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Bigg Boss 16 : सुंबुल ने खत्म की शालीन से दोस्ती, पापा की सलाह को किया फॉलो

सलमान खान का धमाकेदार शो बिग बॉस 16 इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है,इस शो को दर्शक खूब एंजॉय कर रहे हैं, कंटेस्टेंट के लड़ाई झगड़े से लेकर उनकी दोस्ती तक लोगों को खूब पसंद आ रही है. वहीं शो की  सुंबुल तौसीर खान लोगों को खूब पसंद आ रही हैं.

बीते दिनों सुंबुल के पापा ने उनसे बातचीत किया है, शालीन भनोट और टीना दत्ता को उकी जगह दिखाने की बात कही है. तो वहीं सुंबुल भी अपने पापा की बातों को मानते हुए शालीन से दोस्ती तोड़ दी है.

 

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हाल ही में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सुंबुल शालीन के साथ बहस करती नजर आ रही हैं, सुंबुल शालीन को कहती हैं कि मुझे मत बताओ की मुझे कब अपनों के साथ खड़ा होना है या कब नहीं.

एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शालीन सुंबुल को कहते नजर आ रहे हैं कि घर की सबसे बड़ी ताकत हो आप और टीना हो. ऐसे में सुंबुल आंख बंद करके जवाब देती है कि मुझे क्या मिला बदले में बेइज्जती. तब शालीन उसे समझाने की कोशिश करते हैं , लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है.

शालीन सुंबुल को समझाते हुए कहते हैं कि जब कोई अपनों पर अंगुलियां उठाएं तो उसके साथ खड़ा हुआ जाता है तब सुंबुल पलटकर जवाब देते हुए कहती है कि आप मुझे मत समझाओ कि क्या करना है और क्या नहीं.

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इंटरनैट युग

ऊंचे मकानों, चमचमाती सडक़ों, विशाल कारखानों, फैलते शहरों, रेलों, हवाईजहाजों, भरपूर खानेपीने व पहनने के सामान के बावजूद आज दुनियाभर की जनता एक भय से भरी हुई है. आज कमी है सही नेताओं की. हर देश अपने यहां यंग, भरोसेमंद नेता का अभाव झेल रहा है. हर नेता के न केवल पांव कीचड़ में सने हुए हैं बल्कि वह नाक तक गंदे पानी में डूबा भी है और गंदा ही सोचता रहता है. कोई ही देश ऐसा नहीं जहां लोग रात में चैन की नींद से सोते होंगे क्योंकि उन का नेता सब संभाल लेगा.

अमेरिका सब से समृद्ध देश है पर उस का न आज का बूढ़ा होता राष्ट्रपति जो बाइडन भरोसा पैदा करता है न पिछला डोनाल्ड ट्रंप करता था. गलत फैसलों से अमेरिका चर्च का गुलाम, संकीर्णवादी सा बन रहा है और वहां वे स्वतंत्रताएं धीरेधीरे खत्म हो रही हैं जिन पर गर्व किया जाता था.

चीन के नेता शी जिनपिंग दिखने में चाहे जितना सौम्य लगें, उन की सरकार बेहद क्रूर है. कोविड में उस ने जो तानाशाही अपनाई है उस से जनता भयभीत है. चीन की प्रगति की गति रुक गई है. रुस के नेता व्लादिमीर पुतिन ने रूस को एक छोटे से देश यूक्रेन के साथ अनावश्यक युद्ध में झोंक दिया और इस चक्कर में पूरे यूरोप को सैनिक तैयारी फिर से करने को मजबूर कर दिया. रूसी जनता अब सेना में शामिल नहीं होना चाहती और अकेले कजाकिस्तान में 90 हजार रूसी युवक शरण ले चुके हैं ताकि इस गलत नेता के गलत युद्ध में उन्हें जुडऩा न पड़े.

इंगलैंड की नए प्रधानमंत्री सुनक भी कोई संतोष देने वाले नहीं हैं. फ्रांस के मैक्रों की हालत ढुलमुल है. इटली और स्वीडन दक्षिणपंथी, जो कट्टरपंथी भी हैं, के हाथों में हैं जहां धौंस चलती है, शांति या सौहार्द नहीं.

भारत का तो कहना क्या. पिछली यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी थी तो यह सरकार मंदिर उद्योग के अलावा बाकी सब को तरतार कर रही है, समाज को तोड़ रही है, रातदिन हिंदूमुसलिम, हिंदूमुसलिम करती रहती है. नरेंद्र मोदी पर भरोसा कट्टर हिंदू समर्थक ही करते हैं. उन की पार्टी का एक ही एजेंटा है- धर्म का धंधा.

जापान, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया कहीं का नाम ले लें, कहीं भी ऐसा नेता नहीं है जिस पर कुछ भरोसा किया जा सके. ऐसा कोई उद्योगपति नहीं बचा जो अपने मुनाफे के बाहर जनता का भला सोच रहा हो. एलन मस्क, बिल गेट्स, मार्क जुकरबेग आम लोगों के दिमाग को जकड़ रहे हैं, बहका रहे हैं, उन्हें नया सोचने की जमीन नहीं दे रहे बल्कि भडक़ा कर एकदूसरे से लडऩे की जमीन मुहैया कर रहे हैं.

सारी दुनिया आज कैमरों के चुंगल में है और कैमरे उन के हाथों में हैं जिन्हें सिर्फ काला दिखता है और वे हर सफेद कपड़े वाले को रंगा समझते हैं और रंगा साबित करने का टूल हाथ में रखते हैं.

 अच्छे युवा नेताओं के अभाव के पीछे इंटरनैट की कारस्तानी है जिस ने दुनिया को एक तो किया पर शांति, सद्भाव के लिए नहीं. इस ने समाज, परिवार को तोडऩे और गालीगलौज दूरदूर तक भेजने के लिए भी प्लेटफौम दिया है. इंटरनैट ने लोगों को अंतर्मुखी बना डाला. बच्चे होते ही पड़ोसियों की तो छोडि़ए, भाईबहन, मातापिता को भी भूलने लगे हैं. वे और उन का मोबाइल जिस पर वे एकदूसरे पर भड़ास ज्यादा निकालते हैं, दूसरों के आगे दोस्ती का हाथ कम बढ़ाते हैं.

इंटरनैट ने और मोबाइल व लैपटौप ने एक पीढ़ी पैदा कर दी है जो दूसरों की चिंता ही नहीं करती क्योंकि आज के लोग आंख उठा कर दूसरों को देखते ही नहीं. इस पीढ़ी के लोग 24 घंटे में से 8 घंटे सोते हैं जबकि 8 घंटे स्क्रीन पर आंख गड़ाए रहते हैं और उन्हें वही भाता है जो भडक़ाऊ हो, गालियों से भरा हुआ हो, घृणा सिखाता है, छिपने की छूट देता हो और दूसरों की गंद को बाहर सडक़ पर एक्जीबिट करने का मौका देता हो.

इंटरनैट आज नेता बना हुआ है आंधी की तरह का जो सब को उड़ा ले जा रहा है, तोड़ रहा, गिरा रहा है और नेता के गुण किसी में पनपे, इस से पहले वह उस को बाहर ले जाता है. इस इंटरनैट युग की चलती हवा में कोई नेता नहीं बच रहा.

नवंबर महीने में खेती के खास काम

नवंबर की शुरुआत में ही किसान गेहूं की बोआई की तैयारियों में जुट जाते हैं. नवंबर माह में गेहूं की बोआई का दौर पूरे जोरशोर से चलता है. यह समय ही गेहूं की बोआई के लिहाज से सब से अच्छा होता है. किसानों को नवंबर महीने की शुरुआत में ही गेहूं के लिहाज से अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए, ताकि कोई कमी हो तो उस का इलाज किया जा सके और उसी के मुताबिक कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर बीज, खाद व उर्वरक वगैरह डालने चाहिए.

* गेहूं की बोआई के लिए अपने इलाके की आबोहवा के हिसाब से ही उन की किस्मों का चयन करना ठीक रहता है. वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक बीजों का बंदोबस्त करें.

* अकसर कई किसान बड़े किसानों से ही बीज खरीद लेते हैं. ऐसी हालत में बीजों को उम्दा फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करना जरूरी हो जाता है. बीजों को उपचारित न करने का असर पैदावार पर पड़ता है. * सीड ड्रिल से गेहूं की बोआई करना सही रहता है. इस तरीके से बीजों की बरबादी नहीं होती है.

* गेहूं की बोआई लाइनों में करना बेहतर होता है और पौधों के बीच का फासला तकरीबन 20 सैंटीमीटर होना चाहिए. इतना फासला रखने से पौधों का विकास अच्छा होता है और खेत की निराईगुड़ाई करना भी आसान होता है.

* गेहूं के साथसाथ नवंबर माह में चने की बोआई का दौर भी चलता है. चने की बोआई का काम भी 15 नवंबर तक निबटा लेना चाहिए.

* आमतौर पर तो मटर व मसूर की बोआई का काम पिछले महीने यानी अक्तूबर माह में ही निबटा लिया जाता है. मगर किसी वजह से मसूर व मटर की बोआई अभी तक न हो पाई हो, तो उसे 15 नवंबर तक जरूर कर लें.

* पिछले महीने बोई गई मटर व मसूर के खेतों में अगर सूखापन नजर आए, तो जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें. इस के अलावा खेत की अच्छी तरह निराईगुड़ाई करें, जिस से खरपतवार काबू में रहें. * मटर व मसूर की फसल पर अगर पत्ती सुरंग या तनाछेदक कीटों का असर नजर आए, तो कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.

* नवंबर माह में जौ की बोआई भी की जाती है. जौ के लिए तैयार किए गए खेत में बोआई का काम 25 नवंबर तक निबटा लेना चाहिए. यों तो जौ की पछेती फसल की बोआई दिसंबर महीने के आखिर तक की जाती है. वैसे, समय से बोआई करना ही बेहतर है, क्योंकि देर से बोई जाने वाली फसल से पैदावार कम मिलती है.

* इस महीने अरहर की फलियां पकने लगती हैं. अगर 75 फीसदी फलियां पक गई हों, तो कटाई का काम करें.

* आलू के खेत अगर सूखे नजर आएं, तो तुरंत सिंचाई करें, ताकि उन की बढ़वार पर असर न पड़े.

* सरसों में नाइट्रोजन की बची मात्रा बोआई के एक महीने बाद पहली सिंचाई कर के छिटकवां तरीके से दें.

* इस महीने के दौरान तोरिया की फलियों में दाना भरता है, लिहाजा खेत में भरपूर नमी होनी चाहिए. नमी कम लगे, तो तुरंत खेत की सिंचाई करें, ताकि फसल बढि़या हो.

* पिछले महीने लगाई गई सब्जियों के खेतों की बारीकी से जांच करें. उन में खरपतवार पनपते नजर आएं, तो निराईगुड़ाई के जरीए उन का खात्मा करें. जरूरत के मुताबिक सिंचाई भी करें.

* सब्जियों के पौधों व फलों पर अगर कीड़ों या बीमारियों के लक्षण नजर आएं, तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर माकूल दवाओं का इस्तेमाल करें.

* आमों की फसल आने में भले ही कई महीने बाकी हैं, मगर उन के पेड़ों का खयाल रखना जरूरी है. मिलीबग कीट आमों के लिए घातक होते हैं. इन से बचाव के लिए पेड़ों के तनों के चारों तरफ पौलीथीन की तकरीबन 30 सैंटीमीटर चौड़ी पट्टी बांध कर उस के सिरों पर ग्रीस लगा दें.

* सर्दी के असर वाले इस महीने में अपने मवेशियों का खयाल रखें, क्योंकि सर्दी से इनसानों के साथसाथ जानवरों के भी बीमार होने का खतरा रहता है. गायभैंसों को सर्दी से बचाने का पूरा बंदोबस्त करें.

* अपने मुरगेमुरगियों को भी सर्दी से महफूज रखने का इंतजाम करें. जरूरत पड़ने पर डाक्टर को बुलाना न भूलें.

वे 20 दिन-भाग 3: क्या राजेश से शादी करना चाहती थी रश्मि?

‘‘नहीं, अभी नहीं. पहले उस की हां तो हो जाए फिर सभी उन के घर चल पड़ेंगे.’’

मैं ने नीता को बचपन से देखा था. हम दोनों साथसाथ खेलते थे. पिछली बार देखा तो पहचान नहीं पाया. तभी दोस्तों ने बताया कि वह नीता है. अब घर वाले उस के हाथ पीले करने की सोच रहे हैं. मैं आधुनिक और पढ़ीलिखी लड़की को अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं, नीता की तरफ मेरा ध्यान ही नहीं गया था. रश्मि तो पढ़ीलिखी है. अच्छी नौकरी है. घर वालों को जल्दी पसंद आ जाएगी. बस, अब रश्मि का इंतजार है. दोचार दिन में हम दोनों पूरी तरह से घुलमिल गए थे, लेकिन अभी तक इतनी हिम्मत नहीं हुई कि दिल की बात कह सकूं.

सोचता हूं कि जल्दबाजी में कहीं बात बिगड़ न जाए. रश्मि वैसे भी खुले विचारों की युवती थी. खुल कर बात होने लगी. अगले शनिवार को रश्मि ने मेरा घूमने का प्रस्ताव मान लिया. दिन में हम ने दिल्ली दरबार में लंच किया और फिर आटो पकड़ कर इंडिया गेट की तरफ चल पड़े. खूब घूमेफिरे, लेकिन दिल की बात करने का मौका ही नहीं मिला. असल में रश्मि ने ऐसा कोई मौका ही नहीं दिया.

औफिस और हैदराबाद की बातों में ही पूरा दिन निकल गया. घर वापसी में ज्यादा बात नहीं हो पाई. वह थोड़ी परेशान नजर आई. नेहरू प्लेस स्टेशन आते ही वह तेजी से बाहर निकली और मुझे बाय करते हुए चल पड़ी. 1-2 घंटे पहले तो सब ठीक था. अचानक इसे क्या हो गया? कोई समस्या होगी. अगले 2 दिन तक रश्मि नजर नहीं आई. आखिर क्या बात हो गई. किसी ने हमें साथ घूमते देख तो नहीं लिया. मिलने पर ही सारी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. बुधवार को रश्मि से मुलाकात हो गई.

‘‘क्या हुआ रश्मि?’’

वह बोली, ‘‘पहले आराम से बैठते हैं, फिर बातें करते हैं.’’

उस का चेहरा बुझाबुझा सा लग रहा था. आज ठीक से मेकअप भी नहीं किया. लगता है कि रातभर सोई नहीं होगी. मेरे कई सवालों का उस ने एक उत्तर दिया. ‘‘बहुत जल्दबाजी करते हो,’’ कहते ही वह अचानक गंभीर हो गई.

‘‘राजेश, तुम बहुत अच्छे लड़के हो. अच्छी नौकरी है. दिखने में हैंडसम हो. एक अच्छे दोस्त के नाते तुम्हें एक सलाह देती हूं कि जल्दी ही शादी कर लो.’’

‘‘लेकिन…’’

‘‘मैं सब समझती हूं. शायद तुम्हें पता नहीं कि मैं शादीशुदा हूं और 2 बच्चों की मां हूं. पति आर्मी में हैं. उन की ड्यूटी ज्यादातर सीमा पर रहती है. मैं सासससुर के साथ रहती हूं. मैं दोस्ती तोड़ने को थोड़े कह रही हूं. वह तो चलती ही रहेगी. यह सब अलग बात है. जिंदगी की गाड़ी चलाना अलग बात है.’’

मैं पूरी तरह से जड़वत हो गया. क्या सोचा था? क्या हो गया? एक ही झटके में सब खत्म हो गया. अचानक रश्मि सीट से उठी और तेजी से चल पड़ी. मैं अवाक् रह गया.

उस के जाते ही मैं ने खुद को संभाला. मेरी क्या गलती थी? स्टेशन पर उतरने के बाद मैं धीरेधीरे घर की ओर चल पड़ा. पैर जमीन पर ठीक से नहीं पड़ रहे थे. दरवाजे पर पहुंचा ही था कि भाभी खड़ी थीं. ‘‘अरे राजू, तू आ गया. क्या बात है तेरे चेहरे पर तो पूरे 12 बजे हैं.‘‘

‘‘नहीं, भाभी, ऐसा कुछ नहीं है,’’ अचानक मेरे मुंह से निकल पड़ा, ‘‘भाभी, आप लोग नीता को देखने कब जा रहे हो. भाभी, मुझे नीता पसंद है.’’

भाभी को एकाएक विश्वास ही नहीं हुआ. उन्होंने उत्साह में भैया को जोर से आवाज दी, ‘‘अजी, सुनते हो…’’

‘‘क्या है, क्यों इतना चिल्ला रही हो?’’ भैया बोले.

‘‘जल्दी से बाजार से 2 किलो अच्छी बरफी तो ले आओ.’’

‘‘आखिर ऐसी क्या बात हो गई. कौन सी खुशी की बात है.’’

‘‘अपने राजू को नीता पसंद आ गई है. वह शादी के लिए मान गया है.’’

मां भी दौड़ीदौड़ी बाहर आ गईं. घर में पूरी तरह से खुशी का माहौल था. भतीजे ने सुना तो वह भी खुशी से पागल हो गया.

‘‘मैं अपने दोस्तों को बताने जा रहा हूं, चाचू. मेरे चाचू की शादी होगी. बहुत मजे आएंगे.’’

मोनालिसा ने पति संग इस खास अंदाज में मनाया अपना 40वां जन्मदिन

भोजपुरी इंडस्ट्री में धमाल मचाने वाली मोनालिसा ने बीते दिनों अपना 40 वां जन्मदिन मनाया है, इस खास मौके पर वह अपने पति के साथ मोनालिसा नजर आईं, बता दें कि मोनालिसा बिग बॉस 10 में नजर आ चुकी हैं.

मोनालिसा को बिग बॉस 10 में उनका सच्चा प्यार मिला था, इसी शो में उनकी मुलाकात विक्रांत सिंह से हुई थी, बता दें इन दोनों की शादी भी इसी घर में हुईं थी. दोनों एक दूसरे से काफी ज्यादा करीब आ गए थें,जिसके बाद से दोनों ने एक साथ जीवन बीताने का निर्णय लिया था.

दोनों हमेशा कपल्स गोल देते नजर आते हैं. दोनों अक्सर सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो शेयर करते नजर आते हैं. हाल ही में दोनों ने अपने जन्मदिन मनाते हुए फोटो शेयर किया है. अब मोनालिसा के बर्थ डे पर पति विक्रांत ने उन्हें खास अंदाज में विश किया है.

विक्रांत सिंह ने मोनालिसा को टैग करते हुए एक फोटो और वीडियो शेयर किया है, इस क्लिप में वह मोनालिसा पर खूब प्यार बरसाते नजर आ रहे हैं, विक्रांत सिंह का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

फैंस इस क्लिप पर जमकर कमेंट कर रहे हैं, मोनालिसा सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं, जिससे इनके चाहने वाले इऩ्हें खूब पसंद करते हैं.

Bigg Boss 16 : गौतम विज के जाते ही शालीन से नजदीकियां बढ़ा रही हैं सौदर्या

बिग बॉस 16 से इस हफ्ते गौतम विज बाहर जा चुके हैं, कम वोट्स मिलने की वजह से गौतम को शो से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, शो से बाहर होते ही गौतम और सौदर्या की लव स्टोरी अधूरी रह गई है.

बता दें कि गौतम के जाते ही सौदर्या शर्मा अकेली पड़ गई हैं, लेकिन बात करें सौदर्या शर्मा के गेम की तो  उनके गेम पर जरा भी असर नहीं पड़ा है, इसके साथ ही सौदर्या शर्मा ने अर्चना से गेम जीतने की टिप्स लेनी शुरू कर दी है.

 

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गौतम के जाते ही सौदर्या शर्मा ने अर्चना से कहा कि अब उन्हें शालीन भनोट का सहारा लेकर गेम को आगे बढ़ाना है. टीना को जैलेस करना है ताकी उसे पता चले कि उसकी क्या अवकात है.

सौदर्या कहती है कि पहले शालीन भनोट ने मेरे साथ गेम खेलने की कोशिश की है अब मेरी बारी है. दरअसल शुरुआती दिनों में शालीन भनोट ने सौंदर्या शर्मा से नजदीकि बनाने की कोशिश की थी.

एक बार सौंदर्या शर्मा ने शालीन भनोट के गाल पर किस कर दिया था, उस दौरान शालीन और गौतम विज में जमकर लड़ाई हुई थी. इसके बाद समय के साथ ही सौदर्या शर्मा ने गौतम विज के साथ अपनी जोड़ी बना ली थी.

विंटर स्पेशल : मूंगफली में छिपा सेहत का खजाना

मूंगफली को गरीबों का बादाम भी कहा जाता है. क्योंकि यह बादाम के मुकाबले सस्ता होता है. पर इस का सेवन कभीकभी गर्मियों में भी कर सकते हैं.

मूंगफली को कई तरीके से खा सकते हैं जैसे- कच्ची,  तल कर या फिर भून कर. रोज इसे खाने का सब से अच्छा तरीका सलाद के रूप में है.

आप अपने नाश्ते में दलिया, पोहा, मूंग दाल की खिचड़ी या दलिया वगैरह में मूंगफली डाल सकते हैं या फिर इस का सेवन दही में मिला कर भी कर सकते हैं. इस के अलावा पीनट बटर के तौर पर, चटनी बना कर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

यह प्रोटीन का सब से अच्छा जरिया माना जाता है क्योंकि इस में सेहत का खजाना छिपा हुआ होता है.

वैसे, मूंगफली का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर के लिए कभीकभी नुकसान पहुंचा सकता है. वहीं इस के सेवन से कुछ लोगों की त्वचा में एलर्जी हो सकती है. चेहरे और गले में सूजन आ सकती है. कई बार तो इस के सेवन से सांस लेने में दिक्कत होती है. इतना ही नहीं, कई बार अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

अगर आप किसी वजह से दूध नहीं पीते हैं तो मूंगफली का सेवन इस का एक बेहतर विकल्प भी हो सकता है.वहीं वजन घटाने में भी यह काफी उपयोगी मानी गई है.

मूंगफली की बाहरी खाल में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट की पर्याप्त मात्रा होती है. यही वजह है कि जो लोग नियमित रूप से मूंगफली खाते हैं, उन में हार्ट स्ट्रोक या बीमारी से मरने की संभावना बहुत कम होती है.वहीं खून की कमी भी नहीं होने पाती.

– मूंगफली में विटामिन ई, विटामिन बी 3 और विटामिन 6 के अलावा पर्याप्त मात्रा में आयरन, कैल्शियम, जिंक, नियासिन जैसे तत्व  होते हैं, जो याददाश्त को बढ़ाने में मदद करते हैं.

मूंगफली का सेवन एक ओर जहां पित्त की पथरी के खतरे को कम करने में काफी मददगार है, वहीं दूसरी ओर मूंगफली को अगर स्नैक के रूप में शामिल किया जाए तो यह वजन घटाने में भी मदद करता है.

एक शोध में अपने दिनचर्या में एक हफ्ते तक मूंगफली को शामिल करने वाले 5 या उस से अधिक नट्स खाने वाले पुरुषों में पित्त की पथरी की बीमारी का खतरा कम हो गया. इसी तरह एक हफ्ते में 5 या उस से अधिक यूनिट नट्स का सेवन करने वाली महिलाओं में कोलेसीस्टेक्टॉमी यानी पित्ताशय की थैली को हटाने का ख़तरा कम हो जाता है.

मूंगफली में ओमेगा 6 होने से त्वचा कोमल और नम बनी रहती है. कई लोग तो मूंगफली के पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के तौर पर भी करते हैं.

मूंगफली में ट्रिप्टोफैन का अच्छा स्त्रोत पाया गया है, जो एक जरूरी एमीनो एसिड है जो मूड सुधारने वाले हार्मोन सेरोटोनिन का स्राव बढ़ाता है और डिप्रेशन को कम करने में मददगार साबित होता है.

मूंगफली में मौजूद तत्व पेट से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं. इस के नियमित सेवन से पाचन क्रिया ठीक रहती है और कब्ज जैसी समस्या भी दूर हो जाती है.

इतना ही नहीं, पेट से होने वाली औरतों के लिए मूंगफली खाना बेहद फायदेमंद है. इस से पेट में पल रहे बच्चे का विकास बेहतर तरीके से होता है.

तो आज से ही अपने खाने में हर रोज थोड़ीथोड़ी मात्रा में मूंगफली को शामिल कर अच्छी सेहत बनाएं.

तलाश : मिस्टर सोनी क्या देखकर हैरान थें

इंदौर का ट्रिपल मर्डर केस अखबारों में छाया हुआ था. उस में 3 पीढ़ियों की महिलाओं की हत्या की गई थी- नानी, मां और बेटी की. रिपोर्टरों में होड़ मची थी अपनेअपने चीफ एडिटर को इंप्रैस करने की. इंदौर शहर के हर व्यक्ति का दिल कांप गया था इतना भयानक हत्याकांड देख कर.

तान्या को भी चीफ एडिटर अमर ने इसी ट्रिपल मर्डर केस का काम सौंपा हुआ था. तान्या को चिढ़ थी क्राइम रिपोर्टिंग से लेकिन चीफ एडिटर का और्डर मानना ही था. चीफ एडिटर अमर का और्डर था कि फोटोग्राफर सोमेश के साथ तान्या इस पर काम करे और ट्रिपल मर्डर केस में हर दिन की खबर पर नजर रखे, बाकी सब काम छोड़ दे. वे दोनों इस केस के पीछे लगे थे. पुलिस से भी संपर्क में बने हुए थे. अपराधी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.

आज वह अब तक की पूरी रिपोर्ट तैयार करने के साथ उस को फाइनल चैक भी करना चाहती थी. तान्या बड़ी गंभीरता से इस काम में लगी थी. सोमेश ने उसे कौफी पीने के लिए कहा भी कि कौफी पी कर आते हैं, फिर काम करते हैं. लेकिन तान्या ने मना कर दिया था. पहले काम, फिर कौफी. सोमेश अकेला ही प्रैस की कैंटीन में चला गया था.

तान्या को हैडलाइन नहीं सूझ रही थी, खबर की हैडलाइन क्या दे. वह सोच में डूबी थी, तभी अचानक उसे याद आया कि पुलिस थाने में इंस्पैक्टर से बात हुई थी, वह शक जाहिर कर रहा था कि जांच में यह बात सामने आई है कि ट्रिपल मर्डर केस में किसी महिला का भी हाथ हो सकता है. फिर क्या था, उसे हैडलाइन सूझ गई. हैडलाइन यह बनायी थी- ‘ट्रिपल मर्डर केस में अनजान महिला’. चीफ एडिटर को मेल कर उस ने सोमेश को मोबाइल किया कि उस के लिए कौफी का और्डर दे दे. फिर लैपटौप उठा कर वह सीधे कैंटीन में चली गई.

कैंटीन में सोमेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने कौफी के साथ वेज बर्गर भी मंगवा लिया, दरअसल घर जा कर वह ‘ट्रिपल मर्डर केस’ पर काम करना चाहती थी, सो डिनर के लफड़े में कौन पड़े. रूमपार्टनर ने डिनर कर भी लिया होगा. फटाफट कौफी खत्म कर वह घर की तरफ चल दी. देररात पूरी रिपोर्ट तो वह पढ़ती रही, जहांजहां उसे ठीक लगा, वहां उस ने कुछ बिंदु हाईलाइट्स किए. जांच रिपोर्ट में एक जगह आ कर अटक गई. फिर कुछ सोच कर उस ने इंस्पैक्टर को फोन लगाने की सोची. घड़ी देखी, रात के 11 बज रहे थे. क्या करूं… फिर उस ने मोबाइल लगा ही दिया.

मोबाइल तुरंत ही इंस्पैक्टर ने उठा लिया, बोला, “तान्या जी बताएं, कैसे याद किया? अब क्या छूट गया?”

“सौरी इंस्पैक्टर साहब, येह केस ही ऐसा है, नींद ही नहीं आ रही थी. कुछ पूछना था आप से,” तान्या बोली.

“जी पूछिए, पत्रकार कहां शांति से बैठते हैं?” इंस्पैक्टर ने कहा.

“मुझे यह पूछना था कि तीनों का मर्डर होने के बाद फैमिली में कौन है जिस से बात हो सकती हो. मेघा के पति तो बाहर रहते हैं, उन से बात हुई क्या?” तान्या ने सवाल किया.

“उन से बात हुई थी लेकिन वे इंदौर से बाहर रहते थे, इसलिए उन को कुछ विशेष पता नहीं. पीएम के बाद बौडी ले कर कुछ रिश्तेदारों के साथ वे चले गए. उन के घर कौनकौन आताजाता था, यह पति को भी नहीं पता. हां, एक बात पता चली है उन के पड़ोसियों से पूछने पर कि एक महिला खूब आती थी,” इंस्पैक्टर की आवाज आई.

“अच्छा, महिला,” तान्या के दिमाग में खयाल आया वह महिला कौन थी जिस का पता नहीं चला है. “ओके इंस्पैक्टर साहब, थैंक यू, गुड नाइट.” यह बोल र तान्या ने फोन काट दिया. थकान के कारण जल्दी ही नींद ने उसे घेर लिया.

दूसरे दिन सुपर न्यूज़ एक्सप्रैस में तान्या की हैडलाइन थी- ‘ट्रिपल मर्डर में अनजान महिला’. पेपर देख कर फटाफट फ्रैश होने को वह वाशरूम भागी. प्रैस भी जल्दी पहुंचना होगा. रूमपार्टनर आलिया तो वीकली पेपर में रिपोर्टर थी, उस को जल्दी जाना था. वह चाय पी कर निकल गई थी.

वाशरूम से आ कर वह नाश्ते की तैयारी करने लगी. फटाफट उस ने जींस के ऊपर लौंग टीशर्ट पहनी, लंबे बालों का जूड़ा बनाया. फिर सोचा, अब नाश्ता करने बैठती हूं. इतने में कौलबैल चीख उठी.

इस समय कौन हो सकता है? उस ने पलभर सोचा और दरवाजा खोल दिया.

दरवाजे पर एक अनजान व्यक्ति को देख कर न जाने कितने खयाल आए और चले गए.

“तुम तान्या हो?” व्यक्ति ने पूछा. “जी, मैं तान्या हूं.” पहनावे से वह व्यक्ति धनी मालूम हो रहा था.

“मैं अरुण कुमार सोनी बादल का डैडी हूं. सुपर न्यूज एक्सप्रैस में तुम्हारी ही हैडलाइन है?”

“जी,” तान्या बोली, “आप अंदर आइए न.”

बादल के पिता ने अंदर आते ही कमरे का निरीक्षण करना शुरू कर दिया. किताबों की शैल्फ में ढेर सारी किताबें व्यवस्थित रखी हुई थीं. कई सारी पुस्तकें पत्रकारिता की थीं ही, साथ ही, साहित्य की भी पुस्तकें थीं- गोर्की टौल्सटौय, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद आदि लेखकों की.

“अरे वाह, ये सब पुस्तकें किस की हैं? कौन पढ़ता है इन्हें?”

“अंकल जी, मै पढ़ती हूं.” फिलहाल अंकल जी संबोधन उसे उचित लगा था.

“वाह, क्या बात है,” कहतेकहते बादल के पिता शैल्फ के नजदीक चले गए. शैल्फ के ऊपर ही अंबे मां की छोटी सी तसवीर रखी थी. पास ही साईं बाबा की छोटी सी मूर्ति भी थी.

“तुम भगवान को भी मानती हो?” बादल के पिता ने पूछा.

“अंधविश्वास में मेरा यकीन नहीं है, किंतु मैं ईश्वर पर विश्वास करती हूं. माता और बाबा की आलिया भी भक्त है,” तान्या ने कहा.

“तुम्हारी रूमपार्टनर कहां है?” अंकल जी ने पूछा.

“एक स्टोरी कवर करने गई है. उसे सोशल प्रौब्लम को कवर करना अच्छा लगता है,” तान्या ने बताया.

चाय की चुस्की के साथ अंकल जी ब्रेडपकौड़ों का भी आनंद लेते जा रहे थे.

“तुम को कुकिंग का शौक है?” अंकल जी ने पूछा.

“यों तो सभी इंडियन फूड बना लेती हूं पर कुछ स्नैक्स अच्छा बना लेती हूं,” तान्या बोली.

“ओके, अब मैं चलता हूं. ब्रेड पकौड़े अच्छे थे. मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,” कहते हुए मिस्टर सोनी ने विजिटिंग कार्ड तान्या को पकड़ा दिया.

“लेकिन आप कुछ खबर के बारे में पूछ रहे थे,” तान्या बोली.

“तुम ने जो खबर में अनजान महिला का जिक्र किया है, उस की जानकारी तुम को मिल सकती है,” मिस्टर सोनी बोले.

“अच्छा,” तान्या खुशीभरे स्वर में बोली, “कहां?”

“मेरे घर में बादल की मम्मी से,” मिस्टर सोनी बोले, “तुम को पता है, मेरी कई ज्वैलरी शौप हैं, इंदौर में भी और बाहर कई शहरों में. मैं ज्यादातर बाहर ही रहता हूं बिजनैस के सिलसिले में. घर पर बादल की मम्मी और मेरी मम्मी, मतलब, बादल की दादी रहती हैं.”

“जी पता है मुझे, बादल ने एक बार बताया था,” तान्या बोली.

“हमारा घर कुछ मकान छोड़ कर थोड़ी दूरी पर है. लेकिन उसी कालोनी, श्रीनगर कालोनी, में पुलिस ने नजदीक वाले पड़ोसियों से जानकारी ली, हम से नहीं.”

“अच्छा,” तान्या ध्यान से सुन रही थी.

“तुम कल सन्डे को घर आ जाओ, नाश्ता भी साथ ही करेंगे और पूजा से भी मिल लेना. तुम्हारी न्यूज की हैडलाइन की जानकारी भी मिल जाएगी,” मिस्टर सोनी बोले.

“जी अंकल जी,” तान्या बोली.

तान्या अपने रूम में आ गई. उसे बादल से मुलाकात याद आई. लगभग एक वर्ष पहले किसी न्यूज के सिलसिले में बादल अपने मित्र के साथ आया था. तभी दोनों की बातचीत शुरू हुई थी, फिर धीरेधीरे प्रेम परवान चढ़ने लगा था.

संडे के दिन सुबहसुबह तान्या उलझन का शिकार हुई, ड्रैस कौन सी पहने, समझ नहीं आ रहा. फिर तान्या को याद आया कि बादल के पापा ने भी किसी पुर्तगाली ईसाई लड़की से शादी की है, निश्चित रूप से वह बेहद आधुनिक होगी. साथ ही, घर का माहौल भी आधुनिक होगा. यह सोच कर वह थोड़ा टैंशन फ्री हो गई. उस ने अपनी सब से अच्छी जींस और रौयल ब्लू कलर का टौप पहना. कमर तक अपने लंबे बालों को उस ने खुला ही रहने दिया.

तान्या सुंदर थी, रंग खिलता हुआ था, नक्श तीखे थे. नाक के बांईं ओर का तिल उस की सुंदरता में चारचांद लगाता था. मुसकराहट में कोमलता थी. ये सब बादल को भा गया था.

श्रीनगर कालोनी में हरियाली का राज था. दूरदूर बने बंगले बड़े ही खूबसूरत थे. लोहे के बड़े से गेट के बाहर खूबसूरत सी नेमप्लेट लगी थी- अरुण कुमार सोनी.

तान्या कौलबैल बजाती, इस के पहले ही एक सर्वेंट गेट खोल कर बाहर आया और बोला, “तान्या मेम?”

“यस, तान्या.”

“आइए, अंदर आइए,” कहतेकहते उस ने एक रूम का गेट खोला था. कदम रखते ही भांप लिया कि यह ड्राइंगरूम है. हर कोने में कलात्मकता दिख रही थी.

तभी ट्रे में पानी ले कर सर्वेंट आया, “मेरा नाम मोहन है, साहब, मेमसाब अभी आते ही होंगे, कुछ काम से गए हैं.”

उस ने मोबाइल में समय देखा, सुबह के साढ़े दस बज रहे थे.

पेपर की न्यूज और फिर बादल के मम्मीडैडी से मुलाकात… टैंशन में वह नाश्ता भी नहीं कर पाई थी.

बादल भी अभी नहीं आया था. अभीअभी सर्विस जौइन की थी, इसलिए छुट्टी कम ही लेता था.

आना होता तो पहले इन्फौर्म जरूर करता.

तान्या अपने विचारों में उलझी जा रही थी.

“नाश्ता तो तुम ने भी नहीं किया होगा, बेटी,” बादल के पापा की आवाज आई.

तान्या चौंक गई. उसे पता ही नहीं चला,एकदम से सोफे से उठ कर खड़ी हो गई.

“बैठोबैठो,” कहतेकहते मिस्टर सोनी तान्या के सामने बैठ गए.

“आंटी जी कहां हैं?” तान्या ने सवाल किया.

“पूजा? वह अभीअभी किचन में गई है, उस के हाथों का बना नाश्ता भूल नहीं पाओगी,” मिस्टर सोनी अपनी पत्नी पूजा की तारीफ करते हुए बोले.

‘पूजा?’ बादल की मम्मी का नाम पूजा है. लेकिन बादल ने तो पामेला बताया था. तान्या फिर सोच में पड़ गई.

“क्या सोच रही हो?” मिस्टर सोनी बोले, “पामेला को मैं पूजा कहता हूं.” उन्होंने तान्या की उलझन दूर की.

वे कुछ कहने वाले थे कि तभी बादल की मम्मी नाश्ता ले कर आ गई. उस के हाथों में आलूगोभी के परांठे, दही और घर का निकला स्वादिष्ठ मक्खन था. तान्या की भूख बढ़ गई. वह आदरसहित खड़ी हो गई और उस ने नमस्ते की.

“अरे बैठो, पहले नाश्ता, बाद में बातें,” कह कर पूजा ने टेबल पर नाश्ते की प्लेटें सजानी शुरू कीं.

तान्या एकटक पूजा को देखती रही. बड़ा ही प्यारा सा सूट पहन रखा था. बड़ी प्यारी लग रही थी.

“नाश्ता करतेकरते बातें भी करते हैं,” मिस्टर सोनी ने बात के सिरे को संभाला, “तुम जिस न्यूज़ को कवर कर रही हो, उस के बारे में तुम्हें पूजा बताएगी. पूजा, तान्या को बताओ उस दिन वाली बात.”

“जी,” पूजा ने कहा, “तान्या, दरअसल, एक लेडी थी. उस का नाम नेहा था. उस की मेघा (जिस का मर्डर हुआ) से अच्छी दोस्ती हो गई थी. मेघा के पति बैंक में औफिसर है, अकसर बाहर जाया करते थे और मेघा को ज्वैलरी का बहुत शौक था. वह अकसर नई डिजाइन के बारे में जानने और ज्वैलरी देखने हमारे घर आती रहती थी. मेघा से ही पता चला कि उस की नेहा से अच्छी फ्रैंडशिप हो गई थी. उस की नेहा से मुलाकात किसी ब्यूटीपार्लर में हुई थी जहां वह फेशियल कराने के लिए गई थी. फेशियल के पहले उस ने ज्वैलरी निकाल कर पर्स में रखी थी, जिस पर नेहा की नज़र पड़ी थी. वह तारीफ करने लगी थी. ज्वैलरी की तारीफ सुन कर मेघा खुश हो गई थी. यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई.”

पूजा के इतना बताने पर तान्या खुश हो गई थी. उस की मेहनत सफल हो गई. उस ने पूजा से पूछा. “यह बात आप को मेघा ने बताई थी?”

“हां, क्योंकि इस मुलाकात के बाद मेघा कभीकभी उसे घर बुलाने लगी थी,” पूजा बोली.

“जो जानकारी है, आप ने पुलिस को क्यों नहीं बताई?” तान्या ने सवाल किया.

“हम आजकल में पुलिस के पास जाने वाले थे कि कल पेपर में तुम्हारी न्यूज पढ़ी. न्यूज़ पढ़ कर बादल के पापा तुम्हारे घर गए.”

“थैंक यू वैरी मच, आंटी,” तान्या बोली.

“अच्छा, यह बताओ किशादी कब करनी है?” पूजा ने तान्या को छेड़ा.

“जी, वो…” कहतीकहती तान्या शरमा गई.

“देखो बेटा, मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता,” बादल के डैडी बोले, “मैं सिर्फ इंसानियत को मानता हूं, कट्टरता के खिलाफ हूं. बादल ने बताया ही होगा. बादल का व्यवहार तो तुम को पता ही होगा. वह भी इसी प्रकार के विचार रखता है. मैं ने तुम्हारे रूम में देवीदेवताओं की बहुत सी तसवीरें देखी थीं, इसलिए मुझे लगा, कहीं तुम कट्टर तो नहीं?”

“जी, मैं यह बात जानती हूं, अंकल जी,” तान्या बोली, “मेरे विचारों में कट्टरता नहीं है,अंकल जी. मनुष्य मात्र की भलाई में मानवता है, रूढ़ियों, अंधविश्वासों पर मुझे विश्वास नहीं.”

कभी बादल तुम को यह जर्नलिस्ट वाला काम छोड़ने को बोले तो?” मिस्टर सोनी ने सवाल किया.

“नहीं, ऐसा नहीं होगा. बादल पर मुझे विश्वास है,” तान्या बोली, जर्नलिस्ट का काम तो ऐसा है कि जहां बादल का ट्रांसफर होगा वहीं किसी पेपर से जुड़ जाऊंगी,” तान्या कौन्फिडेंस के साथ बोली और कहा, अंकल जी, अब मैं चलती हूं.”

बादल के घर से तान्या सीधी पुलिस इंस्पैक्टर के पास गई.

थोड़े दिनों बाद ही पेपर में न्यूज थी, ‘ट्रिपल मर्डर केस के आरोपी गिरफ्तार’.

तान्या की जानकारी से पुलिस को सहयोग मिला. अनजान महिला नेहा वर्मा अपने 3 साथियों सहित गिरफ्तार कर ली गई.

उस की सफलता से खुश हो कर बादल ने भी बधाई दी तान्या को.

तान्या खुश थी. उस की आवाज से मालूम पड़ रहा था वह खुश थी.

“तान्या, डैडी तुम से इंप्रैस हैं,” बादल ने कहा.

“अच्छा!” तान्या ने कहा.

“पापा ने मेरी पसंद को समझा और स्वीकार किया. उन की एक अच्छी बहू की तलाश खत्म हुई.”

इंदौर का ट्रिपल मर्डर केस अखबारों में छाया हुआ था. उस में 3 पीढ़ियों की महिलाओं की हत्या की गई थी- नानी, मां और बेटी की. रिपोर्टरों में होड़ मची थी अपनेअपने चीफ एडिटर को इंप्रैस करने की. इंदौर शहर के हर व्यक्ति का दिल कांप गया था इतना भयानक हत्याकांड देख कर.

तान्या को भी चीफ एडिटर अमर ने इसी ट्रिपल मर्डर केस का काम सौंपा हुआ था. तान्या को चिढ़ थी क्राइम रिपोर्टिंग से लेकिन चीफ एडिटर का और्डर मानना ही था. चीफ एडिटर अमर का और्डर था कि फोटोग्राफर सोमेश के साथ तान्या इस पर काम करे और ट्रिपल मर्डर केस में हर दिन की खबर पर नजर रखे, बाकी सब काम छोड़ दे. वे दोनों इस केस के पीछे लगे थे. पुलिस से भी संपर्क में बने हुए थे. अपराधी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.

आज वह अब तक की पूरी रिपोर्ट तैयार करने के साथ उस को फाइनल चैक भी करना चाहती थी. तान्या बड़ी गंभीरता से इस काम में लगी थी. सोमेश ने उसे कौफी पीने के लिए कहा भी कि कौफी पी कर आते हैं, फिर काम करते हैं. लेकिन तान्या ने मना कर दिया था. पहले काम, फिर कौफी. सोमेश अकेला ही प्रैस की कैंटीन में चला गया था.

तान्या को हैडलाइन नहीं सूझ रही थी, खबर की हैडलाइन क्या दे. वह सोच में डूबी थी, तभी अचानक उसे याद आया कि पुलिस थाने में इंस्पैक्टर से बात हुई थी, वह शक जाहिर कर रहा था कि जांच में यह बात सामने आई है कि ट्रिपल मर्डर केस में किसी महिला का भी हाथ हो सकता है. फिर क्या था, उसे हैडलाइन सूझ गई. हैडलाइन यह बनायी थी- ‘ट्रिपल मर्डर केस में अनजान महिला’. चीफ एडिटर को मेल कर उस ने सोमेश को मोबाइल किया कि उस के लिए कौफी का और्डर दे दे. फिर लैपटौप उठा कर वह सीधे कैंटीन में चली गई.

कैंटीन में सोमेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने कौफी के साथ वेज बर्गर भी मंगवा लिया, दरअसल घर जा कर वह ‘ट्रिपल मर्डर केस’ पर काम करना चाहती थी, सो डिनर के लफड़े में कौन पड़े. रूमपार्टनर ने डिनर कर भी लिया होगा. फटाफट कौफी खत्म कर वह घर की तरफ चल दी. देररात पूरी रिपोर्ट तो वह पढ़ती रही, जहांजहां उसे ठीक लगा, वहां उस ने कुछ बिंदु हाईलाइट्स किए. जांच रिपोर्ट में एक जगह आ कर अटक गई. फिर कुछ सोच कर उस ने इंस्पैक्टर को फोन लगाने की सोची. घड़ी देखी, रात के 11 बज रहे थे. क्या करूं… फिर उस ने मोबाइल लगा ही दिया.

मोबाइल तुरंत ही इंस्पैक्टर ने उठा लिया, बोला, “तान्या जी बताएं, कैसे याद किया? अब क्या छूट गया?”

“सौरी इंस्पैक्टर साहब, येह केस ही ऐसा है, नींद ही नहीं आ रही थी. कुछ पूछना था आप से,” तान्या बोली.

“जी पूछिए, पत्रकार कहां शांति से बैठते हैं?” इंस्पैक्टर ने कहा.

“मुझे यह पूछना था कि तीनों का मर्डर होने के बाद फैमिली में कौन है जिस से बात हो सकती हो. मेघा के पति तो बाहर रहते हैं, उन से बात हुई क्या?” तान्या ने सवाल किया.

“उन से बात हुई थी लेकिन वे इंदौर से बाहर रहते थे, इसलिए उन को कुछ विशेष पता नहीं. पीएम के बाद बौडी ले कर कुछ रिश्तेदारों के साथ वे चले गए. उन के घर कौनकौन आताजाता था, यह पति को भी नहीं पता. हां, एक बात पता चली है उन के पड़ोसियों से पूछने पर कि एक महिला खूब आती थी,” इंस्पैक्टर की आवाज आई.

“अच्छा, महिला,” तान्या के दिमाग में खयाल आया वह महिला कौन थी जिस का पता नहीं चला है. “ओके इंस्पैक्टर साहब, थैंक यू, गुड नाइट.” यह बोल र तान्या ने फोन काट दिया. थकान के कारण जल्दी ही नींद ने उसे घेर लिया.

दूसरे दिन सुपर न्यूज़ एक्सप्रैस में तान्या की हैडलाइन थी- ‘ट्रिपल मर्डर में अनजान महिला’. पेपर देख कर फटाफट फ्रैश होने को वह वाशरूम भागी. प्रैस भी जल्दी पहुंचना होगा. रूमपार्टनर आलिया तो वीकली पेपर में रिपोर्टर थी, उस को जल्दी जाना था. वह चाय पी कर निकल गई थी.

वाशरूम से आ कर वह नाश्ते की तैयारी करने लगी. फटाफट उस ने जींस के ऊपर लौंग टीशर्ट पहनी, लंबे बालों का जूड़ा बनाया. फिर सोचा, अब नाश्ता करने बैठती हूं. इतने में कौलबैल चीख उठी.

इस समय कौन हो सकता है? उस ने पलभर सोचा और दरवाजा खोल दिया.

दरवाजे पर एक अनजान व्यक्ति को देख कर न जाने कितने खयाल आए और चले गए.

“तुम तान्या हो?” व्यक्ति ने पूछा. “जी, मैं तान्या हूं.” पहनावे से वह व्यक्ति धनी मालूम हो रहा था.

“मैं अरुण कुमार सोनी बादल का डैडी हूं. सुपर न्यूज एक्सप्रैस में तुम्हारी ही हैडलाइन है?”

“जी,” तान्या बोली, “आप अंदर आइए न.”

बादल के पिता ने अंदर आते ही कमरे का निरीक्षण करना शुरू कर दिया. किताबों की शैल्फ में ढेर सारी किताबें व्यवस्थित रखी हुई थीं. कई सारी पुस्तकें पत्रकारिता की थीं ही, साथ ही, साहित्य की भी पुस्तकें थीं- गोर्की टौल्सटौय, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद आदि लेखकों की.

“अरे वाह, ये सब पुस्तकें किस की हैं? कौन पढ़ता है इन्हें?”

“अंकल जी, मै पढ़ती हूं.” फिलहाल अंकल जी संबोधन उसे उचित लगा था.

“वाह, क्या बात है,” कहतेकहते बादल के पिता शैल्फ के नजदीक चले गए. शैल्फ के ऊपर ही अंबे मां की छोटी सी तसवीर रखी थी. पास ही साईं बाबा की छोटी सी मूर्ति भी थी.

“तुम भगवान को भी मानती हो?” बादल के पिता ने पूछा.

“अंधविश्वास में मेरा यकीन नहीं है, किंतु मैं ईश्वर पर विश्वास करती हूं. माता और बाबा की आलिया भी भक्त है,” तान्या ने कहा.

“तुम्हारी रूमपार्टनर कहां है?” अंकल जी ने पूछा.

“एक स्टोरी कवर करने गई है. उसे सोशल प्रौब्लम को कवर करना अच्छा लगता है,” तान्या ने बताया.

चाय की चुस्की के साथ अंकल जी ब्रेडपकौड़ों का भी आनंद लेते जा रहे थे.

“तुम को कुकिंग का शौक है?” अंकल जी ने पूछा.

“यों तो सभी इंडियन फूड बना लेती हूं पर कुछ स्नैक्स अच्छा बना लेती हूं,” तान्या बोली.

“ओके, अब मैं चलता हूं. ब्रेड पकौड़े अच्छे थे. मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,” कहते हुए मिस्टर सोनी ने विजिटिंग कार्ड तान्या को पकड़ा दिया.

“लेकिन आप कुछ खबर के बारे में पूछ रहे थे,” तान्या बोली.

“तुम ने जो खबर में अनजान महिला का जिक्र किया है, उस की जानकारी तुम को मिल सकती है,” मिस्टर सोनी बोले.

“अच्छा,” तान्या खुशीभरे स्वर में बोली, “कहां?”

“मेरे घर में बादल की मम्मी से,” मिस्टर सोनी बोले, “तुम को पता है, मेरी कई ज्वैलरी शौप हैं, इंदौर में भी और बाहर कई शहरों में. मैं ज्यादातर बाहर ही रहता हूं बिजनैस के सिलसिले में. घर पर बादल की मम्मी और मेरी मम्मी, मतलब, बादल की दादी रहती हैं.”

“जी पता है मुझे, बादल ने एक बार बताया था,” तान्या बोली.

“हमारा घर कुछ मकान छोड़ कर थोड़ी दूरी पर है. लेकिन उसी कालोनी, श्रीनगर कालोनी, में पुलिस ने नजदीक वाले पड़ोसियों से जानकारी ली, हम से नहीं.”

“अच्छा,” तान्या ध्यान से सुन रही थी.

“तुम कल सन्डे को घर आ जाओ, नाश्ता भी साथ ही करेंगे और पूजा से भी मिल लेना. तुम्हारी न्यूज की हैडलाइन की जानकारी भी मिल जाएगी,” मिस्टर सोनी बोले.

“जी अंकल जी,” तान्या बोली.

तान्या अपने रूम में आ गई. उसे बादल से मुलाकात याद आई. लगभग एक वर्ष पहले किसी न्यूज के सिलसिले में बादल अपने मित्र के साथ आया था. तभी दोनों की बातचीत शुरू हुई थी, फिर धीरेधीरे प्रेम परवान चढ़ने लगा था.

संडे के दिन सुबहसुबह तान्या उलझन का शिकार हुई, ड्रैस कौन सी पहने, समझ नहीं आ रहा. फिर तान्या को याद आया कि बादल के पापा ने भी किसी पुर्तगाली ईसाई लड़की से शादी की है, निश्चित रूप से वह बेहद आधुनिक होगी. साथ ही, घर का माहौल भी आधुनिक होगा. यह सोच कर वह थोड़ा टैंशन फ्री हो गई. उस ने अपनी सब से अच्छी जींस और रौयल ब्लू कलर का टौप पहना. कमर तक अपने लंबे बालों को उस ने खुला ही रहने दिया.

तान्या सुंदर थी, रंग खिलता हुआ था, नक्श तीखे थे. नाक के बांईं ओर का तिल उस की सुंदरता में चारचांद लगाता था. मुसकराहट में कोमलता थी. ये सब बादल को भा गया था.

श्रीनगर कालोनी में हरियाली का राज था. दूरदूर बने बंगले बड़े ही खूबसूरत थे. लोहे के बड़े से गेट के बाहर खूबसूरत सी नेमप्लेट लगी थी- अरुण कुमार सोनी.

तान्या कौलबैल बजाती, इस के पहले ही एक सर्वेंट गेट खोल कर बाहर आया और बोला, “तान्या मेम?”

“यस, तान्या.”

“आइए, अंदर आइए,” कहतेकहते उस ने एक रूम का गेट खोला था. कदम रखते ही भांप लिया कि यह ड्राइंगरूम है. हर कोने में कलात्मकता दिख रही थी.

तभी ट्रे में पानी ले कर सर्वेंट आया, “मेरा नाम मोहन है, साहब, मेमसाब अभी आते ही होंगे, कुछ काम से गए हैं.”

उस ने मोबाइल में समय देखा, सुबह के साढ़े दस बज रहे थे.

पेपर की न्यूज और फिर बादल के मम्मीडैडी से मुलाकात… टैंशन में वह नाश्ता भी नहीं कर पाई थी.

बादल भी अभी नहीं आया था. अभीअभी सर्विस जौइन की थी, इसलिए छुट्टी कम ही लेता था.

आना होता तो पहले इन्फौर्म जरूर करता.

तान्या अपने विचारों में उलझी जा रही थी.

“नाश्ता तो तुम ने भी नहीं किया होगा, बेटी,” बादल के पापा की आवाज आई.

तान्या चौंक गई. उसे पता ही नहीं चला,एकदम से सोफे से उठ कर खड़ी हो गई.

“बैठोबैठो,” कहतेकहते मिस्टर सोनी तान्या के सामने बैठ गए.

“आंटी जी कहां हैं?” तान्या ने सवाल किया.

“पूजा? वह अभीअभी किचन में गई है, उस के हाथों का बना नाश्ता भूल नहीं पाओगी,” मिस्टर सोनी अपनी पत्नी पूजा की तारीफ करते हुए बोले.

‘पूजा?’ बादल की मम्मी का नाम पूजा है. लेकिन बादल ने तो पामेला बताया था. तान्या फिर सोच में पड़ गई.

“क्या सोच रही हो?” मिस्टर सोनी बोले, “पामेला को मैं पूजा कहता हूं.” उन्होंने तान्या की उलझन दूर की.

वे कुछ कहने वाले थे कि तभी बादल की मम्मी नाश्ता ले कर आ गई. उस के हाथों में आलूगोभी के परांठे, दही और घर का निकला स्वादिष्ठ मक्खन था. तान्या की भूख बढ़ गई. वह आदरसहित खड़ी हो गई और उस ने नमस्ते की.

“अरे बैठो, पहले नाश्ता, बाद में बातें,” कह कर पूजा ने टेबल पर नाश्ते की प्लेटें सजानी शुरू कीं.

तान्या एकटक पूजा को देखती रही. बड़ा ही प्यारा सा सूट पहन रखा था. बड़ी प्यारी लग रही थी.

“नाश्ता करतेकरते बातें भी करते हैं,” मिस्टर सोनी ने बात के सिरे को संभाला, “तुम जिस न्यूज़ को कवर कर रही हो, उस के बारे में तुम्हें पूजा बताएगी. पूजा, तान्या को बताओ उस दिन वाली बात.”

“जी,” पूजा ने कहा, “तान्या, दरअसल, एक लेडी थी. उस का नाम नेहा था. उस की मेघा (जिस का मर्डर हुआ) से अच्छी दोस्ती हो गई थी. मेघा के पति बैंक में औफिसर है, अकसर बाहर जाया करते थे और मेघा को ज्वैलरी का बहुत शौक था. वह अकसर नई डिजाइन के बारे में जानने और ज्वैलरी देखने हमारे घर आती रहती थी. मेघा से ही पता चला कि उस की नेहा से अच्छी फ्रैंडशिप हो गई थी. उस की नेहा से मुलाकात किसी ब्यूटीपार्लर में हुई थी जहां वह फेशियल कराने के लिए गई थी. फेशियल के पहले उस ने ज्वैलरी निकाल कर पर्स में रखी थी, जिस पर नेहा की नज़र पड़ी थी. वह तारीफ करने लगी थी. ज्वैलरी की तारीफ सुन कर मेघा खुश हो गई थी. यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई.”

पूजा के इतना बताने पर तान्या खुश हो गई थी. उस की मेहनत सफल हो गई. उस ने पूजा से पूछा. “यह बात आप को मेघा ने बताई थी?”

“हां, क्योंकि इस मुलाकात के बाद मेघा कभीकभी उसे घर बुलाने लगी थी,” पूजा बोली.

“जो जानकारी है, आप ने पुलिस को क्यों नहीं बताई?” तान्या ने सवाल किया.

“हम आजकल में पुलिस के पास जाने वाले थे कि कल पेपर में तुम्हारी न्यूज पढ़ी. न्यूज़ पढ़ कर बादल के पापा तुम्हारे घर गए.”

“थैंक यू वैरी मच, आंटी,” तान्या बोली.

“अच्छा, यह बताओ किशादी कब करनी है?” पूजा ने तान्या को छेड़ा.

“जी, वो…” कहतीकहती तान्या शरमा गई.

“देखो बेटा, मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता,” बादल के डैडी बोले, “मैं सिर्फ इंसानियत को मानता हूं, कट्टरता के खिलाफ हूं. बादल ने बताया ही होगा. बादल का व्यवहार तो तुम को पता ही होगा. वह भी इसी प्रकार के विचार रखता है. मैं ने तुम्हारे रूम में देवीदेवताओं की बहुत सी तसवीरें देखी थीं, इसलिए मुझे लगा, कहीं तुम कट्टर तो नहीं?”

“जी, मैं यह बात जानती हूं, अंकल जी,” तान्या बोली, “मेरे विचारों में कट्टरता नहीं है,अंकल जी. मनुष्य मात्र की भलाई में मानवता है, रूढ़ियों, अंधविश्वासों पर मुझे विश्वास नहीं.”

कभी बादल तुम को यह जर्नलिस्ट वाला काम छोड़ने को बोले तो?” मिस्टर सोनी ने सवाल किया.

“नहीं, ऐसा नहीं होगा. बादल पर मुझे विश्वास है,” तान्या बोली, जर्नलिस्ट का काम तो ऐसा है कि जहां बादल का ट्रांसफर होगा वहीं किसी पेपर से जुड़ जाऊंगी,” तान्या कौन्फिडेंस के साथ बोली और कहा, अंकल जी, अब मैं चलती हूं.”

बादल के घर से तान्या सीधी पुलिस इंस्पैक्टर के पास गई.

थोड़े दिनों बाद ही पेपर में न्यूज थी, ‘ट्रिपल मर्डर केस के आरोपी गिरफ्तार’.

तान्या की जानकारी से पुलिस को सहयोग मिला. अनजान महिला नेहा वर्मा अपने 3 साथियों सहित गिरफ्तार कर ली गई.

उस की सफलता से खुश हो कर बादल ने भी बधाई दी तान्या को.

तान्या खुश थी. उस की आवाज से मालूम पड़ रहा था वह खुश थी.

“तान्या, डैडी तुम से इंप्रैस हैं,” बादल ने कहा.

“अच्छा!” तान्या ने कहा.

“पापा ने मेरी पसंद को समझा और स्वीकार किया. उन की एक अच्छी बहू की तलाश खत्म हुई.”

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