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भारत भूमि युगे युगे : मुलायम सिंह की तेरहवीं

मुलायम सिंह यादव केवल इसलिए लोकप्रिय नहीं थे कि वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रहे थे बल्कि पिछड़ों में उन की पूछपरख इसलिए भी थी कि उन्होंने समाज को पिछड़ा रखने वाली कुछ कुरीतियों का भी विरोध और बहिष्कार किया था. ब्राह्मण भोज और मृत्यु भोज इन में से एक हैं जिस के दिखावे में लोगों के घर, जमीन और गहने तक बिक जाते हैं. मुलायम की मौत के बाद उन की तेरहवीं उन के वारिस और अब सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने इसीलिए नहीं की. तेरहवीं की आड़ में राजनीति आम है. पिछले साल सितंबर में एक और पूर्व मुख्यमंत्री व राममंदिर के प्रमुख आंदोलनकारी कल्याण सिंह की तेरहवीं में एक लाख से भी ज्यादा लोग जमा किए गए थे.

बिहार में लोजपा के चिराग पासवान ने भी पिता रामविलास की तेरहवीं धूमधाम से की थी बावजूद इस के कि उन के पिता भी कर्मकांडों के विरोधी थे. जिहाद ए गीता 87 के हो चले पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल को न केवल राजनीति बल्कि दीगर विषयों की भी गहरी जानकारी है जिसे ज्ञान की शक्ल में उन्होंने दिल्ली में एक किताब के विमोचन के दौरान यह कहते हुए उड़ेला कि, दरअसल कुरुक्षेत्र में कृष्ण ने जो उपदेश अर्जुन को दिया था वह जिहाद था. शाब्दिक तौर पर धर्मयुद्ध और जिहाद में कोई फर्क नहीं है और यह भी सच है कि अपने ही भाइयों से लड़ने के लिए कृष्ण ने ही तरहतरह के डर दिखा कर अर्जुन को उकसाया था लेकिन हिंदूवादियों ने भड़काने का अपना काम बदस्तूर किया.

महाभारत काल में मुसलमान नहीं थे. यवन शब्द का जिक्र श्रीमदभगवद्गीता में एक बार ही आया है जिस के माने भी अलग हैं. अब सहूलियत के लिए कौरवों को ही मुसलमान माना जाना ठीक होगा कि नहीं, इस पर भी असहमति की संभावनाएं मौजूद हैं कि कौरव मुसलमानों की तरह अछूत हैं या नहीं. इसी बहाने सही, शिवराज पाटिल कुछ वक्त के लिए सुर्खियों में तो रहे. उमा का साइड रोल कभी ‘एक धक्का और दो बाबरी मसजिद तोड़ दो’ का नारा बुलंद करने वाली साध्वी उमा भारती इन दिनों भोपाल में शराब की दुकानें तुड़वाने के लिए उन के बाहर कुरसी डाल कर बैठ जाती हैं तो उन की इस हालत पर तरस भी आता है. लगता ऐसा है मानो कोई नंबर वन अभिनेता काम की कमी के चलते साइड रोल निभाने को मजबूर हो चला है.

शराब के नशे ने कइयों को तबाह कर रखा है लेकिन यह तादाद धर्म के नशे से बरबाद लोगों के मुकाबले कुछ भी नहीं है. उमा ने नया डर यह जताया है कि शराब माफिया उन की हत्या करवा सकता है. इस पर भी हाहाकार नहीं मचा तो वे मीडिया की तरफ से भी निराश हो चली हैं. अब कौन उन्हें सम?ाए कि एकाधदो दुकानों के सामने हल्ला मचाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला.

कुछ करना है तो भट्टियां और कारखाने बंद करवाएं, नहीं तो उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल में ढकेल दिया जाएगा जिसे राजनीति का वृद्धाश्रम कहा जाता है. एक और एक ग्यारह राजद प्रमुख लालू यादव ने पार्टी का नाम और निशान के कौपीराइट बेटे तेजस्वी को क्या सौंपे कि चर्चा चल पड़ी है कि जल्द ही नीतीश की जेडीयू का उस में विलय हो जाएगा और एक नई पार्टी आकार लेगी जिस का नाम जनता परिवार हो सकता है. पहले भी लालू, मुलायम और नीतीश मिल कर यह अधूरा प्रयोग कर चुके हैं लेकिन इस बार वजह भाजपा का डर है कि वह कभी भी इन के गठबंधन के विधायक फोड़ महाराष्ट्र का नजारा दोहरा सकती है, इसलिए दोनों पार्टी मिल कर एक तीसरी पार्टी बना लें तो विधायकों की संख्या 123 हो जाएगी. अनुभवी लालू का यह सोचना अपनी जगह ठीक है कि बड़ी पार्टी में फूट डालना आसान नहीं होगा और ऐसी स्थिति में कई छोटेमोटे दल भी जनता परिवार का आधार कार्ड बनवा सकते हैं.

तेरे सुर और मेरे गीत-भाग 3: श्रुति और वैजयंति का क्या रिश्ता था

वैजंती माजरा कुछ समझ पाती कि उस से पहले हेमा जी की आवाज से वह चौंक पड़ी. “आखिर क्या खराबी है वैजंती में, बोल न? पढ़ीलिखी, सुंदर, संस्कारी लड़की है, तो और क्या चाहिए तुम्हें?” उस पर अर्जुन ने कहा कि उसे नहीं चाहिए सुंदर, संस्कारी लड़की, क्योंकि वह किसी और से प्यार करता है और उस से शादी करने का वादा कर चुका है. इसलिए उसे वैजंती से तलाक चाहिए जल्द. सुन कर वैजंती सन्न रह गई थी. उस की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे. यह सोच कर कि फिर क्यों उस ने उस से शादी की, मना कर देते. लेकिन यहां अर्जुन ने इसलिए वैजंती से शादी की क्योंकि हेमा ने उसे वार्निंग दी थी कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह जान दे देगी और मजबूरन अर्जुन को वैजंती से शादी करनी पड़ी थी. लेकिन अब उसे किसी की परवा नहीं. जिसे मरना है, मरे. उसे तो वैजंती से तलाक चाहिए था. हेमा जी ने बेटे के सामने हाथ जोड़े, पैर पड़े. पर वह नहीं माना, कहने लगा, अगर उस की बात नहीं मानी गई तो वह आत्महत्या कर लेगा. कौन माँबाप चाहेगा कि उन का बेटा मर जाए. शादी के 3 महीने भी पूरे नहीं हुए और अर्जुन व वैजंती का तलाक हो गया.

“आज मुझे एहसास होता है कि वह मेरी गलती थी. मुझे उस के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी,” अपने आंसू पोंछती हुई हेमा जी कहने लगीं, “दुख मुझे इस बात का है कि हमेशा हंसनेमुसकराने और खुशमिजाज लड़की को मैं ने उदासी में धकेल दिया. दुख इस बात का भी है कि एक पराई लड़की की खातिर मेरे बेटे ने अपने मांबाप के प्यार को, उन के त्याग को भुला दिया. खैर, जो भी हुआ, बुरा हुआ. लेकिन अब मुझे ही सब ठीक करना था. इसलिए हम ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए प्रोसाहित किया और आज वह अच्छी सरकारी जौब में है. अर्जुन बेटा है हमारा, उस का बुरा नहीं चाहेंगे कभी. लेकिन अब हमारा उस से कोई रिश्ता नहीं रहा. अब वैजंती ही हमारी संतान है,” बोल कर हेमा जी ने एक गहरी सांस ली.

“लेकिन दीदी, अभी तो वैजंती की उम्र भी ज्यादा नहीं है. मात्र 27 की है वह, तो क्यों नहीं आप इस की दूसरी शादी करवा देती हैं. कल को जब आप दोनों नहीं रहेंगे तब?” मेरी बात पर वे बीच में ही बोल पड़ीं कि चाहा उन्होंने, पर वैजंती शादी के लिए मना करती है, कहती है, उस का शादी पर से विश्वास उठ गया. कल तक वैजंती के लिए जो मेरी फीलिंग थी, आज बदल चुकी थी. बेचारी, एक तो उस के मांबाप नहीं रहे. मामामामी ने भी दुत्कार दिया. पति ने भी नहीं अपनाया. लेकिन इस बात की उसे खुशी थी कि हेमा जी और उन के पति उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करते हैं.

“दीदी, प्रणाम, कैसी हो तुम और जीजा जी कैसे हैं?” मेरी मालती दीदी का फोन आया तो मैं खुशी से झूम उठी और बताने लगी कि शेखर का तबादला दिल्ली हो गया. तो वे बोलीं कि हां,, पता है उन्हें. पर उन्होंने एक खुशखबरी देने के लिए फोन किया है.

“कैसी खुशखबरी, दीदी?”

वे बोली कि वेदांत, मेरा भांजा, की नौकरी लग गई है. “क्या बात कर रही हो, दीदी. वेदांत की नौकरी लग गई एक बड़ी कंपनी में, बहुत बधाई हो आप को दीदी,” मैं ने दीदी को बधाई देते हुए पूछा कि कहां लगी है नौकरी तो वे बोलीं कि दिल्ली में ही. दीदी कहने लगीं कि मैं वेदांत के लिए यहां कोई अच्छा सा घर देखूं. यह सुन कर मुझे गुस्सा आ गया कि अब मेरे यहां रहते मेरा भांजा कहीं और घर ले कर रहेगा. लेकिन दीदी कहने लगीं कि मैं बेकार में क्यों परेशान होऊंगी. “इस में परेशानी कैसी, दीदी. वेदांत मेरा बच्चा नहीं है क्या ?” उस पर दीदी ने हंसते हुए कहा कि वह अपनी मां का कम, मौसी का ज्यादा लाड़ला है. “हां, तो फिर क्यों आप परायों जैसी बातें कर रही हो?” मैं ने मुंह बनाते हुए कहा तो दीदी हंसती हुई बोलीं कि ठीक है भई, जो तुझे ठीक लगे. वेदांत मेरा भांजा नहीं, मेरा बेटा है. याद है अपनी मां से ज्यादा वह मेरे पास ही सटा रहता था. यहां तक कि सोता भी वह मेरा साथ ही था. वेदांत को मसालाभिंडी और छोले बहुत पसंद हैं, इसलिए बाजार से जा कर मैं ताजी भिंडी ले आई. आज मैं ने उस की पसंद की सारी चीजें बनाई थीं. आते ही वह ‘मेरी प्यारी मौसी’ बोल कर मेरे गले से लटक गया और मैं ने उसे प्यार से सहलाते हुए पूछा, ”कैसा है मेरा बच्चा?”

 

अंधविश्वास से आत्मविश्वास तक : रवीना पति से क्यों परेशान थी

मैं 42 वर्षीय आदमी हूं मेरा तोंद अंदर नहीं जा रहा है क्या करूं ?

सवाल 

मैं 42 वर्षीय हूं. मेरी समस्या यह है कि मैं मोटा हूं और मेरी तोंद निकली हुई है. बहुत कोशिश कर ली लेकिन तोंद अंदर नहीं जाती. बस, 19-20 फर्क नजर आता है. मैं ने कौर्बोक्सीथेरैपी के बारे में सुना है. क्या वाकई यह पेट कम करने में कारगर है?

जवाब

कौर्बोक्सीथेरैपी वजन कम करने की एक बहुत प्रभावी व नवीन तकनीक कही जा सकती है. लेकिन इस प्रभावी तकनीक को और सुधार कर अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है ताकि इस का असर लंबे समय तक रहे क्योंकि शोध में सामने आया है कि इस प्रक्रिया से पेट कम तो हुआ लेकिन लंबे समय तक बना रहा.

कौर्बोक्सीथेरैपी स्ट्रैचमार्क्स, आंखों के नीचे काले घेरों और वजन के लिए है. इसे पलकों, गरदन, चेहरे, बांहों, पेट और टांगों पर इलाज के लिए अपनाई जा सकती है. इस के तहत शरीर में इंजैक्शन के माध्यम से कार्बनडाइऔक्साइड (जो शरीर में आमतौर पर भी बनती है) पहुंचाई जाती है. यह 15 से 30 मिनट में हो जाने वाली प्रक्रिया है. इस के तुरंत बाद मरीज अपने दैनिक काम कर सकता है. वजन कम करने के लिए इस प्रक्रिया को फिलहाल अच्छा माना जा रहा है. लेकिन कुछ भी करने से पहले डाक्टरी परामर्श जरूर लें.

प्रियंका चोपड़ा ने पहली बार शेयर की बेटी की फोटो, फैंस ने कहा- सबसे प्यारी

बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं, आए दिन नए- नए पोस्ट शेयर करती रहती हैं, प्रियंका चोपड़ा अपनी तस्वीर के साथ- साथ अपनी बेटी की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं.

हाल ही में प्रियंका ने अपनी बेटी की पहली झलक इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं, जिसमें प्रियंका की बेटी काफी ज्यादा खूबसूरत लग रही है. फैंस लंबे समय उनकी बेटी की तस्वीर देखने का इंतजार कर रहे थें.

 

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प्रियंका ने इससे पहले भी अपनी बेटी की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर तो किया है लेकिन कभी फेस नहीं दिखाया था, हांलाकि इस बार उन्होंने फेस रिवील कर दिया है, जिसे देखने के बाद से लोग लगातार कमेंट कर रहे हैं.

बता दें कि एक्ट्रेस ने मालती मैरी जोनस का पूरा चेहरा नहीं दिखाया है, उन्होंने कुछ फेस टोपी से ढंका हुआ है. तस्वीर में मालती का चेहरा आधा ढका हुआ है जिसमें उसके क्यूट से गाल और होठ दिखाई दे रहा है.

मालती मैरी जोनस की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, मालती एक क्यूट सी बेबी गर्ल है, जिसे देखने का इंतजार फैंस को खूब था. बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने साल 2018 में निक जोनस से शादी की थी,और अब उनकी एक प्यारी सी बच्ची है.

Bigg Boss 16 : सुंबुल के पिता पर भड़की टीना की मम्मी, सुनाई खरी-खटी!

बिग बॉस 16 में टीना दत्ता सुंबुल तौसीर खान के बीच मामला गर्म होते नजर आ रहा है, इसी बीच इन दोनों के पेरेंट्स भी आपस में भीड़ते नजर आ रहे हैं, सुंबुल के पिता ने बिग बॉस लाइव शो के दौरान टीना को गाली दिया है.

वहीं इस बात पर टीना दत्ता की मां भी अब बिगड़ गई हैं, उन्होंने भी सुंबुल के पिता को जमकर खरी खोटी सुनाई है,  सुंबुल के पिता ने जब उल्टा बोला तो उसके बाद से जमकर उनको सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया है.

टीना दत्ता की मम्मी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है , जिसमें वह अपनी बेटी का पक्ष रखते हुए कहती हैं उन्होंने सुंबुल के पापा को कहा कि आप होते कौन हैं किसी कि बेटी के बारे में उल्टा सीधा कहने वालें,

टीना की मम्मी ने एक रील शेयर करते हुए कहा कि नमस्ते मैं टीना की मम्मी मैं आप सबसे यह कहना चाहती हूं कि मुझे मौका नहीं मिला जो बाकी सब लोगों को मिला , नेशनल टीवी पर लोगों ने मेरी बेटी को गाली दी मुंह पर लात मारने की धमकी दी गई, क्या सही है अगर आपकी बेटी गलत जा रही है तो इसका कतई मतलब ये नहीं है कि आप मेरी बेटी के बारे में ऐसा बोलें.

 

विंटर स्पेशल : बच्चों के लिए बनाएं पालक चीज बॉल्स और बथुआ नाचोज

हरी पत्तेदार सब्जियों को सेहत का खजाना माना जाता है क्योंकि इनमें विटामिन्स, मिनरल्स, आयरन जैसे पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.  आजकल जहां बच्चे पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, पास्ता जैसे फ़ास्ट फ़ूड के दीवाने हैं ऐसे में उन्हें हरी सब्जियां खिलाना माताओं के लिए बहुत कठिन टास्क होता है परन्तु यदि इन हरी सब्जियों के साथ कुछ नए प्रयोग करके उनके मनपसन्द व्यंजन के रूप में पेश किया जाए तो वे इन्हें मांग मांग कर खाएंगे. आज हम आपको ऐसी ही हरी सब्जियों से बनने वाली कुछ व्यंजन विधियां बताते हैं-

1 -पालक चीज़ बॉल्स

कितने लोंगों के लिए      6

बनने में लगने वाला समय     35 मिनट

मील टाइप   वेज

सामग्री

साफ पालक          250 ग्राम

चावल का आटा     डेढ़ कप

पानी                     1 कप

तेल                       1 टीस्पून

बारीक कटा प्याज    1

कटी हरी मिर्च          2

कटा धनिया             1 टीस्पून

कटी शिमला मिर्च      1

किसी गाजर             1

नमक स्वादानुसार

गरम मसाला            1/4 टीस्पून

अमचूर पाउडर          1/2 टीस्पून

ब्रेड क्रम्बस                 1 कप

मैदा                            1 टीस्पून

चीज क्यूब्स                4

तलने के लिए तेल

विधि

पालक को एक कप पानी के साथ पीसकर प्यूरी बना लें. अब इसे एक चम्मच तेल और 1/2 चम्मच नमक डालकर गैस पर उबलने रख दें. जब उबाल आ जाये तो गैस बंद करके चावल का आटा रफली मिलाकर ढककर आधे घण्टे के लिए रख दें. आधे घण्टे बाद सभी मसाले, प्याज, शिमला मिर्च , गाजर , हरी धनिया, हरी मिर्च अच्छी तरह मिलाएं. चीज क्यूब्स को किस कर 8 भाग में बांट लें. मैदा को 2 चम्मच पानी में घोल लें. अब तैयार पालक और चावल के आटे के मिश्रण से छोटी सी लोई लेकर हथेली पर फैलाएं और बीच में चीज रखकर चारों तरफ से बंद कर दें. इसी तरह सारे बॉल्स बनाएं. तैयार बॉल्स को मैदा के घोल में डिप करके ब्रेड क्रम्बस में लपेटें. गर्म तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बच्चों को टोमेटो सॉस के साथ खाने को दें.

2 –बथुआ नाचोज

कितने लोंगों के लिए       10-12

बनने में लगने वाला समय    30 मिनट

मील टाइप                    वेज

सामग्री

साफ किया बथुआ       250 ग्राम

मक्के का आटा           250 ग्राम

अदरक, हरी मिर्च

लहसुन पेस्ट               1 टेबलस्पून

सफेद तिल                  1 टेबलस्पून

नमक स्वादानुसार

मैगी मसाला                 1 टेबलस्पून

तलने के लिए तेल

विधि

बथुआ को एक कप पानी में प्रेशर कुकर में डालकर तेज आंच पर दो सीटी लें लें. अब इसे ठंडा होने दें. मक्के के आटे में 2 टीस्पून तेल, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च पेस्ट, तिल, नमक अच्छी तरह मिलाएं. बथुआ के साथ इसे आवश्यक्तानुसार गुनगुना पानी मिलाकर कड़ा गूंथ लें. तैयार आटे से पतली सी रोटी बनाएं और चाकू या कटर की सहायता से तिकोने आकार में नाचोज काटकर गर्म तेल में हल्का सुनहरा होने तक तलें. टिश्यू पेपर पर निकालकर मैगी मसाला भली भांति मिलाएं. एयरटाइट जार में भरकर प्रयोग करें.

मोटी बहू : भव्या को देख गीता की ख्वाहिश कैसे अधूरी रह गई

गीता और विपिन बहुत उत्साहित थे. आज उन का बेटा पराग अपनी गर्लफ्रैंड भव्या को उन से मिलवाने लाने वाला था. पराग से 5 साल छोटी वन्या अभी पढ़ रही थी. पराग इंजीनियर था. भव्या उस की कुलीग थी. आधुनिक सोच वाले गीता और विपिन को पराग की पसंद की लड़की को अपनी बहू बनाने में कोई आपत्ति न थी.

भव्या पंजाबी परिवार से थी जबकि गीता और विपिन ब्राह्मण थे. किसी के लिए जातिधर्म का महत्त्व नहीं था. भव्या के मातापिता की कुछ वर्ष पहले एक ऐक्सिडैंट में मृत्यु हो गई थी. जालंधर में रह रहे उस के मामामामी ही उस के गार्जियन थे.

भव्या मुंबई के अंधेरी इलाके में 4 लड़कियों के साथ एक फ्लैट शेयर कर के रहती थी. गीता ने बड़े मन से भव्या के लिए लंच तैयार किया था. गीता, विपिन और वन्या फिगर के प्रति एकदम सचेत रहते थे. गीता और विपिन तो फिगर और स्वास्थ्य के प्रति इतने सजग थे कि उन्हें देख कर पता ही नहीं चलता था कि उन के इतने बड़े बच्चे हैं, तीनों एकदम स्लिमट्रिम लेकिन जंकफूड के शौकीन पराग ने बाहर का खाना खाखा कर काफी वजन बढ़ा लिया था, जिस के लिए तीनों उसे टोकते रहते थे. गीता ने तो मजाकमजाक में कई बार कहा था, ‘पराग, आजकल लड़कियां भी मोटे लड़कों को पसंद नहीं करतीं, मैं तुम्हारे लिए लड़की कहां से ढूंढंगी. तुम एक काम करना, खुद ही ढूंढ़ लेना.’

विपिन का भी यही कहना था, ‘कुछ ऐक्सरसाइज करो, शरीर फैलता जा रहा है, शादीब्याह सब होना बाकी है.’ लेकिन पराग के कान पर कभी जूं नहीं रेंगी और अब जब शरमाते हुए पराग ने पिछले हफ्ते भव्या के बारे में बताया तो सब एकदूसरे का मुंह देखते रह गए. बच्चों से फ्रैंक गीता ने कहा, ‘‘तुम्हें कैसे मिल गई गर्लफ्रैंड?’’

पराग ने हंस कर कहा, ‘‘बस, मिल गई, आप बेकार में मुझे इतने दिनों से ताने मार रही थीं.’’

और आज संडे को पराग भव्या को ले कर आ रहा था. पराग ने गीता से पूछा था, ‘‘मौम, आप अपनी बहू में कौन सा गुण देखना चाहेंगी?’’

गीता बेटे के सिर पर हाथ फेर कर बोली थीं, ‘‘बस, तुम्हारे जैसी.’’

‘‘तो मौम, बी हैप्पी, वह बिलकुल मेरे जैसी है.’’

तीनों पराग और भव्या का इंतजार कर रहे थे. मौडर्न गीता टौप और जींस में थी. डोरबैल बजी. अधीरता से गीता ने ही दरवाजा खोला. पराग जिस पर्सनैलिटी के साथ अंदर आया, गीता को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ. उस ने बाहर फिर झांका, क्या भव्या इन के पीछे है. लेकिन बस, वही दोनों खड़े थे.

होने वाली बहू को देख कर गीता के चेहरे का रंग उड़ गया. लगा, पराग ने ठीक कहा था, वह बिलकुल उस के जैसी ही तो थी, एकदम गोरी, गोलमटोल. साफसाफ कहा जाए तो एक मोटी लड़की. वह मुसकराते हुए सब को हायहैलो कर रही थी. विपिन और वन्या भी बुत बने खड़े थे. पराग ने गला खंखारा और कहा, ‘‘डैड, मौम, वन्या, यह है भव्या.’’

विपिन ने सब से पहले अपने को सामान्य किया और मुसकराते हुए उसे अंदर आ कर बैठने के लिए कहा. वन्या भी भव्या के साथ ही बैठ गई. गीता को अपने को संभालने में काफी समय लगा. गीता ने औपचारिक हालचाल के बाद पूछा, ‘‘क्या लोगी, भव्या? चाय, कौफी या कोल्डडिं्रक?’’

‘‘मौम, कुछ ठंडा.’’

गीता किचन में गईं और टे्र में सब के लिए नीबूपानी, मिठाई, फू्रट्स और कुछ नाश्ता ले आईं. भव्या से बातें होती रहीं. गीता ने टे्र उस की तरफ खिसकाई, कहा, ‘‘लो बेटा, कुछ खाओ.’’

‘‘हां मौम, भूख तो लगी है, आज संडे था, सब फ्रैंड्स सो रही थीं, कुछ नाश्ता नहीं किया अभी तक. बस, एक सैंडविच और दूध पी कर चली थी, अंधेरी से ठाणे आने में वह तो हजम हो गया,’’ हंस कर उस ने मिठाई खानी शुरू की.

पराग ने भी उस का साथ दिया. विपिन और गीता की नजरें मिलीं, विपिन आंखोंआंखों में ही हंस दिए. नाश्ता खत्म होने तक भव्या सब से फ्री हो चुकी थी. खुल कर हंसबोल रही थी. घर में एक रौनक सी थी. वन्या भव्या को पूरा फ्लैट दिखा कर अपने रूम में बैठा कर बातें करने लगी. मूवी, म्यूजिक, कालेज, औफिस की खूब बातें होती रहीं. गीता लंच की तैयारी के लिए किचन में गईं तो भव्या भी आ गई.

‘‘मौम, कुछ हैल्प करूं?’’

‘‘नहींनहीं, तुम बैठो.’’

‘‘मौम, मिल कर करते हैं न,’’ फिर अपनेआप ही साइड में रखी प्लेट उठा कर सलाद काटने लगी. विपिन भी किचन में आ गए थे. भव्या हंसते हुए बोली, ‘‘मौम, आप को पता है, मुझे सलाद बिलकुल नहीं पसंद.’’

गीता ने पूछा, ‘‘क्यों?’’

‘‘मुझे तो सौलिड चीजें खानी पसंद हैं, ये सलादवलाद तो डाइटिंग वालों की चीज लगती है मुझे. मौम, आप तीनों कितने स्लिम हैं. मैं और पराग तो अलग ही दिख रहे हैं घर में,’’ कह कर हंसी भव्या.

गीता हैरान थीं, क्या है यह लड़की, अपने मोटापे पर कोई शर्म नहीं. कोई चिंता नहीं.

भव्या ने फिर कहा, ‘‘मुझे खानेपीने का बहुत शौक है, मौम. मम्मीपापा को भी खानेपीने का बहुत शौक था,’’ कहते हुए भव्या थोड़ा उदास हुई, इतने में अंदर आते हुए पराग ने पूछा, ‘‘मौम, क्या बनाया है?’’

‘‘छोले, पनीर, आलूगोभी की सब्जी, रायता. बस, अब रोटी बना रही हूं.’’

भव्या ने चहक कर कहा, ‘‘मौम, पूरी बनाइए न. इस खाने के साथ गरमगरम पूरी कितनी अच्छी लगेंगी.’’

गीता चौंकीं. उन्हें झटका सा लगा, सोचा, ‘खुद पूरी जैसी क्यों हो गई यह लड़की, अब समझ में आ रहा है.’

पराग भी कहने लगा, ‘‘हां मौम, पूरी बनाओ न.’’

वन्या भी आ गई किचन में, बोली, ‘‘मौम, मैं तो रोटी ही खाऊंगी.’’

गीता ने कहा, ‘‘ठीक है, इन दोनों के लिए पूरी बना देती हूं.’’

गीता ने वन्या की हैल्प से खाना टेबल पर लगाया. गीता, विपिन और वन्या ने दोदो फुलके खाए. पराग और भव्या पूरी पर पूरी साफ करते रहे. गीता ने दोनों को देखा, ‘कैसे लग रहे हैं दोनों, शौक से खाते हुए मोटे गोलमटोल बच्चे, इन की शादी होगी तो कैसे लगेंगे दोनों. इस लड़की को फिगर से तो कोई मतलब ही नहीं है, क्या होगा इस का आगे,’ गीता मन ही मन पता नहीं क्याक्या सोचती रही.

सब खाना खा कर उठ गए. बातें होती रहीं, फिर भव्या ने कहा, ‘‘अच्छा मौम, अब मैं चलूंगी. आप सब से मिल कर बहुत अच्छा लगा,’’ और अपना बैग उठा लिया फिर वन्या को गले लगा कर ‘बाय’ बोला और गीता व विपिन को ‘बाय मौम’, ‘बाय डैड’ बोल कर मुसकराती हुई आत्मविश्वास से भरे कदमों से चली गई. पराग से बस मुसकराहट का ही आदानप्रदान हुआ.

उस के जाने के बाद जब सब बैठे तो पराग ने झिझकते हुए पूछा, ‘‘मौम, डैड, वन्या, कैसी लगी भव्या?’’

गीता तो कुछ बोल नहीं पाईं, विपिन ने कहा, ‘‘स्वभाव अच्छा लगा.’’

वन्या पराग को छेड़ते हुए हंस कर बोली, ‘‘भैया, जैसा नाम है वैसी ही भव्य पर्सनैलिटी है. मुझे तो अच्छी लगी.’’

गीता चुप थीं.

पराग ने कहा, ‘‘आप तो कुछ बोलो, मौम.’’

गीता ने एक ठंडी सांस भर कर कहा, ‘‘तुम्हें पसंद है न? बस, मेरे लिए यही महत्त्वपूर्ण है कि तुम खुश हो. अब शादी कब करनी है, बताओ. इस के मामामामी से फोन पर बात कर लेती हूं.’’

पराग ने जींस की जेब से झट से एक पेपर निकाल कर दिया, कहा, ‘‘यह है उस के मामा का फोन नंबर.’’

विपिन को हंसी आ गई, ‘‘वाह बेटा, बहुत जल्दी है शादी की.’’

फिर सब अपनेअपने रूम में थोड़ा आराम करने चले गए.

विपिन ने बराबर में लेटी गीता से पूछा, ‘‘क्या हुआ, पसंद नहीं आई भव्या? जानता हूं, क्यों? तुम्हें बेडौल फिगर पसंद नहीं है न. पराग भी तो स्लिमट्रिम नहीं है, कुछ तो बोलो गीता. चुप क्यों हो इतनी?’’

रोंआसी हो गईं गीता, ‘‘क्या सोचा था क्या हो गया. हमेशा एक फिगर कांशस स्मार्ट सी बहू का सपना देखती आई हूं. मेरी सहेलियां फिटनैस के प्रति मेरा शौक देख कर कहती हैं, ‘गीता, तुम तो जरूर एक मौडल जैसी बहू लाओगी ढूंढ़ कर,’ मैं ने भी गर्व से हां में गरदन हिलाई है हमेशा. इस उम्र में भी मैं फिगर का इतना ध्यान रखती हूं और यह लड़की तो जैसे फिटनैस और फिगर जैसे शब्द ही नहीं जानती और उस पर कितने गर्व से बता रही थी कि उसे खानेपीने का शौक है. मैं तो पराग के मोटापे पर गुस्सा होती थी और अब बहू भी मोटी, मेरी सहेलियां मेरा कितना मजाक उड़ाएंगी,’’ कहतेकहते उन का मुंह लटक गया.

विपिन ने शांत और प्यारभरे स्वर में कहा, ‘‘अरे, प्यार से समझाएंगे तो ध्यान रखना सीख जाएगी सेहत का, न मांबाप हैं न भाईबहन, अकेली जी रही है. हमारे साथ रहेगी तो प्यार से धीरेधीरे सब सिखा देंगे. तुम दिल छोटा मत करो. स्वभाव अच्छा है उस का, बस.’’

दिन बीत रहे थे, दिन में एक बार तो भव्या गीता को जरूर फोन करती, हालचाल पूछती. गीता को अच्छा लगता. वन्या से तो वह अकसर मैसेज में चैटिंग करती रहती. विपिन ने भव्या के मामा अनिल से दोनों के विवाह के बारे में बात कर ली थी. किसी पंडित से दोनों की कुंडली मिलाने के अंधविश्वास में विपिन और गीता बिलकुल नहीं पड़े. उन की सिंपल सी सोच थी, उन के बेटे को भव्या पसंद है, बस. भव्या का स्वभाव तो सब को अच्छा लगा ही था, बस गीता को जैसी स्लिम बहू चाहिए थी, भव्या उस कसौटी पर खरी नहीं उतरी थी. यही बात गीता को कचोटती थी कि उस की सहेलियां भव्या को देख कर जरूर मजाक बनाएंगी. अच्छी तरह जानती थी गीता अपनी सभी सहेलियों को.

एक महीने बाद सगाई का समय रखा गया. विपिन ने गीता से कहा, ‘‘अपनी फ्रैंड्स की लिस्ट बना लो.’’

‘‘नहीं, मैं अपनी फ्रैंड्स को नहीं बुला पाऊंगी, सीधा शादी में ही बुलाऊंगी.

नहीं तो सगाई से शादी तक ताने मारमार कर मेरा दिमाग खराब करती रहेंगी.

बस, सगाई की मिठाई भिजवा दूंगी सब के घर.’’

सब थोड़ीबहुत तैयारियों में व्यस्त हो गए, अनिल अपनी पत्नी रेखा के साथ आ कर एक होटल में रुके. विपिन और गीता ने उन्हें अपने घर पर ही रुकने का आग्रह किया लेकिन संकोचवश वे होटल में ही रुके. सब को एकदूसरे से मिल कर अच्छा लगा.

गीता ने किसी सहेली को नहीं बुलाया. बस, बच्चे और विपिन के दोस्त थे. तैयार हो कर भव्या अच्छी लग रही थी. चेहरा काफी आकर्षक था उस का. उस ने कई बार गीता से पूछा, ‘‘मौम, आप ने अपनी किसी फ्रैंड को नहीं बुलाया?’’

गीता ने यह कह कर टाला, ‘‘बस, सब को शादी पर ही बुलाऊंगी.’’

दोनों ने एकदूसरे को अंगूठी पहना दी, सगाई हो गई. अनिल और रेखा भव्या के भावी ससुराल वालों का व्यवहार देख कर बहुत खुश थे. शादी की तारीख 2 महीने बाद की पक्की हो गई. अनिल और रेखा चले गए, तय यही हुआ कि अनिल और रेखा ही कुछ खास रिश्तेदारों के साथ मुंबई आ जाएंगे.

विवाह की तैयारियां शुरू हो गईं. भव्या और पराग वीकेंड में ही फ्री हो कर शौपिंग कर पाते थे. भव्या शनिवार को सुबह आती, पूरा दिन शौपिंग होती. गीता उसी की पसंद के कपड़े, ज्वैलरी दिलवा रही थीं. जब मीडियम, लार्ज साइज न आ कर भव्या को डबलएक्सएल आता, गीता मन ही मन झुंझला जातीं.

एक संडे पूरा परिवार शौपिंग पर निकला, गीता हैरान रह गईं जब भव्या ने कहा, ‘‘मौम, पिज्जा खाएंगे.’’

‘‘लेकिन बेटा, लंच कर के ही तो निकले हैं अभी.’’

‘‘तो क्या हुआ, मौम, शौपिंग करतेकरते कुछ खाने में बहुत मजा आता है.’’

पराग भी शुरू हो गया, ‘‘चलो न मौम, कुछ खाएंगे.’’

‘‘नहीं पराग, तुम्हें पता है मैं अभी कुछ नहीं खा सकती.’’

‘‘तो ठीक है, आप साथ तो बैठिए.’’

‘‘ऐसा करो, तुम दोनों खा लो, हम यहीं जूस कौर्नर पर तुम्हारा वेट करेंगे.’’

भव्या तुरंत बोली, ‘‘मौम, बस जूस? जूस से होता क्या है?’’

विपिन ने दोनों को ही भेज दिया. विपिन, गीता और वन्या जूस पीने लगे. गीता ने कहा, ‘‘क्या लड़की है, अभी लंच किए 1 घंटा भी नहीं हुआ है.’’

विपिन बोले, ‘‘तुम्हारी बहू लाइफ ऐंजौय कर रही है, बेचारी अपनी मरजी से खाएगीपिएगी नहीं क्या?’’

‘‘तो मैं कौन सा मना कर रही हूं,’’ गीता ने चिढ़ते हुए कहा.

दोनों पिज्जा खा कर खुश होते हुए आए. विपिन ने कहा, ‘‘पराग, चलो, हम दोनों चल कर कार्ड देख आते हैं, तब तक ये तीनों ज्वैलरी का काम देख लेंगी.’’

विपिन और पराग चले गए.

ज्वैलरी की शौप से जब तीनों निकलीं तो एक आवारा सा लड़का वन्या की कमर को बदतमीजी से छू कर बढ़ा तो वन्या चिल्लाई, ‘‘बेशर्म, तमीज नहीं है क्या?’’

भव्या फौरन बोली, ‘‘क्या हुआ, वन्या?’’

‘‘उस लड़के ने बदतमीजी की है.’’

भव्या ने आव देखा न ताव, फौरन भागी और लड़के की कमर पर पीछे से एक हाथ मारा. लड़का संतुलन खो बैठा और नीचे गिर गया. भव्या जोर से चिल्लाई, ‘‘बदतमीजी करता है.’’ लड़का उठने की कोशिश कर रहा था, भव्या ने पुन: धक्का दिया और उसे नीचे गिरा कर उस के सीने पर चढ़ बैठी और कुहनी जमा दी.

लड़के की चीख निकल गई. वह हिल भी नहीं सका. दृश्य गंभीर था लेकिन लड़के के सीने पर गोलमटोल भव्या की यह बहादुरी देख कर गीता को मन ही मन हंसी आ गई. भव्या जोर से चिल्लाई, ‘‘हैल्प, हैल्प.’’

तुरंत लोग इकट्ठे हो गए. भव्या की बात सुन कर लड़के को पीटने लगे. एक पुलिस वाला भी आ गया और लड़के को 2 डंडे लगा कर जीप में बिठा लिया. पूरे प्रकरण में गीता और वन्या हक्कीबक्की खड़ी थीं. देखते ही देखते भव्या ने जो किया था, दोनों को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था. भव्या को शाबाशी देते हुए लोग आजकल लड़कों की बढ़ती बदतमीजी पर बात करते हुए इधरउधर हो गए.

गीता ने देखा, किसी की नजरों में भव्या के लिए उपहास नहीं था. सब की नजरों में उस के लिए तारीफ थी. भव्या ने गीता को जैसे सपने से जगाया, ‘‘मौम, ठीक किया न?’’

गीता उस के कंधे पर हाथ रख कर इतना ही बोल पाईं, ‘‘वैल डन, भव्या, शाबाश.’’

वन्या तो भव्या से सड़क पर ही चिपट गई, ‘‘आप कितनी स्ट्रौंग हो.’’

‘‘वह तो मुझे देख कर ही पता चलता है,’’ कह कर भव्या हंस दी.

इतने में विपिन और पराग भी आ गए, गाड़ी में बैठ कर वन्या ने उन्हें पूरा किस्सा सुनाया तो वे हैरान रह गए.

विपिन ने भी कहा, ‘‘वैल डन, भव्या.’’

पराग ने हंस कर उसे छेड़ा,

‘‘बेचारा लड़का.’’

सब हंस पड़े. गीता को तो आज इतना प्यार आ रहा था भव्या पर कि उस का मन हो रहा था यहीं उसे गले से लगा ले. लग रहा था, बेकार में अपने मन को इतने दिनों से छोटा कर रखा है. वह जैसी है बहुत अच्छी है. मोटापे का क्या है, धीरेधीरे उसे प्यार से समझा कर सेहत के प्रति सजग बना देंगी, और वैसे पराग को भी कहां रोक पाती हैं लापरवाही से. अब जैसा बेटा, वैसी बहू है तो दुख किस बात का.

अब वे शान से भव्या को अपनी सहेलियों से मिलवाने के लिए उंगलियों पर शादी में बचे दिन गिन रही थीं. आज पहली बार अपनी मोटी बहू पर उन्हें बहुत प्यार आ रहा था.

विंटर स्पेशल : सर्दी में दर्द से राहत चाहते हैं तो करें ये उपाय

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में खानपान की अनदेखी किए जाने के चलते शरीर की सर्दी  झेलने की क्षमता कम हो जाती है. सो, सर्दी के मौसम में शरीर में दर्द होने की समस्या आम देखी जाती है. ऐसे में सभी, खासकर मांसपेशियों व जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों, को पहले से सावधान हो जाना बेहतर है.

आप ने सर्दी के दिनों में लोगों को दर्द से कराहते देखा होगा. सर्दी के मौसम में शरीर में दर्द होने की समस्या आम बात है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. इन दिनों दर्द की समस्या उन लोगों को भी हो जाती है जो कुछ समय पहले तक बिलकुल ठीक थे. उन युवाओं में भी सर्दी में यह समस्या सामान्य हो जाती है जो लंबे समय तक डैस्क जौब करने वाले या गलत तरीके से बैठने या चलने वाले होते हैं.

अस्पताल में कई रोगी शरीर में जकड़न और दर्द की शिकायत करते हैं. ऐसे रोगियों को डाक्टर के पास जाना पड़ता है. मौसम से जुड़ी यह समस्या गठिया के रोगियों, सालों दर्द से पीडि़त लोगों जिन की पहले सर्जरी हो चुकी हो और गलत जीवनशैली जी रहे लोगों में दिखाई देती है.

अभी तक दुनिया में जितने भी शोध हुए हैं उन में से किसी में भी मौसम के बदलाव के कारण होने वाले दर्द का संबंध स्थापित नहीं हो पाया है. लेकिन, इस को नजरअंदाज करना सही नहीं है. रूमेटोलौजी इंटरनैशनल जर्नल में 2017 में प्रकाशित एक रिपार्ट में इस मामले पर हुए 9 वैज्ञानिक अध्ययनों की समीक्षा की गई जिस में परिणाम निकला कि इस बात के पर्याप्त सुबूत नहीं हैं कि तापमान के बदलाव का आप के शरीर पर क्या सीधा असर पड़ता है. लेकिन, आप के लिए यह जानना जरूरी है कि कौन सी समस्या होने पर क्या करना है-

लंबे समय से चले आ रहे किसी भी दर्द को नजरअंदाज मत कीजिए.

सर्दी के शुरू होने से थोड़े ही दिन पहले आप की सर्जरी हुई है तो अपने डाक्टर से जरूर पूछें कि सर्दी में किस तरह आप को अपना खयाल रखना है.

जाड़े में दूसरे सभी मौसमों से कम शारीरिक गतिविधि होती है. सो, आप इन दिनों में भी अपनी दिनचर्या बनाए रखें.

अगर आप को पता है कि सर्दी में यह समस्या होगी ही, तो आप पहले से ही उस बाबत तैयारी कर लें.

हम सब ने बैरोमैट्रिक दबाव के बारे में जरूर पढ़ा होगा. सर्दी में बैरोमैट्रिक का दबाव गिरता है जिस के कारण नसों, मांसपेशियों और आसपास की जगहों पर दबाव पड़ता है व दर्द महसूस होता है. सर्दी के मौसम में जोड़ों के बीच में शौक एब्जौर्बर का काम करने वाला सिनोवियन तरल पदार्थ अधिक चिपचिपा हो सकता है और आसानी से नहीं बह पाता, जिस के परिणामस्वरूप जोड़ों में दर्द होता है.

सर्दी के मौसम में होने वाले दर्द से मुकाबला करने के लिए हमें पहले से ही तैयार रहना होगा. इस के लिए इन बातों पर ध्यान देना जरूरी है :

लंबा नहीं, पर थोड़ा व्यायाम जरूरी है. ठंड की अकड़न से बचने के लिए सर्दी आने से पहले से ही व्यायाम करने लगें.

अगर आप लंबे समय तक बैठने का काम करते हैं तो अपनेआप को थोड़ा आराम देते रहें. यह जरूरी है कि बीचबीच में आप उठ कर टहलें या औफिस का एक चक्कर ही लगा आएं.

जब प्यास लगे तब तो जरूर पानी पिएं लेकिन उस के अलावा भी बीचबीच में पानी पीते रहें.

प्रोटीन और कैल्शियम का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना भी जरूरी है. सर्दी में मिलने वाले सागसब्जी, मटर, गाजर, बंदगोभी और शिमलामिर्च को अपने भोजन व सलाद में जरूर शामिल करें.

अगर आप की हाल में सर्जरी हुई है तो डाक्टर की सलाह का पूरा पालन करें. दवाओं का सेवन करते रहें और हलकेफुलके व्यायाम जारी रखें.

महिलाएं खासकर अपना ध्यान रखें, क्योंकि अगर आप स्वस्थ रहेंगी तो आप का परिवार भी स्वस्थ रहेगा.

महिलाओं को सर्दी के मौसम में अकसर दर्द की शिकायत होती है, इसलिए मांसपेशियों का ध्यान जरूर रखें. ज्यादा समय तक घर के अंदर रहना भी घातक है, क्योंकि आप के शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती. धूप से मिलने वाले विटामिन की आपूर्ति कहीं और से नहीं हो सकती.

अपने जोड़ों, खासकर, अपने घुटनों पर तनाव को कम करने के लिए सही वजन बनाए रखना बेहद महत्त्वपूर्ण है. अपने वजन को ले कर विचार करना जरूरी है क्योंकि वजन सही, तो सब सही. आप के शरीर का पूरा दबाव आप के पैरों पर पड़ता है और जितना ज्यादा आप का वजन, उतना ज्यादा आप के पैरों पर दबाव पड़ेगा. अपने वजन को अपनी लंबाई के अनुसार बनाए रखना जरूरी है. कई जगहों पर आसानी से चार्ट मिल जाता है, जहां पर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि आप की हाइट के अनुसार आप का वजन कितना होना चाहिए.

अपने शरीर को सर्दी के मौसम के लिए तैयार करना बेहद जरूरी है क्योंकि काम के सिलसिले में आप को घरबाहर आनाजाना पड़ता है जहां तापमान का अंतर होता है. आप का शरीर तापमान में होने वाले बदलाव के अनुरूप बदलता है. उठें, चलें और घर के अंदर व बाहर सक्रिय रहें. बाहर निकलने से पहले अपने शरीर को पूरी तरह से ढक कर रखें. कोशिश करें कि तापमान में बदलाव का ज्यादा असर न पड़े. आप जितना सक्रिय रहेंगे, ठंड से लड़ने में आप को उतनी ही सहायता मिलेगी.

रजाई में छिपना बंद करें और सर्दी के मौसम का भरपूर आनंद लें. रात में अच्छी नींद लें. सेहतमंद व संतुलित आहार का सेवन करें. सकारात्मक सोच रखें. आज के काम को कल पर न टालें. सर्दी के दिनों में बढ़ा वजन स्वेटर के पीछे छिप जाता है और सर्दी खत्म होने के बाद लोगों को अपना वजन बढ़ाबढ़ा सा लगता है. अगर आप सर्दी का आनंद वैसे ही लेंगे जैसे आप दूसरे मौसमों का लेते हैं, तो सर्दी के दिन आप को मजेदार लगेंगे.

(लेखक फ्लाइट लैफ्टिनैंट राजन ढल फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज, दिल्ली में हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं.)   

नरेंद्र दामोदरदास मोदी का “चुनावी बाण “

आज जब देश के महत्वपूर्ण राज्यों  गुजरात और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा लोगों को नौकरी का नियुक्ति पत्र दिया जाना एक ऐसा मसला बन कर सामने है जो सीधे-सीधे निष्पक्ष चुनाव को पतीला लगाने वाला कहा जा सकता है.

हम इस रिपोर्ट में इस पर विस्तार से चर्चा करें उससे पहले देश की आवाम से एक ही प्रश्न है कि क्या की एन शेषन अगरचे आज मुख्य चुनाव अधिकारी होते तो क्या प्रधानमंत्री दामोदरदास मोदी 71000 लोगों को तो क्या एक व्यक्ति को भी सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र दे सकते थे .इसका सीधा और सवाल जवाब यही है कि कदापि नहीं.

देश का विपक्ष आज मौन है देश की संवैधानिक संस्थाएं आज मौन है इस सहज सरल से लगने वाले एक मामले की बिनाह पर हम कह सकते हैं कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार और वे स्वयं निरंतर कुछ ना कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे नियम कायदे और नैतिकता की धज्जियां उड़ रही हैं.

जैसा कि हम सब जानते हैं आशिकी हकीकत यह है कि-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 लाख कर्मियों के लिए भर्ती अभियान ‘रोजगार मेला’ के तहत मंगलवार को 71,000 के करीब युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपें रहे हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने सोमवार को एक बयान में यह जानकारी दी है.  अधिकृत रूप से कहा गया है – ‘रोजगार मेला’ युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को पूरा करने में एक महत्त्वपूर्ण कदम है.”

सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात और हिमाचल प्रदेश  लगातार जा रहे हैं लोगों को संबोधित कर रहे हैं ऐसे में चुनाव के वक्त नियुक्तियों का यह झुनझुना सीधे-सीधे मतदान को प्रभावित करने वाला है अतः इस पर निर्वाचन आयोग को स्वयं संज्ञान लेकर के रोक लगानी चाहिए.
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सरकारी सरकारी नौकरियों का लॉलीपॉप
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लाख टके का सवाल यही है कि आज जब गुजरात जोकि नरेंद्र दामोदरदास मोदी का गृह प्रदेश है और जहां से उन्होंने अपनी राजनीति की यात्रा शुरू की और प्रधानमंत्री पद पर पहुंचे हैं वह सारा देश जानता है कि गुजरात प्रदेश का विधान सभा चुनाव नरेंद्र मोदी के लिए कितना अहम स्थान रखता है क्योंकि गुजरात की जीत सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी की जीत है और गुजरात की हार सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी की हार कही जाएगी.

ऐसे में नियुक्ति पत्र का यह लाली पॉप संविधान के निष्पक्ष चुनाव के विरुद्ध है और हम नरेंद्र मोदी से पूछना चाहते हैं कि अगर वे स्वयं में विपक्ष में होते और अगर सत्ताधारी पार्टी ऐसे करती तो क्या वे मौन रहते .

जैसा कि प्रधानमंत्री कार्यालय के
बयान में कहा गया कि ‘रोजगार मेला’ रोजगार सृजन में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा और युवाओं को उनके सशक्तिकरण और राष्ट्रीय विकास में सीधी भागीदारी के लिए सार्थक अवसर प्रदान करेगा.”
हम कह सकते हैं कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव के वक्त यह सब करना सीधे-सीधे निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने वाला कहा जा सकता है और है भी .

पाठकों को स्मरण होगा कि
प्रधानमंत्री ने इससे पहले अक्तूबर महीने में ‘रोजगार मेला’ की शुरुआत की थी. उन्होंने एक समारोह में 75,000 नवनियुक्त कर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपे थे. पीएमओ ने हालांकि कहा है  कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर देश के 45 स्थानों पर नियुक्त कर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपे जाएंगे. ऐसा कहना भी यह सिद्ध करता है कि यह चुनाव मतदाताओं को प्रभावित करने का ही एक खेल है.

दरअसल, नियुक्ति पत्र बांटने का काम करके यह बताया जा रहा है कि आने वाले समय में हम ऐसा काम करेंगे जिससे स्पष्ट है कि यह मतदाताओं को प्रभावित करने का ही एक प्रयत्न है.

पिछली बार जिन श्रेणियों में युवाओं को नियुक्ति दी गई थी, उनके अतिरिक्त इस बार शिक्षक, व्याख्याता, नर्स, नर्सिंग अधिकारी, चिकित्सक, फार्मासिस्ट, रेडियाग्राफर और अन्य तकनीकि और पैरा मेडिकल पदों पर भी नियुक्ति की जाएगी. पीएमओ ने बताया कि इस बार अच्छी खासी संख्या में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा विभिन्न केंद्रीय बलों में भी युवाओं को नियुक्ति दी गई है. प्रधानमंत्री नवनियुक्त कर्मियों के लिए आयोजित किए जाने वाले आनलाइन ओरिएंटेशन कोर्स ‘कर्मयोगी प्रारंभ’ की भी शुरुआत करेंगे. इसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए आचार संहिता, कार्यस्थल नैतिकता और ईमानदारी, मानव संसाधन नीतियां और अन्य लाभ व भत्ते से संबंधित जानकारियां शामिल होंगी, जो उन्हें नीतियों के अनुकूल तथा नवीन भूमिका में आसानी से ढल जाने में मदद करेंगी.

इस सब के बावजूद हम तो प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी से यही सवाल करते हैं कि क्या नियुक्ति पत्र देने का काम प्रधानमंत्री कार्यालय का है और यह कब से हो गया? नियमानुसार तो नियुक्ति पत्र वह विभाग देता है जिसके अधिनस्थ कर्मचारी काम करता है, प्रधानमंत्री कार्यालय का या प्रधानमंत्री का यह काम नहीं है यह देश का हर नागरिक जानता है.

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