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हिंदी फिल्मों में काम क्यों नहीं करना चाहते Mahesh Babu ? जानें कारण

Mahesh Babu : हिंदी और साउथ सिनेमा में हमेशा से ही एक तकरार रही है. जहां साउथ की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई करती हैं. तो वहीं हिंदी की ज्यादातर फिल्में अपने बजट के पैसे भी नहीं निकाल पाती थी. लेकिन अब समय बदल रहा है. पिछले कुछ समय में केजीएफ, पु्ष्पा, आरआरआर और केजीएफ चैप्टर 2 को दर्शकों का जहां खूब प्यार मिला है. तो वहीं पठान, गदर 2, जवान और रॉकी और रानी की प्रेम कहानी भी लोगों के बीच अपनी जगह बनाने में कामयाब रही.

इसके अलावा साउथ सिनेमा के तमाम स्टार्स भी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहे हैं. तो वहीं तमिल सुपरस्टार ”महेश बाबू” बॉलीवुड में काम करने से कतराते हैं. उन्होंने अब तक के अपने करियर में किसी भी हिंदी फिल्म में काम नहीं किया है. तो आइए जानते हैं उस कारण (Why Mahesh Babu not to work in bollywood) के बारे में जिस वजह से एक्टर ”महेश बाबू” हिंदी फिल्मों में काम नहीं करते हैं.

वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

आपको बता दें कि फिल्म ‘मेजर’ के ट्रेलर लॉन्च के दौरान मीडिया को दिए इंटरव्यू में अभिनेता ”महेश बाबू” (Mahesh Babu) ने बताया था कि क्यों वो हिंदी फिल्मों में काम नहीं करना चाहते हैं. एक्टर ”महेश” का कहना था कि, ‘बॉलीवुड उन्हें अफोर्ड नहीं कर सकती इसलिए वो वहां जाकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते. वो पैन इंडिया स्टार नहीं बनना चाहते हैं और वो तेलुगू में ही खुश हैं.

इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा था कि, ‘वैसे तो उन्हें बॉलीवुड फिल्मों के ऑफर मिलते रहते हैं लेकिन वो तेलुगू के लिए ही सिनेमा बनाना चाहते हैं क्योंकि वो इससे ज्यादा खुश नहीं होना चाहते.’ हालांकि बाद में ”महेश बाबू” को अपने इस बयान के चलते खूब आलोचना का सामना भी करना पड़ा था. सोशल मीडिया पर लोगों ने उनके खिलाफ एक जंग सी छेड़ दी थी.

एक्टर के चाहने वालों की नहीं है कोई कमी

आपको बताते चलें कि बेशक ”महेश बाबू” (Mahesh Babu) ने अभी तक हिंदी फिल्मों में काम नहीं किया है. लेकिन ‘कोल्ड ड्रिंक’ और ‘टोबैको’ प्रोडक्ट की ऐड के जरिए उन्हें साउथ के साथ-साथ दुनियाभर में प्रसिद्धी मिली है. इसके अलावा साउथ की हिंदी डब फिल्मों में भी लोग एक्टर को देख चुके हैं और इसी वजह से बॉलीवुड में भी उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं हैं.

करोड़ों के मालिक हैं महेश बाबू

आपको बता दें कि ”महेश बाबू” (Mahesh Babu) के हैदराबाद स्थित घर को सबसे महंगे घरों में एक माना जाता हैं, जिसमें स्विमिंग पूल से लेकर जिम, मिनी थिएटर सहित कई आलीशान चीजें है. इसके अलावा उनके घर का नाम साल 2012 में आई ‘फोर्ब्स की सेलिब्रिटी 100 लिस्ट’ में भी शामिल हुआ था. इसी के साथ एक्टर के नाम पर हैदराबाद की जुबिली हिल्स में तीस करोड़ रुपए की कीमत के दो बड़े बंगले, बेंगलुरु में भी कई प्रॉपर्टीज, एक करोड़ रुपए से ज्यादा की कई महंगी गाड़ियां और 7 करोड़ रुपए की एक वैनिटी वैन भी हैं.

वहीं ‘डॉटकॉम कंपनी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक ”महेश बाबू” एक फिल्म के लिए लगभग 55 करोड़ रुपए चार्ज करते हैं. इसी के साथ फिल्मों के प्रॉफिट में से कमीशन भी लेते हैं. इसी हिसाब से उनकी नेटवर्थ करीब 135 करोड़ रुपये हैं. इसके अलावा एक्टर ब्रांड्स एंडोर्समेंट से भी 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर लेते हैं. साथ ही उनका एक प्रोडक्शन हाउस भी है.

विजया दशमी : नरेन्द्र मोदी के शगुन अपशगुन

दशहरा उत्सव में हमारे समाज में “शगुन अपशगुन” के अनेक मिथक है, जो भारतीय समाज की खामियों को ही रेखांकित करते है. चिंता की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने विजयादशमी के पर्व पर जब अपने संबोधन में शगुन की बात की और यह जता दिया कि आज भी 21वीं शताब्दी में जब भारत चांद पर पहुंच चुका है देश का प्रधानमंत्री शगुन और अपशगुन के घेरे में फंसा हुआ हैं. ऐसे में आम

आदमी अगर अपनी अशिक्षा, अपने अज्ञान के कारण अगर शगुन अपशगुन की दुविधा में फंसा हुआ है तो उसे पर सिर्फ दया की जा सकती है.
मगर देश का प्रधानमंत्री अगर “शगुन अपशगुन” के आधार पर निर्णय लेने लगे और यही संदेश देने लगे तो देश एक बार फिर 16वीं शताब्दी में पहुंच गया समझना चाहिए.

दरअसल,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयादशमी पर्व पर समाज में जातिवाद और क्षेत्रवाद जैसी विकृतियों को जड़ से खत्म करने का आह्वान तो किया. मगर प्रधानमंत्री स्वयं शगुन अपशगुन के फेर में उलझ गए. नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में द्वारका सेक्टर-10 में श्री चरका श्रीरामलीला में 101 फीट लंबे रावण पुतले का दहन किया और अपने लंबे संबोधन में शगुन के महत्व को बताने से नहीं चुके जब देश का प्रधानमंत्री शगुन अपशगुन में जीने लगे तो इसका मतलब यह है कि देश की जनता उनका अनुसरण करेगी और देश का विकास अवरूद्ध होना तय है.

वेशभूषा और आचार विचार

दुनिया देख रही है कि नरेंद्र मोदी की शख्सियत कैसी है. स्वयं को हमेशा समाज और दुनिया के आगे आगे रखने वाले नरेंद्र मोदी की कलाई शायद स्वयं खुल गई है.

आश्चर्य की बात है कि अपने आप को प्रगति शील बताने जताने वाले नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने कहा – यह हर किसी का सौभाग्य है कि वे सदियों के इंतजार के बाद अब अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर के निर्माण का गवाह बन रहे हैं, जब प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था, तब अयोध्या में शगुन होने लगा था. सभी का मन प्रसन्न होने लगा और पूरा नगर रमणीक बन गया. ऐसे ही शगुन आज हो रहे आज भारत चंद्रमा पर विजयी हुआ है. हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा हे हैं. हमने कुछ सप्ताह पहले संसद की नई इमारत प्रवेश किया है. नारी शक्ति को प्रतिनिधित्व देने के लिए संसद ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है. यह हमें सौभाग्य मिला है कि हम भगवान राम का भव्य मंदिर बनता श्री रामलीला सो देख पा रहे हैं.अयोध्या की अगली रामनवमी पर राम लला के मंदिर में गूंज हर स्वर पूरे

विश्व को हर्षित करने वाला होगा. वो स्वर जो शताब्दियों से यहां कहा जाता है भय प्रगट कृपाला, दीनदयाला कौसल्या हितकारी.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तरह शगुन और अपशगुन की महत्ता को प्रतिपादित किया और आगे कहा -“भगवान राम की जन्मभूमि पर बन रहा मंदिर सदियों की प्रतीक्षा के बाद हम भारतीयों के धैर्य को मिली विजय का प्रतीक है. उस हर्ष की परिकल्पना कीजिए, जब शताब्दियों के बाद राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा विराजेगी.”

नरेंद्र मोदी ने कहा -” इस बार हम विजयादशमी तब मना रहे हैं, जब चंद्रमा पर हमारी विजय को 2 महीने पूरे हुए हैं. विजयादशमी पर शस्त्र पूजा का भी विधान है. भारत की धरती पर शस्त्रों की पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए की जाती है. नवरात्र की शक्तिपूजा का संकल्प शुरू होते समय हम कहते हैं- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः जब पूजा पूर्ण होती है तो हम कहते है- देहि सौभाग्य आरोग्य देहि मे परमं सुखम, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि …. यानि हमारी शक्ति पूजा सिर्फ हमारे लिए नहीं, पूरी सृष्टि के सौभाग्य, आरोग्य, सुख, विजय और यश के लिए की जाती है. भारत का दर्शन और विचार यही है. हम गीता का ज्ञान भी जानते हैं और आईएनएस विक्रांत और तेजस का निर्माण भी जानते हैं.” प्रधानमंत्री ने कहा कि हम श्री राम की मर्यादा भी जानते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा करना भी जानते हैं. हम शक्ति पूजा का संकल्प भी जानते हैं और कोरोना में ‘सर्व संतु निरामया’ का मंत्र भी मानते हैं.”

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा -” आज भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ सबसे विश्वस्त लोकतंत्र के रूप में उभर रहा है और दुनिया देख रही है ये लोकतंत्र की जननी है. इन सुखद क्षणों के बीच अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु श्री राम विराजने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक तरह से आजादी के 75 साल बाद अब भारत के भाग्य का उदय होने जा रहा है. लेकिन यही वो समय भी है, जब भारत को बहुत सतर्क रहना है. हमें ध्यान रखना है कि आज रावण का दहन बस एक पुतले का दहन ना हो, वे दहन हो हर उस विकृति का जिसके कारण समाज का आपसी सौहार्द बिगड़ता है. इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरह से प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए देश की आवाम को शगुन और अपशगुन से जोड़कर यह संदेश दे दिया है कि देश के कोने-कोने में रहने वाले आम जन हो या विशिष्ट सभी को इसका ध्यान रखना चाहिए यह विजयदशमी का संदेश भारत को आगे नहीं ले जा सकता यह पीछे ही ले जाएगा जो की एक दुर्भाग्य जनक बात है.

मैं 2 साल से अपनी चाची के साथ संबंध बना रहा हूं, समझ नहीं आ रहा ये सही है या गलत ?

सवाल

मैं 20 वर्षीय युवक हूं. मेरे अपनी चाची के साथ 2 वर्षों से शारीरिक संबंध हैं और शारीरिक संबंधों के परिणामस्वरूप इस समय वे गर्भवती भी हैं. लेकिन इस अवस्था में भी वे मेरे साथ शारीरिक संबंध कायम रखना चाहती हैं. मैं मना करता हूं तो धमकी देती हैं कि वे हमारे संबंधों के बारे में पूरे परिवार को बता देंगी. मैं बहुत परेशान हूं औैर इस सब से निकलना चाहता हूं.

जवाब

पहले आप ने अपनी चाची के साथ शारीरिक संबंध बना कर बहुत बड़ी गलती की और चाची ने भी आप का फायदा उठाया. लेकिन अब जब स्थिति आप के नियंत्रण से बाहर हो गई है तो अब उस से निकलना चाहते हैं. माना कि इस सब में आप की चाची की भी गलती है लेकिन आप को उन का साथ नहीं देना चाहिए था. लेकिन अब पछताने से कुछ नहीं हो सकता.

वर्तमान स्थिति में अगर चाची आप को धमकी दे रही हैं परिवार वालों को सब सच बताने की तो इस में आप की बदनामी ज्यादा होगी हालांकि इस सब में उन की खुद की भी बदनामी होगी.

बहरहाल, इस चक्रव्यूह से निकलने के लिए आप को साफ शब्दों में चाची को शारीरिक संबंधों के लिए न कहना होगा, वरना आप की चाची आप को भविष्य में भी ब्लैकमेल करती रहेंगी.

रामलाल की घर वापसी

सात आठ घंटे के सफर के बाद बस ने गांव के बाहर ही उतार दिया था . कमला को भी रामलाल ने अपने साथ बस से उतार लिया था.

“देखो कमला तुम्हारा पति जब तुम्हारे साथ इतनी मारपीट करता है तो तुम उसके साथ क्यों रहना चाहती हो ”

कमला थोड़ी देर तक खामोश बनीं रही . उसने कातर भाव से रामलाल की ओर देखा

“पर …….”

“पर कुछ नहीं तुम मेरे साथ चलो”

“तुम्हारे घर के लोग मेरे बारे में पूछेंगे तो क्या कहोगे”

“कह दूंगा  कि तुम मेरी घरवाली हो, जल्द बाजी में ब्याह करना पड़ा”.

कमला कुछ नहीं बोली .दोनों के कदम गांव की ओर बढ़ गये .

रामलाल के सामने विगत एक माह में घटा एक एक घटनाक्रम चलचित्र की भांति सामने आ रहा था .

रामलाल शहर में मजदूरी करता था . ब्याह नहीं हुआ था इसलिए जो मजदूरी मिलती उसमें उसका खर्च आराम से चल जाता . थोड़े बहुत पैसे जोड़कर वह गांव में अपनी मां को भी भैज देता .गांव में एक बहिन और मां ही रहते हैं . एक बीघा जमीन है पर उससे सभी की गुज़र बसर होना संभव नहीं था .गांव में मजदूरी मिलना कठिन था इसलिए उसे शहर आना पड़ा .शहर गांव से तो बहुत दूर था “पर उसे कौन रोज-रोज गांव आना है” सोचकर यही काम करने भी लगा था . एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया था . एक स्टोव और कुछ बर्तन . शाम को जब काम से लौटता तो दो रोटी बना लेता और का कर सो जाता . दिन भर का थका होता इसलिए नींद भी अच्छी आती . वह ईमानदारी से काम करता था इस कारण से सेठ भी उस पर खुश रहता . वह अपनी मजदूरी से थोड़े पैसे सेठ के पास ही जमा कर देता

” मालिक जब गांव जाऊंगा तो आप से ले लूंगा ‘ .उसे सेठ पर भरोसा था .

साल भर हो गया था उसे शहर में रहते हुए . इस एक साल में वह अपने गांव जा भी नहीं पाया था .उस दिन उसने देर तक काम किया था . वह अपने कमरे पर देर से पहुंचा था .जल्दबाजी में उसे ध्यान ही नहीं रहा कि वो सेठ से कुछ पैसे ले ले . उसने अपनी जेब टटोली दस का सिक्का उसके हाथ में आ गया “चलो आज का खर्चा तो चल जाएगा कल सेठ से पैसे मिल ही जायेंगे” .रामलाल ने गहरी सांस ली . दो रोटी बनाई और खाकर सो गया .

सुबह जब वह नहाकर काम पर जाने के लिए निकला तो पता चला कि पुलिस वाले किसी को घर से निकलने ही नहीं दे रहे हैं . सरकार ने लांकडाउन लगा दिया है . बहुत देर तक ऐ वह इसका मतलब ही नही समझ पाया .केवल यही समझ में आया कि वो आज काम पर नहीं जा पाएगा .वह उदास कदमों से अपने कमरे पर लौट आया . मकान मालिक उसके कमरे के सामने ही मिल गया था.

“देखो रामलाल लाकडाउन लग गया है महिने भर का .कोई वायरस फैल रहा है . तुम एक काम करो कि जल्दी से जल्दी कमरा खाली कर दो”

रामलाल वैसे ही लाकडाउन का मतलब नहीं समझ पाया था उस पर वायरस की बात तो उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आई ।

“कमरा खाली कर दो …. मुझसे कोई गल्ती हो गई क्या ?’

“नहीं पर तुम काम पर जा नहीं पाओगे तो कमरे का किराया कैसे दोगे”

“क्या महिने भर काम बंद रहेगा “?

“हां घर से निकलोगे तो पुलिस वाले डंडा मारेंगे”.

रामलाल के सामने अंधेरा छाने लगा .उसके पास तो केवल दस का सिक्का ही है . वह कुछ नहीं बोला उदास क़दमों से अपने कमरे में आ कर जमीन पर बिछी दरी पर लेट गया .

उसकी नींद जब खुली तब तक शाम का अंधेरा फैलने लगा था . उसने बाहर निकल कर देखा . बाहर सुनसान था . उसे पैसों की चिंता सता रही थी यदि वह कल ही सेठ से पैसे ले लेता तो कम से खाने की जुगाड़ तो हो जाती . यदि वह सेठ के पास चला जाए तो सेठ उसे पैसे अवश्य दे सकते हैं . उसने कमरे से फिर बाहर की ओर झांका बहुत सारे पुलिस वाले खड़े थे. उसकी हिम्मत बाहर निकलने की नहीं हुई .वह फिर से दरी पर लेट गया . उसकी नींद जब खुली उस समय रात के दो बज रहे थे . भूख के कारण उसके पेट में दर्द सा हो रहा था .वह उठा “दो रोटी बना ही लेता हूं दिन भर से कुछ खाया कहां है” .स्टोव जला लिया पर आटा रखने वाले डिब्बे को खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी .वह जानता था कि उसमें थोड़ा सा ही आटा शेष है .यदि अभी रोटी बना ली तो कल के लिए कुछ नहीं बचेगा .उसने निराशा के साथ डिब्बा खोला और सारे आटे को थाली में डाल लिया . दो छोटी छोटी रोटी ही बन पाई . एक रोटी खा ली और दूसरी रोटी को डिब्बे में रख दिया .

सुबह हो गई थी .उसने बाहर झांक कर देखा .पुलिस कहीं दिखाई नहीं दी  . वह कमरे से बाहर निकल आया . उसके कदम सेठ के घर की ओर बढ़ लिए . सेठ का घर बहुत दूर था छिपते छिपाते वह उनके घर के सामने पहुंच गया था .दिन पूरा निकल आया था .यह सोचकर कि सेठ जाग गये होंगे ,उसके हाथ बाहर लगी घंटी पर पहुंच गए थे .उनके नौकर ने दरवाजा खोला था

“जी मैं रामलाल हूं सेठ के ठेके पर काम करता हूं”

“हां तो…..

“मुझे कुछ पैसे चाहिए हैं”

“हां तो ठेके पर जाना वहीं मिलेंगे, सेठजी घर पर नौकरों से नहीं मिलते”

“पर वो लाकडाउन लग गया है न तो काम तो महिने भर बंद रहेगा”

“तभी आना…”

“तुम एक बार उनसे बोलो तो वो मुझे बहुत चाहते हैं ”

“अच्छा रूको मैं पूछता हूं” . नौकर को  शायद दया आ गई थी उस पर .

नौकर के साथ सेठ ही बाहर आ गए थे .उनके चेहरे पर झुंझलाहट के भाव साफ़ झलक रहे थे जिसे रामलाल नहीं पढ़ पाया . सेठ जी को देखते ही उसने झुक कर पैर पड़ने चाहे थे पर सेठ ने उसे दूर से ही झटक दिया .

“अब तुम्हारी हिम्मत इतनी हो गई कि घर पर चले आए”

“वो सेठ जी कल आपसे पैसे ले नहीं पाया था , मेरे पास बिल्कुल भी पैसे नहीं हैं, ऊपर से लाकडाउन हो गया है इसलिए आना पड़ा” . रामलाल ने सकपकाते हुए कहा .

“चल यहां से बड़ा पैसे लेने आया है, मैं घर पर लेन-देन नहीं करता”

सेठ ने उसे खूंखार निगाहों से घूरा तो रामलाल घबरा गया .उसने सेठ जी के पैर पकड़ लिए “मेरे पास बिल्कुल भी पैसे नहीं हैं थोड़े से पैसे मिल जाते हुजूर” .

सेठ ने उसे ठोकर मारते हुए अंदर चला गया .हक्का-बक्का रामलाल थोड़ी देर तक वहीं खड़ा रहा .उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे.तभी पुलिस की गाड़ियों के आने की आवाज गूंजने लगी . वह भयभीत हो गया और भागने लगा .छिपते छिपाते वह अपने कमरे के नजदीक तक तो पहुंच गया पर यहीं गली में उसे पुलिस वालों ने पकड़ लिया .वह कुछ बोल पाता इसके पहले ही उसके ऊपर डंडे बरसाए जाने लगे थे . रामलाल दर्द से कराह उठा . अबकी बार पुलिस वालों ने गंदी गंदी  गालियां देनी शुरू कर दी थी . तभी एक मोटरसाइकिल पर सवार कुछ नवयुवक आकर रुक गये . उन्होंने ने पुलिस वालों से कुछ बात की . पुलिस ने उन्हें जाने दिया . रामलाल भी इसी का फायदा उठा कर वहां से खिसक लिया . वह हांफते हुए अपने कमरे की दरी पर लेट गया । उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे जिन्हें पौंछने वाला कोई नहीं था . उसे अपनी मां की याद सताने लगी.

“क्या हुआ बेटा रो क्यों रहा है”

“कुछ नहीं मां पीठ पर दर्द हो रहा है”

“अच्छा बता मैं मालिश कर देती हूं”

मां की याद आते ही उसके आंसुओं की रफ्तार बढ़ गई थी . रोते-रोते वह सो गया था . दोपहर का समय ही रहता होगा जब उसकी आंख खुली .उसका सारा बदन दुख रहा था . पुलिस वालों ने उसे बेदर्दी से मारा था  वह कराहता हुआ उठा .बहुत जोर की भूख लगी थी . वह जानता था कि डिब्बे में अभी एक रोटी रखी हुई है .

सूखी और कड़ी रोटी खाने में समय लगा .वह अब क्या करे ? उसके सामने अनेक प्रश्न थे .

मकान मालिक ने दरवाजा भी नहीं खटखटाया था सीधे अंदर घुस आया था ” तुम कमरा कब खाली कर रहे हो”

वह सकपका गया

“मैं इस समय कहां जाऊंगा, आप कुछ दिन रूक जाओ, माहौल शांत हो जाने दो ताकि मैं दूसरा कमरा ढूंढ सकूं”

रामलाल हाथ जोड़कर खड़ा हो गया था .

“नहीं माहौल तो मालूम नहीं कब ठीक होगा तुम तो कमरा कल तक खाली कर दो…. नहीं तो मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेंगी” . कहता हुआ वह चला गया . रामलाल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे .वह चुपचाप बैठा रहा ।.अभी तो उसे शाम के खाने की भी फ़िक्र थी .

सूरज ढलने को था .रामलाल अभी भी वैसे ही बैठा था खामोश और वह करता भी क्या? . उसने कमरे का दरवाजा जरा सा खोलकर देखा . बाहर पुलिस नहीं थी , वह बाहर निकल आया . थोड़ी दूर पर उसे कुछ भीड़ दिखाई दी .वह लड़खड़ाते हुए वहां पहुंच गया .कुछ लोग खाने का पैकेट बांट रहे थे . वह भी लाईन में लग गया .हर पैकेट को देते हुए वो फोटो खींच रहे थे इसलिए समय लग रहा था . उसका नंबर आया एक व्यक्ति ने उसके हाथ में खाने का पैकेट रखा साथ के और लोग उसके चारों ओर खड़े हो गए .कैमरे का फ्लेश चमकने लगा .फोटो खिंचवा कर वो लोग जा चुके थे . रामलाल भी अपने कमरे कीओर लौट पड़ा “चलो ऊपर वाले ने सुन ली आज के खाने का इंतजाम तो हो गया, इसी में से कुछ बचा लेंगे तो सुबह का लेंगे” .

 

उसे बहुत जोरों से भूख लगी थी इसलिए कमरे में आते ही उसने पैकेट खोल लिया था . पैकेट में केवल दो मोटी सी पुड़ी थीं और जरा सी सब्जी .सब्जी बदबू मार रहीथी ,शायद वह खराब हो गई थी .हक्का-बक्का रामलाल रोटियों को कुछ देर तक यूं ही देखता रहा फिर उसने मोटी पुड़ी को चबाना शुरू कर दिया . दरी पर लेट कर वह भविष्य के बारे में सोचने लगा . वह अब क्या करें । कमरा भी खाली करना है .अपने गांव भी नहीं लौट सकता क्योंकि ट्रेने और बस बंद हो चुकी है, पैसे भी नहीं है . वह समझ ही नहीं पा रहा था कि वह करे तो क्या करें . उसने फिर से ऊपर की ओर देखा कमरे से आसमान दिखाई नहीं दिया पर उसने मन ही मन भगवान को अवश्य याद किया .

‌उसे सुबह ही पता लगा था कि सरकार की ओर से खाने की व्यवस्था की गई है इसलिए वह ढ़ूढ़ते हुए यहां आ गया था . उसके जैसे यहां बहुत सारे लोग लाईन में लगे थे . वे लोग भी मजदूरी करने दूसरी जगह से आए थे . यहीं उसकी मुलाकात मदन से हुई थी जो उसके पास वाले जिले में था .  उसे से ही उसे पता चला कि बहुत सारे मजदूर शाम को पैदल ही अपने अपने गांव लौट रहे हैं मदन भी उनके साथ जा रहा है .रामलाल को लगा कि यही अच्छा मौका है उसे भी इनके साथ गांव चले जाना चाहिए . पर क्या इतनी दूर पैदल चल पायेगा . पर अब उसके पास कोई विकल्प है भी नहीं यदि मकान मालिक ने जबरन उसे कमरे से निकाल दिया तो वह क्या करेगा .गहरी सांस लेकर उसने सभी के साथ गांव लौटने का मन बना लिया .

शाम को वह अपना सामान बोरे में भरकर निर्धारित स्थान पर पहुंच गया जहां मदन उसका इंतज़ार कर रहा था . सैंकड़ों की संख्या में उसके जैसे लोग थे जो अपना अपना सामान सिर पर रखकर पैदल चल रहे थे .इनमें बच्चे भी थे और औरतें भी .रात का अंधकार फैलता जा रहा था पर चलने वालों के कदम नहीं रूक रहे थे .कुछ अखबार वाले और कैमरा वाले सैकड़ों की इस भीड़ की फोटो खींच रहे थे . इसी कारण से पुलिस वालों ने उन्हें घेर लिया था  .वो गालियां बक रहे थे और लौट जाने का कह रहे थे .भीड़ उनकी बात सुन नहीं रही थी . पुलिस ने जबरन उन्हें रोक लिया था “आप सभी की जांच की जाएगी और रूकने की व्यवस्था की जाएगी कोई आगे नहीं बढ़ेगा” लाउडस्पीकर से बोला जा रहा था .सारे लोग रूक गये थे. एक एक कर सभी की जांच की गई .फिर सभी को इकट्ठा कर आग बुझाने वाली मशीन से दवा छिड़क दी गई . दवा की बूंदें पड़ते ही रामलाल की आंखों में जलन होने लगी थी . मदन भी आंख बंद किए कराह रहा था और भी लोगों को परेशानी हो रही थी पर कोई सुनने को तैयार ही नहीं था .दवा झिड़कने वाले कर्मचारी उल्टा सीधा बोल रहे थे . सारे लोगों को एक स्कूल में रोक दिया गया था . सैकड़ों लोग और कमरे कम . बिछाने के लिए केवल दरी थी . पानी के लिए हैंडपंप था . महिलाओं के लिए ज्यादा परेशानी थी . दो रोटी और अचार खाने को दे दिया गया था .

“साले हरामखोरों ने परेशान कर दिया” बड़बड़ाता हुआ एक कर्मचारी जैसे ही निकला एक महिला ने उसे रोक लिया “क्या बोला ….हरामखोर … अरे हम तो अच्छे भले जा रहे थे हमको जबरन रोक लिया और अब गाली दे रहे हैं” .

महिला की आवाज सुनकर और भी लोग इकट्ठा हो गए थे .

“सालों को जमाई जैसी सुविधाएं चाहिए …”

वह फिर बड़बड़या .

“रोकने की व्यवस्था नहीं थी तो काहे को रोका…दो सूखी रोटी देकर अहसान बता रहे हैं” . किसी ने जोर से बोला था ताकि सभी सुन लें . पर साहब को यह पसंद नहीं आया . उन्होंने हाथ में डंडा उठा लिया था “कौन बोला…जरा सामने तो आओ.. यहां मेरी बेटी की बारात लग रही है क्या ….जो तुम्हें छप्पन व्यंजन बनवाकर खिलवायें”.

सारे सकपका गये .वे समझ चुके थे कि उन्हें कुछ दिन ऐसे ही काटना पड़ेंगे .छोटे से कमरे में बहुत सारे लोग जैसे तैसे रात को सो लेते और दिन में बाहर बैठे रहते .बाथरूम तक की व्यवस्था नहीं थी औरतें बहुत परेशान हो रहीं थीं .कोई नेताजी आए थे उनसे मिलने .वहां के कर्मचारियों ने पहले ही बता दिया था कि कोई नेताजी से कोई शिकायत नहीं करेगा इसलिए बाकी  सारे लोग तो खामोश रहे पर एक बुजुर्ग महिला खामोश नहीं रह पाई . जैसे ही नेताजी ने मुस्कुराते हुए पूछा “कैसे हो आप लोग…. हमने आपके लिए बहुत सारी व्यवस्थाएं की है उम्मीद है आप अच्छे से होंगे”

बुजुर्ग महिला भड़क गई

“दो सूखी रोटी और सड़ी दाल देकर अहसान बता रहे हो .”

किसी को उम्मीद नहीं थी .सभी लोग सकपका गये . एक कर्मचारी उस महिला की ओर दोड़ा ,पर महिला खामोश नहीं हुई “हुजूर यहां कोई व्यवस्था नहीं है हम लोग एक कमरे में भेड़ बकरियों की तरह रह रहे हैं ”

नेताजी कुछ नहीं बोले .वे लौट चुके थे . उनके जाने के बाद सारे लोगों पर कहर टूट पड़ा था .

सरकार ने बस भिजवाई थी ताकि सभी लोग अपने अपने गांव लौट सकें . मदन और रामलाल एक ही बस में बैठ रहे थे ,तभी किसी महिला के रोने की आवाज सुनाई दी थी .उत्सुकता वश वो वहां पहुंच गया था .एक आदमी एक औरत के बाल पकड़ पीठ पर मुक्के मार रहा था . वह औरत दर्द से बिलबिला रही थी .

“इसे क्यों मार रहे हो भाई” रामलाल से सहन नहीं हो रहा था .

“ये तू बीच में मत पड़, ये मेरी घरवाली है समझ गया तू”

उसने अकड़ कर कहा

“अच्छा घरवाली है तो ऐसे मारोगे”

“तुझे क्या जा अपना काम कर”

रामलाल का खून खौलने लगा था “पर बता तो सही इसने किया क्या है”

“ये औरत मनहूस है इसके कारण ही मैं परेशान हो रहा हूं” ,कहते हुए उसने जोर से औरत के बाल खीचे .वह दर्द से रो पड़ी . रामलाल सहन नहीं कर सका . उसने औरत का हाथ पकड़ा और अपनी बस में ले आया .

“तुम  मेरे साथ बैठो देखता हूं कौन माई का लाल है जो तुम्हें हाथ लगायेगा”.

औरत बहुत देर तक सुबकती रही थी . कमला नाम बताया था उसने . उसने तो केवल यह सोचा था कि उसके आदमी का गुस्सा जब शांत हो जायेगा तो वो ही उसे ले जायेगा .पर वो उसे लेने नहीं आया “अच्छा ही हुआ उसने उसका जीवन खराब कर रखा था, पर वह यह जायेगी कहां” . प्रश्न तो रामलाल के थे पर उतर उसके पास नहीं था .बस से उतर कर उसने उसे साथ ले जाने का फैसला कर लिया था .

रामलाल के साथ कमला भी सोचती हुई कदम बढ़ा रही थी . उसे नहीं मालूम था कि उसका भविष्य क्या है पर रामलाल उसे अच्छा लगा था . वह जिन यातनाओं से होकर गुजरी है शायद उसे उनसे छुटकारा मिल जाए .

मां बाहर आंगन में बैठी ही मिल गई थी .

वह उनसे लिपट पड़ा ” मां….” उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे . रो तो मां भी रही थी , जब से लाकडाउन लगा था तब से ही मां उसके लिए बैचेन थीं . उन्होंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया था .दोनों रो रहे थे , कमला चुपचाप मां बेटे को रोता हुआ देख रही थी .अपने आंसू पौंछ कर उसने कमला की ओर इशारा किया “मां आपकी बहु…..”

चौंक गईं मां ” बहु ….. तूने बगैर मुझसे पूछे ब्याह रचा लिया ….?”

“वो मां मजबूरी थी लाकडाउन के कारण…. गांव आना था इसे कहां छोड़ता…. बेसहारा है न मां”

मां ने नजर भर कर कमला को देखा

“चल अच्छा किया”

मां ने कमला का माथा चूम लिया.

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धार्मिक कट्टरता से तबाह पाकिस्तान, क्या भारत भी चला इसी राह

पाकिस्तानी अवाम बढ़ती महंगाई को ले कर सड़कों पर है. चारों तरफ हायतोबा मची है. लोग भूखों मर रहे हैं. लोगों के पास न रोटी है न रोजगार. राजनीतिक अस्थिरता और बिगड़ती आर्थिक स्थिति ने पड़ोसी देश पाकिस्तान में महंगाई के एक नए तुफान को जन्म दे दिया है.

पाकिस्तान के सिर पर आज 100 अरब डौलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज है. उच्च ब्याज दर और जर्जर आर्थिक हालात के कारण कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार न्यूनतम स्तर पर आ चुका है. ऐसे में पाकिस्तान के ऊपर डिफौल्ट होने का खतरा भी मंडरा रहा है.

इतिहास गवाह है कि जो राष्ट्र धार्मिक कट्टरता की नींव पर खड़ा हुआ वे या तो तबाह हो गए या तबाह होने की राह पर हैं. धर्म की दकियानूसी मान्यताओंप्रथाओं ने ऐसे राष्ट्रों की कभी तरक्की नहीं होने दी. इस के उलट जिन देशों ने धर्म को नागरिकों के व्यक्तिगत सीमा में रख कर आधुनिक शिक्षा, नई खोजों, आविष्कारों और अनुसंधानों पर ध्यान दिया वे तेजी से तरक्की के रास्ते पर बढ़ गए. आज भारत चंद्रयान-3 को चांद पर सफलतापूर्वक लैंड करवा कर जहां इतिहास बना चुका है, वहीं पाकिस्तान में मौलाना 50 साल तक यही तय करने में लगे रहे कि कैमरे से तसवीर खींचना हराम है या हलाल. आज भी कुछ इसे हराम ही मानते हैं.

धर्म के नाम पर खूनखराबा

प्राकृतिक संसाधन किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास की आधारशिला होते हैं. पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन राष्ट्र के आर्थिक विकास की कुंजी हैं. लेकिन प्राकृतिक संसाधनों की प्राप्ति और उस का सही प्रयोग तभी संभव होता है जब लोग शिक्षित हों, उन्हें वैज्ञानिक जानकारी हो, तकनीकी ज्ञान हो. आप के सामने सोने का पहाड़ खड़ा हो मगर अल्लाह… अल्लाह… करने से, उस के सामने बैठ कर नमाज पढने से, दुआ मांगने से या मंत्रोच्चारण करने या पूजापाठ, दियाबाती, आरती करने से वह गहने में नहीं बदलेगा. सोने के सिक्के या गहने बनाने के लिए शिक्षा, तकनीक और साइंस की जानकारी चाहिए.

सिर्फ उन्नत विज्ञान व तकनीक द्वारा ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और उपयोग कर के कोई देश आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और मजबूत बन सकता है. आज जिन देशों को विकसित देशों की श्रेणी में रखा गया है वे उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं उन्नत तकनीकी का समुचित उपयोग कर के ही विकसित हुए हैं. धर्म का झंडा बुलंद कर के, अपने ही नागरिकों को आपस में लड़वा कर, अपनी ही औरतों पर जुल्म कर के और धर्म के नाम पर खूनखराबा कर के नहीं.

ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जरमनी आदि देशों ने अपने बच्चों की शिक्षा पर सब से ज्यादा ध्यान दिया. लड़कियों और लड़कों की शिक्षा में कोई असमानता नहीं रखी. उन का कौशल विकास किया. नौकरियों में स्त्रीपुरुष की बराबर की भागीदारी हुई. धर्म को लोगों के घर तक सीमित रखा और घर के बाहर देश और समाज की उन्नति और सशक्तिकरण के लिए कार्य हुए.

उन्होंने औद्योगीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया. विकसित हुए देशों में लोहाइस्पात उद्योग, रसायन उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग, मोटरगाड़ी निर्माण उद्योग, पोत व वायुयान निर्माण उद्योग आदि का तीव्र गति से विकास हुआ. कृषि के यंत्रीकरण ने उन के लिए प्रगति के द्वार खोले.

बदहाली के कगार पर हैं ये देश

इस के विपरीत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, अल्जीरिया, बेलारूस, उज्बेकिस्तान, तुर्की, म्यांमार, श्रीलंका जैसे अनेक देश आज बदहाली की कगार पर हैं क्योंकि इन देशों पर धर्मजाति, भाषासंप्रदाय जैसी चीजें हावी रहीं. प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद सदियों से अधिकांश मुसलिम देशों में सिर्फ लड़ाईयां ही हो रही हैं. इंसानों का खून बह रहा है. औरतों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं. बच्चों के कत्ल हो रहे हैं या उन्हें धार्मिक लड़ाकू, जिहादी या आतंकी बनने की ट्रेनिंग मिल रही है.

जिन देशों में धर्म लोगों पर हावी है वहां धर्म ने पुरुषों के दिमाग कुंद कर दिए हैं. ऐसी मानसिकता और सोच उन के अंदर विकसित की कि वह धर्म और जिहाद के रास्ते पर हैं तो ही ठीक और नेक रास्ते पर हैं. उन के अंदर धार्मिक कट्टरता पैदा की गई. उन को सिखाया गया कि कोई तुम्हारे धर्म को फैलने में बाधा बने, कोई तुम्हारे धर्म की तरफ आंख उठा कर देखे तो उस को खत्म कर दो. यानी धर्म ने हिंसा सिखाई और हिंसा को बढ़ावा दिया. शांति वार्ता का कोई मार्ग नहीं सुझाया क्योंकि वार्ता और तर्क तो वही करता है जिस का दिमाग खुला हुआ हो और जो सचमुच शिक्षित हो.

धर्म ने तरक्की को बाधित कर इंसान को बंधनों में जकड़ दिया. 5 वक्त नमाज पढ़ो, सिर पर टोपी पहनो, औरतों को सिर से पैर तक बुरके में ढंक कर रखो, उन को बाहर मत निकलने दो, उन्हें अपने इशारे पर नचाओ, उन की इच्छा का दमन करो, उन्हें पढ़ने मत दो, घरों में कैद हो कर वे सिर्फ धार्मिक कृत्य करें, नमाज पढ़ें, रोजा रखें, घर की सफाई करें, खाना पकाएं, पति की ख्वाहिशें पूरी करें, उस के बच्चे पैदा करें और उन को पालें.

धर्म ने मर्द को औरत का मालिक नियुक्त कर दिया. ऐसा मालिक जिस की सोच में हिंसा भरी हुई है, लिहाजा उस ने सबसे पहले अपने ही घर की औरतों पर उस हिंसा का प्रदर्शन शुरू किया. फिर धर्म के प्रचार के लिए बाहर निकला और बाहर की औरतों, बच्चों पर उस ने हिंसा का प्रयोग किया. अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों का उदाहरण सामने है.

पिछले 2 दशकों से भारत की मुख्य चिंता है कट्टरता

पिछले 2 दशकों से भारत में भी धर्म का प्रचार बड़े जोरशोर से हो रहा है. बहुसंख्यक अपने धर्म को ले कर उग्र हैं. अधिकांश युवा जिन्हें शिक्षित हो कर कामकाज से जुड़ना था, वे शिक्षा से विमुख हो कर धर्म का झंडा हाथ में उठा कर सड़कों पर नारे बुलंद करते और अल्पसंख्यक समाज पर जुल्म करते दिखते हैं. इन बेरोजगार और खाली युवाओं की धार्मिक सेना तैयार हो रही है जो कट्टरपंथी सत्तारूढ़ नेतृत्व के आह्वान पर खून की नदियां बहाने को तैयार बैठे हैं. क्या हम पकिस्तान जैसे जाहिल देश का अनुकरण नहीं कर रहे?

पाकिस्तान की बुनियाद धर्म के नाम पर रखी गई थी. धर्म का हवाला दे कर वह भारत से अलग हुआ था. पाकिस्तान को जाहिल कठमुल्लाओं ने ऐसे अपने काबू में किया कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त यह देश कभी तरक्की नहीं कर पाया.

पाकिस्तान में कभी सही मानों में जनतांत्रिक सरकार की स्थापना नहीं हुई. धार्मिक कट्टरता में जकड़े जनरलों और मुल्लाओं ने पकिस्तान को अपहृत कर तबाह कर दिया.

पाकिस्तान की दुविधा

पाकिस्तान की दुविधा यह है कि वहां मुल्लाओं और सेना के जनरलों दोनों ने एक स्वतंत्र देश के रूप में इस की लगभग आधी अवधि के दौरान राजनीतिक शक्ति को नियंत्रित किया और लोकतंत्र के शासन को प्रतिबंधित किया. जनरल जिया उल हक ने मुल्लाओं को व्यापक शक्तियां दीं, जिन्होंने धार्मिक रूढ़ियों, परंपराओं, दकियानूसी खयालातों और औरतों को बंधक बना कर रखने वाले प्रतिगामी कानून बनाए जो आज तक नहीं बदले गए. 7 दशक बीत जाने के बाद भी कोई भी निर्वाचित सरकार उन्हें बदलने की हिम्मत नहीं कर पाई.

पाकिस्तान में महिलाएं जनसंख्या का 48.76% हैं, मगर शिक्षा के क्षेत्र में वे बहुत पीछे हैं. विश्व स्तर पर महिलाएँ श्रम शक्ति का 38.8% हैं, लेकिन पाकिस्तान में केवल 20% के आसपास हैं, जो दक्षिण एशिया में सब से कम है. महिलाओं के लिए स्कूल, कालेजों और प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या उन की आबादी के लिहाज से बहुत कम है. पिछड़े इलाकों में बलात्कार, औनर किलिंग, हत्या और जबरन विवाह के मामले भी सामने आते हैं. दरअसल, लिंग संबंधी सभी संकेतकों पर पाकिस्तान का प्रदर्शन खराब है.

चौंकाती है रिपोर्ट

ग्लोबल जैंडर गैप इंडैक्स रिपोर्ट, 2022 ने महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में पाकिस्तान को 156 देशों में 145वें स्थान पर रखा. यहां महिलाएं शैक्षिक उपलब्धि के मामले में 135वें स्थान पर हैं. स्वास्थ्य के मामले में महिलाएं 143वें स्थान पर और राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में 95वें स्थान पर हैं.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की वैश्विक वेतन रिपोर्ट 2018-19 में पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन का अंतर करीब 34% है. पाकिस्तान में मतदान प्रक्रिया में भी औरतों की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले 20% कम है. महिलाओं की गतिशीलता बढ़ाने के लिए पाकिस्तान में कभी कोई नीति, योजना बनाने की बात नहीं होती है. पितृसत्तात्मक मानसिकता और सामाजिक मानदंड उन के विकास में सब से बड़े बाधक हैं.

प्रधानमंत्री के रूप में बेनजीर भुट्टो का चुनाव एक बड़ी उपलब्धि की तरह लग रहा था मगर उन का शासन बहुत अल्पकालिक और अराजकता से भरा हुआ रहा. उन के वक्त में पाकिस्तान ने अपने इतिहास की सब से खराब जातीय और सांप्रदायिक हिंसा देखी. बेनजीर ने अपने चुनाव अभियानों के दौरान महिलाओं के सामाजिक मुद्दों, स्वास्थ्य और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने महिला पुलिस स्टेशन, अदालतें और महिला विकास बैंक स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की. महिलाओं के अधिकारों को कम करने वाले विवादास्पद हुदूद कानूनों को रद्द करने का भी वादा बेनजीर ने किया. लेकिन एक औरत को सत्ता शीर्ष पर बरदाश्त न कर पाने वाली पितृमानसिकता ने आखिरकार बेनजीर को बम धमाके में उड़ा कर खत्म कर दिया.

सरकार बनाम सेना

पाकिस्तान में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, उस के ऊपर हमेशा सेना की तलवार लटकती रहती है. जिसे धार्मिक सेना कहना ज्यादा ठीक होगा. कई बार तो वहां सेना ने ही सत्ता संभाली है. जनरल अयूब से लेकर याह्या खान, जनरल जिया उर रहमान और फिर जनरल परवेज मुशर्रफ तक ने पाकिस्तान की सत्ता संभाली. इन के बाद जनरल परवेज कयानी और जनरल बाजवा ने भी परदे के पीछे से सत्ता का संचालन किया. मगर उन्होंने नागरिक सरकार को स्वतंत्र हो कर कभी काम नहीं करने दिया. अगर नागरिक सरकार स्वतंत्र हो कर काम कर पाती तो पकिस्तान की हालत बेहतर होती क्योंकि जनता के नुमाइंदे जनता का दर्द कुछ हद तक तो समझते हैं. वे उन की बेहतरी के लिए कुछ काम जरूर करते. मगर पाकिस्तान में नागरिक सरकार के सामने न केवल सेना को खुश रखने की मजबूरी होती है बल्कि उस से ज्यादा जिहादी तंजीमों के मुल्लाओं के तलवे सहलाने होते हैं.

पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ (पीटीआई) सैन्य समर्थन से सत्ता में आई और आने के 2 साल से भी कम समय में पीटीआई सरकार ने बड़ा राजनीतिक स्थान सेना को सौंप दिया है. सरकार ने सुनिश्चित किया है कि भले ही देश पर 33 ट्रिलियन रुपए से अधिक का कर्ज चढ़ गया है और देश अंतर्राष्ट्रीय महामारी से जूझ रहा है, मगर प्राथमिकता हमेशा सेना और मुल्ला की इच्छाओं और चाहतों को दी जानी चाहिए.

हालांकि जब 1947 में मोहम्मद अली जिन्ना ने अलग पकिस्तान का राग अलापा और भारत से उस को तोड़ा तो उस का इरादा पकिस्तान को कोई कट्टर इसलामिक कंट्री बनाने का नहीं था. जिन्ना बड़े खुले विचारों के व्यक्ति थे. बहुत पढ़ालिखे, आले दरजे के वकील और आधुनिकता के सांचे में ढले हुए. उन्होंने शादी भी पारसी धर्म की लड़की रत्तीबाई से की थी, जिस का मुल्लाओं ने बड़ा विरोध किया था. धर्म के आधार पर अलग देश की मांग सिर्फ जिन्ना के राजनीतिक लालच के कारण थी और देश के सब से ऊंचे पद पर बैठने की लालसा थी. पाकिस्तान बना कर उन्होंने अपनी यह ख्वाहिश पूरी की.

जिन्ना पाकिस्तान में जनतांत्रिक सरकार बनाने की इच्छा रखता थे. यही वजह थी कि उन्होंने वकील और दूरदर्शी दलित नेता जोगिंदरनाथ मंडल को अपने साथ पाकिस्तान आने के लिए मनाया और पाकिस्तान की संविधान सभा के पहले सत्र की अध्यक्षता की जिम्मेदारी उन को दी. बाद में जोगिंदरनाथ मंडल पाकिस्तान के कानून मंत्री बनाए गए.

कौन थे जोगिंदरनाथ मंडल

जोगिंदरनाथ मंडल की पाकिस्तान में वही हैसियत थी, जो भारत में बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की थी. भारत और पाकिस्तान दोनों के पहले कानून मंत्री दलित थे. जब भारत में संविधान लिखने की प्रक्रिया शुरू हुई तो नेहरू ने अपने मंत्रिमंडल में एक गैर कांग्रेसी दलित नेता डा. भीमराव आंबेडकर को जगह दी और देश का पहला कानून मंत्री बनाया. उन्हें देश के संविधान का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई.

पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना का पहला भाषण सिर्फ उन की एक परिकल्पना नहीं थी, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति भी थी. उसी रणनीति के तहत उन्होंने अपने भाषण से पहले बंगाल के हिंदू दलित नेता जोगिंदरनाथ मंडल से संविधान सभा के पहले सत्र की अध्यक्षता करवाई. हालांकि अब पाकिस्तान की नेशनल असैंबली की वेबसाइट पर उस के पहले अध्यक्ष के तौर पर मंडल का नाम मौजूद नहीं है. धर्म की कट्टरता में अंधे पाकिस्तान ने खुली सोच रखने वाले और देश को प्रगति की राह दिखाने वाले मंडल को जिन्ना के मरते ही दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंका और पाकिस्तानी दस्तावेजों से उन का नामोनिशान मिटा दिया. इतिहास पर स्याही फेरने और उसे बदलने का बिलकुल वैसा ही काम आज हिंदुत्व का झंडा उठाए मोदी सरकार करने में लगी है. पर दस्तावेजों पर स्याही फेरने से इतिहास न तो मिटता है, न बदलता है.

जोगिंदरनाथ मंडल का जन्म बंगाल के एक कस्बे बाकरगंज में एक किसान परिवार में हुआ था. उन के पिता चाहते थे कि घर में कुछ हो या न हो उन का बेटा शिक्षा जरूर हासिल करे.

जोगिंदरनाथ मंडल ने अंबेडकर की तरह ही उच्च शिक्षा प्राप्त की. शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बारिसाल की नगर पालिका से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. उन्होंने निचले तबके के लोगों के हालात सुधारने के लिए संघर्ष किया. वह भारत के बंटवारे के पक्ष में नहीं थे. लेकिन उन्होंने महसूस किया कि उच्च जाति के हिंदुओं (सवर्णों) के बीच रहने से दलितों जिन्हें उन दिनों शूद्रों की संज्ञा दी गई थी, की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता. उन्होंने सोचा कि पाकिस्तान नीची जाति के लिए एक बेहतर अवसर हो सकता है.

अधिकारों के लिए संघर्ष

उन्होंने जिन्ना के आश्वासन के बाद पाकिस्तान जाने का फैसला किया और अपने पाकिस्तान चुनने की वजह भी साफ की. उन्होंने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान को इसलिए चुना क्योंकि उन का मानना था कि मुसलिम समुदाय ने भारत में अल्पसंख्यक के रूप में अपने अधिकारों के लिए बहुत संघर्ष किया है. लिहाजा वे अपने देश में यानी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ न केवल न्याय करेगा, बल्कि उन के प्रति उदारता भी दिखाएगा. हालांकि कट्टरपंथी मुल्लाओं ने उन की इस सोच पर पानी फेर दिया और जिन्ना की मौत के बाद उन को पकिस्तान छोड़ने के लिए भी मजबूर कर दिया.

इतिहासकारों का मानना है कि 11 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान के संस्थापक और देश के पहले गवर्नर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना ने संविधान सभा की पहली बैठक में अध्यक्ष के तौर पर अपने भाषण में पाकिस्तान के भविष्य का खाका पेश करते हुए रियासत (सत्ता) को धर्म से अलग रखने का ऐलान किया था. जिन्ना ने कहा था, “हम एक ऐसे दौर की तरफ जा रहे हैं जब किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. एक समुदाय को दूसरे पर कोई वरीयता नहीं दी जाएगी. किसी भी जाति या नस्ल के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. हम इस मूल सिद्धांत के साथ अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं कि हम सभी नागरिक हैं और हम सभी इस राज्य के समान नागरिक हैं.”

यह सच है कि नए राज्य के भविष्य के नागरिकों के लिए समान अधिकारों के जोरदार दावे जिन्ना ने किए. जिन्ना को इस बात पर पूरा विश्वास था कि धार्मिक राष्ट्रवाद के जिस राक्षस को उन्होंने जगाया था उस पर वे काबू कर लेंगे, मगर उन की वह सोच गलत साबित हुई. जिन्ना की अचानक मौत ने पाकिस्तान के चरमपंथियों को बेकाबू कर दिया. जिन्ना के खास जोगिंदरनाथ मंडल को उस माहौल में न सिर्फ पूरी तरह से अलगथलग कर दिया गया बल्कि धार्मिक चरमपंथियों ने उन के लिए जिंदगी इतनी मुश्किल कर दी कि उन्हें पाकिस्तान छोड़ कर भागना पड़ा.

जिन्ना की मौत के बाद मंडल ने देखा कि पाकिस्तान का रास्ता जिन्ना के ‘दृष्टिकोण’ से अलग हो चुका है. जिन्ना की मौत के बाद कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन से जोगिंदरनाथ मंडल बहुत ज्यादा निराश हुए. धार्मिक कट्टरता के कारण पाकिस्तान में अब अल्पसंख्यकों से किए गए वादों को पूरा करने वाला कोई नहीं था. ऐसे लोग सरकार में आ गए थे जो बहुत शिद्दत के साथ मजहब को रियासत पर थोप रहे थे. पाकिस्तान को एक इसलामिक राज्य बनाने के लिए अल्पसंख्यकों की सभी चिंताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था. उन पर जुल्म होने शुरू हो गए थे. उन के धार्मिक स्थलों को मटियामेट किया जाने लगा था. उन्हें सरकारी नौकरियों और सत्ता से बेदखल कर दिया गया. बिलकुल वैसे ही जैसे आज भारत में हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाली सरकार कर रही है.

जोगिंदरनाथ मंडल के पाकिस्तान छोड़ने और भारत वापस लौटने के फैसले का कारण पाकिस्तान में पैदा हो चुकी धार्मिक कट्टरता ही थी, जिसने मुसलिम लीग के नेताओं के लिए मंडल को अस्वीकार्य बना दिया था. उन्होंने उन की निष्ठा पर महज इसलिए सवाल उठाए क्योंकि वह एक नीची जाति के हिंदू थे. ऐसे बहुतेरे जोगिंदरनाथ मंडल विभाजन के वक्त पकिस्तान गए जिन्होंने वहां एक जनतांत्रिक सरकार बनने का सपना देखा. लेकिन ऐसे सभी लोगों को धार्मिक कट्टरपंथियों ने दरकिनार कर दिया.

दिवालिया होने की कगार पर पाकिस्तान

बीते 75 साल में उसी कट्टरता के चलते पाकिस्तान आज दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है. आज वह अपने मित्र देशों और इसलामी भ्राता देशों से वित्तीय मदद की गुहार लगा रहा है. चीन का लौहमित्र, अमेरिका और पश्चिमी देशों का दुलारा रह चुके और इसलामी देशों के संगठन (ओआईसी) की नेतागीरी करने वाले पाकिस्तान को आज कोई सहयोग करने को तैयार नहीं है. पाकिस्तान में समझदार लोग इस के पीछे का राज समझते हैं, लेकिन इस के लिए गहन आत्ममंथन करने को तैयार नहीं हैं.

पाकिस्तानी मीडिया के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा का भंडार घट कर करीब 4 अरब डौलर के सब से निचले स्तर पर आ गया है. पाकिस्तान पर करीब 268 अरब डौलर का कर्ज है जिस में से 31 अरब डौलर का कर्ज पाकिस्तान ने चीन से ही लिया है. पर्यवेक्षकों का मानना है कि पाकिस्तान को यदि तत्काल 20-25 अरब डालर की मदद नहीं मिलेगी तो जल्द ही श्रीलंका जैसे हालात वहां बन सकते हैं. गेहूं के आटे और दैनिक जीवन के लिए अन्य घरेलू सामान आम आदमी को नहीं मिल रहे. मुद्रास्फीति की दर 40% से ऊपर चल रही है. आखिर जब महंगाई की मार असहनीय हो जाएगी तो श्रीलंका की तरह पाकिस्तान का मध्यवर्ग भी सड़कों पर उतरने को बाध्य होगा.

आयात के लिए पाकिस्तान को हर महीने 8 से 10 अरब डौलर की जरूरत होती है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार यदि खाली ही रहा तो पाकिस्तान पैट्रोलडीजल आयात नहीं कर सकेगा. इस से पाकिस्तान में घोर कुहराम मच सकता है. इस वजह से पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था ही बैठ सकती है. तब पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के लिए घरेलू हालात को संभालना और कितना मुश्किल होगा इस का अनुमान लगाया जा सकता है. धर्म और भारत विरोध के नशे में धुत्त पाकिस्तान ने वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप अपने को नहीं ढाला, जिस का नतीजा है कि चीन, तुर्की और खाड़ी के कुछ देशों को छोड़ कर अन्य विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने पाकिस्तान से किनारा किया हुआ है. पाकिस्तान में धन का निवेश करने और उसे गंवाने के लिए कोई तैयार नहीं है.

राजनीतिक, आर्थिक अस्थिरता व अराजकता के माहौल में विदेशी निवेश तो बंद ही है, घरेलू उद्योगपति भी नए निवेश नहीं कर रहे हैं. 2 साल तक चली कोविड महामारी और पिछले साल अगस्त में आई भीषण बाढ़ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और रसातल में भेज दिया है.

इस दयनीय हालात का लाभ पाकिस्तान का जिहादी तबका उठा सकता है. पाकिस्तान के घोर उग्रवादी संगठन तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पहले ही पाकिस्तान की नागरिक सरकार और सेना की नाक में दम कर रखा है. टीटीपी का साम्राज्य फैलता जा रहा है और एक बार फिर वह इस्लामाबाद के नजदीक मनोरम स्वात घाटी पर कब्जा करने की फिराक में है और पाकिस्तान की सेना और सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारी खर्च कर जिन जिहादियों को भारत के भीतर आतंकवादी वारदातें करने के लिए जैश ए मोहम्मद व लश्कर ए तैयबा में भरती करने के लिए तैयार किया वे अब टीटीपी में भरती होने लगे हैं.

साफ है कि पाकिस्तान की सेना और सरकार भीतर और बाहर दोनों मोरचों पर अपना अस्तित्व बचाने में ही जुटी है, जिस पर होने वाले हजारों करोड़ रुपए का सालाना खर्च यदि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधारने पर लगाया जाता तो पाकिस्तान के आज जैसे हालात नहीं होते.

 

गौतम अदानी बनाम नरेंद्र मोदी

दुनिया का सब से बड़ा राजनीतिक दल होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति में ईमान को ताक पर रख दिया है. चाहे आर्थिक क्षेत्र हो, राजनीतिक हो, सामाजिक हो या फिर वैश्विक हर जगह वह सब काम किया है जो देश हित में नहीं है कतई नहीं करना चाहिए.

इस का वर्तमान में कम ज्यादा असर होता दिखाई दे रहा है. आगे दूरगामी रूप से यह देश के लिए घातक सिद्ध भी होगा. दरअसल,  भारतीय जनता पार्टी की दशा और दिशा पर आज शोध करने की आवश्यकता है ताकि आने वाले समय में भाजपा की नीतियों के कारण देश को जो चहुंमुखी क्षति हो रही है उस का आकलन किया जा सके. भारतीय जनता पार्टी में देश के प्रति समर्पण, निष्ठा और ईमानदारी की कमी, देश की आम जनता को एक राजनीतिक दल होने के नाते सत्ता में होने के कारण हम किस तरह आर्थिक रूप से मजबूत बनाएं यह भावना नहीं दिखाई देती.

इस की जगह पर भारत माता की जय वंदे मातरम, मंदिर बनाएंगे जैसे मसलों को ले कर के जनता को बरगलाने का काम, भ्रमित करने का काम किया गया. इसी के तहत भाजपा के बड़े नेता नरेंद्र दामोदरदास मोदी और अमित शाह द्वारा मुकेश अंबानी और गौतम अडानी दोनों को जो संरक्षण दिया गया. इस के कारण यह दोनों मालामाल हो गए. जिस तरह भाजपा दुनिया के सब से बड़ी राजनीतिक पार्टी का ढोल बजा रही है इस तरह गौतम अडानी को भी दुनिया का सब से बड़ा अमीर आदमी बनने के लिए केंद्र सरकार खुलकर समर्थन कर रही है. यह आज देश का बच्चाबच्चा जानता है.

यही कारण है जब गौतम अदानी समूह की पोल खुली तो वह लुढ़क कर नीचे आ गया. नरेंद्र मोदी सरकार ने जिस तरह गौतम अडानी को समर्थन दिया है वह सीमाओं का अतिक्रमण करता है और देश के लिए चिंता का सबब होना चाहिए.

देश में कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी सरकार चलाई है मगर कभी भी किसी उद्योगपति को आंख बंद करके समर्थन नहीं किया गया. यही कारण है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अदानी समूह पर कोयले के आयात में ज्यादा कीमत दिखा कर 12 हजार करोड़ रुपए की अनियमितता का आरोप लगाया है और कहा, “2024 में उनकी पार्टी को केंद्र सरकार बनाने का मौका मिला तो इस कारोबारी समूह से जुड़े मामले की जांच कराई जाएगी.”

दुनिया की निगाहों में अदाणी                        

राहुल गांधी ने ब्रिटिश समाचारपत्र ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक खबर का हवाला देते हुए कहा. “वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस संदर्भ में ‘मदद करना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री अदानी समूह के मामले की जांच कराएं और अपनी विश्वसनीयता बचाएं.”

अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी ने खुल कर अपना और पार्टी का पक्ष देश के सामने रख दिया है और नरेंद्र मोदी पर तल्ख टिप्पणी की है. नरेंद्र मोदी और देश उसे चौराहे पर खड़ा है जहां से गौतम अडानी पर सरकार को जांच कर के दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए. मगर आजकल भारत सरकार जिस तरीके से कम कर रही है वह निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता क्योंकि जहां सरकार और उन के चेहरों के पक्ष की बात होती है वहां फैसला बदल जाते हैं यह स्थिति देश के लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती और दुनिया के जीनियस इसे ले कर के चिंतित हैं.

राहुल गांधी ने उद्योगपति गौतम अदानी से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार की मुलाकातों को ले कर सफाई दी और कह, “शरद पवार देश के प्रधानमंत्री नहीं हैं और अदानी का बचाव भी नहीं कर रहे हैं, इसलिए वह राकांपा नेता से सवाल नहीं करते.”

दरअसल,राहुल गांधी ने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की जिस खबर का हवाला दिया उस में कहा गया है नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्रधानमंत्री समय काल में 2019 और 2021 के बीच अदानी के 31 लाख टन मात्रा वाले 30 कोयला शिपमेंट का अध्ययन किया गया, जिस में कोयला व्यापार जैसे कम मुनाफे वाले व्यवसाय में भी 52 फीसद लाभ समूह को मिला है.”

कुल मिला कर के सच यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अदानी समूह पर कोयले के आयात में ज्यादा कीमत दिखाकर 12 हजार करोड़ की अनियमितता का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, “यह चोरी का मामला है और यह चोरी जनता की जेब से की गई है. यह राशि करीब 12,000 करोड़ रुपए हो सकती है. पहले हम ने 20 हजार करोड़ रुपए की बात की थी और सवाल पूछा था कि ये पैसा किस का है, कहां से आया? अब पता चला है कि 20 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा गलत था, उस में 12 हजार करोड़ रुपए और जुड़ गए हैं. अब कुल आंकड़ा 32 हजार करोड़ रूपए का हो गया है.

अभिनेत्री नहीं डॉक्टर बनना चाहती थी Madhuri Dixit, जानें फिर कैसे शुरू हुआ फिल्मी सफर

Madhuri Dixit Struggle Story : ‘धक-धक गर्ल’ के नाम से मशहूर अभिनेत्री ”माधुरी दीक्षित” के आज करोड़ों चाहने वालें हैं. एक्ट्रेस की खूबसूरती और एक्टिंग के दीवाने न सिर्फ भारत बल्कि देश से बाहर भी हैं. उन्होंने बहुत ही कम उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रख दिया था. इसके अलावा अब तक के अपने करियर में उन्होंने एक से बढ़कर कई शानदार फिल्मों में भी काम किया है, जो आज भी लोगों के दिलों-दिमाग पर छाई हुई हैं. लेकिन उनकी जिंदगी के कुछ रहस्यों के बारे में शायद ही किसी को पता होगा. तो आइए जानते हैं एक्ट्रेस ”माधुरी दीक्षित” (Madhuri Dixit Struggle Story) के जीवन, करियर और पर्सनल लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में.

कथक में पारंगत हैं माधुरी

आपको बता दें कि अभिनेत्री ”माधुरी दीक्षित” (Madhuri Dixit Struggle Story) का जन्म 15 मई 1967 को मुंबई में के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता इंजीनियर थे और माँ गृहिणी थी. लेकिन इसी के साथ उनकी माता की शास्त्रीय नृत्य और गायन में भी अच्छी खासी दिलचस्पी थी. ”माधुरी” अपने घर में सबसे छोटी थी. उनसे बड़े उनके तीन बहन-भाई थे.

”माधुरी” की मां ने बचपन से ही उन्हें नृत्य की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी. जब वह तीन साल की थी तो तभी से उनकी मां ने उन्हें कथक नृत्य की कक्षा में दाखिला दिला दिया था, जिसके बाद 11 साल की उम्र तक ”माधुरी” कथक सीखकर उसमें पारंगत हो गई. इसी के साथ उनकी पढ़ाई भी चल रही थी. वो बचपन से ही बहुत पढ़ाकू थी. हालांकि स्कूल में वह सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया करती थी. लेकिन वह एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थी. वो तो डॉक्टर बनना चाहती थी.

इस तरह शुरू हुआ फिल्मी सफर

वहीं जब ”माधुरी दीक्षित” 17 साल की हुई तो उनकी प्रतिभा को निर्देशक ‘गोविंद मुनीस’ ने देखा और फिर उनकी मुलाकात ‘ताराचंद बड़जात्या’ और उनके पुत्र ‘राजकुमार बड़जात्या’ से कराई. इस मुलाकात के बाद ”माधुरी” को फिल्म ‘अबोध’ में नायिका के किरदार के लिए चुन लिया गया, जिसे करने के लिए वो मान भी गई. लेकिन ये फिल्म बड़े पर्दे पर बुरी तरह से फ्लॉप रही.

हालांकि ‘अबोध’ के बाद उन्हें (Madhuri Dixit Struggle Story) कुछ और फिल्मों में काम करने का मौका जरूर मिला, जिससे उनकी दिलचस्पी फिल्मों में बढ़ने लगी. इसके बाद उन्होंने आवारा बाप, स्वाति, हिफाजत, उत्तर दक्षिण और खतरों के खिलाड़ी जैसी सात फिल्मों में लगातार काम किया, लेकिन उनकी ये सातों की सातों फिल्में फ्लॉप होती चली गई. इससे ”माधुरी” बुरी तरह से टूट गई.

इसके कुछ समय बाद साल 1988 में उन्हें एन चंद्रा की फिल्म ‘तेजाब’ में काम करने का मौका मिला, जिसने उन्हें सफलता दिलाई. इस फिल्म के गाने ‘एक दो तीन’…  पर किया उनका डांस इतना लोकप्रिय हो गया कि फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस फिल्म ने माधुरी की किस्मत बदल दी और अपनी मेहनत, नृत्य के प्रति लगन और प्रतिभा के बल पर वह लंबे समय तक फिल्मों में छाई रही.

आलोचना का भी करना पड़ा है सामना

इसके बाद फिल्म ‘दयावान’ ने भी धूम मचा दी. इस फिल्म में उन्होंने (Madhuri Dixit Struggle Story) कई बोल्ड सीन भी दिए थे, जिसके लिए उनकी प्रशंसा तो हुई ही. साथ ही आलोचना भी हुई. फिर उन्होंने तय कर लिया था कि अब वो कभी भी फिल्मों में ऐसे सीन नहीं करेंगी. इसके बाद उन्होंने ‘दिल’, ‘जमाई राजा’, ‘बेटा’, ‘हम आपके हैं कौन’ और ‘दिल तो पागल है’ जैसी कई फिल्मों में काम किया, जिसमें से ज्यादातर फिल्में हिट रही और इस तरह ”माधुरी” कामयाबी के शिखर पर चढ़ती चली गई. गौरतलब है कि एक्ट्रेस का ये जादू आज भी बरकरार है. अब भी लोगों से उन्हें वो ही प्यार और प्रशंसा मिलती हैं जो करियर के शुरुआत में उन्हें मिला करती थी.

आपको बताते चले कि फिल्मों में अपने शानदार अभिनय के लिए ”माधुर दीक्षित” को छह बार ‘फिल्मफेयर’ और साल 2008 में भारत सरकार से ‘पद्मश्री’ पुरस्कार भी दिया जा चुका है.

इस खबर को सुन सभी को लगा था झटका

हालांकि एक्ट्रेस ”माधुर दीक्षित” (Madhuri Dixit Personal Life) ने जितना फिल्मों में अपने अभिनय से लोकप्रियता हासिल की है. उतना ही वह अपने रिलेशनशिप के लिए भी सुर्खियों में रही हैं. उनका नाम कई एक्टर के साथ जोड़ा जा चुका हैं, लेकिन उन्होंने अपने फैंस को तब हैरान कर दिया जब अचानक से उन्होंने साल 1999  में अमेरिका में डॉक्टर ‘श्रीराम माधव नेने’ से शादी कर ली थी. उनकी शादी की खबर जब भारत आई तो उनके फैंस सहित कई एक्टर व एक्ट्रेसस को झटका लगा था.

वहीं शादी के बाद फिर वापस वो मुंबई आई जहां उन्होंने अपनी अधूरी फिल्मों की शूटिंग पूरी की. लेकिन उसी के तुरंत बाद फिर वो फिल्मों से संन्यास लेकर वापस अमेरिका चली गई. शादी के कुछ साल बाद उन्होंने बेटे ‘रियान’ को जन्म दिया और फिर दो साल बाद एक और पुत्र ‘एरिन’ को.

माधुरी ने शादी के सात सालों बाद तोड़ा था संन्यास

वहीं शादी के करीब सात साल बाद ‘माधुरी दीक्षित नेने’ (Madhuri Dixit Struggle Story) ने फिल्मों से अपना संन्यास तोड़ा और फिर से काम करने के लिए भारत आ गई. जिसके बाद उन्होंने अपने करियर की नई शुरूआत की. उन्होंने फिल्मों के साथ-साथ टीवी शो ‘झलक दिखला जा’ में जज की भूमिका भी निभाई. इसके बाद साल 2011 में वह अपने पूरे परिवार के साथ अमेरिका को छोड़ मुंबई लौट आईं.

यहां फिर से उन्होंने एक के बाद एक कई फिल्मों में काम किया. हालांकि फिल्मों के अलावा ‘टीवी शो’ और ‘वेब सीरीज’ में भी वो अपना हाथ आजमा रही हैं. वहीं फिल्में बनाने के लिए भी वह अपनी कमर कस चुकी हैं. उन्होंने बतौर निर्माता मराठी फिल्म ’15 अगस्त’ से अपने नए करियर की शुरुआत की है और अब वो भविष्य के लिए कुछ और पटकथाओं पर भी काम कर रही हैं. जो जल्द ही बड़े पर्दे पर रिलीज होंगी.

मेरा एक फेसबुक फ्रेंड कुछ दिनों से मुझे अवौइड कर रहा है, ऐसे में मैं क्या कर सकती हूं ?

सवाल

मैं 28 वर्षीय कामकाजी, अविवाहित युवती हूं. पिछले दिनों फेसबुक पर मेरी दोस्ती एक लड़के से हुई. हम रोज मैसेंजर पर बात करते. लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह मुझे अवौइड करने लगा है. मेरे मेसैजेस का ठीक से जवाब भी नहीं देता. मुझे समझ नहीं आता मेरी गलती क्या है? मैं खुद को उस से भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ पाती हूं इसलिए उस का यह व्यवहार मुझे दुखी करता है. मैं ने उस से कई बार उस के इस व्यवहार का कारण जानने की कोशिश की पर वह हमेशा कुछ नहीं कह कर बात टाल देता है. मैं उस के इस व्यवहार का क्या अर्थ समझूं?

जवाब

वह लड़का सिर्फ आप के साथ टाइम पास कर रहा था. अब उस को आप में कोई रुचि नहीं रही इसलिए वह ऐसा व्यवहार कर रहा है. आप भी उस की तरह तू न सही और सही…की तर्ज पर आगे बढ़ जाएं. आप उस से जितना ज्यादा जुड़ी रहेंगी खुद को दुखी करेंगी.

चाहिए मजबूत बाल तो आज से ही खाने में शामिल करें ये 5 सुपरफूड

बालों की सेहत हमारे खानपान पर खासा निर्भर करती है. हम क्या खाते हैं इसपर निर्भर करता है कि हमारे बालों की सेहत कैसी होगी. बालों के झड़ने के कई कारण होते हैं, एक तो पारिवारिक कारण है. मतलब अगर आपके दादा, पिता के बाल झड़ते हैं को आपके भी झड़ेंगे. ये एक अनुवांशिक समस्या है. दूसरा पोषण में कमी और खराब खानपान. आजकल ज्यादातर लोगों में इस कारण से बालों के झड़ने की समस्या होती है. ऐसे में जरूरी होता है कि आप अपने खानपान में कुछ खास चीजों को शामिल करें जिससे आपकी ये समस्या कम हो.

इस खबर में हम आपको पांच खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे जिनको अपनी डाइट में शामिल कर बालों के झड़ने की समस्या को आप कम कर सकते हैं.

मेथी

मेथी खानपान की महत्वपूर्ण समाग्री है. कई तरह की छोटी मोटी परेशानियों में ये बेहद कारगर होती है. आपको बता दें कि इसके नियमित सेवन से बालों का ग्रोथ अच्छा होता है और साथ में बालों को काफी मजबूती भी मिलती है. आपको बता दें कि इसमें प्रोटीन और निकोटीन प्रचूर मात्रा में पाई जाती है जिससे बालों का झड़ना कम होता है.

नारियल का तेल

खाना बनाने में नारियल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है. आपको बता दें कि नारियल के तेल में लौरिक एसिड होता है, इससे हमारे बालों में प्रोटीन बना रहता है. बालों की जड़ों की मजबूती में ये बेहद असरदार होता है. एंटीऔक्सिडेंट का ये प्रमुख स्रोत है.

आंवला

बाल झड़ने की परेशानी में आंवला बेहद फायदेमंदा होता है. इसको डाइट में शामिल कर आप इस समस्या से जल्दी निडात पा सकते हैं. इसका सेवन कई तरह से किया जा सकता है. आप चाहे तो पाउडर हो या फिर इसका जूस, या फिर अचार बनाकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसको आप सीधे त्वचा या स्कैल्प पर भी लगा सकते हैं. विटामिन सी और एंटीऔक्सिडेंट का प्रमुख स्रोत आंवला आपके बालों को जड़ों से डैमेज होने से बचाता है.

पालक

पालक के बेहतरीन सब्जी है. इसमें विटामिन सी, बी, ई के अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है. पालक में मौजूद आयरन स्कैल्प में औक्सिजन ले जाने में मदद करता है, इससे बाल मजबूत होते हैं.

इन सारी चीजों  के अलावा विटामिन सी से भरपूर चीजें खानी चाहिए. प्रदूषण वाले इलाके में जाने से पहले अपने बालों को ढक लें और कैमिकल वाले शैंपू या कंडीशनर का इस्तेमाल करने से बचें.

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