हिंदूमुसलिम, हिंदूमुसलिम करतेकरते पौराणिकवादी हिंदू यह भूल गए कि देश में सिख, बौद्ध व जैन भी हैं जो पुराणों को तो नहीं मानते पर जिन का हिंदुओं से कोई बैरभाव नहीं है. अब ये लोग भयभीत होने लगे हैं कि न जाने कब हिंदुत्व की तलवार उन पर भी आ पड़े. पंजाब में खालिस्तान के स्लोगन दीवारों पर दिखने लगे हैं और दलित संगठन बौद्ध धर्म को और जोर से प्रचारित कर रहे हैं.

ऐसे समय जब देश आर्थिक समस्याओं व बेरोजगारी से जूझ रहा है और अफसरशाही ज्यादा मुखर हो रही है क्योंकि देश में या तो पंडितों की चल रही है या अफसरों की, समाज में नई लाइनें खींचना बेहद चिंताजनक है. अब तक ये लोग अलग होते हुए भी हिंदुओं के साथ सहजता से रहते थे जैसे पहले हिंदूमुसलिम रहा करते थे पर अब पौराणिकवादी हल्ले से मुसलमान अपने दायरों में दुबक गए हैं और इन धर्मों को मानने वालों की चिंताएं बढ़ गई हैं.

जब भी एक धर्म कुछ ज्यादा हल्ला मचाता है तो दूसरे धर्मों के लोगों को डर लगने लगता है और उन के पूजास्थलों के रखवाले खतरे में है, खतरे में है के नारे लगाने लगते हैं. जो शक्ति देश के निर्माण में लगनी चाहिए, जो पैसा कारखानों, बाजारों, दुकानों, घरों, स्कूलों, अस्पतालों में लगना चाहिए वह धर्म की सुरक्षा पर लगना शुरू हो जाता है. औरतें इस चक्कर में ज्यादा पिसती हैं क्योंकि धर्म की सुरक्षा के नाम उन के घर असुरक्षित हो जाते हैं और उन को घर चलाने को मिलने वाले पैसे का हिस्सा धर्मस्थल व उन को चलाने वालों के पास जाने लगता है. यानी, झुग्गीझोंपड़ी बस्तियों में धर्मस्थलों के पक्के निर्माण किसी को कहीं भी दिख जाएंगे.

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