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राखी और शर्लिन में हुई जमकर लड़ाई, पुलिस तक पहुंचा मामला

शर्लिन चोपड़ा और राखी सावंत के बीच की लड़ाई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है, इस बीच दोनों अदाकाराओं ने खुलकर एक दूसरे के खिलाफ जुबानी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

दोनों के बीच मामला इतना ज्यादा बढ़ गया कि मामला थाने तक पहुंच गया, जिसके बाद दोनों अदाकाराओं ने एक दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है.

 

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इस बारे में बात करते हुए मुंबई पुलिस ने बताया कि राखी और वकील ब्रह्मभट्ट के खिलाफ शर्लिन ने एफआईआर दर्ज करवाई है. आईटी अधिनियम के कई धराओं के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. प्रेस कॉफ्रेस के दौरान आपत्तिजनक वीडियो को शेयर किया गया जिसपर विवाद और भी ज्यादा बढ़ गया.

इससे पहले राखी सावंत ने होशियारपूर थाने में शर्लिन चोपड़ा के खिलाफ केस दर्ज करवाई थी. जिसके बाद शर्लिन ने राखी सावंत के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल की थी. उन्होंने शर्लिन चोपड़ा पर बॉयफ्रेंड बदलने के आरोप लगाएं थें.  इन दोनों की लड़ाई खूब चर्चा में बना हुआ है.

इससे पहले भी कई बार दोनों  के बीच लड़ाई हुई है, दोनों अपने अपने कैरियर औऱ बॉयफ्रेंड को लेकर लड़ती नजर आती हैं, वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया पर राखी और शर्लिन की लड़ाई के चर्चे कर रहे हैं.

Bigg Boss 16 : शिव ठाकरे के खिलाफ गौहर खान ,अर्चना को किया सपोर्ट

कलर्स टीवी के विवादित शो बिग बॉस 16 के लेटेस्ट एपिसोड में खूब हंगामा मचा हुआ है, टिश्यू पेपर को लेकर हुआ विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि घर वालों की रात की नींद उड़ गई. अर्चना गौतम कॉमन रूम से रासश चुराकर रखने लगी. इसके साथ ही उन्होंने कुछ टिश्यू पेपर भी अपने साथ चुराकर रख लिया.

जिसे देखकर शिव ठाकरे गुस्सा हो गए. वहीं किचन में खड़ी टीना दत्ता ने शिव ठाकरे को भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ा. वह अर्चना की बातों को मुद्दा बनाने लगी. शिव ठाकरे ने अर्चना गौतम को इतना बोला कि मौके पर लड़ाई बढ़ती गई और अर्चना ने शिव का गला पकड़ लिया.

इसी लड़ाई में तमाम लोग अर्चना का फेवर करते नजर आ रहे हैं, बिग बॉस 7 कि विनर रह चुकी गौहर खान ने अर्चना का फेवर किया है. उन्होंने अर्चना के पक्ष में अपनी राय रखी है.

इसके साथ ही गौहर खान ने बैक टू बैक कई सारे ट्विट किए हैं, उन्होंने ट्विट में लिखा है सिर्फ दीदी बोलने का उकसाने का नहीं, आगे उन्होंने लिखा कि किसी का गला पकड़ना गलत है इसके लिए सजा भी मिलनी चाहिए. लेकिन क्या मैं पूछ सकती हूं कि जब जाति संप्रदाय के बारे में बोलना गलत है तो नेशनल पार्टी के नेता का नाम उछालना गलत नहीं है.

सर्कस जैसा करतब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब चीताचीता करेंगे क्योंकि नामीबिया से मंगाए 8 चीतों को जंगल में छोडऩे की रस्म को उन्होंने खुद पूरा किया है. इस से यह साफ है कि देश के नेताओं के सामने प्राथमिकताएं न बेरोजगारी है, न महंगाई, न बढ़ता भेदभाव, न औरतों की सुरक्षा. बीती 17 सितंबर को चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नैशनल पार्क में छोडऩे के लिए नरेंद्र मोदी गए तो वहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी गए और एयरफोर्स को लगाना भी पड़ा.

स्पैशल हवाई जहाज से मंगाए गए ये 8 चीते कितने साल भारत में जिंदा रहेंगे और इन के कितने बच्चे पैदा होंगे, यह पता नहीं. ये अफ्रीकी चीता हैं. इन्हें न भारत के जंगलों का अतापता है, न यहां के जानवरों का टेस्ट इन्हें आता है.

70 साल पहले लुप्त हो गए चीतों को फिर से लाने का काम पशु वैज्ञानिकों का है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इसे तमाशा बना कर देश के सामने पेश करना सर्कस दिखाने जैसा लगता है, जबकि देश हर मोरचे पर बुरी तरह कराह रहा है.

चीतों को छोड़ने के लिए नरेंद्र मोदी खुद कूनो पार्क गए तो भाजपाई नेता राहुल गांधी को कोसने से कुछ समय निकाल कर चीता गुणगान करते दिखे. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर मोदीभक्ति प्रदर्शित की. वहीं, तेजस्वी सूर्या, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वसुंधराराजे सिंधिया जैसे नेता या तो वहां पहुंचे या उन्होंने 4-5 ट्वीट किए ताकि नरेंद्र मोदी की आईटी टीम को उन की अंधभक्ति का पता चल जाए.

जिस विमान से चीतों को लाया गया, उसे चीते का रंग दिया गया था. चीतों का ऐसा स्वागतसत्कार हुआ कि लगता था जैसे किसी बड़े देश का राष्ट्रपति आया हो. लगता है मोदी को किसी ने पट्टी पढ़ा दी थी कि चीतों में रुचि दिखा कर देश की मुसीबतों से देशवासियों का ध्यान बंटाया जा सकता है. जो काम इंडियन फौरेस्ट औफिसर्स का था वह प्रधानमंत्री करने लगे तो 10-20 करोड़ की जगह 400-500 करोड़ रुपए स्वाहा हो जाएं, तो बड़ी बात नहीं.

चीता न तो भारत का राष्ट्रीय पशु कभी रहा है, न यह गाय जैसा पूजनीय जानवर है. चीतों पर सत्तापक्ष और उस के गोदी मीडिया द्वारा इतना हल्ला मचाना यह दर्शाता है कि अब देश को मालूम नहीं कि समस्याओं का करना क्या है. और जनता का ध्यान बंटाने के लिए उसे सर्कस दिखाने जैसा ही कुछ करतब करना होगा. रोमन साम्राज्य में भी ऐसा होता था, यह न भूलें.

दुनियादारी- भाग 3 : किसके दोगलेपन से परेशान थी सुधा

‘‘हां जीजी, देखना ऐसा स्वादिष्ठ खाना बनाऊंगी कि ससुराल जा कर भी याद करेंगी.’’

सुधा मुंहबाए कभी जीजी की ओर देखती तो कभी सीताबाई की ओर. अभी तो बाबूजी को गुजरे 12 दिन भी नहीं हुए थे और यह मंजर.

खैर, बहती गंगा में हाथ धोने के अलावा चारा भी क्या था. सुधा भी वैसे ही करती जैसे अन्य सभी.

अचानक से बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आई तो सभी चौंक पड़े.

‘‘अरे गोरखपुर वाले चाचाचाचीजी आए हैं. जा सुधा, जा कर बैठक में बैठ जा. हां, पल्लू सिर पर रखना. अभी बाबूजी को गुजरे 12 दिन भी नहीं हुए हैं. ज्यादा कचरपचर मत करना. चाची थोड़ी चालाक हैं. घर के अंदर की बात उगलवाना चाहेंगी. ध्यान रखना कुछ उलटासीधा मत बक देना.’’

सुन कर सुधा हक्कीबक्की रह गई. वही जीजी जो अभी तक परिधानों व पकवानों का चुनाव कर रही थीं, अचानक यों गिरगिट की तरह रंग बदल लेंगी, सोचा भी न था उस ने.

सिर पर पल्लू ओढ़ कर सुधा चाचीजी के पास बैठ गई. कुछ औपचारिक बातों के बाद चाचीजी से रहा न गया. वे पूछ ही बैठीं, ‘‘क्यों सुधा, बंटवारा तो कर गए न भाईजी, जायदाद तो काफी थी उन के नाम.’’

सुधा अब तक इस बेमौसम की बरसात की आदी हो चुकी थी, बोली, ‘‘चाचीजी, वह सब तो भाई लोग जानें. मैं तो अपने काम में इतनी व्यस्त रहती हूं कि इन सब बातों के विषय में सोचने का भी समय नहीं मिलता.’’

अब तक चाचीजी की नजर सुधा के हाथों पर पड़ चुकी थी, ‘‘अरे, यह क्या, सोने की पुरानी चूडि़यां पहन रखी हैं. तेरे पास हीरे की चूड़ी है न. ऐसे मौके पर नहीं पहनेगी तो कब काम आएंगी?’’

जीजी तो जीजी, चाचीजी भी. सुधा हैरान थी. ये सब एक थैली के चट्टेबट्टे हैं या शायद दुनिया की यही रीत है.

उसे अब शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी. अपनी नादानी पर भला उस के पास क्या कमी थी गहनों व साडि़यों की जो यों ही मुंह उठा कर चली आई. उस ने अपने हाथों के साथसाथ साड़ी को छिपाने की भी नाकामयाब कोशिश की. उसे लगा कि बिना किसी सजधज के आना उस की भावुकता नहीं, उस की मूर्खता की निशानी है.

उधर अंदर जीजी कीमती पशमीना शौल ओढ़े बतिया रही थीं. जब से बाबूजी की बीमारी की खबर सुनी, एक निवाला गले से न उतरा. दो साड़ी ले दौड़ी आई मैं तो. आखिर बाप था, कोई दूसरा थोड़े था. अरे कुछ जिम्मेदारी भी तो होती है बड़ों की. भाभियां तो मेरी भोली हैं, दुनियादारी नहीं जानतीं. सुधा, जीजी की इस बात से सहमत थी.

वह तो अब इस  सोच में थी कि जिस धूमधाम से बारहवें दिन की तैयारी करवाई जा रही थी, उस से तो निश्चित ही था कि बड़ी संख्या में मेहमान रहेंगे. सुधा ने एक नजर फिर अपनी साड़ी व चूडि़यों पर डाली. बारहवें दिन भी पहनने के लिए उस के पास इस से बेहतर विकल्प नहीं था और उस दिन चाचीजी जैसी कई और महान हस्तियों का आगमन हो सकता था.

वह बड़ी उलझन में पड़ गई. एक मन तो यह कह रहा था कि ऐसे वक्त में ऐसी सजधज दिखावा ठीक नहीं, दूसरी ओर वही मन उसे समझा रहा था, ‘तुझे भी उस दिन के लिए अच्छी साड़ी व चूडि़यों की व्यवस्था कर लेनी चाहिए क्योंकि यही दुनिया की रीत है और तू भी इसी दुनिया में रहती है.’

जमींदोज हुई मोहब्बत

‘‘वाह! क्या लड़की है,’’ फरहीन के कान से मीठी आवाज टकराई. उस ने
पलट कर देखा. उस के पीछे बेहद हैंडसम एक नौजवान खड़ा उसे प्यारभरी नजरों से देखे जा रहा था, ‘‘बहुत खूब, लगता है यह तो इंद्रलोक से कोई अप्सरा उतर आई है.’’ वह नौजवान धीमी आवाज में अपने होंठों पर बुदबुदा रहा था.‘‘जनाब, किसे देख कर आप ये कसीदे पढ़े जा रहे हैं?’’ फरहीन उस नौजवान को घूरते हुए बोली.

‘‘जी, आप को देख कर. आप की तारीफ में. आप हैं ही इतनी खूबसूरत.’’‘‘मियां, आप तो बड़े बेशरम किस्म के इंसान निकले. इस से पहले कभी खूबसूरत लड़की नहीं देखी है क्या आप ने?’’ थोड़ी तुनक कर फरहीन बोली.‘‘लड़कियां तो बहुत देखी हैं, मगर आप जैसी बला की खूबसूरत पहली बार देखी है, जिसे देखते ही मैं ने अपना दिल और दिमाग सब कुछ खो दिया. बड़ी फुरसत से आप को बनाया है.’’नौजवान की नशीली बात सुन कर फरहीन का चेहरा शर्म से सुर्ख हो गया. शर्म से मुसकराते हुए उस ने नजरें नीचे झुका लीं. दोनों हथेलियों के बीच चेहरा छिपाती हुई बोली, ‘‘आप तो सचमुच में बड़े बेशरम हैं जनाब, जो मुंह में आया बके जा रहे हैं. छिऽऽ’’ कहती हुई फरहीन शरमाती हुई कमरे में दाखिल हो गई तो वह नौजवान भी उस के पीछेपीछे हो लिया था.

उस स्मार्ट नौजवान का नाम था मुकीम अहमद और वह फरहीन के नानाजान के मकान के पड़ोस वाले मकान में अपने अम्मीअब्बू के साथ रहता था. फरहीन के नाना उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के खोडारे थाने के सेहरी के रहने वाले थे. फरहीन का ननिहाल में मन ज्यादा लगता था. नानानानी और मामा उसे बहुत प्यार करते थे इसीलिए ननिहाल की ओर उस का झुकाव कुछ ज्यादा ही रहता था.बहरहाल, फरहीन जब कमरे में दाखिल हुई तो मुकीम भी उस के पीछेपीछे हो लिया. फरहीन को आभास हो रहा था कि कोई उस के पीछेपीछे आ रहा है. फिर पलट कर जब उस ने देखा तो वहां मुकीम ही खड़ा था.

‘‘एक बार समझाने पर आप के समझ में बात नहीं आती है?’’ फरहीन गुस्से से बोली, ‘‘मैं समझाए जा रही हूं और आप जनाब हैं कि बात समझ ही नहीं रहे.’’‘‘मोहतरमा, आप चाहे जो कुछ भी कह लो, पर बंदा हूं बड़े हरामी किस्म का.’’ मुकीम उस की बात बीच में काटते हुए आगे बोला, ‘‘मुझे पहली ही नजर में आप से इश्क हो गया है. इश्क ऐसा कि न लगे लगाए और न बुझे बुझाए.’’‘‘सच में आप बडे़ हरामी किस्म के बंदे हैं.’’ वह बोली.

‘‘अब तो आप ने माना सचमुच मैं हरामी किस्म का आशिक हूं.’’‘‘जनाब को सचमुच मुझ से इश्क हो गया है?’’‘‘हां, सचमुच मुझे आप से इश्क हो गया है. पहली ही नजर में इश्क हो गया है. आप मुझे अगर नहींमिलीं तो कसम खाता हूं, मैं जहर खा कर अपनी जान दे दूंगा.’’‘‘तब तो आप के बारे में मुझे सोचना होगा, जनाब.’’‘‘तो जल्द सोचिए न, ताकि इस कोरे दिल पर मैं अपनी मोहब्बत की इबारत लिख सकूं जिसे सदियों तक याद रखा जाए.’’‘‘आमीन…’’ झुक कर फरहीन ने उसे अदब से सलाम किया और शरमाती हुई कमरे से बाहर निकल कर दूसरे मकान में घुस गई.ये बात साल 2018 की है, तब फरहीन की 15वीं बसंत पूरी नहीं हुई थी. वह कली से ताजाताजा फूल बन रही थी. उस फूल पर भौरे रूपी आशिक मुकीम की सब से पहले नजर पड़ी थी.

दिल में दे दिया मुकाम

पहली नजर में उस ने फरहीन को अपने दिल में मुकाम दे दिया था. उस के जिस्म के जर्रेजर्रे पर अपने प्यार का नाम लिख दिया था. प्यार की पहल सब से पहले मुकीम की ओर से शुरू हुई थी. प्याररूपी कांटे में अहसासरूपी चारा भी उसी की ओर से डाला गया था.कच्ची उम्र की फरहीन मुकीम को बखूबी जानती और पहचानती थी. वह उस के नाना के मकान के पड़ोस वाले मकान में रहता था. उस के ननिहाल के ठीक सामने वाले मकान में अकलीमुन्निशां नाम की एक औरत रहती थी. रिश्ते में वह मुकीम की बुआ लगती थी.

अकलीमुन्निशां और फरहीन के नाना के घर में काफी दिनों से उठनाबैठना और खानापीना था. दोनों परिवारों के बीच में संबंध काफी मधुर थे. दुखसुख में दोनों ही परिवार एकदूसरे की मदद के लिए खड़े रहते थे.मुकीम अकसर बुआ का हालचाल लेने उन के घर आता रहता था. उस दौरान जब कभी फरहीन वहां मौजूद रहती थी तो हंस कर 2-4 बातें मुकीम से कर लिया करती थी. उस के हंस कर बात करने की अदा को मुकीम प्यार समझ बैठा था और इसी के बाद से उस का झुकाव फरहीन की ओर बढ़ता गया था.

उम्र के जिस पड़ाव पर फरहीन खड़ी थी, अकसर उस उम्र में लड़के और लड़कियों के पांव बहक ही जाते हैं. मुकीम की मीठीमीठी बातों से फरहीन के दिल में भी कुछकुछ होने लगा था. मुकीम की जुबान से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर फरहीन के दिल को अच्छा लगा था.मोहब्बत की आग फरहीन और मुकीम के दिलों में बराबर की लगी हुई थी. एकदूसरे को देखे बिना दोनों को सुकून नहीं मिलता था. किसी न किसी बहाने दोनों अकलीमुन्निशां के घर मिल ही लेते थे.

इश्क की पाकीजा इबारत मुकीम की फूफी अकलीमुन्निशां के घर में लिखी गई थी. उन के प्रेम के बीजाकुंरण की दास्तान भी अकलीमुन्निशां ने ही लिखी थी. दोनों के प्यार की कहानी को वह जानती थी और दोनों को मिलने के लिए अपना एक कमरा भी दे दिया था, जहां बैठ कर घंटों दोनों प्यार की बातें किया करते थे.दोनों का प्यार शबाब पर था. इश्क के रंगीन रथ पर सवार हो कर दोनों प्यार का घरौंदा बनाने के सपने देख रहे थे.एकदूसरे को पा कर वे बेहद खुश थे. एक दिन की बात है. वक्त दोपहर का था. फरहीन जब मुकीम से मिलने अकलीमुन्निशां के घर पहुंची तो मुकीम उस के आने की राह देख रहा था.
जैसे ही उस की नजर के चेहरे से टकराई, उस के दिल के तार झनझना उठे. उस की सांसों की रफ्तार तेज हो गई थी. ऐसा ही कुछ आलम फरहीन का भी था. मुकीम को देख कर उस का दिल जोरजोर से धड़कने लगा था. दोनों करीब खड़े एकदूसरे को अपलक देखे जा रहे थे.

मर्यादा लांघ कर हो गए दो जिस्म एक जान

तभी मुकीम ने खींच कर फरहीन को अपनी बांहों में भर लिया तो वह कसमसा कर रह गई. प्यार की बांहों में समा कर उसे बड़ा मजा आ रहा था. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे में खाते चले गए और समंदर की गहराइयों में डूबते चले गए. आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी. इस आग को शांत करने के लिए उस दिन वे अपनी मर्यादा की सीमा लांघ कर 2 जिस्म एक जान हो गए.जब दोनों होश में आए तो बहुत देर हो चुकी थी. उस दिन के बाद से फरहीन और मुकीम जब भी मिले, अपने जिस्म की आग को ठंडी कर लेते थे. इस का परिणाम क्या हो सकता था? इस के बारे में न तो फरहीन ने सोचा था और न ही मुकीम ने.परिणाम यह हुआ कि फरहीन गर्भवती हो गई. उस ने जब ये बात मुकीम और फूफी को बताई तो दोनों के होश फाख्ता हो गए.

फरहीन की कोख में 4 महीने का बच्चा पल रहा था. मुकीम और उस की फूफी के होश पहले से ही फाख्ता हो चुके थे. वे किसी भी कीमत पर इस बच्चे को दुनिया में नहीं आने देना चाहते थे. इसलिए दोनों ने मिल कर उस के गर्भपात कराने का फैसला लिया. यही नहीं, बाजार से अकलीमुन्निशां गर्भपात की गोलियां खरीद लाई और धोखे से फरहीन को खिला दीं, जिस का नतीजा उलटा हुआ.फरहीन की हालत ज्यादा बिगड़ गई थी. उस का रक्तस्राव रुक ही नहीं रहा था. हालत जब काफी नाजुक हो गए तो मुकीम और उस की फूफी दोनों मिल कर उस के घर कोल्हईगरीब छोड़ आए. दोनों वहां रुके नहीं.

बेटी की ऐसी हालत देख कर फरहीन की मां रुखसाना हैरान थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि बेटी ननिहाल में अच्छीभली रह रही थी. फिर अचानक उसे क्या हो गया, जो उस की हालत इतनी बिगड़ गई कि किसी और को उसे घर पहुंचाना पड़ा.दरअसल, फरहीन के साथ जो कुछ भी हुआ था, उस ने अपने घर वालों को कभी कोई बात नहीं बताई थी. वह जानती थी कि सच जब मां को पता चलेगा तो वह उस की बोटीबोटी कर देंगी. इसी डर से उस ने सारी सच्चाई अपने तक ही छिपाई थी. ननिहाल में भी किसी को नहीं बताई थी.

बेटी के गर्भवती होने पर मां के उड़े होश

जब बेटी के मुंह से मां रुखसाना ने सारी सच्चाई सुनी तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. वह सिर पर हाथ धरे धम्म से जमीन पर जा गिरी थी. उसे बेटी की करतूतों पर बहुत गुस्सा आ रहा था.
अपने मन की सारी भड़ास रुखसाना ने बेटी पर उतारी. रुखसाना और उस के पति मोहम्मद अली इस निर्णय पर पहुंचे कि जिस के चलते बेटी का जीवन बरबाद हुआ है, वही इस के साथ निकाह करेगा. मोहम्मद अली, उस की पत्नी रुखसाना और समाज के कुछ प्रतिष्ठित लोग एकजुट हो कर मुकीम के घर पहुंचे.

उन्होंने उस के अब्बू मोबिन से मिल कर मुकीम के साथ फरहीन की शादी करने का दबाव बनाया तो मोबिन ने फरहीन को अपने घर की बहू बनने से इंकार कर दिया. उलटा फरहीन पर ही चरित्रहीनता का आरोप लगा कर अपना पल्ला झाड़ लिया.बात घरों से निकल कर समाज के बीच फैल चुकी थी. मोहम्मद अली की बड़ी बदनामी हो रही थी. उन का घर से निकलना दूभर हो गया था, लेकिन वह हार मानने वालों में से नहीं थे. उन की पत्नी उन के साथ कदम मिला कर चल रही थी. न्याय की गुहार लिए रुखसाना खोड़ारे थाने पहुंची तो वहां उस की फरियाद नहीं सुनी गई.

वहां से उसे डांटडपट कर भगा दिया गया. फिर वह तत्कालीन एसपी के औफिस पहुंच कर उन्हें लिखित तहरीर दी और न्याय की भीख मांगी. यह 6 अगस्त, 2020 की बात है.एसपी ने मामले को गंभीरता से लिया और थानेदार वी.के. सिंह को कड़ी फटकार लगाते हुए पीडि़त पक्ष को न्याय दिलाने तथा दबंगों के खिलाफ कड़ी काररवाई कर उन के सम्मुख रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.

पुलिस के डर से करना पड़ा निकाह

थानाप्रभारी वी.के. सिंह ने अगले दिन यानी 7 अगस्त, 2020 को दोनों पक्षों को थाने बुलवाया और मुकीम को पीडि़ता के साथ निकाह करने का आदेश दिया. ऐसा न करने पर जेल भेजने का फरमान जारी किया.
जन दबाव और पुलिस के आदेश के सामने मोबिन और उस के बेटे मुकीम को झुकना ही पड़ा. अंतत: मोबिन फरहीन को अपने घर की बहू बनाने के लिए रजामंद हो गया और उसे बहू बना कर घर लाया.

मोहम्मद मोबिन मूलरूप से गोंडा जिले के थाना खोड़ारे के सेहरी का रहने वाला था. व्यापारी मोबिन पैसों वाला था. समाज बिरादरी में बड़ा नाम था. खाकी से ले कर खादी तक उस की पहुंच थी.
उस के परिवार में कुल 6 सदस्य थे. पतिपत्नी और 4 बच्चे. बच्चों में मुकीम ही सब से बड़ा था बाकी सब उस से छोटे थे. पिता के बिजनैस में वह उन का हाथ बंटाता था लेकिन जब से फरहीन के इश्क में गिरफ्तार हुआ था, हर रोज फूफी के घर ही पड़ारहता था.

यूं तो फरहीन भी 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर की थी. उस के पिता मोहम्मद अली की अपनी दुकान थी. दुकान की आमदनी से ही परिवार का खर्च चलता था.मोबिन ने पुलिस और सामाजिक दबाव में आ कर बेटे का निकाह फरहीन से कर तो दिया लेकिन यह रिश्ता न उसे कुबूल था और न ही उस की पत्नी को. लेकिन उसे समाज के सामने घुटने टेकने ही पड़ गए थे.मोबिन फरहीन को अपने घर की बहू का दरजा देने के लिए फरहीन के मांबाप से उन की हैसियत से कहीं ज्यादा धन की मांग रख दी. कल तक जो मुकीम फरहीन के इश्क में पागल बना फिरता था, आज उस के प्यार के मायने ही बदल गए थे. मुकीम भी घर वालों के सुर से सुर मिलाने लगा. प्रेमी से पति बने मुकीम के बदले तेवर से फरहीन बुरी तरह हैरान थी.
जान छिड़कने वाले मुकीम के बदल गए तेवर

फरहीन की मां के मुताबिक, मांबाप के साथ मिल कर मुकीम ने 5 लाख रुपयों की मांग रख दी थी. उस ने यह भी शर्त रखी कि पैसों के न मिलने तक वह बेटी से नहीं मिल सकते, न ही वह मायके जा सकती है.
प्यार करने वाला पति अपने मांबाप के साथ मिल कर उस को सता रहा था ताकि वह किसी तरह घर छोड़ कर चली जाए और गले से मुसीबत टल जाए. पर फरहीन भागने वालों में से नहीं थी. अपने हक और अधिकारों के पाने के लिए संघर्ष करने वालों में से थी.

2 साल का समय बीत गया. न तो ससुर मोबिन और शौहर मुकीम ने फरहीन को मायके भेजा और न ही मांबाप से मिलने ही दिया. उसे घर की चारदीवारी में रखा और शारीरिक यातनाएं देते रहे.
फरहीन ससुराल वालों के जुल्म सहती रही. जब कभी उसे अपने घर वालों से मिलने का मन होता था, उन्हें संदेशा भिजवा कर चुपके से गांव के बाहर मिल लेती थी और अपने साथ हो रही ज्यादतियों को बताने के बजाए छिपा लेती थी. बात 29 जुलाई 2022 की है. दिन के 11 बजे के करीब मुकीम थाना खोड़ारे पहुंचा और पत्नी फरहीन की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई. उस के बाद उसी दिन रात 9 बजे उस ने अपनी सास रुखसाना को फोन किया कि फरहीन रात से गायब है. वह किसी दूसरे मर्द के साथ अपना मुंह काला कर के भाग गई है.

यह सुन कर रुखसाना का माथा ठनका कि कहीं बेटी के साथ इन जालिमों ने कोई अनर्थ तो नहीं कर दिया. उसे दामाद की बातों पर जरा भी ऐतबार नहीं हुआ. किसी तरह रात बीती. मदरसा के शौचालय के टैंक में मिली फरहीन की लाश

उधर ग्राम पंचायत मुबारक ग्रांट के पुरवा सोहरी हरदी स्थित फैजुल उलूम मदरसा के शौचालय के टैंक से किसी चीज के सड़ने की कई दिनों से दुर्गंध आ रही थी और उधर से आतेजाते लोगों का सांस लेना मुश्किल हुए जा रहा था. इधर अगली सुबह 30 जुलाई, 2022 को रुखसाना पति के साथ खोड़ारे थाने पहुंची और थानाप्रभारी सुनील से मिल कर बेटी की हत्या कर लाश गायब करने की बेटी के ससुराल वालों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी.

रुखसाना ने थानाप्रभारी को पूरी घटना विस्तार से बताई. तहरीर लेने के बाद थानाप्रभारी ने मुकदमा दर्ज कर फरहीन के ससुराल वालों के खिलाफ काररवाई शुरू कर दी. उसी दिन दोपहर में सोहरी हरदी स्थित मदरसे के शौचालय के टैंक से आ रही बदबू की सूचना भी उन्हें मिल गई थी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुनील पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए और जांचपड़ताल शुरू कर दी थी.

चूंकि बदबू टैंक से आ रही थी और टैंक पूरी तरह बंद था, इसलिए उन्होंने यह जानकारी अपने कप्तान शिवराज, सीओ (मनकापुर) संजय तलवार और एसडीएम को दे दी थी. सूचना मिलते ही आला अफसरों ने मौके पर पहुंच कर जांच शुरू कर दी. एसडीएम की निगरानी में टैंक को खोला गया तो उस में किसी महिला की लाश बुरी तरह सड़ रही थी. फिर उस लाश को बाहर निकाला गया. कपड़ों के आधार पर रुखसाना ने उस की पहचान बेटी फरहीन के रूप में की और फूटफूट कर रोने लगी.

मृतका की मां रुखसाना ने पहले ही आशंका जता दी थी कि बेटी की उस के ससुराल वालों ने हत्या कर लाश कहीं गायब कर दी है, उस की आशंका सच निकली. इस आधार पर पुलिस ने मृतका के पति मुकीम, ससुर मोबिन, सास, मुकीम की फूफी अकलीमुन्निशां और उस के पति फय्याज को हिरासत में ले कर पूछताछ करनी शुरू कर दी. मुकीम या उस के घर वाले कोई पेशेवर मुजरिम तो थे नहीं कि इधरउधर घुमाते, पुलिस की एक घुड़की के सामने सभी ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. मुकीम ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए बताया कि उसी ने गला घोट कर फरहीन की हत्या की थी और फिर अब्बू और फूफा की मदद से लाश मदरसे के टैंक में डाल दी थी, ताकि किसी को पता न चले.

मुकीम सहित सभी पांचों आरोपियों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.जिस झूठी शान के चलते मुकीम के पिता मोबिन ने फरहीन को अपने घर की बहू मानने से इंकार कर दिया था. यदि उस ने सूझबूझ के साथ काम लिया होता तो फरहीन इस दुनिया में होती और अपने रंगीन अरमानों के साथ जीती.
कथा लिखे जाने तक सभी आरोपी जेल में बंद थे.

सब से बड़ा सुख : कमला के पति क्या करते थे?

प्रश्नचिन्ह : अभय बचपन की कौन सी बात को यादकर सहम जाता था

अभय बहुत देर तक यों ही बैठा रहा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उसे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि क्यों उस ने सफाई करने की ठानी थी. न वह मम्मी की अलमारी की सफाई करता और न ही मम्मी का असली चेहरा उस के आगे आता.

आज नीरा ने घर से निकलते हुए कहा था, ‘अभय बेटा, घर थोड़ा ठीक कर देना और देखो, मेरी अलमारी को भी साफ कर देना, बहुत दिनों से नहीं कर पाई.’

अभय ने सोचा, क्यों न मम्मी की अलमारी से ही आरंभ किया जाए. मम्मी के पुराने सूट और साड़ी निकाल कर एकतरफ रख देगा काम वाली के लिए.

अलमारी को ठीक करते हुए अचानक से एक भूरे रंग का लिफाफा गिर पड़ा. लिफाफे के अंदर कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों के पैकेट मुंह चिढ़ा रहे थे. अभय को समझ नहीं आया कि ये उस की मम्मी की अलमारी में क्या कर रहे हैं.

घिन सी आ रही थी अभय को. यह उम्र मम्मी की यह सब करने की है क्या. अभी पिछले माह ही तो 52 साल की हुर्ई हैं.

पर किस के साथ करती होंगी, औफिस के शर्मा अंकल के साथ या फिर नीरज ताऊजी के साथ. छिछि, इस से अच्छा तो दूसरा विवाह ही कर लेतीं, क्या जरूरत थी त्याग की मूरत बनने की. क्या जवाब देगा वह आन्या को अगर उसे उस की मां के चरित्र के बारे में पता चल गया.

आन्या कितनी भोली हैं, कितना पसंद करती हैं मम्मी को, बिलकुल अपनी मां की तरह ही प्यार करती हैं.

आन्या का विचार आते ही अभय के होंठों पर मुसकान थिरक उठी पर फिर वो भूरा लिफाफा याद आते ही मुंह कड़वा हो उठा.

अभय के पापा का 20 साल पहले निधन हो गया था. तब अभय मात्र 7 वर्ष का था और उस की मम्मी नीरा 32 वर्ष की थी. अभय ने कितनी दफा अपनी मम्मी को अकेले एक कोने में रोतेबिलखते देखा था.

कुछ ऐसी धुंधली यादें भी अभय के जेहन में थीं जब अभय और उस की मम्मी सदा के लिए दादाजी का घर छोड़ कर नानाजी के पास कानपुर आ गए थे.

कुछकुछ अभय को याद है कि नीरा का हाथ उस के ताऊजी नीरज, जो विवाहित ही थे, को दिया जा रहा था पर नीरा ने हाथ जोड़ क़र कहा था, ‘मैं ने नीरजजी को सदा बड़े भैया की नजर से देखा हैं. इस प्रथा के कारण मैं अपना रिश्ता कलंकित नहीं कर सकती हूं.’

दादाजी जहां तनाव में आ गए थे, वहीं दादीजी गुस्से में बोली थीं, ‘यह कोई अनोखी बात नहीं है. बहुत से घरों में यह ही होता है. नीरज तुम्हारी और अभय की सारी जिम्मेदारी उठाएगा.’ दादाजी सदियों पुराने विचारों के थे. न जाने किनकिन से पौराणिक कहानियां सुनते रहते थे. खूब पंडितों को दान देते.

नीरा ने तड़प कर कहा, ‘मम्मीजी, मेरे और नीरज भैया के रिश्ते का नाम क्या होगा?’

दादीजी बोलीं, ‘बेवकूफ लडक़ी, यह प्रथा तो बहुत पुरानी है, इस रिश्ते का कोई नाम नहीं होता, पर तुम्हें और तुम्हारे बेटे को सारे हक मिलेंगे.’

नीरा के मातापिता भी सहमत थे पर नीरा का मन नहीं माना. वह ऐसा घिनौना जीवन नहीं जीना चाहती थी, इसलिए चुपचाप नन्हे अभय का हाथ पकड़ कर अपने मातापिता के पास कानपुर आ गई थी.

3 माह बाद ही नीरा को एक विद्यालय में नौकरी मिल गई थी. फिर नीरा ने किराए पर घर ले लिया था और किसी ने भी विरोध नहीं किया था. मामाजी की आंखों में राहत का भाव ही नजर आया था पर मामीजी की आंखें गीली थीं और मामीजी के कारण ही आज भी अभय और नीरा कभीकभार त्योहार पर चले जाते हैं.

अभय का मन किया, मामीजी को सब बता दे और पूछे कि क्या हुआ आप की दीदी को, जो इतने मान के साथ सुसराल की देहरी छोड़ आई थीं लेकिन अब क्या कर रही हैं. यह जीवन क्या बहुत इज्जत वाला है, इधरउधर मुंह मारना…

बैठेबैठे अंधेरा हो गया. तभी दरवाजे की घंटी बजी और नीरा अंदर आ गई. अभय के सिर पर हाथ फेरती हुई बोली, ‘‘अंधेरे में क्यों बैठे हो?’’

अभय ने कुछ नहीं कहा, मम्मी के स्पर्श से उस का सर्वांग सिहर उठा. मन ही मन वह सोच रहा था, मम्मी आजकल अपने रखरखाव का काफी ध्यान रखने लगी हैं, हमेशा हंसतीमुसकराती रहती हैं.

नीरा खाना बनाने के लिए रसोई में घुस ही रही थी कि अभय बोला, ‘‘मेरा खाना मत बनाना, मैं आन्या के साथ डिनर पर जा रहा हूं.’’

नीरा इस से पहले कुछ बोलती, अभय जा चुका था.

अभय बाइक उठा कर बेमकसद इधर से उधर घूम रहा था. तभी मोबाइल की घंटी से उस का ध्यान टूटा, देखा, आन्या के 5 मिसकौल थे.

फोन लगाया तो आन्या गुस्से में बोली, ‘‘कोई नई गर्लफ्रैंड मिल गई हैं क्या? मेरा नाम आंटी से बोल कर कहां घूम रहे हो?’’

अभय गुस्से में बोला, ‘‘जहन्नुम में.’’ और मोबाइल स्विच औफ कर दिया.

रात के 12 बजे वह घर में घुसा तो देखा, मां नीरा फोन पर लगी हुई हैं. अभय को देख कर वे बोलीं, ‘‘बेटा, कौफी बना दूं तुम्हारे लिए.’’

अभय बोला, ‘‘नहीं, जरूरत नहीं. पर आजकल आप रातभर फोन पर क्या करती रहती हैं?’’

नीरा सकपका गर्ई, संभल कर बोली, ‘‘जो तुम करते हो, अभय.’’

अभय बोला, ‘‘मम्मी, मैं, बस, 27 साल का हूं, मेरी उम्र है.’’

नीरा हंसती हुई बोली, ‘‘बेटे, जज्बातों और खुशी की कोई उम्र नहीं होती.’’

अभय मन ही मन सोच रहा था, बेशर्मी की हद होती है.

उधर नीरा को समझ नहीं आ रहा था कि अभय को क्या हो गया है.

आन्या को फोन लगाया तो उधर से आन्या चहकती हुई बोली, ‘‘आंटी, हाऊ इस एंग्री यंगमैन?’’

नीरा बोली, ‘‘क्यों, मिलने नहीं आया तुम्हारा हीरो?’’

आन्या बोली, ‘‘नहीं आंटी, लगता है कोई और मिल गई है उसे?’’

नीरा हंसती हुई बोली, ‘‘पागल है तू, कल कान खींचती हूं तेरे हीरो के.’’

सुबह भी अभय का मूड खराब ही था. नीरा की हर बात का उलटा जवाब दे रहा था.

नीरा ने सोचा, हो सकता है दफ्तर का तनाव हो. पर जब पूरा हफ्ता बीत गया तो नीरा ने आन्या को फोन किया, ‘‘आन्या, क्या बात है, अभय इतना गुस्से में क्यों है? मुझ से तो सीधेमुंह बात भी नहीं करता.’’

आन्या भी बुझे से स्वर में बोली, ‘‘हां आंटी, आप सही बोल रही हैं. लेकिन मुझे भी नहीं पता बात क्या है? मैं बात कर के देखती हूं.’’

शुक्रवार की शाम आन्या बिना फोन किए अभय के दफ्तर में धमक गई और सामने बैठते हुए बोली, ‘‘क्या बात है, क्यों पिछले कई दिनों से मुझे इगनोर कर रहे हो? कोई और है जीवन में तो सीधे बताओ.’’

अभय धीरे से बोला, ‘‘और भी गम हैं जमाने में इश्क से सिवा.’’

आन्या अपने घुंघराले बालों से खेलती हुई बोली, ‘‘ओफ्फोह, पहेलियां मत बूझाओ, सीधे बोलो कि क्या बात है.’’

आन्या और अभय रंगोली रैस्तरां में आमनेसामने बैठे थे. आन्या को देख कर अभय सोच रहा था, क्या बताऊं आन्या को कि मम्मी का अफेयर चल रहा है. उन की अलमारी में मुझे कंडोम और बर्थकंट्रोल पिल्स मिली हैं.

आन्या डोसे को सांभर में लपेटती हुई बोली, ‘‘अभय, क्या मुंह में दही जमा कर बैठे हो?’’

अभय ने नजर नीची कर के बिना सांस रोके सब बता दिया. आन्या बोली, ‘‘तो क्या हुआ, अभय, इतना परेशान क्यों हो रहे हो?’’

अभय बोला, ‘‘आन्या, मेरी मम्मी चरित्रहीन हैं, शर्म आ रही है यह सोचते हुए कि मैं उन का बेटा हूं.’’

आन्या हैरानी से अभय को देख रही थी और बिना कुछ कहे चुपचाप चली गई. अभय बैठा हुआ सोच रहा था, आन्या भी उस की तरह शायद सदमे में चली गर्ई है.

आजकल अभय नीरा से बात नहीं करता था. नीरा ने कोशिश की पर असफल रही. नीरा ने आन्या से भी बात करने की कोशिश की पर आन्या ने कहा, ‘‘आंटी, अभय का दिमाग खराब हो गया है, आप ध्यान मत दीजिए.’’

हफ्ता बीत गया. आन्या ने न अभय को मैसेज किया और न ही फोन किया तो अभय समझ गया था कि आन्या उस से अब रिश्ता नहीं रखना चाहती है. ठीक भी है, कौन मुझ से रिश्ता रखना चाहेगा, न मेरा कोर्ई परिवार है और एक मां हैं वह भी चरित्रहीन.

जब नीरा ज्यादा घुटन सह नहीं पाई तो उस ने आन्या को एक दिन घर पर डिनर के लिए बुला लिया.

आन्या को घर पर देख कर अभय चौंक गया, बोला, ‘‘तुम कैसे अचानक से आ गईं?’’

आन्या बोली, ‘‘क्यों, तुम भूल गए क्या कि मेरा आंटी के साथ भी रिश्ता है और आज उन्होंने मुझे डिनर पर बुलाया है.’’

अभय, आन्या और नीरा चुपचाप खाना खा रहे थे. राजमा, चावल, भरवा भिन्डी, दम आलू सबकुछ आन्या और अभय की पसंद का था.

खाने के बाद दोनों का मनपंसद फ्रूट कस्टर्ड भी था. नीरा को महसूस हो रहा था कि अभय और अन्या के बीच में किसी बात को ले कर तनाव है. उस ने ऐसे ही आन्या से बोला, ‘‘तुम और अभय कब शादी कर रहे हो?’’

आन्या बोली, ‘‘आंटी, मैं अभय से शादी नहीं कर सकती.’’

नीरा बोली, ‘‘बेटा, छोटीमोटी बातें तो रिश्तों में होती रहती हैं, इस के लिए ऐसी बातें नहीं करते.’’

इस से पहले आन्या कुछ बोलती, अभय फट पड़ा, ‘‘मम्मी, यह तुम्हारी करतूत की वजह से मुझ से शादी नहीं करना चाहती है. तुम्हें शर्म नहीं आती कि इस उम्र में तुम गुल खिला रही हो?’’

नीरा का चेहरा सफेद पड़ गया. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस का अपना बेटा कभी उस पर ऐसे घटिया इलजाम लगाएगा.

अभय बिना रुके धाराप्रवाह बोले जा रहा था, ‘‘आप के कारण मैं अपने दादा के परिवार से दूर हो गया, तब आप को लग रहा था कि आप ऐसा घिनौना जीवन नहीं जी सकती हैं. अब क्या कर रही हैं आप, इस से अच्छा तो ताऊजी के साथ ही रह लेतीं.’’

नीरा धम्म से सिर पकड़ कर कुरसी पर बैठ गई. आन्या दौड़ कर नीरा के पास आई और अभय से बोली, ‘‘अभय, मैं आंटी के कारण नहीं, तुम्हारी घटिया और छोटी सोच की वजह से तुम से विवाह नहीं करना चाहती हूं. आंटी तुम्हारी मां होने के साथसाथ एक औरत भी हैं और उन्हें अपनी जिंदगी कैसे बितानी है, यह उन का निजी मामला है.’’

अभय बोला, ‘‘तो पहले क्या हो गया था, तब क्यों उन्हें वह जिंदगी घृणित लग रही थी. अब भी तो वो ही सब कर रही हैं.’’

नीरा उठी और अभय व आन्या से बोलीं, ‘‘अभय, अगर मैं तब रुक जाती तो तुम्हारी ताईजी के परिवार के टूटने का कारण बन जाती और नीरज मेरे लिए हमेशा बड़े भाई की तरह ही थे. हां, अभी भी मैं एक रिश्ते में बंधी हुई हूं जिस का कोई नाम नहीं हैं पर मैं किसी का घर नहीं तोड़ रही हूं क्योंकि मेरे साथी सुबोध तलाकशुदा हैं.’’

आन्या बोली, ‘‘आंटी, फिर आप उन से शादी क्यों नहीं कर लेती हैं?’’

नीरा बोली, ‘‘बेटा, जो जैसा है, मैं उस में ही खुश हूं. अभय, मुझे पता था कि उस दिन तुम ने अलमारी की सफाई करते हुए वह पैकेट देख लिया था पर मुझे यह नहीं पता था कि इस कारण तुम नाराज हो. मैं तो सोच रही थी कि तुम समझ जाओगे कि मैं और सुबोध क्यों इतना मिलतेजुलते हैं.’’

‘‘अभय, तुम और आन्या भी तो पिछले 4 वर्षों से रिश्ते में हो. जब भी शादी की बात आती है तो तुम दोनों टाल जाते हो पर मैं ने तो तुम्हारे चरित्र का आकलन कभी नहीं किया.’’

अभय चुपचाप नजरें नीची किए बैठा रहा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां से कैसे माफी मांगे.

आन्या बोली, ‘‘आंटी, कोई जरूरत नहीं है आप को अभय को कुछ भी सफाई देने की. मैं खुश हूं कि, इस छोटी सी घटना से ही सही, तुम्हारा असली चेहरा सामने आ गया. जो पुरुष अपनी मां के चरित्र पर सवाल उठा सकता है, उस की इज्जत नहीं कर सकता, वह भला पत्नी की इज्जत क्या करेगा? स्त्री व पुरुष में संबंध कोई नैतिकअनैतिक नहीं होते. यह आपसी जरूरत और सहमति का मामला है. तुम ने मां की निजता पर सवाल उठाए हैं, उन के फैसले को चरित्रहीनता का नाम दिया है तो हमारे बीच जो होता रहा है वह क्या था. क्या तुम चरित्रहीन हो, क्या मैं चरित्रहीन हूं.’’

यह कह कर आन्या ने अपनी उंगली से अभय की अंगूठी निकाली और अभय के हाथ में रख दी.

आन्या को जाते हुए देख कर अभय सोच रहा था, वह तो मां के चरित्र पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा था और आन्या खुद उस के चरित्र पर प्रश्नचिन्ह लगा गई है.

वैज्ञानिक तरीके से करें मूली की खेती

आरवी सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ (प्रसार), कृषि विज्ञान केंद्र, संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश

ह मारे भोजन की शान समझी जाने वाली सलादें अकसर कई तरह की सब्जियों को मिला कर बनाई जाती हैं, जिस में मूली, गाजर, चुकंदर, टमाटर, प्याज आदि चीजें महत्त्वपूर्ण रूप से प्रयोग की जाती हैं. इन्हीं सलादों को बनाने में प्रयोग लाई जाने वाली मूली न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है, बल्कि यह खाने को और भी लजीज बनाती है. मूली की खेती पूरे साल की जाती है और यह बीज बोने के एक माह में तैयार भी हो जाती है.

मूली की बोई गई फसल से 2 महीने बाद खेत खाली हो जाता है. मूली की खेती ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों से ले कर के अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है, लेकिन अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में मूली की फसल कठोर और चरपरी होती है. मूली की खेती के लिए उत्तम मिट्टी रेतीली दोमट और दोमट मानी गई है, जबकि मटियार भूमि में इस की खेती करना लाभदायी नहीं होता है, क्योंकि इस में मूली की जड़ों का समुचित विकास नहीं हो पाता है. मूली के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जो हलकी भुरभुरी हो और उस में जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक हो. मूली के खेत में खरपतवार नहीं होने चाहिए, क्योंकि इस से जड़ों का विकास रुक जाता है.

खेत की तैयारी मूली की फसल लेने के लिए खेत की 5-6 जुताई कर देनी चाहिए. इस के लिए 2 बार कल्टीवेटर से जुताई कर के पाटा लगा दें. उस के बाद गहरी जुताई करने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, क्योंकि मूली की जड़ें भूमि में काफी गहरे तक जाती हैं. ऐसे में गहरी जुताई न करने से जड़ों का विकास सही से नहीं हो पाता है. मूली की उन्नत किस्में मूली की फसल लेने के लिए ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए, जो देखने में सुंदर व खाने में स्वादिष्ठ हो. इस के लिए प्रमुख रूप से रैपिड रैड, पूसा चेतकी, पूसा रेशमी, पूसा हिमानी, हिसार मूली नंबर 1, पंजाब सफेद, ह्वाइट टिप को उत्तम माना जाता है. मूली की खेती मैदानी क्षेत्रों में सितंबर से जनवरी तक और पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से अगस्त तक आसानी से की जा सकती है, फिर भी मूली की तमाम ऐसी किस्में विकसित की गई हैं,

जो मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में पूरे साल उगाई जा सकती हैं. इस में पूसा चेतकी, पूसा देसी, जापानी सफेद इत्यादि किस्मों को सालभर उगाया जा सकता है. मूली की एक हेक्टेयर खेती के लिए तकरीबन 5-10 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. वर्षा ऋतु में की जाने वाली खेती के लिए मेंड़ बना कर इस की बोआई की जाती है, जबकि अन्य मौसम में इसे समतल भूमि में भी उगाया जा सकता है. अगर मूली की फसल मेंड़ों पर ली जा रही है तो मेड़ों की दूरी 45 सैंटीमीटर व ऊंचाई 22-25 सैंटीमीटर रखा जाना उपयुक्त होता है. खाद व उर्वरक मूली तेजी से बढ़ने वाली फसल है. चूंकि इस की जड़ें सीधेतौर पर प्रयोग की जाती हैं, इसलिए इस में कम से कम रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाना बहुत उपयुक्त माना जाता है. मूली की बोआई के पहले ही मिट्टी में 120 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर और 20 किलोग्राम नीम की खली मिला देनी चाहिए. इस के अलावा 75 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश की मात्रा अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए.

सिंचाई वर्षा ऋतु में मूली की फसल को सिंचाई की कोई जरूरत नहीं होती है, लेकिन गरमी में 4-5 दिनों के अंतराल पर फसल की सिंचाई करते रहना चाहिए. सर्दी वाली फसलों के लिए यह अंतराल 10-15 दिनों का उपयुक्त होता है. खरपतवार व कीट नियंत्रण मूली की फसल में खरपतवारों की निकासी समयसमय पर करते रहना चाहिए, क्योंकि खरपतवारों से फसल उत्पादन प्रभावित होता है. ऐसे में हर 15 दिन पर खेतों में उगने वाले खरपतवार को निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए. मूली की फसल में सर्वाधिक हानि पहुंचाने वाले कीड़ों में पत्ता काटने वाली सूंड़ी, सरसों की मक्खी व एफिड का प्रकोप होता है. ऐसे में इन कीटों के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग उचित नहीं होता है.

इसलिए इन कीटों की रोकथाम के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना चाहिए. इस के लिए 5 लिटर गोमूत्र व 15 ग्राम हींग को आपस में मिला कर फसल के क्षेत्रफल के अनुसार छिड़काव करते रहना चाहिए. आमतौर पर मूली की फसल में कोई खास रोग नहीं लगता है, फिर भी कभीकभी इस की फसल में दतुआ रोग का प्रकोप देखा गया है. इस की रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा, गोमूत्र व तंबाकू मिला कर फसल को पूरी तरह से तरबतर करते हुए छिड़काव करना चाहिए.

उपज व लाभ मूली की फसल जब कोमल हो, तभी इस की खुदाई कर लेनी चाहिए, क्योंकि ऐसी अवस्था में इस का बाजार मूल्य बहुत अच्छा मिलता है. बोआई के 30-35 दिनों में मूली की फसल उखाड़ देनी चाहिए. मूली की एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से अलगअलग प्रजातियों के अनुसार 100-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मिलती है, जो आमतौर पर 1,000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजार में आसानी से बिक जाती है. इस हिसाब से किसान को एक हेक्टेयर खेत से लगभग 3 लाख रुपए की आमदनी होती है. अगर फसल की लागत को निकाल दिया जाए, तो भी किसान 2-3 माह में आसानी से 2 लाख रुपए की आमदनी आसानी से हासिल कर सकता है.

बबूल का माली : मालकिन क्या बहाना ढूंढ रही थी?

लड़का अपने शहर रायपुर को छोड़ कर भिलाई पहुंच गया, वहां के बारे में वह बहुत कुछ सुन चुका था. वह किसी घरेलू नौकरी की तलाश में था ताकि उसे पढ़नेलिखने की सुविधा भी मिल सके. ऐसा ही एक परिवार था, जहां से दोचार दिन में ही नौकरनौकरानियां काम छोड़ कर चल देते, क्योंकि उस घर की मालकिन के कर्कश स्वभाव से तंग आ कर वे टिक ही नहीं पाते थे. एक दिन लड़का उसी बंगले के सामने जा खड़ा हुआ और उस मालकिन से नौकरी देने का आग्रह करने लगा.

पहले तो उस ने लड़के की बातों पर कोई गौर नहीं किया, लेकिन फिर बोली, ‘‘लड़के, तुम क्याक्या काम कर सकते हो ’’ लड़के का आग्रह सुन कर मालकिन को लगा कि जरूर वह पहले कहीं काम कर चुका है. वह उस से बोली, ‘‘ठीक है, आज और अभी से मैं तुम्हें काम पर रखती हूं.’’

‘‘मालकिन, एक शर्त मेरी भी है,’’ लड़के ने हाथ जोड़ कर कहा.

‘‘बताइए, क्या है तुम्हारी शर्त ’’

‘‘मैं काम के बदले पैसा नहीं लूंगा बल्कि आप मुझे खाना, कपड़ा और मेरी पढ़ाईलिखाई की व्यवस्था कर दें,’’ लड़के ने दयनीय स्वर में कहा. पहले तो यह सुन कर मालकिन हड़बड़ा गई लेकिन अपनी मजबूरी को देखते हुए उस ने कह दिया, ‘‘ठीक है, लेकिन पढ़ाई-लिखाई के कारण घर का काम प्रभावित नहीं होना चाहिए.’’ लड़के को उस घर में काम मिल गया. वह सब से आखिर में सोता और सवेरे सब से पहले उठ कर काम शुरू कर देता. फिर काम निबटा कर स्कूल जाता. लड़का इस घर, नौकरी और पढ़ाईलिखाई, सभी से बड़ा खुश था. वह अपना काम भी पूरी ईमानदारी, लगन और मेहनत से करता. मालकिन को घरेलू नौकरचाकरों पर रोब झाड़ने की बुरी आदत थी, लेकिन उसे भी लड़के में जरा भी खोट दिखाई नहीं दिया. वह उस के काम से खुश थी.

घर वालों से प्यार और अपनापन मिलने के बावजूद लड़का इस बात का बराबर खयाल रखता कि वह एक नौकर है और उसे पढ़लिख कर एक दिन अच्छा आदमी बनना है. अपनी विधवा मां और भाईबहनों का सहारा बनना है. इधर इतना अच्छा और गुणी नौकर आज तक इस परिवार को नहीं मिला था. घर के बच्चों और खुद मालिक को दिनरात इसी बात का खटका लगा रहता था कि कहीं मालकिन इसे भी निकाल न दे. उधर आदत से मजबूर मालकिन उस लड़के से लड़ने का बहाना ढूंढ़ रही थी. एक दिन वह सोचने लगी कि यह दो कौड़ी का छोकरा इस घर में इतना घुलमिल कैसे गया  न काम में सुस्ती, न अपनी पढ़ाईलिखाई में आलस और खाने के नाम पर बचाखुचा जो कुछ भी मिल जाए खा कर वह इतना खुश रहता है. एक दिन मालकिन ने सब की उपस्थिति में लड़के से कहा, ‘‘देखो, अब से तुम हर महीने अपना वेतन ले लिया करना, ताकि तुम अपने खानेपीने, रहने और पढ़नेलिखने का अलग से इंतजाम कर सको.’’

लड़का आश्चर्य से मालकिन की ओर देखने लगा. उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. उस ने विनम्रतापूर्वक कहा, ‘‘मालकिन, मुझे मौका दो मैं अपना काम और अच्छी तरह से करूंगा.’’ लड़के की बातों से ऐसा लगा जैसे मातापिता की सेवा करने वाले इकलौते और गरीब श्रवणकुमार को किसी राजा ने अपना शिकार समझ कर आहत कर दिया हो और बाकी लोग राजा के डर से मात्र मूकदर्शक बने बैठे हों. मालकिन को अपने पति और बच्चों की चुप्पी से ठेस लगी. वह भीतर ही भीतर तिलमिला कर रह गई, लेकिन कुछ नहीं बोली. अब तक ऐसे मौकों पर सभी उस का साथ दिया करते थे, लेकिन इस बार घर के सब से छोटे बच्चे ने ही टोक दिया, ‘‘मां, इस तरह इस बेचारे को अलग करना ठीक नहीं.’’

यह सुन कर मालकिन आगबबूला हो गई और चिढ़ कर बोली, ‘‘यह छोटा सा चूहा भी अच्छेबुरे की पहचान करने लगा है और मैं अकेली ही इस घर में अंधी हूं.’’वहां पर कुछ देर के लिए अदालत जैसा दृश्य उपस्थित हो गया. न्यायाधीश की मुद्रा में साहब ने कहा,  ‘‘किसी नौकर को निकालने या रखने के नाम से ही घर वाले आपस में लड़ने लगें तो नौकर समझ जाएगा कि इस घर में राज किया जा सकता है.’’

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‘‘क्या मतलब ’’ मालकिन की आवाज में कड़कपन था.

‘‘मतलब साफ है, नौकर से मुकाबला करने के लिए हमें आपसी एकता मजबूत कर लेनी चाहिए,’’ साहब ने शांत स्वर में कहा. मालकिन अपनी गलती स्वीकार करने के पक्ष में नहीं थी. बुरा सा मुंह बनाते हुए वह भीतर कमरे में चली गई. साहब ने बाहर जाते हुए लड़के को समझा दिया कि वह उन की बातों का बुरा न माने और भीतर कमरे में सब को समझाते हुए कहा कि लड़के पर कड़ी नजर रखी जाए. जहां तक हो सके उसे रंगेहाथों पकड़ा जाना चाहिए, ताकि उसे भी तो लगे कि उस ने गलती की है, चोरी की है और उस से अपराध हुआ है.

वह दिन भी आ गया, जब लड़के को निकालने के बारे में अंतिम निर्णय लिया जाना था. लड़का उस समय रसोई साफ कर रहा था. घर के सभी सदस्य एक कमरे में बैठ गए. साहब ने पूछा, ‘‘अच्छा, किसी को कोई ऐसा कारण मिला है, जिस से लड़के को काम से अलग किया जा सके ’’ मालकिन चुप थी. उसे अपनेआप पर ही गुस्सा आ रहा था कि वह भी कैसी मालकिन है, जो एक गरीब नौकर में छोटी सी खोट भी नहीं निकाल सकी. मालकिन की गंभीरता और चुप्पी को देख कर साहब ने मजाक में ही कह दिया, ‘‘मुझे नहीं लगता कि बबूल में भी गुलाब खिल सकते हैं.’’

‘‘जिस माली की सेवा में दम हो, वह बबूल और नागफनी में भी गुलाब खिला सकता है,’’ मालकिन के मुंह से ऐसी बात सुन कर, दोनों बच्चों और साहब का मुंह आश्चर्य से खुला रह गया. जब बात बनने के लक्षण दिखने लगे तो साहब ने कहा, ‘‘देखो भाई, जो भी कहना है, साफसाफ कह दो. बेचारे लड़के का मन दुविधा में क्यों डाल रहे हो ’’ तब मालकिन ने चिल्ला कर उस लड़के को बुलाया. लड़का आया तो मालकिन ऐसे चुप हो गई, जैसे उस ने लड़के को पुकारा ही न हो. वह ऐसे मुंह फुला कर बैठ गई, जैसे लड़के की कोई बड़ी गलती उस ने पकड़ ली हो.

अभीअभी बबूल, नागफनी, गुलाब और माली की बातें करने वाली मालकिन को फिर यह कैसी चाल सूझी  यह सोच कर साहब ने कहा, ‘‘जो कहना है साफसाफ कह दो, बेचारा कहीं और काम कर लेगा.’’

‘‘मुझे साफसाफ कहने के लिए समय चाहिए,’’ मालकिन बोली और वैसे ही मुंह फुला कर बैठी रही.

‘‘और कब तक इस बेचारे को अधर में लटका कर रखोगी, जो कहना है अभी कह दो,’’ साहब ने कहा, इस बार साहब और बच्चों ने भी तय कर लिया था कि मालकिन की इस तरह बारबार नौकर बदलने की आदत को सुधार कर ही दम लेंगे. मालकिन ने ताव खा कर कहा, ‘‘तो सुनो, जब तक यह लड़का अपने पांव पर खड़ा नहीं हो जाता, तब तक इसी घर में रहेगा, समझे.’’ एकाएक मालकिन में हुए इस परिवर्तन से सभी को आश्चर्य तथा अपार खुशी हुई. वैसे बबूल, नागफनी, गुलाब और माली वाली बातों का खयाल आते ही, सब को लगा कि मालकिन लड़के को पहले से ही अच्छी तरह परख चुकी थी और उस की जिंदगी संवारने के लिए मन ही मन अंतिम निर्णय भी ले चुकी थी.

पारस कलनावत के बर्थ डे में दिखें वनराज शाह, अनुपमा रही मिसिंग

अनुपमा फेम एक्ट्रेस पारस कलनावत ने बीते दिनों अपना 26वां जन्मदिन मनाया है, उनके जन्मदिन पर फैंस से लेकर सितारों तक ने उन्हें ढ़ेंर सारी बधाइयां दी हैं, बता दें कि पारस कलनावत ने बीती रात बेहद धूमधाम से अपना जन्मदिन मनाया है.

इस खास मौके पर टीवी इंडस्टी के कई सारे सितारे भी शामिल हुए थें, पारस कलनावत के जन्मदिन पर उनके ऑनस्क्रीन पिता शुधांशु पांडे भी शामिल हुए थें, इनके बर्थ डे कि तस्वीर जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है,

पारस कलनावत ने अपने बर्थ डे पर ब्लैक कलर का आउटफिट पहना हुआ है, जिसमें उनका लुक देखने लायक हैं, बता दें कि पारस की इस लुक की तारीफ फैंस खूब कर रहे हैं. पारस तस्वीर में अपनी मम्मी के साथ पोज देते नजर आ रहे हैं.

वह अपनी मां के साथ काफी ज्यादा खूबसूरत लग रहे हैं, ऑनस्क्रीन मां काव्या यानि मदालसा शर्मा भी पहुंची. दोनों का अंदाज पार्टी में देखने लायक रहा. पारस कलनावत की बर्थ डे पार्टी में अलाउद्दीन फेम सिद्धार्थ भी पहुंचे. पारस और सिद्धार्थ भी कई बार साथ में नजर आ चुके हैं.

पारस कलनावत की बर्थ डे पार्टी में अश्नूर कौर भी नजर आईं.

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