‘‘दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय,’’ जी हां, यही हाल होता है पतिपत्नी के बीच में पड़ने वालों का. लेकिन किसी न किसी को तो दोनों की लड़ाई में बीचबचाव करना ही पड़ता है. पति चाहता है कि दोस्त पत्नी का साथ देने के बजाय उस का साथ दे, वहीं पत्नी भी यही चाहती है कि कम से कम दोस्त की पत्नी तो उस की तरफदारी करे.
अब अगर दोस्त अपने दोस्त का पक्ष लेता है तो दोस्त की पत्नी उस से नाराज हो जाएगी और अगर दोस्त दोस्त की पत्नी का साथ देता है तो दोस्त उस से नाराज हो जाएगा और सब से बड़ी बात यह कि जब पतिपत्नी में सुलह हो जाएगी तो बीचबचाव करने वाले दोस्त की उन की नजरों में कोई अहमियत नहीं रह जाएगी.
अपर्णा का पति राज अपनी पुरानी महिला मित्र को अपनी शादी का अलबम दिखाने के लिए अपने कमरे में ले गया. थोड़ी देर बाद अपर्णा जब कमरे के पास पहुंची तो देखा, राज ने दरवाजा अंदर से बंद कर रखा था. अपर्णा के मन में कई सवाल उठने लगे और उस का मूड खराब हो गया और फिर पति की मित्र के जाते ही दोनों में खूब झगड़ा हुआ.
असमंजस की स्थिति
दिनेश और राज बहुत अच्छे दोस्त थे. अब अगर दिनेश अपने दोस्त राज की बात को नकारता तो राज कहता कि मेरी पत्नी से डरता है. जबकि राज की पत्नी अपर्णा अपनी जगह बिलकुल ठीक थी. अत: दिनेश यह सोच कर चुपचाप खिसक लिया कि अगर वह दोनों का घर बचा नहीं सकता तो तोड़ने वाली बात करने का भी उसे कोई हक नहीं है.
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