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GHKKPM: विराट से अपना बच्चा वापस मांगेगी सई! आएगा ये ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी में लगातार बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो के मेंकर्स कहानी में कुछ न कुछ ट्विस्ट डालते रहते हैं, जिससे फैंस का इंटरेस्ट बना रहे. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि सई-विराट एक-दूसरे को देखकर हैरान हो जाते हैं. विराट गुस्से में वहां से विनायक को लेकर निकल जाता है. वह सोचता है कि सई जिंदा होने के बावजूद भी वापस नहीं लौटी. तो वहीं दूसरी तरफ सई सोचती है कि इतने दिनों बाद मिलने का बाद भी विराट ने मुंह फेर लिया. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए जानते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में…

एक रिपोर्ट के मुताबिक सई विराट से विनायक को छीनने की कोशिश करेगी. दरअसल सई अभी तक यह मान रही थी कि एक्सीडेंट में वह अपना बेटा खो चुकी है. तो वहीं विराट को लग रहा था कि वह एक्सीडेंट में सई को खो चुका है.

 

तो वहीं सई को पता लगेगा कि विनायक विराट का बेटा है तो वह उसे धोखेबाज समझेगी. तो दूसरी तरफ विराट भी सवि को सई की बेटी समझकर उसे धोखेबाज समझ रहा है.

 

शो में आपने देखा कि विराट सई से विनायक का इलाज नहीं करवाता है. विनायक उससे पूछता है कि डॉक्टर आंटी को क्यों नहीं दिखाया तो विराट जवाब देता है कि वह सई से इलाज नहीं करवाएगा. विराट और सई की मुलाकात के बाद दोनों बच्चे भी कन्फ्यूज हो जाते हैं.

 

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बताया जा रहा है कि सई को ये पता चलेगा कि विराट ने किसी और से नहीं बल्कि पाखी से शादी की है. और विनायक उसका ही बेटा है तो वह अपने बच्चे को वापस लेने का फैसला लेगी.

धार्मिक कवच में रैपिस्ट

धर्म प्यार, सद्भावना, सदाचार, सहयोग सिखाता है, यह प्रचार हर तरह के प्रवचनों में सुना जा सकता है. अमेरिका में गन लौबी जो बंदूक रखने के संवैधानिक अधिकार की रक्षा में लगातार लगी है, धार्मिक स्थलों पर बंदूकों से की जा रही हत्याओं के बावजूद टस से मस नहीं हो रही और उसे अमेरिका के तरहतरह के चर्चों का खुला समर्थन मिल रहा है. कुछ ही धर्मप्रचारक ऐसे हैं जो कहते हैं कि न्याय करने का काम ईश्वर का है, जबकि ज्यादातर इस बात का समर्थन करते हैं कि उन की बाइबिल उन्हें धर्म की रक्षा करने के लिए अस्त्र रखने की इजाजत देती है और अब पिस्टल तो क्या, अगर औटोमैटिक राइफल भी रखी जाए तो भी वह धर्म सम्मत है.

यह तब है जब बाइबिल में विश्वास रखने वाले अकसर धर्मसभाओं में निहत्थों, निर्दोषों, बच्चों, औरतों, वृद्धों, अपाहिजों पर बेदर्दी से गोलियां चलाते रहे हैं. 5 अगस्त, 2012 को अमेरिका के विस्कौन्सिन राज्य में गोरे कट्टरवादी ने सिख गुरुद्वारे पर बंदूकों से हमला कर 7 को मार दिया, 4 घायल हुए. 13 अगस्त, 2016 को न्यूयौर्क में एक इमाम को मसजिद के सामने मार डाला गया.

24 सितंबर, 2017 को अमेरिका के टैनिसी राज्य में एक चैनल में एक औरत को मारा गया, कई घायल हुए. पिट्ससबर्ग में 27 अक्तूबर, 2018 को यहूदियों के चर्च में 11 लोगों को एक गनमैन ने मार दिया. 27 अप्रैल, 2019 को 19 साला युवक ने यहूदी सिनागौड में एक को मारा. दिसंबर 2019 को एक युवक ने फ्रीवे चर्च में 2 को गोलियों से निशाना बना डाला. 2015 में अमेरिका के साउथ कैरोलिना में मैथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च में प्रेयर करने आए लोगों पर एक युवक ने 70 गोलियां चला डालीं जिस में 9 की मृत्यु हो गई. 2017 में बैप्टिस्ट चर्च के अंदर और बाहर जाते हुए भक्तों पर एक पूजापाठी गोरे युवा ने 700 गोलियां चला कर 26 को मार डाला, 20 को घायल किया.

इस तरह के हर हादसे पर चर्च, गुरुद्वारे, मसजिद व ???…सोचगौडा…? के प्रचारकों ने शांति की अपील की, सद्भाव की बात की पर किसी ने यह नहीं कहा कि इस तरह की हत्याओं के लिए ईश्वर दोषी है जिस ने अपने ही भक्तों को गोलियां चलाने वाली बंदूकें दीं.

यह सब याद किया जा रहा है इसलिए कि जिन 15 लोगों को बिलकिस बानो के रेप व उस के बच्चों की हत्याओं के लिए बड़ी मुश्किल से आजीवन कैद की सजा अहमदाबाद के 2002 के दंगों के बाद मिली थी उन्हें इस अगस्त में छोड़ दिया गया और उन्हें छोड़ देने के बाद उन का भव्य स्वागत किया गया, लड्डू बांटे गए और भगवा समर्थक यह कहते नजर आए थे कि अपराधी संस्कारी हैं और 15 से 18 वर्ष की जेल के बाद छोडऩे पर कोई हानि नहीं हुई.

जो फोटो प्रकाशित हुए उस से साफ लगता है कि इन का 15 साल जेल में अच्छाखासा ख़याल रखा गया और सब हृष्टïपुष्ट थे. चेहरे चमक रहे थे. नतीजा यह है धर्म चाहे ईसाई हो, हिंदू हो, बौद्ध हो या इसलाम हिंसा का पाठ पढ़ाता है, हिंसा को समर्थन देता है.

धर्म का घर में शांति लाने में कोई योगदान नहीं होता. दहेज हत्याओं के अकसर सजायाफ्ता दोषी खासे पूजापाठी होते हैं. लडक़े की चाह में कन्या भ्रूणहत्या करने वाले धार्मिक आदेशों के तहत पिंडदान करने के वास्ते लडक़े का जन्म देने को एक औरत को बारबार गर्भवती होने को मजबूर करते हैं और अगर लड़की पैदा हुई तो उसे मार तक देते हैं.

धर्म आपस में शांति का पाठ पढ़ाता है, यह बिलकिस बानो के मामले ने एक बार फिर गलत साबित कर दिया है. 1947 के विभाजन के दौरान लाखों हत्याएं धर्म के कारण ही हुईं और आज तक परिवार उन का दर्द भोग रहे हैं. हिटलर ने धर्म के नाम पर यहूदियों को गैस चैंबरों में मारने के लिए बड़ेबड़े भवन बनवाए और लगभग 60 लाख निहत्थों, निर्दोषों को मार डाला. हिटलर के सारे अफसर अपने धर्म का कट्टर पालन करते थे. रूसी आज यूक्रेन में हत्याएं कर रहे हैं जबकि रूसी व यूक्रेनी दोनों और्थोडौक्स क्रिश्चियन हैं पर उन के मठ अलग हैं. ऐसे में फिर यह कैसा प्यार है जो धर्म सिखाता है.

मेरे घर में नौकरी करने वाली लड़की को अच्छा नहीं माना जाता है, क्या करूं?

सवाल

मैं 23 साल की लड़की हूं और पढ़ाई में भी काफी अच्छी हूं. मैं टीचर बनना चाहती हूं और फिलहाल घर पर ट्यूशन भी पढ़ाती हूं. लेकिन मेरी समस्या यह है कि हमारे घर में पढ़लिख कर नौकरी करने वाली लड़की को ज्यादा अच्छा नहीं माना जाता है.

मेरे मातापिता की सोच है कि लड़की तो पराई होती है. लिहाजा, उस की शादी करो और छुटकारा पाओ. उन की इस सोच से मेरे सपने दम तोड़ रहे हैं. मैं क्या करूं?

जवाब

अपने सपनों को जिंदा रखें और उन्हें हकीकत में भी बदलें. आप के दकियानूसी घर वाले भी लड़कियों को बोझ समझते हैं और नहीं चाहते कि वे अपने पैरों पर खड़ी हो कर गैरत की जिंदगी जिएं.

आप ट्यूशन के साथसाथ टीचर की नौकरी के फार्म भी भरती रहें. अच्छे से तैयारी करेंगी, तो सरकारी नौकरी मिल भी सकती है. तब तक किसी प्राइवेट स्कूल में नौकरी की कोशिश करें.

जितना जल्दी हो सके, बीऐड की डिगरी ले लें. इस से नौकरी मिलने में सहूलियत रहेगी. अगर आप आज घर वालों के दबाव में आएंगी, तो जिंदगीभर पछताती रहेंगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

Manohar Kahaniya: इंतकाम की आग में खाक हुआ पत्रकार

रात के साढ़े 10 बज रहे थे. बिहार के मधुबनी जिले की रहने वाली संगीता देवी बेटे अविनाश को ढूंढती हुई दूसरे मकान पहुंची, जहां उस ने न्यूज पोर्टल का अपना औफिस बना रखा था. यहीं बैठ कर वह न्यूज एडिट करता था. लेकिन अविनाश अपने औफिस में नहीं था.

दरवाजे के दोनों पट भीतर की ओर खुले हुए थे. कमरे में ट्यूबलाइट जल रही थी और बाइक बाहर खड़ी थी. संगीता ने सोचा कि बेटा शायद यहीं कहीं गया होगा, थोड़ी देर में लौट आएगा तो खाना खाने घर पर आएगा ही.

लेकिन पूरी रात बीत गई, न तो अविनाश घर लौटा था और न ही उस का मोबाइल फोन ही लग रहा था. उस का फोन लगातार बंद आ रहा था.

मां के साथसाथ बड़ा भाई त्रिलोकीनाथ झा भी यह सोच कर परेशान हो रहा था कि भाई अविनाश गया तो कहां? उस का फोन लग क्यों नहीं रहा है? वह बारबार स्विच्ड औफ क्यों आ रहा है?

ये बातें उसे परेशान कर रही थीं. फिर त्रिलोकीनाथ ने अविनाश के सभी परिचितों के पास फोन कर के उस के बारे में पूछा तो सभी ने ‘न’ में जवाब दिया.

उन सभी के ‘न’ के जवाब सुन कर त्रिलोकीनाथ एकदम से हताश और परेशान हो गया था और मांबाप को भी बता दिया कि अविनाश का कहीं पता नहीं चल रहा है और न ही फोन लग रहा है.

पता नहीं कहां चला गया? बड़े बेटे का जवाब सुन कर घर वाले भी परेशान हुए बिना नहीं रह सके. यही नहीं, घर में पका हुआ खाना वैसे का वैसा ही रह गया था. किसी ने खाने को हाथ तक नहीं लगाया था. अविनाश के अचानक इस तरह लापता हो जाने से किसी का दिल नहीं हुआ कि वह खाना खाए.

पूरी रात बीत गई. घर वालों ने जागते हुए पूरी रात काट दी. कभीकभार हवा के झोंकों से दरवाजा खटकता तो घर वालों को ऐसा लगता जैसे अविनाश घर लौट आया हो. यह बात 9 नवंबर, 2021 बिहार के मधुबनी जिले की लोहिया चौक की है.

अगली सुबह त्रिलोकीनाथ दरजन भर परिचितों को ले कर बेनीपट्टी थाने पहुंचे. थानाप्रभारी अरविंद कुमार सुबहसुबह कई प्रतिष्ठित लोगों को थाने के बाहर खड़ा देख चौंक गए. उन में से कइयों को वह अच्छी तरह पहचानते भी थे. वे छुटभैए नेता थे.

वह कुरसी से उठ कर बाहर आए और उन के सुबहसुबह थाने आने की वजह मालूम की. इस पर लिखित तहरीर उन की ओर बढ़ाते हुए त्रिलोकीनाथ ने छोटे भाई के रहस्यमय तरीके से गुम होने की बात बता दी.

थानाप्रभारी अरविंद कुमार ने जब सुना कि बीएनएन न्यूज पोर्टल के चर्चित पत्रकार और जुझारू आरटीआई कार्यकर्ता अविनाश उर्फ बुद्धिनाथ झा से मामला जुड़ा है तो उन के होश उड़ गए. उन्होंने तहरीर ले कर आवश्यक काररवाई करने का भरोसा दिला कर सभी को वापस लौटा दिया.

थानाप्रभारी अरविंद कुमार ने पत्रकार और एक्टीविस्ट अविनाश की गुमशुदगी दर्ज कर ली और उस की तलाश में जुट गए. उन्होंने मुखबिरों को भी अविनाश की खोजबीन में लगा दिया था.

अरविंद कुमार ने साथ ही साथ इस मामले की जानकारी एसडीपीओ (बेनीपट्टी) अरुण कुमार सिंह और एसपी डा. सत्यप्रकाश को भी दे दी थी ताकि बात बनेबिगड़े तो अधिकारियों का हाथ बना रहे.

अविनाश को गुम हुए 4 दिन बीत चुके थे. लेकिन उस का अब तक कहीं पता नहीं चल सका था. बेटे के रहस्यमय ढंग से गायब होने से घर वालों का बुरा हाल था. 3 दिनों से घर में चूल्हा तक नहीं जला था.

अब भी घर वालों को उम्मीद थी कि अविनाश कहीं गया है, वापस लौट आएगा. इसी बीच उन के मन में रहरह कर आशंकाओं के बादल उमड़ने लगते थे जिसे सोचसोच कर उन का पूरा बदन कांप उठता था.

झुलसी अवस्था में मिली पत्रकार की लाश

बहरहाल, 12 नवंबर, 2021 की दोपहर में अविनाश के बड़े भाई त्रिलोकीनाथ को एक बुरी खबर मिली कि औंसी थानाक्षेत्र के उड़ने चौर थेपुरा के सुनसान बगीचे में बोरे में जली हुई एक लाश पड़ी है, आ कर देख लें.

लाश की बात सुनते ही त्रिलोकीनाथ का कलेजा धक से हो गया. बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटा कर खुद को संभाला, लेकिन घर वालों को भनक तक नहीं लगने दी. अलबत्ता उस ने इस की जानकारी बेनीपट्टी के थानाप्रभारी अरविंद कुमार को दे दी और साथ में मौके पर चलने को क हा.

थानाप्रभारी अरविंद कुमार टीम के साथ  त्रिलोकीनाथ को ले कर उड़ने चौर धेपुरा पहुंचे, जहां जली हुई लाश पाए जाने की सूचना मिली थी.

चूंकि वह क्षेत्र औंसी थाने में पड़ता था, इसलिए इस की सूचना उन्होंने औंसी थाने के प्रभारी विपुल को दे कर उन्हें भी घटनास्थल पहुंचने को कह दिया था. सूचना पा कर थानाप्रभारी विपुल भी मौके पर पहुंच चुके थे.

लाश प्लास्टिक के अधजले कट्टे में थी. लग रहा था कि लाश वाले उस कट्टे पर कोई ज्वलनशील पदार्थ डाल कर आग लगाई गई थी. जिस से कट्टे के साथ लाश काफी झुलस गई थी. चेहरे से वह पहचानने में नहीं आ रही थी. थानाप्रभारी अरविंद ने त्रिलोकीनाथ को लाश की शिनाख्त के लिए आगे बुलाया.

लाश के ऊपर कपड़ों के कुछ टुकड़े चिपके थे और उस के दाएं हाथ की मध्यमा और रिंग फिंगर में अलगअलग नग वाली 2 अंगूठियां मौजूद थीं.

कपड़ों के अवशेष और अंगूठियों को देख कर त्रिलोकीनाथ फफकफफक कर रोने लगा. उसे रोता हुआ देख पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि मृतक उस का भाई अविनाश है, जो पिछले 4 दिनों से रहस्यमय तरीके से लापता हो गया था.

अब क्या था, जैसे ही अविनाश की लाश पाए जाने की जानकारी घर वालों को हुई, उन का जैसे कलेजा फट गया. घर में कोहराम मच गया और रोनाचीखना शुरू हो गया. इस के बाद तो पत्रकार और एक्टीविस्ट अविनाश की हत्या की खबर देखते ही देखते जंगल में आग की तरह पूरे शहर में फैल गई थी.

अविनाश की हत्या की खबर मिलते ही मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई. उस के समर्थकों के दिलों में आक्रोश फूटने लगा थे. समर्थक उग्र हो कर आंदोलन की राह पर उतर आए.

13 नवंबर को अविनाश की निर्मम हत्या के विरोध में शाम के वक्त विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेनीपट्टी बाजार की मुख्य सड़क पर कैंडल मार्च निकाल कर हत्यारे को फांसी देने, परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने और हत्याकांड की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग को ले कर प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की.

सभी लोग कैंडल मार्च के माध्यम से विरोध प्रकट करते हुए डा. लोहिया चौक से अनुमंडल रोड तक सड़क पर नारेबाजी करते रहे.

कैंडल मार्च भाकपा नेता आनंद कुमार झा के नेतृत्व में शुरू हुआ. वहां जनकल्याण मंच के महासचिव योगीनाथ मिश्र, कांग्रेसी नेता विजय कुमार मिश्र, भाजपा नेता विजय कुमार झा, मुकुल झा और बीजे विकास सहित तमाम लोग मौजूद थे.

एक ओर जहां नेता कैंडल मार्च निकाल कर प्रशासन पर दबाव बना रहे थे तो वहीं दूसरी ओर झंझारपुर प्रैस क्लब के सदस्यों ने ललित कर्पूरी स्टेडियम में एक आपात बैठक कर इस पूरे घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की.

हत्या के विरोध में लोगों ने किया आंदोलन

बहरहाल, पत्रकार और एक्टीविस्ट अविनाश झा की निर्मम हत्या के विरोध में विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का शांतिपूर्ण आंदोलन चरम पर था. उस के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग जोर पकड़ रही थी. उस से शहर की शांति व्यवस्था उथलपुथल हो चुकी थी.

इस बीच, अविनाश का पोस्टमार्टम कर के उस का पार्थिव शरीर घर वालों को सौंप दिया गया था, लेकिन घर वालों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने हत्यारों के गिरफ्तार होने तक उस का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया.

एसपी डा. सत्यप्रकाश जानते थे कि जब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा, शहर की कानूनव्यवस्था बिगड़ती जाएगी. उन्होंने एसडीपीओ (बेनीपट्टी) अरुण कुमार सिंह के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल अविनाश के घर उन्हें समझाने के लिए भेजा कि अविनाश के हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा, उस का अंतिम संस्कार कर दें.

एसपी सत्यप्रकाश के आश्वासन पर मृतक के घर वालों ने उस का अंतिम संस्कार कर दिया. इधर अविनाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी थी. रिपोर्ट में उस की मौत का कारण सिर में गहरी चोट लगना बताया गया था. साथ ही मौत 72 से 80 घंटे पहले होनी बताई गई.

यानी जिस दिन अविनाश रहस्यमय ढंग से गायब हुआ था, उसी दिन उस की हत्या हो चुकी थी. पुलिस ने अविनाश के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर गहन अध्ययन किया. काल डिटेल्स में रात के 9 बज कर 58 मिनट पर आखिरी बार किसी को काल आई थी.

जब पुलिस ने अविनाश के न्यूज पोर्टल औफिस में लगे सीसीटीवी कैमरे को चैक किया तो उस समय भी फुटेज में यही समय हो रहा था जब काल रिसीव करते हुए अविनाश बाहर निकल रहा था. उस के बाद वह घर नहीं लौटा था.

बहरहाल, पुलिस ने उस नंबर की डिटेल्स निकलवाई तो वह नंबर पूर्णकला देवी के नाम का निकला. पुलिस ने जब और गहराई से जांच की तो पता चला कि अनुराग हेल्थ सेंटर में काम करने वाली नर्स पूर्णकला देवी और अविनाश के बीच पिछले 3 महीने से मधुर संबंध कायम थे. पुलिस की जांच प्रेम प्रसंग की ओर मुड़ गई थी.

नर्स से मिली महत्त्वपूर्ण जानकारी

पुलिस की जांच तभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचती, जब पूर्णकला देवी पुलिस के हाथ लगती. इधर पुलिस पर हत्यारों को गिरफ्तार करने का लगातार दबाव बना हुआ था. अखबारों ने अविनाश हत्याकांड की खबरें छापछाप कर पुलिस की नाक में दम कर दिया था.

चारों ओर पुलिस की आलोचना हो रही थी. घटना का सही ढंग से खुलासा करना पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई थी. पूर्णकला देवी के गिरफ्तार होने पर ही निर्मम हत्याकांड का खुलासा हो सकता था.

14 नवंबर, 2021 को अरेर थानाक्षेत्र के अतरौली की रहने वाली पूर्णकला देवी को पुलिस ने दबिश दे कर उस के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए बेनीपट्टी थाने ले आई. एसडीपीओ अरुण कुमार सिंह और थानाप्रभारी अरविंद कुमार ने उस से सख्ती से पूछताछ शुरू की.

नर्स पूर्णकला देवी कोई पेशेवर अपराधी तो थी नहीं, जो घंटों पुलिस को यहांवहां भटकाती. पुलिस के सवालों के सामने उस ने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म स्वीकार कर बता दिया कि पत्रकार अविनाश हत्याकांड में उस के अलावा कई और लोग शामिल थे.

उसी दिन पुलिस ने पूर्णकला देवी की निशानदेही पर बेनीपट्टी के रोशन कुमार, बिट्टू कुमार पंडित, दीपक कुमार पंडित, पवन कुमार पंडित और मनीष कुमार को उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया और थाने ले आई.

पांचों आरोपियों से कड़ाई से हुई पूछताछ में सभी ने अपना जुर्म कुबूल लिया. उन्होंने अविनाश हत्याकांड के मास्टरमाइंड अनुराग हेल्थकेयर सेंटर के संचालक डा. अनुज महतो को बताया था, जिस ने अविनाश की ब्लैकमेलिंग से त्रस्त हो कर घटना को अंजाम दिया था. घटना के बाद से ही डा. अनुज महतो फरार चल रहा था.

नीतीश कुमार ने जारी किया फरमान

खैर, अविनाश हत्याकांड की गूंज प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कानों तक पहुंच चुकी थी. उन्होंने प्रदेश के पुलिस प्रमुख को अविनाश के हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजने का फरमान जारी कर दिया था. पत्रकार और एक्टीविस्ट अविनाश झा हत्याकांड हाईप्रोफाइल मर्डर कांड बन चुका था, इसीलिए पुलिस की आंखों से नींद उड़ी हुई थी.

पुलिस ने आननफानन में उसी दिन शाम को पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता आयोजित कर अविनाश के हत्यारों को पेश किया और घटना की असल वजहों से रूबरू कराया. उस के बाद सभी आरोपियों को जेल भेज दिया. आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

25 वर्षीय अविनाश उर्फ बुद्धिनाथ झा मूलरूप से बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थानाक्षेत्र के लोहिया चौक का निवासी था. अंबिकेश झा के 2 बेटों में वह छोटा था.

सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले अंबिकेश किसान थे. खेतीबाड़ी से इतनी आमदनी कर लेते थे कि परिवार का भरणपोषण करने के बाद कुछ बचा लेते थे. बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए पानी की तरह रुपए बहाते थे.

ऐसा नहीं था कि उन के दोनों बेटे अपने सामान्य परिस्थितियों को न समझते रहे हों या पैसों की कीमत न समझते हों, बल्कि वे गरीबी की भट्ठी में तप कर कुंदन बन गए थे.

दोनों बेटे त्रिलोकीनाथ और अविनाश पढ़लिख कर योग्य इंसान बनाना चाहते थे. इस के लिए दोनों ही हाड़तोड़ मेहनत करते थे. जिस तरह दोनों हाथों की सभी अंगुलियां एक समान नहीं हैं, उसी तरह अंबिकेश के दोनों बेटे एक समान नहीं थे.

अविनाश घर में सब से छोटा था, इसलिए सब का लाडला था. मांबाप से ले कर भाईबहन सभी उस पर अपना प्यार लुटाते थे. इसलिए वह थोड़ा जिद्दी भी था. जिस भी काम को करने की जिद वह ठान लेता था, उसे पूरा कर के ही मानता था. चाहे इस के लिए उसे बड़ी से बड़ी कुरबानी क्यों न देनी पड़े. वह पीछे नहीं हटता था.

अविनाश का नर्सिंग होम करा दिया बंद

बात साल 2018 की है. ग्रैजुएशन पूरा कर चुके अविनाश का सपना था नर्सिंगहोम खोल कर वह गरीबों की सेवा करे. इतनी ही छोटी उम्र में उस की सोच महासागर से भी गहरी थी क्योंकि वह गरीबी अपनी आंखों से देख चुका था. इसलिए वह नहीं चाहता था कि कोई भी गरीब पैसों के अभाव में इलाज के लिए दम तोड़े.

अपने ही इलाके बेनीपट्टी के कटैया रोड पर किराए का 5 कमरों का एक मकान ले कर उस में जयश्री हेल्थकेयर के नाम से नर्सिंग होम खोल लिया. भिन्नभिन्न इलाजों के लिए अलगअलग डाक्टरों को नियुक्त कर के नर्सिंग होम शुरू किया था. थोड़ी मेहनत से अविनाश का नर्सिंग होम चल निकला.

लेकिन उस के सपनों का शीशमहल धरातल पर ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सका. इस की बड़ी वजह थी बेनीपट्टी में कुकुरमुत्तों की तरह नर्सिंग होम्स का पहले से संचालित होना.

दरअसल, दरजनों नर्सिंग होम उस इलाके में पहले से चल रहे थे. अच्छी जगह पर अविनाश का नर्सिंग होम खुल जाने और सब से कम पैसों में इलाज करने से बाकी के नर्सिंग होम्स की कमाई बुरी तरह प्रभावित हुई थी, जिस से सभी नर्सिंग होम संचालकों की नींद हराम हो गई थी.

वे नहीं चाहते थे कि जयश्री हेल्थकेयर चले. फिर क्या था, सभी संचालकों ने मिल कर स्वास्थ्य विभाग में झूठी शिकायत कर के उस का नर्सिंग होम बंद करवा दिया. एक साल के भीतर ही उस का नर्सिंग होम बंद हो गया. यह बात 2019 की है.

ऐसा नहीं था कि धन माफियाओं के डर से हार मान कर अविनाश ने हथियार डाल दिया हो. उस दिन के बाद से अविनाश ने दृढ़ प्रतिज्ञा कर ली कि स्वास्थ्य के नाम पर नर्सिंग होमों द्वारा गरीबों से मनमाने तरीके से की जा रही वसूली को वह ज्यादा दिनों तक चलने नहीं देगा. उन नर्सिंग होमों को भी वह बंद करवा कर दम लेगा, जिन्होंने उस के सपनों को कुचलामसला था. क्योंकि उसे पता था कि जिले के अधिकांश नर्सिंग होम अपने आर्थिक लाभ के लिए नियमकानून को ताख पर रख कर कैसे संचालित हो रहे हैं.

अवैध नर्सिंग होम्स के खिलाफ अविनाश ने उठाई आवाज

बड़ेबड़े मगरमच्छों से टकराना अविनाश के लिए आसान नहीं था. क्योंकि वह उन की ताकत को देख चुका था. उन्हें कुचलने के लिए एक ऐसे हथियार की उसे जरूरत थी, जो उसे सुरक्षा भी दे सके और दुश्मनों को मीठे जहर के समान धीरेधीरे मार भी सके.

विकास झा अविनाश का सब से अच्छा दोस्त भी था और हमदर्द भी. उस के सीने में सुलग रही आग को वह अच्छी तरह जानता था. बीएनएन न्यूज पोर्टल नाम से वह एक न्यूज चैनल भी चलाता था. शार्प दिमाग वाले अविनाश के मन में आया कि दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए क्यों न पत्रकारिता को अपना ले. फिर उस ने विकास से बात कर के बीएनएन न्यूज पोर्टल जौइन कर लिया.

पत्रकारिता का चोला ओढ़ने के बाद अविनाश बेहद ताकतवर बन गया था. खाकी वरदी से ले कर खद्दर वालों के बीच उस ने एक अच्छा मुकाम हासिल कर लिया था. धीरेधीरे वह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया था.

अपने विरोधियों और दुश्मनों को धूल चटाने के लिए वह परिपक्व हो चुका था. उस के दुश्मनों की लिस्ट में बेनीपट्टी के 2 नर्सिंग होम अनन्या नर्सिंग होम के संचालक डा. संजय और अनुराग हेल्थकेयर सेंटर के मालिक डा. अनुज महतो थे.

2019 के अगस्त महीने में अविनाश ने आरटीआई के माध्यम से दरजन भर नर्सिंग होम्स से सूचना मांगी थी, जिन के नाम अलजीना हेल्थकेयर, शिवा पाली क्लीनिक, सुदामा हेल्थेयर, सोनाली हेल्थकेयर, मां जानकी सेवा सदन, आराधना हेल्थ ऐंड डेंटल केयर क्लिनिक, जय मां काली सेवा सदन, अंशु हेल्थकेयर सेंटर, सानवी हौस्पिटल, अनन्या नर्सिंग होम, अनुराग हेल्थकेयर सेंटर और आर.एस. मेमोरियल हौस्पिटल थे.

अविनाश के इस काम से सभी नर्सिंग होम के संचालकों की भौहें तन गईं कि इस की इतनी हिम्मत कि हमें ही आंखें दिखाने लगा. उसे पता नहीं है किस से टकराने की कोशिश कर रहा है.

बात यहीं खत्म नहीं हुई थी. इन धन माफियाओं की गीदड़भभकी के आगे अविनाश न झुका और न ही डरा. बल्कि इन से टक्कर लेने के लिए वह डट कर खड़ा हो गया था.

काररवाई से तिलमिला गए नर्सिंग होम मालिक

अविनाश द्वारा डाली गई आरटीआई का  किसी भी नर्सिंग होम के संचालकों ने उत्तर नहीं दिया तो उस ने लोक जन शिकायत के माध्यम से इस की शिकायत ऊपर के अधिकारियों तक पहुंचा दी.

अविनाश की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उपर्युक्त नर्सिंग होमों की जांच की तो उन में से कई नर्सिंग होम स्वास्थ्य विभाग के मानक पर खरे नहीं उतरे. अंतत: उन्हें स्वास्थ्य विभाग के कोप का भाजन पड़ा और उन पर ताला लगा दिया गया.

अविनाश ने पानी में रह कर मगरमच्छों से दुश्मनी मोल ले ली थी. विरोधियों की कमर तोड़ने के लिए अविनाश ने जो तीर छोड़ा था, वह ठीक उस के निशाने पर जा कर लगा था.

अविनाश के इस काम से खफा चल रहे सभी नर्सिंग होम संचालक आपस में एकजुट हो गए और मिल कर अविनाश को सबक सिखाने की तैयारी में जुट गए थे.

इसी कड़ी में अनन्या नर्सिंग होम के संचालक डा. संतोष एक दिन अविनाश के घर जा पहुंचे.

इत्तफाक से उन की मुलाकात अविनाश के बडे़ भाई त्रिलोकीनाथ झा उर्फ चंद्रशेखर से हुई. उस समय अविनाश घर पर नहीं था, कहीं गया हुआ था.

त्रिलोकीनाथ को समझाते हुए डा. संतोष ने कहा, ‘‘तुम अपने भाई अविनाश को समझाओ कि वह जो कर रहा है, उसे तुरंत बंद कर दे. वरना जानते ही हो आए दिन सड़कों पर तमाम एक्सीडेंट होते रहते हैं. वह भी किसी दुर्घटना का शिकार हो कर कहीं सड़क किनारे पड़ा मिलेगा. फिर मत कहना कि मैं ने समझाया नहीं.’’

डा. संतोष त्रिलोकीनाथ को धमकी दे कर चला गया. त्रिलोकीनाथ जानता था कि बदले की आग में जल रहा अविनाश अपने विरोधियों को धूल चटाने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहा है. उस ने संतोष की धमकी को दरकिनार कर दिया और छोटे भाई को कुछ नहीं बताया.

विरोधियों को खाक में मिलाने के लिए पत्रकार अविनाश बहुत आगे निकल चुका था. उस के आरटीआई पर 2 और नर्सिंग होमों अनन्या और अनुराग पर स्वास्थ्य विभाग की काररवाई होनी तय हो गई थी. दोनों नर्सिंग होम भी स्वास्थ्य विभाग के मानकों पर खरे नहीं उतरे थे.

अनन्या के मालिक संतोष और अनुराग के मालिक अनुज महतो किसी कीमत पर अपने नर्सिंग होम बंद होने नहीं देना चाहते थे. उन के बंद होने से हाथों से लाखों रुपए की कमाई जा रही थी.

क्रोध की आग में जल रहे अनुज महतो ने अविनाश को रास्ते से हटाने की योजना बना ली. अपनी इस योजना में उस ने अपने नर्सिंग होम की सब से विश्वासपात्र नर्स पूर्णकला देवी के साथ रोशन कुमार, बिट्टू कुमार पंडित, दीपक कुमार पंडित, पवन कुमार पंडित और मनीष कुमार को मिला लिया.

कहीं से इस की भनक अविनाश को मिल गई थी. 7 नवंबर को फेसबुक पर उस ने बेहद मार्मिक पोस्ट शेयर की, जिस में उस ने अपनी हत्या किए जाने की आशंका जाहिर करते हुए 15 नवंबर को ‘द गेम इज ओवर’ लिखते हुए बड़ा खेल होना पोस्ट किया था.

नर्सिंग होम मालिकों ने रची साजिश

इधर अनुज महतो अविनाश के किसी भी मकसद को और पनपने देना नहीं चाहता था क्योंकि वह उस के लिए बेहद खतरनाक बन चुका था.

पहले रची योजना के मुताबिक 9 नवंबर, 21 को अनुज महतो ने रात 9 बज कर 58 मिनट पर पूर्णकला देवी से अविनाश को फोन करवाया और एक अहम जानकारी देने के लिए उसे अपने नर्सिंग होम बुलवाया. नर्स पूर्णकला देवी ने वैसा ही किया जैसा मालिक ने उसे करने को कहा.

नर्स पूर्णकला देवी का फोन आने के बाद अविनाश उस से मिलने फोन पर बात करते हुए अपने औफिस से पैदल ही निकल गया और अपनी बाइक वहीं छोड़ गया था.

उसी समय उस की मां संगीता जब खाना खाने के लिए उसे बुलाने पहुंची तो औफिस खुला देख समझा कि यहीं कहीं बाहर गया होगा, आ जाएगा. फिर वह वापस घर लौट आई थीं.

इधर फोन पर बात करता हुआ अविनाश थाना बेनीपट्टी से 400 मीटर दूर कटैया रोड पहुंचा, जहां एक कार उस के आने के इंतजार में खड़ी थी. कार में नर्स पूर्णकला देवी सवार थी. अविनाश को देखते ही उस ने पीछे का दरवाजा खोल कर उसे बैठा लिया.

फिर वहां से सीधे अनुराग हेल्थकेयर सेंटर पहुंची, जहां पहले से घात लगाए सब से आगे वाले कमरे में अनुज महतो बैठा था. उसी कमरे में उस ने लकड़ी का मूसल भी छिपा कर रखा था, जबकि पूर्णकला ने अनुज महतो के चैंबर में लाल मिर्च का पाउडर और एक पैकेट कंडोम रखा था.

अविनाश को साथ ले कर वह सीधा चैंबर में पहुंची, जहां उस ने उपर्युक्त सामान छिपा कर रखा था. खाली पड़ी एक कुरसी पर उसे बैठने का इशरा कर भीतर कमरे में गई और जब लौटी तो उस के हाथ में पानी भरा कांच का गिलास था.

उस ने पानी अविनाश की ओर बढ़ा दिया. अविनाश ने पानी भरा गिलास नर्स के हाथों से ले कर जैसे ही अपने होठों से लगाया, फुरती से मिर्च पाउडर पूर्णकला ने उस की आंखों में झोंक दिया. मिर्च की जलन से अविनाश के हाथ से कांच का गिलास छूट कर फर्श पर गिर पड़ा और खतरे को भांप कर अविनाश आंखें मलता हुआ बाहर की ओर भागा.

तब तक मूसल ले कर कमरे में पहले से घात लगाए बैठा अनुज महतो बाहर निकला और उस के सिर पर पीछे से मूसल का जोरदार वार किया.

वार इतना जोरदार था कि वह धड़ाम से फर्श पर जा गिरा. तब तक वहां रोशन, बिट्टू, दीपक, पवन और मनीष भी आ पहुंचे.

फर्श पर गिरे अविनाश की सांसों की डोर अभी टूटी नहीं थी. वह बेहोश हुआ था. फिर उसे खींचकर चैंबर में ले जाया गया. वहां अस्पताल की चादर से अविनाश का गला तब तक दबाया गया, जब तक उस का बदन ठंडा नहीं पड़ गया.

इस के बाद अनुज महतो पांचों की मदद से एक बोरे में अविनाश की लाश भर कर जिस कार से आया था, उसी कार की डिक्की में छिपा कर औंसी थानाक्षेत्र के उड़ने चौर थेपुरा के जंगल में फेंक कर फरार हो गए.

2 दिनों बाद जब अविनाश की खोज जोर पकड़ी तो अनुज महतो सहित सभी घबरा गए कि कहीं उस की लाश बरामद न हो जाए, नहीं तो सब के सब पकड़े जाएंगे.

बुरी तरह परेशन अनुज महतो 11 नवंबर की रात अपनी बाइक ले कर उड़ने चौर थेपुरा पहुंचे, जहां अविनाश की लाश फेंकी थी. उस की लाश अभी वहीं पड़ी थी. फिर क्या था, उस ने बोरे के ऊपर पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी और अपनी बाइक थेपुरा गांव में छोड़ कर फरार हो गया.

अपने दुश्मन अविनाश को रास्ते से हटाने के बाद अनुज महतो ने जो फूलप्रूफ योजना बनाई थी, वह फेल हो गई और आरोपी कानून के मजबूत फंदों से बच नहीं सके. वह असल ठिकाने पहुंच गए. अनुज महतो कथा लिखने तक फरार चल रहा था.

पुलिस ने नर्स पूर्णकला देवी की निशानदेही पर अनुराग हेल्थकेयर सेंटर से मिर्च से भरी डिब्बी, कंडोम का पैकेट, खून से सनी चादर और मूसल बरामद कर लिया था.

जांचपड़ताल में यह पता चली थी कि अविनाश और नर्स पूर्णकला देवी के बीच मधुर संबंध थे. ये मधुर संबंध भी अविनाश की हत्या का एक वजह बनी थी.

अविनाश की हत्या के मुख्य आरोपी अनुज महतो, जो फरार चल रहा था, ने पुलिस के दबाव में आ कर 21 जनवरी, 2022 को व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था, जहां पुलिस ने 48 घंटे की रिमांड पर ले कर उस से हत्या की जानकारी जुटाई और फिर जेल भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक पत्रकार अविनाश के सभी आरोपी जेल की सलाखों के पीछे कैद अपनी करनी पर पछता रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

त्यौहार 2022: त्यौहारों के मौसम में बच्चों के लिए बनाएं ये 5 टेस्टी आइसक्रीम

त्योहार के दिनों में अक्सर बच्चे अलग- अलग खाने की जिद्द करते रहते हैं, ऐसे में आप चाहे तो अपने बच्चे को घर पर बना हुआ आइस्क्रीम दे सकते हैं. तो आइए जानते हैं घर पर आइस्क्रीम बनाने की विधि.

  1. कौफी आइसक्रीम

सामग्री :

1 कप मिल्कमेड, 4 छोटे चम्मच कौफी पाउडर, 11/2 कप डबल क्रीम, 1 कप दूध, कुछ चम्मच चौकलेट सौस.

विधि :

गाढ़ी होने तक बीटर से फेंट लें. दूसरे बरतन में दूध, कौफी पाउडर और मिल्कमेड को अच्छी तरह फेंट लें और थोड़ाथोड़ा कर के क्रीम में मिलाते रहें व फेंटते रहें. ऐसा 3-4 मिनट तक करें. एक आइसपू्रफ डब्बे में डाल कर फ्रीजर में जमने के लिए रखें. डब्बे को फौइलपेपर से कवर कर के रखें. ताकि मौइश्चर आइसक्रीम में न जा सके. जब आइसक्रीम आधी जमने लगे तो फ्रीजर से निकाल कर फिर से फेंटें. फ्रीजर का तापमान सामान्य होना चाहिए. 5-6 घंटे बाद आइसक्रीम जम कर तैयार हो जाएगी. चौकलेट सौस या जैम से सजा कर सर्व करें.

2. लाइम आइसक्रीम

सामग्री :

3 छोटे चम्मच लैमन जूस, 11/2 कप औरेंज जूस, 150 ग्राम चीनी पाउडर, 1 चुटकी औरेंज कलर, 150 ग्राम क्रीम, 4 छोटे चम्मच दही.

विधि :

चीनी पाउडर और क्रीम को मिला कर गाढ़ा होने तक फेंट लें. इस में दही मिला कर फेंटें. थोड़ाथोड़ा कर के जूस मिला कर फेंटते रहें. फिर उस में कलर और लैमन जूस मिला कर फेंटें. जब सारा मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो कटोरे में डाल कर ऊपर से प्लास्टिक रैपर से ढक दें और इसे 2 घंटे के लिए जमने दें. फिर निकाल कर दोबारा फेंटें. इस तरह हर 2 घंटे बाद 3 बार फेंटें. फिर जमने के लिए रखें. 3-4 घंटे में आइसक्रीम तैयार हो जाएगी.

3. टूटी-फ्रूटी आइसक्रीम

सामग्री :

100 ग्राम टूटीफू्रटी या ग्लेज चेरी, 11/2 कप दूध, 11/2 कप डबल क्रीम, 150 ग्राम मिल्कमेड, 1 छोटा चम्मच औरेंज ऐसेंस, 1/2 छोटा चम्मच वनीला ऐसेंस, कुछ बूंदें औरेंज कलर, 1/2 कप मेवा.

विधि :

क्रीम को गाढ़ा होने तक बीटर से बीट करें. दूसरे बरतन में दूध, मिल्कमेड, वनीला, औरेंज ऐसेंस व कलर डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लें. अब धीरेधीरे दूध के मिक्स्चर को क्रीम में डाल कर बीट करें. आखिर में मेवा टूटीफ्रूटी डाल कर फोल्ड करें और आइसपू्रफ डब्बे में डाल कर फ्रीजर में (मीडियम तापमान) रख दें. जब आधी आइसक्रीम जम जाए तो फिर से हैंड बीटर से बीट कर लें और फ्रीजर में जमने के लिए रखें. 5-6 घंटे बाद आइसक्रीम अच्छी तरह जम जाएगी. टूटीफू्रटी व मेवा से सजा कर पेश करें.

4. रंगीली आइसक्रीम

सामग्री :

1 कप वनीला आइसक्रीम, 1 कप चौकलेट आइसक्रीम, 1 कप योगर्ट आइसक्रीम, 1 कप टूटीफू्रटी आइसक्रीम, 100 ग्राम डबल क्रीम, 2 छोटे चम्मच चीनी पाउडर, 4 छोटे चम्मच चेरी रंगबिरंगी, 1 कप कीवी आइसक्रीम.

विधि :

एक कांच के ग्लास में पहले एक स्कूप वनीला आइसक्रीम फैला दें. ऊपर से चौकलेट आइसक्रीम, फिर टूटीफू्रटी आइसक्रीम और फिर योगर्ट आइसक्रीम की तह लगा दें. ऊपर से क्रीम से सजा कर फ्रीजर में रखें. 2 घंटे बाद फ्रिज से निकाल कर चेरी से सजा कर सर्व करें.

5. फनफुल आइसक्रीम

सामग्री :

1 कप दूध, 1 छोटा चम्मच वनीला ऐसेंस, 1 कप डबल क्रीम, 100 ग्राम मिल्कमेड, 50 ग्राम मिल्क चौकलेट.

विधि :

क्रीम को बीटर से फेंट लें. जब क्रीम गाढ़ी हो जाए तो उस में दूध, वनीला ऐसेंस, मिल्कमेड मिक्स करें और अच्छी तरह फेंट लें. डब्बे में डाल कर फ्रीजर में जमने के लिए रखें. जब आधी जम जाए तो उसे दोबारा से फेंट लें. चौकलेट के टुकड़े काट लें और प्लेट में डाल कर फ्रीजर में जमने के लिए रख दें. दोबारा फेंटने के बाद अब उस में चौकलेट के टुकड़े डाल कर मिक्स कर दें और फिर जमने के लिए रखें. आइसक्रीम को चौकलेट के टुकड़ों से सजा कर सर्व करें.

पति मेरी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते, क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 34 साल की है. हाल ही में मैं मां बनी हूं. बच्चा होने के बाद पति काफी खुश हुए लेकिन इधर कुछ दिनों से मैं नोटिस कर रही हूं कि पति मेरी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे. सैक्स में भी रुचि नहीं दिखा रहे. उन की यह बेरुखी मुझसे सहन नहीं हो रही. समझ नहीं आ रहा कि उन्हें अचानक क्या हो गया है. पति का ऐसा व्यवहार मुझे बहुत ज्यादा अपसैट कर रहा है. आप ही बताइए मैं क्या करूं?

जवाब

जब कोई कपल मांबाप बनता है, उन की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. उन की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं और कई बार रहने का तरीका भी. अकसर ऐसी स्थिति में पुरुषों का अपनी वाइफ से मोहभंग हो जाता है क्योंकि वाइफ ज्यादा वक्त अपने बच्चे के साथ ही बिताने लगती है और अपनी पूरी ममता अपने बच्चे पर ही लुटा देती है. ऐसे में पति को एहसास होने लगता है कि अब उन के जीवन में प्यार बचा ही नहीं. ऐसी परिस्थिति कुछकुछ आप के जीवन में आई है. वैसे तो पतियों को पत्नी की स्थिति को सम?ाना चाहिए. उन्हें अपना पूरा सहयोग देना चाहिए लेकिन कुछ पति बच्चा आने पर खुश तो होते हैं लेकिन इस से जिंदगी में आए बदलाव के साथ सम?ाता नहीं कर पाते. आप के पति इस दूसरी श्रेणी के लोगों में आते हैं. पति का रु?ान अपनी तरफ करने के लिए आप को ही कुछ प्रयास करने पड़ेंगे. पति के साथ रोमांस करने के लिए कुछ अलग तरीके अपनाने पड़ेंगे. यदि बच्चे की दादी, नानी हैं तो बच्चे को कभीकभी उन के पास छोड़ें, इस से आप पति को अपना प्राइवेट समय दे पाएंगी और वे खुश हो जाएंगे. बच्चे के छोटेछोटे काम पति को सौंपें जिस से उन का मन बच्चे की तरफ जाएगा और वे बच्चे से अटैच होंगे और उन्हें भी पता चलेगा कि बच्चे को पालना एक जिम्मेदारीभरा काम है, इसलिए पार्टनर की तरफ ध्यान कम हो जाना स्वाभाविक सी बात है. बच्चे की देखभाल करतेकरते आप अपनी तरफ से बेपरवाह न हो जाएं. बनसंवर कर रहिए ताकि पति का आकर्षण आप में बना रहे. पति को लुभानारि?ाना पत्नी को आना चाहिए ताकि उस का ध्यान दूसरी तरफ जाए ही न. जब भी मौका मिले पति को सैक्स के लिए प्रेरित करें. इस से वे सैक्सुअली सैटिस्फाई रहेंगे. आप ज्यादा स्ट्रैस मत लीजिए. इन उपायों पर अमल कीजिए, पति महाशय अपनेआप लाइन पर आ जाएंगे. मैरिड लाइफ में ऐसे फेसेज आते रहते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

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देर आए दुरुस्त आए: क्यों ईशा अपनी मां से दूर जा रही थी

‘‘अरे-रे, यह क्या हो गया मेरी बच्ची को. सुनिए, जल्दी यहां आइए.’’

बुरी तरह घबराई अनीता जोर से चिल्ला रही थी. उस की चीखें सुन कर कमरे में लेटा पलाश घबरा कर अपनी बेटी के कमरे की ओर भाग जहां से अनीता की आवाजें आ रही थीं.

कमरे का दृश्य देखते ही उस के होश उड़ गए. ईशा कमरे के फर्श पर बेहोश पड़ी थी और अनीता उस पर झुकी उसे हिलाहिला कर होश में लाने की कोशिश कर रही थी.

‘‘क्या हुआ, यह बेहोश कैसे हो गई?’’

‘‘पता नहीं, सुबह कई बार बुलाने पर भी जब ईशा बाहर नहीं आई तो मैं ने यहां आ कर देखा, यह फर्श पर पड़ी हुई थी. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा. मैं ने इस के मुंह पर पानी भी छिड़का लेकिन इसे तो होश ही नहीं आ रहा.’’

‘‘तुम घबराओ मत, मैं गाड़ी निकालता हूं. हम जल्दी से इसे डाक्टर के पास ले कर चलते हैं.’’

पलाश और अनीता ने मिल कर उसे गाड़ी की सीट पर लिटाया और तुरंत पास के नर्सिंगहोम की तरफ भागे. नर्सिंगहोम के प्रमुख डाक्टर प्रशांत से पलाश की अच्छी पहचान थी सो, बिना ज्यादा औपचारिकताओं के डाक्टर ईशा को जांच के लिए अंदर ले गए. अगले आधे घंटे तक जब कोई बाहर नहीं आया तो अनीता के सब्र का बांध टूटने लगा. वह पलाश से अंदर जा कर पता करने को कह ही रही थी कि डाक्टर प्रशांत बाहर निकले और उन्हें अपने कमरे में आने का इशारा किया.

‘‘क्या हुआ, प्रशांत भैया? ईशा को होश आया या नहीं? उसे हुआ क्या है?’’ उन के पीछे कमरे में घुसते ही अनीता एक ही सांस में बोलती चली गई.

‘‘भाभीजी, आप दोनों यहां बैठो. मुझे आप से कुछ जरूरी बातें करनी हैं,’’ पलाश और अनीता का दिल बैठ गया. जरूर कुछ सीरियस बात है.

‘‘जल्दी बताओ प्रशांत, आखिर बात क्या है?’’

डाक्टर प्रशांत अपनी कुरसी पर बैठ कर कुछ पल दोनों को एकटक देखते रहे. फिर बड़े नपेतुले स्वर में धीरे से बोले, ‘‘मेरी बात सुन कर तुम लोगों को धक्का लगेगा लेकिन सिचुएशन ऐसी है कि रोनेचिल्लाने या घबराने से काम नहीं चलेगा. कोई भी कदम उठाने से पहले चार बार सोचना होगा. दरअसल बात यह है कि ईशा ने आत्महत्या करने की कोशिश की है.’’

‘‘क्…क्याऽऽ?’’ पलाश और अनीता दोनों एकसाथ कुरसी से ऐसे उछल कर खड़े हुए जैसे करंट लगा हो.

‘‘क्या कह रहे हैं डाक्टर, ऐसा कैसे हो सकता है. आत्महत्या तो वे लोग करते हैं जिन्हें कोई बहुत बड़ा दुख या परेशानी हो. मेरी इकलौती बेटी इतने नाजों में पली, जिस की हर फरमाइश मुंह खोलने से पहले पूरी हो जाती हो, जो हमेशा हंसतीखिलखिलाती रहती हो, पढ़ाई में भी हमेशा आगे रहती हो, जिस के ढेरों दोस्त हों, ऐसी लड़की भला क्यों आत्महत्या करने की सोचेगी.’’ पलाश के चेहरे पर उलझन के भाव थे. अनीता तो सदमे के कारण कुरसी का हत्था पकड़े बस डाक्टर को एकटक घूरे जा रही थी. फिर अचानक जैसे उसे होश आया, ‘‘लेकिन अब कैसी है वह? सुसाइड किया कैसे? कोई जख्म तो शरीर पर था नहीं…’’

‘‘उस ने नींद की गोलियां खाई हैं. भाभी, 10-12 गोलियां ही खाई, तभी तो हम उसे बचा पाए. खतरे से तो अब वह बाहर है लेकिन इस समय उस की जो शारीरिक व मानसिक हालत है, उस में उसे संभालने के लिए आप को बहुत ज्यादा धैर्य और समझदारी की जरूरत है. और जहां तक सुखसुविधाओं का सवाल है पलाश, तो पैसे या ऐशोआराम से ही सबकुछ नहीं होता. उस के ऊपर जरूर कोई बहुत बड़ा दबाव या परेशानी होगी जिस की वजह से उस ने यह कदम उठाया है.

‘‘15-16 साल की यह उम्र बहुत नाजुक होती है. बचपन से निकल कर जवानी की दहलीज पर कदम रखते बच्चे अपनी जिंदगी और शरीर में हो रहे बदलावों की वजह से अनेक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं. अब तक मांबाप से हर बात शेयर करते आए बच्चे अचानक ही सबकुछ छिपाना भी सीख जाते हैं. इसीलिए अकसर पेरैंट्स को पता ही नहीं चलता कि उन के अंदर ही अंदर क्या चल रहा है. ‘‘ईशा के मामले में भी यही हुआ है, वह किसी वजह ये इतनी परेशान थी कि उसे उस का और कोई हल नहीं सूझा. अब तुम दोनों को बड़े ही प्रेम और धीरज से पहले उस की समस्या का पता लगाना है और फिर उस का निदान करना है. और हां, मैं ने अपने स्टाफ को हिदायत दे दी है कि यह बात बाहर नहीं जानी चाहिए. वरना बेकार में पुलिस केस बन जाएगा. तुम लोग भी इस बात का खयाल रखना कि यह बात किसी को पता न चले वरना पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते रह जाओगे. बदनामी होगी वह अलग. बच्ची का समाज में जीना दूभर हो जाएगा.’’

‘‘ठीक कह रहे हो तुम. हम बिलकुल ऐसा ही करेंगे,’’ पलाश अब तक थोड़ा संभल गया था. ‘‘और हां,’’ डाक्टर प्रशांत आगे बोले, ‘‘वैसे तो तुम दोनों पतिपत्नी काफी समझदार और सुलझे हुए हो, फिर भी मैं तुम्हें बता दूं कि अभी 5-7 मिनट में ईशा होश में आने वाली है और जैसे ही उसे पता चलेगा वह जिंदा है, उसे एक धक्का लगेगा और वह काबू से बाहर होने लगेगी. उस समय तुम दोनों घबराना मत और न ही उस से कुछ पूछना. धीरेधीरे जब उस की मानसिक अवस्था इस लायक हो जाए, तब बड़े ही प्यार से उसे विश्वास में ले कर यह पता लगाना कि आखिर उस ने ऐसा क्यों किया.’’

‘‘ठीक है भैया, हम सब समझ गए. क्या हम अभी उस के पास चल सकते हैं?’’

‘‘चलिए,’’ और तीनों ईशा के कमरे की तरफ बढ़ गए.

जैसा डाक्टर प्रशांत ने उन्हें बताया था वैसा ही हुआ. होश आने पर बुरी तरह मचलती और हाथपांव पटकती ईशा को संभालते हुए अनीता का कलेजा मुंह को आ रहा था. चौबीसों घंटे साथ रहते हुए भी वह जान ही न पाई कि ऐसा कौन सा दुख था जो उस की जान से प्यारी बेटी को ऐसे उस से दूर ले गया. चाहे जो भी हो, मैं जल्दी से जल्दी सारी बात का पता लगा कर ही रहूंगी, यही विचार उस के मन में बारबार उठता रहा. लेकिन उस का सोचना गलत साबित हुआ. घटना के 10 दिन बीत जाने के बाद, लाख कोशिशों के बावजूद दोनों पतिपत्नी बुरी तरह डरीसहमी ईशा से कुछ भी उगलवाने में कामयाब नहीं हुए. तब डाक्टर प्रशांत ने उन्हें उसे काउंसलर के पास  ले जाने का सुझाव दिया. वहां भी 6 सिटिंग्स तक तो कुछ नहीं हुआ 7वीं सिटिंग के बाद काउंसलर ने उन्हें जो बताया उसे सुन कर तो दोनों के पैरों तले जमीन ही खिसक गई.

काउंसलर के अनुसार, ‘‘2 महीने पहले ईशा की 1 लड़के से फेसबुक पर दोस्ती हुई. चैटिंग द्वारा धीरेधीरे दोस्ती बढ़ी और फिर प्रेम में तबदील हो गई. फिर फोन नंबरों का आदानप्रदान हुआ और चैटिंग वाट्सऐप पर होने लगी. प्रेम का खुमार बढ़ने के साथसाथ फोटोग्राफ्स का आदानप्रदान शुरू हुआ. शुरू में तो यह साधारण फोटोज थे लेकिन धीरेधीरे नएनवेले प्रेमी की बारबार की फरमाइशों पर ईशा ने अपने कुछ न्यूड और सेमी न्यूड फोटोग्राफ्स भी उसे भेज दिए. अब प्रेमी की नई फरमाइश आई कि ईशा उसे आ कर किसी होटल में मिले. उस के साफ मना करने पर लड़के ने उसे धमकी दी कि अगर वह नहीं आई या उस ने किसी को बताया तो वह उस के सारे फोटोज फेसबुक पर अपलोड कर देगा.

‘‘ईशा ने उस से बहुत मिन्नतें कीं, अपने प्रेम का वास्ता दिया लेकिन प्रेम वहां था ही कहां? लड़के ने उसे 1 हफ्ते का अल्टीमेटम दिया और इस भयंकर प्रैशर को नहीं झेल पाने के कारण ही छठे दिन आधी रात के वक्त अपना अंतिम अलविदा का मैसेज उसे भेज कर ईशा ने सुसाइड करने की कोशिश की.’’ पलाश यह सब सुनते ही बुरी तरह भड़क गया, ‘‘मैं उस कमीने को छोड़ूंगा नहीं, मैं अभी पुलिस को फोन कर के उसे पकड़वाता हूं.’’ ‘‘प्लीज मिस्टर पलाश, ऐसे भड़कने से कुछ नहीं होगा. मेरी बात…’’

‘‘इतनी बड़ी बात होने के बाद भी आप मुझे शांति रखने को कह रहे हैं?’’ काउंसलर की बात बीच में ही काट कर पलाश गुर्राया.

‘‘अच्छा ठीक है, जाइए,’’ वह शांत मुसकराहट के साथ बोले, ‘‘लेकिन जाएंगे कहां? किसे पकड़वाएंगे? उस लड़के का नामपता है आप के पास? उस के फेसबुक अकाउंट के अलावा क्या जानकारी है आप को उस के बारे में? आप को क्या लगता है,  ऐसे लोग अपनी सही डिटेल्स देते हैं अपने अकाउंट पर? कभी नहीं. नाम, उम्र, फोटो आदि सबकुछ फेक होता है. तो कैसे ढूंढ़ेंगे उसे?’’

‘‘यह तो मैं ने सोचा ही नहीं,’’ पलाश हारे हुए जुआरी की तरह कुरसी पर धम से बैठ गया.

तभी अनीता को याद आया, ‘‘फोन नंबर तो है न, ईशा के पास उस का.’’

‘‘उस से भी कुछ नहीं होगा. ऐसे लोग सिम भी गलत नाम से लेते हैं और ईशा का सुसाइड मैसेज मिलने के बाद तो वह उस सिम को कब का नाली में फेंक कर अपना नंबर बदल चुका होगा.’’ ‘‘ओह, तो अब हम क्या करें? ईशा का नंबर तो उस के पास है ही, जैसे ही उसे पता चलेगा कि वह ठीक है, वह फिर से उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर देगा. और भी न जाने कितनी लड़कियों को अपना शिकार बना चुका होगा. क्या इस समस्या का कोई हल नहीं?’’

‘‘आप दिल छोटा मत कीजिए. यह काम मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं. मैं एक साइबर सिक्योरिटी ऐक्सपर्ट का नंबर आप को देता हूं. वे जरूर आप की मदद करेंगे.’

‘‘साइबर सिक्योरिटी ऐक्सपर्ट से आप का क्या मतलब है?’’

‘‘मतलब, जैसे दुनिया में छोटेबड़े अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस होती है, वैसे ही इंटरनैट की दुनिया यानी साइबर वर्ल्ड में भी तरहतरह के अपराध और धोखाधड़ी होती हैं, उन से निबटने के लिए कंप्यूटर के जानकार सिक्योरिटी ऐक्सपर्ट का काम करते हैं, ताकि इन स्मार्ट अपराधियों को पकड़ा जा सके. ये हमारी सरकार द्वारा ही नियुक्त किए जाते हैं और पुलिस और कानून भी इन का साथ देते हैं. आप आज ही जा कर मिस्टर अजीत से मिलिए.’’ अंधरे में जगमगाई इस रोशनी की किरण का हाथ थामे पलाश और अनीता उस ऐक्सपर्ट अजीत के औफिस में पहुंचे. ईशा को भी उन्होंने पूरी बात बता दी थी और उस लड़के के पकड़े जाने की उम्मीद ने उस के अंदर भी साहस का संचार कर दिया था. वह भी उन के साथ थी. उन सब की पूरी बात सुन कर अजीत एकदम गंभीर हो गया.‘‘बड़ा अफसोस होता है यह देख कर कि छोटेछोटे बच्चे पढ़ाईलिखाई की उम्र में इस तरह के घिनौने अपराधों में लिप्त हैं. आप की समस्या तो खैर हमारी टीम चुटकियों में सुलझा देगी. हमें बस इस लड़के का अकाउंट हैक करना होगा और सारी जानकार मिल जाएगी. फिर चैटिंग के सारे रिकौर्ड्स के आधार पर आप उसे जेल भिजवा सकते हैं.’’

‘‘क्या सचमुच यह सब संभव है?’’

‘‘जी हां, हमारे पास साइबर ऐक्सपर्ट्स की पूरी टीम है, जिन के लिए यह सब बहुत ही आसान है. हम लोग हर रोज करीब 15-20 ऐसे और बहुत से अलगअलग तरह के मामले हैंडल करते हैं. कुछ केस तो 1 ही कोशिश में हल हो जाते हैं, लेकिन कुछ में जहां अपराधी पढ़ेलिखे और कंप्यूटर के जानकार होते हैं वहां ज्यादा समय और मेहनत लगती है.’’ ‘‘तो क्या साइबर वर्ल्ड में इतनी धोखाधड़ी होती है?’’ ईशा ने हैरानी से पूछा.

‘‘बिलकुल,’’ अजीत ने जवाब दिया, ‘‘यह एक वर्चुअल दुनिया है. यहां जो दिखता है, अकसर वह सच नहीं होता. यहां आप एक ही समय में सैकड़ों रूप बना कर हजारों लोगों को एकसाथ धोखा दे सकते हैं. फेसबुक पर लड़कियों के नाम से झूठे प्रोफाइल बना कर दूसरी लड़कियों से मजे से दोस्ती करते हैं या उन्हें अश्लील मैसेज भेजते हैं. शादीविवाह वाली साइटों पर नकली प्रोफाइलों से शादी का झांसा दे कर अमीर लड़केलड़कियों को फंसाया जाता है. सोशल साइटों पर अकसर लोग अपनी विदेश यात्राओं, महंगी गाडि़यों आदि चीजों की फोटोग्राफ्स डालते रहते हैं. उन्हें यह नहीं पता होता कि कुछ अपराधी तत्व उन के अकाउंट की इन सारी गतिविधियों पर नजर रखे होते हैं. जब जहां मौका लगता है, चोरियां करवा दी जाती हैं. औनलाइन बैंकिंग बड़ी सुविधाजनक  है, लेकिन अगर कोई हैकर आप का अकाउंट हैक कर ले तो आप का सारा बैंक बैलेंस तो गया समझो.’’

‘‘अगर ये सब इतना असुरक्षित है तो क्या ये सब छोड़ देना चाहिए?’’ अनीता ने पूछा.

‘‘नहीं, छोड़ने की जरूरत नहीं. हमें जरूरत है सिर्फ थोड़ी सावधानी की, दरअसल, हमारे यहां जागरूकता का अभाव है. हम छोटेछोटे बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन और लैपटौप तो पकड़ा देते हैं लेकिन उन्हें उन के खतरों से अवगत नहीं कराते. उन्हें हर महीने रिचार्ज तो करा देते हैं लेकिन यह जानने की कोशिश नहीं करते कि बच्चे ने क्या डाउनलोड किया या क्याक्या देखा. उम्र के लिहाज से जो चीजें उन के लिए असल संसार में वर्जित हैं, वे सब इस वर्चुअल दुनिया में सिर्फ एक क्लिक पर उपलब्ध हैं.

‘‘कच्ची उम्र और अपरिपक्व दिमाग पर इन चीजों का अच्छा असर तो पड़ने से रहा. सो, वे तरहतरह की गलत आदतों में आपराधिक प्रवृत्तियों का शिकार हो जाते हैं. ये सब कुछ न हो, इस के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. बहुत छोटे बच्चों को अपने पर्सनल गैजेट्स न दें. पीसी या लैपटौप पर जब वे काम करें तो उन के आसपास रह कर उन पर नजर रखें ताकि वे किसी गलत साइट पर न जा सकें. चाइल्ड लौक सौफ्टवेयर का भी प्रयोग किया जा सकता है. फेसबुक या वाट्सऐप का प्रयोग करने वाले बच्चे और बड़े भी यह ध्यान रखें कि वे किसी के कितना भी उकसाने पर भी कोई गलत कंटैंट या तसवीरें शेयर न करें. अपनी सिक्योरिटी और प्राइवेसी सैटिंग्स को ‘ओनली फ्रैंड्स’ पर रखें ताकि कोई गलत आदमी उस में घुसपैठ न कर सके. अनजान लोगों से न दोस्ती करें न चैट. अगर कोई आप को गलत कंटैंट भेजता है तो उसे तुरंत ब्लौक कर दें और फेसबुक पर उस की शिकायत कर दें. ऐसी शिकायतों पर फेसबुक तुरंत ऐक्शन लेता है.

‘‘अपने ईमेल, फेसबुक, ट्विटर या बैंक अकाउंट्स के पासवर्ड अलगअलग रखें और समयसमय पर उन्हें बदलते रहें. किसी और के फोन या कंप्यूटर से कभी अपना कोई भी अकाउंट खोलें तो लौगआउट कर के ही उसे बंद करें. इन छोटीछोटी बातों पर अगर ध्यान दिया जाए तो काफी हद तक हम साइबर क्राइम से अपने को बचा सकते हैं,’’ इतना कह कर अजीत चुप हो गया. पलाश, अनीता और ईशा मानो नींद से जगे, ‘‘इन सब चीजों के बारे में तो हम ने कभी सोचा ही नहीं. लेकिन देर आए दुरुस्त आए. अब हम खुद भी ये सब ध्यान रखेंगे और अन्य लोगों को भी इस बारे में जागरूक करेंगे,’’ पलाश दृढ़ता से बोला.

अगले 2 दिन बड़ी भागदौड़ में बीते. अजीत और उन की टीम को उस लड़के नितिन की पूरी जन्मकुंडली निकालने में सिर्फ 2 घंटे लगे. पुलिस की टीम के साथ उस के घर से उसे दबोच कर उसे जेल भेज कर वापस लौटते समय तीनों बहुत खुश थे.

‘‘मौमडैड, मुझे माफ कर दीजिए. मेरी वजह से आप को इतनी परेशानी उठानी पड़ी,’’ अचानक ईशा ने कहा.

‘‘ईशा, तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं और तुम्हारे पापा तो जीतेजी मर जाते,’’ एकदम से अनीता की रुलाई फूट पड़ी, ‘‘कसम खाओ, आगे से कभी ऐसा कुछ करने के बारे कभी नहीं सोचोगी.’’ ‘‘नहीं, कभी नहीं. अब मैं सिर्फ अपनी पढ़ाई और भविष्य पर ध्यान दूंगी और ऐसी गलती दोबरा कभी नहीं करूंगी,’’ कहती हुई ईशा की आंखों में जिंदगी की चमक थी.

GHKKPM: विराट से मिलने के बाद सई का होगा भयंकर एक्सीडेंट, आएगा ये ट्विस्ट

नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा स्टारर सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है. शो का ट्रैक दर्शकों को कॉफी पसंद आ रहा है. हालांकि कई यूजर्स लीप आने के बाद मेकर्स को ट्रोल भी कर रहे हैं तो कई यूजर्स सपोर्ट कर रहे हैं. सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin Latest Episode) आपने देखा कि विराट सई की आवाज सुनकर चौंक जाता है। इसी बीच सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी में नया मोड़ आने वाला है. आइए बताते हैं, शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो में आप देखेंगे कि विराट गांव में पहुंचकर सवि और विनायक के साथ खूब मस्ती करता है. इस दौरान अचानक बारिश होने लग जाती है. बारिश में सई-विराट की नजर एक-दूसरे पर पड़ती है. सई को जिंदा देखकर विराट घबरा जाता है.

 

विराट बिना देर किए वहां से विनायक को लेकर चला जाएगा. विराट गुस्से में गाड़ी चलाएगा. इस दौरान विराट की गाड़ी का एक्सीडेंट होते होते बचेगा. विराट को यकीन ही नहीं होगा कि सई जिंदा है.

 

रिपोर्ट के अनुसार गुलाब राव सई को मरवाने के लिए साजिश रचेगा. गुलाब राव सई का एक्सीडेंट करवा देगा. इस एक्सीडेंट में सई बुरी तरह घायल हो जाएगी. दूसरी तरफ विराट परिवार के लोगों को सई के जिंदा होने का सच बता देगा. ये बात जानकर चौहान परिवार के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सई के आने के बाद पाखी-विराट के जीवन में क्या बदलाव आता है?

 

नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री पद की “पदयात्रा”

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए एक तरह से मानो तलवार खैंच ली है. वे लगातार राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं से मिल रहे हैं उनका यह भेंट मुलाकात का सिलसिला एक तरह से “प्रधानमंत्री पद” प्राप्त करने के लिए पदयात्रा के समान है.

देश में आज विपक्ष बिखरा बिखरा है. प्रधानमंत्री मोदी के पहले चुनाव को याद कीजिए 2014 से पहले, नीतीश कुमार ही वह शख्सियत थे जिन्होंने नरेंद्र मोदी को चुनौती दी थी. उनके रास्ते पर कांटा बन कर खड़े हो गए थे.

विपक्ष के साथ-साथ देश को भी यह उम्मीद थी कि नीतीश कुमार अपने व्यक्तित्व से मोदी को चुनौती दे सकते हैं मगर ऐसा नहीं हो पाया. आगे चलकर सारा किस्सा कहानी देश की आवाम को जानकारी में है ही.

नीतीश कुमार में एक बड़ी संभावना आज पुनः दिखाई दे रही है उनके पास 17 साल के मुख्यमंत्री पद का गौरवशाली इतिहास है और देश व्यापी पहचान भी. मगर यह भी सच है कि मध्यांतर में उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन करके अपनी छवि और भविष्य पर प्रश्न चिन्ह भी लगा लिया है. इस सब के बावजूद वे  सक्रिय रूप से आज अपनी भूमिका निभा रहे हैं वह प्रबल संभावना की ओर इंगित करता है कि आने वाले समय में नीतीश कुमार नरेंद्र दामोदरदास मोदी के सामने एक बड़ी चुनौती बन करके खड़े हो सकते हैं.

नीतीश कुमार की “पदयात्रा” के पड़ाव

यह सच है कि नीतीश कुमार के भाजपा से अलग होकर के कांग्रेसी और राष्ट्रीय जनता दल के साथ तालमेल करके भाजपा को और सबसे अधिक प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को घात दिया है.

क्योंकि घटनाक्रम बता रहा है कि आज के सत्तासीन केंद्र के यह नेता विपक्ष और दूसरी पार्टियों को एक तरह से समूह खत्म कर देना चाहते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार एक बड़ा चेहरा देश के सामने उपस्थित हुआ है और यह लगातार देश के बड़े नेताओं से संपर्क कर रहे हैं और सब को एकजुट कर रहे हैं साथ-साथ देश को संदेश दे रहे हैं कि – विपक्ष अभी जिंदा है.

नीतीश कुमार ने 6 सितंबर को को दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के कई प्रमुख नेताओं से मुलाकात एक बड़ा संदेश दे दिया है. उन्होंने राजनीति का दांव चलते हुए कहा कि वह न तो प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं और न ही इसके लिए इच्छुक हैं.मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यालय में पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव डी राजा से मुलाकात करने के बाद कुमार ने पत्रकारों से कहा कि यह समय वाम दलों, कांग्रेस और सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर एक मजबूत विपक्ष का गठन करने का है.

इस तरह नीतीश कुमार ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल शुरू कर दी है. इस पहल के तहत नीतीश कुमार  आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के लिए उनके आवास पर पहुंचे। मौके पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और जनता दल ( एकी) नेता -संजय झा भी मौजूद थे.

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया  मेरे घर पधारने के लिए नीतीश कुमार का शुक्रिया. कुमार उनके साथ देश के कई गंभीर विषयों पर चर्चा की. उन्होंने अपने ट्वीट में बताया कि उनके साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, आपरेशन लोटस, खुलेआम विधायकों की खरीद फरोख्त कर चुनी सरकारों को गिराना, भाजपा सरकारों में बढ़ता निरंकुश भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.

दरअसल,आम आदमी पार्टी इन मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर हमले बोल रही है. वहीं नीतीश ने कहा कि हमारी कोशिश क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट करने की है. यदि सभी क्षेत्रीय पार्टियां मिल जाएं तो यह बहुत बड़ी बात होगी और हम मिलकर देश के लिए एक माडल तैयार करने पर काम कर रहे हैं.

इससे पहले नीतीश कुमार ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की और यह संदेश दे दिया है कि नीतीश कुमार एक ऐसी पद यात्रा पर निकल पड़े हैं जो आने वाले समय में उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा सकती है .

किंजल को तोषु से हमेशा के लिए दूर करेगी राखी, शाह हाउस में होगा तमाशा

सीरियल ‘अनुपमा’ में तोषु के एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर का सच शाह परिवार के सामने जल्द ही आने वाला है. राखी दवे शाह परिवार को तोषु के हरकतों की बारे में बताने वाली है. शो में अब तक आपने देखा कि राखी तोषु को जमकर जलील करती है. तो दूसरी तरफ किंजल और बेबी का शाह हाउस में शानदार स्वागत किया जा रहा है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं, शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो के आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि किंजल और बेबी शाह हाउस आ चुके हैं. किंजल का स्वागत धूमधाम से किया जा रहा है. इस दौरान अनुपमा सारी रस्में निभाएगी. दूसरी तरफ राखी किसी तरह अपने गुस्से को कंट्रोल करेगी.

 

मौका मिलते ही राखी तोषु और वनराज पर निशाना साधेगी. तोषु के एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर के बारे में जानकर किंजल और अनुपमा के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. ऐसे में किंजल अनुपमा की तरह तोषु को भी तलाक देने का फैसला करेगी.

 

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राखी कहेगी कि वो किंजल और उसके बच्चे को अपने साथ लेकर जाएगी. ये बात सुनकर शाह परिवार में हड़कंप मच जाएगा. राखी किंजल और तोषु से हमेशा के लिए दूर करना चाहेगी. इसी बीच अनुज वीडियो कॉल के जरिए किंजल के बेबी को देखेगा.

 

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तो दूसरी तरफ बरखा अनुज के लिए हलवा बनाकर लाएगी. बरखा को देखते ही अनुज का पारा चढ़ जाएगा। अनुज बिना बात के बरखा पर भड़क जाएगा. अनुज का गुस्सा देखकर बरखा घबरा जाएगी. ऐसे में जीके अनुज को संभालेगा.

 

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