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मोनालिसा ने पति संग इस खास अंदाज में मनाया अपना 40वां जन्मदिन

भोजपुरी इंडस्ट्री में धमाल मचाने वाली मोनालिसा ने बीते दिनों अपना 40 वां जन्मदिन मनाया है, इस खास मौके पर वह अपने पति के साथ मोनालिसा नजर आईं, बता दें कि मोनालिसा बिग बॉस 10 में नजर आ चुकी हैं.

मोनालिसा को बिग बॉस 10 में उनका सच्चा प्यार मिला था, इसी शो में उनकी मुलाकात विक्रांत सिंह से हुई थी, बता दें इन दोनों की शादी भी इसी घर में हुईं थी. दोनों एक दूसरे से काफी ज्यादा करीब आ गए थें,जिसके बाद से दोनों ने एक साथ जीवन बीताने का निर्णय लिया था.

दोनों हमेशा कपल्स गोल देते नजर आते हैं. दोनों अक्सर सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो शेयर करते नजर आते हैं. हाल ही में दोनों ने अपने जन्मदिन मनाते हुए फोटो शेयर किया है. अब मोनालिसा के बर्थ डे पर पति विक्रांत ने उन्हें खास अंदाज में विश किया है.

विक्रांत सिंह ने मोनालिसा को टैग करते हुए एक फोटो और वीडियो शेयर किया है, इस क्लिप में वह मोनालिसा पर खूब प्यार बरसाते नजर आ रहे हैं, विक्रांत सिंह का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

फैंस इस क्लिप पर जमकर कमेंट कर रहे हैं, मोनालिसा सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं, जिससे इनके चाहने वाले इऩ्हें खूब पसंद करते हैं.

Bigg Boss 16 : गौतम विज के जाते ही शालीन से नजदीकियां बढ़ा रही हैं सौदर्या

बिग बॉस 16 से इस हफ्ते गौतम विज बाहर जा चुके हैं, कम वोट्स मिलने की वजह से गौतम को शो से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, शो से बाहर होते ही गौतम और सौदर्या की लव स्टोरी अधूरी रह गई है.

बता दें कि गौतम के जाते ही सौदर्या शर्मा अकेली पड़ गई हैं, लेकिन बात करें सौदर्या शर्मा के गेम की तो  उनके गेम पर जरा भी असर नहीं पड़ा है, इसके साथ ही सौदर्या शर्मा ने अर्चना से गेम जीतने की टिप्स लेनी शुरू कर दी है.

 

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गौतम के जाते ही सौदर्या शर्मा ने अर्चना से कहा कि अब उन्हें शालीन भनोट का सहारा लेकर गेम को आगे बढ़ाना है. टीना को जैलेस करना है ताकी उसे पता चले कि उसकी क्या अवकात है.

सौदर्या कहती है कि पहले शालीन भनोट ने मेरे साथ गेम खेलने की कोशिश की है अब मेरी बारी है. दरअसल शुरुआती दिनों में शालीन भनोट ने सौंदर्या शर्मा से नजदीकि बनाने की कोशिश की थी.

एक बार सौंदर्या शर्मा ने शालीन भनोट के गाल पर किस कर दिया था, उस दौरान शालीन और गौतम विज में जमकर लड़ाई हुई थी. इसके बाद समय के साथ ही सौदर्या शर्मा ने गौतम विज के साथ अपनी जोड़ी बना ली थी.

विंटर स्पेशल : मूंगफली में छिपा सेहत का खजाना

मूंगफली को गरीबों का बादाम भी कहा जाता है. क्योंकि यह बादाम के मुकाबले सस्ता होता है. पर इस का सेवन कभीकभी गर्मियों में भी कर सकते हैं.

मूंगफली को कई तरीके से खा सकते हैं जैसे- कच्ची,  तल कर या फिर भून कर. रोज इसे खाने का सब से अच्छा तरीका सलाद के रूप में है.

आप अपने नाश्ते में दलिया, पोहा, मूंग दाल की खिचड़ी या दलिया वगैरह में मूंगफली डाल सकते हैं या फिर इस का सेवन दही में मिला कर भी कर सकते हैं. इस के अलावा पीनट बटर के तौर पर, चटनी बना कर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

यह प्रोटीन का सब से अच्छा जरिया माना जाता है क्योंकि इस में सेहत का खजाना छिपा हुआ होता है.

वैसे, मूंगफली का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर के लिए कभीकभी नुकसान पहुंचा सकता है. वहीं इस के सेवन से कुछ लोगों की त्वचा में एलर्जी हो सकती है. चेहरे और गले में सूजन आ सकती है. कई बार तो इस के सेवन से सांस लेने में दिक्कत होती है. इतना ही नहीं, कई बार अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

अगर आप किसी वजह से दूध नहीं पीते हैं तो मूंगफली का सेवन इस का एक बेहतर विकल्प भी हो सकता है.वहीं वजन घटाने में भी यह काफी उपयोगी मानी गई है.

मूंगफली की बाहरी खाल में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट की पर्याप्त मात्रा होती है. यही वजह है कि जो लोग नियमित रूप से मूंगफली खाते हैं, उन में हार्ट स्ट्रोक या बीमारी से मरने की संभावना बहुत कम होती है.वहीं खून की कमी भी नहीं होने पाती.

– मूंगफली में विटामिन ई, विटामिन बी 3 और विटामिन 6 के अलावा पर्याप्त मात्रा में आयरन, कैल्शियम, जिंक, नियासिन जैसे तत्व  होते हैं, जो याददाश्त को बढ़ाने में मदद करते हैं.

मूंगफली का सेवन एक ओर जहां पित्त की पथरी के खतरे को कम करने में काफी मददगार है, वहीं दूसरी ओर मूंगफली को अगर स्नैक के रूप में शामिल किया जाए तो यह वजन घटाने में भी मदद करता है.

एक शोध में अपने दिनचर्या में एक हफ्ते तक मूंगफली को शामिल करने वाले 5 या उस से अधिक नट्स खाने वाले पुरुषों में पित्त की पथरी की बीमारी का खतरा कम हो गया. इसी तरह एक हफ्ते में 5 या उस से अधिक यूनिट नट्स का सेवन करने वाली महिलाओं में कोलेसीस्टेक्टॉमी यानी पित्ताशय की थैली को हटाने का ख़तरा कम हो जाता है.

मूंगफली में ओमेगा 6 होने से त्वचा कोमल और नम बनी रहती है. कई लोग तो मूंगफली के पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के तौर पर भी करते हैं.

मूंगफली में ट्रिप्टोफैन का अच्छा स्त्रोत पाया गया है, जो एक जरूरी एमीनो एसिड है जो मूड सुधारने वाले हार्मोन सेरोटोनिन का स्राव बढ़ाता है और डिप्रेशन को कम करने में मददगार साबित होता है.

मूंगफली में मौजूद तत्व पेट से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं. इस के नियमित सेवन से पाचन क्रिया ठीक रहती है और कब्ज जैसी समस्या भी दूर हो जाती है.

इतना ही नहीं, पेट से होने वाली औरतों के लिए मूंगफली खाना बेहद फायदेमंद है. इस से पेट में पल रहे बच्चे का विकास बेहतर तरीके से होता है.

तो आज से ही अपने खाने में हर रोज थोड़ीथोड़ी मात्रा में मूंगफली को शामिल कर अच्छी सेहत बनाएं.

तलाश : मिस्टर सोनी क्या देखकर हैरान थें

इंदौर का ट्रिपल मर्डर केस अखबारों में छाया हुआ था. उस में 3 पीढ़ियों की महिलाओं की हत्या की गई थी- नानी, मां और बेटी की. रिपोर्टरों में होड़ मची थी अपनेअपने चीफ एडिटर को इंप्रैस करने की. इंदौर शहर के हर व्यक्ति का दिल कांप गया था इतना भयानक हत्याकांड देख कर.

तान्या को भी चीफ एडिटर अमर ने इसी ट्रिपल मर्डर केस का काम सौंपा हुआ था. तान्या को चिढ़ थी क्राइम रिपोर्टिंग से लेकिन चीफ एडिटर का और्डर मानना ही था. चीफ एडिटर अमर का और्डर था कि फोटोग्राफर सोमेश के साथ तान्या इस पर काम करे और ट्रिपल मर्डर केस में हर दिन की खबर पर नजर रखे, बाकी सब काम छोड़ दे. वे दोनों इस केस के पीछे लगे थे. पुलिस से भी संपर्क में बने हुए थे. अपराधी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.

आज वह अब तक की पूरी रिपोर्ट तैयार करने के साथ उस को फाइनल चैक भी करना चाहती थी. तान्या बड़ी गंभीरता से इस काम में लगी थी. सोमेश ने उसे कौफी पीने के लिए कहा भी कि कौफी पी कर आते हैं, फिर काम करते हैं. लेकिन तान्या ने मना कर दिया था. पहले काम, फिर कौफी. सोमेश अकेला ही प्रैस की कैंटीन में चला गया था.

तान्या को हैडलाइन नहीं सूझ रही थी, खबर की हैडलाइन क्या दे. वह सोच में डूबी थी, तभी अचानक उसे याद आया कि पुलिस थाने में इंस्पैक्टर से बात हुई थी, वह शक जाहिर कर रहा था कि जांच में यह बात सामने आई है कि ट्रिपल मर्डर केस में किसी महिला का भी हाथ हो सकता है. फिर क्या था, उसे हैडलाइन सूझ गई. हैडलाइन यह बनायी थी- ‘ट्रिपल मर्डर केस में अनजान महिला’. चीफ एडिटर को मेल कर उस ने सोमेश को मोबाइल किया कि उस के लिए कौफी का और्डर दे दे. फिर लैपटौप उठा कर वह सीधे कैंटीन में चली गई.

कैंटीन में सोमेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने कौफी के साथ वेज बर्गर भी मंगवा लिया, दरअसल घर जा कर वह ‘ट्रिपल मर्डर केस’ पर काम करना चाहती थी, सो डिनर के लफड़े में कौन पड़े. रूमपार्टनर ने डिनर कर भी लिया होगा. फटाफट कौफी खत्म कर वह घर की तरफ चल दी. देररात पूरी रिपोर्ट तो वह पढ़ती रही, जहांजहां उसे ठीक लगा, वहां उस ने कुछ बिंदु हाईलाइट्स किए. जांच रिपोर्ट में एक जगह आ कर अटक गई. फिर कुछ सोच कर उस ने इंस्पैक्टर को फोन लगाने की सोची. घड़ी देखी, रात के 11 बज रहे थे. क्या करूं… फिर उस ने मोबाइल लगा ही दिया.

मोबाइल तुरंत ही इंस्पैक्टर ने उठा लिया, बोला, “तान्या जी बताएं, कैसे याद किया? अब क्या छूट गया?”

“सौरी इंस्पैक्टर साहब, येह केस ही ऐसा है, नींद ही नहीं आ रही थी. कुछ पूछना था आप से,” तान्या बोली.

“जी पूछिए, पत्रकार कहां शांति से बैठते हैं?” इंस्पैक्टर ने कहा.

“मुझे यह पूछना था कि तीनों का मर्डर होने के बाद फैमिली में कौन है जिस से बात हो सकती हो. मेघा के पति तो बाहर रहते हैं, उन से बात हुई क्या?” तान्या ने सवाल किया.

“उन से बात हुई थी लेकिन वे इंदौर से बाहर रहते थे, इसलिए उन को कुछ विशेष पता नहीं. पीएम के बाद बौडी ले कर कुछ रिश्तेदारों के साथ वे चले गए. उन के घर कौनकौन आताजाता था, यह पति को भी नहीं पता. हां, एक बात पता चली है उन के पड़ोसियों से पूछने पर कि एक महिला खूब आती थी,” इंस्पैक्टर की आवाज आई.

“अच्छा, महिला,” तान्या के दिमाग में खयाल आया वह महिला कौन थी जिस का पता नहीं चला है. “ओके इंस्पैक्टर साहब, थैंक यू, गुड नाइट.” यह बोल र तान्या ने फोन काट दिया. थकान के कारण जल्दी ही नींद ने उसे घेर लिया.

दूसरे दिन सुपर न्यूज़ एक्सप्रैस में तान्या की हैडलाइन थी- ‘ट्रिपल मर्डर में अनजान महिला’. पेपर देख कर फटाफट फ्रैश होने को वह वाशरूम भागी. प्रैस भी जल्दी पहुंचना होगा. रूमपार्टनर आलिया तो वीकली पेपर में रिपोर्टर थी, उस को जल्दी जाना था. वह चाय पी कर निकल गई थी.

वाशरूम से आ कर वह नाश्ते की तैयारी करने लगी. फटाफट उस ने जींस के ऊपर लौंग टीशर्ट पहनी, लंबे बालों का जूड़ा बनाया. फिर सोचा, अब नाश्ता करने बैठती हूं. इतने में कौलबैल चीख उठी.

इस समय कौन हो सकता है? उस ने पलभर सोचा और दरवाजा खोल दिया.

दरवाजे पर एक अनजान व्यक्ति को देख कर न जाने कितने खयाल आए और चले गए.

“तुम तान्या हो?” व्यक्ति ने पूछा. “जी, मैं तान्या हूं.” पहनावे से वह व्यक्ति धनी मालूम हो रहा था.

“मैं अरुण कुमार सोनी बादल का डैडी हूं. सुपर न्यूज एक्सप्रैस में तुम्हारी ही हैडलाइन है?”

“जी,” तान्या बोली, “आप अंदर आइए न.”

बादल के पिता ने अंदर आते ही कमरे का निरीक्षण करना शुरू कर दिया. किताबों की शैल्फ में ढेर सारी किताबें व्यवस्थित रखी हुई थीं. कई सारी पुस्तकें पत्रकारिता की थीं ही, साथ ही, साहित्य की भी पुस्तकें थीं- गोर्की टौल्सटौय, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद आदि लेखकों की.

“अरे वाह, ये सब पुस्तकें किस की हैं? कौन पढ़ता है इन्हें?”

“अंकल जी, मै पढ़ती हूं.” फिलहाल अंकल जी संबोधन उसे उचित लगा था.

“वाह, क्या बात है,” कहतेकहते बादल के पिता शैल्फ के नजदीक चले गए. शैल्फ के ऊपर ही अंबे मां की छोटी सी तसवीर रखी थी. पास ही साईं बाबा की छोटी सी मूर्ति भी थी.

“तुम भगवान को भी मानती हो?” बादल के पिता ने पूछा.

“अंधविश्वास में मेरा यकीन नहीं है, किंतु मैं ईश्वर पर विश्वास करती हूं. माता और बाबा की आलिया भी भक्त है,” तान्या ने कहा.

“तुम्हारी रूमपार्टनर कहां है?” अंकल जी ने पूछा.

“एक स्टोरी कवर करने गई है. उसे सोशल प्रौब्लम को कवर करना अच्छा लगता है,” तान्या ने बताया.

चाय की चुस्की के साथ अंकल जी ब्रेडपकौड़ों का भी आनंद लेते जा रहे थे.

“तुम को कुकिंग का शौक है?” अंकल जी ने पूछा.

“यों तो सभी इंडियन फूड बना लेती हूं पर कुछ स्नैक्स अच्छा बना लेती हूं,” तान्या बोली.

“ओके, अब मैं चलता हूं. ब्रेड पकौड़े अच्छे थे. मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,” कहते हुए मिस्टर सोनी ने विजिटिंग कार्ड तान्या को पकड़ा दिया.

“लेकिन आप कुछ खबर के बारे में पूछ रहे थे,” तान्या बोली.

“तुम ने जो खबर में अनजान महिला का जिक्र किया है, उस की जानकारी तुम को मिल सकती है,” मिस्टर सोनी बोले.

“अच्छा,” तान्या खुशीभरे स्वर में बोली, “कहां?”

“मेरे घर में बादल की मम्मी से,” मिस्टर सोनी बोले, “तुम को पता है, मेरी कई ज्वैलरी शौप हैं, इंदौर में भी और बाहर कई शहरों में. मैं ज्यादातर बाहर ही रहता हूं बिजनैस के सिलसिले में. घर पर बादल की मम्मी और मेरी मम्मी, मतलब, बादल की दादी रहती हैं.”

“जी पता है मुझे, बादल ने एक बार बताया था,” तान्या बोली.

“हमारा घर कुछ मकान छोड़ कर थोड़ी दूरी पर है. लेकिन उसी कालोनी, श्रीनगर कालोनी, में पुलिस ने नजदीक वाले पड़ोसियों से जानकारी ली, हम से नहीं.”

“अच्छा,” तान्या ध्यान से सुन रही थी.

“तुम कल सन्डे को घर आ जाओ, नाश्ता भी साथ ही करेंगे और पूजा से भी मिल लेना. तुम्हारी न्यूज की हैडलाइन की जानकारी भी मिल जाएगी,” मिस्टर सोनी बोले.

“जी अंकल जी,” तान्या बोली.

तान्या अपने रूम में आ गई. उसे बादल से मुलाकात याद आई. लगभग एक वर्ष पहले किसी न्यूज के सिलसिले में बादल अपने मित्र के साथ आया था. तभी दोनों की बातचीत शुरू हुई थी, फिर धीरेधीरे प्रेम परवान चढ़ने लगा था.

संडे के दिन सुबहसुबह तान्या उलझन का शिकार हुई, ड्रैस कौन सी पहने, समझ नहीं आ रहा. फिर तान्या को याद आया कि बादल के पापा ने भी किसी पुर्तगाली ईसाई लड़की से शादी की है, निश्चित रूप से वह बेहद आधुनिक होगी. साथ ही, घर का माहौल भी आधुनिक होगा. यह सोच कर वह थोड़ा टैंशन फ्री हो गई. उस ने अपनी सब से अच्छी जींस और रौयल ब्लू कलर का टौप पहना. कमर तक अपने लंबे बालों को उस ने खुला ही रहने दिया.

तान्या सुंदर थी, रंग खिलता हुआ था, नक्श तीखे थे. नाक के बांईं ओर का तिल उस की सुंदरता में चारचांद लगाता था. मुसकराहट में कोमलता थी. ये सब बादल को भा गया था.

श्रीनगर कालोनी में हरियाली का राज था. दूरदूर बने बंगले बड़े ही खूबसूरत थे. लोहे के बड़े से गेट के बाहर खूबसूरत सी नेमप्लेट लगी थी- अरुण कुमार सोनी.

तान्या कौलबैल बजाती, इस के पहले ही एक सर्वेंट गेट खोल कर बाहर आया और बोला, “तान्या मेम?”

“यस, तान्या.”

“आइए, अंदर आइए,” कहतेकहते उस ने एक रूम का गेट खोला था. कदम रखते ही भांप लिया कि यह ड्राइंगरूम है. हर कोने में कलात्मकता दिख रही थी.

तभी ट्रे में पानी ले कर सर्वेंट आया, “मेरा नाम मोहन है, साहब, मेमसाब अभी आते ही होंगे, कुछ काम से गए हैं.”

उस ने मोबाइल में समय देखा, सुबह के साढ़े दस बज रहे थे.

पेपर की न्यूज और फिर बादल के मम्मीडैडी से मुलाकात… टैंशन में वह नाश्ता भी नहीं कर पाई थी.

बादल भी अभी नहीं आया था. अभीअभी सर्विस जौइन की थी, इसलिए छुट्टी कम ही लेता था.

आना होता तो पहले इन्फौर्म जरूर करता.

तान्या अपने विचारों में उलझी जा रही थी.

“नाश्ता तो तुम ने भी नहीं किया होगा, बेटी,” बादल के पापा की आवाज आई.

तान्या चौंक गई. उसे पता ही नहीं चला,एकदम से सोफे से उठ कर खड़ी हो गई.

“बैठोबैठो,” कहतेकहते मिस्टर सोनी तान्या के सामने बैठ गए.

“आंटी जी कहां हैं?” तान्या ने सवाल किया.

“पूजा? वह अभीअभी किचन में गई है, उस के हाथों का बना नाश्ता भूल नहीं पाओगी,” मिस्टर सोनी अपनी पत्नी पूजा की तारीफ करते हुए बोले.

‘पूजा?’ बादल की मम्मी का नाम पूजा है. लेकिन बादल ने तो पामेला बताया था. तान्या फिर सोच में पड़ गई.

“क्या सोच रही हो?” मिस्टर सोनी बोले, “पामेला को मैं पूजा कहता हूं.” उन्होंने तान्या की उलझन दूर की.

वे कुछ कहने वाले थे कि तभी बादल की मम्मी नाश्ता ले कर आ गई. उस के हाथों में आलूगोभी के परांठे, दही और घर का निकला स्वादिष्ठ मक्खन था. तान्या की भूख बढ़ गई. वह आदरसहित खड़ी हो गई और उस ने नमस्ते की.

“अरे बैठो, पहले नाश्ता, बाद में बातें,” कह कर पूजा ने टेबल पर नाश्ते की प्लेटें सजानी शुरू कीं.

तान्या एकटक पूजा को देखती रही. बड़ा ही प्यारा सा सूट पहन रखा था. बड़ी प्यारी लग रही थी.

“नाश्ता करतेकरते बातें भी करते हैं,” मिस्टर सोनी ने बात के सिरे को संभाला, “तुम जिस न्यूज़ को कवर कर रही हो, उस के बारे में तुम्हें पूजा बताएगी. पूजा, तान्या को बताओ उस दिन वाली बात.”

“जी,” पूजा ने कहा, “तान्या, दरअसल, एक लेडी थी. उस का नाम नेहा था. उस की मेघा (जिस का मर्डर हुआ) से अच्छी दोस्ती हो गई थी. मेघा के पति बैंक में औफिसर है, अकसर बाहर जाया करते थे और मेघा को ज्वैलरी का बहुत शौक था. वह अकसर नई डिजाइन के बारे में जानने और ज्वैलरी देखने हमारे घर आती रहती थी. मेघा से ही पता चला कि उस की नेहा से अच्छी फ्रैंडशिप हो गई थी. उस की नेहा से मुलाकात किसी ब्यूटीपार्लर में हुई थी जहां वह फेशियल कराने के लिए गई थी. फेशियल के पहले उस ने ज्वैलरी निकाल कर पर्स में रखी थी, जिस पर नेहा की नज़र पड़ी थी. वह तारीफ करने लगी थी. ज्वैलरी की तारीफ सुन कर मेघा खुश हो गई थी. यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई.”

पूजा के इतना बताने पर तान्या खुश हो गई थी. उस की मेहनत सफल हो गई. उस ने पूजा से पूछा. “यह बात आप को मेघा ने बताई थी?”

“हां, क्योंकि इस मुलाकात के बाद मेघा कभीकभी उसे घर बुलाने लगी थी,” पूजा बोली.

“जो जानकारी है, आप ने पुलिस को क्यों नहीं बताई?” तान्या ने सवाल किया.

“हम आजकल में पुलिस के पास जाने वाले थे कि कल पेपर में तुम्हारी न्यूज पढ़ी. न्यूज़ पढ़ कर बादल के पापा तुम्हारे घर गए.”

“थैंक यू वैरी मच, आंटी,” तान्या बोली.

“अच्छा, यह बताओ किशादी कब करनी है?” पूजा ने तान्या को छेड़ा.

“जी, वो…” कहतीकहती तान्या शरमा गई.

“देखो बेटा, मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता,” बादल के डैडी बोले, “मैं सिर्फ इंसानियत को मानता हूं, कट्टरता के खिलाफ हूं. बादल ने बताया ही होगा. बादल का व्यवहार तो तुम को पता ही होगा. वह भी इसी प्रकार के विचार रखता है. मैं ने तुम्हारे रूम में देवीदेवताओं की बहुत सी तसवीरें देखी थीं, इसलिए मुझे लगा, कहीं तुम कट्टर तो नहीं?”

“जी, मैं यह बात जानती हूं, अंकल जी,” तान्या बोली, “मेरे विचारों में कट्टरता नहीं है,अंकल जी. मनुष्य मात्र की भलाई में मानवता है, रूढ़ियों, अंधविश्वासों पर मुझे विश्वास नहीं.”

कभी बादल तुम को यह जर्नलिस्ट वाला काम छोड़ने को बोले तो?” मिस्टर सोनी ने सवाल किया.

“नहीं, ऐसा नहीं होगा. बादल पर मुझे विश्वास है,” तान्या बोली, जर्नलिस्ट का काम तो ऐसा है कि जहां बादल का ट्रांसफर होगा वहीं किसी पेपर से जुड़ जाऊंगी,” तान्या कौन्फिडेंस के साथ बोली और कहा, अंकल जी, अब मैं चलती हूं.”

बादल के घर से तान्या सीधी पुलिस इंस्पैक्टर के पास गई.

थोड़े दिनों बाद ही पेपर में न्यूज थी, ‘ट्रिपल मर्डर केस के आरोपी गिरफ्तार’.

तान्या की जानकारी से पुलिस को सहयोग मिला. अनजान महिला नेहा वर्मा अपने 3 साथियों सहित गिरफ्तार कर ली गई.

उस की सफलता से खुश हो कर बादल ने भी बधाई दी तान्या को.

तान्या खुश थी. उस की आवाज से मालूम पड़ रहा था वह खुश थी.

“तान्या, डैडी तुम से इंप्रैस हैं,” बादल ने कहा.

“अच्छा!” तान्या ने कहा.

“पापा ने मेरी पसंद को समझा और स्वीकार किया. उन की एक अच्छी बहू की तलाश खत्म हुई.”

इंदौर का ट्रिपल मर्डर केस अखबारों में छाया हुआ था. उस में 3 पीढ़ियों की महिलाओं की हत्या की गई थी- नानी, मां और बेटी की. रिपोर्टरों में होड़ मची थी अपनेअपने चीफ एडिटर को इंप्रैस करने की. इंदौर शहर के हर व्यक्ति का दिल कांप गया था इतना भयानक हत्याकांड देख कर.

तान्या को भी चीफ एडिटर अमर ने इसी ट्रिपल मर्डर केस का काम सौंपा हुआ था. तान्या को चिढ़ थी क्राइम रिपोर्टिंग से लेकिन चीफ एडिटर का और्डर मानना ही था. चीफ एडिटर अमर का और्डर था कि फोटोग्राफर सोमेश के साथ तान्या इस पर काम करे और ट्रिपल मर्डर केस में हर दिन की खबर पर नजर रखे, बाकी सब काम छोड़ दे. वे दोनों इस केस के पीछे लगे थे. पुलिस से भी संपर्क में बने हुए थे. अपराधी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.

आज वह अब तक की पूरी रिपोर्ट तैयार करने के साथ उस को फाइनल चैक भी करना चाहती थी. तान्या बड़ी गंभीरता से इस काम में लगी थी. सोमेश ने उसे कौफी पीने के लिए कहा भी कि कौफी पी कर आते हैं, फिर काम करते हैं. लेकिन तान्या ने मना कर दिया था. पहले काम, फिर कौफी. सोमेश अकेला ही प्रैस की कैंटीन में चला गया था.

तान्या को हैडलाइन नहीं सूझ रही थी, खबर की हैडलाइन क्या दे. वह सोच में डूबी थी, तभी अचानक उसे याद आया कि पुलिस थाने में इंस्पैक्टर से बात हुई थी, वह शक जाहिर कर रहा था कि जांच में यह बात सामने आई है कि ट्रिपल मर्डर केस में किसी महिला का भी हाथ हो सकता है. फिर क्या था, उसे हैडलाइन सूझ गई. हैडलाइन यह बनायी थी- ‘ट्रिपल मर्डर केस में अनजान महिला’. चीफ एडिटर को मेल कर उस ने सोमेश को मोबाइल किया कि उस के लिए कौफी का और्डर दे दे. फिर लैपटौप उठा कर वह सीधे कैंटीन में चली गई.

कैंटीन में सोमेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने कौफी के साथ वेज बर्गर भी मंगवा लिया, दरअसल घर जा कर वह ‘ट्रिपल मर्डर केस’ पर काम करना चाहती थी, सो डिनर के लफड़े में कौन पड़े. रूमपार्टनर ने डिनर कर भी लिया होगा. फटाफट कौफी खत्म कर वह घर की तरफ चल दी. देररात पूरी रिपोर्ट तो वह पढ़ती रही, जहांजहां उसे ठीक लगा, वहां उस ने कुछ बिंदु हाईलाइट्स किए. जांच रिपोर्ट में एक जगह आ कर अटक गई. फिर कुछ सोच कर उस ने इंस्पैक्टर को फोन लगाने की सोची. घड़ी देखी, रात के 11 बज रहे थे. क्या करूं… फिर उस ने मोबाइल लगा ही दिया.

मोबाइल तुरंत ही इंस्पैक्टर ने उठा लिया, बोला, “तान्या जी बताएं, कैसे याद किया? अब क्या छूट गया?”

“सौरी इंस्पैक्टर साहब, येह केस ही ऐसा है, नींद ही नहीं आ रही थी. कुछ पूछना था आप से,” तान्या बोली.

“जी पूछिए, पत्रकार कहां शांति से बैठते हैं?” इंस्पैक्टर ने कहा.

“मुझे यह पूछना था कि तीनों का मर्डर होने के बाद फैमिली में कौन है जिस से बात हो सकती हो. मेघा के पति तो बाहर रहते हैं, उन से बात हुई क्या?” तान्या ने सवाल किया.

“उन से बात हुई थी लेकिन वे इंदौर से बाहर रहते थे, इसलिए उन को कुछ विशेष पता नहीं. पीएम के बाद बौडी ले कर कुछ रिश्तेदारों के साथ वे चले गए. उन के घर कौनकौन आताजाता था, यह पति को भी नहीं पता. हां, एक बात पता चली है उन के पड़ोसियों से पूछने पर कि एक महिला खूब आती थी,” इंस्पैक्टर की आवाज आई.

“अच्छा, महिला,” तान्या के दिमाग में खयाल आया वह महिला कौन थी जिस का पता नहीं चला है. “ओके इंस्पैक्टर साहब, थैंक यू, गुड नाइट.” यह बोल र तान्या ने फोन काट दिया. थकान के कारण जल्दी ही नींद ने उसे घेर लिया.

दूसरे दिन सुपर न्यूज़ एक्सप्रैस में तान्या की हैडलाइन थी- ‘ट्रिपल मर्डर में अनजान महिला’. पेपर देख कर फटाफट फ्रैश होने को वह वाशरूम भागी. प्रैस भी जल्दी पहुंचना होगा. रूमपार्टनर आलिया तो वीकली पेपर में रिपोर्टर थी, उस को जल्दी जाना था. वह चाय पी कर निकल गई थी.

वाशरूम से आ कर वह नाश्ते की तैयारी करने लगी. फटाफट उस ने जींस के ऊपर लौंग टीशर्ट पहनी, लंबे बालों का जूड़ा बनाया. फिर सोचा, अब नाश्ता करने बैठती हूं. इतने में कौलबैल चीख उठी.

इस समय कौन हो सकता है? उस ने पलभर सोचा और दरवाजा खोल दिया.

दरवाजे पर एक अनजान व्यक्ति को देख कर न जाने कितने खयाल आए और चले गए.

“तुम तान्या हो?” व्यक्ति ने पूछा. “जी, मैं तान्या हूं.” पहनावे से वह व्यक्ति धनी मालूम हो रहा था.

“मैं अरुण कुमार सोनी बादल का डैडी हूं. सुपर न्यूज एक्सप्रैस में तुम्हारी ही हैडलाइन है?”

“जी,” तान्या बोली, “आप अंदर आइए न.”

बादल के पिता ने अंदर आते ही कमरे का निरीक्षण करना शुरू कर दिया. किताबों की शैल्फ में ढेर सारी किताबें व्यवस्थित रखी हुई थीं. कई सारी पुस्तकें पत्रकारिता की थीं ही, साथ ही, साहित्य की भी पुस्तकें थीं- गोर्की टौल्सटौय, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद आदि लेखकों की.

“अरे वाह, ये सब पुस्तकें किस की हैं? कौन पढ़ता है इन्हें?”

“अंकल जी, मै पढ़ती हूं.” फिलहाल अंकल जी संबोधन उसे उचित लगा था.

“वाह, क्या बात है,” कहतेकहते बादल के पिता शैल्फ के नजदीक चले गए. शैल्फ के ऊपर ही अंबे मां की छोटी सी तसवीर रखी थी. पास ही साईं बाबा की छोटी सी मूर्ति भी थी.

“तुम भगवान को भी मानती हो?” बादल के पिता ने पूछा.

“अंधविश्वास में मेरा यकीन नहीं है, किंतु मैं ईश्वर पर विश्वास करती हूं. माता और बाबा की आलिया भी भक्त है,” तान्या ने कहा.

“तुम्हारी रूमपार्टनर कहां है?” अंकल जी ने पूछा.

“एक स्टोरी कवर करने गई है. उसे सोशल प्रौब्लम को कवर करना अच्छा लगता है,” तान्या ने बताया.

चाय की चुस्की के साथ अंकल जी ब्रेडपकौड़ों का भी आनंद लेते जा रहे थे.

“तुम को कुकिंग का शौक है?” अंकल जी ने पूछा.

“यों तो सभी इंडियन फूड बना लेती हूं पर कुछ स्नैक्स अच्छा बना लेती हूं,” तान्या बोली.

“ओके, अब मैं चलता हूं. ब्रेड पकौड़े अच्छे थे. मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,” कहते हुए मिस्टर सोनी ने विजिटिंग कार्ड तान्या को पकड़ा दिया.

“लेकिन आप कुछ खबर के बारे में पूछ रहे थे,” तान्या बोली.

“तुम ने जो खबर में अनजान महिला का जिक्र किया है, उस की जानकारी तुम को मिल सकती है,” मिस्टर सोनी बोले.

“अच्छा,” तान्या खुशीभरे स्वर में बोली, “कहां?”

“मेरे घर में बादल की मम्मी से,” मिस्टर सोनी बोले, “तुम को पता है, मेरी कई ज्वैलरी शौप हैं, इंदौर में भी और बाहर कई शहरों में. मैं ज्यादातर बाहर ही रहता हूं बिजनैस के सिलसिले में. घर पर बादल की मम्मी और मेरी मम्मी, मतलब, बादल की दादी रहती हैं.”

“जी पता है मुझे, बादल ने एक बार बताया था,” तान्या बोली.

“हमारा घर कुछ मकान छोड़ कर थोड़ी दूरी पर है. लेकिन उसी कालोनी, श्रीनगर कालोनी, में पुलिस ने नजदीक वाले पड़ोसियों से जानकारी ली, हम से नहीं.”

“अच्छा,” तान्या ध्यान से सुन रही थी.

“तुम कल सन्डे को घर आ जाओ, नाश्ता भी साथ ही करेंगे और पूजा से भी मिल लेना. तुम्हारी न्यूज की हैडलाइन की जानकारी भी मिल जाएगी,” मिस्टर सोनी बोले.

“जी अंकल जी,” तान्या बोली.

तान्या अपने रूम में आ गई. उसे बादल से मुलाकात याद आई. लगभग एक वर्ष पहले किसी न्यूज के सिलसिले में बादल अपने मित्र के साथ आया था. तभी दोनों की बातचीत शुरू हुई थी, फिर धीरेधीरे प्रेम परवान चढ़ने लगा था.

संडे के दिन सुबहसुबह तान्या उलझन का शिकार हुई, ड्रैस कौन सी पहने, समझ नहीं आ रहा. फिर तान्या को याद आया कि बादल के पापा ने भी किसी पुर्तगाली ईसाई लड़की से शादी की है, निश्चित रूप से वह बेहद आधुनिक होगी. साथ ही, घर का माहौल भी आधुनिक होगा. यह सोच कर वह थोड़ा टैंशन फ्री हो गई. उस ने अपनी सब से अच्छी जींस और रौयल ब्लू कलर का टौप पहना. कमर तक अपने लंबे बालों को उस ने खुला ही रहने दिया.

तान्या सुंदर थी, रंग खिलता हुआ था, नक्श तीखे थे. नाक के बांईं ओर का तिल उस की सुंदरता में चारचांद लगाता था. मुसकराहट में कोमलता थी. ये सब बादल को भा गया था.

श्रीनगर कालोनी में हरियाली का राज था. दूरदूर बने बंगले बड़े ही खूबसूरत थे. लोहे के बड़े से गेट के बाहर खूबसूरत सी नेमप्लेट लगी थी- अरुण कुमार सोनी.

तान्या कौलबैल बजाती, इस के पहले ही एक सर्वेंट गेट खोल कर बाहर आया और बोला, “तान्या मेम?”

“यस, तान्या.”

“आइए, अंदर आइए,” कहतेकहते उस ने एक रूम का गेट खोला था. कदम रखते ही भांप लिया कि यह ड्राइंगरूम है. हर कोने में कलात्मकता दिख रही थी.

तभी ट्रे में पानी ले कर सर्वेंट आया, “मेरा नाम मोहन है, साहब, मेमसाब अभी आते ही होंगे, कुछ काम से गए हैं.”

उस ने मोबाइल में समय देखा, सुबह के साढ़े दस बज रहे थे.

पेपर की न्यूज और फिर बादल के मम्मीडैडी से मुलाकात… टैंशन में वह नाश्ता भी नहीं कर पाई थी.

बादल भी अभी नहीं आया था. अभीअभी सर्विस जौइन की थी, इसलिए छुट्टी कम ही लेता था.

आना होता तो पहले इन्फौर्म जरूर करता.

तान्या अपने विचारों में उलझी जा रही थी.

“नाश्ता तो तुम ने भी नहीं किया होगा, बेटी,” बादल के पापा की आवाज आई.

तान्या चौंक गई. उसे पता ही नहीं चला,एकदम से सोफे से उठ कर खड़ी हो गई.

“बैठोबैठो,” कहतेकहते मिस्टर सोनी तान्या के सामने बैठ गए.

“आंटी जी कहां हैं?” तान्या ने सवाल किया.

“पूजा? वह अभीअभी किचन में गई है, उस के हाथों का बना नाश्ता भूल नहीं पाओगी,” मिस्टर सोनी अपनी पत्नी पूजा की तारीफ करते हुए बोले.

‘पूजा?’ बादल की मम्मी का नाम पूजा है. लेकिन बादल ने तो पामेला बताया था. तान्या फिर सोच में पड़ गई.

“क्या सोच रही हो?” मिस्टर सोनी बोले, “पामेला को मैं पूजा कहता हूं.” उन्होंने तान्या की उलझन दूर की.

वे कुछ कहने वाले थे कि तभी बादल की मम्मी नाश्ता ले कर आ गई. उस के हाथों में आलूगोभी के परांठे, दही और घर का निकला स्वादिष्ठ मक्खन था. तान्या की भूख बढ़ गई. वह आदरसहित खड़ी हो गई और उस ने नमस्ते की.

“अरे बैठो, पहले नाश्ता, बाद में बातें,” कह कर पूजा ने टेबल पर नाश्ते की प्लेटें सजानी शुरू कीं.

तान्या एकटक पूजा को देखती रही. बड़ा ही प्यारा सा सूट पहन रखा था. बड़ी प्यारी लग रही थी.

“नाश्ता करतेकरते बातें भी करते हैं,” मिस्टर सोनी ने बात के सिरे को संभाला, “तुम जिस न्यूज़ को कवर कर रही हो, उस के बारे में तुम्हें पूजा बताएगी. पूजा, तान्या को बताओ उस दिन वाली बात.”

“जी,” पूजा ने कहा, “तान्या, दरअसल, एक लेडी थी. उस का नाम नेहा था. उस की मेघा (जिस का मर्डर हुआ) से अच्छी दोस्ती हो गई थी. मेघा के पति बैंक में औफिसर है, अकसर बाहर जाया करते थे और मेघा को ज्वैलरी का बहुत शौक था. वह अकसर नई डिजाइन के बारे में जानने और ज्वैलरी देखने हमारे घर आती रहती थी. मेघा से ही पता चला कि उस की नेहा से अच्छी फ्रैंडशिप हो गई थी. उस की नेहा से मुलाकात किसी ब्यूटीपार्लर में हुई थी जहां वह फेशियल कराने के लिए गई थी. फेशियल के पहले उस ने ज्वैलरी निकाल कर पर्स में रखी थी, जिस पर नेहा की नज़र पड़ी थी. वह तारीफ करने लगी थी. ज्वैलरी की तारीफ सुन कर मेघा खुश हो गई थी. यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई.”

पूजा के इतना बताने पर तान्या खुश हो गई थी. उस की मेहनत सफल हो गई. उस ने पूजा से पूछा. “यह बात आप को मेघा ने बताई थी?”

“हां, क्योंकि इस मुलाकात के बाद मेघा कभीकभी उसे घर बुलाने लगी थी,” पूजा बोली.

“जो जानकारी है, आप ने पुलिस को क्यों नहीं बताई?” तान्या ने सवाल किया.

“हम आजकल में पुलिस के पास जाने वाले थे कि कल पेपर में तुम्हारी न्यूज पढ़ी. न्यूज़ पढ़ कर बादल के पापा तुम्हारे घर गए.”

“थैंक यू वैरी मच, आंटी,” तान्या बोली.

“अच्छा, यह बताओ किशादी कब करनी है?” पूजा ने तान्या को छेड़ा.

“जी, वो…” कहतीकहती तान्या शरमा गई.

“देखो बेटा, मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता,” बादल के डैडी बोले, “मैं सिर्फ इंसानियत को मानता हूं, कट्टरता के खिलाफ हूं. बादल ने बताया ही होगा. बादल का व्यवहार तो तुम को पता ही होगा. वह भी इसी प्रकार के विचार रखता है. मैं ने तुम्हारे रूम में देवीदेवताओं की बहुत सी तसवीरें देखी थीं, इसलिए मुझे लगा, कहीं तुम कट्टर तो नहीं?”

“जी, मैं यह बात जानती हूं, अंकल जी,” तान्या बोली, “मेरे विचारों में कट्टरता नहीं है,अंकल जी. मनुष्य मात्र की भलाई में मानवता है, रूढ़ियों, अंधविश्वासों पर मुझे विश्वास नहीं.”

कभी बादल तुम को यह जर्नलिस्ट वाला काम छोड़ने को बोले तो?” मिस्टर सोनी ने सवाल किया.

“नहीं, ऐसा नहीं होगा. बादल पर मुझे विश्वास है,” तान्या बोली, जर्नलिस्ट का काम तो ऐसा है कि जहां बादल का ट्रांसफर होगा वहीं किसी पेपर से जुड़ जाऊंगी,” तान्या कौन्फिडेंस के साथ बोली और कहा, अंकल जी, अब मैं चलती हूं.”

बादल के घर से तान्या सीधी पुलिस इंस्पैक्टर के पास गई.

थोड़े दिनों बाद ही पेपर में न्यूज थी, ‘ट्रिपल मर्डर केस के आरोपी गिरफ्तार’.

तान्या की जानकारी से पुलिस को सहयोग मिला. अनजान महिला नेहा वर्मा अपने 3 साथियों सहित गिरफ्तार कर ली गई.

उस की सफलता से खुश हो कर बादल ने भी बधाई दी तान्या को.

तान्या खुश थी. उस की आवाज से मालूम पड़ रहा था वह खुश थी.

“तान्या, डैडी तुम से इंप्रैस हैं,” बादल ने कहा.

“अच्छा!” तान्या ने कहा.

“पापा ने मेरी पसंद को समझा और स्वीकार किया. उन की एक अच्छी बहू की तलाश खत्म हुई.”

मुझे एक युवती से प्यार है,वह बहुत बोल्ड है, मैं चाहता हूं कि वह मेरे परिवार के अनुसार चले, क्या करें?

सवाल

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है. वह भी मुझ से प्यार करती है पर वह बहुत बोल्ड है. हमारी फैमिली पुराने खयालों की है. मैं चाहता हूं कि वह शादी के बाद मेरे परिवार के अनुसार चले. क्या करें?

जवाब

आप की प्रेमिका बोल्ड है यह तो अच्छी बात है, लेकिन आप भौंदुओं वाली बात क्यों करते हैं. अपनी आजादी हरेक को प्यारी होती है क्या आप को नहीं? फिर पुराने खयालों में ही जीते रहने का क्या फायदा, रही बात संस्कार की तो बोल्ड होने का मतलब संस्कारहीन होना नहीं.

आजकल युवतियां समय अनुसार चलने, आगे बढ़ने पर जोर देती हैं, जो अच्छी बात है फिर आप तो उस से प्यार करते हैं. उस के लिए खुद को बदलिए, पेरैंट्स को पुराने खयालों से नए विचारों की ओर मोडि़ए. वह युवती आप के घर आ कर आप की व आप के परिवार की तरक्की की राह ही खोलेगी, हां, उस की रिस्पैक्ट जरूर कीजिए, क्योंकि वह जमाने के अनुसार ताल से ताल मिला कर चलने वाली है, तो तरक्की के रास्ते खोलेगी.

विंटर स्पेशल : ऐसे बनाएं अनियन सूप

अगर आप सूप के शौकिन हैं तो अनियन सूप जरूर ट्राई करें. इसे बनाना भी बेहद आसान है और टाईम भी कम लगेगा. तो आईए जानते हैं अनियन सूप की रेसिपी

सामग्री

4 प्‍याज

2 चम्‍मच बटर

1 गाजर

1 लीटर पानी

2 चम्‍मच अजवायन

2 लहसुन

1 कप वेजिटेबल

2 आलू

नमक स्‍वादानुसार

शक्‍कर स्‍वादानुसार

काली मिर्च स्‍वादानुसार

बनाने की वि​धि

प्‍याज, लहसुन, आलू और गाजर को छोटे- छोटे टुकड़ों में काट लें. इसके बाद मध्‍यम आंच पर पैन में बटर गर्म कर लें और जब बटर मेल्‍ट हो जाए तो उसमें प्‍याज और लहसुन के टुकड़े डाल दें.

इसे हल्‍का ब्राउन होने तक भूनें. इसके बाद मीडियम फ्लेम पर पानी गर्म करें. इसके बाद उसमें अजवायन और बाकी की सब्जियां डाल दें.

साथ में शक्‍कर, नमक और काली मिर्च डालकर अच्‍छे से चलाएं. इसके बाद इसे 2 से 3 मिनट तक अच्‍छे से मिलने दें.

जब यह उबलने लगे तो इसमें प्‍याज और लहसुन का पहले से तैयार किया हुआ मिक्‍सचर डाल दें.

अब पैन में आलू और गाजर के टुकड़े डालें और इसके बाद मध्‍यम आंच पर 15 मिनट तक इसे पकाएं.

जब यह पक जाए तो इसकी प्‍यूरी तैयार कर लें. अब दूसरे पैन में इस प्‍यूरी को डालकर 5 मिनट तक चलाएं और गर्मागर्म सर्व करें.

यारी से रिश्तेदारी -भाग 1: तन्मय की चाहत

‘‘मां, आप कितनी अच्छी और प्यारी हो. आप ने मेरे लिए घर में सब से कितना कुछ सुना, ये मैं कभी नहीं भूलूंगा,’’ कहते हुए तन्मय अपनी मां रागिनी के गले लग गया. रागिनी ने भी प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरा और बोली, ‘‘मां को मक्खन ही लगाते रहोगे या तैयार भी होओगे. उन लोगों के आने का समय हो गया है. नहीं करनी तो कैंसिल कर देते हैं एंगेजमेंट की रस्म,’’ रागिनी ने बेटे तन्मय से चुटकी लेते हुए कहा.

‘‘अरे, नहींनहीं… मेरी प्यारी मां, ऐसा मत करना प्लीज. बड़ी मुश्किल से तो बात बनी है. बस अभी गया और अभी आया,’’ कहते हुए तन्मय तैयार होने अपने कमरे में चला गया.

रागिनी पास में ही पड़े सोफे पर बैठ गई. आज उस के बेटे की सगाई है. बच्चे कब बड़े हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. आज मां से सास बनने का वक्त भी आ गया. पर, उसे ऐसा लग रहा है मानो उस के विवाह की ही पुनरावृत्ति हो रही हो. बस परिस्थितियां कुछ अलग हैं. तभी मेहमान आने प्रारंभ हो गए और रागिनी और उस के पति प्रदीप मेहमानों की आवभगत में व्यस्त हो गए.

जब बहू तनु और बेटे तन्मय ने एकददूसरे को अगूंठी पहना कर सगाई की रस्म पूरी की, तो उस की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. उस ने बहू तनु की बलाएं ली और अपने समधीसमधिन से बोली,
‘‘भाई साहब और भाभीजी, आज से तनु हमारी हुई.’’

‘‘हां भई हां, तनु आज से आप की ही है, हमारे पास तो बस कुछ दिनों के लिए आप की अमानत मात्र है भाभी,’’ समधिन रीना यह कहते हुए उस के गले से लग गई.

खाना प्रारंभ हो चुका था, सभी मेहमान खाने में व्यस्त थे. सारी व्यवस्थाओं से संतुष्ट हो कर रागिनी स्टेज के पास पड़े सोफे पर आ कर बैठ गई. उसे लग रहा था मानो 40 वर्ष पूर्व की घटना की पुनरावृत्ति हो रही हो सोचतेसोचते उस के मन में सुनहरी यादों का पिटारा खुलने लगा.

8वीं की छात्रा थी वह, जब उस के जीवन में प्रदीप ने प्रवेश किया था. वैसे तो वह बहुत मेधावी थी, परंतु गणित में कमजोर थी. एक दिन पापा अपने मित्र शर्माजी के बेटे को ले कर आए और बोले, ‘‘ये प्रदीप भइया हैं, कल से तुम्हें गणित पढाएंगे.’’

मिसफिट पर्सन-भाग 2: जब एक नवयौवना ने थामा नरोत्तम का हाथ

शाम को रिटायरिंग रूम में कौफी पीते अन्य कस्टम अधिकारी आज की घटना की चर्चा कर रहे थे. आव्रजन काउंटर पर अघोषित माल या तस्करी का सामान पकड़ा जाना नई बात नहीं थी. असल बात तो नरोत्तम जैसे असहयोगी या मिसफिट पर्सन नेचर वाले व्यक्ति की थी. ऐसा अधिकारी कभीकभार महकमे में आ ही जाता था.

‘‘यह नया पंछी शर्मा चंदा लेता नहीं है या इस को चंदा लेना नहीं आता?’’ सरदार गुरजीत सिंह, वरिष्ठ कस्टम अधिकारी ने पूछा.

‘‘लेता नहीं है. यह इतना भोंदू नजर नहीं आता कि चंदा कैसे लिया जाता है, न जानता हो,’’ वधवा ने कहा.

‘‘एक बात यह भी है कि लेनादेना सब के सामने नहीं हो सकता,’’ रस्तोगी की इस बात का सब ने अनुमोदन किया.

‘‘एअरपोर्ट पर आने से पहले यह कहां था?’’

‘‘कंपनियों को चैक करने वाले स्टाफ में था.’’

‘‘वहां क्या परेशानी थी?’’

‘‘वहां भी ऐसा ही था.’’

‘‘इस का मतलब यह इस लाइन का नहीं है. कितने समय तक यहां टिक पाएगा?’’ गुरजीत सिंह के इस सवाल पर सब हंस पड़े.

ज्योत्सना अपनी सप्लायर मिसेज बख्शी के सामने बैठी थी.

‘‘आज माल कैसे फंस गया?’’

‘‘एक नया कस्टम अधिकारी था, उस ने माल चैक कर मालखाने में जमा करवा दिया.’’

‘‘बूढ़ा है या नौजवान?’’

‘‘कड़क जवान है. लगता है अभी कालेज से निकला है.’’

‘‘शादीशुदा है?’’

‘‘यह उस के माथे पर तो नहीं लिखा है? वैसे कुंआरा है या शादीशुदा, आप को क्या करना है?’’ एक आंख दबाते हुए ज्योत्सना ने कहा.

‘‘मेरा मतलब है जब उस ने तेरे रूप और जवानी का रोब नहीं खाया तो, या तो शादीशुदा है या…’’ मिसेज बख्शी ने भी उसी की तरह आंख दबाते हुए कहा.

‘‘क्यों, क्या शादीशुदा लाइन नहीं मारते?’’

‘‘मारते हैं लेकिन उन का स्टाइल जरा पोलाइट होता है जबकि कुंआरे सीधी बात करते हैं.’’

‘‘आप को बड़ा तजरबा है इस लाइन का.’’

‘‘आखिर शादीशुदा हूं. तुम से सीनियर भी हूं,’’ बड़ी अदा के साथ मिसेज बख्शी ने कहा.

दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं.

‘‘आजकल बख्शी साहब की नई सहेली कौन है?’’

‘‘कोई मिस बिजलानी है.’’

‘‘और आप का सहेला कौन है?’’

‘‘यह पता लगाना बख्शी साहब का काम है,’’ इस पर भी जोरदार ठहाका लगा.

‘‘और तेरा अपना क्या हाल है?’’

‘‘आजकल तो अकेली हूं. पहले वाले की शादी हो गई. दूसरे को कोई और मिल गई है. तीसरा अभी कोई मिला नहीं,’’ बड़ी मासूमियत के साथ ज्योत्सना ने कहा.

‘‘इस नए कस्टम अधिकारी के बारे में क्या खयाल है?’’

‘‘हैंडसम है, बौडी भी कड़क है. बात बन जाए तो चलेगा.’’

‘‘ट्राई कर के देख. वैसे अगर मैरिड हुआ तो?’’

‘‘तब भी चलेगा. शादीशुदा को ट्रेनिंग नहीं देनी पड़ती.’’

फिर इस तरह के भद्दे मजाक होते रहे. ज्योत्सना अपने केबिन में चली गई. मिसेज बख्शी ने अपने फिक्स्ड अफसर को फोन कर दिया. मालखाने में जमा माल थोड़ी खानापूर्ति और थोड़ा आयात कर जमा करवाने के बाद छोड़ दिया गया.

मिसेज बख्शी कीमती इलैक्ट्रौनिक उपकरणों का कारोबार करती थीं. वे विदेशों से पुरजे आयात कर, उन को एसेंबल करतीं और उपकरण तैयार कर अपने ब्रैंड नेम से बेचती थीं.

उपकरणों का सीधा आयात भी होता था मगर उस में एक तो समय लगता था दूसरे, पूरा एक कंटेनर या कई कंटेनर मंगवाने पड़ते थे. जमा खर्च भी होता था. पूंजी भी फंसानी पड़ती थी.

दूसरा तरीका डेली पैसेंजर के किसी एक व्यक्ति को या दोचार व्यक्तियों को एक समूह में दुबई, बैंकौक, सिंगापुर, टोकियो, मारीशस या अन्य स्थलों पर भेज कर 3-4 बड़ीबड़ी अटैचियों में ऐसा सामान मंगवा लिया जाता था.

मोह भंग-भाग 2 : रिश्तों में सेंधमारी

इन सब बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा. जब घर में सब को इस बात का पता चला, तो सब ने समझाने की कोशिश की, ‘‘क्यों तू अपनी जिंदगी खराब कर रही है? ऐसी औरततें न घर की रहती हैं और न घाट की.’’

पर, जब मुझ पर असर नहीं हुआ तो भाई ने मुझे थप्पड़ मार दिया और भाभी ताने कसने लगी और मुझे सब ने घर में कैद करने की कोशिश की.

धीरेधीरे संजय के घर में, आसपड़ोस और मेरी सहेलियों में हवा की तरह यह बात फैल गई. दोनों तरफ से समझाना शुरू हो गया, पर हमारी तो दीवानगी बढ़ रही थी.

डाक्टर की पत्नी गीता एक दिन रविवार को अचानक मेरे पास आ गर्ई और क्रोध से भरी फुफकार उठी, ‘‘तूझे क्या मेरा ही पति आंख लड़ाने को मिला था? मेरे 2 छोटेछोटे बच्चे हैं और हमारी सुखी गृहस्थी है. उस में आग का गोला क्यों फेंक रही हो?’’

मैं पहले तो एकदम अवाक रह गई, पर फिर मैं ने शांत स्वर में कहा, ‘‘देखिए, जो भी आप को कहना हो, अपने पति से कहो, मेरातुम्हारा कोर्ई रिश्ता नहीं है और न ही तुम मुझ पर कोई दबाव डाल सकती हो.’’

मैं निष्ठुर बनी बैठी रही, फिर एकाएक उस की आंखों में आंसू आ गए, ‘‘देखो, मैं तुम से विनती कररती हूं. मेरा घर मत उजाड़ो, तुम तो कुंआरी हो, तुम शादी कर सकती हो, पर इस गलत रिश्ते से तुम समाज में मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहोगी.’’

पर, हम दोनों की आंखों का पानी तो मर चुका था. अब हम रेस्टोरेंट, पार्क, सिनेमा सब जगह मिलने लगे.
4-5 दिन बाद संजय की मां हमारे घर आ गई. मैं उन्हें देख कर पिछले दरवाजे से बाहर खिसक गई. उन्होंने भी मेरे मांबाप को बहुत समझाने की कोशिश की. कहने लगी, ‘‘दोनों घरों की इज्जत धूल में मिल जाएगी. और तुम्हारी लड़की की शादी भी कहीं नहीं होगी.’’

मेरे वापस लौटने पर मेरे पिताजी ने गुस्से में मेरे 2-4 थप्पड़ जड़ दिए और साथ ही सख्त हिदायत दे दी कि पढ़ाई खत्म हो गई है. अब घर में रहो. बड़ी बहन ने भी समझाया, पर न जाने मुझ पर कैसा जुनून सवार था कि जितना सब कहते, उतनी ही मैं उद्दंड होती जा रही थी.

रोज की किचकिच से परेशान हो कर मैं ने घर से 50 किलोमीटर दूर नौकरी कर ली.

इस अपरिचित जगह में संजय सप्ताह में 2 दिन मेरे पास रह जाते थे, पर हमें संतुष्टि नहीं थी. कुछ दिन बाद संजय ने सुझाव दिया, ‘‘हम ऐसा करते हैं शहर से कुछ दूरी पर ही किराए पर मकान ले लेते हैं. मैं वहां से रोज अस्पताल चला जाऊंगा. यह सुन कर मेरी तो बांछे खिल गईं.

बस संजय ने चुपचाप एक मकान 10 किलोमीटर की दूरी पर ले लिया और थोड़ाबहुत सामान का भी इंतजाम कर लिया. मैं ने भी पास ही के स्कूल में नौकरी कर ली, पर 6 महीने बाद ही मैं गर्भवती हो गर्ई और पड़ोसियों की गढ़ती निगाहों से बचने के लिए मैं ने नौकरी छोड़ दी. हमारा कहीं भी आनाजाना नहीं था.
अब कहीं भी जाने से हम कतराने लगे थे, अस्पताल तो चल रहा था, पर सामाजिक दायरा, यारदोस्त सब न के बराबर हो गए थे. मेरे घर वालों ने तो मुझ से बिलकुल ही रिश्ता तोड़ दिया था. इसलिए अन्नू के जन्मदिन की खुशी में भी हमारे साथ कोई भी शामिल नहीं था.

अन्नू 4 साल की हो गर्ई थी. तब मन लगाने के लिए मैं ने घर पर ही बच्चों की इंगलिश की कोचिंग लेनी शुरू कर दी.

पर, वो भी धीरेधीरे बंद हो गई. न जाने क्यों हमें ऐसा लगता था कि जैसे राह चलता हर आदमी हमें घूर रहा है और हमारा उपहास उड़ा रहा है. समय के साथ हमारा उन्माद भी कम हो रहा था.

सब से बड़ी बात यह हुई कि संजय ने न तो गीता को तलाक दिया और न ही मुझ से शादी की. संजय के पिताजी ने साफ कह दिया था, ‘‘तू रह उस औरत के साथ, मेरी भुजाओं में अभी भी इतनी ताकत है कि मैं बहू और बच्चों को आराम से रख सकता हूं. पर तुझे तलाक नहीं लेने दूंगा. याद रखना तू बहुत पछताएगा.”

संजय पैर पटकता हुआ चला गया. गीता संजय को जाते देख रोने लगी, तो उस के ससुर बोले, ‘‘सब ठीक हो जाएगा बहू. तू फिक्र मत कर, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. यहां तुझे कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा.”

बस दूर रह कर संजय अपनी अधपकी जिंदगी जी रहे थे. वैसे भी धीरेधीरे हमारी जिंदगी रूखीसूखी होती जा रही थी. थोड़ाबहुत प्यार था तो वो सिर्फ अन्नू की वजह से, संजय अन्नू को बहुत प्यार करते थे.

सब से बड़ी बात जो मुझे खटकती थी वो यह कि संजय ने अपने घर जाना बंद नहीं किया था. सप्ताह में वो 3-4 चक्कर लगा ही लेते थे और उन की छोटीछोटी ख्वाहिश भी पूरी कर देते थे.

यह बात मुझे पता चल गर्ई थी, चिढ़ भी बहुत छूटती थी. हम दोनों के बीच इस बात को ले कर कई बार झगड़ा भी हुआ था और मैं अपने लिए असुरक्षा भी महसूस होती थी.

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