दुनियाभर के हैल्थ सिस्टम में तकनीकी बदलाव हो रहे हैं. अस्पतालों में औपरेशन के लिए रोबोटिक सर्जरी तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल रहा है. हैल्थ केयर में सुविधा के तौर पर इसे देखा जा रहा है. अब चिकित्सक के हाथ नहीं, बल्कि यांत्रिक बांहों वाले उपकरण सर्जरी करेंगे और चिकित्सक दूर बैठे ऐसा होता देख सकेंगे. अगर रोबोट घर के काम में मदद कर सकता है तो औपरेशन में क्यों नहीं? विज्ञानकथा जैसी अवधारणा अब संभव है.

तभी तो अब यह डाक्टर के नहीं, रोबोट के हाथ में है कि वह सावधानी से आप के पेट को काटे, फिर यूट्रस में स्थित ट्यूमर को हटाए और आप देखें कि आप के पेट या शरीर पर टांकों का निशान तक नहीं आया है. यह सब तब होता है जब डाक्टर 6 मीटर की दूरी पर बैठा हो. मानव जीवन विकसित हो रहा है और उस के साथ ही तकनीक भी. इसीलिए चिकित्सा क्षेत्र में रोबोट की मदद औपरेशन विधि को आसान बना रही है. इस प्रक्रिया में सर्जन सारे चरणों को कोनसोल (स्विच और नौब का पैनल जिन का प्रयोग मशीन चलाने के लिए किया जाता है) से कंट्रोल करता है.

इस दौरान वह वही गतिविधियां करता है जो वह पारंपरिक सर्जरी में करता है. ये गतिविधियां 4 रोबोटिक बांहों और उपकरणों में संचारित की जाती हैं जो वास्तव में मरीज की सर्जरी करते हैं. रोबोटिक उपकरणों का फायदा यह है कि उन की गति में वह पकड़ होती है जो इंसान की कलाई और उंगलियों में नहीं होती और उसे थ्रीडी में देखा जा सकता है. इस से लंबे औपरेशन के दौरान डाक्टर को थकावट का सामना नहीं करना पड़ता. ये रोबोटिक बांहें 5-10 मिलीमीटर के छेदों से काम करती हैं और इस में दर्द भी कम होता है. केस स्टडी 1 पलवल गांव के 81 वर्षीय धरमपाल सिंह का रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से सिंगल वेसल बाईपास किया गया.

उन की कोरोनरी धमनियों में ब्लौकेज था जिस से धमनियों की अंदरूनी सतह पर कोलैस्ट्रौल और फैट जमा हो गया था. और ब्लौकेज की वजह से ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत आ रही थी. औपरेशन करने के 5 दिनों बाद ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई और अब वे पूरी तरह स्वस्थ व फिट हैं. रोबोटिक सर्जरी में हार्ट के औपरेशन के लिए सर्जरी की आम विधि के विपरीत केवल तीनचार छोटे चीरे लगाए जाते हैं और हार्ट तक पहुंचने के लिए छाती को नहीं खोला जाता है.

कम दर्द, जल्दी रिकवरी, कम ब्लड लौस और इन्फैक्शन के कम खतरे के साथसाथ अस्पताल में भी कम समय तक रहना पड़ता है. केस स्टडी 2 दिल्ली की दीपा वैद की रोबोटिक असिस्टेड हिस्टरक्टोमी (यूट्रस रिमूव किया गया) की गई. अत्यधिक ब्लीडिंग होने की वजह से वे काफी दिनों से परेशानी ?ोल रही थीं. उन्होंने जब इस सर्जरी के बारे में सुना तो उन्हें यह सोच कर राहत महसूस हुई कि कम से कम पेट कटने के दर्द और टांकों के निशान को नहीं सहना पड़ेगा.

आज वे एकदम हैल्दी हैं और अपने दैनिक काम चुस्ती से करने में सक्षम भी. केस स्टडी 3 18 महीने का मास्टर आदित्य खंडेलवाल ग्रेड 5 लेफ्ट वेसिको यूरेटेरिक रिफ्लक्स (वीयूआर) से पीडि़त था. उस के यूरेटर और ब्लैडर के बीच स्थित वौल्व ठीक तरह से काम नहीं कर रहा था और इस कारण उस का यूरिन फ्लो एब्नौर्मल हो गया था. जब वह यूरिन करता तो वह वापस किडनी में चला जाता और इस से इन्फैक्शन की प्रौब्लम हो गई थी. 4 छोटे कट लगा कर रोबोटिक सर्जरी द्वारा उस का औपरेशन किया गया. इस औपरेशन में केवल 2 घंटे लगे और आदित्य को तीसरे दिन छुट्टी दे दी गई.

ये तीनों ही सर्जरी इंटरनैशनल सैंटर फौर रोबोटिक सर्जरी में की गईं. आखिर क्या होती है रोबोटिक सर्जरी रोबोटिक सर्जरी सब से एडवांस्ड मिनिमली इन्वैसिव सर्जरी (एमआईएस) है. यह आमतौर पर छोटे (फिंगर टिप आकार के) चीरे के द्वारा की जाती है. इस के नाम से मन में खयाल आ सकता है कि यह जैसे रोबोट की सहायता से की जाती हो पर ऐसा है नहीं. इंटरनैशनल सैंटर फौर रोबोटिक सर्जरी के डा. अनंत कुमार के अनुसार, ‘‘रोबोटिक सर्जरी के रिजल्ट पारंपरिक सर्जरी की तुलना में अधिक पौजिटिव हैं.

इस में मरीज बहुत तेजी से स्वस्थ होता है और इस के बाद काम करने में उसे किसी तरह की परेशानी नहीं आती है. यह सुपीरियर प्रणाली अधिक सटीक टिश्यू आईडैंटीफिकेशन जैसे 3 डीएचडी विजन, 10 गुणा मैग्नीफिकेशन के साथ हाई डैफिनेशन विजन, ब्राइट, हाई रिजोल्यूशन इमेज के साथ मरीज के शरीर में बेजोड़ शक्ति प्रदान करती है.’’ चैन्नई में रोबोटिक सर्जरी से किडनी से कैंसरग्रस्त ट्यूमर बिना खुले औपरेशन के निकाले गए और किडनी को नुकसान भी नहीं हुआ. राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट ने भारत में भी एसएसआई मंत्रारोबोटिक सर्जरी मशीन से काम शुरू कर दिया गया है. यह काम पहले डा. विंसी सिस्टम पर ही संभव था जो 5 से 12 करोड़ का है और केवल बड़े अस्पताल ही इसे लगवा पाते हैं. डा. विंसी सर्जिकल सिस्टम अमेरिका की एक कंपनी इंट्यूटिव सर्जिकल बना रही है.

इस कंपनी की मशीनों का सौफ्टवेयर अमेरिकी कंपनी के पास ही है और यदि खराब हो जाए तो कई बार महीनों मशीनें खराब रहती हैं. इसलिए मरीजों को पक्का कर के जाना चाहिए कि किस अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी की मशीनें पर्याप्त तौर पर उपलब्ध हैं द्य होटल में जाने से पहले सुरक्षा उपाय देखें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के होटल लिवाना सूट्स में आग लग गई. हादसे में 4 लोगों की मौत और 9 घायल हो गए. इन में लखनऊ के ही रहने वाले गुरनूर आनंद और साहिबा कौर भी थे. दोनों मंगेतर थे. इन की शादी होने वाली थी. ये गणेशगंज के सराय फाटक के रहने वाले थे. अभी हाल में दोनों की शादी तय हुई थी और दोनों मंगेतर थे. होटल में पार्टी चल रही थी, जहां ये दोनों लोग शामिल होने गए थे. आजकल अपने ही शहर में भी होटलों में रहने का कल्चर बढ़ गया है. कई बार घर छोटे होते हैं तो मेहमानों के आने पर उन को होटल में ठहरा दिया जाता है.

कई मंगेतर और दोस्त टाइप लोग भी एकांत में समय गुजारने के चक्कर में होटलों में रुकने लगे हैं. आमतौर पर कुछ लोग देररात की पार्टी के बाद जब घर जाने की हालत में नहीं रहते तो वहीं होटल में रुक जाते हैं. ऐसे में नशे में होने के कारण गहरी नींद का असर अधिक हो जाता है, जिस से किसी तरह की गंध का शुरुआत में पता नहीं चल पाता. होटल लिवाना में मरने वाले सभी की मौत दम घुटने के कारण हुई थी. इस से यह पता चलता है कि गहरी नींद में होने के कारण उन को शुरुआत में आग लगने से धुएं का पता ही नहीं चला होगा. अगर आप किसी होटल में रुक रहे हैं तो सुरक्षा उपायों को देख लें. आजकल होटलों में आग बु?ाने की सुविधा है. इस के साथ ही साथ फायर अलार्म भी होता है.

दिक्कत की बात यह होती है कि ग्राहक इन बातों की तरफ ध्यान नहीं देता है. ऐसे में सब से पहले जरूरत इस बात की होती है कि होटल को सही तरह से देख कर वहां रुकें. सुरक्षा के उपाय देख लें. खासकर इमरजैंसी में कैसे होटल से बाहर निकलना है, इस की जानकारी जरूर ले लें. ये जानकारियां आप होटल के स्टाफ या मैनेजमैंट से ले सकते हैं. अगर होटल का स्टाफ इस को देने से आनाकानी करता है तो इस की शिकायत की जा सकती है. होटल में ही एरिया के पुलिस थाने का नंबर लिखा होता है. अगर नहीं भी लिखा है तो होटल से मांग सकते हैं. आजकल इंटरनैट पर भी ऐसे जरूरी नंबर मिल जाते हैं. तमाम होटलों में सुरक्षा के यंत्र तो लगे होते हैं पर जरूरत पड़ने पर वे काम नहीं करते. ग्राहक इन को भी देख सकता है. इन की भी जानकारी होटल प्रबंधतंत्र से ले सकता है. सुरक्षा आप की है, इस का खयाल आप को ही रखना है.

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