नवंबर की शुरुआत में ही किसान गेहूं की बोआई की तैयारियों में जुट जाते हैं. नवंबर माह में गेहूं की बोआई का दौर पूरे जोरशोर से चलता है. यह समय ही गेहूं की बोआई के लिहाज से सब से अच्छा होता है. किसानों को नवंबर महीने की शुरुआत में ही गेहूं के लिहाज से अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए, ताकि कोई कमी हो तो उस का इलाज किया जा सके और उसी के मुताबिक कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर बीज, खाद व उर्वरक वगैरह डालने चाहिए.
* गेहूं की बोआई के लिए अपने इलाके की आबोहवा के हिसाब से ही उन की किस्मों का चयन करना ठीक रहता है. वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक बीजों का बंदोबस्त करें.
* अकसर कई किसान बड़े किसानों से ही बीज खरीद लेते हैं. ऐसी हालत में बीजों को उम्दा फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करना जरूरी हो जाता है. बीजों को उपचारित न करने का असर पैदावार पर पड़ता है. * सीड ड्रिल से गेहूं की बोआई करना सही रहता है. इस तरीके से बीजों की बरबादी नहीं होती है.
* गेहूं की बोआई लाइनों में करना बेहतर होता है और पौधों के बीच का फासला तकरीबन 20 सैंटीमीटर होना चाहिए. इतना फासला रखने से पौधों का विकास अच्छा होता है और खेत की निराईगुड़ाई करना भी आसान होता है.
* गेहूं के साथसाथ नवंबर माह में चने की बोआई का दौर भी चलता है. चने की बोआई का काम भी 15 नवंबर तक निबटा लेना चाहिए.
* आमतौर पर तो मटर व मसूर की बोआई का काम पिछले महीने यानी अक्तूबर माह में ही निबटा लिया जाता है. मगर किसी वजह से मसूर व मटर की बोआई अभी तक न हो पाई हो, तो उसे 15 नवंबर तक जरूर कर लें.
* पिछले महीने बोई गई मटर व मसूर के खेतों में अगर सूखापन नजर आए, तो जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें. इस के अलावा खेत की अच्छी तरह निराईगुड़ाई करें, जिस से खरपतवार काबू में रहें. * मटर व मसूर की फसल पर अगर पत्ती सुरंग या तनाछेदक कीटों का असर नजर आए, तो कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.
* नवंबर माह में जौ की बोआई भी की जाती है. जौ के लिए तैयार किए गए खेत में बोआई का काम 25 नवंबर तक निबटा लेना चाहिए. यों तो जौ की पछेती फसल की बोआई दिसंबर महीने के आखिर तक की जाती है. वैसे, समय से बोआई करना ही बेहतर है, क्योंकि देर से बोई जाने वाली फसल से पैदावार कम मिलती है.
* इस महीने अरहर की फलियां पकने लगती हैं. अगर 75 फीसदी फलियां पक गई हों, तो कटाई का काम करें.
* आलू के खेत अगर सूखे नजर आएं, तो तुरंत सिंचाई करें, ताकि उन की बढ़वार पर असर न पड़े.
* सरसों में नाइट्रोजन की बची मात्रा बोआई के एक महीने बाद पहली सिंचाई कर के छिटकवां तरीके से दें.
* इस महीने के दौरान तोरिया की फलियों में दाना भरता है, लिहाजा खेत में भरपूर नमी होनी चाहिए. नमी कम लगे, तो तुरंत खेत की सिंचाई करें, ताकि फसल बढि़या हो.
* पिछले महीने लगाई गई सब्जियों के खेतों की बारीकी से जांच करें. उन में खरपतवार पनपते नजर आएं, तो निराईगुड़ाई के जरीए उन का खात्मा करें. जरूरत के मुताबिक सिंचाई भी करें.
* सब्जियों के पौधों व फलों पर अगर कीड़ों या बीमारियों के लक्षण नजर आएं, तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले कर माकूल दवाओं का इस्तेमाल करें.
* आमों की फसल आने में भले ही कई महीने बाकी हैं, मगर उन के पेड़ों का खयाल रखना जरूरी है. मिलीबग कीट आमों के लिए घातक होते हैं. इन से बचाव के लिए पेड़ों के तनों के चारों तरफ पौलीथीन की तकरीबन 30 सैंटीमीटर चौड़ी पट्टी बांध कर उस के सिरों पर ग्रीस लगा दें.
* सर्दी के असर वाले इस महीने में अपने मवेशियों का खयाल रखें, क्योंकि सर्दी से इनसानों के साथसाथ जानवरों के भी बीमार होने का खतरा रहता है. गायभैंसों को सर्दी से बचाने का पूरा बंदोबस्त करें.
* अपने मुरगेमुरगियों को भी सर्दी से महफूज रखने का इंतजाम करें. जरूरत पड़ने पर डाक्टर को बुलाना न भूलें.