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जैनेटिक कैंसर सिंड्रोम क्या है, क्या मुझे या मेरे भाई को भी इस का खतरा है?

सवाल

जैनेटिक कैंसर सिंड्रोम क्या है? मेरे परिवार में मेरी मां और उन की बहन कैंसर से पीडि़त रह चुकी हैं. हालांकि अब वे इस से उबर चुकी हैं. क्या मुझे या मेरे भाई को भी इस का खतरा है?

जवाब

कैंसर सिंड्रोम या फैमिली कैंसर सिंड्रोम एक प्रकार का आनुवंशिक डिसऔर्डर है, जिस के तहत एक या अधिक जीन में आनुवंशिक बदलाव आता है और यह प्रभावित व्यक्तियों में कैंसर के पनपने की प्रवृत्ति बढ़ा देता है और वे इस प्रकार के कैंसर के शुरुआती चरण में भी पहुंच सकते हैं.

कैंसर सिंड्रोम अकसर न सिर्फ कैंसर पनपने के आजीवन खतरे का संकेत देता है, बल्कि कई अलगअलग गांठ के विकसित होने का भी खतरा पैदा करता है. इन में से कई सिंड्रोम ऐसे जीन में होने वाले बदलाव के कारण होते हैं जो पहले कैंसर विकसित होने से कोशिकाओं की रक्षा करते थे. डीएनए रिपेयर करने वाले, औंकोजीन तथा रक्त नलिकाएं बनाने वाले जीन जैसे अन्य जीन भी प्रभावित हो सकते हैं.

वंशानुगत कैंसर सिंड्रोम के आम उदाहरण हैं, आनुवंशिक ब्रैस्ट, ओवरियन कैंसर सिंड्रोम तथा आनुवंशिक नौन पौलिपोसिस कोलोन कैंसर (लिंच सिंड्रोम). लिहाजा, वंशानुगत कैंसर से भी उबरना संभव है.

स्वाद से भरपूर केसर काजू गुझिया

घरेलू पकवान गुझिया का नाम लेते ही मैदे और मावा से तैयार गुझिया याद आ जाती है. होली के त्योहार पर यह पूरे देश में खाई और पसंद की जाती है. अब इस को चाशनी में डुबा कर खाने का रिवाज भी बढ़ता जा रहा है.  पूरे साल बिकने वाली गुझिया में केसरकाजू गुझिया का नाम सब से खास है. केसरकाजू गुझिया काजू, चीनी और केसर से तैयार की जाती है. सब से अच्छी बात यह है कि यह केसरकाजू गुझिया साल भर मिठाई की दुकानों में मिल जाती है. 600 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से शुरू होने वाली यह गुझिया जाड़े के त्योहारी सीजन में बहुत पसंद की जाती है. इस का कारण यह है कि इस में पड़ा मेवा जाड़ों में शरीर को ताकत देता है. इस से शरीर मजबूत होता है. मैदे और मावे से तैयार होने वाली गुझिया ज्यादा मीठी होती है, लिहाजा बहुत लोग इस को पसंद नहीं करते. केसरकाजू गुझिया में चीनी की मात्रा बहुत कम होती है, लिहाजा इसे सभी पसंद करते हैं. यह ज्यादा दिनों तक चलती है. ऐसे में इस को बहुत पसंद किया जाता है.

मिठाई कारोबार से जुड़े  प्रशांत कुमार कहते हैं कि केसरकाजू गुझिया देखने में गुझिया के आकार की होती है. इस कारण इस को गुझिया नाम से जाना जाता है. यह साधारण गुझिया से पूरी तरह से अलग मेवे की मिठाई है. बाजार में मैदे और मावे की गुझिया केवल होली के मौके पर बिकती है. केसरकाजू गुझिया पूरे साल बिकने लगी है. खाने की शौकीन स्वाति दीक्षित कहती हैं, ‘मुझे सामान्य गुझिया की जगह पर केसरकाजू गुझिया ज्यादा पसंद आती है. यह नए जमाने के लोगों को खूब पसंद आ रही है.’

कैसे बनती है केसरकाजू गुझिया

केसरकाजू गुझिया को बनाने में काजू, केसर व चीनी का इस्तेमाल होता है. सब से पहले काजुओं को पीस कर पेस्ट तैयार किया जाता है. इस में 20 फीसदी चीनी और केसर मिलाते हैं. मिक्स सामग्री को गुझिया बनाने के सांचे में डाला जाता है. इस प्रकार केसरकाजू गुझिया बन कर तैयार हो जाती है. मिठाई बनाने वाले रामपाल यादव कहते हैं कि चांदी का वर्क लगाने से गुझिया हाइजीनिक रहती है. मैदे और मावे की गुझिया कम कीमत में बिकती है, जब कि केसरकाजू गुझिया काफी महंगी बिकती है.

Holi 2023: जानें ठंडई के 4 फायदे

किसी भी त्योहार का खानपान उसे और अधिक खास बनाता है. होली आने वाली है, अपने खास खानपान के लिए जानी जाने वाली होली मिठाइयों, पकवानो और ठंडई के लिए जानी जाती है. इस खबर में हम होली के खानपान, खास कर के ठंडई से होने वाले स्वास्थ फायदों के बारे में बताएंगे. हम आपको बताएंगे कि ठंडई कैसे आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकती है.

बेहतर होता है डाइजेसन

health benefits of thandai

ठंडई में सौंफ की मात्रा भी अधिक होती है जो शरीर को ठंडा रखता है और साथ में गैस की समस्याओं को भी दूर करता है. सौंफ में एंटी इंफ्लेमेट्रे गुण होता है जिससे पाचन अच्छा होता है.

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कब्ज में है फायदेमंद

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ठंडई में खसखस के बीज होते हैं जो पेट में पैदा होने वाले जलन को खत्म करने में मदद करता है और कब्ज को दूर करता है. इसके अलावा इसमें कई तरह के न्यट्रिशंस, प्रोटीन्स, फाइबर, कैल्शियम और मिनरल्स पाए जाते हैं.

बेहतर होता है इम्यून

health benefits of thandai

काली मिर्च और लौंग जैसे बहुत से मसाले ठंडई में मिलाए जाते हैं. केसर भी इसका अहम हिस्सा होता है. केसर में एंटी डिप्रेशन और एंटी औक्सिडेंट गुण होते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद है.

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दोगुनी एनर्जी रहती है

तरबूज और कद्दू के बीजों को ठंडई में मिलाने से प्राकृतिक उर्जा को बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा इसमें बादाम और पिस्ता भी मिलाया जाता है जिससे आपकी शक्ति दोगुनी होती है.

होली के दौरान ऐसे बचाएं अपने फोन को

होली के त्यौहार ने दस्तक दे दी है. हर्ष उल्लास से भरे इस पर्व में लोग रंग-बिरंगें रंगों से खेलना पसंद करते हैं. होली पर कुछ लोग सूखे रंग से और कुछ पानी में रंग घोलकर एक-दूसरे के साथ होली खेलना पंसद करते हैं. होली  एक ऐसा त्योहार है, जहां सबकुछ भूलकर हर कोई होली के रंग में रंग जाता है. अक्सर होली खेलते समय हम यह भूल जाते हैं कि हमारे साथ हमारा फोन भी है. जो शायद पानी की वजह से खराब भी हो सकता है, अगर आपके साथ ऐसा पहले हो चुका है और आप चाहते हैं कि इस बार यह गलती आपसे ना हो तो ये टिप्स पढ़ लीजिए. जो इस होली में आपके बहुत काम आने वाला है.

1- होली के दिन अक्सर हाथ भीगे होते हैं. तो बेहतर यह है कि आप गीले हाथों से फोन का इस्तेमाल ना करें. हाथ को सुखाकर ही अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें.

2- होली में जगह-जगह बच्चें पानी के गुब्बारे और पानी से भरी पिचकारी के साथ नजर आते हैं. ऐसे में आप अपने फोन को बचाने के लिए बाजार में उपलब्ध वाटरप्रूफ कवर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

3- होली खेलने से पहले आप अपने फोन को जिप वाले पाउच या वाटरप्रूफ बैग में भी रख सकते हैं. बाजार में काफी कम कीमत में आपको ये पाउच आसानी से मिल जाते हैं.

4- सिर भीगा हुआ हो तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें. क्योंकि अगर कान के पास पानी हुआ तो फोन में पानी जा सकता है, ऐसे में फोन के खराब होने की आशंका बहुत ज्यादा हो जाती है.

5- होली के दिन अगर आप फोन लेकर बाहर जा रहे हैं, तो इयरफोन या ब्लूटूथ ले जाना मत भूलिए. इसका इस्तेमाल करने पर आप होली पर फोन में आसानी से बात कर सकते है.

6- अगर इतना प्रोटेक्ट करने के बाद भी आपके मोबाइल फोन में पानी चला गया है तो, न तो कौल रिसीव करें और न ही कौल डायल करें और क्योंकि ऐसा करने से सिग्नल कैच करने की कोशिश में स्पार्किंग की दिक्कत हो सकती है.

7- मोबाइल फोन में अगर पानी चला गया है तो फोन को स्विच औफ कर दें और फोन की बैटरी निकाल दें. सूखने के बाद इसे ढंग से साफ कौटन कपड़े से पोछें.

8- मोबाइल फोन जब तक पूरा एकदम सही तरीके से सूख न जाए, इसे औन न करिए. अंदर नमी बची रह सकती है.

9- एक पुराना और कारगर तरकीब यह है कि आप मोबाइल फोन को भींगने पर पोंछने के बाद चावल के डिब्बे में बीच में रख दें. करीब 12 घंटे तक फोन को रखा रहने दें. इससे फोन के भीतर की नमी गायब हो जाएगी.

10- अक्सर लोग कहते हैं कि सुखाने के लिए हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करें लेकिन यह सही नहीं है. फोन में मौजूद मदर बोर्ड में दिक्कत आने के चांसेस हो सकते हैं. आप वैक्‍यूम क्‍लीनर से भी मोबाइल सुखा सकते हैं.

Top 5 Holi Special Story: टॉप 5 होली स्पेशल स्टोरी हिंदी में

होली के मौके पर आपके लिए लेकर आये है सरिता की Top 5 Holi Special Story हिंदी में. इस खास मौके पर पढ़िए सरिता की दिलचस्प कहानियां. जिसे पढ़कर आपको नयी सीख मिलेगी. तो अगर आप भी अपनी होली को शानदार बनाना चाहते हैं तो पढ़िए सरिता की Top 5 Holi Special Story.

  1. Holi Special: कड़वा फल- भाग 1

मम्मीपापा के बीच तनातनी का माहौल मैं ने सिर्फ ऐसे ही दिनों में देखा. अधिकतर तो वे हम भाईबहन के सामने झगड़ने से बचते, पर फिर भी एकदूसरे पर फुजूलखर्ची का आरोप लगा कर आपस में कड़वे, तीखे शब्दों का प्रयोग करते मैं ने कई बार उन्हें देखासुना था.

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2. Holi Special: जो बोया सो काटा

उम्र अधिक हो जाने से शरीर कमजोर हो गया था. निरंजन के लिए अब बाहर के छोटेछोटे काम निबटाना भी भारी पड़ रहा था. कार चलाने में दिक्कत होती थी. मनीषा वैसे तो घर का काम कर लेती थीं लेकिन अकेले ही पूरी जिम्मेदारी संभालना मुश्किल हो जाता था. नौकरचाकरों का कोई भरोसा नहीं, काम वाली थी, कभी आई कभी नहीं.

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3.Holi Special: कबाड़- क्या यादों को कभी भुलाया जा सकता है?

संयुक्त परिवार में बहू बन कर आई कंचन, दिनभर सास, चाची सास, दादी सास, न जाने कितनी सारी सासों से घिरी रहती थी. उन से अगर फुरसत मिलती तो छोटे ननददेवर अपना हक जमाते. अविनाश बेचारा अपनी पत्नी का इंतजार करतेकरते थक जाता. जब कंचन कमरे में लौटती तो बुरी तरह से थक चुकी होती थी. नौजवान अविनाश पत्नी का साथ पाने के लिए तड़पता रह जाता.

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4. Holi Special: बोनसाई- सुमित्रा अपनी बात को रखते हुए क्या कहीं थी?

 

समय तो बारिश का पानी है जबकि परिश्रम कुएं का जल. बारिश में नहाना आसान तो है लेकिन रोज नहाने के लिए हम बारिश के सहारे नहीं रह सकते, वहीं, समय से कभीकभी चीजें मिल जाती हैं किंतु हमेशा उस समय का इंतजार तो नहीं कर सकते; सुमित्रा ने अपना मत जाहिर कर दिया था.

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5. Holi Special: होली के रंग- उस दिन सुजाता ने क्या किया?

नितिन और सुनीति सेवेरे से उत्साहित थे. सुजाता जानती थी कि उस की भाभी को उन दोनों बच्चों का यों खेलनाकूदना रास नहीं आता है. फिर भी वह बच्चों को मना नहीं कर पाई. जब बच्चे होली के रंग से सराबोर हो कर घर लौटे तो सब से पहले दौड़ कर अपनी मां सुजाता से लिपट गए. सुजाता के कपड़े भी उन के शरीर पर लगे रंगों से रंग गए.

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मधुबाला एक्टर ने मिस्त्र की इस एक्टर से रचाई शादी, जानें पूरा मामला

विविन डिसेना टेलीविजन के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में से एक हैं, उनकी एक्टिंग को हर कोई पसंद करता है, आएं दिन वह अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में रहते हैं, हालांकि वह अपनी पर्सनल लाइफ को काफी ज्यादा छुपाकर रखते हैं लेकिन खबर आ ही जाती है.

एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि एक्टर ने अपनी मिस्त्र की गर्लफ्रेंड नौरान एली से शादी किया है. बता दें कि दोनों लंबे समय से एक-दूसरे को जानते थें, खबर ये भी है कि एक साल से अधिक समय से एक-दूसरे के साथ रह रहे थें.

बता दें कि साल 2022 में विविन डिसेन के साथ अपने संबंध को लेकर बात किए थें, उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही शादी के बंधऩ में बंधऩे कि योजना बना रहे हैं, हालांकि एक्टर ने ये बात भी कही थी कि वह अधिकारिक तौर पर शादी की घोषणा नहीं कर सकते हैं. क्योंकि वह औऱ नौरान बेहद निजी लोग हैं.

विवियन ने कई सारे सीरियल में काम करके अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं, सीरियल प्यार कि एक कहानी में उन्होंने पिशाच कि रोल अदा किया था, जिसमें इनकी एक्टिंग को खूब पसंद किया जाता था, इसके बाद वह शक्ति में हरमन के किरदार को लेकर काफी ज्यादा चर्चा में थें, हालांकि अब वह क्या कर रहे हैं, इसका पता किसी को भी नहीं है.

YRKKH : अभिमन्यु को भूलाकर अभिनव को अपनाएंगी अक्षरा, कहानी में आएगा बदलाव

स्टार प्लस का हिट सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है पिछले 14 साल से लोगों के दिलों पर राज कर रहा है, इस सीरियल में लगातार नए-नए ट्विस्ट आते रहते हैं, बता दें कि इस सीरियल में लगातार फैमली ड्राममा देखऩे को मिलता है.

जिस वजह से सीरियल की कहानी में लगातार ट्विस्ट आ रहे हैं, मंजरी अक्षरा को परेशान करती नजर आ रही है. अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि मंजरी पर अभिमन्यु गुस्सा करता है, अभि मंजरी से कहता है कि आप ऐसा क्यों कर रही हैं, तो मंजरी कहती है कि क्या तुम फिर से अपनी दिल में अक्षरा के लिए जगह बना रहे हो, तो तुम गलत हो, क्योंकि आज के वक्त में अक्षरा अकेली नहीं है, वह जब भी कहीं जाती है उसके साथ में अभिनव खड़ा रहता है. अभिनव उसके साथ में ही रहता है.

ये बातें सुनकर अभिमन्यु सहम जाता है, औऱ वहां से चला जाता है, आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अक्षरा के मन में अभिमन्यु के लिए फिलिंग्स आ जाएगी, वह अपनी आगे कि लाइफ भी अभिनव के साथ गुजारना चाहती है. इतना ही नहीं अक्षरा बडे पर पापा को बताती है कि अक्षरा उससे कितना प्यार करती है.

इसके बाद अक्षरा अभिनव और अबीर के पास जाती है, जहां उसे एक लेटर लिखा हुआ मिलता है जिसमें अभइनव अपनी फिलिंग्स को लिखा होता है, लेटर पढ़ने के बाद से अक्षरा अभिनव से कहती है कि आज से हम अपने नाम के आगे से जी हटा देंगे.

आगे कहानी में और भी ज्यादा ट्विस्ट आने वाला है, जिसके लिए आपको नेक्सट एपिसोड का वेट करना होगा.

मेरी ब्रैस्ट बहुत छोटी है, जिस की वजह से मैं कुछ भी पहनूं ग्रेस नहीं आता, समाधान बताएं?

सवाल

मैं 16 वर्षीय युवती हूं. मेरी 3 समस्याएं हैं- पहली समस्या यह है कि मेरे नीचे का होंठ बहुत मोटा है, जिस की वजह से मैं अच्छी नहीं दिखती. कोई तरीका बताएं जिस से मैं मोटे होंठ को पतला दिखा सकूं. मेरी दूसरी समस्या मेरे ब्रैस्ट को ले कर है. मेरी ब्रैस्ट बहुत छोटी है, जिस की वजह से मैं कुछ भी पहनूं ग्रेस नहीं आता. तीसरी समस्या मेरी वैजाइना के ढीलेपन को ले कर है. मेरे 3 सालों से एक लड़के से शारीरिक संबंध हैं, जिस की वजह से यह समस्या हो गई है. कृपया मेरी इन समस्याओं के समाधान बताएं?

जवाब

मोटे होंठ को पतला दिखाने के लिए नैचुरल लिपलाइन को छिपाएं. इस के लिए फाउंडेशन का इस्तेमाल पूरे होंठ पर करें. फिर मनचाही आउटलाइन खीचें और लाइट शेड की लिपस्टिक से फिलिंग करें. आप की दूसरी समस्या जैनेटिकली है. फिर भी आप अपना खानपान पौष्टिक व संतुलित रखें. चाहें तो पैडेड ब्रा पहनें. इस से आप की ब्रैस्ट का साइज बड़ा दिखेगा. वैसे भी अभी आप की उम्र मात्र 16 साल है. बढ़ती उम्र के साथ और विवाह व गर्भावस्था के बाद भी ब्रैस्ट के आकार में अंतर आता है.

अपनी तीसरी समस्या के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं. आप अभी मात्र 16 साल की हैं और पिछले 3 वर्ष से आप के एक लड़के के साथ शारीरिक संबंध हैं. यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बिलकुल गलत है. फिर भी आप वैजाइना के ढीलेपन को दूर करने के लिए पैल्विक फ्लोर ऐक्सरसाइज करें. इस से वैजाइना का ढीलापन दूर होगा. इस के अतिरिक्त बाजार में वी टाइट जैल उपलब्ध है. महिला डाक्टर की सलाह से आप उस का भी प्रयोग कर सकती हैं.

डीएनए जांच से डरना कैसा

साल 2008 में रोहित उत्तर प्रदेश के 3 बार के और उत्तराखंड के एक बार के मुख्यमंत्री रहे एन डी तिवारी के खिलाफ अदालत पहुंचे थे. रोहित ने दावा किया था कि वे एन डी तिवारी और अपनी मां उज्ज्वला शर्मा के बेटे हैं. एन डी तिवारी ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले को खारिज करने की गुहार लगाई थी. हालांकि कोर्ट ने वर्ष 2010 में तिवारी की इस गुहार को खारिज कर दिया था. 23 दिसंबर, 2010 को हाईकोर्ट ने सचाई जानने के लिए दोनों को डीएनए टैस्ट कराने का आदेश दिया था.

हालांकि एन डी तिवारी ने इस के खिलाफ भी खूब हाथपांव मारे थे और सुप्रीम कोर्ट भी गए थे लेकिन वहां से भी उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा था. इस के बाद उन्होंने अपना खून तो दिया था लेकिन उस के रिजल्ट को सार्वजनिक न करने की सिफारिश की थी, जिसे कोर्ट ने नहीं माना और रोहित का दावा सही हुआ. डीएनए टैस्ट के बाद रोहित को बेटे का हक मिला, लेकिन 39 साल की उम्र में रोहित की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई.

छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में एक बेटे को पिता की पहचान जानने के लिए डीएनए टैस्ट करवाना पड़ा, क्योंकि पुलिस को एकसाथ 2 सड़ेगले शव छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में मिले थे. परिवार वाले उसे पहचान नहीं पा रहे थे. इसे जानने के लिए पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने डीएनए टैस्ट करवाया और बाद में संबंधित परिवार को सौंप दिया. किया शोध फ्रेडरिक मिशर ने वर्ष 1869 में डीएनए की खोज की थी और उन्होंने इस का नाम न्यूक्लिन रखा. इस के बाद साल 1881 में अल्ब्रेक्ट कोसेल ने न्यूक्लिन को न्यूक्लिक एसिड की तरह पाया. तब इसे डीऔक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड नाम दिया गया था और इसे ही डीएनए का फुलरूप कहा जाता है. संरचना डीएनए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-औक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डीएनए कहते हैं.

इस में जैनेटिक कोड (आनुवंशिक कूट) निबद्ध रहता है. डीएनए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है. डरें नहीं डीएनए जांच से मुंबई के अपोलो स्पैक्ट्रा हौस्पिटल की जनरल फिजीशियन डा. छाया वजा कहती हैं, ‘‘असल में किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए कई प्रकार की जांचें की जाती हैं. इन में डीएनए (डीऔक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) जांच का नाम सुन कर अच्छेभले लोग भी डर जाते हैं. ‘‘यह एक ऐसा टैस्ट है जो हमारे जीन्स के बारे में एकदम सटीक जानकारी देता है. आज के बदलते जमाने में हत्या और बलात्कार जैसे कई अपराधों को सुल?ाने के लिए डीएनए परीक्षण का उपयोग किया जाता है. इसलिए ज्यादातर लोग इस के बारे में थोड़ाबहुत ही जानते हैं.’’

क्या होता है डीएनए? डाक्टर छाया कहती हैं, ‘‘हर व्यक्ति का डीएनए अलग होता है. डीएनए में 4 घटक होते हैं, एडेनिन (ए), थायमिन (टी), ग्वानिन (जी) और साइटोसिन (सी). एक अपराधी का पता लगाने और मातापिता अपने हैं या नहीं जानने के लिए इस जांच को करना पड़ता है, क्योंकि बच्चे का डीएनए उस के मातापिता से बनता है, लेकिन बच्चे और उस के मातापिता का डीएनए एकजैसा नहीं होता है, बल्कि कुछ हिस्सा मिलता हुआ हो सकता है. ‘‘एक डीएनए जांच द्वारा पितृत्व परीक्षण किया जाता है और यह लगभग 100 प्रतिशत सटीक होता है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के बच्चे का पिता है या नहीं. डीएनए टैस्ट में चीक स्वैब या ब्लड टैस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि आप को कानूनी कारणों से परिणाम की आवश्यकता है तो आप को चिकित्सा सैटिंग में परीक्षण करवाना चाहिए. प्रसवपूर्व पितृत्व परीक्षण, गर्भावस्था के दौरान पितृत्व का निर्धारण कर सकते हैं.’’ डीएनए एक बहुत ही साइंटिफिक टर्म है, इसलिए इसे आसान भाषा में सम?ाते हैं. व्यक्ति के शरीर में एक डीएनए कोडिंग होती है और यह कोडिंग जिस तरह से होती है, शरीर उसी तरह बनता है,

अर्थात कोडिंग ही तय करती है कि बच्चे की आंखों का रंग कैसा होगा, उस की स्किन का रंग कैसा होगा, लंबाईचौड़ाई कैसी होगी, मसल्स कितनी मजबूत होंगी, बाल कैसे होंगे, सीना कितने इंच का होगा और बच्चा भविष्य में किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी का शिकार हो सकता है या नहीं आदि. इस बारे में नवीं मुंबई की प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. बंदिता सिन्हा विस्तृत जानकारी देते हुए कहती हैं कि हमारा शरीर कई ट्रिलियंस सैल्स यानी कई खरब कोशिकाओं से बना है. शरीर का निर्माण करने में कोशिकाओं को एक निर्देश की जरूरत होती है, जो बताती है कि हम कौन हैं.

इस में डीएनए, जींस और क्रोमोसोम्स एकसाथ काम करती हैं. ये शरीर को आकार देने के साथसाथ फंक्शन करने के लिए भी निर्देश देती हैं. डीएनए एक ऐसा मैटीरियल है जो हमारे शरीर की हर कोशिका में मौजूद होता है और हमारे जैनेटिक कोड को पकड़े रहता है. जीन्स हमारे शरीर की ब्लौक्स को बनाते हैं. कुछ मानव जीन्स शरीर को प्रोटीन बनाने का निर्देश देते हैं और ये प्रोटीन्स ही आंखों का रंग, हेयर कलर, स्किन आदि को निर्धारित करते हैं. ये जीन्स हमें अपने पेरैंट्स से मिलते हैं. हर व्यक्ति में 23 क्रोमोसोम्स मां से और 23 क्रोमोसोम्स पिता से होते हैं. किसी एक कैरेक्टर के लिए दोनों पेरैंट्स से एकएक जीन्स हमें मिलते हैं, मसलन लंबाई के जीन के लिए एक पिता और एक मां से मिलेगा, क्योंकि जीन हमेशा जोड़ी में रहता है. जब हमें जीन्स की एक जोड़ी मिलती है तो ये डिवाइड हो कर अधिक से अधिक जीन्स प्राप्त होने तक एकदूसरे की कौपी करते रहते हैं, ताकि शरीर द्वारा दिए गए निर्देश को दोहराया जा सके.

शरीर में लगभग 20,000 से 25000 जीन्स होते हैं. असल में क्रोमोसोम्स या गुणसूत्र एक धागे की तरह होते हैं, जो कोशिकाओं की मसल्स में रहते हैं. डीएनए के मौलिक्यूल्स और प्रोटीन मिल कर क्रोमोसोम बनते हैं. क्रोमोसोम्स ही हमारी कोशिकाओं को एक यूनीक व्यक्ति बनने का निर्देश देते हैं. मानव जाति में 23 जोड़ी क्रोमोसोम्स यानी कुल 46 गुणसूत्र होते हैं और इन में 22 जोड़ी औटोसोम्स होते हैं. इस में केवल एक जोड़ी सैक्स क्रोमोसोम्स की होती है, जो लिंग निर्धारित करती है. इस प्रकार डीएनए, जीन्स और क्रोमोसोम्स मिल कर ही एक मानव शरीर का निर्माण करते है.

क्रोमोसोम्स सेल्स डीएनए को साथ ले कर चलते हैं. डीएनए ही हमारे शरीर की संरचना को बनाए रखने में उत्तरदायी होता है. जीन्स, डीएनए का एक सेगमैंट है, जो हमारी शारीरिक विशिष्टता को दर्शाता है. गर्भावस्था के दौरान पितृत्व का निर्धारण करना पितृत्व का परीक्षण बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है, लेकिन गर्भावस्था में भी यह जांच की जा सकती है. इस के 3 अलगअलग तरीके हैं. नौनइनवेसिव प्रीनेटल पितृत्व परीक्षण (एनआईपीपी) यह परीक्षण पहली तिमाही के दौरान गर्भवती महिला के रक्त में पाए जाने वाले भ्रूण के डीएनए से किया जाता है. इसे जांचने के लिए पिता के चीक सैल्स के नमूने को भ्रूण के डीएनए से मिलाया जाता है. कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) यह प्रक्रिया मां के गर्भाशय ग्रीवा या पेट के माध्यम से होती है.

इस जांच के लिए मां और पिता का डीएनए मिलाया जाता है. सीवीएस आमतौर पर एक महिला के आखिरी मासिक धर्म के 10 से 13 सप्ताह के बीच होता है. इस प्रक्रिया में गर्भपात या गर्भावस्था के नुकसान का थोड़ा रिस्क होता है. एमनियोसेंटेसिस एमनियोसेंटेसिस के दौरान, एक्सपर्ट थोड़ी मात्रा में एमनियोटिक फ्लूइड निकालता है. इस टैस्ट के लिए प्रैग्नैंट मां के पेट में एक नीडिल डाली जाटी है, फिर प्रयोगशाला में इस फ्लूइड के सैंपल को मां और संभावित पिता के डीएनए से तुलना की जाती है. एमनियोसेंटेसिस गर्भधारण के 15 से 20 सप्ताह के बीच में किया जाता है.

इस टैस्ट से मिस्कैरिज की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है. तरीके डीएनए टैस्ट के व्यक्ति के शरीर से खून की कुछ बूंदें ले कर इस टैस्ट को किया जाता है. इस के अलावा मुंह से स्वाब, हेयर, स्किन आदि से भी जांच की जा सकती है.

डीएनए देता है परिचय मातापिता का

-सैक्स क्रोमोसोम्स की जोड़ी में ब्लड सैंपल द्वारा × क्रोमोसोम मां की होने पर, क्रोमोसोम अगर पिता के क्रोमोसोम से मिलता है तो उस बच्चे का पिता वह व्यक्ति होता है.

-मातापिता को कोई बायोलौजिकल बीमारी अगर है तो इस बीमारी के बच्चे में जाने की संभावना है या नहीं.

– इन टैस्टों द्वारा व्यक्ति सगेसंबंधी और ब्लड रिलैटिव्स का पता लगा सकता है.

-क्राइम की छानबीन और आरोपी को दबोचने के लिए डीएनए टैस्ट किया जाता है.

-डीएनए टैस्ट के जरिए किसी भी व्यक्ति को किस बीमारी से खतरा है, इस का पता भी लगाया जा सकता है. समय डीएनए रिपोर्ट आने का जांच कराने के लगभग एक हफ्ते बाद डीएनए की रिपोर्ट आती है और किसी बीमारी की जांच के लिए की जाने वाली जांच में तकरीबन 2 से 3 हफ्ते का समय लगता है.

अडानी की चाल

बाजार का सिद्धांत है कि हर चीज का दाम मांग व पूर्ति पर तय होता है. लागत के अतिरिक्त क्या मिल सकता है, यह उस काम या सेवा की उपयोगिता पर ही नहीं, उस की मांग पर भी निर्भर करता है. अडानी के शेयर सालभर में आसमान छूने लगे थे क्योंकि गौतम अडानी के बारे में यह भरोसा था कि वे जिस को छुएंगे वह फलेगाफूलेगा ही. आखिर, उन्होंने एक छोटे से राज्य के मुख्यमंत्री को हाथ लगाया तो वह शक्तिशाली प्रधानमंत्री बन गया न.

अडानी समूह की कंपनियां रोजमर्रा की आम आदमियों की चीजें कम बनाती हैं. वे पोर्ट, एयरपोर्ट, सड़कें, कोयला खानें, बिजलीघर, गैस बनाती हैं जो आम लोगों को दिखती नहीं हैं और उन में, आमतौर पर, कंपीटिशन कम होता है. अडानी की कंपनियों को हर तरह के ठेके बैठेबिठाए मिल रहे थे, इसलिए उन के शेयरों के भाव बढ़ रहे थे. शेयर खरीद कर लोग लखपति से करोड़पति हो रहे थे. स्वयं अडानी परिवार इसी से करोड़पति से खरबपति बन रहा था.

अब जब एक छोटी सी रिसर्च रिपोर्ट, जिस में कुछ नया नहीं कहा गया है बल्कि जो जानकारी बिखरी पड़ी थी उसे मात्र एकत्र किया गया है, ने तहलका मचा दिया और अडानी परिवार के कागजी शेयर तुर्की व सीरिया के भूकंपों में गिरे मकानों की तरह गिर पड़े.

नरेंद्र मोदी, गौतम अडानी, अडानी की कंपनियों ने जिन से कर्ज लिया उन की तो छोडि़ए असली चिंता तो उन की करें जो काम अडानी अपने अधिकार में ले चुके हैं. एनडीटीवी चैनल को ही लें, जिसे काफी लोग देखते थे और दूसरे चैनलों से उस पर ज्यादा विश्वास करते थे, अब उस का होने वाला नुकसान क्या अडानी ग्रुप भर पाएगा? उस में काम कर रहे कुछ तो छोड़ गए, बाकियों का क्या होगा?

समुद्री पोर्ट, एयरपोर्ट, कोयला खानें, बिजलीघर बनाने में बरसों लगते हैं और बरसों आमदनी नहीं होती, सिर्फ खर्च होता है. यदि अडानी समूह को बैंक अब उस के शेयरों के बदले कर्ज नहीं देंगे तो क्या होगा. इन में से ज्यादातर उन जमीनों पर बन रहे हैं जिन की मिलकीयत मोटेतौर पर सरकारों ने आज भी अपने हाथ में रख रखी है. इन से पैदा होने वाली सेवाएं जनता को मिलेंगी या नहीं? इन पर अब तक जो खर्च हो चुका है, उस का क्या होगा?

सरकारी कपड़ा मिलों की तरह ये खंडहर तो नहीं बन जाएंगे. मिसमैनेज हुए विजय माल्या, नीरव मोदी, मोदीनगर वाले मोदी, जयपुरिया जैसों के कारखानों की तरह ये भी रूसी आणविक बिजलीघर चैर्नोबिल की तरह तो नहीं बन जाएंगे जो जनता का पैसा बंद होने के बाद में खाते रहेंगे.

देशभर में ऐसे सैकड़ों कारखाने हैं जिन में लगी मशीनें दोचार साल में देखरेख के अभाव में नष्ट हो गईं. उन पर लगी पूंजी बेकार गई. जिन लोगों ने उन कंपनियों के शेयर खरीद रखे थे वे कागज के टुकड़े बन कर रह गए.

अडानियों का क्या होगा, यह चिंता की क्या बात है. हो सकता है वे इस आर्थिक संकट से उबर जाएं पर जो जख्म इन्होंने लाखों अपने शेयरधारकों, कर्मचारियों, उन की सेवाएं या वस्तुओं का व्यापार करने वालों को दिए हैं, उन का तो रोना भी कोई नहीं रोएगा.

जब भी कोई कच्चा बना मकान गिरता है तो नुकसान सिर्फ मालिक को नहीं होता, उस के आसपास की पूरी बस्ती को होता है. अडानी समूह किस को कितना नुकसान पहुंचाएगा, अभी पता नहीं पर जो भी अडानी का कुछ लेदे रहे थे, उन्हें हर रोज खबरदार रहना होगा और कयामत सा डर का सामना करने को तैयार रहना होगा.

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