इन दिनों अपराध पर अंकुश लगाने के नाम पर मुंबई सहित लगभग हर महानगर की हर इमारत में सीसीटीवी से निगरानी की जाती है.तमाम लोगों की राय में यह उनकी निजिता का हनन है.इसी मूल मुद्दे पर मूलतः भारतीय मगर अमरीका में बसे फिल्मकार सुदीप कंवल ने सामाजिक रोमांचक कहानी वाली फिल्म ‘‘प्रायवेसी’’ का लेखन व निर्देशन किया है,जिसका विष्व प्रीमियर 29 जून से 9 जुलाई तक संपन्न होने वाले दक्षिण कोरिया के ‘बुकियॉन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में इस फिल्म का विष्व प्रीमियर संपन्न होगा.इस फेस्टिवल में दुनिया भर की हॉरर, थ्रिलर, मिस्ट्री और फैंटेसी फिल्मों से लेकर ढेर सारे सिनेमा शामिल हैं. इस साल के फेस्टिवल की शुरुआत जोआक्विन फोनिक्स स्टारर ‘ब्यू इज अफ्रेड‘ से होगी.
फिल्म ‘प्रायवेसी’ मुंबई में सामाजिक-आर्थिक मतभेदों को उजागर करते हुए शहर में वीडियो यानी कि सीसीटीवी निगरानी के आवष्यकता के मुद्दे पर बात की गयी है.फिल्म ‘‘प्रायवेसी’ मुंबई की मलिन बस्तियों की एक सामाजिक रोमांचक फिल्म है.कहानी के केंद्र में ‘‘ं मुंबई निगरानी कमांड और नियंत्रण केंद्र’’ में आपरेटर के रूप में काम कर रही रूपाली की है.अति महत्त्वाकांक्षी होते हुए रूपाली लगातार अपने अपराध बोध से लड़ती है.वह अपने अंधेरे अतीत का विरोध भी करती है. लेकिन रूपाली के लिए चीजें तब जटिल होने लगती हैं,जब रूपाली प्रोटोकॉल की अनदेखी कर अपनी निगरानी में होने वाली डकैती/हत्या की जांच शुरू करती है.
नेटफ्लिक्स के ‘ट्रायल बाय फायर‘ के बाद इस फिल्म में राजश्री देशपांडे रूपाली की मुख्य भूमिका में नजर आएंगी.वह अपनी खुशी को साझा करते हुए कहती हैं,‘‘एक अभिनेता और एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में मेरे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि पटकथा संवेदनशील तरीके से लिखी हुई हो.‘प्रायवेसी‘ मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे के बारे में बात करती है.यह इस बात पर रोशनी डालती है कि समाज किसी व्यक्ति के संघर्ष को किस तरह से देखता है.खूबसूरती से लिखी गई इस कहानी में ‘गोपनीयता‘ के महत्व के साथ इस बात का रेखंाकन है कि कैसे हर सामाजिक तत्व इस शब्द का शोशण कर रहा है.’’