10 मिनट में हम ट्रांजिट कैंप में पहुंच गए. मैं उन के औफिस में गई. मूवमैंट और्डर पर स्टैंप लगवाई और गाड़ी में आ कर बैठ गई. गाड़ी यूनिट की ओर चल दी.यूनिट में पहुंच कर मैं ने एडयूडैंट कैप्टन अर्जुन सिंह को रिपोर्ट किया. उन्होंने मेरा उठ कर जबरदस्त स्वागत किया. तुरंत गरमागरम चाय मंगवाई. सर्दी बहुत थी, मैं ने केवल ठंडी कमीज पर कोटपारका पहना हुआ था. चाय की मुझे सख्त जरूरत थी. चाय पी कर बहुत अच्छा लगा.
कैप्टन अर्जुन सिंह ने कहा, ‘आप अपने सहायक को ले कर क्वार्टरमास्टर में जा कर स्नो क्लोथिंग और एक्स्ट्रा क्लोथिंग ले लें. फिर इस वातावरण में घुलमिल जाने के लिए अगले 48 घंटे रैस्ट में रहेंगी. ‘सतनाम सिंह,’ कैप्टन साहब ने आवाज दी. मेरा सहायक तुरंत हाजिर हुआ.‘मैडम को क्वार्टरमास्टर के पास ले जाओ और सारे कपड़े दिला दो और इन के कमरे में रखवा देना. अपस्लोटर खान को बुला कर ले आना. मैडम की सारी यूनिफौर्म फिट करवा कर तैयार करवा देना.’
‘जी, साहब.’‘लै. नीरजा, खान है तो टैंट रिपेयर करने के लिए लेकिन यूनिफौर्म बहुत अच्छी फिट करता है. हम सब उसी से यूनिफौर्म फिट करवाते हैं. सौ रुपया एक यूनिफौर्म का लेता है. आप नाप देने के बजाय उस को अपनी कमीज और पैंट दे देना. वह उस के मुताबिक फिटिंग कर देगा.’‘जी,’ कह कर मैं उठ खड़ी हुई. सैल्यूट किया और कमरे से बाहर आ गई. सतनाम मुझे क्वार्टरमास्टर के पास ले गया. सभी ने मुझे उठ कर सैल्यूट किया. क्वार्टरमास्टर सूबेदार रवि किशन थे. मैं ने अपना परिचय दिया, ‘मैं लै. नीरजा गुप्ता, आप की यूनिट में नई पोस्टिंग आई पर हूं.’
‘मैडम, आप का स्वागत है. मेन औॅफिस में आप का मूवमैंट और्डर आया था तो सभी उत्सुक थे कि पहली बार किसी महिला अफसर को यूनिट में देखेंगे,’ सूबेदार रवि ने कहा.दस मिनट में मुझे सारा क्लोथिंग दे दिया गया. सतनाम मुझे अपने कमरे ले आया. कमरा साफसुथरा और सुंदर था. पलंग, टेबल, 2 कुरसियां रखी थीं. टेबल पर टैलीफोन था. वाशरूम देखा, वह भी मौडर्न था. गीजर से ले कर अन्य सारी सुविधाएं उपलब्ध थीं.‘मैडम, अब आप आराम करें. आप 48 घंटे के रैस्ट पर हैं. यह इंटरकौम रखा है, आप वर्कशौप में किसी से भी बात कर सकती हैं. सभी आप से भी बात कर सकते हैं,’ सतनाम थोडी देर के लिए रुका, फिर बोला, ‘मैडम जी, आप वाशरूम में जा कर इजी हो जाएं. मैं आप के लिए नाश्ता लाता हूं.’
तभी टैलीफोन की घंटी बजी, ‘हैलो.’
‘जयहिंद मैम, मैं अफसर मैस से हवलदार शेखर बोल रहा हूं. जी, मुझे आप की डाइट के बारे में पूछना है कि आप मीट ईटर हैं, ऐग ईटर या वैजीटेरियन हैं. मैं उसी के अनुसार आप का ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर तैयार करवाऊंगा.’‘मैं ऐग इटर हूं,’ मैं ने जवाब दिया और फोन बंद कर दिया.सतनाम, मेरा नाश्ता लेने अफसर मैस चला गया था. मैं ने मिले क्लोथिंग में से अंडरपैंट वूलन, वेस्ट वूलन फुलस्लीव निकाली और बक्से में से नाइट सूट निकाला और यूनिफौर्म चेंज करने के लिए वाशरूम में घुसी. यूनिफौर्म हैंगर में लगा कर अलमारी में रख दी. सिर पर मैं ने कैप वलकलावा ही पहनी. दूसरी कैप मेरे पास नहीं थी. सतनाम नाश्ता ले आया. चाय थरमस में थी. नाश्ता करने लगी तो सतनाम चाय कप में डालने लगा. मैं ने उसे रोका, कहा, ‘चाय अभी मत डालो, ठंडी हो जाएगी. मुझे चाय तेज गरम चाहिए होती है. नाश्ता कर लूं, फिर डालना.’
‘जी, मैडम. आप अभी तक कैपवलकलावा ही पहने हैं?’ ‘हां, सतनाम. मेरे पास दूसरी कैप नहीं है.’
‘कोई बात नहीं, मैडम जी, यहां यूंनिट कैंटीन में बड़ी अच्छीअच्छी कैप आई हुई हैं. सिविल ड्रैस में पहनने के लिए. आप चलें मेरे साथ कैंटीन में. कैप ले लें. सभी अफसर पहनते हैं.’
‘मेरी सैलरी अकाउंट में नहीं आई है.’‘पैसों की जरूरत नहीं है, मैडम जी. सभी अफसरों को 2 महीने का क्रैडिट मिलता है. कैप ही नहीं, और भी जो चाहिए, मिल जाएगा. क्वार्टरमास्टर के साथ ही कैंटीन है.’
मैं नाश्ता खत्म कर के चाय पीने लगी. चाय गरम और बहुत टैस्टी थी. चाय पी कर मैं कैंटीन पहुंची. मुझे देख कर सब खड़े हो गए और सैल्यूट. सतनाम को साथ देख कर वे समझ गए थे कि मैं ही यूनिट में नई अफसर आई हूं.
‘जी, मैम.’‘मुझे अच्छी कैप चाहिए जो मैं सिविल ड्रैस के साथ पहन सकूं.’
‘जी, मैम,’ कह, वह कैप का डब्बा ले आया. कैप वलकलावा की तरह मैं ने 2 कैप लीं, एक काले रंग की जोकिसी भी ड्रैस के साथ पहनी जा सकती थी, दूसरी ग्रे रंग की.‘आप के पास अच्छे नाइटसूट हैं जो इतनी सर्दी में पहने जा सकें?’‘जी, मैम. अभी नया स्टाक आया है.’दो नाइटसूट लिए. पीयर सोप, टूथपेस्ट और जो भी जरूरत की चीजे थीं, सब ले लीं.मैं जाने लगी तो कैंटीन इंचार्ज बोला, ‘सिविल ड्रैस पर पहनने के लिए कोटपारका आया है. वह भी देख लें, आप को अच्छा लगेगा.’
मैं ने कोटपारका पहन कर देखा. सच में बहुत सुंदर था. मैं ने वह भी ले लिया. सब क्रैडिट पर मिल गया. सतनाम सब सामान कमरे में ले आया. नाइटसूट पहन कर देखे तो सब ठीक थे. केवल यूनिफौर्म फिट करवानी थी.‘ सतनाम, अपलोस्टर को बुला लाओ, यूनिफौर्म फिट करने के लिए दे दें.’
‘जी, मैडम.’ कह कर सतनाम चला गया. थोड़ी देर बाद एक अधेड़ उम्र के आदमी ने सलाम किया.‘आदाब मैम, मैं, अपलोस्टर खान.’.‘सतनाम, यह काला बक्सा खोलो. इस में ठंडी यूनिफौर्म है, उसे निकालो.’
‘यह, मैडम.’‘हां, यही.’‘खान, नाप के लिए ड्रैस ले जाओ. आप को पता है, यूनिफौर्म के नीचे बहुत से कपड़े पहने जाएंगे. इस हिसाब से आप कम से कम दोदो इंच खुली रखना. मैं ने एक्स्ट्रा लार्ज साइज ईयू करवाया है. मुझे यूनिफौर्म का मीडियम साइज आता है. पहले एक यूनिफौर्म फिट कर के दिखा देना. कितनी देर में दिखाओगे?’
‘मैम, लंच से पहले दिखा दूंगा.’‘आज मुझे कितनी यूनिफौर्म फिट कर के दे दोगे?’
‘कम से कम 2 यूनिफौर्म.’‘कुछ एडवांस चाहिए?’‘नहीं, मैम.’‘ठीक है, खान, अब आप जा सकते हैं. मुझे कम से कम 2 युनिफौर्म आज चाहिए.’‘मिल जाएंगी, मैम.’खान चला गया तो मैं ने सतनाम से कहा, ‘ऐसा करो, बक्से के सारे कपड़े निकाल कर हैंगर में लगा कर अलमारी में रख दो. फिर सोने के लिए मेरा बिस्तर तैयार कर दो.’सतनाम चुपचाप अपना काम करने लगा. इतने में बाहर का दरवाजा खटका. कुक एक ट्रे में चाय की थरमस और कुछ स्नैक्स ले कर खड़ा था. मैं ने उसे अंदर बुला कर चाय सर्व करने के लिए कहा. मैं चाय की चुस्कियां लेने लगी. मैं ने सतनाम से पूछा, ‘इस समय आप लोगों को चाय नहीं मिलती?’
‘मिलती है, मैडम जी, पर उस के लिए अभी विसल नहीं बजी है.’
थोड़ी देर बाद विसल बजी, तो सतनाम चाय पीने चला गया.‘मैडम जी, मैं चाय पी कर आता हूं, बाकी काम आ कर करता हूं. आप को कुछ नहीं करना है, जी.’सतनाम तो अच्छे घर का लड़का लगता है. कोई मजबूरी रही होगी जो हैल्पर में भरती हुआ. देश में गरीबी सब से बड़ी मजबूरी है. मैं गहरी सोच में डूब गई.
‘मे आई कम इन, मैडम?’‘यस, कम इन.’‘जयहिंद मैम, मैं मैस हवलदार शेखर हूं. मैं आप से लंच और डिनर का मीनू पूछने आया था.’
‘क्या सभी अफसर खाने का अलगअलग मीनू देते हैं? आप सब की पसंद का खाना सर्व करते हैं?’
‘मैम, 4 अफसर ही तो हैं. उन में से एक और्डनैंस अफसर हैं. दाल, चावल और रोटी तो सब के लिए एकजैसी बनती है लेकिन सब्जी अलगअलग पसंद की बनाते हैं. इस तरह 4 सब्जियां खाने को मिल जाती हैं.’‘मुझे आलू की सब्जी बहुत पसंद है, चाहे वह किसी भी तरह बनाई जाए. लेकिन आलू मीठे नहीं होने चाहिए.’‘नहीं मैम, हल्द्वानी के आलू खरीदे जाते हैं. वे मीठे नहीं होते. एक बजे आप का लंच यहीं आ जाएगा. वैसे, आप की और सीओ साहब की पसंद एकजैसी है. उन को भी आलू बहुत पसंद हैं.’ यह कह कर मैस हवलदार चला गया.
सतनाम चाय पी कर लौट आया था. उस ने बक्से का सारा सामान अलमारी में सजा दिया. 2 जोड़ी बड़े बूट उस ने पलंग के नीचे रख दिए. बिस्तर के लिए सब से पहले मैटरस बिछाई. उस के ऊपर 2 कंबल बिछाए. बैडहोल्डाल से निकाली सफेद बैडशीट बिछाई. सिरहाना रखा और उस के दूसरी छोर पर स्लीपिंग बैग रख दिया. मेरा बिस्तर तैयार था.‘मैडम जी, अब मैं जाता हूं, लंच के बाद आऊंगा. दोनों बूट तैयार कर दूंगा.’
सतनाम निकला तो खान ने दरवाजा खटकाया, ‘मैम, इस वर्दी की फिटिंग देख लें, ठीक हुई तो इसी के मुताबिक बाकी वर्दियां तैयार की जाएंगी. मैं वाशरूम में गई और पहन कर देखी. परफैक्ट फिटिंग थी.
मैं ने बाहर आ हर कहा, ‘ बिलकुल ठीक है. इसी के अनुसार फिटिंग कर देना. गरम पैंटों की फिटिंग सफाई से करना.’
‘उस की आप चिंता न करें. कोई शिकायत नहीं मिलेगी.’ सर्दी लग रही थी, खासकर पैरों को. मैं ने अलमारी से गरम सौक्स निकाले, पहन कर स्लर्र्पिंग बैग में घुस गई. सेना में सबकुछ व्यवस्थित होता है. खुद को सैटल करना कितना आसान है. मुझे पता ही नहीं चला, कब नींद आ गई. मेरी आंख तब खुली जब कुक लंच ले कर हाजिर हुआ. टेबल पर लंच लगाने में सतनाम कुक की हैल्प कर रहा था.
‘मैडम जी, उठो लंच कर लो. मैं क्वार्टरमास्टर से रूमहीटर ले आया हूं. दिनरात चलने दें, कमरा गरम रहेगा.’ मैं लंच करने लगी. कुक और सतनाम बाहर इंतजार करने लगे. खाना घर से भी ज्यादा स्वादिष्ठ था. पेट भर खाया. मैं ने सतनाम को आवाज दी. कुक बरतन उठा कर ले गया. मैं कुरसी पर बैठ कर घर में बात करने लगी. मां, बाऊ जी से बात हुई. मैं ठीक से सैटल हो गई हूं. सर्दी बहुत है. मैं इस मौसम में घुलमिल जाने के लिए 2 दिन के रैस्ट पर हूं. शानदार कमरा है. अटैच वाशरूम है. गरम कपड़ों से ले कर सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. चिंता की कोई बात नहीं है. यह जानकर सब बहुत खुश हुए. लड़की को इतनी दूर भेजने से मां, बाऊ जी कतरा रहे थे.
मैं फिर स्लीपिंग बैग में घुस गई. हीटर के कारण कमरा गरम हो गया था. सतनाम ने दोनों बूट चमका दिए थे. पलंग के नीचे बूट रख कर सतनाम ने कहा, ‘मैडम जी, मैं जा रहा हूं. अंदर से कुंडी लगा लें. मैं अपलोस्टर के पास बैठूंगा. आप की यूनिफौर्म फिट करवा कर वाश और प्रैस करवा कर आऊंगा.’
‘सतनाम, कैंटीन से लाए नाइटसूट, कैप वलकलावा और कोटपारका भी ले जाओ. यहां ड्राईक्लीन की सुविधा है?’
‘है, मैडम जी. सब है. अब शाम 6 बजे आऊंगा. आप की चाय भी 6 बजे आती है.’
मैं कुंडी लगा कर बिस्तर में घुस गई. खूब सोई इतना कि सुबह फ्लाइट लेने में खराब हुई नींद पूरी हो गर्ह. घड़ी की ओर देखा तो शाम के 6 बजने वाले थे. मैं वाशरूम में गई. फ्रैश हो कर बाहर आ गई. दरवाजा खटका. मैं ने खोला तो सतनाम सारे कपड़े ले कर अंदर आया. उस के पीछे कुक चाय की ट्रे ले कर खड़ा था. मैं बिस्तर पर ही बैठी रही. कुक ने मुझे वहीं चाय पकड़ा दी. कप वह बाद में ले कर जाएगा. चाय मन मुताबिक गरम और टैस्टी थी.
‘यह आप का ठंडा ड्रैस जो आप ने नाप के लिए दिया था. यह भी धुल कर प्रैस हो गया है. आप की 2 यूंनिफौर्म बिलकुल तैयार हैं. मैं इन को स्टार लगा कर हैंगर में लगा देता हूं. मैडम जी, और हैंगर हैं?’
‘शायद नहीं हैं.’‘कोई बात नहीं. मैं कैंटीन से अभी ले कर आता हूं. 12 हैंगर ले आऊं?’
‘पैसे ले जाओ.’ ‘कैंटीन वाला आप से क्रैडिट बिल साइन करवा लेगा. वह कच्चे कागज पर लिख कर मेरे साइन ले लेगा.’ थोड़ी देर बाद वह हैंगर ले कर लौट आया. मेरी दोनों यूनिफौर्म स्टार लगा कर तैयार कर दी हैं. यहां बौर्डर एरिया में पीतल के स्टार नहीं लगते हैं. वेब के बने स्टार होते हैं, उन्हें लगाया जाता है. कोटपारका में भी वेब के स्टार लगा कर हैंगर में टांग दिया. बूट और बैल्ट पहले ही तैयार कर दी थीं.
‘अच्छा मैडम जी, अब मैं जाता हूं. कल सुबह हाजिर होऊंगा. कोई काम पड़े तो मैस हवलदार को बता दीजिएगा. मुझ तक संदेशा पहुंच जाएगा.’
सतनाम चला गया. परसों मेरा बटालियन कंमांडर से इंटरव्यू है. उस के लिए सब तैयारी हो चुकी थी. बाहर हवा फिर तेज हो गई थी. सतनाम कह रहा था कि सरदार जी के दिमाग की तरह यहां के मौसम का भी पता नहीं चलता है कि कब बिगड़ जाए. कह कर वह हंस दिया था. बाद में उस ने बताया था कि वह खुद सिख फैमली से है. घर में बूढ़े मांबाप के अलावा और कोई नहीं है. बुजुर्गों का बनाया घर है जिन में वे रहते है. वह पैसे भेजता है तो उन का दानापानी चलता है. ‘शादी नहीं की?’ इस पर उस ने कहा था, ‘हम गरीब आदमियों को कौन लड़की देता है, मैडम जी. हमारा जीवन ही घर से बाहर गुजरता है.’
आगे वह कुछ बोल नहीं पाया था. मैं ने भी उसे नहीं कुरेदा. दरवाजा खटका. मैं ने पूछा, ‘कौन?’ ‘मैम, बार ब्वाय. ड्रिंक ले कर हाजिर हुआ हूं.’
‘अंदर आ जाओ.’ट्रे में रम की बोतल, व्हिस्की की बोतल, वाइन, गिलास और स्नैक्स रखे थे. ब्वाय के पूछने पर मैं ने कहा, ‘मैं तो केवल वाइन पीती हूं.’‘मैं वाइन भी लाया हूं पर वाइन से सर्दी नहीं जाएगी. आप अंदर बैठी हैं, हीटर चल रहा है, इसलिए सर्दी महसूस नहीं हो रही है. बाहर खून जमा देने वाली सर्दी है. सिर्फ रम इस का इलाज है. एक पैग रोज सरकार की तरफ से मिलती है, जी. मैम, कहिए रम दूं या कुछ और.’‘ठीक है, एक पैग रम का दे दो.’ बनिए परिवार की लड़की, जहां मीट, अंडा और शराब पीना वर्जित है, आज रम पिएगी. कुछ देर के लिए मन के भीतर अपराधबोध आया, फिर मैं ने उसे झटक दिया. यहां लेह में जमा देने वाली सर्दी है. रम, व्हिस्की के सहारे ही जीना पड़ेगा.‘कुछ स्नैक्स भी लाए हो?’‘जी, मैम. पनीर के पकौड़े लाया हूं.’
उस ने एक पैग गिलास में डाला, पानी की बोतल से पानी डाला. मैं ने थोड़ा और पानी डालने के लिए कहा. प्लेट में पकौड़े डाले. बोला, ‘आप ड्रिंक लें, मैं जाता हूं. मैं ने एक पैग और दूसरे गिलास में डाल दिया है. अच्छा लगे तो पी लीजिएगा. मैम, अभी 8 बजे हैं, 9 बजे डिनर ले कर आऊंगा.’धीरेधीरे मैं ने एक पैग गटक लिया. सर्दी के कारण पता ही नहीं चला कि कुछ नशा हुआ है. सरूर तो आया लेकिन इतना नहीं. मैं ने दूसरे गिलास में रखे पैग में भी पानी डाला और पीने लगी. पनीर के पकौड़े भी अच्छे बने थे. मैं ने 2 पैग लगाने में 45 मिनट लगाए. पैरों को सर्दी महसूस होने लगी थी. मैं बिस्तर में आ कर बैठ गई.
डिनर भी आने वाला होगा. 9 बजने के ठीक 5 मिनट पहले डिनर आ गया. बड़े टिफिन और हौटकेस में सब पैक था. टेबल पर डिनर लग गया. डिनर लाने वाला बाहर चला गया. बिस्तर से उठते ही नशे के कारण थोड़े पांव लड़खड़ाए. कुरसी को पकड़ कर मैं संभल गई. रम पीने का पहला अनुभव था. जानती हूं, धीरेधीरे इस की आदत हो जाएगी. सर्दी भी कम महसूस हो रही थी. मैं ने डिनर खत्म किया. थोड़ी देर में ब्वाय टिफिन और हौटकेस ले गया. मैं बिस्तर पर आ गई. एक बार सोचा, घर में बात कर लेती हूं, फिर मन में आया, इस समय की तो जबान लड़खड़ाएगी. बात करने का विचार त्याग दिया. मैं ने कोटपारका उतार कर अलमारी में टांग दिया. बिस्तर पर स्लीपिंग बैग ले कर बैठ गई. बाहर किसी के कदमों की आवाज आ कर ठहर गई.
‘लै. नीरजा, गुडइवनिंग. कैसी हैं आप?’यह तो कैप्टन अर्जुन की आवाज है. मैं ने तुरंत दरवाजा खोला, ‘आइए सर, अंदर आ जाइएगा. बाहर सर्दी बहुत है.’‘मैं पूछने आया था कि आप सैटल हो गईं? खाना खा लिया?’ कहते हुए वे अंदर आ गए.‘जी, बिलकुल सैटल हो गई. ड्रिंक भी लिया और खाना भी खाया.’
‘कल शाम को आप की डाइनिंग इन पार्टी है. फिर मैस में जा कर अपना ब्रेकफास्ट, लंच, और डिनर ले सकेंगी. ड्रैस आप की कौन सी पहननी है, समय रहते बता दिया जाएगा. परसों आप की ठीक 9 बजे बटालियन कमांडर ब्रिगेडियर खुराना साहब से इंटरव्यू है. मैं आप के साथ चलूंगा. 9 बजे का मतलब है, 8 बजे ब्रेकफास्ट कर के हम यहां से चलेंगे. आधा घंटा हमें वहां पहुंचने में लगेगा. उस के बाद सीओ साहब का इंटरव्यू. डीटेल में आप को बताया जाएगा कि आप को क्या करना है. आप उस के मुताबिक तैयार रहिएगा.’
‘जी सर, मैं समय पर तैयार रहूंगी.’‘दैन ओके, मैं चलता हूं. गुडनाइट.’मैं फिर लेट गई. अब कोई आने वाला नहीं था. कब नींद आई, पता ही नहीं चला. सुबह दरवाजा खटकने से नींद खुली. घड़ी देखी, सुबह के 6 बजने वाले थे. कुंडी खोली, सामने मैस ब्वाय चाय ले कर खड़ा था. चाय गिलास में डाली और चला गया. मैं चाय पीने लगी. सतनाम आ गया था. उस ने वाशरूम का गीजर औन कर किया. बाहर आ कर बोला, ‘मैडम जी, आप चाय पी कर फ्रैश हो लेना. 8 बजे आप का ब्रेकफास्ट आ जाएगा.’मैं ने कमरे का दरवाजा बंद किया और फ्रैश होने के लिए वाशरूम में घुस गई. आधे घंटे में नहा कर बाहर आ गई.
सतनाम कह रहा था, ‘मैडम जी, 2 काम रोज जरूर करना. एक रोज नहाना चाहे कितनी भी सर्दी क्यों न हो, दूसरे, रात को सोने से पहले गरम पानी में नमक डाल कर पैर धोना. पैर कम से कम 15 मिनट पानी में डूबो कर रखना जी. पैर पोंछ कर, सुखा कर गरम सौक्स पहन कर सोना जी. इस से अच्छी नींद आएगी और आप के पैर कभी खराब नहीं होंगे जी. यहां सर्दी में पैर बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं. सिर में हवा भी बहुत जल्दी लगती है. हमेशा कैपवलकलावा पहन कर रखना जी. रात को सोते समय भी. कईयों के होंठ फट जाते हैं. मैं आप को क्वार्टरमास्टर से लिपसोल ला दूंगा. सभी को मिलती है.’
समय पर ब्रेकफास्ट कर लिया. 10 बजे के करीब मैं ने कैप्टन अर्जुन को फोन किया, गुडमौर्निंग सर, कमरे में पड़ेपड़े बोर हो रही हूं. क्या मैं आप के साथ बैठ कर कुछ टाइम पास कर सकती हूं?’‘यू वर मोस्ट वैलकम बट यू आर नौट अलाउड टू गो आउट औफ द रूम. विल मीट यू इन द इवनिंग, इन डाइनिंग इन पार्टी. मैं आप को पढ़ने के लिए कुछ किताबें भेज देता हूं. बोरियत कम महसूस होगी.’
‘थैंक्स, सर.’ मैं ने फोन बंद कर दिया.चाय आई, लंच किया, फिर शाम का इंतजार करने लगी. 5 बजे की चाय के साथ एक इनविटेशन कार्ड आया, डाइनिंग इन पार्टी के लिए. 3 पीस ड्रैस पहननी थी यानी कोट, पैंट और स्वैटर. यहां सर्दी में कमीज, पैंट, फुल स्लीव स्वैटर, उस के उपर कोट, सिर पर कैप बलकलावा पहनना होगा. नीचे वेस्ट वूलन और अंडर पैंट वूलन भी रहेगा. पतले से पतला व्यक्ति भी इतने कपड़े पहन कर मोटा लगे.
7 बजे पार्टी के शुरु होने का समय था. 15 मिनट पहने जा कर बैठना था. मैं 6.30 बजे तैयार हो गई थी. 6.40 पर कैप्टन अर्जुन मुझे अफसर मैस तक एस्कोर्ट करने आए. हालांकि ऐटीकेट ट्रेनिंग में यह सब बताया गया था. फिर भी बड़ा अजीब लग रहा था. इस प्रकार का प्रोटोकौल और इज्जत केवल फोर्स में ही मिलती है.5 मिनट में हम अफसर मैस पहुंच गए थे. वहां केवल एक अफसर बैठे थे. उन्होंने अपना परिचय कैप्टन मल्होत्रा, आर्मी और्डनैंस कोर, टैक्निकल स्टोर के अफसर इंचार्ज. यानी, कल-पुर्जों के लिए हमें इन के पास जाना होगा.सीओ साहब का इंतजार था. 7 बजने से 2 मिनट पहले सीओ साहब का प्रवेश हुआ. आते ही उन्होंने मुझ से हाथ मिलाया, ‘मैं कर्नल रविंदर सुब्रमनियम.’‘मैं, लै. नीरजा गुप्ता, सर.’
‘रिलैक्स लै. नीरजा. आप सभी भी आराम से बैठें. लै. नीरजा, आप कहां की रहने वाली हैं? गुप्ता फैमली की लड़की सेना में कैसे?’
‘मैं गुरु की नगरी अमृतसर की रहने वाली हूं, सर. मैं जब इंजीनियरिंग कालेज में थी, तभी मैं ने तय कर लिया था कि मैं भारतीय सेना में जाऊंगी. यूपीएससी ने सेना के लिए स्थाई टैक्निकल अफसरों की वैकेंसी निकाली तो मैं ने तुरंत अप्लाई कर दिया. परिवार का विरोध जरूर था लेकिन आखिर में मान गए. मैं कपड़े के व्यापारी फैमली से हूं.’सभी को ड्रिंक सर्व हो गया था. थोड़ा पीने के बाद सभी इंफौर्मल होने लगे थे. सभी अनुशासित थे. मुझ से ट्रेनिंग के बारे में पूछते रहे. आप मेल कैडेट के साथ ट्रेनिंग लेती रही थीं या आप के लिए अलग स्क्वैड बनाया गया था.
‘हम 30 महिला कैडेट थीं. हमारे लिए अलग स्क्वैड बनाया गया था. हम पर आईएमए के एडयूडैंट साहब की सख्त नजर थी. वे रोज आ कर पूछते थे कि ट्रंनिंग ठीक से चल रही है, कोई इंस्ट्रक्टर तंग तो नहीं करता. कोई अभद्र भाषा का प्रयोग तो नहीं करता. अगर करे तो तुरंत बताना, हिचकचाना नहीं. इसलिए ट्रेनिंग में कोई मुश्किल नहीं हुई. भागदौड़ तो रही पर सब आसानी से निबट गया.8 बजे डिनर लग गया. डिनर के बाद सब से पहले सीओ साहब गुडनाइट कर के निकले. उस के बाद और्डनैंस अफसर, फिर मैं और कैप्टन अर्जुन. मुझे अपने कमरे तक छोड़ कर वे अपने कमरे में चले गए.
कल बटालियन कमांडर साहब का इंटरव्यू था. मैं जल्दी सो गई. सुबह बैड टी आने पर उठी. चाय पी और फ्रैश होने चली गई. आज ब्रेकफास्ट मुझे मैस में जा कर करना था. सतनाम आ गया था. उस ने यूनिफौर्म, बैल्ट, बूट निकाल दिए थे और बाहर चला गया था. वह जानता था, मैं उस के सामने यूनिफौर्म नहीं पहन सकती थी.10 मिनट में तैयार हो कर मैं मैस जाने लगी. सतनाम ने आ कर कहा, ‘मैडम जी, कमरे की चाबी दे दें कमरे की सफाई के लिए. आप का बिस्तर भी ठीक करना है.’‘ ठीक है, मैं इंटरव्यू के लिए चली जाऊंगी. सफाई करवा कर चाबी अपने पास रख लेना,’ चाबी सतनाम को देते हुए कहा.
‘मैडम जी, ये 2 चाबियां हैं. एक चाबी आप ले जाएं, एक चाबी मैं रख लेता हूं.’मैं ने एक चाबी उसे दे दी. मैस पहुंची तो कैप्टन अर्जुन ब्रेकफास्ट कर रहे थे. मैं ने उन को गुडमौर्निंग कहा. मैं भी ब्रेकफास्ट के लिए बैठ गई. ब्रैड आमलेट का ब्रेकफास्ट था, साथ में चाय.‘आप जल्दी से ब्रेकफास्ट कर के मेरे औफिस में आ जाएं. वहीं से आगे निकल चलेंगे.’‘जी, सर.’थोड़ी देर में मैं उन के औफिस के सामने पहुंची. कैप्टन साहब जिप्सी की ड्राइविंग सीट पर बैठे थे, ड्राइवर पीछे की सीट पर था. मुझे फ्रंट सीट पर बैठने के लिए कहा. बैठने पर जिप्सी तुरंत बटालियन के लिए चल दी. आधे घंटे में हम वहां पर थे.
‘ब्रिगेडियर साहब, बहुत कम बात करते हैं. वे केवल हाथ मिलाएंगे और यहां के टेन्योर के लिए शुभकामनाएं देंगे,’ कैप्टन अर्जुन ने कहा. बटालियन एडयूटैंट कैप्टन सेनगुप्ता के औफिस में इंटरव्यू रजिस्टर में मेरे परटीकुलर लिखे गए. कैप्टन सेनगुप्ता ने मुझे कमांडर साहब के कमरे के बाहर खड़ा रहने के लिए कहा और खुद रजिस्टर ले कर अंदर चले गए. जाने से पहले कहा, ‘जब मैं अंदर मार्च करने के लिए कहूं, तब आप को अंदर आना है.’थोड़ी देर बाद आदेश पर मैं अंदर गई और स्मार्ट सैल्यूट किया. वे बहुत खुश हुए. खुद चल कर मेरे पास आए. हाथ मिलाया और कहा, ‘लै, नीरजा गुप्ता, आप का हमारी बटालियन में स्वागत है. मैं खुश हूं कि महिला अफसर का स्वागत करने का अवसर मिल रहा है. आप को अपने को किसी से कम नहीं समझना है. अगर कोई दिक्कत आए तो सीधे आप मुझे बताएं. कोई प्रौबलम?’
‘नो, सर.’
‘आप को यहां के टेन्योर के लिए शुभकामनाएं. कैप्टन सेनगुप्ता, मार्च करें.’
मैं ने सैल्यूट किया और कमरे से बाहर आ गई. बाहर कैप्टन अर्जुन खड़े थे, पूछा, ‘सब ठीक रहा?’‘यस, सर.’कैप्टन सेनगुप्ता ने कहा, ‘चाय आने वाली है, चाय पी कर जाना.’‘ थैंक्यू सर, चलेंगे. कर्नल सुब्रमनियम साहब का फाइनल इंटरव्यू. वे इन को डीटेल में समझाएंगे कि क्या और कैसे काम करना है.’
‘ दैन, ओके, बाय.’ कैप्टन सेनगुप्ता ने हम दोनों से हाथ मिलाया और हम अपनी जिप्सी में बैठ कर वापस आ गए. कैप्टन अर्जुन ने कहा, ‘आप सीधे, मे आई कम इन, सर कहें और अंदर चली जाएं. वे आप को बताएंगे कि आप को क्या करना है.’
मैं ने कमरे के बाहर खड़ी हो कर अंदर आने इज्जात मांगी और उन्होंने तुरंत अंदर बुला लिया.’
‘अर्जुन नहीं आया?’‘सर, नहीं वे अपने औफिस में चले गए.’‘आप बैठिए, अर्जुन को बुलवाता हूं.’ और वे बाहर खड़े रनर को बुलाने भेजा.कैप्टन अर्जुन आए और साथ ही चाय भी आ गई. चाय सर्व कर के ब्वाय गया तो कर्नल साहब ने बात शुरू की, ‘आप के सामने काफी चुनौतियां हैं. मैं ने आईएमए से आया रिकौर्ड और सर्टीफिकेट देखे हैं. आप इंटैलिजैंट हैं.’‘थैंकयू, सर.’‘आप की योग्यता को देखते हुए मैं आप को वर्कशौप अफसर की ड्यूटी पर लगा रहा हूं. इस के 2 फायदे होंगे- एक तो आप सब से रूबरू होंगी. आप ने महसूस किया होगा, जब भी आप कहीं के लिए निकलती हैं, कोई औॅफिस से, कोई बैरक से, जो कहीं भी होता है, आप को देखने के लिए ठहर जाता है. लगता है, पूरी यूनिट थम गई हो. उन के मन से जिज्ञासा खत्म हो जाएगी. आज मैं खुद दोपहर 3 बजे आप को साथ ले कर हर सैक्शन में जाऊंगा. दूसरे, आप को काम सीखने का मौका मिलेगा.’
यहां सर्दी बहुत है और औक्सीजन की कमी है. आप ने महसूस किया होगा कि थोड़ा सा चलने पर सांस फूलने लगती है. अभी सितंबर की शुरुआत है. तापमान 4 से 6 डिग्री के बीच है. आगेआगे सर्दी और बढ़ेगी. माइनस 15-16 डिग्री तापमान रहेगा. ऊंचाई वाले इलाकों में हालत और खराब होती है.औक्सीजन और सर्दी के कारण जवानों के शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, जैसे पांव की उंगलियां सूज कर गलने लगती हैं. इस के लिए रोज तेज गरम पानी में नमक डाल कर कम से कम 30 मिनट पांव डूबो कर रखने के आदेश हैं. 24 घंटे बौयलर से वाशरूम में गरम पानी सप्लाई होता है. एडयूडैंट साहब और सीनियर जेसीओ सूबेदार मेजर सूमेर सिंह साहब यह यकीन करते हैं कि सभी जवान अपने हाथपैर धो कर सोने के लिए जाएं. सूबेदार मेजर साहब वर्कशौप में आप को असिस्ट भी करेंगे.
सर्दी के कारण जवानों के होंठ फट जाते हैं. इस के लिए रोज उन को लिपसोल लगाना पड़ता है. एक और भयंकर समस्या है, इंपोटैंसी की. कुछ जवानों में इसे पाया गया है. इस के लिए कार्यक्रम यह है कि हर 3 महीने बाद जवान को छुट्टी पर भेजा जाता है. आप को इन सब को इंटैलीजैंटिली हैंडल करना है. वर्कशौप का काम भी न रुके और रोटेशन बना रहे. अभी आप जाएं. लंच के बाद हम हर सैक्शन में जाएंगे.’
दोपहर बाद कर्नल साहब मेरे साथ हर सैक्शन में गए. मुझे नजदीक से देखने की लालसा जो जवानों के मन में थी, वह अब भी बनी हुई थी. मैं समझती हूं, रोजरोज जब मैं इन सेक्शनों में जाऊंगी तो इन की जिज्ञासा बिलकुल खत्म हो जाएगी. हुआ भी यही. मैं सुबह एक घंटा सरकारी डाक दखने के लिए अपने औफिस में बैठती, फिर शाम को एक घंटा सरकारी डाक साइन करने के लिए. धीरेधीरे जवानों से मैं फैमिलियर होती गई.
जहां मैं हर सैक्शन के काम को समझने लगी थी, वहीं वे हर आदेश को मानने लगे थे. कई तो अपने व्यक्तिगत जीवन की समस्याएं मेरे पास ले कर आने लगे. मैं सूबेदार मेजर सुमेर सिंह की मदद से दूर करने लगी. सब मुझे मानने लगे. कई तो अपनी समस्या मुझे अकेले में बताना चाहते थे. मैं सूबेदार मेजर से डिस्कस करती और जवान को अकेले में बुलाती. एक जवान ने बताया कि उस की वाइफ को घर वाले बहुत तंग करते हैं. मैं जो पैसा भेजता हूं, वे भी जबरदस्ती ले लेते हैं. बहुत कम मेरे बच्चों और वाइफ को देते हैं. हालांकि, पैसा मेरी वाइफ को ही मिलता है. अगर वह नहीं देती तो चोरी कर लेते हैं. एक और बात है, समझ नहीं आता कि आप से कहूं या न कहूं.
‘मैं ने उसे बेधड़क अपनी बात कहने को कहा.’‘मेरी वाइफ मूंहचित लगती है, जी. मेरे अपने भाई उस के साथ हमबिस्तर होने की बात करते हैं. मौका लगे तो वे जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं. बड़ी मुश्किल से किसी तरह वह अपनी इज्जत बचाए हुए है. यह बौर्डर एरिया है. फैमिली क्वार्टर नहीं हैं, नहीं तो मैं फैमिली यहां ले आता. इसी टैंशन के कारण मैं अपने सैक्शन में ठीक से काम भी नहीं कर पाता हूं.’
समस्या बहुत गंभीर थी. मैं ने तुरंत सूबेदार मेजर साहब को बुलाया. अनुभवी थे, उन्होंने समस्या का समाधान भी बता दिया. उन की फैमिली में भी कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रही थी. सैप्रेट फैमिली क्वार्टर ले कर अंबाला में रह रही थी. सैनिकों के साथ अकसर ऐसा होता है. मैं ने उसे बुलाया और पूछा, ‘तुम्हारे घर के पास मिलिट्री स्टेशन कौन सा है?’‘मैम, जबलपुर है.’
‘अगर आप को जबलपुर में सरकारी क्वार्टर दिला दिया जाए तो आप की वाइफ अकेली बच्चों के साथ रह लेगी. जो जवान बौर्डर एरिया में पोस्ट होते हैं, ये क्वार्टर उन को मिलते हैं. स्टेशन हैडक्वार्टर इन को अलौट करता है. वहां सभी बच्चे, औरतें ही रहती हैं. बिलकुल सुरक्षित. स्टेशन हैडक्वार्टर वहां हर चीज का प्रबंध करता है. स्कूल बस, सब्जी और राशन की गाड़ियां. कोई बीमार हो जाए तो उस के लिए एमआई रूम है. 24 घंटे की गार्ड रहती है. कोई अनजान आदमी वहां घुस नहीं सकता.’‘मैम, ऐसा हो जाए तो मैं जी जाऊंगा. बड़ी मेहरबानी होगी, आप की.’
‘कोई मेहरबानी नहीं है. आप एक ऐप्लिकेशन लिखें, स्टेशन हैडक्वार्टर, जबलपुर के नाम. ‘रिक्वेस्ट फौर सैप्रेटेड फैमिली क्वार्टर.’ यह निर्धारित प्रणाली द्वारा जबलपुर जाएगी. मैं व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखूंगी. आशा है, जल्दी ही आप को क्वार्टर अलौट हो जाएगा.’
‘थैंक्यू, मैम.’उस ने सैल्यूट किया और चला गया. मैं सोचने लगी, नारी का हमेशा से किसी न किसी रूप में शोषण होता रहा है. क्यों? बस, इस यक्ष प्रश्न का उत्तर मेरे पास नहीं था. उस के प्रार्थना पर और मेरे पत्र लिखने पर उसे जल्दी ही क्वार्टर मिल गया. वह छुट्टी पर गया और अपनी फैमिली सेट कर आया.
मुझे कुछ महीनों में ऐक्टिंग कैप्टन बना दिया गया. यह सब अफसरों को मिलता है. पक्का रैंक मिलने तक वह इस रैंक को होल्ड करता है.
ऐसी ही अनेक चुनौतियों से जूझते पता ही नहीं चला कब 2 साल बीत गए और मेरी श्रीनगर की पोस्टिंग आ गई. जम्मूकश्मीर में सभी के लिए यही व्यवस्था है, अगर कोई 2 साल हाई ऐलटीटयूड में रहता है तो अगले साल वह कश्मीर के किसी भाग में रहेगा.
पोस्टिंग जाने से पहले मुझे सभी नायक, हवलदार और जूनियर अफसरों की कौनफिडेंशियल रिपोर्ट लिखनी थी. यह रिपोर्ट ऐसी होती है कि अगर खराब कर दी जाए तो आने वाले प्रमोशन पर प्रभाव पड़ता है. मैं ने मन बना लिया था, काम के दौरान चाहे कितना ही मनमुटाव हुआ हो, मैं इन का रिकौर्ड खराब नहीं करूंगी. जिन चुनौतियों और खराब परिस्थितियों में सब कार्य कर रहें हैं, सेवाएं दे रहें हैं, वे अमूल्य हैं. मेरे समक्ष ये छोटेमोटे झगड़े महत्त्वहीन हैं. मेरे इस कार्य की मेरे पोस्टिंग पर जाने के सम्मान में दिए गए बड़े खाने में जिक्र किया गया.
सीओ साहब ने और सूबेदार मेजर साहब ने इस की भूरिभूरि प्रशंसा की.
रिवायत के अनुसार जब मैं सीओ सहाब के साथ एकएक जवान, जूनियर अफसरों से मिलने गई तो उन सब की आंखों में मेरे लिए जो सम्मान दिखता था, वह देखते ही बनता था. उन्होंने भी आगे बढ़ कर सैल्यूट किया जो मुझे सैल्यूट करने से कतराते थे. धारणा यह थी कि औरतों को क्या सैल्यूट करना. वे पुरुषों के बराबर कभी हो नहीं सकतीं. जबकि सैल्यूट मेरे कंधों पर लगे स्टारों को करना था. कई पुरुष अफसरों की भी यही धारणा थी. एक धारणा यह भी थी कि औरते आतीं तो पुरुषों के नीचे ही हैं न. मैं ने इन सब धारणाओं को चुनौतियों के रूप में लिया और बेबुनियाद सिद्ध कर दिया.
कल श्रीनगर की मेरी फ्लाइट थी, नई चुनौतियों के लिए.