12वीं क्लास का अमन पढ़नेलिखने में तेज था. उसके मम्मीपापा हमेशा उस से एक्जाम में हाईएस्ट नंबर लाने की आशा रखते थे. परीक्षा नजदीक आतेआते अमन पढ़ाई में इतना समय देने लगा कि वक्त पर न खाना खा पाता और न ही पर्याप्त नींद ले पाता. नतीजा यह हुआ कि एक्जाम के वक्त वह वीमार पड़ गया और परीक्षा में उसे कम मार्क्स मिले.
मार्च का महीना युवाओं के एक्जाम का महीना होता है. सीबीएसई और स्टेट बोर्ड ने एक्जाम की डेट भी घोषित कर दी हैं. एक्जाम का समय करीब आतेआते स्टूडैंट के चेहरों पर टैंशन साफ झलकने लगती है.एक्जाम को लेकर स्टूडैंट के बीच टैंशन और भय का माहौल बन जाता है. जैसेजैसे परीक्षा नजदीक आती है,वे अच्छे रिजल्ट और कोर्स कंप्लीट करने की वजह से चिंता से घिरने लगते हैं.
खासकर कमजोर बच्चे इस दौरान अधिक दबाव महसूस करते हैं. परिवार और शिक्षकों की उम्मीदें भी कई बार बच्चों में तनाव का कारण बन जाती हैं. एक्जाम के दौरान कई युवकयुवतियां डिप्रैशन का शिकार होकर अपना कैरियर भी खराब कर लेते हैं. एक्जाम की तैयारी समय रहते एक प्लानिंग के अनुसार की जाए तो भय व तनाव से बचने के साथ अच्छे मार्क्स लेकर एक्जाम पास कर बेहतर मुकाम हासिल किया जा सकता है.
सालभर तो आप पढ़ाई करते ही हैं पर यदि एक्जाम के समय एक टाइमटेबल तैयार कर सभी सब्जैक्ट की तैयारी की जाए तो परिणाम सुखद होते हैं. आज एक्जाम का ढंग भी तकनीक से अछूता नहीं है. बहुत से विद्यार्थी कम समय में अधिक से अधिक सिलेबस कवर करके एक्जाम की तैयारी कर बेहतर प्रदर्शन कर लेते हैं.
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