वरिष्ठ समाजवादी नेता और (जनता दल एकीकृत) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन निश्चित रूप से भारतीय राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा कर रहा है. 12 जनवरी 2022 की  रात उनकी बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी देश को दी. शरद यादव ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका देहावसान हुआ. अगर शरद यादव के व्यक्तित्व की बात करें तो एक औघड़ राजनीतिज्ञ के रूप में उन्हें और उनके जीवन को रेखांकित किया जा सकता है. जिनकी अपनी एक विशिष्ट शैली थी जो उन्हें अपने समकालीन बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों से अलग करती थी. अपने राजनीति के अंतिम दिनों में जहां उन्हें नीतीश कुमार से 36 के संबंधों के कारण एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल लालू यादव के निकट पहुंचाता है, वहीं संसद सदस्य में नहीं होने के कारण दिल्ली के अपने आवास को छोड़ने के लिए सुर्ख़ियों में आकर राजनीति की असंवेदनशीलता और अंधेरे पक्ष को भी जता गया. जिसमें कहा जा सकता है कि आज की राजनीति किसी की नहीं है.

शरद यादव चाहते थे कि अपना अंतिम समय अपने उस मकान में बिताएं जिसमें उन्होंने रहकर देश की सेवा की थी. मगर  सरकार ने आखिरकार आपको अपने बंगले से बाहर निकालकर दिखा दिया कि शरद यादव जैसे राजनीतिज्ञ जो कि अपने जीवन में एक मिथक बन जाते हैं के लिए भी आज की भाजपा सरकार में संवेदनशीलता नहीं है.

भारतीय राजनीति:शरद यादव,एक मिथक

जैसे ही शरद यादव के निधन की खबर देश में फैली शोक का माहौल बन गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी सहित कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद नेता तेजस्वी यादव समेत कई ने शोक जताया.

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