से सुनाई दी.

नीलम दौड़ कर बापू के लिए एक गिलास पानी ले कर चली गई. गिलास हाथ में पकड़ाती हुई बोली, ‘‘पानी और ठंडा लाऊं बापू या इतना ठंडा ठीक है?’’

बापू गिलास हाथ में लेते हुए बोले, ‘‘ना…ना, इतना ही ठंडा ठीक है. अब तू बता भाई से किस बात पर बहस कर रही थी?’’

‘‘जी..जी बापू कुछ नहीं,’’ नीलम हकलाती हुई बोली.

इतने में उस का भाई वहां पहुंच गया. बोला, ‘‘कुछ नहीं कैसे? बापू कह रही है कि 12वीं के बाद कालेज पढ़ने शहर जाएगी.’’

यह सुनते ही पानी पी रहे बापू ठिठक गए. कुछ समय खांसने के बाद बोले, ‘‘अरे भाई इस में गलत क्या है?’’

‘‘गलत तो कुछो ना है बापू, लेकिन रोजरोज उसे कालेज पहुंचावे और लावे कौन जाएगा? मैं तो उसे ले जाने से रहा,’’ भाई मनोहर कश्यप बोला.

‘‘अरे, लावेपहुंचावे की बात छोड़. मैं सब जानती हूं बेटी की पढ़ाई की जिद क्यों है? मनोहर भी जानता है. खुल कर नहीं बोल रहा.’’ कमरे से बाहर निकलती नीलम की मां कुसुम देवी बोली.

मां को आया देख नीलम पैर पटकती हुई वहां से चली गई. उस के जाने के बाद सुभाष अपनी पत्नी से बोले, ‘‘तुम ने उसे नाराज कर दिया. पढ़ना चाहती है तो इस में बुराई क्या है. बच्ची थोड़े है. सयानी हो गई है.’’

‘‘सयानी हो गई है, इसीलिए तो कह रही हूं. मुझे तो इस के लक्षण ठीक नहीं लग रहे हैं.’’

‘‘क्यों क्या हुआ उसे?’’ सुभाष बोले.

‘‘बेटी नाक कटाएगी तब कहना. मोहित के चक्कर में पड़ी हुई है. इस पर इश्क का जुनून सवार हो गया है. कोई ऊंचनीच हो जाए, इस से पहले बेटी को संभालो वरना…’’ कुसुम ने अपने पति को समझाया.

‘‘हां बापू, अम्मा ठीक कह रही है. मोहित से मिलते रहने के लिए ही पढ़ाई का बहाना कर रही है,’’ मनोहर ने भी मां की बातों को सहमति दी.

‘‘ऐंऽऽ ये बात है. मुझे तुम लोगों ने पहले बताया नहीं. बुला तो उसे अभी तगड़ी डांट लगाता हूं.’’ सुभाष नाराजगी दिखाते हुए बोले.

‘‘डांट लगाने से क्या होगा. इश्कजादी पर. उस के लिए कोई लड़का देखो और जितनी जल्दी हो उसे घर से विदा करो.’’

‘‘ठीक है, कल ही जाता हूं. एक लड़का है हमारे ध्यान में. मनोहर तुम भी साथ चलना, कल नाश्ता कर के ही निकल लेंगे. मेरा नया वाला कुरता और पाजामा निकाल लेना. नए कपड़े का शगुन अच्छा होता है.’’

यह बात 11 अप्रैल, 2022 की शाम बीत जाने के बाद की थी. नीलम ने अपने बापू, अम्मा और भाई की प्लानिंग सुन ली थी. उस के दिमाग में खलबली मच गई. वह सोच में पड़ गई कि क्या करे, क्या नहीं.

उन्हें रात का खाना खिलाने के बाद जब खुद खाना खाने बैठी, तब रोटी का निवाला गले से नहीं उतर रहा था. हर निवाले के साथ उस की शादी के रिश्ते की बात दिमाग में उमड़घुमड़ रही थी. किसी तरह से 2 रोटी खा पाई. पूरी रात करवटें बदलते गुजारी.

अगले रोज 12 अप्रैल को सुबहसुबह भाई और बापू तैयार हो कर निकल गए थे. अम्मा ने उन्हें खुशीखुशी विदा किया. अम्मा तो खुश थी, लेकिन नीलम के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी.

‘‘दिल छोटा नहीं करो. बापू तुम्हारे लिए अच्छा लड़का ही ढूंढेंगे. ससुराल अच्छी होगी. यहां से भी अच्छी.’’ कुसुम देवी उदास नीलम के दोनों गालों पर हाथ फेरते हुए बोली.

‘‘लेकिन अम्मा…’’

‘‘…लेकिनवेकिन कुछ मत करो, तुम्हारे मन में जो भी है अब उसे हमेशा के लिए निकाल दो. समझो वह बचपन का कच्चा प्यार था. स्कूल का प्यार स्कूल छूटने के साथ ही खत्म समझो.’’ कुसुम बीच में ही टोक कर नीलम को समझाने लगी.

‘‘कैसे भूल जाऊं उसे, वही तो मेरा पहला और अंतिम प्यार है. उस के बगैर में कैसे रह पाऊंगी,’’ नीलम ठुनकने लगी.

‘‘तुम समझती क्यों नहीं हो. वह हमारी बिरादरी का भी नहीं है. वह यादव है और हम कश्यप हैं. तुम्हारे प्यार के कारण हमारी गांवसमाज में क्या इज्जत रह जाएगी, इस का जरा भी खयाल है तुम्हें?’’ कुसुम बोली.

‘‘तुम ने कभी किसी से प्यार किया है, जो तुम इस का मतलब जानो. प्यार में जाति नहीं देखी जाती, दिल देखा जाता है दिल.’’ नीलम अब बहस करने के मूड में आ गई थी.

‘‘तू तो एकदम से बेहया हो गई है, जरा भी शर्म नहीं बची है क्या?’’ कुसुम डांटती हुई बोली.

‘‘हांहां मैं बेशरम हो गई हूं. मोहित से प्यार करती हूं. उस से मुझे कोई अलग नहीं कर सकता. चाहे जो कुछ हो जाए, उसे हासिल कर के ही रहूंगी.’’ नीलम तेज आवाज में बोली.

‘‘जा डूब मर उस के साथ हरामजादी. तेरा दिमाग खराब हो गया है. देह में बहुत आग लगी है. पता नहीं कैसे मेरी कोख से ऐसी कुलच्छनी पैदा हो गई,’’ कुसुम अपना सिर पीटती हुई रसोईघर का पसरा काम समेटने लगी.

उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद से लगभग 25 किलोमीटर दूर है थाना भोजपुर. यहीं के रानी नांगल गांव में रहते थे सुभाष कश्यप. नीलम इन्हीं की इकलौती बेटी थी.

इसी गांव में मात्र 400 गज की दूरी पर मोहित का घर था. दोमंजिला मकान है, जिस में उस के मातापिता, भैयाभाभी और चाचाचाची का संयुक्त परिवार रहता है. मोहित और नीलम मैट्रिक तक साथ पढ़ते थे, लेकिन मोहित मैट्रिक में फेल हो गया था, जबकि नीलम पास हो कर 11वीं में चली गई थी. नीलम मोहित पर फिदा थी. उस से प्यार करने लगी थी. मोहित पढ़ाई छोड़ कर खेतीकिसानी में लग गया था, फिर भी नीलम उस के प्रेम में बंधी थी.

प्यार तो मोहित भी नीलम से बहुत करता था, लेकिन उस में नीलम जैसा बचपना नहीं था और उस की तरह बेशरम भी नहीं था. लोकलाज का खयाल रखता था. परिवार की मानमर्यादा का ध्यान था.

सब से बड़ी बात उस में यह थी कि वह कोई भी वैसा काम नहीं करता था, जिस से वह पुलिस और कोर्टकचहरी के चक्कर में पड़ जाए. छिप कर ही मिलता था. जबकि नीलम पर मोहित के प्यार का भूत कुछ ज्यादा ही सवार था.

वह उस के प्यार में दिनरात खोई रहती थी. उस से मिलने का मौका तलाशती रहती थी. इस कारण ही उस ने कालेज में पढ़ाई की योजना बनाई थी.

नीलम को अपनी योजना पर पानी फिरता नजर आ रहा था. मां की बातों से उसे और भी मायूसी मिली थी. वह किसी भी सूरत में मोहित को छोड़ना नहीं चाहती थी. पूरा दिन क्या करे, और क्या नहीं, की उलझन में बीता था. रात होने को आई थी, लेकिन उस के पिता और भाई घर नहीं लौटे थे. आधी रात होने को आई थी.

नीलम ने मोहित को रात के करीब 11 बजे फोन मिलाया था. उस से काफी लंबी बातें कीं. उस ने बारबार मोहित से एक ही रट लगा दी कि वह उसे इसी वक्त कहीं भगा कर ले चले. उस के बगैर नहीं रह सकती है.

मोहित ने उसे समझाया कि वे अभी बालिग नहीं हैं, इसलिए घर से भाग कर शादी नहीं कर सकते. पकड़े जाने पर पुलिस सीधे उन के खिलाफ ही मुकदमा कर देगी. घरपरिवार और समाज में बदनामी होगी सो अलग. इसलिए घर से भागने का खयाल दिमाग से निकाल दे. इसी में दोनों की भलाई है.

मोहित फोन पर ही नीलम से बोला कि वह उस के बापू और अम्मा से बात कर उन्हें मना लेगा. उस पर भरोसा रखे. इस बारे में उस ने अपनी मां और भाभी से बात कर ली है. वे उन की शादी के लिए वह राजी भी हो चुकी हैं. वे जैसे ही पिताजी को राजी कर लेंगी, वैसे ही वह उस के बापू से मुलाकात कर सब कुछ सही कर देंगी.

मोहित की इन बातों का नीलम पर जरा भी असर नहीं हुआ. रात के 2 बजे उस ने मोहित को फिर फोन किया. मोहित गहरी नींद में था. नीलम के अचानक दोबारा आए फोन की घंटी सुन हड़बड़ाया हुआ मोहित बिस्तर से उठा.

‘हैलो’ बोलते ही नीलम जल्दीजल्दी बोलने लगी, ‘‘मैं…मैं तुम्हारे घर के नीचे खड़ी हूं. नीचे आओ जल्दी.’’

यह सुन कर मोहित एकदम से घबरा गया, उस ने कहा कि वह तुरंत अपने घर वापस लौट जाए, लेकिन नीलम पर उस का कोई असर नहीं हुआ. वह जिद करती रही कि उसे घर के अंदर बुला ले, जरूरी बात करनी है.

फोन पर ही नीलम के काफी जिद करने के बाद मोहित ने नीलम को अपने कमरे में बुला लिया. उसे कमरे में सुला कर खुद छत पर सोने चला गया.

उन दिनों गेहूं की कटाई चल रही थी. इस कारण मोहित की पूजा भाभी सुबह के 4 बजे ही जाग गई थी. उसे घरवालों के लिए जल्द नाश्ता तैयार करना था. इस से पहले वह घरआंगन की साफसफाई करने लगी थी और नीचे के कमरों में झाड़ू लगाने के बाद छत पर मोहित का कमरा खटखटाने गई.

लगातार कुंडी खटकाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला, तब वह वापस जाने के लिए मुड़ी. देखा छत पर से मोहित नीचे उतर रहा है. तभी दरवाजा भी खुल गया था.

एक तरफ मोहित था तो दरवाजे के पीछे कमरे में आंखें मलती हुई नीलम खड़ी थी. पूजा भाभी यह देख कर समझ गई कि नीलम अपने घर से जरूर भाग आई होगी. फिर भी उस ने पूछा, ‘‘तुम? तुम यहां?’’

‘‘भाभी…भाभी, मोहित ऊपर छत पर सो रहा है. लाओ न, कमरे में झाड़ू मैं लगा देती हूं.’’ कहने के साथ नीलम ने झाड़ू लेने के लिए पूजा भाभी का हाथ पकड़ लिया.

‘‘अरे नहींनहीं, तुम अपने घर से भाग कर यहां आई हो न? जाओ, अभी इसी वक्त चली जाओ यहां से, वरना लोग जाग जाएंगे तब बेवजह सुबहसुबह  हंगामा खड़ा हो जाएगा.’’ पूजा बोली.

‘‘अरे क्या हुआ पूजा, सुबहसुबह किस से बातें करने लगी? जल्दी झाड़ू लगा कर आओ नीचे.’’ घर के नीचे आंगन से पूजा की चचिया सास ने आवाज लगाई.

‘‘जी, अभी आ रही हूं. यहां बात ही कुछ ऐसी है, जिसे पहले निपटाना जरूरी है.’’ पूजा वहीं से बोली.

‘‘क्या बात है जरा मैं भी तो देखूं.’’ इसी के साथ चचिया सास भी दनदनाती हुई छत पर आ गई.

पूजा के सामने नीलम को देख कर चौंक गई, ‘‘अरे, यह कब आई? और मोहित कहां है?’’

‘‘घर छोड़ कर रात से ही आई हुई है. मोहित उधर खड़ा है, बुत बना हुआ.’’

पूजा भाभी और उस की चचिया सास  ने मिल कर नीलम को समझाते हुए उसे घर चले जाने को कहा, लेकिन नीलम टस से मस होने का नाम नहीं ले रही थी. कुछ समय में ही सभी घर वालों को यह बात मालूम हो गई कि नीलम रात से ही मोहित के कमरे में आई हुई है.

नीलम को समझानेबुझाने का काम मोहित की मां और उस के चाचा ने भी किया, लेकिन वह किसी की नहीं सुन रही थी. वह बारबार एक ही रट लगाती रही कि अब वह इसी घर की बहू है, इसलिए यहां से नहीं जाएगी.

आधे घंटे के भीतर घर में हंगामा मच गया. नीलम की जिद से थकहार कर मोहित के पिता वीरभान यादव ने गांव रानी नांगल के प्रधान नवाब मलिक को इस की सूचना दी. मलिक ने तुरंत इस की जानकारी सुभाष कश्यप को दे दी.

सुभाष यह सुनते ही आगबबूला हो गए. वे थकेहारे देर रात को घर लौटे थे. पूरी नींद सो भी नहीं पाए थे. यह सूचना पा कर एकदम से तिलमिला गए. 6 बजतेबजते कुसुम देवी भी मोहित के घर पहुंच गई थी.

अपनी बेटी को समझाते हुए उस के पैर तक पकड़ लिए. जबकि नीलम एकदम से ताड़ के पेड़ की तरह खड़ी रही. थक कर वह भी वापस अपने घर लौट आईं. उन्होंने दुखी मन से पति से नीलम की हरकतों और घर में मचे हंगामे की सारी बातें बताईं.

सुभाष कश्यप का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा था. अब पूरी बात दोनों परिवारों की इज्जत से जुड़ गई थी. इज्जत की खातिर सुभाष कश्यप मन में आक्रोश दबाए हुए दुखी मन से मोहित के घर गए. उन्होंने भी नीलम के सिर पर हाथ रख कर घर चलने की मिन्नतें कीं. फिर भी नीलम अपनी जिद पर अड़ी रही. उस ने अपने पिता तक की एक नहीं सुनी.

दोनों परिवारों के लोग उस वक्त यह चाहते थे कि नीलम किसी भी तरह अपने घर चली जाए. मामला शांत होने पर आगे के बारे में विचारविमर्श किया जाएगा. तब तक नीलम का भाई मनोहर भी वहां पहुंच चुका था.

आखिरकार सुभाष कश्यप और बेटा कब तक नीलम के आगे रोआंसे बने रहते. सुभाष एक झटके में बोल पड़े, ‘‘बेटा मनोहर, ऐसी बेटी का तो नहीं रहना ही अच्छा है. इस ने तो हमारी इज्जत पूरी तरह से मिट्टी में मिला दी. अब बचा क्या है? कर दे काम तमाम.’’

तब तक मनोहर भी काफी आक्रोश में आ चुका था. उस ने पास रखी कुल्हाड़ी उठाई और नीलम पर एक झटके में वार कर दिया. वह वहीं खाट पर जा गिरी. दोनों हाथ जोड़ लिए, ‘मुझे माफ कर दो… माफ कर दो’ कहने लगी. किंतु तब तक तो बापबेटे के मन में नफरत तेज हो चुकी थी. सिर पर खून सवार हो चुका था.

मनोहर खाट पर गिरी नीलम पर तब तक वार पर वार करता रहा, जब तक कि उस के मुंह से आवाज निकलनी बंद नहीं हो गई. सुभाष ने भी चाकू निकाल लिया और मरणासन्न नीलम पर कई वार कर डाले.

इस घटना से मोहित का छोटा भाई रोहित, 2 बहनें गुडि़या और प्रियंका व बुजुर्ग बुआ दयावती सहम गए. संयोग से उस समय वे घटनास्थल पर ही थे.

दयावती द्वारा नीलम को बचाने की कोशिश की गई, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. रक्तरंजित नीलम लाश बन चुकी थी. सुभाष अपने बेटे के साथ बगैर कुछ बोले सीधे अपने घर आ गया.

खून से सने कपड़े उतारे. आंगन के कोने में लगे हैंडपंप पर नहाया. कपड़े बदलने के लिए कुसुम को आवाज लगाई. कुसुम कपड़े ले कर आई. नीलम के बारे में पूछने के लिए उस का नाम लिया ही था कि वह बोल पड़ा, ‘‘इज्जत की खातिर बेटी को मारना पड़ा…’’

यह सुनते ही कुसुम कमरे से बाहर निकली और दहाड़ मार कर रोने लगी. रोतेरोते वहीं बेहोश हो गई. सुभाष कुरसी डाल कर बैठ गया. थोड़ी देर में ही भोजपुर थाने की पुलिस आ धमकी. उन में एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्र और सीओ डा. अनूप सिंह भी आए थे. सुभाष कश्यप को आंगन में निश्चिंत बैठा देख कर विद्यासागर ने पूछा, ‘‘सुभाष कश्यप कौन है?’’

बैठेबैठे सुभाष ने कहा, ‘‘जी मैं हूं, कहां चलना है थाने या उस बेटी के पास जो मर चुकी है…’’

पुलिस उसे बेटे के साथ भोजपुर थाने ले आई.

दरअसल, भोजपुर थानाप्रभारी हिंमाशु चौहान को सुबह 7 बजे के करीब रानी नांगल गांव के प्रधान नवाब मलिक ने सूचना दी थी कि बापबेटे ने गांव में ही एक हत्या की है, जो औनर किलिंग का मामला है.

सूचना पा कर थानाप्रभारी हिंमाशु चौहान पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर चले गए थे और इस की सूचना एसएसपी बबलू कुमार को भी दे दी थी. वहां से मुरादाबाद के एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्र और सीओ अनूप सिंह को घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश मिला था.

घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस की एक टीम लाश की शिनाख्त करने की प्रक्रिया में जुट गई थी, जबकि दूसरी टीम ने सुभाष कश्यप के घर पर दबिश थी. नीलम की लाश का पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई.

थाने में सुभाष कश्यप ने जुर्म कुबूल कर लिया. उन की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल कुल्हाड़ी और चाकू भी बरामद कर लिया गया.

उस के बाद बापबेटे पर हत्या के अपराध का मामला दर्ज कर उन्हें मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर दिया गया. वहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. संयोग से सुभाष के बेटे का नाम भी मोहित था, इसलिए पाठकों की सुविधा के लिए उस का नाम बदल दिया गया है.

Manohar Kahaniya: खूनी हुई जज की बेटी की मोहब्बत- भाग 1

15जून, 2022 को चंडीगढ़ सेक्टर-30 स्थित सीबीआई के औफिस में असिस्टेंट प्रोफेसर कल्याणी सिंह को तलब किया गया था. 7 साल पहले 20 सितंबर, 2015 को नैशनल शूटर और पेशेवर वकील सुखमनप्रीत सिंह उर्फ सिप्पी सिद्धू की हत्या में उन से कुछ सवाल किए जाने थे.

घटना की जांच कर रहे सीबीआई के डीएसपी आर.एल. यादव की सूचना पाते ही कल्याणी सिंह दोपहर के वक्त सीबीआई औफिस पहुंची. वह अकेले ही वहां गई थी. डीएसपी यादव अपने औफिस में अकेले बैठे थे और बेसब्री से कल्याणी के आने का इंतजार कर रहे थे.

कल्याणी सिंह को जैसे ही अपने औफिस में प्रवेश करते देखा, उन के चेहरे पर एक अजीब सी मुसकान थिरक उठी थी जैसे उन्होंने किसी यक्षप्रश्न का जवाब दे कर विजय प्राप्त कर ली हो. डीएसपी यादव ने सामने खाली पड़ी कुरसी पर कल्याणी को बैठने का इशारा किया.

‘‘हां, तो मिस कल्याणीजी, आप ठंडा या गरम दोनों में से क्या लेना पसंद करेंगी?’’ डीएसपी आर.एल. यादव ने औपचारिकतावश पूछा.

‘‘नो थैंक्स सर, न मुझे ठंडा चाहिए और न ही गरम. मुझे बताया जाए, मुझे यहां क्यों बुलाया गया है?’’ कल्याणी थोड़ी तल्ख लहजे में बोली.

‘‘चलिए कोई बात नहीं, ठंडा या गरम कुछ भी नहीं लेंगी आप की मरजी. मुझे घुमाफिरा कर बात करने की आदत नहीं है सो सीधे मुद्दे की बात करते हैं.’’

‘‘जी बताएं, मुद्दा क्या है?’’ कल्याणी ने पूछा.

‘‘मुद्दा ये है कि आप को सुखमनप्रीत सिंह की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया जाता है. 7 सालों से आप ने…’’ डीएसपी यादव के सुर अचानक से तल्ख हो गए, ‘‘आप ने पुलिस और कानून को बहुत छकाया है. सारे सबूत आप के खिलाफ हैं, इसलिए आप को सरकारी मेहमान बनाए जाने से अब कोई नहीं रोक सकता. इस वक्त आप सीबीआई की हिरासत में हो.’’

डीएसपी यादव का इतना कहना था कि कल्याणी सिंह के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. पलभर के लिए उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे.

कल्याणी के गिरफ्तार होते ही यह खबर मीडिया तक पहुंच गई. कल्याणी सिंह कोई मामूली शख्सियत नहीं थी. वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की एक जज की बेटी थी और खुद भी एक कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थी.

मीडिया में खबर फैलते ही मीडियाकर्मी सीबीआई औफिस के बाहर जमा होने लगे. यह खबर भी मीडिया में फैल गई कि नैशनल  लेवल के शूटर रहे सिप्पी सिद्धू की हत्या के आरोप में कल्याणी सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है.

उसी दिन कल्याणी को कस्टडी में ले कर सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया और पूछताछ के लिए 2 दिन की रिमांड पर ले लिया.

सीबीआई जब तक अपनी कानूनी काररवाई करने में जुटी हुई है,तब तक हम अपने पाठकों को सिप्पी और कल्याणी के जीवन के अतीत में ले चलते हैं, जहां दोनों का बचपन साथसाथ बीता. साथसाथ जवान हुए. बचपन की दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. शादी भी करना चाहते थे.

फिर दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि प्रेमिका ही प्रेमी की कातिल करार दी गई? जिसे सुलझाने में सीबीआई को 7 साल लग गए और कातिलों को पकड़ने के लिए सीबीआई को 10 लाख रुपए का ईनाम भी घोषित करना पड़ा. तो आइए, पढ़ते हैं इस दिलचस्प मर्डर मिस्ट्री को, जो फिजाओं में तैरती हुई ऐसे सामने आई—

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस.एस. सिद्धू के पोते और एडिशनल एडवोकेट जनरल इंद्रपाल सिंह के बेटे के रूप में जन्म लिया सिप्पी सिद्धू ने, जिन का कागजों में नाम सुखमनप्रीत सिंह था. बाद में इंद्रपाल सिंह के घर में एक और बेटे ने जन्म लिया जिस का नाम जिप्पी उर्फ जसमनप्रीत सिंह रखा गया.

एक कहावत है पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं, कुछ ऐसा ही सिप्पी के साथ भी हुआ. विलक्षण प्रतिभा के धनी सिप्पी को पढ़ाई के साथसाथ निशानेबाजी का भी शौक था. जैसेजैसे वह बड़ा होता गया, उस का निशानेबाजी का शौक सिर चढ़ कर बोलने लगा.

बेटे की निशानेबाजी के प्रति गहरी दिलचस्पी देख मां दीपइंद्र कौर और पिता इंद्रपाल सिंह ने उसे एक कुशल शूटर बनने में पूरी मदद की.

हाईप्रोफाइल परिवार से हैं दोनों

मोहाली के फेज-3बी/2 की जिस कोठी में इंद्रपाल सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे, उसी फेज में सबीना भी रहती थीं. वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में जज थीं. वह उन की पड़ोसन थीं.

सबीना सिंह के घर में कल्याणी सिंह एकलौती संतान थी. वही उन की आंखों का नूर और बुढ़ापे की लाठी थी. बड़े लाड़प्यार से पालपोस कर उन्होंने उसे बड़ा किया था.

देखा जाए तो दोनों ही परिवार हाई सोसायटी और उच्चशिक्षित थे. दोनों घरों में संस्कार की गंगा बहती थी. दोनों परिवारों के बच्चे यानी सिप्पी और कल्याणी ने अच्छी शिक्षा हासिल की.

कल्याणी और सिप्पी का गहराता गया प्यार

कल्याणी और सिप्पी का बचपन एक साथ बीता. एक ही स्कूल में दोनों पढ़े. साथसाथ खेलेकूदे और बड़े भी हुए. बचपन से ही दोनों एकदूसरे के दोस्त थे. जैसेजैसे वे बड़े होते गए, वैसेवैसे उन की यह दोस्ती प्यार में बदलती गई. सिप्पी और कल्याणी एकदूसरे को पसंद करने लगे थे और शादी भी करना चाहते थे.

चूंकि 30 सालों से दोनों परिवार एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे, दोनों ही समाज में हैसियत वाले थे तो उन्हें बच्चों की खुशियों से कोई शिकायत नहीं थी, बल्कि इंद्रपाल सिंह तो कल्याणी को अपने घर की बहू बनाने को रजामंद हो गए थे.

उस दिन से सिप्पी और कल्याणी का प्यार और भी गहराता गया. सामाजिक दायरे में रहते हुए दोनों जहां घूमनेफिरने का मन होता था, मांबाप से इजाजत ले कर चले जाते थे. उन्हें परिवार का कोई सदस्य रोकताटोकता नहीं था क्योंकि सभी जानते थे कि दोनों की जल्द ही शादी होने वाली है.

सिप्पी और कल्याणी एकदूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुन कर बड़े खुश थे और जन्मजन्मांतर तक ऐसे ही एकदूसरे का साथ पाने की कसमें खाते थे.

लेकिन नियति को कौन टाल सकता है. सिप्पी और कल्याणी के साथ भी कुछ ऐसा हुआ, जिस की कल्पना उन्होंने सपने में भी नहीं की थी.

बात 7 साल पहले 20 सितंबर, 2015 की है. शाम हो रही थी. घर में मां दीपइंद्र कौर, सिप्पी और उस का छोटा भाई जिप्पी थे. पिता की किसी अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी थी.

उस समय सिप्पी छोटे बच्चे की तरह गोद में सिर छिपाए कनाडा की बातें कर रहा था, जहां से 2 दिन पहले ही शूटिंग कर के लौटा था. जिप्पी भी वहीं पास बैठा भाई की दिलचस्प बातें सुन रहा था. उसी समय सिप्पी के मोबाइल फोन पर एक काल आई.

मोबाइल स्क्रीन पर उभरे नंबर को सिप्पी ने बड़े ध्यान से देखा. वह एक अज्ञात नंबर था. उस ने काल रिसीव की और वहां से उठ कर घर से बाहर निकलते हुए मां से कहा, ‘‘एक जरूरी काल आई है. बाहर कोई मेरा इंतजार कर रहा है. उस से मिल कर आता हूं.’’

सिप्पी को घर से निकले घंटों बीत गए थे लेकिन न तो वह खुद लौटा और न ही काल कर के घर वालों को कुछ बताया. जब रात काफी गहरा गई तो मां और छोटे भाई जिप्पी को उस की चिंता हुई.

हैरत तो इस बात की थी कि उस का फोन भी नहीं लग रहा था. काल करने पर बारबार स्विच्ड औफ आ रहा था.

जिप्पी भाई के परिचितों और दोस्तों को फोन करने लगा तो पता चला कि वह उन में से किसी के वहां नहीं गया था.

बात चिंता की थी. आखिर सिप्पी अचानक कहां गायब हो गया. बेटे को ले कर बूढ़ी मां की घबराहट बढ़ती जा रही थी. उस रात ही उन्होंने गुरुद्वारे जा कर मत्था टेका और वाहेगुरु से बेटे की सलामती की दुआ मांगी.

उसी रात करीब 2 बजे सेक्टर-26 थाने, जो राजधानी चंडीगढ़ में पड़ता है, की इंसपेक्टर पूनम दिलावरी ने सिप्पी के घर वालों को फोन कर के सूचना दी कि आप के बेटे का एक्सीडेंट हुआ है. वह चंडीगढ़ के जिला अस्पताल में भरती है. आ कर तुरंत मिल लें.

पुलिस के फोन ने बढ़ा दी बेचैनी

पुलिस को यह नंबर सिप्पी की जेब में पडे़ एक परिचयपत्र के जरिए मिला था. इसी कार्ड से उस का नाम और पता भी ज्ञात हुआ था.

इतनी रात गए पुलिस का फोन आने से मांबेटे घबरा गए. वे उसी रात जिला अस्पताल पहुंचे, जहां इंसपेक्टर ने उन्हें पहुंचने के लिए कहा था. रास्ते भर दीपइंद्र कौर प्रार्थना करती रहीं कि उन का बेटा कुशल से हो.

जिप्पी तेज स्पीड से कार चला रहा था. लगभग आधा घंटे बाद वे जिला अस्पताल पहुंच गए. अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस वालों को देख कर वे घबरा गए. वे समझ नहीं पाए कि यहां इतनी पुलिस क्यों है. कोई बात तो नहीं हुई.

खैर, अस्पताल के गेट पर ही इंसपेक्टर पूनम दिलावरी से दोनों की मुलाकात हो गई. वह उन्हीं के इंतजार में थीं. पूनम दिलावरी ने दीपइंद्र कौर को बताया, ‘‘मुझे दुख है कि आप का बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा. किसी ने रात में गोली मार कर उस की हत्या कर दी थी. उस की खून से सनी लाश चंडीगढ़ सेक्टर-27 के नेबरहुड पार्क के पास मिली थी. बात ऐसी थी, इसलिए मुझे आप से झूठ बोलना पड़ा.’’

राष्ट्रीय स्तर का शूटर था सिप्पी सिद्धू

बेटे की हत्या की बात सुनते ही दीपइंद्र कौर पछाड़ खा कर गिर गईं. उन्हें बेटे जिप्पी और अन्य पुलिसकर्मियों ने संभाला. पुलिस से ही पता चला कि उसे 4 गोलियां मारी गई थीं. घटनास्थल से पुलिस ने आईफोन बरामद किया, जिसे अपने में ले लिया था.

पुलिस ने आवश्यक काररवाई कर सिद्धू की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी थी. इस के बाद मृतक के छोटे भाई जिप्पी सिद्धू से एक लिखित तहरीर ले कर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी. यह सारी काररवाई 20/21 सितंबर, 2015 की सुबह होतेहोते पूरी कर ली गई थी.

35 वर्षीय सिप्पी सिद्धू कोई मामूली शख्सियत नहीं था. वह राष्ट्रीय स्तर का शूटर और एक जानामाना वकील था. अपनी अचूक निशानेबाजी से उस ने कई मैडल जीत कर खानदान का नाम रौशन किया था. यही नहीं उस के दादा एस.एस. सिद्धू एक जस्टिस थे तो पिता इंद्रपाल सिंह पंजाब के एडिशनल एडवोकेट जनरल रह चुके थे.

अगली सुबह जैसे ही सिप्पी की हत्या की खबर फैली, पंजाब और हरियाणा में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी. सिप्पी के प्रशंसकों ने मोहाली और चंडीगढ़ में तोड़फोड़ शुरू कर दी थी. इसी बात से चंडीगढ़ पुलिस डर रही थी. सिप्पी के हत्यारों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी को ले कर कई दिनों तक चले उग्र आंदोलन में तब विराम लगा, जब जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने आंदोलनकारियों को सिप्पी के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेने का आश्वासन दिया.

नैशनल शूटर सिप्पी सिद्धू के घर वालों के बयानों के आधार पर हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस के निशाने पर हाईकोर्ट की जज सबीना सिंह की बेटी कल्याणी सिंह आई. सिप्पी के घर वालों का आरोप था कि सिप्पी और कल्याणी एकदूसरे से प्यार करते थे और शादी भी करना चाहते थे लेकिन सिप्पी के शादी से इंकार करने की वजह से कल्याणी ने उस की हत्या करवा दी.

सिप्पी की मां दीपइंद्र कौर ने जांच अधिकारी पूनम दिलावरी को बयान दिया था कि जिस वक्त सिप्पी को फोन आया था, वह आराम से मेरे आंचल में सिर डाले बातें कर रहा था. अभी 2 दिन पहले ही वह कनाडा से लौटा था. वहीं की बातें हम से शेयर कर रहा था तभी उस के फोन की घंटी बजी थी.

काल रिसीव कर उस ने बताया था कि कल्याणी का फोन है. उस ने मुझे मिलने के लिए बुलाया है. उस से मिल कर थोड़ी देर में आ रहा हूं. मेरा बेटा लौट कर तो नहीं आया लेकिन उस की मौत की खबर आ गई. कल्याणी ने जिस नंबर से काल की थी, वह उस का नंबर नहीं था. कल्याणी से कड़ाई से पूछताछ की जाए ते दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

पुलिस की जांच रही बेनतीजा

जिस कल्याणी सिंह पर मृतक के घर वालों ने हत्या का आरोप लगाया था, पुलिस ने उसे थाने बुला कर मामूली पूछताछ की और छोड़ दिया. धीरेधीरे 8 महीने बीत गए थे. चंडीगढ़ पुलिस जांच करती रही लेकिन नतीजा शून्य रहा. शायद किसी ताकतवर शख्सियत के प्रभाव में आ कर पुलिस चुपचाप बैठचुकी थी.

सिप्पी के छोटे भाई जिप्पी और उस के मामा नपिंदर सिंह पुलिस के नकारात्मक रवैए से काफी दुखी थे क्योंकि पुलिस जांच के नाम पर कुछ कर ही नहीं रही थी.

Monsoon Special: बारिश में खाइए सेहत बनाने वाले ये 4 स्नैक्स

अलग अलग क्षेत्रों के लोगों को अलगअलग स्वाद पसंद हो सकते हैं, लेकिन पूरे भारत में स्नैक्स सभी पसंद करते हैं. स्नैक्स तैयार करते समय स्वाद और सेहत का खास ध्यान रखा जाता है. फिर भी लोगों का मानना है कि तलेभुने स्नैक्स ही मजेदार होंगे या फिर उन का मसालेदार होना जरूरी है. आज कई ऐसी चीजें हैं, जिन्हें आप फटाफट रसोई में तैयार कर सकते हैं और वे अन्य किसी भी स्नैक से स्वाद में कम नहीं होंगी. बस इन स्नैक्स में सेहत भरी चीजें डालनी हैं. बटर, मैयोनीज और रिफाइंड औयल की जगह आप औलिव औयल, संपूर्ण गेहूं से तैयार नूडल्स और पास्ता जैसी तरहतरह की चीजें इस्तेमाल कर सकती हैं. चीनी की जगह ब्राउन शुगर और ऊपर से किशमिश डाल सकती हैं. सलाद की हैवी ड्रैसिंग की जगह ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल, मेवे और विनाइग्रेट फायदेमंद हैं.

आप चाहें तो पास्ता और चुनिंदा मेवे से कुछ सेहत भरे स्वादिष्ठ स्नैक्स भी तैयार कर सकती हैं. सही तरह पकाएं तो मजेदार स्वाद एवं खुशबू के साथसाथ सेहत संबंधी लाभ भी मिलेंगे. आइए, जानें कुछ ऐसे ही हैल्दी जायकों के बारे में:

1 पौपकौर्न:

कौर्न के कर्नेल में फाइबर के साथसाथ पर्याप्त मात्रा में ऐंटीऔक्सिडैंट भी होते हैं. ये भले ही बहुत आम दिखते हों पर सेहत के लिए इन के खास फायदे हैं. आजकल पौपकौर्न बटर और कालीमिर्च के संग तैयार करने का चलन है. मगर इन में जो भी ऐक्स्ट्रा बटर है वह सेहत संबंधी इस का फायदा खत्म कर देता है. इसलिए आप बटर की जगह औलिव औयल के संग पौपकौर्न तैयार करें और ऊपर से सी साल्ट बुरक दें. हां, खास माइक्रोवेव में बने अधिकांश पौपकौर्न में पहले से फैट डला होता है, जिस से चरबी के साथसाथ कैलोरी बढ़ने का भी खतरा रहता है.

पौपकौर्न के मुख्य पोषक तत्त्व इस के छिलके में होते हैं. यदि आप का मन मसालेदार पौपकौर्न के लिए मचल रहा हो तो ब्राउन शुगर के साथ इन का सौस बनाएं और चिली फ्लैक्स डाल कर इन का फ्लेवर बढ़ाएं. ये पौपकौर्न एकसाथ मीठा और नमकीन का मजा देंगे. सेहत के लिहाज से सफेद चीनी से बेहतर ब्राउन शुगर आप के लिए फायदेमंद रहेगी.

1 कप पौपकौर्न में लगभग 30-35 कैलोरी ऊर्जा होती है. आप चाहें तो थोड़ा औलिव औयल डाल कर और ऊपर से छिड़क कर मैडिटेरेनियन जायके का मजा पैदा कर सकते हैं. तो अब जब भी रसोई में कदम रखें और आप के सामने शैल्फ पर ये चीजें हों तो फटाफट कुछ हैल्दी स्नैक्स बनाएं और सेहत का खयाल रखते हुए स्वाद से समझौता किए बिना जी भर के इन का मजा लें.

2 पास्ता:

यह मैडिटेरेनियन जायके का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और भारत में भी बहुत पसंद किया जाता है. पास्ते में सेहत का तड़का लगाया जा सकता है. आमतौर पर पास्ते में हम ढेर सारा औयल और मसाले के साथ ऊपर से चीज भी डालते हैं. हालांकि आम कुकिंग औयल के बदले ऐक्स्ट्रा लाइट औलिव औयल डाल कर पास्ते को भारत के लोगों की पसंद के हिसाब से तैयार कर सकते हैं. औलिव औयल में भुनने के बाद ऊपर से औलिव और ड्राईफ्रूट्स डालें तो न केवल असली स्पेनिश फ्लेवर आएगा, बल्कि यह सेहत के लिए भी सही रहेगा. अब संपूर्ण गेहूं से तैयार पास्ता हो तो इस में सेहत के अधिक फायदे होंगे ही. इस पास्ते में फाइबर और पोषक तत्त्वों की अधिकता होगी. आप को गेहूं के सब से पोषक हिस्सों चोकर और अंकुर का अच्छा लाभ मिल सकता है.

यदि चीज के बिना पास्ता बेमजा लगता हो तो 1 कटोरा पास्ते में इस का बस एक क्यूब डालें और ऊपर से सब्जियां भी रखें. पास्ता चबाने का अलग मजा होगा और इस का साल्टी टैक्स्चर किसी का भी जी ललचा सकता है. अगर पास्ते में नया ट्विस्ट डालना हो तो ग्रिल की गई सब्जियां डाल कर देखें. दही फेंट कर भी पास्ते में उलटपलट सकते हैं. ऊपर से नीबू और कालीमिर्च पाउडर बुरक दें तो मजा आ जाएगा. पास्ता बनाने की अलगअलग विधियां हैं जैसे पास्ता सलाद फल और मेवों के संग. पास्ता सब्जियों के साथ उबाल कर भी बना सकते हैं.

3 मसाला पास्ता

सब्जियों और भारतीय मसालों से बनाएं स्वादिष्ठ और सेहतमंद पास्ता.

सामग्री:

11/2 कप पास्ता, 1 बड़ा प्याज बारीक कटा हुआ,

1/2 हरी शिमलामिर्च कटी हुई, 2 टमाटर बारीक कटे हुए,

2-3 हरीमिर्चें कटीं, 1 छोटा टुकड़ा अदरक कुटा,

11/2 छोटे चम्मच गरममसाला पाउडर,

1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, 1 छोटा चम्मच साबूत सरसों,

1 छोटा चम्मच साबूत धनिया, 10-12 करीपत्ते, थोड़ा सा जीरा,

गरम करने के लिए पर्याप्त औलिव औयल, नमक स्वादानुसार.

विधि:

एक गहरे बरतन में 4 कप पानी डालें. इस में नमक और 1 छोटा चम्मच तेल डालें. फिर पास्ता डालें और जब तक यह नरम न हो जाए तब तक पकाएं. फिर पानी निकाल दें और ठंडे पानी से धो कर एक तरफ रख दें. अब कड़ाही में 2-3 बड़े चम्मच औयल गरम कर सरसों, जीरा, हरीमिर्च, अदरक और करीपत्ते डाल दें. अब प्याज डालें और रंग हलका होने तक पकाएं. टमाटर डालें और गाढ़ा होने तक भूनें. फिर शिमलामिर्च, नमक, गरममसाला, हलदी पाउडर डालें और 6-7 मिनट तक भूनें फिर पास्ता डालें और धीरेधीरे उलटेंपलटें. धीमी आंच पर 2-3 मिनट भून कर आंच से उतार कर गरमगरम मसाला पास्ता परोसें.

4 ड्राई फ्रूट्स/मेवे:

ड्राईफ्रूट्स हर रसोई में रहते हैं. इन में पोषण के बड़े फायदे हैं. बादाम, पिस्ता और अखरोट से बनी न केवल मिठाई ललचाती हैं, बल्कि ये अपनेआप में भी मुकम्मल स्नैक्स हैं. यदि सलाद या अन्न के नाश्ते से आप का जी भर गया है तो इन में मुट्ठी पर ड्राईफ्रूट्स डाल कर देखें. आप का हर स्नैक अधिक मजेदार, क्रंची और सेहत भरा हो जाएगा. भुने या नमकीन ड्राईफ्रूट्स में भरपूर पोषण होता है. बादाम, किसमिस या पिस्ते से कोलैस्ट्रौल का भी सही स्तर बना रहता है. ड्राईफ्रूट्स में उचित मात्रा में विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं. ड्राईफ्रूट्स का सेवन वजन सही रखने का कुदरती उपाय है. ड्राईफ्रूट्स के फ्लेवर का पूरा आनंद और फायदा तो तब है जब आप इन्हें कच्चा खाएं. हालांकि रोस्ट करने से भी इन का फ्लेवर अधिक मजेदार हो जाता है.

बादाम: पोषक तत्त्वों से भरपूर बादाम न केवल शरीर को चरबी से छुटकारा दिला सकते हैं, बल्कि आप के दिल की सेहत के रखवाले भी हैं.

पिस्ता: पिस्ता एक लंबे अरसे से अनमोल मेवा रहा है. इस में कई मिनरल्स जैसेकि कौपर, मैग्नीज, पोटैशियम, कैल्सियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक आदि अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं.

अखरोट: अखरोट से हमारे शरीर का बैड कोलैस्ट्रौल कम होने के साथसाथ हमारे मैटाबोलिज्म में भी सुधार होता है और डायबिटीज पर भी नियंत्रण रहता है.

ध्यान रहे

– शिमलामिर्च के साथ जितना चाहें सब्जियां डाल सकते हैं. इस से स्वाद के साथ पोषण भी बढ़ता है.

– आप इस में पावभाजी, गरममसाला आदि किसी भी खास मसाले का तड़का लगा सकते हैं.

– पास्ता कुक करते हुए औयल डालने से पास्ता न तो चिपकेगा और न ही टूटेगा.

बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकते हैं घुटने

बढ़ती उम्र के साथ ही यदि जोड़ों का दर्द इतना असहनीय हो गया है कि चलना फिरना भी दूभर हो गया है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. बिना कोई सर्जरी या मेटल का घुटना लगाए अब आर्थराइटिस में दर्द से आराम मिल सकता है. चिकित्सा जगत में अन्य बीमारियों के साथ ही घुटने पर भी स्टेम सेल्स का सफल प्रयोग किया है. बता रहे हैं जाने माने स्टेम सेल्स प्रत्यारोपण सर्जन और आर्थोपेडिसियन डा. बीएस राजपूत:

आर्थराइटिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश हर चौथा व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की आर्थराइटिस से पीड़ित है. जोड़ो के क्षतिग्रस्त होने की इस बीमारी का अब सटीक इलाज संभव नहीं हो पाया था. दर्द निवारक दवाओं के साथ घुटना या कूल्हा बदलना ही एक मात्र विकल्प होता था. लेकिन बीते कुछ सालों से स्टेम सेल्स थेरेपी एक नये उपचार के रूप में सामने आई है, जिसमें मरीज को घुटना बदलने के समय आने वाली जटिलताओं से बचाया जा सकता है. आइए बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं-

क्या है आर्थराइटिस

जोड़ों में किसी भी तरह से आई सूजन जब जोड़ों के विभिन्न हिस्सों जैसे कार्टिलेज और सायनोवियम को क्षतिग्रस्त करना शुरू कर देती है तो जोड़ कमजोर होने लगते हैं. इस स्थिति को ही आर्थराइटिस कहते हैं. अगर समय रहते इलाज किया जाएं जोड़ो को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है, और घुटना बदलने की स्थिति को टाला जा सकता है. चलने फिरने में असहनीय दर्द होने पर चिकित्सक दर्द निवारक दवाओं की जगह घुटना बदलने की ही सलाह देते हैं. यह दवाएं भी अधिक दिन तक नहीं ली जा सकती क्योंकि इससे पेट में अल्सर, किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचती हैं.

आर्थराइटिस के मुख्य लक्षण

– एक या ज्यादा जोड़ो में दर्द का बने रहना

– लंबे समय तक बैठने या उठते वक्त दर्द होना

– सामान्य दिनचर्या के काम करने में भी बाधा उत्पन्न होना

– जोड़ों में लालिमा या सूजन का लंबे समय तक बने रहना

– चलने के लिए सहारे या फिर वॉकिंग स्टिक की जरूरत महसूस होना

कितने तरह की आर्थराइटिस

– इम्यूनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी की वजह से हुई रिह्यूमेटौयड आर्थराइटिस

– कम उम्र में होने वाली एंक्कौयलेजिंग आर्थराइटिस

– यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से होने वाली गाउटी आर्थराइटिस

– चोट लगने के बाद जोड़ में होने वाली विकृति से उत्पन्न आर्थराइटिस

– इसके अलावा टीवी, सोरायसिस, सेप्सिस और त्वचा के अन्य संक्रमण के साथ भी आर्थराइटिस हो सकती है.

नये इलाज में स्टेम सेल्स की भूमिका

स्टेम सेल्स क्योंकि अपने तरह की कई नई सेल्स का निर्माण कर सकती हैं, इसलिए जोड़ों में इंजेक्शन के जरिए पहुंचाई गई सेल्स क्षतिग्रस्त सेल्स की जगह नई सेल्स का निर्माण शुरू कर देती हैं. यह सेल्स हड्डियों को अधिक मजबूत बनाने में भी सहायक होती हैं. इसमें मरीज को पूरी तरह ठीक होने में चार से पांच महीने का समय लगता है. स्टेम सेल्स की मदद से रिह्यूमेटौयड आर्थराइटिस (रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से होने वाली आर्थराइटिस) में प्रयोग होने वाली हानिकारक डीएमएआरडी दवाओं से भी छुटकारा मिल सकता है. स्टेम सेल्स के प्रयोग से निर्धारित समय के बाद इन दवाओं  की मात्रा कम हो जाती है. आर्थराइटिस के पारंपरिक इलाज में घुटना प्रत्यारोपण या फिर दवाओं के साथ फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है.

कैसे होता है स्टेम सेल्स का प्रयोग

– घुटने की आर्थराइटिस की ऐसी जगह जहां तिरछापन दस डिग्री से कम हो

– बीमारी में यदि घुटने का तिरछापन दस डिग्री से अधिक होता है तो पार्शियल या आधे घुटना प्रत्यारोपण (पीएफओ या मिनी सर्जरी) के साथ स्टेम सेल्स का प्रयोग किया जाता है.

– किसी वजह से कार्टिलेज क्षति होने या स्पोटर्स इंजरी में भी स्टेम सेल का प्रयोग किया जा सकता है.

– रिह्युमेटौयड आर्थराइटिस में इसकी मदद से विकलांगता को कम किया जा सकता है.

कैसे बचें आर्थराइटिस से

– सिगरेट और शराब का सेवन न करें, इससे हड्डियां कमजोर होती है

–  कैल्शियम युक्त आहार जैसे दूध, दही पनीर आदि का इस्तेमाल करें

– नियमित रूप से व्यायाम करें

– तीस साल की उम्र के बाद बोन डेंसिटी या हड्डियों के घनत्व की जांच जरूर कराएं

नोट- डा. बीसएस राजपूत क्रिटी केयर अस्पताल, जुहू मुंबई में सलाहकार हैं.

मेरे पति हिंसक व्यवहार करते हैं, क्या करूं ?

सवाल

मैं 28 वर्षीय विवाहित महिला हूं. शादी हुए 2 साल हो गए हैं. ससुराल में किसी चीज की कमी नहीं है. पति सरकारी सेवा में हैं और ओहदेदार हैं. वे स्कूल में टौपर स्टूडैंट थे तो कालेज में यूनिवर्सिटी टौपर. अपने कार्यालय में भी उन के कामकाज पर कभी किसी ने उंगली नहीं उठाई. मगर समस्या मेरी व्यक्तिगत जिंदगी को ले कर है और ऐसी है जिस का अब तक सिर्फ मेरी मां को और मेरी सासूमां को पता है. दरअसल, पति सैक्स संबंध बनाने के दौरान हिंसक व्यवहार करते हैं. वे मुझे पोर्न मूवी साथ देखने को कहते हैं और फिर सैक्स संबंध बनाते हैं. इस दौरान वे मेरे कोमल अंगों को जोरजोर से मसलते हैं और उन पर दांत भी गड़ा देते. कभीकभी तो मेरी ब्रैस्ट से खून तक निकलने लगता है. इस असहनीय पीड़ा के बाद मेरा बिस्तर पर से उठना मुश्किल हो जाता है. पति मेरी इस हालत को देख कर अफसोस करते हैं और बारबार सौरी भी बोलते हैं. कभीकभी तो मन करता है आत्महत्या कर लूं. हालांकि पति मेरी जरूरत की हर चीज का खयाल रखते हैं और मेरा उन से दूर होना उन्हें इतना अखरता है कि वे मेरे बिना एक पल भी नहीं रह पाते.

अगर पति सिर्फ मानसिक पीड़ा पहुंचाते और प्यार नहीं करते तो कब का उन्हें तलाक दे देती पर लगता है शायद वे किसी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं और यही सोच कर मैं भी पति का साथ नहीं छोड़ पाती. मैं ने अपनी सासूमां, जो मुझे अपनी बेटी से बढ़ कर प्यार करती हैं, से यह बात बताई तो वे खामोश रहीं. सिर्फ इतना ही कहा कि धीरेधीरे सब नौर्मल हो जाएगा. उधर मां से बताया तो वे आगबबूला हो गईं और सब के साथ बैठ कर इस विषय पर बात करना चाहती हैं. अभी इस की जानकारी मेरे पिता को नहीं है, क्योंकि मैं जानती हूं कि वे इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे. पति, ससुराल और मायके का रिश्ता पलभर में खत्म हो सकता है. कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं? कृपया सलाह दें?

जवाब

आप की समस्या को देखते हुए ऐसा लगता है कि आप के पति को सैक्सुअल सैडिज्म का मनोविकार है. ऐसे मनोरोगी सामान्य जिंदगी में तो नौर्मल रहते हैं, इन के आचरण पर किसी को शक नहीं होता पर सैक्स क्रिया के दौरान ये हिंसक हो जाते हैं और इन्हें परपीड़ा मसलन, दांत गड़ाना, नोचना, संवेदनशील अंगों पर प्रहार करना, तेज सैक्स करने में आनंद आता है. कभीकभी तो ऐसे मनोरोगी सैक्स पार्टनर को इतनी अधिक पीड़ा पहुंचाते हैं कि संबंधों पर विराम लग जाता है. हालांकि अपने किए पर इन्हें बाद में पछतावा भी होता है और फिर से ऐसी गलती न करने का वादा भी करते हैं, मगर सैक्स के दौरान सब भूल जाते हैं.

आप के साथ भी ऐसा है और आप ने यह अच्छा किया कि अपनी मां और सासूमां को इन सब बातों की जानकारी दे दी.

ऐसे मनोरोगी को भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है. सामान्य व्यवहार के समय आप पति से इस बारे में बात करें. पति के साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएं. साथ घूमने जाएं, शौपिंग करें, अच्छा साहित्य पढ़ने को प्रेरित करें.

बेहतर होगा कि किसी अच्छे सैक्सुअल सैडिज्म के विशेषज्ञ से पति का उपचार कराएं. फिर भी उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आती दिखे तो पति से तलाक ले कर दूसरी शादी कर लें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

अनुपमा को गले लगाएगा अधिक तो गुस्से से लाल होगी बरखा

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि पाखी और अधिक को वनराज एक साथ देखकर बौखला जाता है. तो वहीं अनुपमा-अनुज उसे संभालने की कोशिश करते हैं. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज अनुपमा से कहेगा कि पाखी के लिए वह उसके और वनराज के बीच नहीं आ सकता है. यह लड़ाई अनुपमा को अकेले ही लड़नी होगी. लेकिन वह हर मोड़ पर अनुपमा का साथ देगा.

 

तो दूसरी तरफ कपाड़िया हाउस पहुंचकर अनुपमा अनुपमा अधिक से बात करेगी और उससे पूछेगी कि आखिर पाखी के लिए उसके मन में क्या है? तभी बरखा, अनुज, सारा और अंकुश भी वहां आ जाएंगे. बरखा दोनों को बात करने से मना करेगी.

 

तो वहीं अनुपमा अधिक को सही रास्ता दिखाने की कोशिश करेगी. अधिक भावुक होकर अनुपमा को गले लगा लेगा. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये भी दिखाया जाएगा कि पाखी कॉलेज जाना शुरू कर देगी और वनराज फैसला लेगा कि अबसे उसे कॉलेज ले जाने और वापस लाने की जिम्मेदारी उसकी होगी.

 

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पाखी वनराज से  छिपकर अधिक से मिलने जाएगी. पाखी और अधिक एक कैफे में जाएंगे तभी अनुपमा उन दोनों को देख लेगी. वह अधिक को खूब सुनाएगी.

Saath Nibhana Saathiya 2: जल्द ही बंद होने जा रहा है शो, इस दिन आएगा आखिरी एपिसोड

स्टार प्लस का मशहूर सीरियल साथ निभाना साथिया का दूसरा सीजन दो साल पहले यानी साल 2020 में ऑन एयर हुआ था. शो की कहानी शुरू-शुरू में दर्शकों के लिए एंटरटेनिंग रहा पर बाद में टीआरपी की लिस्ट में पीछे जाता रहा.

खबरों के मुताबिक सीरियल की स्टारकास्ट अगले हफ्ते सीरियल के आखिरी एपिसोड की शूटिंग खत्म कर देगी. बता दें कि शो में स्नेहा जैन, गौतम विज और हर्ष नागर लीड रोल में हैं.

 

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बताया जा रहा है कि मेकर्स ने शो में कई ट्विस्ट और टर्न लाने की कोशिश की लेकिन, दर्शकों ने शो को रिजेक्ट कर दिया. ऐसे में मेकर्स ने तय किया है कि 16 जुलाई से ये शो ऑफ एयर हो जाएगा.

 

बता दें कि साथ निभाना साथिया का पहला सीजन साल 2010 में ऑन एयर हुआ था. इस शो में जिया मानेक, देवोलीना भट्टाचार्जी ने गोपी बहू का किरदार निभाया था. रुपल पटेल ने कोकिला देसाई मोदी के किरदार में नजर आई थी.

 

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शो के लेटेस्ट ट्रैक में वेडिंग ड्रामा चल रहा है. कहानी में शकुनी और सुहानी मां प्लान बना रहे हैं कि सूर्या की शादी शकुनी की बड़ी बहन से हो जाए. दोनों ही गहना को सूर्या से दूर करने की कोशिश करेंगे ताकि सूर्या और शकुनी की बहन की शादी हो जाए.

धर्म का अधर्म

हिंदूमुसलिम, हिंदूमुसलिम करतेकरते पौराणिकवादी हिंदू यह भूल गए कि देश में सिख, बौद्ध व जैन भी हैं जो पुराणों को तो नहीं मानते पर जिन का हिंदुओं से कोई बैरभाव नहीं है. अब ये लोग भयभीत होने लगे हैं कि न जाने कब हिंदुत्व की तलवार उन पर भी आ पड़े. पंजाब में खालिस्तान के स्लोगन दीवारों पर दिखने लगे हैं और दलित संगठन बौद्ध धर्म को और जोर से प्रचारित कर रहे हैं.

ऐसे समय जब देश आर्थिक समस्याओं व बेरोजगारी से जूझ रहा है और अफसरशाही ज्यादा मुखर हो रही है क्योंकि देश में या तो पंडितों की चल रही है या अफसरों की, समाज में नई लाइनें खींचना बेहद चिंताजनक है. अब तक ये लोग अलग होते हुए भी हिंदुओं के साथ सहजता से रहते थे जैसे पहले हिंदूमुसलिम रहा करते थे पर अब पौराणिकवादी हल्ले से मुसलमान अपने दायरों में दुबक गए हैं और इन धर्मों को मानने वालों की चिंताएं बढ़ गई हैं.

जब भी एक धर्म कुछ ज्यादा हल्ला मचाता है तो दूसरे धर्मों के लोगों को डर लगने लगता है और उन के पूजास्थलों के रखवाले खतरे में है, खतरे में है के नारे लगाने लगते हैं. जो शक्ति देश के निर्माण में लगनी चाहिए, जो पैसा कारखानों, बाजारों, दुकानों, घरों, स्कूलों, अस्पतालों में लगना चाहिए वह धर्म की सुरक्षा पर लगना शुरू हो जाता है. औरतें इस चक्कर में ज्यादा पिसती हैं क्योंकि धर्म की सुरक्षा के नाम उन के घर असुरक्षित हो जाते हैं और उन को घर चलाने को मिलने वाले पैसे का हिस्सा धर्मस्थल व उन को चलाने वालों के पास जाने लगता है. यानी, झुग्गीझोंपड़ी बस्तियों में धर्मस्थलों के पक्के निर्माण किसी को कहीं भी दिख जाएंगे.

बौद्ध व सिख अब कुछ ज्यादा मुखर होने लगे हैं और सोशल मीडिया पर भरपूर मैसेज घूम रहे हैं जिन में अपनेअपने धर्मों की खासीयतें बतार्ई जा रही हैं. अब तक हिंदू धर्म के हिस्से माने जाने वाले ये लोग पौराणिकवाद के बाद से भयभीत हो कर अपनी सुरक्षा में लग रहे हैं तो दोष उन का है जो धर्म के नाम पर सत्ता में बैठे रहने की कोशिश कर रहे हैं.

धर्म एक दोधारी तलवार रहा है. रामायण और महाभारत की कथाओं में अगर धर्म का ढोल पीटा गया है तो उसी धर्म के अनुसार घरों को तोड़ा भी गया है. पारिवारिक राजनीति की आग में धर्म ने घी डाला है और हर पात्र, उन कथाओं के अनुसार, पूरे जीवनभर तड़पता, तरसता रहा है. उन्हीं के नाम पर जिस समाज के निर्माण की बात कर रहे हैं, उस में विघटन तो होगा ही क्योंकि ये कहानियां तो परिवारों तक को विघटन से नहीं बचता दिखातीं.

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