कोरोना महामारी के दौरान एक चीज जिसकी जानकारी और जिज्ञासा हर व्यक्ति को हुई, वह थी इम्यूनिटी। कोरोना के अटैक में जिसने भी प्राण गँवाए उसके लिए कहा गया कि उसकी इम्यूनिटी वीक थी। कोरोना के समय में बाजार में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों की खरीदारी बढ़ गयी. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए ना जाने कितने तरह के शेक, पाउडर, दवाएं मार्केट में आ गयीं। जिससे भी बात करो उससे यही सलाह मिलती कि - इम्यूनिटी बढ़ाओ। इम्यूनिटी शब्द हमारी दैनिक बातचीत का हिस्सा बन गया।

इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की हमारे शरीर की क्षमता यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और संक्रमण से लड़ने के लिए ढेरों सलाह और नुस्खे पिछले तीन सालों में अनेक माध्यमों - अखबारों, पत्रिकाओं, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया, डॉक्टरों आदि से हमें मिले। विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि कोविड-19 के वाइरस ने हमारे श्वसन तंत्र - श्वांस नली, फेफड़ों के साथ साथ हृदय, लिवर, किडनी और पाचन तंत्र पर भी असर डाला है, ऐसे में कोविड का दौर अब भले ख़त्म हो गया हो, फिर भी हम सभी को कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के संकेतों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। क्योंकि जहां मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाती है, वहीं कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति को बार-बार संक्रमण होने का खतरा बना रहता है.

इधर काफी दिनों से ऐसे समाचार लगातार सुने जा रहे हैं कि छोटे बच्चों से लेकर जवान और बिलकुल स्वस्थ दिखने वाले लोगों को अचानक हार्ट अटैक पड़ा और पलक झपकते ही उनकी मृत्यु हो गयी। पिछले दिनों हार्ट अटैक ट्विटर पर टॉप ट्रेंडिंग रहा। लोग डरने लगे कि कहीं यह कोई नए किस्म की महामारी तो नहीं है?

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