देवरानी मालती का संजू से इश्क लड़ाना जेठानी बबली को नापसंद था. इसे ले कर देवरानी और जेठानी के बीच तकरार होती रहती थी.  रात के करीब 9 बज चुके थे. बबली ने खाना बनाते हुए अपनी बेटी निशा को आवाज दी, ‘‘निशा, बेटी खाना तैयार है. रोटियां सेंक रही हूं. आ कर ले लो.’’

‘‘मम्मी, अभी भूख नहीं है. पूरा बना लो, फिर साथ में बैठ कर खा लेंगे.’’ अपने कमरे में टीवी पर नजरें गड़ाए निशा बोली.

कुछ ही देर में जब खाना तैयार हो गया, तब बबली भी किचन से निकल कर निशा के साथ आ कर टीवी पर सीरियल देखने लगी. उसे सीरियल देखते हुए रात के करीब 10 बज चुके थे.

बबली ने निशा से कहा, ‘‘काफी समय हो चुका है निशा, अब खाना लगा दूं?’’ निशा ने ‘हां’ बोला ही था कि उस के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी.

टीवी से नजरें हटाते हुए निशा ने मोबाइल स्क्रीन पर देखा, काल उस के मंगेतर संदीप की थी. काल रिसीव कर वह दूसरे कमरे में चली गई.

मध्य प्रदेश में जबलपुर से मंडला की ओर जाने वाले नैशनल हाईवे नंबर 30 पर जबलपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर छोटा सा कस्बाई शहर है बरेला. वहीं वार्ड नंबर 15 में 40 साल की दीपा मेहरा उर्फ बबली अपनी 20 साल की बेटी निशा के साथ रहती थी. बरेला के पास के ही गांव टेंभरभीटा में बबली का मायका था. हाल में ही वहीं के रहने वाले संदीप झारिया से निशा का रिश्ता तय हुआ था.

मार्च 2022 में दोनों की शादी होने वाली थी. शादी तय होने के बाद  संदीप और निशा के बीच मोबाइल पर बातचीत होती रहती थी.

संदीप से बात करते हुए निशा ने बाहर बरामदे में किसी के आने की आहट सुनी. उस ने संदीप से कहा, ‘‘शायद कोई घर पर आया है, बाद में काल करती हूं,’’ इतना कह कर निशा ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

काफी समय तक जब निशा का फोन नहीं आया, तब संदीप ने ही दोबारा काल की. तब निशा का मोबाइल बंद मिला. इसे पहले तो संदीप ने हल्के में लिया. सोचा बैटरी डिस्चार्ज हो गई होगी. उन्होंने रात के 12 बजे तक निशा को कई दफा फोन मिलाया, लेकिन हर बार फोन बंद आने से वह चिंतित हो गया. घर में एक ही फोन से मांबेटी काम चलाते थे.

अगले रोज संदीप की नींद बबली के पिता चंद्रभान के काल की घंटी से टूटी. उन्होंने निशा को फोन नहीं लगने की बात कही, साथ ही पूछा कि क्या उन की निशा से कल रात बात हुई थी?

संदीप को चंद्रभान की बात सुन कर बीती रात निशा का फोन स्विच औफ होने का ध्यान आया. चंद्रभान टेंभरभीटा गांव में ही रहते थे, जो बरेला से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर ही था.

निशा का फोन स्विच्ड औफ आने पर वह काफी चिंतित हो गए. अपने छोटे भाई के बेटे आशीष को बरेला चलने को कहा. कुछ मिनट में ही दोनों बरेला पहुंच गए. जिस घर में बबली निशा के साथ रहती थी, वहां ताला लगा हुआ था.

उसी घर से सटे दूसरे मकान में बबली की देवरानी मालती रहती थी. चंद्रभान और आशीष जानते थे कि काफी समय से बबली और मालती के बीच बोलचाल बंद थी. फिर भी तसल्ली के लिए उन्होंने मालती के घर का दरवाजा खटखटाया.

भीतर से ही कौन है? क्या है? सवालों की रूखी आवाज आई. चंद्रभान ने तेज आवाज में बोलते हुए निशा के बारे में पूछा. चंद्रभान की आवाज सुन कर मालती ने वहीं से बोल दिया कि उसे दोनों के बारे में कुछ नहीं मालूम.

उस के बाद चंद्रभान और आशीष ने आसपास के दूसरे लोगों से भी पूछताछ की. अधिकतर पड़ोसियों ने यह तो बताया कि बबली और निशा बीती रात 8-9 बजे घर में ही देखे गए थे. कमरे से टीवी की आवाज भी आ रही थी, मगर उन के कहीं जाने के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी.

दिन निकल आया था. इसी के साथ बरेला के पूरे वार्ड में मांबेटी के रात से ही गायब होने की खबर भी फैल चुकी थी. चंद्रभान ने देर किए बगैर बरेला पुलिस थाने में दोनों के गायब होने की रिपोर्ट लिखाने के लिए कहा. तब तक संदीप भी वहां आ गया था.

बरेला पुलिस ने चंद्रभान और संदीप को पहले अपने रिश्तेदारों के यहां खोजने की सलाह दी. चंद्रभान समेत आशीष, संदीप के अलावा दूसरे रिश्तेदारों ने निशा और बबली के बारे में काफी पता किया. यही करतेकरते 3 दिन निकल गए, लेकिन उन का कुछ पता नहीं चला.

चंद्रभान ने थाने जा कर गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर उन्हें तलाशने का दबाव बनाया.

एक सप्ताह बीतने के बावजूद पुलिस निशा और बबली को ढूंढने में असफल रही. उस से बबली के मायके वालों ने नाराज हो कर डीएसपी और एसपी से ले कर सीएम हेल्पलाइन तक में शिकायत कर दी. उन्होंने सीधेसीधे स्थानीय पुलिस के खिलाफ ही शिकायत कर दी.

इस बात को ले कर मेहरा समाज के लोगों ने पुलिसप्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. पुलिस की नाकामी के खिलाफ स्थानीय लोगों ने ज्ञापन दे कर बरेला में नैशनल हाईवे 30 पर चक्का जाम करने की चेतावनी दे दी. उस के बाद पुलिस के आला अधिकारी हरकत में आए.

बरेला थाने में टीआई के नहीं होने की वजह से एसआई मुनेश लाल कोल के पास पुलिस थाने की जिम्मेदारी थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने बरेला पुलिस थाने की कमान तेजतर्रार डीएसपी अपूर्वा किलेदार को सौंप दी.

अपूर्वा किलेदार ने क्राइम ब्रांच और बरेला पुलिस के साथ मामले की तफ्तीश नए सिरे से शुरू कर दी.

उन्होंने तहकीकात की शुरुआत बबली और निशा के घर से की. इस सिलसिले में 2 अक्तूबर, 2021 को डीएसपी ने बरेला थाना स्टाफ और फोरैंसिक टीम के साथ घर पहुंच कर कमरे का ताला खुलवाया.

कमरा पूरी तरह से व्यवस्थित था. किचन में खराब हो चुके खाने की दुर्गंध आ रही थी. फोरैंसिक टीम ने किचन में रखे खाने को देखा. वहां पका हुआ खाना पड़ा था.

यह देख कर सभी इस बात से हैरान हो गए थे कि आखिर दोनों बगैर खाना खाए अचानक कहां चले गए.

बबली के चचेरे भाई आशीष ने पुलिस को एक राज की बात बताई. उन्होंने कहा कि जिस दिन वह मालती से बबली और निशा के बारे में पूछने गए थे, तब मालती की बेटी ने उन्हें बताया था कि रात में संजू चाचा के साथ 2 लड़के आए थे.

यह जानकारी पुलिस को एक महत्त्वपूर्ण कड़ी लगी. डीएसपी ने तत्काल सवाल किया, ‘संजू कौन है?’

उन्हें मालूम हुआ कि इस का जवाब मालती ही दे सकती है. फिर क्या था जांच की सुई मालती की ओर घूम गई.

इस बारे में सीधे मालती से पूछताछ करने के बजाय पहले पासपड़ोस के लोगों से संजू के बारे में पता किया गया, जिस का पूरा नाम संजू श्रीपाल था. वह दूसरी जगह का था, लेकिन हमेशा इस मोहल्ले में आता रहता था.

अधिकतर लोगों ने संजू के बारे में दबी जुबान से बताया कि मालती संजू के साथ अवैध संबध थे. वह उसी से मिलने मोहल्ले में आता था.

इस जानकारी के बाद पुलिस टीम मालती के पास जा पहुंची. पुलिस ने यह भी जानकारी लेने की कोशिश की कि करीबी रिश्तेदार हो कर भी उन की आपस में क्यों नहीं बनती थी.

मालती ने भोली बनते हुए इतना भर कहा कि उन के विचार और व्यवहार पसंद नहीं थे, इसलिए उन से बोलचाल बंद थी. संजू के बारे में पूछने पर मालती ने बताया कि वह उस के पति का दोस्त है.

पति चूंकि कामकाज के सिलसिले में हमेशा बाहर रहते हैं और ससुर काफी बूढ़े हैं, इसलिए संजू उस के पति के कहने पर परिवार का ध्यान रखता है.

पुलिस के लिए मालती से हुई पूछताछ महत्त्वपूर्ण साबित हुई. उसी दौरान पुलिस टीम ने साइबर टीम की मदद से संजू और मालती के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा ली. पता चला कि पिछले 4 दिनों से दोनों के बीच घंटों बातचीत हुई थी.

मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि संजू अपने साथियों के साथ 3 अक्तूबर को मालती के घर गया था.

डीएसपी अपूर्वा किलेदार ने सादे कपड़ों में एक महिला कांस्टेबल को मालती के घर तब भेजा, जब वह घर पर नहीं थी. उस ने मालती की बड़ी बेटी से पूछताछ की.

उस से पुलिस को चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी. मालती की बेटी ने बताया कि 27 सितंबर की रात उस के घर संजू चाचा के साथ 2 लड़के आए थे.

मम्मी ने हमें खाना खिला कर जल्दी सुला दिया था, लेकिन संजू चाचा और दोनों लड़के देर रात तक घर पर ही थे. सुबह सो कर उठने के बाद मैं ने देखा कि बड़ी मम्मी बबली के घर पर ताला लगा था. मैं ने सोचा बड़ी मम्मी निशा दीदी को ले कर नानाजी के घर पर गई होंगी.

लापता मांबेटी के बारे में पुलिस को कई तरह की जानकारियां मिल गई थीं, जिस के केंद्र में संजू और मालती ही थे. पुलिस को पूरा भरोसा हो गया था कि बबली और निशा को गायब करने में संजू और मालती का ही हाथ रहा होगा. पुलिस ने संदेह के आधार पर संजू और मालती को पूछताछ के लिए 4 अक्तूबर को सुबह 11 बजे थाने बुलाया. उन्हें घंटों थाने में बैठा कर रखा. उस दौरान उन की बेचैनी, घबराहट वाली गतिविधियों पर नजर रखी गई.

धीरेधीरे उन पर पुलिस की सख्ती बढ़ती चली गई. अकस्मात मालती के मुंह से निकल पड़ा, ‘मांबेटी जिंदा होंगी तभी मिलेंगी न!’

मालती के यह कहते ही जांच टीम और सख्त हो गई. सीधे सवाल कर दिया, ‘‘किस दुश्मनी के चलते तुम ने दोनों को मरवा दिया?’’

पुलिस की सख्ती के आगे संजू भी टूट गया. उस ने बबली और निशा की हत्या कर लाश अपने गांव महगवां में कैनाल के किनारे दफनाने की बात कुबूल कर ली. पुलिस पूछताछ में इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह दिल दहलाने वाली थी.

मध्य प्रदेश के जिला जबलपुर के बरेला कस्बे की भगतसिंह कालोनी में रहने वाली 40 साल की दीपा मेहरा उर्फ बबली नगर के आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता के पद पर तैनात थी. उस की शादी सन 2000 में बरेला निवासी पंचमलाल के बड़े बेटे नरेश मेहरा से हुई थी.

अगले साल 2001 में निशा के जन्म के कुछ ही महीने के बाद पति नरेश की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी.

पंचमलाल का छोटा बेटा सुरेश राजमिस्त्री का काम करता था. उस की शादी मालती के साथ हुई थी. उस के बाद उस ने अपनी अलग गृहस्थी बसा ली थी.

अपनी बेटी के भविष्य के सपने संजोए बबली अपने जीवन की गाड़ी खींच रही थी. वक्त के साथ निशा जवान हो गई थी और वह सालीवाड़ा गौर के कालेज से ग्रैजुएशन के अंतिम साल की पढ़ाई कर ही रही थी. उस के नाना ने शादी का रिश्ता तय कर दिया था.

मालती गठीले बदन की खूबसूरत औरत थी. पंचम लाल के मकान में एक बड़ा दालान अर्थात बरामदा था. उसी से जुड़े 4 कमरे थे. 2-2 कमरे के 2 हिस्सों में दोनों परिवार रहने लगे.

बबली की देवरानी मालती का पति सुरेश अकसर काम के सिलसिले में मंडला जिले में रहता था. महीनों तक अपने घर नहीं आता था. मालती अपनी 3 बेटियों और 76 साल के ससुर पंचमलाल के साथ बरेला में रहती थी.

30 साल की मालती देहसुख से वंचित रहती थी. करीब 5 साल पहले मालती के संपर्क में संजू आया था. वह महगवां गांव का रहने वाला सुरेश का परिचित था. दोनों मिल कर काम तलाशते थे. जब सुरेश काम की तलाश में मंडला चला गया तो संजू मालती से मिलने आने लगा.

मालती की बेटियों के लिए संजू चौकलेट और बिसकुट ले कर आता था. वे उन्हें चाचा कह कर बुलाती थीं. मालती के ससुर पंचमलाल बूढ़े हो चले थे. उन्हें सुनाई नहीं देता था.

संजू और मालती अकेले में मिलते रहे. दोनों के बीच अवैध संबंध भी बन गए. उन्हें जब अपनी काम वासना की हसरतें पूरी करनी होती थीं, तब वह बच्चियों को पैसे दे कर कुछ खानेपीने के लिए बाहर भेज देता था.

करीब 4 साल पहले की बात है. दोपहर के 2 बजे का वक्त था. निशा स्कूल गई हुई थी और बबली आंगनबाड़ी केंद्र से घर लौटी थी.

घर की चारदीवारी में बने दरवाजे से बबली जैसे ही घर के भीतर दाखिल हुई तो उसे मालती के कमरे से किसी पुरुष की आवाज सुनाई दी, जबकि उस के ससुर पंचमलाल उस समय नहीं थे. बबली जैसे ही अपने कमरे में गई तो बगल के कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं.

उस ने अपने पर्स को टेबल पर रखा और बरामदे में आ गई. बाहर निकल कर उस ने देखा कि मालती के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. बबली ने चुपके से दरवाजे में बनी पतली झिर्री से आंख लगाई. अंदर का दृश्य देख कर दंग रह गई.

देवरानी मालती पलंग पर निर्वस्त्र हो कर किसी मर्द के साथ रंगरलियां मनाने में मस्त थी. मालती के साथ रंगरलियां मना रहे युवक का चेहरा उसे पहचान नहीं आया था.

बबली कुछ समय से देख रही थी कि मालती से मिलने एक युवक अकसर आता रहता था. उस के बारे में देवरानी से पूछा तो उस ने युवक को रिश्ते का भाई बताया. उस रोज बबली ने अपनी आंखों से जो सच देखा, उस के भीतर आक्रोश भर आया. सब काम छोड़ कर कुरसी डाल कर वह बाहर बैठ गई.

करीब आधे घंटे के बाद जब वह युवक मालती के कमरे से बाहर निकला तो बबली ने उसे पहचान लिया. वह संजू था, जिसे वह भाई बताती थी वही उस का यार था.

बबली को संजू के बुरे चरित्र के बारे में मालूम था. शराब का शौकीन क्रिमिनल माइंड का था वह. संजू एक बार अपने गांव की लड़की को ले कर भाग चुका था, उस लड़की का आज तक पता नहीं चला है. 34 साल का संजू शादीशुदा होने के साथ 2 बेटियों का बाप भी था.

जब मालती से बबली ने संजू के उस के कमरे में होने की बात की तो मालती ने अपनी गलती मानने के बजाय उसे ही भलाबुरा सुना दिया.

बबली ने संजू और मालती के संबंधों की बात ससुर पंचमलाल को भी बता दी. इस पर मालती जेठानी बबली से नाराज हो गई. उस दिन के बाद से बबली ने मालती से बातचीत करनी बंद कर दी.

संजू बेखौफ मालती के घर पर आ कर रंगरलियां मनाने लगा. बबली की बेटी निशा का रिश्ता संदीप के साथ तय हो चुका था. बबली को यह चिंता खाए जा रही थी कि मालती की करतूत का असर कहीं उस की बेटी के ब्याह पर न पड़े. परिवार की बदनामी की चिंता तो थी ही.

मालती शक्की स्वभाव की भी थी. उसे लगता था कि भतीजी निशा उस पर नजर रखती है. संजू के आनेजाने की हर खबर वह मां बबली को बताती है और मां इस की शिकायत ससुर से कर देती है.

इस संदेह के चलते वह भीतर से डर गई थी कि कहीं उस के और संजू के रिश्ते की बात पति सुरेश तक न पहुंच जाए.

संजू के मन में भी कुछ इसी तरह के विचार आ रहे थे. एक रोज मालती ने संजू से कहा कि उन के संबंधों में बबली और उस की बेटी बाधा बन गई हैं. उन की दखलंदाजी काफी बढ़ गई है. उन्हें रास्ते से हटाना होगा. इस के बाद दोनों ने मिल कर एक योजना बनाई.

संजू ने योजना के मुताबिक काम को अंजाम देने के लिए अपने दोस्तों राजा कोल और देवा कोल को शामिल कर लिया. बदले में उन्हें काम पूरा होने पर एकएक लाख रुपए देने का वादा किया. उन्हें कुछ पैसे एडवांस भी दे दिए.

27 सितंबर, 2021 की रात संजू राजा और देवा के साथ घर पहुंच गया. योजना के मुताबिक मालती ने ससुर पंचमलाल के खाने में नींद की गोलियां मिला दी थीं, जिस से पंचमलाल गहरी नींद सो गए थे. तीनों बेटियों को भी जल्दी से खाना खिला कर सोने के लिए दूसरे कमरे में भेज दिया था.

उस के बाद तीनों बबली के आंगन में घात लगाए बैठ गए. रात करीब 10 बजे बबली जैसे शौचालय की तरफ गई, तीनों ने उसे पीछे से कस कर पकड़ लिया.

इस सब से बेखबर निशा कमरे में संदीप से फोन पर बात कर रही थी. बाहर आहट सुन कर उस ओर जाने लगी. तब तक तीनों कमरे में घुस आए थे. निशा को भी उन्होंने दबोच लिया. उस की भी उन्होंने गला घोंट कर हत्या कर दी.

मांबेटी की हत्या कर उन्होंने शवों को चादर में लपेटा और रात में ही मोटरसाइकिल से नहर के किनारे ले जा कर झाडि़यों में फेंक आए.

अगले रोज तीनों दिन में लाशों को नमक के साथ को एक गड्ढे में दफना दिया. यह काम महगवां नहर के किनारे एकदम सुनसान इलाके में किया गया, जो मुख्य रोड से लगभग 800 मीटर अंदर की तरफ है.

एसडीएम प्रमोद सेनगुप्ता और तहसीलदार की उपस्थिति में पुलिस ने 4 मजदूरों की मदद से जब जमीन की खुदाई कराई, तब लगभग 5 फीट गहरे गड्ढे में 2 लाशें मिलीं.

दोनों लाशें ऊपरनीचे रखी हुई थीं. उन पर काफी मात्रा में नमक डाली गई थी. ऊपर निशा की निर्वस्त्र लाश थी. उस के नीचे बबली की लाश थी, वह अर्धनग्न थी. बबली के गले में फीता बंधा था.

घटनास्थल पर शवों की पहचान बबली और उस की बेटी निशा के रूप में हुई. परिजनों और रिश्तेदारों के बयान दर्ज किए गए.

लाशों का पोस्टमार्टम करवाने के बाद उन का अंतिम संस्कार करवाया. इस हत्याकांड में राजा और देवा की तलाश की गई. वे भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिए गए.

हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार करने और मांबेटी मर्डर केस का परदाफाश करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुलिसकर्मियों की एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने सराहना की.

इतना ही नहीं, एसपी ने एसआई मुनेश कोल, रुकसार बानो, एएसआई चैन सिंह धुर्वे, कांस्टेबल मनोज, सूरज मिश्रा, तनवीर रिजवी, महेंद्र कुमार, सावित्री धुर्वे, प्रतिमा मिश्रा, जबलपुर क्राइम ब्रांच के एएसआई धनंजय सिंह, विजय शुक्ला, हैडकांस्टेबल विजेंद्र, दीपक तिवारी, मोहित उपाध्याय, बीरबल, साइबर सेल के अमित पटेल को पुरस्कृत करने की घोषणा की.

पुलिस गिरफ्त में आए आरोपी संजय श्रीपाल, उस की प्रेमिका मालती मेहरा, राजा कोल और देवा ठाकुर को भादंवि की धारा 450, 302, 201, 34 और एससी/एसटी ऐक्ट के तहत जबलपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट के आदेश पर सभी को जबलपुर की सैंट्रल जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...