अपनी प्राकृतिक सुंदरता को लेकर आश्चर्यजनक रूप से अंतरात्मा को लुभाने वाला मणिपुर जिसे 'भारत का स्विट्जरलैंड' नाम से जाना जाता है, आज अपना रक्तरंजित चेहरा, भयावह चीखों और सिसकियों में डूबी वादियों से दुनिया को डरा रहा है. आगजनी, गोलियों की तड़तड़ाहट, अश्रुगैस का धुआं, सड़कों पर गिरती लाशें और भय से चीखती/भागती भीड़ ने मणिपुर की मोहक छवि धूलधूसरित कर दी है. एक महीने से जारी जातीय संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है. सौ से ज्यादा मौतें और अस्पतालों के बिस्तरों पर कराहते हजारों घायल, यह मणिपुर की वर्तमान तसवीर है.

भारतीय जनता पार्टी के राज में आखिर सौंदर्य की अनुपम धरती खून में क्यों लाल है, इसकी वजहें बताने से पहले उस मणिपुर की चर्चा कर लें जिसका प्राकृतिक सौंदर्य दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है. मणिपुर पूर्वोत्तर भारत की पहाड़ियों और झीलों के बीच स्थित है. म्यांमार की सीमा से लगा हुआ मणिपुर जिसे साउथ एशिया का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है, अपनी ऊंची घाटियों, नीले पहाड़ों, झरनों, हरेभरे मैदानों, चारागाहों, सदाबहार प्राकृतिक सुंदरता, गीतसंगीत की परंपराओं और समृद्ध संस्कृति के लिए दुनियाभरमें मशहूर है.

मणिपुर का इतिहास 1,500 ईसा पूर्व का है. पूर्व-ऐतिहासिक मानव बस्तियां और कई अन्य पेचीदा गुफाएं इस राज्य को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाती हैं. मणिपुर में नागा, कुकी समेत 60 जनजातियां निवास करती हैं जिनके पास अपनी विशेष अद्भुत कला और संस्कृति की विरासत है. उल्लेखनीय है कि इसी छोटे से राज्य से 'पोलो' जैसे खेल की उत्पत्ति हुई थी.

मणिपुर की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है. यहां के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, हथकरघा, दस्तकारी और पर्यटन क्षेत्र में भी बड़ी संभावनाएं हैं. यहां हथकरघा राज्य का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है. वहीं राज्य में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार भी इसी उद्योग से मिल रहा है.

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