आरवी सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ (प्रसार), कृषि विज्ञान केंद्र, संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश
ह मारे भोजन की शान समझी जाने वाली सलादें अकसर कई तरह की सब्जियों को मिला कर बनाई जाती हैं, जिस में मूली, गाजर, चुकंदर, टमाटर, प्याज आदि चीजें महत्त्वपूर्ण रूप से प्रयोग की जाती हैं. इन्हीं सलादों को बनाने में प्रयोग लाई जाने वाली मूली न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है, बल्कि यह खाने को और भी लजीज बनाती है. मूली की खेती पूरे साल की जाती है और यह बीज बोने के एक माह में तैयार भी हो जाती है.
मूली की बोई गई फसल से 2 महीने बाद खेत खाली हो जाता है. मूली की खेती ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों से ले कर के अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है, लेकिन अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में मूली की फसल कठोर और चरपरी होती है. मूली की खेती के लिए उत्तम मिट्टी रेतीली दोमट और दोमट मानी गई है, जबकि मटियार भूमि में इस की खेती करना लाभदायी नहीं होता है, क्योंकि इस में मूली की जड़ों का समुचित विकास नहीं हो पाता है. मूली के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जो हलकी भुरभुरी हो और उस में जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक हो. मूली के खेत में खरपतवार नहीं होने चाहिए, क्योंकि इस से जड़ों का विकास रुक जाता है.
खेत की तैयारी मूली की फसल लेने के लिए खेत की 5-6 जुताई कर देनी चाहिए. इस के लिए 2 बार कल्टीवेटर से जुताई कर के पाटा लगा दें. उस के बाद गहरी जुताई करने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, क्योंकि मूली की जड़ें भूमि में काफी गहरे तक जाती हैं. ऐसे में गहरी जुताई न करने से जड़ों का विकास सही से नहीं हो पाता है. मूली की उन्नत किस्में मूली की फसल लेने के लिए ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए, जो देखने में सुंदर व खाने में स्वादिष्ठ हो. इस के लिए प्रमुख रूप से रैपिड रैड, पूसा चेतकी, पूसा रेशमी, पूसा हिमानी, हिसार मूली नंबर 1, पंजाब सफेद, ह्वाइट टिप को उत्तम माना जाता है. मूली की खेती मैदानी क्षेत्रों में सितंबर से जनवरी तक और पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से अगस्त तक आसानी से की जा सकती है, फिर भी मूली की तमाम ऐसी किस्में विकसित की गई हैं,