राघवेंद्र विक्रम सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषि प्रसार, कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती,

प्रो. डा. एसएन सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती

आगरा का पेठा न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में मशहूर है, इसलिए इस की मांग भारत के दूसरे प्रदेशों के अलावा दुनिया के तमाम देशों में बनी हुई है.

यह मिठाई कई स्वाद और खुशबुओं में उपलब्ध है. इसे अंगूरी पेठा, नारियल पेठा, सूखा पेठा, काजू पेठा इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. ये सभी मिठाइयां इस कद्दूवर्गीय प्रजाति के फल से बनी होती हैं, इसलिए इस का नाम भी कद्दू पेठे के नाम से मशहूर है.

यह हलके रंग का होता है, जो लंबे व गोल आकार में पाया जाता है. इस का उपयोग सब्जियों के अलावा सर्वाधिक पेठा नाम की मिठाई बनाने में किया जाता है. इस फल के ऊपर हलके सफेद रंग के पाउडर की तरह परत चढ़ी होती है. इस की कुछ प्रजातियां 1-2 मीटर लंबे फल भी देती हैं.

इस पेठा कद्दू प्रजाति की मांग सब्जियों के लिए बहुत कम है, लेकिन पेठा मिठाई बनाने के लिए जितनी मांग है, उतने का उत्पादन आज भी नहीं हो पा रहा है.

कद्दू पेठे की खेती सर्वाधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है. इस के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित पूरे भारत में इस की खेती बहुतायत मात्रा में होती है.

कद्दू की इस प्रजाति को अलगअलग जनपदों में अलगअलग नाम से जाना जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में भतुआ कोहड़ा, भूरा कद्दू, कुष्मान या कुष्मांड फल के नाम से भी जाना जाता है. यह पकने के बाद एकदम सफेद हो जाता है. इस प्रजाति के कुछ फल पकने के बाद पीलापन भी लिए होते हैं.

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