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आतिफ असलम के घर बेटी ने लिया जन्म, रखा ये खूबसूरत नाम

अपनी आवाज से लोगों के दिलों पर जादू चलाने वाले आतिफ असलम अब एक बेटी के पापा बन चुके हैं, बता दें कि आतिफ ने ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि हिंदुस्तान में भी अपना नाम कमाया है, आतिफ के  चाहने वालों की कमी नहीं है.

जैसे ही आतिफ ने अपने सोशल मीडिया पर पापा बनने की खुशी जाहिर की  उन्होंने बताया कि वह पिता बनें हैं,  फैंस लगातार उन्हें बधाई देने लगें, उन्होंने इस गुड न्यूज के साथ अपनी बेटी की तस्वीर शेयर कि है, बता दें कि आतिफ ने अपनी बेटी का नाम हलीमा रखा है,

 

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आतिफ के इस पोस्ट पर लोग खूब रिएक्ट कर रहे हैं,फैंस उन्हें खूब बधाई दे रहें हैं, एक यूजर ने लिखा है कि कहते हैं कि हमारे यहां बेटा पैदा होता है तो रौशनी लेकर आता है लेकिन बेटियां पैदा होती है तो दोगुनी रौशनी लेकर आती हैं.

बता दें कि आतिफ असलम ने साल 2013 में सारा भारवानी से शादी रचाई थी, बता दें कि इससे पहले भी आतिफ के 2 बेटे हैं और अब घर में एक नन्हीं परी ने जन्म लिया है, इस खबर के बाद से सिंगर काफी ज्यादा खुश हैं.

आतिफ असलम अपनी फैमली को लेकर काफी ज्यादा प्रोटेक्टिव रहते हैं, आतिफ अपने बच्चें और बीवी के साथ अक्सर क्वालिटी टाइम स्पेंड करते नजर आते हैं.

GHKKPM: अनुपमा को पीछे करने के लिए मेकर्स ने खेला ये खेल, 5 नए चेहरों की हुईं एंट्री

सीरियल गुम है किसी के प्यार में टीआरपी में आने के लिए कड़ा मेहनत कर रहा है, इस सीरियल में लगातार नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं, फैंस इस सीरियल को देखने के लिए इन दिनों काफी ज्यादा उत्सुक नजर आ रहे हैं.

जहां एक तरफ सई और विनू की दोस्ती हो गई है तो वहीं दूसरी तरफ फैंस के डिमांड पर नए- नए चेहरे की एंट्री भी हो रही है. टीआरपी के लिए 1 नहीं बल्कि 5 नए चेहरे की एंट्री करवाई गई  है,  साथ ही कहानी में नया ट्विस्ट दिया गया है.

 

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इस सीरियल में हर्षद अरोड़ा से लेकर प्रिया मेहता तक की एंट्री करवाई गई है, बता दें कि हर्षद ने डॉक्टर सत्या अधिकारी बनकर शो में एंट्री किया है, उन्हें लेकर कहा जा रहा है कि लव इंटरेस्ट सई को लेकर जोड़ा जाएगा.

तारक मेहता कि रिटा रिपोर्टर यानि प्रिया अहूजा की भी एंट्री हो गई है, वह सत्या कि बहन का रोल अदा करेंगी.  इससे पहले दीपाली कामथी की एंट्री हुई थी सीरियल में वह सत्या की मावशी का किरदार निभाती नजर आएंगी.

वहीं इसमें सत्या की मां की भी एंट्री करवाई गई है जो जबरदस्त एंट्री हैं फैंस को इनकी अदा भी पसंद आ रही है. नए एंट्री किए हुए किरदार में वह एक नया चेहरा है.

उत्तर प्रदेश में मसालों की खेती

उत्तर प्रदेश अधिकतर सभी राज्य एक या 2 मसाले उगाते हैं. लेकिन मुख्य मसाला उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडि़शा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश महत्त्वपूर्ण मसाला उत्पादक क्षेत्र है. यहां पर धनिया, अदरक, मेथी, हलदी प्रमुखता से उगाई जाती है. पिछले कुछ सालों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मसालों की पैदावार और क्षेत्रफल में काफी बढ़ोतरी हुई है,

जो कि क्रमश: 3.6 और 5.6 फीसदी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, आगरा, बरेली और मुरादाबाद मंडलों में हलदी, सूखी मिर्च, धनिया, अदरक, लहसुन, मेथी और सौंफ की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इन सभी मसालों की इस क्षेत्र में काफी मांग होते हुए भी इन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बहुत कम है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में वैसे तो मसाला फसलों को उगाने के लिए भौगोलिक संसाधन भरपूर हैं, पर उत्पादकता में गिरे हुए स्तर को सुधारने में ये बाधाएं सामने आती हैं :

* भौगोलिक अनुकूलता के अनुरूप उन्नतशील प्रजातियों की कमी.

* परिष्कृत उत्पादन तकनीकों का न होना.

* मसाला उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर प्रचारप्रसार न होना.

* मसाला उत्पादन के लिए सामाजिक कुरीतियों का होना. भविष्य व विस्तार उत्तर प्रदेश में मसाले की खेती की संभावनाएं हैं, क्योंकि यहां पर इस के उत्पादन के अनुकूल सभी कारक मौजूद हैं, जिस से इस का भविष्य उज्ज्वल है,

जिन में मुख्य कारक निम्न हैं : अच्छे किस्म के बीज उत्पादन उत्तर प्रदेश की अनुकूलता के लिए मसाले वाली फसलों की अच्छी किस्मों का विकास किया जा चुका है, जिस से अधिक उत्पादन व अच्छी गुणवत्ता के बीज तैयार कर मसालों की औद्योगिक रूप से फसल पैदा की जा सकती है. विशेष पैकिंग द्वारा अधिकतर मसाले जल्दी खराब होने वाले होते हैं और उन की गुणवत्ता के लिए विशेष पैकिंग की आवश्यकता होती है. पैकिंग द्वारा हम अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते हैं.

पैकिंग की आधुनिक तकनीक से मसाले और मसाले उत्पाद लंबे समय तक रखे जा सकते हैं, जिस से इन के क्षेत्रफल व विपणन को बढ़ाने की प्रबल संभावनाएं हैं. जैविक खाद द्वारा मसालों की फसल तैयार करना जैव पदार्थों द्वारा मसाला पैदा करने का भविष्य अत्यंत सुखद है. जहां एक ओर रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक पदार्थों, खरपतवारनाशकों का प्रयोग अंधाधुंध हो रहा है, वहीं दूसरी ओर जैव पदार्थों द्वारा फसल तैयार करने की मांग दिनप्रतिदिन बढ़ रही है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जैविक खाद द्वारा तैयार मसालों की 20 से 50 फीसदी कीमत अधिक मिल रही है.

मसालों के उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग मसाला द्वारा उत्पाद उद्योगों में कच्चे माल के रूप में उपयोग किए जाते हैं जैसे वनिला का उपयोग- केक, आइसक्रीम बनाने में, अदरक का प्रयोग दवाओं में, हलदी का प्रयोग रंग करने में, मिर्च का प्रयोग मसाले के रूप में और ओलियोरेजिंग हलदी का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है, जिन की बहुत आवश्यकता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन का क्षेत्रफल बढ़ाने की प्रबल संभावनाएं हैं.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ती मांग मसाला फसलों का क्षेत्रफल बढ़ा है, पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मसालों की मांग दिनप्रतिदिन बढ़ने से क्षेत्रफल एवं उत्पादन में वृद्धि करना आवश्यक हो गया है. उत्पादकता पर ध्यान देना होगा, जिस से अंतर्राष्ट्रीय मांग की पूर्ति की जा सके. खाद्य पदार्थ की उद्योग में मांग खाद्य उद्योग में बनावटी रंग पर प्रतिबंध लगने और स्वास्थ्य के प्रति सचेत होने से हलदी की मांग दिनप्रतिदिन बढ़ रही है, जिस से इस के उत्पादन को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है. आयुर्वेदिक दवाओं में बढ़ती मांग जिस तरह से हम जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उसी प्रकार हम एलोपैथिक दवाओं से परहेज करने लगे हैं.

अब औषधियों का प्रयोग करने लगे हैं, जो हलदी व अन्य मसालों वाली फसलों से तैयार होती है. उद्योग के लिए पूरक कारक मसाले पश्चिमी उत्तर की जलवायु मसालों की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है. यही कारण है कि यहां पर मसालों की खेती बहुतायत से की जाती है. यहां पर बागों की अधिकता होने के कारण उन में मसालों की खेती अतिरिक्त रूप से की जाती है, जिस में धनिया, अदरक, हलदी और मिर्च मुख्य रूप से उगाए जाते हैं. मृदा जलवायु की तरह यहां की भूमि मसाला फसलों की खेती के लिए सही है, जिन में सभी फसलें आसानी से उगाई जाती हैं.

मजदूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजदूर आसानी से मिल जाते हैं, जो मसालों को उगाने के लिए पूरक कारक का काम करते हैं, जैसे बोआई, कटाई, बीज की सफाई, परागण में मजदूरों की जरूरत होती है. भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के दूसरे देश में भी ऐसे पौधों से स्वास्थ्य लाभ उठा रहे हैं. घरेलू औषधि उपचार के लिए मसाले बनाए गए हैं. अगर मसालों को उपयुक्त मौसम में एकत्र किया जाए, उन्हें सही ढंग से रखा जाए और प्रयोग किया जाए, तो आज भी उन का अच्छा असर देखा जा सकता है.

लेखक-डा. मनोज कुमार, एसएमएस, कृषि प्रसार ] डा. एसपी सिंह, एसएमएस, उद्यान विभाग, केवीके बेलीपार, गोरखपुर,

पपीते से यूं बनाएं बच्चों के लिए स्क्वैश, जैम, जैली, मुरब्बा और कैंडी

पपीता पोषक तत्त्वों की दृष्टि से एक बहुत अच्छा फल है. इस में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में होता है. साथ ही विटामिन बी व सी भी पाए जाते है. यह कैल्शियम, फास्फोरस तथा लौह तत्त्व का अच्छा स्रोत है. फलों में एक एन्जाइम पपेन होता है, जो प्रोटीन के पाचन में सहायक होता है. पके फल का रस पाचक तथा भूख लगाने वाला होता है.

इस का प्रसंस्करण इन चीजों को बना कर किया जाता है, जैसे नैक्टर, स्क्वैश, जैम, जैली, मुरब्बा, कैंडी आदि.

नैक्टर बनाना

सामग्री मात्रा गूदा 1 किलोग्राम चीनी 200 ग्राम पानी डेढ़ लिटर साइट्रिक एसिड 5 ग्राम पोटैशियम मैटा बाई सल्फाइट 1.5 ग्राम विधि

* खूब पके फल को ले कर पानी से साफ कर लें तथा छिलका उतार कर बारीक काट लें. गूदे में पानी की आधी मात्रा डाल कर थोड़ा गरम करें और इसे छलनी की सहायता से छान लें.

* शेष पानी तथा साइट्रिक एसिड को एक में मिला कर चीनी गरम करें. चीनी के घुल जाने पर छलनी से छान लें और टुकड़े कर लें.

* पपीते के रस में चीनी के घोल को मिला दें. मैटा बाई सल्फाइट को थोड़े से रस में मिला कर सारे पदार्थ को अच्छी तरह मिला लें.

* तैयार नैक्टर को बोतलों में भर कर रख लें.

पपीते का स्क्वैश

सामग्री

मात्रा गूदा 1 किलोग्राम चीनी डेढ़ किलोग्राम पानी 1 लिटर साइट्रिक एसिड 2 ग्राम पोटैशियम मैटा बाई सल्फाइट 2.5 ग्राम

विधि

* नैक्टर में बताई गई विधि के अनुसार स्क्वैश तैयार कर लें. पपीते का जैम सामग्री मात्रा गूदा 1 किलोग्राम चीनी 750 ग्राम पानी 100 मिलीलिटर साइट्रिक एसिड 3 ग्राम

* पके फल को पानी में साफ कर लें और उस का छिलका उतार कर कद्दूकस कर लें.

* गूदे को पानी डाल कर थोड़ा पकाएं. इसी में चीनी तथा साइट्रिक एसिड को मिला कर आवश्यक गाढ़ेपन तक पकाएं तथा अंतिम बिंदु की जांच करने के इस को एक प्लेट में थोड़ा सा डालें. अगर यह फैलता नहीं है तो जैम तैयार है.

* जैम को कौच के जार में संग्रह कर लें. पपीते की जैली सामग्री मात्रा कच्चे फल का गूदा आधा किलोग्राम पके फल का गूदा आधा किलोग्राम चीनी 1 किलोग्राम साइट्रिक एसिड 2 ग्राम

विधि

* कच्चे फल को पतलेपतले टुकड़ों में काट लीजिए और उस में उतना ही पानी डालिए कि फल डूब जाए और उसे गरम करें. जब फल बिलकुल मुलायम हो जाएत तब कपड़े द्वारा रस छान लें.

* इसी प्रकार पके फल के टुकड़ों में भी पानी डाल कर गरम करें और रस निकाल लें.

* दोनों रस को बराबर मात्रा में मिला लें तथा इस में साइट्रिक एसिड को मिला दें.

* रस में चीनी मिला कर पकाएं और अंतिम बिंदु की जांच कर लें. इस के लिए तैयार पदार्थ को ले कर एक चम्मच में ठंडा कर के एक कांच के गिलास में ठंडा पानी भर कर उस में डालें. अगर घुलता नहीं है तो जैली तैयार है.

* जैली को कांच के जार में भर लें.

पपीते का मुरब्बा

सामग्री मात्रा तैयार टुकड़े 1 किलोग्राम चीनी सवा किलोग्राम साइट्रिक एसिड 5 ग्राम नमक 40 ग्राम

विधि

* हरे या पके सख्त पपीते को ले कर पानी से साफ कर लें और उस का छिलका उतार कर 2 इंच के टुकड़ों में काट लें.

* नमक को 1 लिटर पानी में घोल कर पपीते के टुकड़ों को उस में डाल कर 2 दिन के लिए छोड़ दें. उस के बाद टुकड़ों को निकाल कर साफ पानी से अच्छी तरह साफ कर लें, जिस से नमक निकल जाए.

* अब आधी चीनी को 1 लिटर पानी में घोल कर गरम करें. उबाल आने पर 5 ग्राम साइट्रिक एसिड डाल कर शरबत को साफ कर लें.

* अब पपीते के टुकड़ों को गरम शरबत में डाल कर रातभर के लिए छोड़ दें.

* तीसरे दिन पपीते को निकाल कर शर्बत को शहद की तरह गाढ़ा कर लें. आंच पर जब गाढ़ा हो जाए तब इस में पपीते के टुकड़ों को डाल कर गरम कर के फिर ठंडा होने पर जार में रख लें.

मैं खेती करना चाहता हूं, जबकि मेरी प्रेमिका चाहती है कि मैं नौकरी ही करूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 23 वर्षीय युवक हूं. और एक लड़की से प्यार करता हूं जो न केवल मुझे से 2 साल बड़ी है बल्कि मुझ से ज्यादा पढ़ीलिखी भी है. वह भी मुझ से बहुत प्यार करती है और हम दोनों जल्द ही वैवाहिक बंधन में बंधने वाले हैं. मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूं लेकिन मैं कृषि क्षेत्र में अपना काम करना चाहता हूं जबकि वह लड़की चाहती है कि मैं नौकरी ही करूं. मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं? लड़की की बात मान कर प्राइवेट कंपनी की नौकरी ही करता रहूं या अपनी इच्छानुसार कृषि क्षेत्र में खुद का व्यवसाय करूं. समस्या का समाधान करें.

जवाब

क्या आप ने उस लड़की से जानने की कोशिश की कि वह क्यों चाहती है कि आप प्राइवेट कंपनी की नौकरी ही करें? आप के नौकरी के बजाय कृषि क्षेत्र में जाने से उसे क्या परेशानी है? पहले यह जानने की कोशिश करें. उस की बात जानने के बाद भी अगर आप कृषि क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाना चाहते हैं तो उसे कृषि क्षेत्र में अपना काम करने के फायदे गिनवाएं और उस की राय बदलने का प्रयास करें. उसे समझाएं कि जिस काम में आप की रुचि है, आप उसे ज्यादा बेहतर ढंग से कर पाएंगे. इन तरीकों से हो सकता है आप उसे समझाने की अपनी कोशिश में सफल हो जाएं और आप की समस्या का समाधान भी हो जाए.

अपने शर्मिले व्यवहार को बदले कॉन्फिडेंट पर्सनालिटी में

कुछ लोग अक्सर भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करते हैं। लोगो से कम मिलना झूलना,जरूरत से ज्यादा शर्माना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा होता है जिसके कारण लोगो के बीच उनकी छवि प्रभावित होने लगती है इस सब का प्रमुख कारण है उनका शर्मिला व्यवहार.

ऐसा नहीं है की शर्म या झिझक केवल महिलाओं के भीतर होती है यह किसी के भी व्यक्तित्व का हिस्सा हो सकता है ।जो लोग शर्मीले व्यवहार के होते हैं वो अपनी एक अलग दुनिया में खोये रहते हैं। ऐसा व्यवहार हमारी सफलता और संबंधो मे रोड़ा बन जाता है.

1.कारण जो बनाते हैं शर्मीला
हमारे व्यक्तित्व की नीव हमारे बचपन पर निर्भर करती है। अक्सर देखा जाता है की बाल पन में ही यदि किसी बात से मन को ठेस पहुंच जाती है तो धीरे धीरे ऐसे लोगो में आत्म-विश्वास की कमी होने लगती है कई बार स्कूल के दबाव के कारण भी बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है.मुख्य तोर पर तीन लोग व्यक्ति के व्यक्तित्व की गढ़ना करते है ।उसका परिवार ,उसके टीचर व दोस्त .अधिकतर इनकी कही बात उसके मन मे घर कर जाती है जिस से वह सोचने लगता है की मैं किसी लायक नहीं हूँ. किसी के शर्मीले व्यवहार के पीछे उसके वंशानुक्रम, संस्कृति व समाज और परिवेश का मिला-जुला या अलग-अलग प्रभाव हो सकता है .

इसके अलावा यदि बच्चे को हमेशा यह जताने का प्रयास करते रहेंगे कि वह किसी काम का नहीं या लोग उसके बारे क्या राय रख़ते हैं या उसे खुद को व्यक्त करने की आज़ादी नहीं देंगे. उसके साथी साथ खेलने से बचते हैं ,तो इस वजह से उसका सामाजिक विकास रुक जाता है और उसके स्वाभिमान में गंभीर गिरावट होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में लोगो से मेल झोल बढ़ाने का कौशल न होने के कारण व्यक्ति अकेलेपन या अवसाद अर्थात डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं जिस के कारण वह खुद को हिन् भावना से देखने लगता है और हमेशा अपनी ही अलग दुनिया में खोया रहता है .बड़े होने पर भी यही व्यक्तित्व उसकी पहचान बन जाता है. ऐसी परस्थिति से निकलने के लिए जरूरी है की आप गुमनामी के अँधेरे से बाहर निकलें.

2. खुद को पहचानें
जाने की आप के अन्दर किस बात का भय है और अपनी कमजोरी को दूर करने की कोशिश करें. और फिर अपनी उन खूबियों पर फोकस करें, जिनमें आप अच्छे हैं. इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप खुद को अपने अंदर पल रहे भय से मुक्त कर पाएंगे.
3. मिलनसार व्यवहार अपनाएं –
हर किसी से मुस्कुराते हुए खुशी से मिलें. क्योंकि जब आप खुश होते है तो सामने वाले को भी खुशी मिलती है और आपकी छवि उनकी नजरो में सकरात्मक बनी रहती है.आई कांटेक्ट बना कर बात करें जिससे आपके अंदर कि शर्म खत्म हों जाएगी.

4. तुलना करने से बचें
कभी भी ये नहीं सोचे की आपका दोस्त आप से बेहतर हैं बल्कि यह सोचें की आपके अंदर भी खूबियां है और आपको उनसे बेहतर बन कर दिखाना है.क्योकि जबतक हम दुसरो के अंदर खूबियां ढूंढ़ते रहेंगे तो खुद पर शर्मिंदगी मेहसूस करते रहेंगे.

5. दृढ़ निश्चय करें –आईने के सामने खड़े होकर रोज खुद को मोटीवेट करें, कि’ हाँ मुझे सब के सामने बात करनी हैं ,मुझे किसी के भी सामने नहीं झिझकना ,पूरे आत्म विश्वास के साथ जीना है’ यदि आप अपने इन कथनो पर अम्ल करते हैं तो आप सही में अपने शर्मीले व्यवहार पर विजय पा कर कॉन्फिडेंट पर्सनालिटी हासिल कर पाएंगे .

सरोगेसी की चमक पर काला बादल : भाग 3

इसलिए हम दोतीन महीने रुकते हैं. उस के बाद फिर कोशिश करेंगे.’ माधुरी ने दुखी मन से कहा, ‘आप जैसा ठीक सम झें, मैडम. हम तो पिछले 2 महीने से बहुत उत्साहित थे. अब देखिए, अगली बार क्या होता है?’ ‘तुम दोनों धैर्य रखो और प्रकृति पर भरोसा भी. मैं सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रक्रिया करती हूं. उस की सफलता या असफलता प्रकृति के हाथ में है.

हमारा काम कोशिश करते रहना है,’ कह कर डा. लतिका ने दोतीन महीने बाद आने को कहा और आने के एक महीना पहले वही दवाएं खाने की सलाह दी. 5 महीने बाद दोनों ने दोबारा प्रयास किया. इस बार भी असफलता हाथ लगी. दोनों टूटते जा रहे थे पर हर बार एक उम्मीद के साथ खुद को तैयार करते. हर बार प्रभाष और माधुरी 2 महीने इसी उम्मीद में जीते कि इस बार सब अच्छा हो. एकएक कर के 4 बार आईवीएफ की प्रक्रियाएं असफल हुईं और ऐसा करतेकरते पूरे 3 साल निकल गए. अब दोनों ने हार मान ली और निराश हो गए. अंतिम बार जब भ्रूण स्थानांतरण असफल हुआ तब डा. लतिका ने उन्हें सरोगेसी की सलाह दी. उन्होंने सम झाया कि इस में भ्रूण किसी अन्य महिला के गर्भ में डालेंगे. वह महिला उसे 9 महीने अपने गर्भ में रखेगी. बच्चा होने के बाद उसे बायोलौजिकल पेरैंट्स यानी प्रभाष-माधुरी को दे दिया जाएगा. सब सम झने के बाद माधुरी ने पूछा,

‘मतलब, वह बच्चा 9 महीने किसी और के गर्भ में पलेगा, फिर मैं उस की मां कैसे हुई?’ ‘उस बच्चे के जैविक यानी बायोलौजिकल मातापिता तुम्हीं दोनों होगे. उस में तुम्हारे ही डीएनए होंगे. बस, यह सम झ लो कि तुम ने किराए की कोख ली है.’ ‘फिर अगर कल को वह महिला आ गई अपना बच्चा मांगने तो हम क्या करेंगे?’ माधुरी ने घबरा कर कहा. ‘यह एक सख्त कानूनी प्रक्रिया के तहत होता है. उस के अंतर्गत तुम दोनों का एक एग्रीमैंट होगा मेरे हौस्पिटल से. फिर हौस्पिटल उस महिला से भी एग्रीमैंट करेगा. इस प्रक्रिया की गोपनीयता हमारी जिम्मेदारी है, इस के उल्लंघन होने पर मेरा लाइसैंस कैंसल हो जाएगा.’ प्रभाष ने डा. लतिका से सोचने का समय मांगा.

15 दिनों बाद सब से रायमशवरा कर के दोनों ने डा. लतिका के चाइल्ड केयर हौस्पिटल से सरोगेसी के लिए एग्रीमैंट कर लिया. कई सारी जांचें और प्रक्रियाएं हुईं. डा. लतिका ने प्रभाष के शुक्राणु और माधुरी के अंडों से भ्रूण बना कर सरोगेट की कोख में डाला. सरोगेट महिला का गर्भधान सफल रहा. उस की कोख ने 2 भ्रूण स्वीकार लिए. डा. लतिका समयसमय पर बच्चों के बारे में प्रभाष और माधुरी को बताती रहतीं. उस महिला के लिए जरूरी कपड़े, भोजन, दवाएं, खानपान का उचित प्रबंध चाइल्ड केयर हौस्पिटल करता. इसी बीच, सितंबर में प्रभाष ने माधुरी को उस के मायके जौनपुर भेज दिया था. आखिरकार 14 दिसंबर को डा. लतिका ने प्रभाष को सूचित किया कि सरोगेट महिला से जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ है. एक लड़का और एक लड़की. दोनों बच्चे कल उन्हें सौंप दिए जाएंगे.

प्रभाष ने यह खबर तुरंत माधुरी को दी और कहा, ‘आज मिठाई बांटता हूं सब को और यही कहूंगा कि तुम ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है.’ माधुरी ने मना किया और कहा, ‘मिठाई बांटो, बच्चे हुए यह भी बताओ पर मैं ने जन्म दिया है यह मत कहो. सच कहो कि सरोगेसी से हुए हैं. हमारे जीवन में खुशियां आने वाली हैं, प्रकृति ने हमारा अंश धरती पर भेजा है. उस की बुनियाद हमें झूठ पर नहीं रखनी चाहिए.’ प्रभाष और माधुरी इस खबर से बहुत खुश हुए. उन के जीवन की एक ऐसी कमी पूरी हो गई जिस के लिए वे सालों से प्रयासरत थे. खासकर, माधुरी आज बहुत खुश थी.

 

बेमेल प्यार का एक अनूठा फसाना

तबरेज इलाहाबाद के विवेकानंद मार्ग पर चमेलीबाई धर्मशाला के पास स्थित प्रभात सिंह की मशीनरी पार्ट्स की दुकान पर नौकरी करता था. वह रोजाना सुबह 10 बजे के करीब दुकान पर पहुंचता तो कुछ देर बाद प्रभात भी वहां पहुंच जाता था. इस के बाद ही तबरेज दुकान खोल कर उस की साफसफाई करता था. 30 नवंबर, 2016 को भी जब तबरेज निर्धारित समय पर दुकान पर पहुंचा तो दुकान का शटर खुला मिला. यह देखते ही उस के मुंह से निकला, ‘‘लगता है भैया आज सुबहसुबह ही दुकान आ गए हैं.’’

लेकिन जब दुकान के भीतर गया तो वहां प्रभात नहीं दिखा. वह मन में बुदबुदाने लगा, ‘‘ऐसे दुकान खोल कर कहां चले गए भला?’’

दुकान के अंदर आड़ातिरछा रखा सामान निकाल कर उस ने दुकान के बाहर लगा दिया. फिर दुकान की साफसफाई कर के वह दुकान में बैठ कर प्रभात के लौटने का इंतजार करने लगा. आधे घंटे से ज्यादा बीत गया पर प्रभात नहीं लौटा तो तबरेज पास की दुकान पर चाय पीने चला गया. प्रभात का जिनजिन दुकानों पर उठनाबैठना था, तबरेज वहां भी गया पर उसे उस का मालिक दिखाई नहीं दिया तो बुदबुदाते हुए वह वापस दुकान पर आ कर बैठ गया.

उसी समय चित्रा दौड़ती हुई बदहवास सी दुकान पर आई. जिस मकान में प्रभात की दुकान थी, चित्रा उसी मकान मालिक सत्येंद्र सिंह की बेटी थी. उस के साथ उस का चचेरा भाई गोलू भी था. वह बोली, ‘‘त…तब… तबरेज…’’

‘‘हां बताओ, तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो?’’

‘‘बात ही कुछ ऐसी है. आओ मेरे साथ, खुद ही चल कर देख लो.’’

किसी अनहोनी की आशंका के साथ तबरेज चित्रा और गोलू के पीछेपीछे उस के घर पहुंच गया. घर दुकान के एकदम पीछे ही था. जैसे ही वह कमरे में पहुंचा तो उस का मालिक प्रभात फांसी के फंदे पर झूला हुआ दिखा. यह देख कर उस की चीख निकल गई, ‘‘यह कैसे हो गया?’’

तभी चित्रा बोली, ‘‘पता नहीं, इन्होंने आत्महत्या क्यों कर ली? इन के हाथ में सुसाइड नोट भी है. तबरेज तुम इन के घर वालों को फोन कर के जानकारी दे दो.’’

तबरेज ने तुरंत अपने मोबाइल से प्रभात के पिता वीरेंद्र प्रताप सिंह को फोन कर के उस की आत्महत्या की जानकारी दे दी. प्रभात का घर वहां से कुछ ही दूरी पर था इसलिए थोड़ी ही देर में वीरेंद्र प्रताप सिंह अपने घर वालों और पड़ोसियों के साथ वहां पहुंच गए. अब तक वहां काफी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी.

उस समय भी प्रभात रसोईघर के बगल वाले कमरे में फांसी पर लटका पड़ा था. खबर मिलने पर अनेक व्यापारी भी वहां पहुंच गए. घर के जवान आदमी की मौत पर घर वाले बिलखबिलख कर रो रहे थे. किसी ने सूचना थाना कोतवाली पुलिस को भी दे दी.

चूंकि घटनास्थल से थाना कोतवाली महज आधा एक किलोमीटर की दूरी पर है, इसलिए 10 मिनट में ही एसपी (सिटी) विपिन कुमार टांडा व कोतवाली प्रभारी अनुपम शर्मा मय फोर्स घटनास्थल पर पहुंच गए.

अब तक सत्येंद्र सिंह के मकान के बाहर भारी संख्या में भीड़ मौजूद हो चुकी थी, जिस के कारण रोड पर जाम लग गया था. पुलिस ने फांसी पर लटके प्रभात सिंह को नीचे उतारा. उस की मौत हो चुकी थी. शव की बारीकी से जांच की तो पहली ही नजर में मामला संदिग्ध नजर आया. प्रभात के सिर व शरीर पर चोटों के निशान थे.

यह देख प्रभात के घर वाले और अन्य व्यापारी हंगामा करने लगे. उन का आरोप था कि प्रभात की हत्या करने के बाद उसे फांसी पर लटकाया गया है, जिस से मामला आत्महत्या का लगे. मृतक के हाथ में 2 पेज का एक सुसाइड नोट भी था.

उस सुसाइड नोट में एक लड़की से प्रेम संबंध और उस की बेवफाई का जिक्र था. प्रभात और उस की तथाकथित प्रेमिका का कितना पुराना रिश्ता था, इस बात का उल्लेख उस नोट में किया गया था. सुसाइड नोट में कितनी सच्चाई है, यह बात जांच के बाद ही पता चलती.

मृतक के परिजनों ने सीधे तौर पर दुकान मालिक सत्येंद्र सिंह की बेटी चित्रा सिंह पर आरोप लगाया कि उस ने ही अपने सहयोगियों के साथ मिल कर प्रभात की हत्या की है. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए.

प्रभात की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद उस के भाई प्रदीप की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम के बाद शाम को जब पुलिस को रिपोर्ट मिली तो उस में भी बताया गया कि प्रभात के सिर पर लोहे की रौड जैसी किसी चीज से वार किया गया था, जिस से उस की मौत हुई थी.

मकान मालिक सत्येंद्र सिंह घटना से एकदो दिन पहले अपनी पत्नी राशि के साथ प्रतापगढ़ चले गए थे. वहां उन के किसी रिश्तेदार की मौत हो गई थी. घर पर उन की बेटी चित्रा और उस का चचेरा भाई कौशिक उर्फ गोलू मौजूद था.

एसपी (सिटी) विपिन कुमार टांडा के समक्ष चित्रा सिंह से पूछताछ की गई तो उस ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, ‘‘सर, प्रभात सिंह का उस के प्रति एकतरफा प्यार था. वह मुझ से उम्र में भी दोगुना बड़ा था. भला मैं उस से कैसे प्रेम कर सकती हूं. मेरा उस की हत्या या आत्महत्या से कोई वास्ता नहीं है.’’

‘‘जिस वक्त प्रभात तुम्हारे कमरे में घुस कर फांसी पर लटका, उस वक्त तुम कहां थी?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘सर, मैं रोज सुबह नहाने के बाद पूजा करती हूं. बुधवार को भी रोजाना की तरह नहाने के बाद मैं पूजा करने चली गई थी. पूजा के बाद मैं ने बालकनी से नीचे की ओर देखा तो नीचे प्रभात की कार दिखी. मैं यह सोचते हुए सीढि़यों से नीचे उतरी कि प्रभात आज दुकान पर इतनी जल्दी कैसे आ गए. तभी देखा कि वह हमारी रसोई के बगल वाले कमरे में लटका हुआ था. मैं समझ नहीं पाई कि यह काम करने के लिए उस ने मेरा घर ही क्यों चुना?’’ वह बोली.

घर में फर्श पर जो खून का धब्बा मिला था, उस के बारे में पुलिस ने उस से पूछा तो उस ने उसे चुकंदर का रस बताया.

पुलिस को लग रहा था कि यह झूठ बोल रही है इसलिए उस से और उस के चचेरे भाई गोलू से सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने ही अपना जुर्म कबूल कर लिया. उन्होंने कहा कि प्रभात की हत्या करने का उन का कोई इरादा नहीं था. पर हालात ऐसे बन गए जिस से उस का कत्ल हो गया.

प्रभात सिंह इलाहाबाद शहर के कीडगंज थाना क्षेत्र के कृष्णानगर निवासी वीरेंद्र प्रताप सिंह का बेटा था. कारोबारी वीरेंद्र प्रताप सिंह के 4 बेटे और एक बेटी थी. उन की पत्नी कनकलता का देहांत हो चुका था. मांगलिक होने की वजह से प्रभात की शादी नहीं हुई थी.

वीरेंद्र प्रताप सिंह के एक दोस्त थे सत्येंद्र सिंह, जो प्रतापगढ़ में एक सरकारी मुलाजिम थे. कोतवाली थानाक्षेत्र के विवेकानंद मार्ग पर रहते थे. वीरेंद्र प्रताप ने सन 2003 में उन की एक दुकान किराए पर ली थी, जहां उस ने बंधु ट्रेडर्स के नाम से मशीनरी पार्ट्स बेचने का काम शुरू कर दिया. उस दुकान को प्रभात संभालता था.

दोस्ती के नाते सत्येंद्र उन से दुकान का किराया तक नहीं लेते थे. प्रभात का सत्येंद्र सिंह के घर में खूब आनाजाना था. दुकान के पीछे ही सत्येंद्र सिंह का आवास था. उन की एक बेटी चित्रा थी, घर में आनेजाने के कारण उन दोनों के बीच प्रेमसंबंध स्थापित हो गए. उस समय प्रभात की उम्र 36 साल और चित्रा की 16 साल थी.

कुछ दिनों बाद ही उन के संबंधों की खबर उन के घर वालों को भी हो गई. घर वालों ने उन्हें लाख समझानेबुझाने की कोशिश की लेकिन इस का उन पर कोई असर नहीं हुआ. बल्कि उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों की उम्र में काफी अंतर था. लेकिन प्यार का भूत जिन के सिर पर सवार होता है, उन के बीच उम्र आड़े नहीं आती.

धीरेधीरे समय आगे बढ़ने लगा. चित्रा जहां जवान थी तो दूसरी ओर प्रभात की उम्र ढलान की ओर बढ़ रही थी. शायद यही कारण था कि उस पर जान छिड़कने वाला प्रभात अब उसे नीरस नजर आने लगा था. वह उस से इतना प्यार करता था कि वह उसे कालेज तक छोड़ने और लेने जाने लगा था.

लेकिन चित्रा प्रभात से दूरी बनाने लगी थी और अपनी उम्र के लड़कों से मोबाइल पर घंटों बतियाती थी. प्रभात जब भी उसे फोन करता तो वह उस का फोन रिसीव नहीं करती. बारबार फोन करने के बाद वह उस का फोन उठाती तो बेमन से बात करती.

प्रभात समझ नहीं पा रहा था कि पिछले 10 सालों से प्यार करने वाली चित्रा के अंदर यह बदलाव कैसे आ गया. प्रभात के मना करने के बावजूद भी वह वाट्सऐप और फेसबुक पर पता नहीं किसकिस से चैटिंग करती रहती थी. किसी भी तरह वह प्रभात से अपना पीछा छुड़ाना चाहती थी, लेकिन प्रभात उसे किसी भी हाल में छोड़ने या भुलाने को तैयार नहीं था.

29 नवंबर, 2016 की रात को प्रभात ने चित्रा से बात करने के लिए कई बार उस का नंबर मिलाया. पहले तो उस का मोबाइल व्यस्त आ रहा था पर बाद में वह स्विच्ड औफ हो गया. प्रभात ने सुबह उठ कर फिर से उस का मोबाइल नंबर डायल किया. घंटी बजने के बावजूद चित्रा ने फोन नहीं उठाया.

गुस्से में वह सुबह 8 बजे ही अपने घर से निकल गया और दुकान खोलने के बाद सीधे चित्रा के कमरे में पहुंचा. वहां चित्रा बिलकुल अकेली थी. मोबाइल रिसीव न करने की बात को ले कर वह उस से झगड़ने लगा. उन का शोर सुन कर चित्रा का चचेरा भाई कौशिक उर्फ गोलू उठ गया.

उस ने देखा कि गुस्से से लालपीला प्रभात चित्रा के साथ मारपीट कर रहा है तो उस ने बीचबचाव करने की कोशिश की. उस समय प्रभात चित्रा का गला दबाए हुए था. गोलू ने बताया कि उस ने चित्रा दीदी को बचाने की कोशिश की. तब प्रभात उस से उलझ गया और हाथापाई करने लगा.

उसी दौरान गोलू की नजर दीवार से सटा कर रखे सरिए पर गई. किसी तरह उस ने प्रभात के चंगुल से खुद को छुड़ाया तो प्रभात चित्रा से भिड़ गया. तभी गोलू ने सरिया उठा कर पीछे से प्रभात के सिर पर दे मारा. एकदो वार और करने पर प्रभात नीचे गिर गया और मर गया.

इस के बाद दोनों ने एक रस्सी गले में बांध कर उसे कुंडे से लटका दिया ताकि मामला आत्महत्या का लगे. जहांजहां उस का खून गिरा था, उसे साफ कर के चुकंदर का जूस डाल दिया. फिर दोनों रोने का नाटक करने लगे. चित्रा को जब पता चला कि दुकान पर नौकर तबरेज आ चुका है तो वह घबराई हुई उस के पास गई और उसे कमरे में ला कर बताया कि प्रभात ने आत्महत्या कर ली है.

इधर मृतक के छोटे भाई सुधीर सिंह ने बताया कि प्रभात ने चित्रा के नाम लाखों रुपए की प्रौपर्टी और जायदाद कर दी थी. प्रभात उस से प्रौपर्टी वापस न मांग ले, इसलिए उस ने अन्य लोगों के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी. उधर चित्रा का कहना है कि वह प्रभात से प्यार नहीं करती थी. प्रभात एकतरफा उसे चाहता था.

पुलिस ने चित्रा और उस के चचेरे भाई गोलू को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अभी यह पता नहीं लग सका है कि मृतक के हाथ में जो सुसाइड नोट मिला, वह किस ने लिखा था. फोरैंसिक जांच के बाद ही यह स्थिति साफ हो सकेगी. केस की विवेचना कोतवाली प्रभारी अनुपम शर्मा कर रहे हैं.

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