इंदौर का ट्रिपल मर्डर केस अखबारों में छाया हुआ था. उस में 3 पीढ़ियों की महिलाओं की हत्या की गई थी- नानी, मां और बेटी की. रिपोर्टरों में होड़ मची थी अपनेअपने चीफ एडिटर को इंप्रैस करने की. इंदौर शहर के हर व्यक्ति का दिल कांप गया था इतना भयानक हत्याकांड देख कर.
तान्या को भी चीफ एडिटर अमर ने इसी ट्रिपल मर्डर केस का काम सौंपा हुआ था. तान्या को चिढ़ थी क्राइम रिपोर्टिंग से लेकिन चीफ एडिटर का और्डर मानना ही था. चीफ एडिटर अमर का और्डर था कि फोटोग्राफर सोमेश के साथ तान्या इस पर काम करे और ट्रिपल मर्डर केस में हर दिन की खबर पर नजर रखे, बाकी सब काम छोड़ दे. वे दोनों इस केस के पीछे लगे थे. पुलिस से भी संपर्क में बने हुए थे. अपराधी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.
आज वह अब तक की पूरी रिपोर्ट तैयार करने के साथ उस को फाइनल चैक भी करना चाहती थी. तान्या बड़ी गंभीरता से इस काम में लगी थी. सोमेश ने उसे कौफी पीने के लिए कहा भी कि कौफी पी कर आते हैं, फिर काम करते हैं. लेकिन तान्या ने मना कर दिया था. पहले काम, फिर कौफी. सोमेश अकेला ही प्रैस की कैंटीन में चला गया था.
तान्या को हैडलाइन नहीं सूझ रही थी, खबर की हैडलाइन क्या दे. वह सोच में डूबी थी, तभी अचानक उसे याद आया कि पुलिस थाने में इंस्पैक्टर से बात हुई थी, वह शक जाहिर कर रहा था कि जांच में यह बात सामने आई है कि ट्रिपल मर्डर केस में किसी महिला का भी हाथ हो सकता है. फिर क्या था, उसे हैडलाइन सूझ गई. हैडलाइन यह बनायी थी- ‘ट्रिपल मर्डर केस में अनजान महिला’. चीफ एडिटर को मेल कर उस ने सोमेश को मोबाइल किया कि उस के लिए कौफी का और्डर दे दे. फिर लैपटौप उठा कर वह सीधे कैंटीन में चली गई.
कैंटीन में सोमेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने कौफी के साथ वेज बर्गर भी मंगवा लिया, दरअसल घर जा कर वह ‘ट्रिपल मर्डर केस’ पर काम करना चाहती थी, सो डिनर के लफड़े में कौन पड़े. रूमपार्टनर ने डिनर कर भी लिया होगा. फटाफट कौफी खत्म कर वह घर की तरफ चल दी. देररात पूरी रिपोर्ट तो वह पढ़ती रही, जहांजहां उसे ठीक लगा, वहां उस ने कुछ बिंदु हाईलाइट्स किए. जांच रिपोर्ट में एक जगह आ कर अटक गई. फिर कुछ सोच कर उस ने इंस्पैक्टर को फोन लगाने की सोची. घड़ी देखी, रात के 11 बज रहे थे. क्या करूं… फिर उस ने मोबाइल लगा ही दिया.
मोबाइल तुरंत ही इंस्पैक्टर ने उठा लिया, बोला, “तान्या जी बताएं, कैसे याद किया? अब क्या छूट गया?”
“सौरी इंस्पैक्टर साहब, येह केस ही ऐसा है, नींद ही नहीं आ रही थी. कुछ पूछना था आप से,” तान्या बोली.
“जी पूछिए, पत्रकार कहां शांति से बैठते हैं?” इंस्पैक्टर ने कहा.
“मुझे यह पूछना था कि तीनों का मर्डर होने के बाद फैमिली में कौन है जिस से बात हो सकती हो. मेघा के पति तो बाहर रहते हैं, उन से बात हुई क्या?” तान्या ने सवाल किया.
“उन से बात हुई थी लेकिन वे इंदौर से बाहर रहते थे, इसलिए उन को कुछ विशेष पता नहीं. पीएम के बाद बौडी ले कर कुछ रिश्तेदारों के साथ वे चले गए. उन के घर कौनकौन आताजाता था, यह पति को भी नहीं पता. हां, एक बात पता चली है उन के पड़ोसियों से पूछने पर कि एक महिला खूब आती थी,” इंस्पैक्टर की आवाज आई.
“अच्छा, महिला,” तान्या के दिमाग में खयाल आया वह महिला कौन थी जिस का पता नहीं चला है. “ओके इंस्पैक्टर साहब, थैंक यू, गुड नाइट.” यह बोल र तान्या ने फोन काट दिया. थकान के कारण जल्दी ही नींद ने उसे घेर लिया.
दूसरे दिन सुपर न्यूज़ एक्सप्रैस में तान्या की हैडलाइन थी- ‘ट्रिपल मर्डर में अनजान महिला’. पेपर देख कर फटाफट फ्रैश होने को वह वाशरूम भागी. प्रैस भी जल्दी पहुंचना होगा. रूमपार्टनर आलिया तो वीकली पेपर में रिपोर्टर थी, उस को जल्दी जाना था. वह चाय पी कर निकल गई थी.
वाशरूम से आ कर वह नाश्ते की तैयारी करने लगी. फटाफट उस ने जींस के ऊपर लौंग टीशर्ट पहनी, लंबे बालों का जूड़ा बनाया. फिर सोचा, अब नाश्ता करने बैठती हूं. इतने में कौलबैल चीख उठी.
इस समय कौन हो सकता है? उस ने पलभर सोचा और दरवाजा खोल दिया.
दरवाजे पर एक अनजान व्यक्ति को देख कर न जाने कितने खयाल आए और चले गए.
“तुम तान्या हो?” व्यक्ति ने पूछा. “जी, मैं तान्या हूं.” पहनावे से वह व्यक्ति धनी मालूम हो रहा था.
“मैं अरुण कुमार सोनी बादल का डैडी हूं. सुपर न्यूज एक्सप्रैस में तुम्हारी ही हैडलाइन है?”
“जी,” तान्या बोली, “आप अंदर आइए न.”
बादल के पिता ने अंदर आते ही कमरे का निरीक्षण करना शुरू कर दिया. किताबों की शैल्फ में ढेर सारी किताबें व्यवस्थित रखी हुई थीं. कई सारी पुस्तकें पत्रकारिता की थीं ही, साथ ही, साहित्य की भी पुस्तकें थीं- गोर्की टौल्सटौय, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद आदि लेखकों की.
“अरे वाह, ये सब पुस्तकें किस की हैं? कौन पढ़ता है इन्हें?”
“अंकल जी, मै पढ़ती हूं.” फिलहाल अंकल जी संबोधन उसे उचित लगा था.
“वाह, क्या बात है,” कहतेकहते बादल के पिता शैल्फ के नजदीक चले गए. शैल्फ के ऊपर ही अंबे मां की छोटी सी तसवीर रखी थी. पास ही साईं बाबा की छोटी सी मूर्ति भी थी.
“तुम भगवान को भी मानती हो?” बादल के पिता ने पूछा.
“अंधविश्वास में मेरा यकीन नहीं है, किंतु मैं ईश्वर पर विश्वास करती हूं. माता और बाबा की आलिया भी भक्त है,” तान्या ने कहा.
“तुम्हारी रूमपार्टनर कहां है?” अंकल जी ने पूछा.
“एक स्टोरी कवर करने गई है. उसे सोशल प्रौब्लम को कवर करना अच्छा लगता है,” तान्या ने बताया.
चाय की चुस्की के साथ अंकल जी ब्रेडपकौड़ों का भी आनंद लेते जा रहे थे.
“तुम को कुकिंग का शौक है?” अंकल जी ने पूछा.
“यों तो सभी इंडियन फूड बना लेती हूं पर कुछ स्नैक्स अच्छा बना लेती हूं,” तान्या बोली.
“ओके, अब मैं चलता हूं. ब्रेड पकौड़े अच्छे थे. मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,” कहते हुए मिस्टर सोनी ने विजिटिंग कार्ड तान्या को पकड़ा दिया.
“लेकिन आप कुछ खबर के बारे में पूछ रहे थे,” तान्या बोली.
“तुम ने जो खबर में अनजान महिला का जिक्र किया है, उस की जानकारी तुम को मिल सकती है,” मिस्टर सोनी बोले.
“अच्छा,” तान्या खुशीभरे स्वर में बोली, “कहां?”
“मेरे घर में बादल की मम्मी से,” मिस्टर सोनी बोले, “तुम को पता है, मेरी कई ज्वैलरी शौप हैं, इंदौर में भी और बाहर कई शहरों में. मैं ज्यादातर बाहर ही रहता हूं बिजनैस के सिलसिले में. घर पर बादल की मम्मी और मेरी मम्मी, मतलब, बादल की दादी रहती हैं.”
“जी पता है मुझे, बादल ने एक बार बताया था,” तान्या बोली.
“हमारा घर कुछ मकान छोड़ कर थोड़ी दूरी पर है. लेकिन उसी कालोनी, श्रीनगर कालोनी, में पुलिस ने नजदीक वाले पड़ोसियों से जानकारी ली, हम से नहीं.”
“अच्छा,” तान्या ध्यान से सुन रही थी.
“तुम कल सन्डे को घर आ जाओ, नाश्ता भी साथ ही करेंगे और पूजा से भी मिल लेना. तुम्हारी न्यूज की हैडलाइन की जानकारी भी मिल जाएगी,” मिस्टर सोनी बोले.
“जी अंकल जी,” तान्या बोली.
तान्या अपने रूम में आ गई. उसे बादल से मुलाकात याद आई. लगभग एक वर्ष पहले किसी न्यूज के सिलसिले में बादल अपने मित्र के साथ आया था. तभी दोनों की बातचीत शुरू हुई थी, फिर धीरेधीरे प्रेम परवान चढ़ने लगा था.
संडे के दिन सुबहसुबह तान्या उलझन का शिकार हुई, ड्रैस कौन सी पहने, समझ नहीं आ रहा. फिर तान्या को याद आया कि बादल के पापा ने भी किसी पुर्तगाली ईसाई लड़की से शादी की है, निश्चित रूप से वह बेहद आधुनिक होगी. साथ ही, घर का माहौल भी आधुनिक होगा. यह सोच कर वह थोड़ा टैंशन फ्री हो गई. उस ने अपनी सब से अच्छी जींस और रौयल ब्लू कलर का टौप पहना. कमर तक अपने लंबे बालों को उस ने खुला ही रहने दिया.
तान्या सुंदर थी, रंग खिलता हुआ था, नक्श तीखे थे. नाक के बांईं ओर का तिल उस की सुंदरता में चारचांद लगाता था. मुसकराहट में कोमलता थी. ये सब बादल को भा गया था.
श्रीनगर कालोनी में हरियाली का राज था. दूरदूर बने बंगले बड़े ही खूबसूरत थे. लोहे के बड़े से गेट के बाहर खूबसूरत सी नेमप्लेट लगी थी- अरुण कुमार सोनी.
तान्या कौलबैल बजाती, इस के पहले ही एक सर्वेंट गेट खोल कर बाहर आया और बोला, “तान्या मेम?”
“यस, तान्या.”
“आइए, अंदर आइए,” कहतेकहते उस ने एक रूम का गेट खोला था. कदम रखते ही भांप लिया कि यह ड्राइंगरूम है. हर कोने में कलात्मकता दिख रही थी.
तभी ट्रे में पानी ले कर सर्वेंट आया, “मेरा नाम मोहन है, साहब, मेमसाब अभी आते ही होंगे, कुछ काम से गए हैं.”
उस ने मोबाइल में समय देखा, सुबह के साढ़े दस बज रहे थे.
पेपर की न्यूज और फिर बादल के मम्मीडैडी से मुलाकात… टैंशन में वह नाश्ता भी नहीं कर पाई थी.
बादल भी अभी नहीं आया था. अभीअभी सर्विस जौइन की थी, इसलिए छुट्टी कम ही लेता था.
आना होता तो पहले इन्फौर्म जरूर करता.
तान्या अपने विचारों में उलझी जा रही थी.
“नाश्ता तो तुम ने भी नहीं किया होगा, बेटी,” बादल के पापा की आवाज आई.
तान्या चौंक गई. उसे पता ही नहीं चला,एकदम से सोफे से उठ कर खड़ी हो गई.
“बैठोबैठो,” कहतेकहते मिस्टर सोनी तान्या के सामने बैठ गए.
“आंटी जी कहां हैं?” तान्या ने सवाल किया.
“पूजा? वह अभीअभी किचन में गई है, उस के हाथों का बना नाश्ता भूल नहीं पाओगी,” मिस्टर सोनी अपनी पत्नी पूजा की तारीफ करते हुए बोले.
‘पूजा?’ बादल की मम्मी का नाम पूजा है. लेकिन बादल ने तो पामेला बताया था. तान्या फिर सोच में पड़ गई.
“क्या सोच रही हो?” मिस्टर सोनी बोले, “पामेला को मैं पूजा कहता हूं.” उन्होंने तान्या की उलझन दूर की.
वे कुछ कहने वाले थे कि तभी बादल की मम्मी नाश्ता ले कर आ गई. उस के हाथों में आलूगोभी के परांठे, दही और घर का निकला स्वादिष्ठ मक्खन था. तान्या की भूख बढ़ गई. वह आदरसहित खड़ी हो गई और उस ने नमस्ते की.
“अरे बैठो, पहले नाश्ता, बाद में बातें,” कह कर पूजा ने टेबल पर नाश्ते की प्लेटें सजानी शुरू कीं.
तान्या एकटक पूजा को देखती रही. बड़ा ही प्यारा सा सूट पहन रखा था. बड़ी प्यारी लग रही थी.
“नाश्ता करतेकरते बातें भी करते हैं,” मिस्टर सोनी ने बात के सिरे को संभाला, “तुम जिस न्यूज़ को कवर कर रही हो, उस के बारे में तुम्हें पूजा बताएगी. पूजा, तान्या को बताओ उस दिन वाली बात.”
“जी,” पूजा ने कहा, “तान्या, दरअसल, एक लेडी थी. उस का नाम नेहा था. उस की मेघा (जिस का मर्डर हुआ) से अच्छी दोस्ती हो गई थी. मेघा के पति बैंक में औफिसर है, अकसर बाहर जाया करते थे और मेघा को ज्वैलरी का बहुत शौक था. वह अकसर नई डिजाइन के बारे में जानने और ज्वैलरी देखने हमारे घर आती रहती थी. मेघा से ही पता चला कि उस की नेहा से अच्छी फ्रैंडशिप हो गई थी. उस की नेहा से मुलाकात किसी ब्यूटीपार्लर में हुई थी जहां वह फेशियल कराने के लिए गई थी. फेशियल के पहले उस ने ज्वैलरी निकाल कर पर्स में रखी थी, जिस पर नेहा की नज़र पड़ी थी. वह तारीफ करने लगी थी. ज्वैलरी की तारीफ सुन कर मेघा खुश हो गई थी. यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई.”
पूजा के इतना बताने पर तान्या खुश हो गई थी. उस की मेहनत सफल हो गई. उस ने पूजा से पूछा. “यह बात आप को मेघा ने बताई थी?”
“हां, क्योंकि इस मुलाकात के बाद मेघा कभीकभी उसे घर बुलाने लगी थी,” पूजा बोली.
“जो जानकारी है, आप ने पुलिस को क्यों नहीं बताई?” तान्या ने सवाल किया.
“हम आजकल में पुलिस के पास जाने वाले थे कि कल पेपर में तुम्हारी न्यूज पढ़ी. न्यूज़ पढ़ कर बादल के पापा तुम्हारे घर गए.”
“थैंक यू वैरी मच, आंटी,” तान्या बोली.
“अच्छा, यह बताओ किशादी कब करनी है?” पूजा ने तान्या को छेड़ा.
“जी, वो…” कहतीकहती तान्या शरमा गई.
“देखो बेटा, मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता,” बादल के डैडी बोले, “मैं सिर्फ इंसानियत को मानता हूं, कट्टरता के खिलाफ हूं. बादल ने बताया ही होगा. बादल का व्यवहार तो तुम को पता ही होगा. वह भी इसी प्रकार के विचार रखता है. मैं ने तुम्हारे रूम में देवीदेवताओं की बहुत सी तसवीरें देखी थीं, इसलिए मुझे लगा, कहीं तुम कट्टर तो नहीं?”
“जी, मैं यह बात जानती हूं, अंकल जी,” तान्या बोली, “मेरे विचारों में कट्टरता नहीं है,अंकल जी. मनुष्य मात्र की भलाई में मानवता है, रूढ़ियों, अंधविश्वासों पर मुझे विश्वास नहीं.”
कभी बादल तुम को यह जर्नलिस्ट वाला काम छोड़ने को बोले तो?” मिस्टर सोनी ने सवाल किया.
“नहीं, ऐसा नहीं होगा. बादल पर मुझे विश्वास है,” तान्या बोली, जर्नलिस्ट का काम तो ऐसा है कि जहां बादल का ट्रांसफर होगा वहीं किसी पेपर से जुड़ जाऊंगी,” तान्या कौन्फिडेंस के साथ बोली और कहा, अंकल जी, अब मैं चलती हूं.”
बादल के घर से तान्या सीधी पुलिस इंस्पैक्टर के पास गई.
थोड़े दिनों बाद ही पेपर में न्यूज थी, ‘ट्रिपल मर्डर केस के आरोपी गिरफ्तार’.
तान्या की जानकारी से पुलिस को सहयोग मिला. अनजान महिला नेहा वर्मा अपने 3 साथियों सहित गिरफ्तार कर ली गई.
उस की सफलता से खुश हो कर बादल ने भी बधाई दी तान्या को.
तान्या खुश थी. उस की आवाज से मालूम पड़ रहा था वह खुश थी.
“तान्या, डैडी तुम से इंप्रैस हैं,” बादल ने कहा.
“अच्छा!” तान्या ने कहा.
“पापा ने मेरी पसंद को समझा और स्वीकार किया. उन की एक अच्छी बहू की तलाश खत्म हुई.”
इंदौर का ट्रिपल मर्डर केस अखबारों में छाया हुआ था. उस में 3 पीढ़ियों की महिलाओं की हत्या की गई थी- नानी, मां और बेटी की. रिपोर्टरों में होड़ मची थी अपनेअपने चीफ एडिटर को इंप्रैस करने की. इंदौर शहर के हर व्यक्ति का दिल कांप गया था इतना भयानक हत्याकांड देख कर.
तान्या को भी चीफ एडिटर अमर ने इसी ट्रिपल मर्डर केस का काम सौंपा हुआ था. तान्या को चिढ़ थी क्राइम रिपोर्टिंग से लेकिन चीफ एडिटर का और्डर मानना ही था. चीफ एडिटर अमर का और्डर था कि फोटोग्राफर सोमेश के साथ तान्या इस पर काम करे और ट्रिपल मर्डर केस में हर दिन की खबर पर नजर रखे, बाकी सब काम छोड़ दे. वे दोनों इस केस के पीछे लगे थे. पुलिस से भी संपर्क में बने हुए थे. अपराधी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.
आज वह अब तक की पूरी रिपोर्ट तैयार करने के साथ उस को फाइनल चैक भी करना चाहती थी. तान्या बड़ी गंभीरता से इस काम में लगी थी. सोमेश ने उसे कौफी पीने के लिए कहा भी कि कौफी पी कर आते हैं, फिर काम करते हैं. लेकिन तान्या ने मना कर दिया था. पहले काम, फिर कौफी. सोमेश अकेला ही प्रैस की कैंटीन में चला गया था.
तान्या को हैडलाइन नहीं सूझ रही थी, खबर की हैडलाइन क्या दे. वह सोच में डूबी थी, तभी अचानक उसे याद आया कि पुलिस थाने में इंस्पैक्टर से बात हुई थी, वह शक जाहिर कर रहा था कि जांच में यह बात सामने आई है कि ट्रिपल मर्डर केस में किसी महिला का भी हाथ हो सकता है. फिर क्या था, उसे हैडलाइन सूझ गई. हैडलाइन यह बनायी थी- ‘ट्रिपल मर्डर केस में अनजान महिला’. चीफ एडिटर को मेल कर उस ने सोमेश को मोबाइल किया कि उस के लिए कौफी का और्डर दे दे. फिर लैपटौप उठा कर वह सीधे कैंटीन में चली गई.
कैंटीन में सोमेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने कौफी के साथ वेज बर्गर भी मंगवा लिया, दरअसल घर जा कर वह ‘ट्रिपल मर्डर केस’ पर काम करना चाहती थी, सो डिनर के लफड़े में कौन पड़े. रूमपार्टनर ने डिनर कर भी लिया होगा. फटाफट कौफी खत्म कर वह घर की तरफ चल दी. देररात पूरी रिपोर्ट तो वह पढ़ती रही, जहांजहां उसे ठीक लगा, वहां उस ने कुछ बिंदु हाईलाइट्स किए. जांच रिपोर्ट में एक जगह आ कर अटक गई. फिर कुछ सोच कर उस ने इंस्पैक्टर को फोन लगाने की सोची. घड़ी देखी, रात के 11 बज रहे थे. क्या करूं… फिर उस ने मोबाइल लगा ही दिया.
मोबाइल तुरंत ही इंस्पैक्टर ने उठा लिया, बोला, “तान्या जी बताएं, कैसे याद किया? अब क्या छूट गया?”
“सौरी इंस्पैक्टर साहब, येह केस ही ऐसा है, नींद ही नहीं आ रही थी. कुछ पूछना था आप से,” तान्या बोली.
“जी पूछिए, पत्रकार कहां शांति से बैठते हैं?” इंस्पैक्टर ने कहा.
“मुझे यह पूछना था कि तीनों का मर्डर होने के बाद फैमिली में कौन है जिस से बात हो सकती हो. मेघा के पति तो बाहर रहते हैं, उन से बात हुई क्या?” तान्या ने सवाल किया.
“उन से बात हुई थी लेकिन वे इंदौर से बाहर रहते थे, इसलिए उन को कुछ विशेष पता नहीं. पीएम के बाद बौडी ले कर कुछ रिश्तेदारों के साथ वे चले गए. उन के घर कौनकौन आताजाता था, यह पति को भी नहीं पता. हां, एक बात पता चली है उन के पड़ोसियों से पूछने पर कि एक महिला खूब आती थी,” इंस्पैक्टर की आवाज आई.
“अच्छा, महिला,” तान्या के दिमाग में खयाल आया वह महिला कौन थी जिस का पता नहीं चला है. “ओके इंस्पैक्टर साहब, थैंक यू, गुड नाइट.” यह बोल र तान्या ने फोन काट दिया. थकान के कारण जल्दी ही नींद ने उसे घेर लिया.
दूसरे दिन सुपर न्यूज़ एक्सप्रैस में तान्या की हैडलाइन थी- ‘ट्रिपल मर्डर में अनजान महिला’. पेपर देख कर फटाफट फ्रैश होने को वह वाशरूम भागी. प्रैस भी जल्दी पहुंचना होगा. रूमपार्टनर आलिया तो वीकली पेपर में रिपोर्टर थी, उस को जल्दी जाना था. वह चाय पी कर निकल गई थी.
वाशरूम से आ कर वह नाश्ते की तैयारी करने लगी. फटाफट उस ने जींस के ऊपर लौंग टीशर्ट पहनी, लंबे बालों का जूड़ा बनाया. फिर सोचा, अब नाश्ता करने बैठती हूं. इतने में कौलबैल चीख उठी.
इस समय कौन हो सकता है? उस ने पलभर सोचा और दरवाजा खोल दिया.
दरवाजे पर एक अनजान व्यक्ति को देख कर न जाने कितने खयाल आए और चले गए.
“तुम तान्या हो?” व्यक्ति ने पूछा. “जी, मैं तान्या हूं.” पहनावे से वह व्यक्ति धनी मालूम हो रहा था.
“मैं अरुण कुमार सोनी बादल का डैडी हूं. सुपर न्यूज एक्सप्रैस में तुम्हारी ही हैडलाइन है?”
“जी,” तान्या बोली, “आप अंदर आइए न.”
बादल के पिता ने अंदर आते ही कमरे का निरीक्षण करना शुरू कर दिया. किताबों की शैल्फ में ढेर सारी किताबें व्यवस्थित रखी हुई थीं. कई सारी पुस्तकें पत्रकारिता की थीं ही, साथ ही, साहित्य की भी पुस्तकें थीं- गोर्की टौल्सटौय, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद आदि लेखकों की.
“अरे वाह, ये सब पुस्तकें किस की हैं? कौन पढ़ता है इन्हें?”
“अंकल जी, मै पढ़ती हूं.” फिलहाल अंकल जी संबोधन उसे उचित लगा था.
“वाह, क्या बात है,” कहतेकहते बादल के पिता शैल्फ के नजदीक चले गए. शैल्फ के ऊपर ही अंबे मां की छोटी सी तसवीर रखी थी. पास ही साईं बाबा की छोटी सी मूर्ति भी थी.
“तुम भगवान को भी मानती हो?” बादल के पिता ने पूछा.
“अंधविश्वास में मेरा यकीन नहीं है, किंतु मैं ईश्वर पर विश्वास करती हूं. माता और बाबा की आलिया भी भक्त है,” तान्या ने कहा.
“तुम्हारी रूमपार्टनर कहां है?” अंकल जी ने पूछा.
“एक स्टोरी कवर करने गई है. उसे सोशल प्रौब्लम को कवर करना अच्छा लगता है,” तान्या ने बताया.
चाय की चुस्की के साथ अंकल जी ब्रेडपकौड़ों का भी आनंद लेते जा रहे थे.
“तुम को कुकिंग का शौक है?” अंकल जी ने पूछा.
“यों तो सभी इंडियन फूड बना लेती हूं पर कुछ स्नैक्स अच्छा बना लेती हूं,” तान्या बोली.
“ओके, अब मैं चलता हूं. ब्रेड पकौड़े अच्छे थे. मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,” कहते हुए मिस्टर सोनी ने विजिटिंग कार्ड तान्या को पकड़ा दिया.
“लेकिन आप कुछ खबर के बारे में पूछ रहे थे,” तान्या बोली.
“तुम ने जो खबर में अनजान महिला का जिक्र किया है, उस की जानकारी तुम को मिल सकती है,” मिस्टर सोनी बोले.
“अच्छा,” तान्या खुशीभरे स्वर में बोली, “कहां?”
“मेरे घर में बादल की मम्मी से,” मिस्टर सोनी बोले, “तुम को पता है, मेरी कई ज्वैलरी शौप हैं, इंदौर में भी और बाहर कई शहरों में. मैं ज्यादातर बाहर ही रहता हूं बिजनैस के सिलसिले में. घर पर बादल की मम्मी और मेरी मम्मी, मतलब, बादल की दादी रहती हैं.”
“जी पता है मुझे, बादल ने एक बार बताया था,” तान्या बोली.
“हमारा घर कुछ मकान छोड़ कर थोड़ी दूरी पर है. लेकिन उसी कालोनी, श्रीनगर कालोनी, में पुलिस ने नजदीक वाले पड़ोसियों से जानकारी ली, हम से नहीं.”
“अच्छा,” तान्या ध्यान से सुन रही थी.
“तुम कल सन्डे को घर आ जाओ, नाश्ता भी साथ ही करेंगे और पूजा से भी मिल लेना. तुम्हारी न्यूज की हैडलाइन की जानकारी भी मिल जाएगी,” मिस्टर सोनी बोले.
“जी अंकल जी,” तान्या बोली.
तान्या अपने रूम में आ गई. उसे बादल से मुलाकात याद आई. लगभग एक वर्ष पहले किसी न्यूज के सिलसिले में बादल अपने मित्र के साथ आया था. तभी दोनों की बातचीत शुरू हुई थी, फिर धीरेधीरे प्रेम परवान चढ़ने लगा था.
संडे के दिन सुबहसुबह तान्या उलझन का शिकार हुई, ड्रैस कौन सी पहने, समझ नहीं आ रहा. फिर तान्या को याद आया कि बादल के पापा ने भी किसी पुर्तगाली ईसाई लड़की से शादी की है, निश्चित रूप से वह बेहद आधुनिक होगी. साथ ही, घर का माहौल भी आधुनिक होगा. यह सोच कर वह थोड़ा टैंशन फ्री हो गई. उस ने अपनी सब से अच्छी जींस और रौयल ब्लू कलर का टौप पहना. कमर तक अपने लंबे बालों को उस ने खुला ही रहने दिया.
तान्या सुंदर थी, रंग खिलता हुआ था, नक्श तीखे थे. नाक के बांईं ओर का तिल उस की सुंदरता में चारचांद लगाता था. मुसकराहट में कोमलता थी. ये सब बादल को भा गया था.
श्रीनगर कालोनी में हरियाली का राज था. दूरदूर बने बंगले बड़े ही खूबसूरत थे. लोहे के बड़े से गेट के बाहर खूबसूरत सी नेमप्लेट लगी थी- अरुण कुमार सोनी.
तान्या कौलबैल बजाती, इस के पहले ही एक सर्वेंट गेट खोल कर बाहर आया और बोला, “तान्या मेम?”
“यस, तान्या.”
“आइए, अंदर आइए,” कहतेकहते उस ने एक रूम का गेट खोला था. कदम रखते ही भांप लिया कि यह ड्राइंगरूम है. हर कोने में कलात्मकता दिख रही थी.
तभी ट्रे में पानी ले कर सर्वेंट आया, “मेरा नाम मोहन है, साहब, मेमसाब अभी आते ही होंगे, कुछ काम से गए हैं.”
उस ने मोबाइल में समय देखा, सुबह के साढ़े दस बज रहे थे.
पेपर की न्यूज और फिर बादल के मम्मीडैडी से मुलाकात… टैंशन में वह नाश्ता भी नहीं कर पाई थी.
बादल भी अभी नहीं आया था. अभीअभी सर्विस जौइन की थी, इसलिए छुट्टी कम ही लेता था.
आना होता तो पहले इन्फौर्म जरूर करता.
तान्या अपने विचारों में उलझी जा रही थी.
“नाश्ता तो तुम ने भी नहीं किया होगा, बेटी,” बादल के पापा की आवाज आई.
तान्या चौंक गई. उसे पता ही नहीं चला,एकदम से सोफे से उठ कर खड़ी हो गई.
“बैठोबैठो,” कहतेकहते मिस्टर सोनी तान्या के सामने बैठ गए.
“आंटी जी कहां हैं?” तान्या ने सवाल किया.
“पूजा? वह अभीअभी किचन में गई है, उस के हाथों का बना नाश्ता भूल नहीं पाओगी,” मिस्टर सोनी अपनी पत्नी पूजा की तारीफ करते हुए बोले.
‘पूजा?’ बादल की मम्मी का नाम पूजा है. लेकिन बादल ने तो पामेला बताया था. तान्या फिर सोच में पड़ गई.
“क्या सोच रही हो?” मिस्टर सोनी बोले, “पामेला को मैं पूजा कहता हूं.” उन्होंने तान्या की उलझन दूर की.
वे कुछ कहने वाले थे कि तभी बादल की मम्मी नाश्ता ले कर आ गई. उस के हाथों में आलूगोभी के परांठे, दही और घर का निकला स्वादिष्ठ मक्खन था. तान्या की भूख बढ़ गई. वह आदरसहित खड़ी हो गई और उस ने नमस्ते की.
“अरे बैठो, पहले नाश्ता, बाद में बातें,” कह कर पूजा ने टेबल पर नाश्ते की प्लेटें सजानी शुरू कीं.
तान्या एकटक पूजा को देखती रही. बड़ा ही प्यारा सा सूट पहन रखा था. बड़ी प्यारी लग रही थी.
“नाश्ता करतेकरते बातें भी करते हैं,” मिस्टर सोनी ने बात के सिरे को संभाला, “तुम जिस न्यूज़ को कवर कर रही हो, उस के बारे में तुम्हें पूजा बताएगी. पूजा, तान्या को बताओ उस दिन वाली बात.”
“जी,” पूजा ने कहा, “तान्या, दरअसल, एक लेडी थी. उस का नाम नेहा था. उस की मेघा (जिस का मर्डर हुआ) से अच्छी दोस्ती हो गई थी. मेघा के पति बैंक में औफिसर है, अकसर बाहर जाया करते थे और मेघा को ज्वैलरी का बहुत शौक था. वह अकसर नई डिजाइन के बारे में जानने और ज्वैलरी देखने हमारे घर आती रहती थी. मेघा से ही पता चला कि उस की नेहा से अच्छी फ्रैंडशिप हो गई थी. उस की नेहा से मुलाकात किसी ब्यूटीपार्लर में हुई थी जहां वह फेशियल कराने के लिए गई थी. फेशियल के पहले उस ने ज्वैलरी निकाल कर पर्स में रखी थी, जिस पर नेहा की नज़र पड़ी थी. वह तारीफ करने लगी थी. ज्वैलरी की तारीफ सुन कर मेघा खुश हो गई थी. यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई.”
पूजा के इतना बताने पर तान्या खुश हो गई थी. उस की मेहनत सफल हो गई. उस ने पूजा से पूछा. “यह बात आप को मेघा ने बताई थी?”
“हां, क्योंकि इस मुलाकात के बाद मेघा कभीकभी उसे घर बुलाने लगी थी,” पूजा बोली.
“जो जानकारी है, आप ने पुलिस को क्यों नहीं बताई?” तान्या ने सवाल किया.
“हम आजकल में पुलिस के पास जाने वाले थे कि कल पेपर में तुम्हारी न्यूज पढ़ी. न्यूज़ पढ़ कर बादल के पापा तुम्हारे घर गए.”
“थैंक यू वैरी मच, आंटी,” तान्या बोली.
“अच्छा, यह बताओ किशादी कब करनी है?” पूजा ने तान्या को छेड़ा.
“जी, वो…” कहतीकहती तान्या शरमा गई.
“देखो बेटा, मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता,” बादल के डैडी बोले, “मैं सिर्फ इंसानियत को मानता हूं, कट्टरता के खिलाफ हूं. बादल ने बताया ही होगा. बादल का व्यवहार तो तुम को पता ही होगा. वह भी इसी प्रकार के विचार रखता है. मैं ने तुम्हारे रूम में देवीदेवताओं की बहुत सी तसवीरें देखी थीं, इसलिए मुझे लगा, कहीं तुम कट्टर तो नहीं?”
“जी, मैं यह बात जानती हूं, अंकल जी,” तान्या बोली, “मेरे विचारों में कट्टरता नहीं है,अंकल जी. मनुष्य मात्र की भलाई में मानवता है, रूढ़ियों, अंधविश्वासों पर मुझे विश्वास नहीं.”
कभी बादल तुम को यह जर्नलिस्ट वाला काम छोड़ने को बोले तो?” मिस्टर सोनी ने सवाल किया.
“नहीं, ऐसा नहीं होगा. बादल पर मुझे विश्वास है,” तान्या बोली, जर्नलिस्ट का काम तो ऐसा है कि जहां बादल का ट्रांसफर होगा वहीं किसी पेपर से जुड़ जाऊंगी,” तान्या कौन्फिडेंस के साथ बोली और कहा, अंकल जी, अब मैं चलती हूं.”
बादल के घर से तान्या सीधी पुलिस इंस्पैक्टर के पास गई.
थोड़े दिनों बाद ही पेपर में न्यूज थी, ‘ट्रिपल मर्डर केस के आरोपी गिरफ्तार’.
तान्या की जानकारी से पुलिस को सहयोग मिला. अनजान महिला नेहा वर्मा अपने 3 साथियों सहित गिरफ्तार कर ली गई.
उस की सफलता से खुश हो कर बादल ने भी बधाई दी तान्या को.
तान्या खुश थी. उस की आवाज से मालूम पड़ रहा था वह खुश थी.
“तान्या, डैडी तुम से इंप्रैस हैं,” बादल ने कहा.
“अच्छा!” तान्या ने कहा.
“पापा ने मेरी पसंद को समझा और स्वीकार किया. उन की एक अच्छी बहू की तलाश खत्म हुई.”