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कसक: नीरव ने जूही की जिंदगी में कैसे मचा दी उथलपुथल

जूही का मन अचानक 10 वर्षों बाद नीरव को देख कर अशांत हो उठा था. 10 वर्षों पहले का वाकेआ उस की आंखों के सामने तैरने लगा. ठंड की भरी दोपहरी में हाथपैर सुन्न पड़ते जा रहे थे. वह तो अपनी सहेली के घर एक छोटे से फंक्शन में आई थी पर यों अचानक नीरव यहां टकरा जाएगा, उस ने कभी सोचा भी न था.

जूही न चाहते हुए भी नीरव के विषय में सोचने को मजबूर हो गईर् थी. ‘क्यों मुझे बिना कुछ कहे छोड़ गया था वह? क्यों मुझे एहसास कराया उस ने अपने प्यार का? क्यों कहा था कि मैं हमेशा साथ दूंगा? आखिर क्या कमी थी मुझ में? ‘कितने झूठे हो न तुम… डरपोक कहीं के.’ आज भी इस बात को सोच जूही के चेहरे पर दर्द की गहरी रेखा उभर गई थी, पर दूसरे ही क्षण गुस्से के भाव से पूरा चेहरा लाल हो गया था. फिर वही सवाल जेहन में आने लगे कि वह मुझे क्यों छोड़ गया था? आज क्यों फिर मुझ से मिलने आ गया? यों सामने आए सौरव को देखते ही मन में बेचैनी और सवालों की झड़ी लग गई थी.

जूही ने दोबारा उस कागज के टुकड़े को खोला और पढ़ा. नीरव ने केवल 2 लाइनें लिखी थीं, ‘प्लीज, एक बार बात करना चाहता हूं. यह मेरा मोबाइल नंबर है… हो सके तो अपना नंबर एसएमएस कर दो.’

यही पढ़ कर जूही बेचैन थी और सोच रही थी कि अपना मोबाइल नंबर दे या नहीं. क्या इतने वर्षों बाद कौल करना ठीक रहेगा? इन 10 वर्षों में क्यों कभी उस ने मुझ से मिलने या बात करने की कोशिश नहीं की? कभी मेरा हालचाल भी नहीं पूछा. मैं मर गई हूं या जिंदा हूं, किस हाल में हूं.  कभी कुछ भी तो जानने की कोशिश नहीं की उस ने. फिर क्यों वापस आया है? सवाल कई थे पर जवाब एक का भी नहीं था.

जाने क्या सोच मैं ने अपना नंबर लिख भेजा. 10 वर्षों पहले सहेली के घर गई थी, वहीं मुलाकात हुई थी. सहेली का रोका था. सब लोगों के बीच जो छिपछिप कर वह मुझे देख रहा था, शायद पहली नजर में ही वह मुझे भा गया था पर… न ही उस ने कुछ कहा न मैं ने. पूरे फंक्शन में वह मेरे आगेपीछे घूमता रहा. लेकिन जब चलने का समय हुआ तो अचानक चला गया था. न तो उस ने मुझे बाय बोला न ही कुछ… मन ही मन मैं ने उस को खूब गालियां दीं.

उस मुलाकात के बाद तो मिलने की उम्मीद भी नहीं थी. न उस ने जूही का नंबर लिया न ही जूही ने उस का. ऐसी तो पहली मुलाकात थी जूही और नीरव की. कितनी अजीब सी… जूही सोचसोच कर मुसकरा रही थी.  नीरव से हुई मुलाकात ने जूही के पुराने मीठे और दर्द भरे पलों को हरा कर दिया था.

एक दिन सहेलियों के साथ पैसिफिक मौल में मस्ती करते हुए नीरव से मुलाकात हो गई. वह मुझे बेबाकी से मिला. बात ही बात में उस ने मेरा नंबर और पता ले लिया.

अगले दिन शाम को घर पर बेतकल्लुफी के साथ वह हाजिर भी हो गया था. सारे घर वालों को उस ने सैल्फ इंट्रोडक्शन दिया और ऐसे घुलमिल गया जैसे सालों से हम सब से जानपहचान हो. जूही यह सब देख हैरान भी थी और कहीं न कहीं उसे एक अजीब सी फीलिंग भी हो रही थी. बहुत मिलनसार स्वभाव था उस का. मां, पापा और जूही की छोटी बहन तो उस की तारीफ करते नहीं थक रहे थे. वास्तव में उस का स्वभाव, हावभाव सबकुछ कितना अलग और प्रभावपूर्ण था. जूही उस के साथ बहती चली जा रही थी.

वह फैशन डिजाइनर बनना चाहता था. निट के फाइनल ईयर में था. उस से मेरी अच्छी दोस्ती हो गईर् थी. रोज आनाजाना होने लगा था. जूही के परिवार के सभी लोग उसे पसंद करते थे. धीरेधीरे उस ने जूही के दिल में भी खास जगह बना ली थी. जूही जब उस के साथ होती तो उसे लगता ये पल यहीं थम जाएं. उस के साथ बिताए पलों की याद में वह खोई सी रहती थी. जूही को यह एहसास हो गया था कि नीरव के दिल में भी जूही के लिए खास फीलिंग्स हैं. अब तक उस ने जूही से अपनी फीलिंग्स बताई नहीं थीं.

नीरव और जूही का कालेज एक ही रास्ते पर पड़ता था. इसलिए नीरव अकसर जूही को घर छोड़ने आया करता था. और तो और, जूही को भी उस के साथ आना अच्छा लगता था. रास्तेभर वे बातें करते व उस की बातों पर जूही का हंसना कभी खत्म ही नहीं होता था. वह अकसर कहा करता था, ‘जूही की मुसकराहट उसे दीवाना बना देती है.’ इस बात पर जूही और खिलखिला कर हंस पड़ती थी.

आज भी जूही को याद है, नीरव ने उसे 2 महीने बाद उस के 22वें बर्थडे पर प्रपोज किया था. औसतन लोग अपनी चाहत को, गुलदस्ते या उपहार के साथ दर्शाते हैं, पर उस ने जूही के हाथों में एक छोटा सा कार्ड रखते हुए कहा था, ‘क्या तुम अपनी जिंदगी का सफर मेरे साथ करना चाहोगी?’ कितनी दीवानगी थी उस की बातों में.

जूही उसे समझने में असमर्थ थी. यह कहतेकहते नीरव उस के बिलकुल नजदीक आ गया और जूही का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए उस के होंठों को अपने होंठों से छूते दोनों की सांसें एक हो चली थीं. जूही का दिल जोरों से धड़क रहा था. खुद को संभालते हुए वह नीरव से अलग हुई. दोनों के बीच एक अजीब मीठी सी मुसकराहट ने अपनी जगह बना ली थी. कुछ देर तो जूही वहीं बुत की तरह खड़ी रही थी. जब उस ने जूही का उत्तर जानने की उत्सुकता जताई तो जूही ने फौरन हां कह दी थी. उस रात जूही एक पल भी नहीं सोई थी. वह कई विषयों पर सोच रही थी जैसे कैरियर, आगे की पढ़ाई और न जाने कितने खयाल उस के दिमाग में आते. नींद आती भी कैसे, मन में बवंडर जो मचा था. तब जूही मात्र 22 वर्ष की ही तो थी फाइनल ईयर में थी. नीरव भी केवल 25 वर्ष का था. उस ने अभी नौकरी के लिए अप्लाई किया था.

इतनी जल्दी शायद नीरव भी शादी नहीं करना चाहता था. वह मास्टर्स करना चाहता था. पर जूही उसे यह बताना चाहती थी कि वह उस से बेइंतहा मुहब्बत करती है और हां, जिंदगी का पूरा सफर उस के साथ ही बिताना चाहती है, इसलिए उस ने नीरव को कौल किया. तय हुआ कि अगले दिन जीआईपी मौल में मिलेंगे. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. यह बात जूही के मन में ही रह गई थी, कभी उस से बोल नहीं पाई.

जैसा कि दोनों ने तय किया था अगले दिन जूही तय समय पर वहां पहुंच गई. वहां पहुंच कर नीरव का फोन मिलाया तो फोन स्विचऔफ आ रहा था. वह वहीं उस का इंतजार करने बैठ गई थी. आधे घंटे बाद फिर फोन मिलाया. तब भी फोन औफ ही आ रहा था.

जूही काफी परेशान और विचलित थी पर उस ने सोचा, शायद कोईर् जरूरी काम में फंसा होगा. वह उस का इंतजार करती रही. इंतजार करतेकरते काफी देर हो गई पर वह नहीं आया. उस के बाद उस का फोन भी कभी औन नहीं मिला. 2 वर्षों तक जूही उस का इंतजार करती रही पर कभी उस ने उसे एक भी कौल नहीं किया.

इन 2 सालों में उस ने मम्मीपापा से अपने दिल की बात बताई तो उन्होंने भी नीरव को मैसेज किया. पर कब तक वे इंतजार करते. आखिर, थक कर उन्होंने जय से जूही की शादी करवा दी. जूही भी कुछ नहीं कह पाई. जय एक औडिटिंग कंपनी चलाता था. उस के मातापिता उस के साथ ही रहते थे. जूही विवाह के बाद सबकुछ भूलना चाहती थी और नए माहौल, नए परिवार में ढलना चाहती थी. पर शायद सोचा हुआ काम कभी पूरा नहीं होता.

शादी के बाद कितने साल लगे थे जूही को उसे भूलने में पर ठीक से भूल भी तो नहीं पाई थी. कहीं न कहीं किसी मोड़ पर तो हमेशा उसे नीरव की याद आ ही जाया करती थी. आज अचानक क्यों आया है? और क्या चाहता है?

जूही की सोच की कड़ी को तोड़ते हुए तभी अचानक फोन की घंटी बजी, एक अनजाना नंबर था. दिल की धड़कनें तेज हो चली थीं. जूही को लग रहा था, ‘हो न हो, यह नीरव की कौल हो.’ वह एक आवेग सा महसूस कर रही थी. कौल रिसीव करते हुए उस ने ‘‘हैलो,’’ कहा तो दूसरी ओर नीरव ही था.

नीरव ने अपनी भारी आवाज में कहा, ‘‘हैलो, आप…’’ इतने सालों बाद भी नीरव की आवाज जूही के कानों से होते हुए पूरे शरीर को झंकृत  कर रही थी.

खुद को संभालते हुए जूही ने कहा, ‘‘जी, मैं जूही. आप कौन?’’ उस ने पहचानने का नाटक करते हुए कहा. नीरव ने अपने अंदाज में कहा, ‘‘तुम तो मुझे भूल ही गईं, मैं नीरव.’’

‘‘ओह, नहीं, ऐसा नहीं है. ऐसे कैसे हो सकता है?’’ फिर जूही ने घबराहट भरी आवाज में कहा, ‘‘तुम भूले या मैं?’’

जूही के दिमाग में काफी हलचल थी, इस का अंदाजा लगाना भी मुश्किल था. यह नीरव के लिए उस का प्यार था या नफरत. मिलने का उत्साह था या असमंजसता थी. एक मिलाजुला मिश्रण था भावों का, जिस की तीव्रता सिर्फ जूही ही महसूस कर सकती थी.

कभीकभी यह समझना कितना मुश्किल हो जाता है न कि आखिर किसी के होने का हमारे जीवन में इतना असर क्यों हो जाता है. जूही भी एक असमंजसता से गुजर रही थी. खुद को रोकना चाहती थी पर धड़कन थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. नीरव ने आगे कहना शुरू किया, ‘‘इतने सालों बाद तुम्हें देखा, बहुत अच्छा लगा, कल तुम बहुत खूबसूरत लग रही थीं.’’

जूही अब भी एक गहरी सोच में डूबी हुई थी और एक हलकी मुसकान के साथ उस ने कहा, ‘‘थैंक्स, मैं भी तुम से मिल कर खुश हुई. इनफैक्ट, सरप्राइज्ड भी हुई.’’

नीरव भांप गया था, जूही के कहने का क्या तात्पर्य था. उस ने कहा, ‘‘क्या तुम ने अब तक मुझे माफ नहीं किया. मैं जानता हूं कि तुम से वादा कर मैं आ न सका.’’

जूही ने कहा, ‘‘10 साल कोई कम तो नहीं होते. माफ कर दूं? मैं आज तक अपने को ही माफ नहीं कर पाई.’’

उस की बात से व्यंग्य साफ झलक रहा था. ‘‘कैसे करूं तुम्हें माफ, क्या तुम लौटा सकते हो बीता वक्त? मैं ने ही नहीं, मेरे मातापिता दोनों ने भी तुम्हारे जवाब का, तुम्हारा बहुत इंतजार किया. क्या दोष था, उन का? यही न कि उन्होंने तुम्हारे साथ मेरे सुखी जीवन की चाह की, मेरे सपनों को सच करना चाहा. और तुम ने क्या किया? मैं जानना चाहती हूं, क्या हुआ था तुम्हारे साथ? क्यों नहीं आए तुम.’’

जूही की आवाज से नाराजगी साफ झलक रही थी. अपने को संभालते हुए नीरव ने कहा, ‘‘मैं तुम से प्यार करता था, करता हूं और करता रहूंगा. तुम से तो इजहार कर दिया था पर दुनिया के सामने अपना प्यार कुबूल करने की हिम्मत नहीं कर पाया.

‘‘अगले दिन तुम से मिलने आने से पहले सोचा, क्यों न दिल की बात अपने घर वालों को भी बता दूं. मां तो सुनते ही नाराज हो गईं और बाकी सब ने चुप्पी साध ली. मां कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थीं. अपनी कसम दे कर उन्होंने मुझे आने से रोक दिया. अगले दिन ही मुझे पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया गया. मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि परिवार से अलग हो जाऊं और न ही तुम्हारे सवालों का सामना करने की हिम्मत मुझ में थी. बाद में पता चला कि मेरी मां बहुत पहले ही मेरा रिश्ता तय कर चुकी थीं.

उन्होंने मेरे सुनहरे भविष्य के लिए बहुत से सपने बुन रखे थे और ये सारी चीजें आपस में इतनी उलझी हुई थीं कि उन्हें सुलझाने का वक्त ही नहीं मिला. और तो और, मां इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होंगी, मैं जानता था. उन्होंने अपनी कसम दे कर मेरे पैर रोक दिए थे. उन्हें उस वक्त मैं कह ही नहीं पाया कि मैं अपनी जिंदगी वहीं छोड़ आया हूं. उस वक्त मैं ने चुप रहना ही ठीक समझा था या यह कह लो, मैं डर गया था.

‘‘जब तक हिम्मत आई, पता चला तुम्हारा रिश्ता हो चुका है. तुम्हारा मोबाइल औफ होने की वजह से तुम तक खबर पहुंचाना भी मुश्किल था. तुम नए बंधन अपना चुकी थीं. मैं जानता हूं तुम अपनी जिंदगी से खुश नहीं हो. इस बंधन में खुश नहीं हो, शायद इस का कारण मैं हूं.’’

‘‘हां, इन सब बातों के कोई माने नहीं अब, नीरव. किस जिंदगी की बात कर रहे हो, वह जिसे तुम जानते थे. वह तो तभी खत्म हो गई थी जब तुम बीच में ही छोड़ कर चले गए थे. और अब यह जिंदगी कर्जदार है उन 2 मासूमों की, जिन्हें मैं ने जन्म दिया है,’’ रोते हुए जूही ने कहा.

‘‘क्या हम फिर से आगे नहीं सोच सकते, जूही’’? नीरव ने पूछा.

‘‘फिर… यह कैसा सवाल है? अब 2 प्यारीप्यारी जिंदगियां भी जुड़ी हुई हैं मुझ से. मैं एक बार अपनेआप को धोखा दे चुकी हूं, लेकिन अब सब को धोखा देना होगा और सारी बातें छोड़ो, क्या अब है तुम में हिम्मत, सब का सामना करने की? अरे, जो तब नहीं कर पाया वह आज कहां से हिम्मत करेगा? मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतने डरपोक हो. मैं लड़की हो कर भी हिम्मत कर पाई उस समय, और तुम… बहुत इंतजार किया तुम्हारा और तुम्हारे जवाब का.’’

नीरव की आवाज भारी हो गई थी और अपने को संभालते हुए वह बोला, ‘‘क्या तुम अपनी इस जिंदगी से खुश हो?’’

‘‘यही सवाल मैं करूं तो,’’ जूही ने कहा.

‘‘शायद नहीं, बस, जी रहा हूं. एक बीवी है, बेटी है. अच्छी है. बस, वह मेरा प्यार नहीं है. दिल में एक खालीपन है. पर उस खालीपन को भरा नहीं जा सकता, यही हकीकत है,’’ नीरव बोला.

‘‘नीरव, कितनी अजीब सी बात है न, जो हम चाहते हैं वह मिलता नहीं और जो मिलता है उसे हम चाहते नहीं,’’ कहते हुए जूही सुबकने लगी थी. कोशिश तो बहुत की थी कि रोक ले इन आंसुओं के सैलाब को, पर… इतने सालों से वही तो कर रही है. दुनिया में 2 तरह के लोग होते हैं, एक वे जो प्यार के लिए सबकुछ छोड़ दें, और दूसरे वे जो सब के लिए प्यार को छोड़ दें. तुम दूसरी तरह के लोगों में आते हो. तुम ने भी तो सुनहरे सपने और कैरियर को ही चुना था, क्यों?’’ जूही ने आगे कहा.

‘‘तुम सही कह रही हो. पर एक सच यह भी है कि आप की जेब में रुपए न हों और आप का बच्चा या परिवार का सदस्य दर्द से तड़प रहा हो, तब प्यार तो नहीं परोस सकते, लेकिन तुम्हें कभी भुला नहीं पाया.’’

फिर जिंदगी की आपाधापी में उलझता ही चला गया. पर तुम हमेशा याद आती रहीं. हमेशा सोचता था कि तुम क्या सोचती होगी मेरे बारे में, इसलिए तुम से मिल कर तुम्हें सब बताना चाहता था. काश, मैं इतनी हिम्मत पहले दिखा पाता. उस दिन जब हम मिलने वाले थे तब तुम मुझ से कुछ कहना चाहती थी न, आज बोल दो, क्या बताना था.

जूही को भी तो यह सब जानना था. वह तय नहीं कर पा रही थी कि नीरव को धोखेबाज कहे या इसे उस की मजबूरी माने. जूही ने कहा, ‘‘वह जो मैं तुम से कहना चाहती थी उन बातों का अब कोई वजूद नहीं.’’

जूही ने अपने जज्बातों को अपने अंदर ही दफनाने का फैसला किया था. एक फीकी सी मुसकराहट के साथ जूही ने कहा, ‘‘तुम से बात कर के अच्छा लगा.’’ अब शायद आंसुओं का सैलाब और हिचकियों का तूफान उसे बात नहीं करने दे रहा था. अंत में सिर्फ अच्छा कह कर उस ने बातों के सिलसिले पर पूर्णविराम लगाना चाहा. शायद सवाल तो बहुत से थे जेहन में पर उन सवालों का अब कोई औचित्य नहीं था.

नीरव ने हड़बड़ाते हुए कहा, ‘‘सुनो, एक वादा करो कि तुम हमेशा खुश रहोगी. करो वादा.’’

‘‘वादा तो नहीं पर कोशिश करूंगी,’’ जूही रोए जा रही थी और उसी पल कौल डिस्कनैक्ट हो गई.

इस की क्या जरूरत है-भाग 2: अमित अपने परिवार और दोस्तों से क्यों कट रहा था?

एक बार तो दरवाजे पर ताला दिखाई दिया था तो दूसरी बार बहुत देर तक बेल बजाने के बाद भी फ्लैट का दरवाजा नहीं खुला तो रमाकांत हताश हो कर लौट आए थे. फोन पर जरूर सप्ताह में 1-2 बार अमित से रमाकांत की बात हो जाती थी. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत भी कम हो गई। अब व्हाट्सऐप पर कभीकभार संदेशों का आदानप्रदान होने लगा. अमित कभी रमाकांत से मिलने के लिए उन के घर नहीं जाता था.

करीब 2 साल के बाद एक दिन अचानक अमित रमाकांत के घर पहुंचा, रमाकांत को बहुत ताज्जुब हुआ। “अंकल, यह लो मुंह मीठा करो…”

“किस खुशी में मिठाई खिला रहो हो अमित…” रमाकांत ने पूछा.
“अंकल, मैं शादी कर रहा हूं।”

“ वाह, बधाई हो। कहां की लड़की है? आलोक और मोहिनी ने पसंद की या तुम्हारी अपनी पसंद है?” रमाकांत ने जिज्ञासा व्यक्त करते हुए पूछा.

“अरे, अंकल इस की क्या जरूरत है… एक साईट पर उस को देखा था, फिर चैटिंग शुरू हो गई। उस ने अपना वीडियो भेजा और मैं ने अपना। बस, हम एकदूसरे को पसंद आ गए. हम दोनों के प्रोफाइल भी मैच हो गए, बस बात फाइनल हो गई.“

“वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है, अमित। अब एक बार ‘अपनी पसंद’ के साथ गांव चले जाओ, ताकि आलोक और मोहिनी भी ‘तुम्हारी पसंद’ देख लें.”

“इस की क्या जरूरत है अंकल, मैं ने व्हाट्सऐप पर नेहा की तसवीर भेज दी है और मम्मीपापा को नेहा का प्रोफाइल भी ईमेल से भेज दिया है…”

“वह तो ठीक है, पर एक बार नेहा को ले कर गांव चले जाते तो आलोक और मोहिनी को अच्छा लगता और दोनों अपनी होने वाली बहू को देख लेते…”

अमित बीच में ही रमाकांत की बात काटते हुए मुसकरा कर बोला, “अंकल, अभी तक तो हम दोनों भी एकदूसरे से नहीं मिले हैं, बस वीडियो कौल करते रहते हैं. अभी हम दोनों इतने व्यस्त हैं कि हम गांव नहीं जा सकते हैं, फिर मम्मीपापा शादी में आएंगे तब नेहा को देख ही लेंगे न…”

रमाकांत आश्चर्यचकित हो कर अमित की बातें सुन रहे थे। थोड़े से विराम के बाद पूछा,”ठीक है, पर शादी के कार्ड वगैरह कौन छपवा रहा है? तुम और नेहा बहुत बिझी हो तो आलोक यह काम कर सकता है। मेरे बेटे की शादी का कार्ड आलोक ने ही पसंद किया था। आलोक द्वारा पसंद किया हुआ कार्ड सभी को बहुत अच्छा लगा था. आलोक की चौइस बहुत लाजवाब है अमित.”

“ओह, अंकल, आप किस जमाने में जी रहे हैं…आज इतना समय किस के पास है कि बाजार में जा कर 10 दुकानों पर शादी के कार्ड पसंद करते हुए दिनभर घूमते रहें। अंकल, व्हाट्सऐप पर सभी को इन्वीटेशन भेज दूंगा…”

“और शौपिंग? फिर नेहा के साथ सिनेमा, नाटक आदि देखना, चौपाटी पर घूमना… भेलपूरी खाना…” रमाकांत ने मजाकिया मूड में पूछा.

“अंकल, आप भी न… कैसे आउटडेटेड सवाल पूछ रहे हैं…आजकल शौपिंग के लिए कौन बाजार में थैले लटकाए घूमता है, हम तो औनलाइन शौपिंग करने वाले हैं. हम नई फिल्म रिलीज होते ही डाउनलोड कर लेते हैं फिर जब समय मिलता है तब आराम से देख लेते हैं. अंकल, आजकल नाटक, सिनेमा सबकुछ यूट्यूब पर मिल जाते हैं, बाहर जा कर देखने की क्या जरूरत है और चौपाटी पर घूमने के लिए वक्त किस के पास है।

“मैं ने बताया न कि हम दोनों के पास बिलकुल समय नहीं है, दोनों अपनीअपनी कंपनी के एक बहुत ही जरूरी प्रोजैक्ट में बिजी हैं.“

रमाकांत कुछ और पूछने के मूड में थे मगर तभी अमित घड़ी देखते हुए उछल पड़ा,”ओह, मेरी पोस्ट लंच वेब मिटिंग का टाइम हो गया है। नाऊ आई हेव टू फ्लाई अंकल.”

रमाकांत की समझ में कुछ आए, इस से पहले अमित धनुष से छूटे तीर की तरह घर से बाहर निकल गया. कुछ ही दिनों बाद रमाकांत को व्हाट्सऐप पर अमित की शादी का आमंत्रण मिला. रमाकांत और शिल्पी विवाह समारोह में पहुंचे तो उन्हें बहुत ताज्जुब हुआ। शादी में केवल 25-30 लोग ही उपस्थित थे. रमाकांत की नजरें आलोक और मोहिनी के ढूंढ़ रही थीं, दोनों एक कोने में रखे सोफे पर मेहमानों की तरह बैठे हुए थे। रमाकांत को देखते ही आलोक के शुष्क अधरों पर धीमी सी मुसकराहट ऐसे फैल गई मानो किसी ने उन्हें जबरदस्ती से मुसकराने के लिए कह दिया हो. इस समय रमाकांत ने आलोक से केवल औपचारिक बात करना उचित समझा.

रमाकांत और आलोक के बीच बात हो ही रही थी कि अमित आ गया.
अमित को देख कर रमाकांत ने कहा,”अमित, शादी में बस इतने ही लोग… इतने तो हमारे घर के ही हो जाते हैं. तुम्हें शायद याद होगा कि अतुल के विवाह में 1,100 लोग आए थे, हमारे कुछ रिश्तेदार और दोस्त किसी कारणवश आ नहीं सके थे वरना 100-200 लोग और बढ़ जाते.”

“अंकल, बहुत से रिश्तेदारों और दोस्तों ने मेरे व्हाट्सऐप निमंत्रण को देख कर शुभकामनाएं और बधाई संदेश व्हाट्सऐप से ही भेज दिए हैं। शायद उन्हें बुरा लगा होगा, पर क्या करें, आजकल समय किस के पास है. अंकल, इस हाइटेक युग में हरेक के घर जा कर निमंत्रण देना मुझे तो प्रैक्टिकल नहीं लगता है. मेरा यह मानना है कि शादी का मतलब किसी मेले का आयोजन करना तो नहीं है जहां केवल लोगों की भीड़ ही भीड़ नजर आएं।“

आदिल खान ने कबूली राखी सावंत से शादी की बात, बोला- परिवार कि वजह से थें चुप

बिग बॉस फेम राखी सावंत अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर आए दिन चर्चा में बनी रहती हैं.हाल ही में राखी सावंत मीडिया को ये बयान दे रही थी कि उनके पति आदिल उनके साथ हुए विवाह को स्वीकारने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अब राखी सावंत को लेकर एक खुशी की खबर आ रही है.

दरअसल, खबर है कि आदिल ने राखी के साथ हुए निकाह को अब कबूल लिया है, कुछ समय तक चुप्पी साधने के बाद से आदिल ने निकाह को कबूल कर लिया है, अब सबकुछ सही बताया जा रहा है. एक रिपोर्ट में बात चीत के दौरान आदिल ने निकाह को कबूल कर लिया है.

 

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राखी सावंत ने दावा किया था कि 7 महीने पहले ही उन्होंने निकाह को कबूल कर लिया था, उन्होंने मुस्लिम रिति रिवाज के अनुसार शादी किया था.यहां तक कि एक्ट्रेस ने शादी के बाद से अपना नाम और धर्म भी बदल लिया था.

राखी का बदला हुआ नाम फातिमा है, राखी अब अपने पति के साथ काफी ज्यादा खुश हैं, कुछ वक्त पहले राखी को पति आदिल से शिकायत थी कि वह आधिल उन्हें अपनाने से इंकार कर रहा है लेकिन राखी कि ये शिकायत अब खत्म हो गई है क्योंकि आदिल ने उन्हें अपना लिया है. इस वजह से राखी सावंत इन दिनों चर्चा में बनी हुईं हैं.

शीजान ने दिया बयान कहा- मुस्लिम न होता तो शायद ऐसा न होता

अली बाबा शो के एक्टर शीजान खान की कस्टडी को 14 दिन के लिए खारिज कर दिया है. एक्टर की कस्टडी को 14 दिन के लिए बढ़ा दिया गया है. तुनीषा शर्मा के सुसाइड केस लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.

शीजान खान पर तुनीषा के सुसाइड का आरोप लगा है. जिससे लगातार उनसे पूछताछ चल रही है. 13 जनवरी को कोर्ट ने शीजान खान की याटिका खारिज कर दी है. इसी बीच शीजान खान ने अपने बचाव में धर्म का एंगल जोड़ दिया है.

 

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शीजान खान के वकील शैलेंद्र मिश्रा ने दावा किया है कि उन्हें सिर्फ धर्म के कारण गिरफ्तार किया गया है, शीजान के वकील ने पाल घर में तुनीषा के खइलाफ कई सारे आरोप लगाए हैं. वकील ने एक्टर को फंसाने की बात कहकर बयान दिया है.

शीजान के वकील ने बयान दिया है कि तुनीषा शर्मा एक डेटिंग एप के जरिए अली नाम के शख्स के साथ थी वह 21 और 22 दिसंबर को उस शख्स के साथ थी, 15 मिनट तक वह अली के संपर्क में थी न कि शीजान के संपर्क में थी.

शीजान के वकील ने यह दावा किया है कि तुनीषा ने मरने से पहले अपने को एक्टर पार्थ को रस्सी दिखाई थी, जिसे दिखाते हुए कहा था कि वह इस रस्सी से सुसाइड करने वाली हैं.

शीजान ने इस पर बयान देते हुए कहा है कि मुझे सिर्फ मेरे धर्म के कारण गिरफ्तार किया है इस पर लव जिहाद एंगल बना दिया गया है. जिस वजह से मेरे केस को बार -बार खारिज किया जा रहा है.

अंगूर की खेती और खास किस्में

भारत में अंगूर की ज्यादातर व्यावसायिक खेती उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले उत्तरी राज्यों में विशेष रूप से की जा रही है.

जून के महीने में देश के उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों से ताजा अंगूर उपलब्ध नहीं होते हैं. ऐसे समय में उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों जैसे पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के कुछ भागों में अंगूर की खेती की जा रही है, जिस से जून माह में अंगूर मिलते हैं. मृदा एवं जलवायु की आवश्यकता अंगूर की बागबानी हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इस के लिए बड़े कणों वाली रेतीली से ले कर मटियार दोमट मिट्टी सब से अच्छी मानी गई है.

खाद व उर्वरक : दक्षिणी भारत में अंगूर के बागों में सब से ज्यादा खाद व उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है. वैसे यह भी सही है कि वहां पर उपज भी सब से ज्यादा यानी तकरीबन 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जाती है. दरअसल, वहां के हालात व जलवायु में काफी मात्रा में खाद व उर्वरकों की जरूरत पड़ती है. वहां पर हर तुड़ाई के बाद अंगूर के बगीचों में खाद डाली जाती है. पहली खुराक में नाइट्रोजन व फास्फोरस की पूरी मात्रा और पोटैशियम की आधी मात्रा दी जाती है. फल लगने के बाद पोटैशियम की बाकी मात्रा दी जाती है. उत्तर भारत में प्रति लता के हिसाब से हर साल 75 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद दी जाती है. इस के अलावा हर साल 125-250 किलोग्राम नाइट्रोजन, 62.5-125 किलोग्राम फास्फोरस और 250-375 किलोग्राम पोटैशियम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दी जाती है. अंगूर की फसल में 5 साल की बेलों में 500 ग्राम नाइट्रोजन, 700 ग्राम म्यूरेट औफ पोटाश या 700 ग्राम पोटैशियम सल्फेट व 50-60 किलोग्राम नाइट्रोजन की खाद प्रति बेल हर साल देने को कहा जाता है. काटछांट के तुरंत बाद जनवरी के आखिरी हफ्ते में नाइट्रोजन व पोटाश की आधी मात्रा व फास्फोरस की पूरी मात्रा डालनी चाहिए. बाकी उर्वरकों की मात्रा फल लगने के बाद डाल कर जमीन में अच्छी तरह मिला देना चाहिए. ऐसा करने से अंगूर की भरपूर उपज मिलती है.

कलम लगाना : कलम के नीचे का कट गांठ के ठीक नीचे होना चाहिए और ऊपर का कट तिरछा होना चाहिए. इन कलमों को अच्छी तरह तैयार की गई क्यारियों में लगा देना चाहिए. ये कलमें हमेशा निरोग व पकी टहनियों से ही लेनी चाहिए. 4-6 गांठों वाली 25-45 सैंटीमीटर लंबी कलमें ली जाती हैं, जो 1 साल में रोपने के लिए तैयार हो जाती हैं.

रोपाई : उत्तर भारत में अंगूर की रोपाई का सही समय जनवरी महीना है, जबकि दक्षिणी भारत में अक्तूबरनवंबर व मार्चअप्रैल महीने में रोपाई की जाती है.

सधाई व छंटाई : अंगूर की भरपूर उपज लेने के लिए बेलों की सही छंटाई जरूरी है. अनचाहे भाग काट दिए जाते हैं, इसे सधाई कहते हैं और बेल पर फल लगने वाली शाखाओं को सामान्य रूप से फैलने के लिए किसी भाग की छंटनी को छंटाई कहते हैं. अंगूर की बेल को साधने के लिए 2.5 मीटर ऊंचाई पर सीमेंट के खंभों के सहारे लगे तारों के जाल पर बेलों को फैलाया जाता है. बेलों को जाल तक पहुंचाने के लिए केवल एक ही ताना बना दिया जाता है. बेलों के जाल पर पहुंचने पर ताने को काट दिया जाता है. अंगूर की बेलों की समय पर काटछांट करना बेहद जरूरी है, पर कोंपलें फूटने से पहले काम पूरा हो जाना चाहिए. काटछांट का सही समय जनवरी का महीना होता है.

सिंचाई : आमतौर पर अंगूर की बेलों को नवंबर से दिसंबर महीने तक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है, लेकिन छंटाई के बाद बेलों की सिंचाई जरूरी होती है. फूल आने व फल बनने के दौरान पानी की जरूरत होती है. जैसे ही फल पकने शुरू हो जाएं, सिंचाई बंद कर देनी चाहिए. फलों की तुड़ाई के बाद भी एक सिंचाई जरूर करनी चाहिए.

फलों की तुड़ाई : अंगूर के फलों के गुच्छों को पूरी तरह पकने के बाद ही तोड़ना चाहिए, क्योंकि अंगूर तोड़ने के बाद नहीं पकते हैं. फलों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करनी चाहिए. पैकिंग से पहले गुच्छों से टूटे या गलेसड़े दानों को निकाल देना चाहिए, ताकि अच्छे अंगूर खराब न हों.

उपज : अंगूर के बाग की अच्छी देखभाल करने के 3 साल बाद फल मिलने शुरू हो जाते हैं, जो 25-30 सालों तक चलते रहते हैं. उत्तर भारत में उगाई जाने वाली किस्मों से शुरू में कम उपज मिलती है, पर बाद में उपज में इजाफा होता रहता है. नई ‘पूसा अदिति’ किस्म से अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा उपज मिलती है. उत्तर भारत के किसानों को इस नई किस्म को उगा कर लाभ उठाना चाहिए. खरपतवार की रोकथाम के लिए नियमित रूप से निराई व गुड़ाई करें. अंगूर की खास किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के फल एवं बागबानी विभाग, नई दिल्ली की अंगूर की एक खास किस्म ‘पूसा अदिति’ है. इस का विकास उत्तर भारत के इलाकों को ध्यान में रख कर किया गया है.

पूसा अदिति : यह अगेती किस्म है. गुच्छे का वजन तकरीबन 450 ग्राम होता है. हर दाने का आकार एकसमान होता है. इस के दाने फटते नहीं हैं. इस किस्म के अंगूर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान राज्यों में उगाए जा सकते हैं. यह ज्यादा उपज देने वाली किस्म है. यह किस्म मानसून आने से पहले जून के दूसरे हफ्ते तक तैयार हो जाती है.

पूसा उर्वशी : शीघ्र पकने वाली (जून के द्वितीय सप्ताह), गुच्छे ढीले, बड़े, जिस में मध्यम अंडाकर दाने लगे होते हैं. फलों का रंग हलका हरापन लिए होता है. बीजरहित फल, जो ताजा खाने और किशमिश बनाने के लिए उपयुक्त है. कुल घुलनशील शर्करा का स्तर 18-22 फीसदी रहता है.

पूसा नवरंग : यह किस्म भी जून के पहले और दूसरे सप्ताह में पक कर तैयार हो जाती है. दानों में बीज रहते हैं, गुच्छों का आकार मध्यम (180-250 ग्राम), गहरे कालेबैंगनी रंग के होते है. इस के फलों की त्वचा और रस का रंग गहरा बैगनी होता हैं. यह किस्म जूस और रंगीन शराब बनाने के लिए उपयुक्त है. फलों में कुल घुलनशील शर्करा का स्तर 18-20 प्रतिशत रहता है.

पूसा सीडलैस : यह जून के तीसरे सप्ताह में पक कर तैयार हो जाती है. इस के गुच्छे मध्यम से लंबे आकार के गठीले होते हैं. दाने सरस, छोटे, बीजरहित और हरापन लिए हुए पीले रंग के होते हैं. गूदा मुलायम मीठा होता है, जिस में कुल घुलनशील शर्करा का स्तर 20-22 फीसदी रहता है.

ब्यूटी सीडलैस : यह किस्म कैलीफोर्निया (संयुक्त राष्ट्र अमेरिका) से लाई गई है और जून के पहले सप्ताह में पक कर तैयार हो जाती है. गुच्छे शंक्वाकार व छोटे से मध्यम आकार के होते हैं. इस के दाने सरस, छोटे, गोल और काले रंग के होते हैं. फलों का गूदा मुलायम और हलका सा अम्लीय होता है. छिलका मध्यम मोटा होता है. फलों में कुल घुलनशील शर्करा का स्तर 18-19 फीसदी रहता है. फल बीजरहित होते हैं. अत: खाने के लिए उपयुक्त है.

पर्लेट : इस किस्म का विकास भी कैलीफोर्निया (संयुक्त राष्ट्र अमेरिका) में किया गया था. यह किस्म भी शीघ्र पकने वाली है, जो जून के दूसरे सप्ताह में पक जाती है. गुच्छे मध्यम से लंबे और गठे हुए होते हैं. इस का फल सरस, हरा, मुलायम गूदा और पतले छिलके वाला, बीजरहित होता है. इस में कुल घुलनशील शर्करा का स्तर 20-22 फीसदी रहता है. इस में जिब्रेलिक अम्ल के उपचार से फलों का आकार बढ़ाया जा सकता है.

ऐसे करें कीटों से बचाव थ्रिप्स : इस कीट का प्रकोप मार्च से अक्तूबर माह तक रहता है. यह अंगूर की पत्तियों, शाखाओं और फलों का रस चूस कर नुकसान पहुंचाता है. इस की रोकथाम के लिए तकरीबन 500 मिलीलिटर मैलाथियान को 500 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए. चैफर बीटिल : यह अंगूर का सब से खतरनाक कीट है, जो रात के समय बेलों पर हमला करता है और पूरी फसल को तबाह कर देता है. इस की रोकथाम के लिए 0.5 फीसदी क्विनालफास के घोल का छिड़काव करना चाहिए.

एंथ्रेक्नोज : यह एक फफूंदीजनक रोग है. इस का प्रकोप पत्तियों व फलों दोनों पर होता है. पत्तियों की शिराओं के बीच में जगहजगह टेढ़ेमेढ़े गहरे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं. इन के किनारे भूरे या लाल रंग के होते हैं. बीच का हिस्सा धंसा हुआ होता है और बाद में पत्ता गिर जाता है. शुरू में काले रंग के धब्बे फलों पर पड़ जाते हैं. इस की रोकथाम के लिए पौधे के रोगी भागों को काट कर जला दें. पत्तियां निकलने पर 0.2 फीसदी बाविस्टीन के घोल का छिड़काव करें. बारिश के मौसम में कार्बंडाजिम के 0.2 फीसदी घोल का छिड़काव करें.

चूर्णी फफूंदी : यह एक फफूंदीजनक रोग है. इस में पत्ती, शाखाओं व फलों पर सफेद चूर्णी धब्बे बन जाते हैं. ये धब्बे धीरेधीरे सभी पत्तों व फलों पर फैल जाते हैं, जिस के कारण फल गिर सकते हैं या देरी से पकते हैं. इस की रोकथाम के लिए 0.2 फीसदी घुलनशील गंधक या 0.1 फीसदी कैराथेन का छिड़काव 10-15 दिनों के अंतराल करें.

तन्हा वे: पावनी के साथ क्या हुआ था?

Sarita Top Familiy Stories in Hindi : सरिता की टॉप पारिवारिक कहानियां हिंदी में

Families stories in hindi : इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आएं हैं सरिता top family stories in hindi 2023, यहां आपको मिलेगी परिवार और रिश्ते से जुड़ी कई सारी दिलचस्प कहानियां. आप इसे पढ़ने के बाद परिवार और रिश्ते के महत्व को और करीब से समझ पाएंगे. तो अगर आपको भी पारिवारिक कहानियां पसंद हैं तो पढ़ें सरिता की ये खूबसूरत कहानियां.

माला चुपचाप एक तरफ खड़ी देखसुन रही थी. तभी सविताजी ने माला को नेग वाली थाली लाने को कहा और इसी बीच कंगन खुलाई की रस्म की तैयारी होने लगी. महिलाओं की हंसीठिठोली और ठहाके गूंज रहे थे पर माला अपनी कंगन खुलाई की यादों में खो गई..

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2. एक गलत सोच: जब बहू चुनने में हुई सरला से गलती

सरलाजी ने जैसेतैसे चाय और पकौड़े बना कर बाहर रख दिए और वापस रसोई में खाना गरम करने चली गईं. बाहर से ठहाकों की आवाजें जबजब उन के कानों में पड़तीं उन का मन जल जाता. सरला के पति एकदो बार किचन में आए सिर्फ यह कहने के लिए कि कुछ रोटियों पर घी मत लगाना, सिमी की भाभी नहीं खाती और खिलाने में जल्दी करो, बच्चों को भूख लगी है.

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3. अनोखा बदला : राधिका ने कैसे लिया बदला

एक लड़की है बाबूजी. घर के कामकाज के लिए आई है, कहो तो काम पर रख लें?’’ सुषमा ने बाबूजी की तरफ देखते हुए पूछा. केदारनाथ ने उस लड़की की तरफ देखा और सोचने लगे, ‘भले घर की लग रही है. जरूर किसी मजबूरी में काम मांगने चली आई है. फिर भी आजकल घरों में जिस तरह चोरियां हो रही हैं, उसे देखते हुए पूरी जांचपड़ताल कर के ही काम पर रखना चाहिए.’

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4. कुंआरे बदन का दर्द

‘‘जब तुम ने तलाक दिया तो मैं अपने मांबाप के पास गई. वे इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सके और 6 महीने के अंदर ही दोनों चल बसे. मैं तो उन की कब्र पर भी नहीं जा सकी क्योंकि औरतों का कब्रिस्तान में जाना सख्त मना है.

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5. अनमोल मंत्र: आखिर शिला भाभी ने कौन-सा मंत्र बताया

शिखा ने दामाद बड़ी होशियारी से चुने हैं. बड़े वाले की नौकरी यहां है लेकिन परिवार चंडीगढ़ में, इसलिए बीवी के परिवार को अपना मानेगा ही. छोटे वाला बिखरे घर से है यानी मांबाप का अलगाव हो चुका है. मां डाक्टर है, पैसे की तो कोई कमी नहीं है, लेकिन व्यस्त एकल मां के बच्चे को शिखा के घर का उष्मा भरा घरेलू वातावरण तो अच्छा लगेगा ही.

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6. सूर्यकिरण: मीना ने किस शर्त पर की थी नितिश से शादी

नितीश से अपनी पहली मुलाकात उसे आज भी अच्छी तरह याद हैं. चुस्तदुरुस्त और प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले नितीश को देखते ही वह प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी थी. पर उच्चशिक्षा और ऊंची नौकरी ने उस के आत्मविश्वास को गर्व की कगार तक पहुंचा दिया था.

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7.सौतेली मां

 

मां की मौत के बाद ऋजुता ही अनुष्का का सब से बड़ा सहारा थी. अनुष्का को क्या करना है, यह ऋजुता ही तय करती थी. वही तय करती थी कि अनुष्का को क्या पहनना है, किस के साथ खेलना है, कब सोना है. दोनों की उम्र में 10 साल का अंतर था. मां की मौत के बाद ऋजुता ने मां की तरह अनुष्का को ही नहीं संभाला, बल्कि घर की पूरी जिम्मेदारी वही संभालती थी.

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शरद यादव : एक औघड़ राजनीतिज्ञ

वरिष्ठ समाजवादी नेता और (जनता दल एकीकृत) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन निश्चित रूप से भारतीय राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा कर रहा है. 12 जनवरी 2022 की  रात उनकी बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी देश को दी. शरद यादव ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका देहावसान हुआ. अगर शरद यादव के व्यक्तित्व की बात करें तो एक औघड़ राजनीतिज्ञ के रूप में उन्हें और उनके जीवन को रेखांकित किया जा सकता है. जिनकी अपनी एक विशिष्ट शैली थी जो उन्हें अपने समकालीन बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों से अलग करती थी. अपने राजनीति के अंतिम दिनों में जहां उन्हें नीतीश कुमार से 36 के संबंधों के कारण एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल लालू यादव के निकट पहुंचाता है, वहीं संसद सदस्य में नहीं होने के कारण दिल्ली के अपने आवास को छोड़ने के लिए सुर्ख़ियों में आकर राजनीति की असंवेदनशीलता और अंधेरे पक्ष को भी जता गया. जिसमें कहा जा सकता है कि आज की राजनीति किसी की नहीं है.

शरद यादव चाहते थे कि अपना अंतिम समय अपने उस मकान में बिताएं जिसमें उन्होंने रहकर देश की सेवा की थी. मगर  सरकार ने आखिरकार आपको अपने बंगले से बाहर निकालकर दिखा दिया कि शरद यादव जैसे राजनीतिज्ञ जो कि अपने जीवन में एक मिथक बन जाते हैं के लिए भी आज की भाजपा सरकार में संवेदनशीलता नहीं है.

भारतीय राजनीति:शरद यादव,एक मिथक

जैसे ही शरद यादव के निधन की खबर देश में फैली शोक का माहौल बन गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी सहित कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद नेता तेजस्वी यादव समेत कई ने शोक जताया.

बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले शरद यादव लंबे समय से बीमार चल रहे थे. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक बयान में कहा गया है – यादव को अचेत अवस्था में आपातकालीन वार्ड में लाया गया . बयान में कहा गया है, ‘स्वास्थ्य जांच के दौरान, उनकी नाड़ी नहीं चल रही थी या रक्तचाप दर्ज नहीं किया गया. उपचार के सभी प्रयास नाकाम रहे। रात 10:19 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया . शरद यादव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा है उनके शोकाकुल परिजनों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं. देश के लिए उनका योगदान सदा याद रखा जाएगा.’कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘समाजवादी नेता और जद (एकी) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के निधन से मर्माहत हूँ. उन्होंने केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में दशकों तक देश की सेवा की. समता की राजनीति को मजबूत किया.’

शरद यादव ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1999 और 2004 के बीच कई मंत्रालय संभाले. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी शरद यादव के निधन पर दुख जताते हुए कहा-‘मंडल मसीहा, वरिष्ठ नेता, महान समाजवादी नेता, मेरे अभिभावक शरद यादव के असामयिक निधन की खबर से मर्माहत हूं। कुछ कह पाने में असमर्थ हूँ .”

शरद याद के देहावसान पर  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘शरद यादव के निधन से दुखी हूं. सार्वजनिक जीवन में अपने लंबे वर्षों में, उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया. वे डा लोहिया के आदर्शों से बहुत प्रेरित थे. मैं हमेशा अपनी बातचीत को संजोकर रखूंगा.’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शरद यादव को समाजवाद के पुरोधा होने के साथ एक विनम्र स्वभाव के व्यक्ति बताते हुए कहा, ‘मैंने उनसे बहुत कुछ सिखा .’पाठकों को स्मरण होगा कि जब शरद यादव पिछले समय बहुत बिमार चल रहे थे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी और शरद यादव को अपना गुरु बताया था.

Best Of Manohar Kahaniya: शक की पराकाष्ठा

सौजन्य- मनोहर कहनियां

लेखक-प्रकाश पुंज

उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद की तहसील ठाकुरद्वारा से लगभग 8 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित है गांव निर्मलपुर. वैसे तो इस गांव में हर वर्ग के लोग रहते हैं, लेकिन यहां ज्यादा आबादी मुसलिम वर्ग की है. 9 जून, 2019 को रात के कोई साढ़े 10 बजे का वक्त रहा होगा. उसी समय अचानक इसी गांव में रोहताश के घर से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं.

चीखने की आवाज सुन कर गांव के लोग चौंक गए, क्योंकि रोहताश का घर वैसे भी गांव के पूर्व में बाहर की ओर था. लोगों ने सोचा कि रोहताश के घर में शायद बदमाश घुस आए हैं. इसलिए पड़ोसी अपनीअपनी छतों पर चढ़ कर उस के घर की स्थिति का जायजा लेने लगे. लेकिन रात के अंधेरे में कुछ भी मालूम नहीं पड़ रहा था. इसी कारण कोई भी उस के घर पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.

रोहताश के घर से लगा हुआ उस के छोटे भाई छतरपाल का मकान था. छतरपाल का बड़ा बेटा सुनील प्रजापति अपने ताऊ के घर से चीखपुकार की आवाजें सुन कर समझ गया कि वहां कुछ तो गड़बड़ है. जानने के लिए वह अपनी छत पर चढ़ गया. उस ने देखा कि एक आदमी उस की ताई पर लिपट रहा है. यह देख कर वह तैश में आ गया.

वह फुरती से अपने घर की दीवार लांघ कर ताऊ रोहताश के घर में जा पहुंचा. वहां का मंजर देख कर वह डर के मारे थर्रा गया. उस वक्त उस ने देखा कि उस के ताऊ रोहताश के हाथ में कैंची है, जिस से वह ताई को मारने की कोशिश कर रहा था. वह उसी कैंची से अपने चारों बच्चों को पहले ही लहूलुहान कर चुका था.अपने सामने खड़े शैतान बने ताऊ को देखते ही उसे डर तो लगा लेकिन फिर भी उस ने जैसेतैसे कर हिम्मत जुटाई और फुरती दिखाते हुए उस ने अपने ताऊ को दबोच लिया. उस ने ताकत के बल पर उस के हाथ से वह कैंची भी छीन कर नीचे फेंक दी.

सुनील की हिम्मत को देखते हुए पड़ोसी भी घटनास्थल पर इकट्ठे हो गए. उसी दौरान रोहताश वहां से फरार हो गया. वहां पर मौजूद लोगों ने देखा कि उस के 4 बच्चे 18 वर्षीय सलोनी, 16 वर्षीय शिवानी, 14 वर्षीय बेटा रवि और सब से छोटा 10 वर्षीय बेटा आकाश बुरी तरह से लहूलुहान पड़े हुए चीख रहे थे. उन की नाजुक हालत देखते हुए गांव वालों के सहयोग से सुनील ने उन्हें ठाकुरद्वारा के सरकारी अस्पताल में पहुंचाया. रवि को देखते ही डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

तीनों बच्चों की बिगड़ी हालत को देखते हुए डाक्टरों ने उन्हें काशीपुर के हायर सेंटर रेफर कर दिया. काशीपुर में उन्हें एक निजी अस्पताल में भरती कराया गया, जहां पर 2 बच्चों की हालत ज्यादा नाजुक बनी हुई थी. अगले दिन ही सोमवार को इस मामले के सामने आते ही ठाकुरद्वारा पुलिस ने काशीपुर पहुंच कर घायल बच्चों की स्थिति का जायजा लिया. पुलिस ने रोहताश की पत्नी कलावती से जानकारी हासिल की.

पुलिस पूछताछ में कलावती ने बताया कि उस का पति रोहताश शराब पीने का आदी था. वह अपनी कमाई के ज्यादातर पैसे शराब पीने में ही खर्च कर देता था. वह और उस के बच्चे जब कभी भी उस से खर्च के लिए पैसों की मांग करते तो वह पैसे देने के बजाए उन्हें मारनेपीटने पर उतारू हो जाता था. कलावती ने पुलिस को बताया कि रविवार की शाम जब पति देर रात घर वापस लौटा तो काफी नशे में था. खाना खा कर सभी लोग छत पर सो गए. रात में उठ कर रोहताश ने गहरी नींद में सोए बच्चों पर कैंची से हमला करना शुरू कर दिया. उस ने चारों बच्चों को इतनी बुरी तरह गोदा कि उन की आंतें तक बाहर निकल आईं.

बच्चों के चीखने की आवाज सुन कर कलावती जाग गई. उस ने बच्चों को बचाने की कोशिश की तो वह उस पर भी कैंची से हमला करने लगा. उसी दौरान किसी तरह सुनील आ गया. यदि वह नहीं आता तो बच्चों की तरह वह उस का भी यही हाल कर देता.

पुलिस ने रोहताश के भाई विजयपाल सिंह की तहरीर पर रोहताश के खिलाफ हत्या और हत्या का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज कर लिया. मामले की विवेचना कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार सिंह ने स्वयं ही संभाली. कलावती से पूछताछ के बाद कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार सिंह को पता चला कि रोहताश के परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. कलावती के पास बच्चों का इलाज कराने के लिए पैसे भी नहीं थे. इस स्थिति को देखते हुए कोतवाल ने उसी वक्त घायल बच्चों के इलाज के लिए 50 हजार रुपए की मदद कलावती को की. उन्होंने 50 हजार रुपए कलावती के खाते में डलवा दिए.

घटना को अंजाम देने के बाद से ही रोहताश फरार हो गया था. उस का पता लगाने के लिए 3 पुलिस टीमें गठित की गईं. पुलिस टीमें रोहताश को हरसंभव स्थान पर खोजने लगीं. लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं था.

इस केस की गहराई तक जाने के लिए पुलिस ने रोहताश के परिजनों के साथसाथ उस के कुछ खास रिश्तेदारों से भी पूछताछ की. लेकिन इस पूछताछ में पुलिस के हाथ कोई ऐसा सुराग नहीं लगा, जिस के आधार पर पुलिस की जांच आगे बढ़ सके. उसी दौरान पुलिस को पता चला कि रोहताश काफी दिनों से परेशान दिख रहा था. उसे तांत्रिकों के पास चक्कर लगाते भी देखा गया था. तांत्रिक का नाम सामने आते ही पुलिस ने कयास लगाया कि कहीं यह सब मामला तांत्रिक से ही जुड़ा हुआ तो नहीं है.

पुलिस ने उस की बीवी कलावती से इस बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि उसे किसी के द्वारा जानकारी तो मिली थी कि वह आजकल किसी तांत्रिक के पास जाता है. क्यों जाता था, यह पता नहीं. गांव के कुछ लोगों ने पुलिस को बताया कि रोहताश अकसर किसी खजाने के मिलने वाली बात कहा करता था. उस ने गांव के कई लोगों के सामने कहा था कि उसे बहुत जल्दी खजाना मिलने वाला है. उस खजाने के मिलते ही उस की सारी गरीबी खत्म हो जाएगी. लेकिन उस ने कभी भी इस बात का जिक्र नहीं किया था कि उसे खजाना किस तरह से मिलने वाला है.

तांत्रिक की बात सामने आते ही पुलिस के सामने थाना डिलारी की घटना सामने आ गई. अब से लगभग 15 साल पहले थाना डिलारी के गांव कुरी में तांत्रिक के कहने पर एक आदमी ने अपने परिवार के 5 सदस्यों को गड़ा खजाना पाने की लालसा में इसी तरह से मौत की नींद सुला दिया था. अब पुलिस टीम उस तांत्रिक को खोजने लगी, जिस के पास रोहताश जाता था. पर काफी प्रयास करने के बाद भी तांत्रिक का पता नहीं चला. इस के साथ पुलिस ने आरोपी रोहताश की तलाश में आसपास के गांवों में छापे मारे लेकिन कहीं भी उस के बारे में जानकारी नहीं मिली. इस के बाद पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए उस के फोटो लगे पोस्टर छपवा कर अलगअलग गांव और जिले के कई थानों में लगवा दिए थे, जिस में ईनाम की भी घोषणा की थी.

पुलिस की टीमें अपने काम में जुटी थीं. उधर अस्पताल में भरती रोहताश के दूसरे बेटे आकाश ने भी दम तोड़ दिया. इस सूचना से सारे गांव में मातम सा छा गया. कलावती पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा था. उस के 4 बच्चों में 2 लड़के थे, जिन की इलाज के दौरान मौत हो गई थी जबकि एक बेटी की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई थी. उसी दिन शुक्रवार की देर शाम पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि रोहताश निर्मलपुर के जंगलों में छिपा है. इस सूचना पर कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार पुलिस टीम के साथ जंगलों में पहुंचे और घेराबंदी कर रोहताश को जंगल से अपनी हिरासत में ले लिया. पुलिस ने रोहताश से पूछताछ की तो उस ने इस वारदात के पीछे की जो कहानी बताई, वह बड़ी ही अजीबोगरीब निकली.

जिला मुरादाबाद के कस्बा ठाकुरद्वारा से लगभग 8 किलोमीटर दूर गांव निर्मलपुर में रोहताश अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी कलावती के अलावा 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. रोहताश टेलरिंग का काम करता था. उस के पास खेती की ढाई बीघा जमीन भी थी. बच्चों को पढ़ाने की खातिर उसे ज्यादा पैसे कमाने की इतनी धुन थी कि टेलरिंग के काम के साथसाथ वह गांव में चौथाई पर जमीन ले कर उस में भी खेती कर लेता था.

कई साल पहले की बात है रोहताश का अपने घर वालों से जमीन को ले कर विवाद हो गया था, जिस में कलावती ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. लेकिन कुछ दिनों बाद ही रोहताश ने अपने घर वालों से बोलना शुरू कर दिया. यह बात कलावती को बहुत बुरी लगी. कलावती ने पति की इस बात का विरोध किया लेकिन रोहताश ने पत्नी की बात को तवज्जो नहीं दी. फिर क्या था, इसी बात पर रोहताश और कलावती के बीच झगड़ा होने लगा. उन दोनों के पारिवारिक जीवन में खटास पैदा हो गई.

रोहताश पहले कभीकभार शराब पीता था, लेकिन पत्नी से कलह होने के बाद वह शराब का आदी हो गया. उस ने शुरू में टेलरिंग का काम सुरजननगर कस्बे में शुरू किया था, लेकिन शराब का आदी हो जाने के बाद उस ने अपने गांव के पास स्थित कालेवाला में अपना काम शुरू कर लिया. रोहताश के चारों बच्चे स्कूल जाने लगे थे, जिस के बाद उन की पढ़ाई और खानपान व अन्य खर्च बढ़े तो रोहताश को आर्थिक तंगी हो गई. कालेवाला में उस ने काम शुरू किया तो वहां काम जमने में भी काफी वक्त लग गया, जिस के कारण वह परेशान रहने लगा. उन्हीं बढ़ते खर्चों के कारण उसे बीवीबच्चे भार लगने लगे थे. जब कभी भी कलावती या बच्चे उस से पैसों की डिमांड करते तो वह झुंझला उठता और गुस्से में उन्हें अपशब्द भी कह देता था. कलावती उसे शराब पीने को मना करती थी लेकिन वह पत्नी की नहीं सुनता था.

इस बात से दुखी हो कर कलावती ने यह बात अपने भाई लक्खू को बताई. एक दिन लक्खू कल्याणपुर निवासी अपने बड़े बहनोई को ले कर गांव निर्मलपुर पहुंचा. उन दोनों ने रोहताश को समझाने की कोशिश की तो रोहताश ने कलावती में ही तमाम खामियां गिना दीं. उस वक्त भी उस ने कहीं भी अपनी गलती नहीं मानी थी. उन के जाने के बाद रोहताश ने पत्नी को आड़े हाथों लिया. उस के बाद तो रोहताश ने शराब पीने की अति ही कर दी थी. वह सुबह ही घर से काम पर जाने की बात कह कर घर से निकल जाता और देर रात नशे में धुत हो कर घर पहुंचता. ज्यादा शराब पीने से उस का शरीर भी काफी कमजोर हो गया था. जिस के कारण उस के मन में हीनभावना पैदा हो गई थी.

एक बात और वह खुद को नामर्द भी समझने लगा. अपने इलाज के लिए वह कई नीमहकीमों से भी मिला. लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. जब हकीमों से दवा लाने वाली बात कलावती को पता चली तो उस ने उसे दवा लाने से मना कर दिया. इस के बाद तो उसे अपनी पत्नी पर पूरा शक हो गया था कि उस के संबंध उस के जीजा के साथ हैं, इसी कारण वह उसे सेक्स की दवा लाने से मना करती है.

रोहताश की बेटियां काफी समझदार हो चुकी थीं, लेकिन उन्हें पढ़ाई करने की इतनी धुन थी कि उन्हें मोबाइल वगैरह से कोई लगाव नहीं था. 6 सदस्यों वाले इस घर में एक ही मोबाइल था, जो रोहताश के पास ही रहता था. जिस के कारण कलावती के किसी भी रिश्तेदार का फोन उसी के मोबाइल पर आता था. कलावती की सब से बड़ी मजबूरी यही थी कि उसे जब किसी भी रिश्तेदार से बात करनी होती तो वह या तो सुबह ही कर सकती थी या फिर शाम को. और रोहताश में सब से बड़ी कमी थी कि वह घर आ कर किसी के फोन आने की बात अपनी बीवी को नहीं बताता था. कई बार कल्याणपुर निवासी उस के साढ़ू ने उस की बीवी और बच्चों से बात करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन रोहताश हमेशा ही कह देता कि अभी वह बाहर है. घर जा कर बात करा देगा. घर जाने के बाद भी वह कोई न कोई बहाना करते हुए साढ़ू की बात नहीं कराता था. रोहताश अपने साढ़ू को गलत मान कर उस से चिढ़ने लगा था. फिर साढ़ू का बारबार फोन आने से उसे शक हो गया कि उस की बीवी के उस के साथ अवैध संबंध हैं, तभी तो वह बारबार उस से बात करना चाहता है.

विगत होली पर जब रोहताश के रिश्तेदार उस से मिलने आए तो उन्होंने कलावती से शिकायत की कि वह उन से फोन पर भी बात नहीं करती. तब कलावती को पता चला कि रिश्तेदारों ने उस से बात कराने के लिए रोहताश को कई बार फोन किया था, पर उस ने जानबूझ कर उस की बात नहीं कराई. इस पर कलावती बौखला उठी. उस ने पति को उलटीसीधी सुनाते हुए अपना एक अलग मोबाइल दिलाने की बात कही.

इस बात को भी रोहताश ने अपने साढ़ू से जोड़ते हुए सोचा कि वह जरूर अपने जीजा से बात करने के लिए ही अलग मोबाइल मांग रही है. यानी उस के दिमाग में शक का कीड़ा और भी बलवती हो उठा. मोबाइल दिलाने की बात को ले कर दोनों के बीच फिर से नोकझोंक हुई. बात इतनी बिगड़ी कि गुस्से में आ कर रोहताश ने अपना भी मोबाइल तोड़ डाला. उस के बाद उस ने पत्नी को हिदायत दी कि वह भविष्य में अपने जीजा से बात न करे अन्यथा अंजाम बहुत बुरा होगा. रोहताश की यह धमकी सुन कर कलावती ने इस की शिकायत अपने भाई लक्खू से कर दी. लक्खू ने फिर से अपने जीजा रोहताश को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोहताश पर उस की बातों का कोई असर नहीं हुआ.

साले के घर से जाते ही रोहताश ने बीवी को अपशब्द कहे, साथ ही उस ने उस से घर छोड़ कर चले जाने को भी कह दिया. इस पर दोनों में तकरार बढ़ गई. इसी तूतूमैंमैं के बीच कलावती ने पति से कहा कि यह घर छोड़ कर तो तुम्हें चले जाना चाहिए. यह घर मेरा, बच्चे मेरे. यहां पर तुम्हारा क्या है? रोहताश छोटी सोच का इंसान था. उस ने कलावती की बात को दूसरे नजरिए से देखते हुए अर्थ लगाया कि बच्चे भी उस के नहीं तो जरूर उस के साढ़ू के ही हैं. कलावती की बात सुनते ही वह अपना आपा खो बैठा. उस के मन में एक बात की गलतफहमी बैठी तो वह शैतान बन बैठा. वह उस दिन के बाद से बीवी और बच्चों का दुश्मन बन बैठा.

रोहताश अपने चारों बच्चों को उचित शिक्षा दिला रहा था ताकि उन की कहीं सरकारी नौकरी लग सके. उन की पढ़ाई के लिए ही उस ने दिनरात एक कर के काफी पैसा कमाया था. अपने सपने को साकार करने के लिए जितनी मेहनत उस ने की थी, उस से कहीं ज्यादा उस के बच्चे कर रहे थे. उस की सब से बड़ी बेटी सलोनी इस वक्त बीए फर्स्ट ईयर में और मंझली शिवानी कक्षा 12 में पढ़ रही थी. उस का बेटा रवि गांव गोपीवाला के जनता इंटर कालेज में 9वीं कक्षा में तथा सब से छोटा आकाश यहीं पर कक्षा-7 में पढ़ रहा था.

बीवी और बच्चों के प्रति उस के दिल में नफरत पैदा होते ही उस के दिल में शैतान पैदा हो गया. उस ने प्रण किया कि अगर ये चारों बच्चे उस के साढ़ू के हैं तो वह सभी को खत्म कर डालेगा. इस के बाद वह हर रोज ही अपनी बीवी और बच्चों को मौत की नींद सुलाने के लिए नएनए प्लान बनाने लगा. लेकिन वह अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो पा रहा था. इस दर्दनाक हादसे को अंजाम देने से 2 दिन पहले रोहताश उस रोज दुकान पर जाने के लिए घर से निकलता, लेकिन इसी उधेड़बुन में लगा रहा कि बीवी और बच्चों को किस तरह से मौत की नींद सुलाया जाए. वह दुकान जाने के बजाए दारू पीने के लिए इधरउधर ही भटकता रहा.

16 जून, 2019 को शाम को वह जिस वक्त अपने घर पहुंचा तो उस ने कुछ ज्यादा ही शराब पी रखी थी. इस के बावजूद भी उस की बीवी ने उसे खाना खिलाया. वह खाना खा कर छत पर जा कर सो गया. इस के बाद कलावती ने अपने बच्चों को खाना खिलाया और घर का कामधंधा निपटा कर वह भी छत पर सोने के लिए चली गई थी. उस के 3 बच्चे छत पर सोए थे जबकि बड़ी बेटी शिवानी उस रात नीचे घर में ही सो गई थी. रात के 10 बजतेबजते सभी सो चुके थे. लेकिन उस रात रोहताश की आंखों में खून बरस रहा था. वह काफी समय से सभी के सोने का इंतजार कर रहा था. उस रात उस ने घर आते ही सब से पहले अपनी बड़ी कैंची का नटबोल्ट खोल कर 2 भागों में कर ली. उस का एक हिस्सा चाकू की तरह हो गया था. कैंची के एक हिस्से को उस ने रात के सोते समय अपने सिरहाने रख ली.

जब उस की बगल में लेटी बीवी नींद में खर्राटे भरने लगी तो उस के अंदर बैठा शैतान जाग उठा. वह अपने बिस्तर से उठा और सीधा दूसरी छत पर सोए तीनों बच्चों के पास पहुंच गया. उस ने आव देखा न ताव, शैतान बन कर कैंची के एक भाग से बच्चों पर ताबड़तोड़ वार करने लगा. देखते ही देखते बच्चे चीखपुकार मचाने लगे. बहनभाइयों की चीख सुन कर जैसे ही शिवानी जीने पर आई तो रोहताश ने उस पर भी जानलेवा हमला कर दिया. उस के बाद जैसे ही कलावती उसे बचाने के लिए पहुंची तो उस ने उसे भी मारने की कोशिश की, लेकिन उस वक्त तक उस का भतीजा सुनील शोरशराबा सुन कर वहां आ गया था. जिस की वजह से कलावती मौत के मुंह में जाने से बच गई. रोहताश का पूरे परिवार को खत्म करने का इरादा था.

पुलिस ने कैंची का वह भाग भी बरामद कर लिया, जिस से उस ने बच्चों पर हमला किया था. रोहताश से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे मुरादाबाद की कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेज दिया. रोहताश की पत्नी कलावती ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को झूठा और पूरी तरह से निराधार बताया. उस ने पुलिस को बताया कि उस के चारों बच्चे रोहताश के ही हैं. कलावती ने पुलिस को बताया कि अगर उसे मेरे चरित्र पर शक था तो मुझे ही मारना चाहिए था. मैं तो उस के पास ही सो रही थी. गांव में इस मामले को ले कर चर्चा थी कि रोहताश ने गड़ा खजाना पाने के लिए ही किसी तांत्रिक के कहने पर यह कांड किया.

अकल्पित-भाग 1 : सोनम के दादा जी क्या किया था?

जींस और ढीलेढाले टौप में लिपटी हुई उस दुबलीपतली सी लड़की को मैं शायद ही कभी पहचान पाती, मगर जिस अंदाज में उस ने मुझे ‘चिकलेट मैम’ कह कर बुलाया था, उस से मैं समझ गई थी कि यह मेरे दिल्ली के स्कूल की मेरी ही कोई छात्रा रही होगी.

गोराचिट्टा रंग, कंधों तक खुले बाल और बड़ीबड़ी आंखों वाला निहायत मासूम सा चेहरा… देखते ही देखते मैं उसे पहचान तो गई थी, मगर अचानक मैं उन के पैरों की तरफ देखने लगी थी. कभी पोलियोग्रस्त रहने वाला उस का एक पैर अब काफी ठीक लग रहा था. लेकिन पुराने मर्ज के कुछ लक्षण शायद अभी भी बाकी थे. और उसी से मैं ने उसे क्षणभर में ही पहचान लिया था. वह यकीनन सोनम वर्मा ही थी.

‘‘सोनम… तू यहां… पूना में…” मैं ने पलभर में ही उसे गले लगाते हुए कहा था.

‘‘हां, हां… बस मैम… मैं अब यहां पूना में ही हूं… यहां मुझे इंफोसिस कंपनी में जौब मिली है… अभी तो मेरी ट्रेनिंग चल रही है…’’

‘‘अरे वाह. वैरी गुड… बहुत अच्छी और बड़ी कंपनी है… तुम ने पढ़ाई कब खत्म की…’’

‘‘मै ने दिल्ली में ही अपनी इंजीनियरिंग पूरी की मम… और फिर मुझे कालेज कैंपस इंटरव्यू में ही यह जौब मिली…’’

‘‘वैरी गुड… मुझे बहुत खुशी हुई. कौंग्रेच्युलेशन… चलो, अब मेरे घर चलो… मैं घर ही जा रही हूं… घर चल कर खूब बात करेंगे…’’

‘‘नहीं मैम… अभी नहीं… अभी तो हम सब फ्रैंड्स पिक्चर देखने जा रहे हैं… आप मुझे अपना एड्रैस बताइए…
मैं कल… कल पक्का आऊंगी…”

मैं ने फिर उसे अपने घर का पता ठीक से समझा दिया था और मैं अपने घर आ गई थी…

घर आते ही कहने को तो मैं अपने रोज के कामधाम निबटा रही थी, मगर मन 10-15 साल पीछे जा कर दिल्ली पहुंच गया था.

मैं उन दिनों दिल्ली के एक अंगरेजी मीडियम स्कूल में सीनियर केजी की टीचर थी. मेरी क्लास में 60 बच्चे होने के कारण यह क्लास हम 2 टीचर मिल कर संभालते थे. एक मैं और दूसरी मेरी सहशिक्षिका मिसेस आभा…

आभा मुझ से 3 साल सीनियर थी और उसे अपने काम का अच्छाखासा अनुभव था. देखने में बहुत ही खूबसूरत और नाजुक सी होने के बावजूद वह बच्चों के मामले में काफी सख्त थी. उस के शिक्षाबद्ध स्वभाव की वजह से क्लास के अधिकतर बच्चे मुझ से ज्यादा घुलमिल जाते थे… ‘चिकलेट मैम’, ‘चिकलेट मैम’ कहते हुए मेरे आसपास मंडराते रहते.

लेकिन सोनम जाने क्यों आभा को ज्यादा पसंद करती थी. बच्चों की मानसिकता भी बड़ी अजीब होती है. जो उन्हें पसंद आ जाए, उसे ही वे पसंद करते हैं… और उस का कोई कारण नहीं होता. सोनम भी ऐसी ही थी.

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