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कमजोर इम्यूनिटी छीन लेती है सारा सौंदर्य

कोरोना महामारी के दौरान एक चीज जिसकी जानकारी और जिज्ञासा हर व्यक्ति को हुई, वह थी इम्यूनिटी। कोरोना के अटैक में जिसने भी प्राण गँवाए उसके लिए कहा गया कि उसकी इम्यूनिटी वीक थी। कोरोना के समय में बाजार में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों की खरीदारी बढ़ गयी. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए ना जाने कितने तरह के शेक, पाउडर, दवाएं मार्केट में आ गयीं। जिससे भी बात करो उससे यही सलाह मिलती कि – इम्यूनिटी बढ़ाओ। इम्यूनिटी शब्द हमारी दैनिक बातचीत का हिस्सा बन गया।

इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की हमारे शरीर की क्षमता यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और संक्रमण से लड़ने के लिए ढेरों सलाह और नुस्खे पिछले तीन सालों में अनेक माध्यमों – अखबारों, पत्रिकाओं, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया, डॉक्टरों आदि से हमें मिले। विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि कोविड-19 के वाइरस ने हमारे श्वसन तंत्र – श्वांस नली, फेफड़ों के साथ साथ हृदय, लिवर, किडनी और पाचन तंत्र पर भी असर डाला है, ऐसे में कोविड का दौर अब भले ख़त्म हो गया हो, फिर भी हम सभी को कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के संकेतों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। क्योंकि जहां मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाती है, वहीं कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति को बार-बार संक्रमण होने का खतरा बना रहता है.

इधर काफी दिनों से ऐसे समाचार लगातार सुने जा रहे हैं कि छोटे बच्चों से लेकर जवान और बिलकुल स्वस्थ दिखने वाले लोगों को अचानक हार्ट अटैक पड़ा और पलक झपकते ही उनकी मृत्यु हो गयी। पिछले दिनों हार्ट अटैक ट्विटर पर टॉप ट्रेंडिंग रहा। लोग डरने लगे कि कहीं यह कोई नए किस्म की महामारी तो नहीं है?

पॉपुलर टीवी शो ‘भाबी जी घर पर हैं’ फेम मलखान सिंह उर्फ दीपेश भान का निधन हार्ट अटैक से हो गया। बरेली में 23 साल के टीचर की स्कूल में प्रार्थना के दौरान हार्ट फेल से मौत हो गई। प्रयागराज में क्रिकेट खेलते समय 25 साल के युवा की हार्ट फेल से मौत हो गई। लखनऊ में वरमाला हाथ में लिए खड़ी दुल्हन की हार्ट फेल से मौत हो गई। मेरठ में कुछ दोस्त पैदल जा रहे थे, अचानक एक को छींक आई और उसकी वहीं गिरकर मौत हो गई। गाजियाबाद में 35 साल के जिम ट्रेनर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मध्य प्रदेश के कटनी में साईं मंदिर में राकेश मेहानी नाम का 35 साल का युवक दर्शन करते समय गिरा और उसकी वहीं मौत हो गयी। लोगों को लगा कि वह दर्शन करने में मग्न है लेकिन कुछ देर तक वह नहीं उठा तो लोगों ने हिलाया और पाया कि उसकी जान जा चुकी थी। जवान और फिट लोग लोग नाचते, गाते काल के गाल में समा गए। इन सभी मौतों का कारण हार्ट अटैक था, लेकिन यह महज संयोग नहीं था। इसके पीछे अन्य कारणों के साथ कमजोर इम्यूनिटी भी एक कारण थी।

फोर्टिस हॉस्पिटल की सीनियर डॉक्टर नीना बहल इम्यूनिटी के विषय में हुई लम्बी बातचीत में बताती हैं – ‘कोरोना के बाद बहुतेरे लोगों को सांस फूलने, बार बार बुखार खांसी होने, शरीर में दर्द बने रहने, बाल झड़ने, रंग सांवला पड़ने जैसे लक्षण दिख रहे हैं। ये सब कमजोर इम्यूनिटी की वजह से है। जो मानव सौंदर्य और स्वास्थ्य का भक्षण कर रहा है।’

डॉक्टर बहल कहती हैं – ‘एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का मतलब है कीटाणुओं को आसानी से शरीर में प्रवेश के लिए निमंत्रण देना। बता दें कि इम्यून सिस्टम शरीर का एकमात्र सुरक्षा तंत्र है, जो शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाता है। लेकिन अगर यह कमजोर है, तो कई रोगाणुओं और रोगजनकों के कारण संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है। कोरोना जैसी महामारी और इसके बाद पैदा होने वाले अनेक रोगों जैसे ब्लैक फंगस, लगातार बनी रहने वाली खांसी या बुखार आदि को देखते हुए हमें शरीर को रोगजनकों द्वारा किए गए अटैक से लड़ने के लिए तैयार करना होगा।

डॉ. नीना बहल जो एक गाइनोकोलॉजिस्ट होने के साथ ही स्वस्थ जीवन पद्धति विशेषज्ञ भी हैं कहती हैं – ‘मानसिक तनाव भी इम्यूनिटी लेवल पर बहुत प्रभाव डालता है। अगर व्यक्ति लगातार तनाव से जूझ रहा है तो इसका असर उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता था। मानसिक तनाव इम्यूनिटी घटाता है। वहीं सोशल मीडिया का भी बहुत ज़्यादा प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है। सोशल मीडिया में आज जिस तरह नकारात्मक चीज़ें आ रही हैं, हिंसा, दंगा, नेताओं के उन्मादी बयान, लड़कियों से रेप और हिंसा की ख़बरें, ये तमाम चीज़ें हमारे सुकून और ख़ुशी को बर्बाद करती हैं और दिमागी तनाव को पैदा करती हैं जिसके कारण इम्यूनिटी पावर बहुत लो हो जाती है और हमारी रोग से लड़ने की क्षमता ख़त्म होने लगती है। खुद की तुलना दूसरों से करना, अपने बच्चों की तुलना पड़ोसी या रिश्तेदारों के बच्चों से करना या अपने पति को अन्य महिलाओं के पति से कम आंकना अथवा अपने घर और जीविका के संसाधनों से संतुष्ट ना होना भी शरीर और मन दोनों में नकारात्मकता पैदा करता है जो मानसिक तनाव और कम प्रतिरक्षा प्रणाली का कारण बन सकता है।’

वे लक्षण जो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की तरफ इशारा करते हैं –

सुस्ती महसूस होना

शरीर में सुस्ती महसूस करना कमजोर इम्यूनिटी की निशानी है। चूंकि आपका शरीर हमेशा रोगजनकों के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहता है, ऐसे में ऊर्जा की खपत ज्यादा होती है। जिसके कारण आप नियमित नींद के बाद भी थका हुआ और सुस्त महसूस करते हैं। ऐसा तभी होता है जब आपकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।

सर्दी-खांसी का खतरा

लोगों को साल में 2 से 3 बार सर्दी होना एकदम सामान्य है। लेकिन अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें जरूरत से ज्यादा सर्दी होती है, तो यह समय है, जब आपको अपनी इम्यूनिटी पर ध्यान देना चाहिए। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अक्सर बहुत जल्दी-जल्दी और आसानी से सर्दी हो जाती है और ऐसे लोग बहुत जल्दी बीमार भी पड़ जाते हैं।

लगातार पेट की समस्या

हमारी प्रतिरक्षा का एक बड़ा हिस्सा सीधे हमारे पाचन तंत्र की स्थिति से जुड़ा होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में लगभग 70 प्रतिशत प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले ऊतक हमारी आंत में स्थित होते हैं। यदि आप नियमित रूप से पेट की समस्याओं जैसे दस्त, सूजन, कब्ज आदि से पीड़ित रहते हैं, तो यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की चेतावनी संकेत हैं। इसलिए पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को लेकर लापरवाही न बरतें, बल्कि समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें।

स्वभाव में चिड़चिड़ापन

शरीर स्वस्थ हो, तो मन अपने आप शांत रहता है। लेकिन अगर आप ठीक नहीं होंगे, तो इसका असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर दिखाई देगा। कमजोर इम्यूनिटी वालों में चिड़चिड़ापन होना कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का पहला संकेत है। बेशक इसके लक्षण बाहर से दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए यदि आप लगातार थकावट और चिड़चिड़ेपन का अनुभव कर रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें । इसके साथ ही शरीर में होने वाले सामान्य संक्रमणों का रिकॉर्ड भी रखें।

घाव धीरे-धीरे ठीक होना

कई बार शरीर के किसी भी अंग में होने वाला घाव एक सप्ताह तक भी ठीक नहीं होता। क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है। जिसके कारण घायल हुई त्वचा बहुत जल्दी ठीक नहीं हो पाती । दरअसल, शरीर की उपचार प्रक्रिया प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करती है। आपकी प्रतिरक्षा जितनी मजबूत होगी ,घाव उतनी ही जल्दी और आसानी से ठीक हो जाएगा।

इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए

जैसे ही आपको यहां बताए गए संकेतों का अनुभव हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। वहीं दूसरा तरीका है कि अपनी जीवन शैली में आहार में बदलाव करें। ऑर्गेनिक मौसमी खाद्य पदार्थ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इनका सेवन करें और ज्यादा से ज्यादा विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थ अपने आहार में शामिल करें।

धूप शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है। हड्डियों की मजबूती भी धूप से आती है। इसलिए सुबह की धूप अवश्य लें। एक घंटे की वॉकिंग और व्यायाम शरीर में फैट नहीं जमा होने देता। चलने से मासपेशियां और जोड़ मजबूत रहते हैं। शरीर फुर्तीला और चमकदार रहता है। वॉकिंग से आपको अपनी ऊर्जा लेवल का भी पता चलता है। खिलाड़ियों को देखिये उनके चेहरे पर एक तेज रहता है जो मेकअप से लिपे-पुते चेहरे से ज़्यादा सुन्दर दिखता है। यह आतंरिक शक्ति और ऊर्जा के कारण है। व्यायाम या खेलने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। रक्त संचार अच्छा होने से चेहरे पर लालिमा रहती है और सिर के बाल भी घने और चमकदार होते हैं जो सौंदर्य में बढ़ोत्तरी करते हैं।

विटामिन ए में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर में सूजन को रोकने का काम करते हैं। साथ ही, शरीर में बीमारियों से लड़ने वाली कोशिकाओं की संख्या बढ़ाते हैं। शरीर में विटामिन ए की मात्रा बढ़ाने के लिए आप गाजर, कद्दू, शकरकंद, दूध, दूध से बने पदार्थ, दही, पनीर, आम, पपीता, खरबूज, संतरा, खुबानी आदि को अपनी डाइट में शामिल करें।

विटामिन सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को होने वाले नुकसान और संक्रमण से बचाते हैं। आंवला, पपीता, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, संतरा, नींबू, टमाटर, हरी मिर्च और ब्रोकली में विटामिन सी पाया जाता है।

विटामिन डी सांस से संबंधित संक्रमण और वायरल संक्रमण को रोकने में प्रभावशाली साबित होता है। सूरज की रौशनी, अंडे की जर्दी और मशरूम विटामिन डी के बड़े स्रोत हैं।

विटामिन ई में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। विटामिन ई की पूर्ति करने के लिए ब्रोकली, कद्दू, शलजम और साग का सेवन कर सकते हैं।

इन सबके अलावा, बादाम, जैतून, मूंगफली, कीवी, खुबानी, गेहूं का बीज और वनस्पति तेल जैसे कि सूरजमुखी, गेहूं, बादाम और सोयाबीन के तेल में विटामिन ई की अधिक मात्रा पाई जाती है।

आयरन, सेलेनियम, ओमेगा 3, जिंक और प्रोबायोटिक भी फायदेमंद होते हैं। इन सब की मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर शरीर में होने वाली क्षति और संक्रमण को रोका जा सकता है और स्वास्थ्य, रोग मुक्त एवं सौंदर्य युक्त जीवन जिया जा सकता है

Holi Special: डबल मस्ती औन होली

‘इतना मजा क्यों आ रहा है, तू ने हवा में भांग मिलाया…’ फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’  का यह गीत सुन कर मन होली की मस्ती में डूबने को करता है. ऐसा लगता है कि वाऊ होली कितना मस्त त्योहार है. इस दिन खूब धमाल मचाएंगे. खूब रंगगुलाल उड़ाएंगे. दोस्तों संग खूब मस्ती करेंगे, लेकिन ऐसी फीलिंग इस गीत को सुनने तक ही रहती है, जब इस फैस्टिवल को रीयल में मनाने की बात आती है तो हम खुद को घर में कैद करना ही बेहतर समझते हैं. हमें लगता है कि कौन रंगगुलाल लगा कर अपना चेहरा खराब करे, क्यों न इस दिन छुट्टी को सो कर या टीवी देख कर बिताया जाए.

हमारी यही सोच आज हमें इस फैस्टिवल को जीभर कर ऐंजौय नहीं करने देती, जबकि एक समय हम होली का इंतजार कई महीनों पहले से करना शुरू कर देते थे, तो फिर आज क्यों नहीं. तो क्यों न यह बात मान कर चलें कि अगर आज ऐंजौय नहीं किया तो ये पल फिर दोबारा नहीं मिलेंगे, तो फिर हो जाएं तैयार होली के रंग में रंगने के लिए.

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भारत में विभिन्न जगहों पर होली सैलिब्रेशन

होली भले ही रंगों का त्योहार है लेकिन इसे मनाने का अंदाज हर जगह अलग है जैसे :

–  दिल्ली में होली पर ग्रैंड सैलिब्रेशन होता है, जिस की तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है. होली वाले दिन सब एकदूसरे को गले लगा कर तिलक लगाते हैं व टोलियों में अपने घरों की छतों व पार्कों में खूब एेंजौय करते हैं. इस दिन घरों में कई तरह के पकवान भी बनते हैं जिस से इस का मजा दोगुना हो जाता है.

–  उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में होली सिर्फ रंगों से ही नहीं बल्कि लाठियों से सैलिब्रेट की जाती है, जिस में परिवार की औरतें पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, जिस का मकसद किसी को चोट पहुंचाना नहीं बल्कि सिर्फ फन होता है.

–  उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में खड़ी होली मनाई जाती है, जिस में लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहन कर महल्लों में घूमते हुए गीत गाते हैं.

–  केरल में होली को मंजल कुली के नाम से जाना जाता है. वहां इस दिन खूब मस्ती की जाती है.

–  बिहार में होली पर अलग ही नजारा देखने को मिलता है. वहां रंगगुलाल के साथ इस मौके पर भांग भी जम कर पी जाती है. वहां होली को फगुआ कहते हैं.

–  असम में होली को फाकुआ के नाम से जाना जाता है. यहां पर यह त्योहार 2 दिन तक मनाया जाता है. होली से एक दिन पहले क्ले के घर बना कर उन्हें जलाया जाता है, वहीं दूसरे दिन रंगों से होली खेली जाती है.

–  महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में होली के 5 दिन बाद रंगपंचमी बहुत ही फन के साथ मनाई जाती है.

– राजस्थान के उदयपुर में रौयल होली मनाई जाती है. इस की सजावट इतनी शानदार होती है कि देखने वाले दंग रह जाते हैं.

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हुड़दंग का नहीं अपनों के साथ टाइम स्पैंड का मूवमैंट

होली का मतलब ऊटपटांग हरकतें कर के किसी का दिल दुखाना या जबरदस्ती किसी को रंग लगाने की कोशिश करना नहीं है बल्कि इस दिन परिवार व दोस्तों संग जम कर मस्ती करना, टोलियों में घूम कर घरघर विश करना और खूब ऐंजौय करना है ताकि पूरे साल याद रहे यह दिन. इस दिन आप अपने बिजी शैड्यूल के कारण जो समय अपनों को नहीं दे पाए उसे इस त्योहार के बहाने दें तभी आप को एहसास होगा कि आज कुछ खास है तभी तो यह बात है.

देखने से ज्यादा इन्वौल्व भी हों

बहुत से युवाओं की यह सोच होती है कि होली पर अपने घर के आंगन में से ही बाहर की रौनक का लुत्फ उठाया जाए ताकि हम गंदे भी न हों और मजा भी पूरापूरा आ जाए जबकि होली अपनों के साथ मस्ती करने का त्योहार है. इस दिन का मकसद सिर्फ एकदूसरे को रंग लगाना ही नहीं बल्कि पुराने गिलेशिकवे भुला कर फिर से एक हो जाने व मिलबैठ कर पकवानों का लुत्फ उठाने का पर्व है और ऐसा तभी संभव है जब वे इस दिन के लिए पहले से शैड्यूल बना कर चलें.

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बौलीवुड में होली का जश्न

बौलीवुड में होली को ले कर काफी क्रेज होता है. वे इस के लिए कई दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं, क्योंकि वे हर बार होली को अलग अंदाज में मनाने के मूड में होते हैं. इस दिन वे अपने फेवरिट बौलीवुड करैक्टर को कौपी कर के खुद को एक अलग अंदाज में पेश करने की कोशिश करते हैं या फिर व्हाइट ड्रैस कोड में एकदूसरे को रंगने के लिए बेताब रहते हैं, इस दिन सैलिब्रिटीज होली के मशहूर गीतों पर थिरकती नजर आती हैं यानी चारों तरफ मस्ती का आलम ही नजर आता है.

प्ले होली विद नैचुरल वे

कुछ युवा होली पर जो हाथ में लग जाए जैसे साइकिल की ग्रीस, कैमिकल वाले कलर्स जिन से स्किन को नुकसान पहुंचता है, से होली खेलते हैं. ऐसे में कुछ युवा डर के मारे होली खेलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. इसलिए अच्छा रहेगा कि होली नैचुरल वे में खेलें, घर पर कलर बना कर. अगर आप को औरेंज कलर बनाना है तो 10 लिटर गरम पानी में 500 ग्राम टेसू के फूल डालें और अगर पिंक कलर बनाना है तो 500 ग्राम गुलाब की पत्तियां डालें और उसे 10-12 घंटे के लिए रख दें. फिर देखिए क्या मजेदार रंग बनता है जो स्किन को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा और होली खेलने में मजा आएगा सो अलग.

Holi Special: ग्रीन टी फेस पैक से निखारे अपनी खूबसूरती

रंगो के त्योहार में रंगो से सराबोर होने के बाद हमें स्किन से संबंधित कई सारी समस्याएं हो जाती हैं. इन समस्याओं से हम बच सकते हैं अगर ग्रीन टी फेस पैक का इस्तेमाल करें तो.वैसे हममें से कई सारी महिलाएं ग्रीन टी पीती हैं क्योंकि इसके काफी फायदे हैं. ये सेहत के लिहाज से जितना फायदेमंद है उतना ही आपकी त्वचा को निखारने में भी कारगर है. जी हां, ये सच है कि ग्रीन टी में बहुत सारा एंटीऔक्‍सीडेंट, विटामिन और मिनरल पाया जाता है जो शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के साथ ही चेहरे को सुंदर व आकर्षक बनाता है. आइए आज हम आपको ग्रीन टी और उससे बने फेस पैक से मिलने वाले लाभ के बारे में बताते हैं.

क्या आप ग्रीन टी पीती हैं अगर हां तो यह तो बहुत ही अच्छी बात है क्योंकि इसे पीने से चेहरे से झुर्रियां, दाग-धब्‍बे, मुंहासे, सन टैन और यहां तक कि स्‍किन कैंसर जैसी समस्या से छुटकारा भी मिलता है. इसके अलावा आप प्रयोग किये गए ग्रीन टी बैग को डायरेक्‍ट ही त्‍वचा पर लगा सकती हैं, इससे सन टैन से मुक्‍ती मिलेगी और त्‍वचा गोरी हो जाएगी. ग्रीन टी में टैनिक एसिड होता है, जिससे चेहरे पर निकलने वाले मुंहासे दूर होते हैं. साथ ही यह शरीर के अंदर की गंदगी को बाहर निकालती है और चेहरे को औयल फ्री और चमकदार बनाती है.

अगर आप वाकई ग्रीन टी का फायदा उठाना चाहती हैं तो ग्रीन टी का सेवन करें और उसका फेस पैक बना कर चेहरे पर भी लगाएं. आइये जानते हैं कि किस तरह से बनाएं ग्रीन टी फेस पैक-

  • 3 चम्‍मच ग्रीन टी और कोकोआ पाउडर लेकर उसे 1 चम्‍मच बादाम के तेल में मिला लें. इसे 20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और चहरे को धो लें, इससे आपका आपकी त्वचा पर निखार आएगा और चेहरा ग्‍लो करने लगेगा.
  • पके पपीते का गूदा निकालिये और उसमें ग्रीन टी का पानी मिलाइये. इस पैक को चेहरे पर 15 मिनट तक रखने के बाद साफ कर लें. इससे टैन पड़ी स्‍किन बिल्‍कुल साफ हो जाएगी.
  • तीन स्‍ट्राबेरी को मैश कर के उसमें आधा चम्‍मच शहद और 1 चम्‍मच ग्रीन टी मिलाइये और इस पेस्‍ट से चेहरे को ऊपर की ओर हाथों से मसाज करें. आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें, आपकी सारी झुर्रियां गायब हो जाएंगी.
  • पानी उबाले और उसमें 3 टी बैग ग्रीन टी के और कुटी हुई अदरक डाल दें. जब पानी आधा हो जाए तो उसे छान लें और पानी को उस जगह पर लगाएं जहां पर पिंपल या दाग धब्‍बे हैं. इससे पिंपल साफ हो जाएगा.
  • 1 चम्‍मच शहद, औलिव औयल और 1 चम्‍मच ग्रीन टी पाउडर एक साथ मिलाइये. इस पेस्‍ट को हल्‍का सा गरम करें और इससे अपने चेहरे की मसाज करें, फिर 30 मिनट तक छोड़ने के बाद चेहरा धो लें.
  • ग्रीन टी के 2 बैग को 1 चम्‍मच चावल के आटे के साथ मिलाइये और उसमें नींबू का रस डाल कर पेस्‍ट तैयार कीजिये. इस पेस्‍ट को चेहरे पर 15 मिनट तक लगा रहने के बाद इसे स्‍क्रब कर के निकाल लीजिये. इससे स्‍किन ब्राइट दिखने लगेगी.

Holi Special: बोनसाई- सुमित्रा अपनी बात को रखते हुए क्या कहीं थी?

YRKKH: अभिमन्यु होगा मां मंजरी से नाराज, आरोही की मदद करेगी अक्षरा

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में इन दिनों काफी मजेदार ड्रामा देखने को मिल रहा है,सीरियल में आरोही और अभिमन्यु की शादी की चर्चा चल रही है. जिसे जानने के बाद से अक्षरा काफी ज्यादा अपसेट है.

बीते एपिसोड में आपने देखा होगा कि मंजरी अक्षरा के परिवार को खुश नहीं देख पाती है, इसी वजह से अभि और अक्षरा कि शादी के बारे में सबको बता देती है. लेकिन इस खबर पर कायरव बवाल कर देता है. वह साफ-साफ कहता है कि यह शादी उसे मंजूर नहीं है. मुझे यह रिश्ता बिल्कुल पसंद नहीं है. क्योंकि अभिमन्यु किसी के साथ अच्छा नहीं कर सकता है.

 

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वहीं आगे देखने को मिलेगा कि गोयनका परिवार इस शादी के लिए राजी हो जाएगा, वहीं कायरव इस शादी से भड़का हुआ नजर आएगा. बिरला परिवार गोयनका परिवार जाता है लेकिन आरोही वहीं रुक जाती है.

सीरियल में ट्विस्ट देखने को मिल रहा है, गोयनका परिवार में एक बार फिर से बवाल होने वाला है, जल्द ही अभिमन्यु सगाई करेगा, लेकिन अक्षरा अभिमन्यु का टीका लगाते हुए काफी ज्यादा इमोशनल लगेगी. अक्षरा का यह अवतार देखकर अभिनव अक्षरा के लिए काफी दुखी होगी.

तेजाब : किस्टोफर को खोने का क्या डर था-भाग 4

‘‘इसलिए कह रहा हूं कि आज वह तुम पर फिदा हो कर शादी कर ले, कल जब उस का दिल दूसरे पर आएगा और वह उस के साथ रहना चाहेगी तब क्या करोगे?’’

‘‘तब की तब देखी जाएगी. अभी तो मुझे सिर्फ क्रिस्टोफर चाहिए.’’

पापा चिढ़ कर बोले, “तुम्हारे ऊपर उस का भूत सवार है। इस समय तुम्हें कुछ समझ में नहीं आएगा. मगर याद रखना बाद में पछताओगे.”

मम्मी ने सारी बातें सुनी. वह भी पापा के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं रखती थीं. मेरे करीब आईं. प्यार से बालों को सहलाते हुए उसे भूलने को कहा. क्या यह संभव था… मैं ने अपनेआप को एक कमरे में बंद कर लिया था. क्रिस्टोफर की फोटो अपने सीने से लगाए उस के साथ बिताए पलों का याद कर अपना जी हलका करने की कोशिश करने लगा. पूरे 1 महीने बाद एक सुबह अचानक क्रिस्टोफर ने मेरे घर पर दस्तक दी. उसे सामने पा कर मन बेकाबू हो गया. उसे बांहों में भर कर चूमने लगा. क्रिस्टोफर को मेरा यह व्यवहार अमर्यादित लगा,”यह क्या बदतमीजी है…’’ क्रिस्टोफर ने खुद को मुझ से अलग करने की कोशिश की.

‘‘क्रिस्टोफर, अब मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाओगी,” मेरा कंठ भर आया. आंखें पनीली हो गईं.

‘‘क्या हालत बना रखी है. बेतरतीब बाल. बढ़ी दाढी. जिस्म से आती बू,’’ क्रिस्टोफर मुझ से छिटक कर अलग हो गई. यह मेरे लिए अपेक्षित नहीं था. होना तो यह चाहिए था वह भी मेरे प्रति ऐसा ही व्यवहार करती.

‘‘तुम पहले अपना हुलिया ठीक करो.’’

मैं भला क्रिस्टोफर का आदेश कैसे टाल सकता था. थोड़ी देर बाद जब मैं उस के पास आया तो वह खुश हो गई.

‘‘आई लव यूं,’’ कह कर उस ने मुझे चूम लिया. उस शाम हम दोनों खूब घूमे. घूमतेघूमते हम दोनों अस्सी घाट पर आए. वहां बैठे शाम का नजारा ले रहे थे कि उस का फोन बजा. क्रिस्टोफर उठ कर एकांत में चली गई. थोड़ी देर बाद आई.

‘‘किस का फोन था?’’ मैं ने पूछा.

‘‘पैरिस के मेरे एक दोस्त का था. मेरे पहुंचने की खबर ले रहा था.’’

क्रिस्टोफर के कथन ने एक बार फिर से मुझे सशंकित कर दिया. मैं भी दोस्त वह भी दोस्त. वह भी इतना अजीज की उस का कुशलक्षेम पूछ रहा था. क्या वह मुझ से भी ज्यादा करीबी था, जो क्रिस्टोफर ने एकांत का सहारा लिया. बहरहाल, मैं इस वक्त को पूरी तरह से जी लेना चाहता था. रात 10 बजने के हुए तो क्रिस्टोफर ने घर चलने के लिए कहा. घर आ कर उस ने मुझे गुडनाइट किया. उस के बाद हम दोनों अपनेअपने कमरे में चले गए.

सुबह की पहली किरण पड़ते ही क्रिस्टोफर की एक झलक के लिए मैं ऊपर उस के कमरे में आया. संयोग से दरवाजा खुला था. क्रिस्टोफर बाथरूम में थी. एकाएक मेरी नजर उस के लैपटाप पर गई. वह किसी से चैटिंग कर रही थी.

“एक इंडियन मेरे पीछे पड़ा है. उस से कुछ काम निकलवाने हैं.’’

‘‘काम जल्दी खत्म कर के आ जाओ.’’

फिलिप नाम का था कोई. यानी उस के दोस्त का नाम फिलिप है.

‘‘1 हफ्ते और इंतजार करो. आते ही हम दोनों शादी कर लेंगे.’’

‘‘ओके.’’

पढ़ कर ऐसा लगा जैसे मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई हो. मैं किसी तरह अपनेआप को संभाला. इस के पहले कि वह बाथरूम से निकले मैं वहां से खिसक गया.

क्रिस्टोफर ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा किया, यह सोच कर लगा कि मेरा सिर फट जाएगा. मुझे सपने में भी भान नहीं था कि क्रिस्टोफर मेरा इस्तेमाल कर रही है. मेरा मन उस के प्रति घृणा से भर गया. जी किया अभी जा कर क्रिस्टोफर का गला घोंट दूं. मगर नहींं मैं उसे ऐसा दंड देना चाहता था कि वह ताउम्र अभिशापित जीवन जीए. इस निश्चिय के साथ मैं उठा. एक सुनार के पास गया. मनमानी कीमत दे कर एक छोटे से जार में तेजाब खरीदा. उसे सभी की नजरों से छिपा कर अपने कमरे के आलमारी में रख दिया. अब मुझे मौके की तलाश थी.

आज क्रिस्टोफर अकेले शोधकार्य के लिए बाहर निकली. मुझे साथ नहीं लिया. जाहिर है, मेरे रहने से उस की निजता बाधित होती. इस बार 1 महीने पैरिस में रह कर आई है तो वह काफी बदलीबदली सी लगी. फिलिप से प्रेम का असर साफ उस के तौरतरीकों में दिख रहा था. मुझ से आई लव यू बोलना महज एक आडंबर था ताकि मुझे आभास न हो उस के मन में क्या चल रहा है.

दिनभर घूमने के बाद रात क्रिस्टोफर अपने कमरे में आ कर लेट गई. मेरा मन उस के रवैये से दुखी था. इसलिए उस के पास हालचाल लेने नहीं गया. ऐसा पहली बार हुआ जब क्रिस्टोफर ने मेरी उपेक्षा की. तभी क्रिस्टोफर का मोबाइल बजा, ‘‘कहां हो तुम?’’ न चाहते हुए मुझे उस के सवाल का जवाब देना पड़ा, ‘‘नीचे कमरे में.’’

‘‘नाराज हो?’’ अब मैं क्या कहूं. नाराज तो था.

‘‘मेरे पास नहीं आओगे?’’ इस तरीके से उस ने मनुहार किया कि मैं अपनेआप पर नियंत्रण न कर सका. तेज कदमों से चल कर उस के पास आया. उस की सूरत देखते ही मेरा सारा गुस्सा ठंडा पड़ गया. उस ने प्यार से मेरे बालों को सहलाया.

‘‘मुझे माफ कर दो, आज तुम्हें अपने साथ नहीं ले गई.’’

मैं एकटक उस के चेहरे को देख रहा था. नीली आंखें, सूर्ख अधर गुलाबी कपोल, निश्छल मुसकराहट जिस से वशीभूत हो कर मैं खुद से बेखबर हो गया. आने वाले दिनों में उस पर किसी और का अधिकार होगा, यह सोच कर मेरा दिल भर आया. मन मानने के लिए तैयार ही नहीं था कि क्रिस्टोफर मेरे साथ छल कर सकती है. लाख झुठलाने की कोशिश करता मगर हर बार लैपटाप की चैटिंग मेरी आंखों के सामने तैर जाती. जख्म फिर से हरे हो गए. तभी क्रिस्टोफर ने सहज भाव से कहा, ‘‘मैं परसो पैरिस जा रही हूं. तुम्हारा दिल से शुक्रिया अदा करती हूं. तुम न होते तो मेरा यह काम अधूरा ही रहता. मैं तुम्हे एक अच्छे दोस्त की तरह हमेशा याद रखूंगी.’’

मैं निशब्द था. क्या जवाब दूं. मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई. मुझे चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आने लगा. क्रिस्टोफर के बगैर जिंदगी का क्या अर्थ रह जाएगा मेरे लिए. वह मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी. सोचने लगा वह न आती तो अच्छा था. आई तो यों जा रही है मानो जिस्म से कोर्ई दिल निकाल कर ले जा रहा हो. इतनी पीड़ा महसूस हो रही थी मुझे. मैं घोर निराशा में डूब गया. जब कुछ नहीं सूझा तो क्रिस्टोफर के गले लग कर फफकफफक कर रो पड़ा.

‘‘मुझे छोड़ कर मत जाओ क्रिस्टोफर.’’

‘‘मैं मजबूर हूं.’’

‘‘तुम्हारे बगैर मैं जी नहीं पाऊंगा. मुझ पर रहम करो.’’

एकाएक क्रिस्टोफर मुझे अपने से अलग करते हुए नाराज स्वर में बोली, ‘‘क्या पागलपन है…’’

उस की बेरुखी की आग मेरे सीने में नश्तर की तरह चुभी. मुझ में प्रतिशोध की भावना दोगनी हो गई. रात को ट्रांसफार्मर जल गया था. गरमी के चलते क्रिस्टोफर छत पर सो रही थी. सुबह के 4 बज रहे थे. वह गहरी नींद में थी. मौका अच्छा था. मैं ने कमरे से तेजाब का जार उठाया. उड़ेलने ही जा रहा था कि एकाएक वह जग गई. हड़बड़ी में तेजाब का जार उस के बदन से टकराकर मेरे बदन पर गिर गया. मैं बुरी तरह चीखा. क्रिस्टोफर ने फुरती दिखाई. स्विच औन किया. कमरे में जैसे ही रोशनी फैली मुझे देख कर वह भी भयभीत हो गई. मगर हिम्मत से काम लिया. मेरे घर वालों को तत्काल जगाया.

मेरे शरीर का निचला हिस्सा बुरी तरह जल चुका था. हाथ की उंगुलिया एकदूसरे से चिपक गई थीं. क्रिस्टोफर और मेरे घर वाले मुझे उठा कर अस्पताल ले आए. गनीमत था कि चेहरा बचा था वरना मैं कहीं का न रहता. अपने शरीर का यह हाल देख कर मैं रोने लगा. क्रिस्टोफर ने ढांढ़स बंधाया. क्रिस्टोफर ने पैरिस जाने का प्रोग्राम स्थगित कर दिया और जीजान से मेरी देखभाल में जुट गई.

क्रिस्टोफर का यह रूप देख कर मैं घोर अपराधबोध से घिर गया. सोचने लगा कि क्या क्रिस्टोफर का मन मेरे प्रति बदल चुका है? क्या मैं अब वह इंडियन नहीं रहा जिस का वह इस्तेमाल कर रही थी? मैं भी कितना स्वार्थी हो गया था. प्रेम त्याग का दूसरा नाम होता है. मैं ने प्रेम को सही अर्थो में नहीं जाना. मुझे सिर्फ क्रिस्टोफर चाहिए थी. नहीं मिली तो उसे खत्म करने पर आमादा हो गया. यह भी कोई प्रेम हुआ. असली प्रेम तो क्रिस्टोफर ने किया. भले ही इंसानियत के नाते ही सही.

एक रोज अस्पताल में मैं और क्रिस्टोफर अकेले थे,”क्रिस्टोफर, जानती हो मैं क्या करने जा रहा था?’’

‘‘हां,’’ वह मुसकराई.

‘‘तुम्हें तो मुझ से नफरत करनी चाहिए थी.’’

‘‘मुझे नहीं मालूम था कि तुम मुझ से इस कदर प्रेम करते हो. मुझे तुम्हारे प्रेम पर गर्व है.’’

‘‘क्या मुझ से शादी करोगी?’’

क्रिस्टोफर मुसकराई,”प्रेम एहसास है. क्या हम इस एहसास के साथ नहीं जी सकते?’’ क्रिस्टोफर का यह प्रेम दर्शन मुझे अच्छा न लगा. वह आगे बोली, “मैं तुम से वादा करती हूं कि जब भी भारत आऊंगी तुम से जरूर मिलूंगी. एक अच्छे दोस्त की तरह.”

एकाएक वह चहकी, “तुम मेरे साथ पैरिस चलोगे? वहां तुम्हारा बेहतर इलाज करवाऊंगी. देखना तुम फिर से पहले जैसे हो जाओगे.’’

एकतरफ क्रिस्टोफर के इस प्रस्ताव पर खुशी मिली तो दूसरी तरफ जुदाई का गम भी था. खुशी ने मेरे मन में अपराधबोध को और बढ़ा दिया. मुझे अपने किए पर गहरा अफसोस था. वह मुझे साक्षात इंसानियत की देवी लगी. वहीं खुद को मैं ने एक पागल राक्षस के रूप में महसूस किया. गहरे अपराधबोध से उबरना आसान न था. दूसरी तरफ क्रिस्टोफर से अलग हो कर रहना मेरे लिए सहज नहीं था.

‘‘क्रिस्टोफर, तुम्हारे बिना यह जीवन अधूरा रहेगा. मैं ठीक हो कर भी तुम्हारी यादों से मुक्त नहीं हो पाऊंगा.’’

‘‘खूब होगे. अपने पैंटिंग पर ध्यान दो. अच्छा कलाकार बनोगे तो मुझे खुशी मिलेगी. तुम ने शोधकार्य में मेरी इतनी मदद की है कि इस का एहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी. आहिस्ताआहिस्ता सब ठीक हो जाएगा.’’

क्रिस्टोफर के जिद के आगे मैं बेबस था. बेमन से पैरिस जाने के लिए तैयार हो गया. शायद यह भी प्रेम का एक रूप था.

अमिताभ बच्चन और धमेंद्र के घर को बम से उड़ाने की मिली धमकी, पुलिस कर रही है जांच

देश की बड़ी हस्तियों पर हमेशा खतरा बना रहता है, आतंकवादियों के निशाने पर ये रहते हैं हमेशा , बीते दिन भी कुछ ऐसा हुआ है जिससे पूरे इंडस्ट्री में हडकंप मचा हुआ है, महाराष्ट्र के पुलिस स्टेशन पर एक ऐसा फोन आया है जिसे जानकर हंगामा मचा हुआ है.

इस कॉल के कटने के बाद से पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया है, इस पुलिस कॉल पर बताया गया है कि देश के नामि हस्तियों के घर पर धमाका हो सकता है.इस लिस्ट में देश के जानी मानी हस्तियां मुकेश अंबानी और अमिताभ बच्चन और धमेंद्र शामिल है,

 

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फोन कॉल पर यह भी दावा किया गया है कि यह काम करने वाले 25 लोग दादर पहुंच गए हैं, साथ ही उसने कहा कि धमेंद्र , अमिताभ और मुकेश अंबानी के घर को खत्म करे की बात कही है. बता दें कि इससे पहले अगस्त 2022 में मुकेश अंबानी के घर को उड़ाने की बात सामने आई थी.

 

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जिसके बाद से उनके घर की सिक्यूरिटी को हाई कर दिया गया था, यह खबर तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. अब चारों तरफ पुलिस सिक्यूरिटी बढ़ा दी गई है.

कांग्रेस अधिवेशन से भयभीत हैं नरेंद्र दामोदरदास मोदी?

हमारा देश लोकतांत्रिक है, इस सब के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद जिस तरह विपक्ष चाहे वह कांग्रेस हो या आप हो या समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी या अन्य छोटे बड़े राजनीतिक दल उन्हे नेस्तनाबूद करने की कोशिश की जा रही है, नेताओं को प्रताड़ित करने की चेष्टा जारी है उससे साफ संकेत मिलता है कि जैसा कि उद्धव ठाकरे ने कहा 2024 का लोकसभा चुनाव अगर नरेंद्र दामोदरदास मोदी के नेतृत्व में भाजपा अगरचे ऐन केन जीत जाती है तो विपक्ष के लिए अंतिम चुनाव होगा. अगर हम देखते हैं तो कांग्रेस पार्टी की देश से सिमटते हुए अब कांग्रेस चुनिंदा राज्यों में ही राज कर रही है, ऐसे में छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के संरक्षण में कांग्रेस पार्टी के अधिवेशन का आयोजन हो रहा है तो इसमें भाजपा नेतृत्व को क्यों पीड़ा हो रही है.

लोकतंत्र और देश ऐसे ही चलता आया है. यह भी सच है कि व्यवहार और हकीकत में अंतर होता है . मगर जिस तरह अधिवेशन से पूर्व केंद्र की विधि यानी प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस के नेताओं पर गाज गिराई वह देश भर में चर्चा का विषय बन गया. जहां कांग्रेस रक्षात्मक है वही भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार आक्रमण होती जा रही है. इससे यह संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं तो अधिवेशन से भय है. वस्तुत: भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर कांग्रेस भी आपके जैसा व्यवहार करती तो भारतीय जनता पार्टी क्या पैदा हो पाती…? क्या भाजपा आज जिस मुकाम पर पहुंची है कभी पहुंच सकती थी. लोकशाही और तानाशाही में अंतर भाजपा के बड़े नेताओं को मालूम होना चाहिए और एक देशहित और स्वस्थ स्पर्धा के रूप में अपनी भूमिका को निभाना चाहिए.

छापे और कांग्रेस का पक्ष

आज देश में जो हो रहा है वह सारा देश देख रहा है. कांग्रेस जिसकी जड़ें बहुत मजबूत हैं उसे अगर नेस्तनाबूद करने की ख्वाहिश‌ अगर भाजपा पाल रही है तो यह तो मुंगेरीलाल के ख्वाब ही कहे जाएंगे, क्योंकि कांग्रेस एक राजनीतिक दल ही नहीं एक विचारधारा भी है, छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई के बाद आवेश ने भी मोर्चा संभाल लिया और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा -छत्तीसगढ़ में पार्टी के कई नेताओं के खिलाफ है प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई को लेकर प्रधानमंत्री पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कठपुतली एजेंसियों का डर दिखाकर देश की आवाज को दबाया नहीं जा सकता.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बाड़ा ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री जी के मित्र गौतम अडाणी पर शैल कंपनी के जरिए घपला व अन्य कई गंभीर आरोप लगे मगर क्या आपको कोई भी एजेंसी इसकी जांच करते दिखी? कांग्रेस अधिवेशन में हम महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ बुलंद आवाज उठाने का संकल्प लेंगे. कठपुतली एजेंसियों का डर दिखाकर आप देश की आवाज को दबा नहीं सकते. पार्टी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा – कांग्रेस इस तरह के ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ वाले कदमों से डरने वाली नहीं है. उन्होंने रायपुर में स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कांग्रेस पार्टी इस कदम के खिलाफ कानून के तहत लड़ाई लड़ेगी.

कांग्रेस नेताओं के परिसरों पर ईडी के छापे के बारे में पूछे जाने पर वेणुगोपाल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई है. हमें इसकी उम्मीद थी. हम छापे की उम्मीद कर रहे थे, क्योंकि कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होने जा रहा है और चुनाव भी होने वाले हैं. हम किसी चीज से डरे हुए नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हम कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं.हम निश्चित रूप से कानून के अनुसार इसका मुकाबला करेंगे. दरअसल आगामी समय में छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश राजस्थान सहित पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं इन्हें देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अब सक्रिय हो गए हैं, मगर जिस तरह भाजपा सत्ता में आने के बाद केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है वह इस चुनाव में भाजपा पर ही भारी पड़ सकता है.

छोटी सी ये दुनिया-भाग 1: अनुभा के साथ सोलो ट्रीप पर क्या हुआ?

आजादी का अपना एक अलग ही नशा होता है. यदि ना होता तो क्या स्वतंत्रता के लिए इतने सिर कुरबान होते? अनुभा से अब तक केवल सुना ही सुना था. लेकिन यह भी सच है कि सुने हुए को साकार करने के लिए भी बहुत हिम्मत की जरूरत होती है. और लगता है कि अनुभा ने वह हिम्मत जुटाने की सोच ही ली है.

दरअसल, 25 वर्ष की अनुभा एक बैंक में क्लर्क है और अपने घर से मीलों दूर नौकरी करती है. उस की रंगत भले ही सांवली है, पर नैननक्श बड़े ही तीखे. कद 5 फुट, 3 इंच. देह कसावदार, उस पर खुले बालों में देख कर कोई भी उस का दीवाना हो जाए. औफिस में कई लोग उस पर लट्टू हैं, पर वह दबंग किस्म की है तो सामने से कहने में हिचकते हैं. लेकिन उस के पास भी कोमल दिल है.

अनुभा के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी है, इसलिए उसे घर पर रुपएपैसे की मदद भेजने की जरूरत नहीं पड़ती. खुद अनुभा भी एक पीजी में रहती है, इसलिए रहनेखाने का खर्चा भी बहुत अधिक नहीं होता. तो फिर अनुभा अपनी कमाई का आखिर करे तो क्या करे?

अनुभा को यदि कोई व्यसन नहीं है, तो कोई विशेष महंगा शौक भी नहीं है. लेकिन पर्यटन उस की कमजोरी है. उस ने अपने जैसे घुमक्कड़ों का एक समूह बना रखा है, जिस में चार दोस्त हैं. चारों ही एक से बढ़ कर एक घुमंतू…

3-4 महीने बीततेबीतते उन के पांवों में खुजली चलने लगती और फिर एक शाम यारों की महफिल जुटती. आपसी सहमति से मौसम के अनुकूल स्थान पर मुहर लगती और टैक्सी वाले को फोन कर के बुक कर लिया जाता. सप्ताहभर के भ्रमण के बाद यह चौकड़ी रिचार्ज हो जाती और फिर से अपनेअपने काम में जुट जाती.

पिछले ट्रिप पर दोस्तों में कुछ खटपट हो गई, इसलिए अगला पर्यटन थोड़ा लंबा खिंच गया. लेकिन कहते हैं कि लत की लत बहुत बुरी लत होती है. बाकी का तो पता नहीं, लेकिन अनुभा को जरूर पर्यटन की लत लग चुकी थी और अब वह बेचैन हो रही थी घर से बाहर निकलने के लिए. दोस्तों के बीच तो दूरी आ चुकी थी, जिस के पटने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे थे. तो क्या किया जाए?

एक दिन अनुभा सोशल मीडिया खंगाल रही थी कि अचानक एक ट्रैवलौग पर निगाह पड़ी. ब्लौगर ने अपनी सोलो ट्रैवलिंग के अनुभव वहां साझा किए थे, जिन्हें पढ़ कर अनुभा ने सोचा कि क्यों न इस बार सोलो ट्रिप ट्राई किया जाए. लेकिन सोचना अलग बात है और सोच को पूरा करना दूसरी बार… अनजानी दुनिया को अकेले महसूस करना कोई हंसीठठ्ठा है क्या?

‘इतना मुश्किल भी नहीं होता होगा. इसे करने वाले भी तो मेरे जैसे इनसान ही होंगे. फिर मैं क्यों नहीं?’ सोचते हुए अनुभा ने अपने भीतर की शक्ति को संजोया और इंटरनैट पर ऐसे लोगों को तलाश करने लगी, जो अकेले घूमते हैं.

पता नहीं, सोशल मीडिया में कोई जासूस बैठा है क्या जो हमारे विचारों में सेंध लगाता है, क्योंकि जब से अनुभा ने सोलो ट्रैवलिंग के बारे में पढ़ना शुरू किया है, तब से हर तीसरी पोस्ट के बाद उसी से संबंधित विज्ञापन उस के मोबाइल की स्क्रीन पर आने लगे हैं.

खैर, यह एक तरह से सुविधाजनक भी है, क्योंकि उन्हीं विज्ञापनों के माध्यम से अनुभा को कुछ ऐसे ट्रैवल एजेंट्स के बारे में पता चला, जो महिलाओं की सोलो ट्रेवलिंग प्लान करवाते हैं. अनुभा ने कुछ एजेंसियों से संपर्क कर के जानकारी ली, लेकिन उस के मनमाफिक कुछ अधिक नहीं हुआ.

‘जब ओखली में सिर दे ही दिया है तो फिर मूसल से क्या डरना,’ इस कहावत को याद करते हुए अनुभा ने तय किया कि वह अपनी ट्रिप खुद ही प्लान करेगी. लेकिन अब प्रश्न यह भी था कि वह अकेली जाएगी कहां?

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी है पर यह न भूलें कि सुप्रीम कोर्ट केवल यह देख रही थी कि इस की प्रक्रिया में कोई गैरकानूनी बात तो नहीं हुई. यह निर्णय अत्प्रत्याशित नहीं है क्योंकि पुराने नोटों को फिर से लीगल टैंडर घोषित करना न तो कानूनी वैध होता न उस से कोई लाभ होता. इस निर्णय से अफसोस बहुत है पर सब से बड़ा दुख यह है कि मौजूदा भगवा सरकार की तरह सुप्रीम कोर्ट भी कहती है कि ऐसे निर्णय लेने पर जनता को जो कठिनाइयां हुईं वे जनहित में ही थीं.

इस तरह का फैसला आगे आने वाली हर सरकार को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि जब चाहो जो मरजी कदम उठा लो, पांचसात साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा तब तक उस कदम से आई मानवीय तकलीफों को कोई याद नहीं रखेगा.

नोटबंदी ने जनता का पैसा रातोंरात छीन लिया और सरकार के हवाले कर दिया. इसे सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कैसे लिया, यह अभी स्पष्ट नहीं है पर पिछले 7 सालों में जनता ने इस जबरन वसूली पर नाकभौं भी नहीं सिकोड़ी है क्योंकि यहां की जनता तो मानती है कि आदमी खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है. हिंदू धर्म ने इस तरह मानसिक सोच बना कर रखी है कि लोग सरकार के हर कदम, जिस में खुली लूट होती है, पर परोक्ष रूप से अपनी मोहर देरसवेर लगा ही देते हैं.

नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री ऐसे नहीं हैं जिन्होंने जनता का पैसा या आजादी छीनी. इंदिरा गांधी ने जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, सैकड़ों निजी क्षेत्रों को सरकारी हाथों में लिया था, तब भी ऐसा ही था. उस से पहले जमींदारी उन्मूलन कानूनों में भी ऐसा ही हुआ. हर ऐसे फैसले जिस में सरकार ने अपनी पुलिस शक्ति के बल पर कुछ छीना उसे या तो अपने पास रखा या अपनों में बांटा, जनता के एक पक्ष ने सिर्फ तालियां ही बजाईं.

सुप्रीम कोर्ट इस जनसमर्थन से प्रभावित न हो, यह नहीं कहा जा सकता. जो सुप्रीम कोर्ट लाखों ऐसे लोगों को जेलों में बंद रखने पर चुप है जो वर्षों से अपने पहले फैसले का इंतजार कर रहे हैं, वह नोटबंदी में औरतों, बूढ़ों, बच्चों की निजी संपत्ति की खुली लूट के सरकारी फैसले का आखिर किस मुंह से समर्थन न करेगी.

सुप्रीम कोर्ट का महत्त्व यह तो है कि वह सवाल पूछ सकती है पर वह न लूटी संपत्ति वापस करा सकती है, न जेलों में बंद बेगुनाहों के खोए सालों को लौटा सकती है. सुप्रीम कोर्ट से यह आशा करना कि वह सरकार को चेताएगी, उस सरकार को जिसे जनता बारबार चुन रही है, फुजूल है.

सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों पर जनहित का फैसला तो कर सकती है जिस का असर भविष्य में भी पडऩे वाला हो. लेकिन जो हो चुका, जो बदला न जा सके, जो लौटाया न जा सके उस पर फैसला, चाहे कितना ही न्यायिक हो, करना फुजूल समझती है. सुप्रीम कोर्ट ऐसे फैसले भी नहीं कर सकती जिन्हें लागू करना असंभव हो. आपात स्थिति लागू करने, बाबरी मसजिद को तोड़े जाने, बोफोर्स या राफेल जैसे युद्ध के सामान खरीदने आदि मामले जब भी सुप्रीम कोर्ट के पास जाएंगे, उस के पास निर्णय करने की गुंजाइश कम ही होगी.

नोटबंदी के खिलाफ फैसला जनता को लेना था. उसे लूट के खिलाफ खड़ा होना था, मिस मैनेजमैंट का विरोध करना था, बेमतलब के कदम की भर्त्सना उसी तरह करनी थी जैसे किसानों ने किसान कानूनों के लिए की. जनता ने अपना हक और पैसा सरकार को मिठाई की तश्तरी बना कर दे दिया. अब उस तश्तरी को सरकार से सुप्रीम कोर्ट लौटवाने से रही.

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