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पाकिस्तान ओबामा के लिए डरावना सपना…!

आतंकवाद का स्वर्ग बनने जा रहा है पाकिस्तान…! अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को कम से कम ऐसी ही आशंका है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है, इस तरह की आशंका इससे पहले भी अमेरिका जाहिर कर चुका है. लेकिन हाल के समय में आतंकवाद का पाकिस्तान कनेक्शन को देखते हुए अमेरिका की यह आशंका पुख्ता हुई है. वाशिंगटन में राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है कि केवल दो-चार साल नहीं, कम से कम अगले एक दशक तक पाकिस्तान आतंकवाद के लिए स्वर्ग बन चुका है.

ओबामा का कहना है कि आंतक संगठनों को नेस्तनाबूद करने की कितना भी जतन क्यों न कर लिया जाए, लेकिन अगले एक दशक तक इस समस्या का समाधान नहीं मिलनेवाला. हर रोज एक नए नाम से आतंकी संगठन सिर उठा कर खड़ा हो जाता है. एक नाम की छतरी तले और भी बहुत सारे नए-नए आतंकी गुट खड़े होते जा रहे हैं. ये तमाम आतंकी सगंठन पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत एशिया के एक बड़े हिस्से के अलावा अफ्रीका, अमेरिका मध्यपूर्व के विभिन्न देशों में दहशत फैलाने का काम कर रहे हैं. दक्षिण एशिया में इन दिनों अफगानिस्तान से कहीं ज्यादा पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल हो रहा है. बताया जाता है कि पाकिस्तान की जमीन से दुनिया के कम से कम 32 आतंकी संगठन अपनी कार्रवाई को अंजाम देते हैं.

दरअसल, अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन अपने आतंकी कार्रवाई में पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल जिस तरह से कर रहे हैं, उससे साफ है कि पाकिस्तान आतंकवाद का स्वर्ग बनने जा रहा है. अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट के अलावा तालिबान, बोको हराम, अल-नुसरा फ्रंट, जेमाह इस्लामिया, अल कायदा इन अराबियन पेनिनसुला जैसे आतंकी संगठन के अलावा भारत में सक्रिय हैं जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हरकत-ऐल-मुजाहिदीन, हरकत-उल-अंसार, तहरीक-ए-तालिबान, लश्कर-ए-जंघावी, हरकत-उल-जेहाद-ए-इस्लाम, हिजबुल मुजाहिदीन, अल उमर मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, सिमी, जमात-उल मुजाहिदीन, इंडिन मुजाहिदीन, दुख्तरान-ए-मिल्लत, अल बदर जैसे संगठन. ये सभी आतंकी संगठन जो दुनिया भर में दहशत फैला रहे हैं, के तार किसी न किसी तरह से पाकिस्तान से भी जुड़े हुए हैं. ये संगठन दुनिया भर में इस्लामीकरण के पक्षधर हैं. हक्कानी नेटवर्क भी दुनिया के लिए बड़ा सिरदर्द है.

इससे पहले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड जी ओल्सन ने भी इन दोनों देशों में सक्रिय आतंकी संगठन को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं. पाकिस्तान में परमाणु हथियारों के विकास को देखते हुए अमेरिकी सांसदों ने ओबामा सरकार से इस्लामाबाद पर सख्ती बरतने के लिए कहा है. कुछ समय पहले अमेरिकी कांग्रेस के एक सदस्य ब्रियान हिंगिस ने कहा कि जिस रफ्तार से पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ा रहा है, उससे तो यही लगता है कि आनेवाले दिनों में यह फ्रांस, ब्रिटेन, चीन और भारत को पीछे छोड़ आगे निकल जाएगा. हिंगिस ने आशंका जाहिर की कि अगले दशक तक पाकस्तिान के पास 350 परमाणु हथियार हो सकते हैं. इससे दक्षिण एशिया में संघर्ष की स्थिति में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल की आशंका बढ़ जाएगी.

इसके अलावा पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की चिंता इस बात को लेकर भी है कि आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने में पाकिस्तान सरकार नाकाम रही है. ऐसे में अगर पाक के परमाणु हथियार किसी आतंकी संगठन के हाथ लग गए तो दुनिया के लिए यह बड़ा खतरा हो सकता है. गौरतलब है कि विकीलिक्स  यह खुलासा कर चुका है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम के कारण परमाणु सामग्री आतंकियों के हाथ लग सकती है. ऐसे में ओबामा की ताजा आशंका को देखते हुए विकीलिक्स की यह बात पुख्ता हो जाती है कि वाकई पाकिस्तान ओबामा अपने लिए किसी डरवाने सपने से कुछ कम नहीं.

ऋषि कपूर का सैंसर कनैक्शन

फिल्मकार चेतन आनंद के बाद पहलाज निहलानी दूसरे सैंसर अध्यक्ष हैं जो लगातार विवाद के केंद्र बने हुए हैं. कभी सैंसर लिस्ट लंबीचौड़ी करने के चलते तो कभी मोदी सरकार के गुणगान करते वीडियो थिएटर में चलाने को ले कर उन्हें घेरा गया है. इसी बीच अभिनेता ऋषि कपूर ने दावा किया कि सरकार ने उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के पद की पेशकश की थी यानी सैंसर बोर्ड के प्रमुख की. लेकिन उन्होंने इस पेशकश को ठुकरा दिया क्योंकि यह एक ऐसा पद है जिस पर रह कर कभी कोई तारीफ नहीं मिलती. ऋषि कपूर ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं. पहला, उन्हें इस पद से कोई खास लगाव नहीं है और दूसरा, पहलाज निहलानी की आलोचनाओं पर टिप्पणी कर डाली.

अमन बाठला: सब से तेज पियानो वादक

अमन बाठला ने संगीत के क्षेत्र में नया आयाम जोड़ते हुए वर्ल्ड रिकौर्ड अपने नाम किया है. गुड़गांव में हुए एक संगीत समारोह के दौरान अमन ने 1 मिनट में जबरदस्त तेजी के साथ 804 नोट्स बजा कर कमाल कर दिया. इस उपलब्धि के लिए अमन को इंडिया बुक औफ रिकौर्ड्स ने सम्मानित किया है. अमन को कई अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड भी मिले हैं. अमन का मानना है कि संगीत से तनाव में कमी आती है. वैसे भी लोग अब संगीत केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं अपनाते बल्कि उन्हें मानसिक रूप से शांति मिले, इस के लिए भी वे संगीत का सहारा लेते हैं

आखिर क्यों रो पड़ी सोनम कपूर

अभिनेत्री सोनम कपूर धीरेधीरे ही सही, लोकप्रियता की ओर अग्रसर हो रही है. हाल में रिलीज हुए उस की फिल्म ‘नीरजा’ के ट्रेलर में काफी संभावनाएं दिखी हैं. सोनम के मुताबिक, नीरजा में अभिनय करने के दौरान वह तनाव में थी. यह फिल्म नीरजा भनोट के जीवन पर आधारित है जिस ने कराची में 1986 में पैनएम विमान के अपहरण के दौरान 360 लोगों की जान बचाई थी.

राम माधवानी की इस फिल्म का जब हाल में ट्रेलर लौंच कार्यक्रम रखा गया तो सोनम खुद को भावुक होने से नहीं रोक सकी और स्टेज पर ही रो पड़ी. नीरजा सब से कम उम्र की और पहली महिला बनी जिसे मरणोपरांत प्रतिष्ठित ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया गया. सोनम को इस बदले रूप में देखना दिलचस्प होगा.

मुंबई गरुड़ को प्रो रेसलिंग का ताज

प्रो रेसलिंग लीग की पहली चैंपियन मुंबई गरुड़ टीम बनी. राजधानी के केडी जाधव रेसलिंग स्टेडियम में आयोजित इस मुकाबले में मुंबई गरुड़ के पहलवानों ने हरियाणा हैमर्स को 7-2 से हरा कर यह खिताब अपने नाम किया. माना जा रहा है कि यह लीग विश्व की सब से महंगी कुश्ती लीग थी जिस में 66 पहलवानों ने हिस्सा लिया. उन में 36 भारतीय पहलवान और 30 विदेशी पहलवान थे. इन में ऐसे 20 पहलवानों ने भी हिस्सा लिया जो ओलिंपिक में पदक हासिल कर चुके हैं. इस लीग में 3 लाख डौलर यानी लगभग 19 करोड़ रुपए पुरस्कार व नीलामी की राशि रखी गई थी. मुंबई गरुड़ की टीम एक भी लीग मैच नहीं हारी और पहलवानों ने शानदार जीत दर्ज की.

खेल के अंतिम दिनों में कुछ खिलाडि़यों को अव्यवस्था का सामना करना पड़ा तो कई खिलाडि़यों के बीच मतभेद भी उभर कर सामने आए. अमित धनखड़ और योगेश्वर दत्त आपस में ही भिड़ गए. फाइनल मुकाबले में शुरुआती दौर में हरियाणा की टीम ने बढ़त बना ली और मुंबई गरुड़ 1-2 से पिछड़ गई पर अगले 4 मुकाबलों में लगातार जीत हासिल कर मुंबई की टीम ने इस दंगल का ताज हासिल कर लिया.

क्रिकेट, बैडमिंटन, कबड्डी और फुटबौल की तरह प्रो रेसलिंग में पहलवानों पर भी पैसों की बारिश शुरू हो चुकी है. लाखों में बिकने वाले पहलवानों के अब दिन फिर चुके हैं साथ ही कुश्ती को अब अलग ऊंचाई भी मिलने लगी है. ऐसे में भारतीय पहलवानों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलने लगा है.

चोट के कारण हरियाणा के कप्तान योगेश्वर दत्त फाइनल नहीं खेल पाए, जो हरियाणा टीम को भारी पड़ा. 74 किलोग्राम भारवर्ग में खेलने वाले नरसिंह पंचम यादव और मुंबई की ओडुनायो को सर्वश्रेष्ठ पुरुष व महिला पहलवान चुना गया. वहीं, इस टूर्नामैंट के सर्वश्रेष्ठ मेंटर अवार्ड के लिए योगेश्वर दत्त को चुना गया.       

नरगिस फाखरी पर पाकिस्तान में उबाल

अभिनेत्री नरगिस फाखरी के पाकिस्तानी उर्दू अखबार ‘जंग’ के पहले पेज पर छपे विज्ञापन के चलते बवाल मचा हुआ है. सोशल मीडिया में तो नरगिस और अखबार का विरोध करने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है. ट्विटर पर भी इस विज्ञापन पर तंज कसते हुए कई ट्विट किए हैं. ट्विटर पर ‘जंग’ के एडिटर अंसार अबासी ने लिखा है फ्रंट पेज पर दिए चीप ऐड को ले कर मैं जंग के मैनेजमैंट का विरोध करता हूं. गौरतलब है कि इस विज्ञापन में नरगिस लाल रंग की पोशाक पहने, हाथ में फोन पकड़े नजर आ रही है. तसवीर हालांकि कहीं से भी अश्लील नहीं है लेकिन धार्मिक चश्मे की नजर से हर चीज हौआ और गलत ही दिखाई देती है. इस मामले में हर मुल्क के धार्मिक ठेकेदार एकजैसी ही मानसिकता रखते हैं.

खेल को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं

जब से भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें बनी हैं तब से ले कर आज तक इन टीमों  में राजनीति हावी रही है. कभी राजनीतिबाज क्रिकेट के जरिए दोनों मुल्कों के बीच संबंध सुधारने की बात करने लगते हैं तो कभी किसी भारतीय खिलाड़ी द्वारा पाकिस्तानी खिलाड़ी से शादी रचा लेने पर मधुर संबंधों की बात होने लगती है. पर प्रश्न यह उठता है कि क्या इस से दोनों मुल्कों के बीच संबंध सुधर पाएंगे? शायद नहीं, पर राजनेताओं को तो राजनीति करनी है और खेल संघों में राजनेताओं की दखलंदाजी कुछ ज्यादा ही है. इसलिए वे क्रिकेट के जरिए खुल कर राजनीति करते हैं और खिलाड़ी इन के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाते हैं.

26 नवंबर, 2008 को मुंबई हमले के बाद दोनों देशों के बीच आरोपप्रत्यारोप का दौर चला और बात क्रिकेट तक पहुंच गई जिस के चलते दोनों देशों के बीच टैस्ट क्रिकेट को ग्रहण लग गया. अब फिर से दोनों देशों के बीच टैस्ट क्रिकेट खेलने की कवायद शुरू हो गई है. दोनों देशों के बीच टैस्ट मैच इंगलैंड में और एकदिवसीय मैच श्रीलंका में हो सकते हैं. पर इस में खिलाड़ी नहीं, राजनेता अपनी पीठ थपथपाएंगे और ढिंढोरा पीटते रहेंगे कि यह तो हमारे प्रधानमंत्री या दूसरे मंत्रियों के प्रयासों के चलते संभव हुआ है जिन्होंने अपनी कूटनीति से भारत और पाकिस्तान के बीच मैच करवा कर ही दम लिया.

भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच किसी युद्ध से कम नहीं होता क्योंकि दर्शकों के दिमाग में कुछ युद्ध जैसा ही माहौल बन जाता है या फिर बना दिया जाता है. खिलाडि़यों की तो बात छोड़ दीजिए, उन पर तो दोनों तरफ से दबाव रहता है. अगर पाकिस्तान के खिलाड़ी हारते हैं तो वहां के दर्शक उन का गालीगलौज से स्वागत करते हैं और ऊपर से पदाधिकारियों व नेताओं की गाज तो उन पर गिरना स्वाभाविक है.

इस मामले में भारतीय खिलाड़ी कुछ राहत महसूस करते हैं क्योंकि यहां दर्शक बहुत ही जल्द सबकुछ भूल जाते हैं. एक मैच में अगर खिलाड़ी खराब प्रदर्शन करे तो मीडिया सहित जनता भी उस खिलाड़ी या भारतीय टीम की आलोचना खूब करती है और जैसे ही दूसरे मैच में भारतीय टीम या खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उसे सिर पर बैठा लेते हैं.

खेल को राजनीति से दूर रखने की जरूरत है. शिवसैनिकों को भी सोचना चाहिए कि खेल का विरोध करने या पिच खोदने से क्या सीमापार से आतंकवाद खत्म हो जाएगा? या फिर दोनों देशों के खिलाड़ी अगर मैच खेलते हैं तो क्या आपसी रिश्ते सुधर जाएंगे? इसलिए राजनेताओं को खेल में राजनीति छोड़ खेल का और खिलाडि़यों का सम्मान करना चाहिए. खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करना चाहिए. खेलों की गुणवत्ता को सुधारने के कदम उठाए जाने चाहिए ताकि खेल बच सकें.

यह भी खूब रही

हम लोग हनीमून के लिए शिमला गए थे. वहां पर हमारी मुलाकात एक दूसरे जोड़े से हुई. हम ने साथ में जाखू टैंपल जाने का निश्चय किया. जाखू की चढ़ाई के पहले ही प्रसाद, फूल आदि चीजें मिल रही थीं. हमें बताया गया कि आगे कुछ नहीं मिलेगा. हम लोगों ने वहीं से खाने का सामान खरीद लिया. दूसरा जोड़ा बहुत धीरेधीरे चढ़ रहा था तो मुझे बहुत क्रोध आ रहा था. मैं ने पति से जल्दी चलने को कहा तो उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा नहीं लगेगा, उन लोगों को छोड़ कर जाना. खाना मेरे हाथ में था.

मैं अकेली ही जल्दीजल्दी ऊपर पहुंच गई. पर यह क्या? मेरे हाथ में पैकेट देख कर बंदरों की सेना ने मुझ पर आक्रमण कर दिया. मैं घबरा गई और डर के मारे पैकेट फेंक दिए. मुझे खाने की फिक्र हो गई, तभी मैं ने देखा कुछ लोग एक छोटी सी दुकान पर चाय पी रहे थे. मैं ने दुकान वाले से खाने के लिए पूछा तो उस ने कहा, ‘‘नहीं, सिर्फ थोड़ी सी मठरियां हैं. मेरे पास पैसे नहीं थे. मैं ने उस से कहा, ‘‘भैया, मेरे पास पैसे नहीं हैं. मेरे पति अभी आएंगे तो वे पैसे देंगे और हम लोग चाय भी पीएंगे.’’ उस ने बिना नानुकुर किए मुझे मठरियां दे दीं.

मैं ने मठरियों को अपने आंचल में छिपा लिया ताकि किसी को कुछ पता न लगे और बंदरों से भी बच सकें. ऊपर पहुंच कर अकेले मठरियां खाईं. हम ने चाय पी और टीस्टौल वाले को पैसे दे कर उस का धन्यवाद किया.

– विमला सिंह, नागपुर (महा.)

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एक मीटिंग में मेरे नजदीक एक विद्वान प्रोफैसर एन एल शर्मा बैठे हुए थे. नाश्ते में ‘सेम’ (मैदे से बना नमकीन) मुझे औफर किया गया. मैं ने शिष्टाचार के तहत शर्माजी से खाने का अनुरोध किया. 2 पीस ले कर उन्होंने यह कहते हुए प्लेट मेरी ओर बढ़ा दी, ‘सेम टू यू’.

फिर क्या था, उन के शब्दों की जादूगरी अनुभव कर के हास्य का एक माहौल वहां उत्पन्न हो गया. मैं उन की विद्वत्ता की दाद दिए बिना न रह सका.

– सुधीर कुमार ‘चंदन’, बरेली (उ. प्र.)

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पड़ोसी के बेटे की शादी थी. उन के घर की एक बुजुर्ग महिला हमारे साथ पार्क में बैठी बातें कर रही थीं. बातोंबातों में कहने लगीं कि दूल्हादुलहन तो हनुमान के लिए केरल जा रहे हैं. दरअसल, वे हनीमून कहना चाह रही थीं. उन के मुंह से हनुमान शब्द सुन कर सब को बहुत हंसी आई.

– निर्मल कांता गुप्ता, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

मोदी के बजट में होगा किसानों पर फोकस

किसान की समस्या का निराकरण सरकार की प्राथमिकता बन गया है. किसान परेशान न हो, इस के लिए सभी सरकारें प्रयास करती हैं लेकिन किसान को सही माने में उस का लाभ नहीं मिल पाता है. उस की हालत जस की तस बनी हुई है.

मोदी सरकार भी किसान पर ध्यान दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के दूसरे बजट में किसान और सामाजिक कल्याण की योजनाओं को प्राथमिकता देने जा रहे हैं. इस क्रम में सब से अहम किसान के लिए फसल बीमा जैसी योजना को प्राथमिकता दी जाएगी. फसल के चौपट होने के चलते देश में अकसर किसान आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेते हैं. आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. फसल की बरबादी उस के लिए सर्वाधिक परेशानी का सबब होती है. छोटे और मझोले किसान सर्वाधिक रूप से इसी समस्या की चपेट में हैं. भारी वर्षा, बाढ़ अथवा सूखे का सीधा व सर्वाधिक असर इसी श्रेणी के किसान पर पड़ता है.

विशाल देश का कोई न कोई हिस्सा प्रतिवर्ष इन आपदाओं की चपेट में आ रहा है और किसान को संकट से जूझना पड़ रहा है. संसद के शीतकालीन सत्र में लोक महत्त्व के मुद्दे के तहत नियम 391 के अंतर्गत लोकसभा में इस विषय पर चर्चा भी हुई और सभी दलों ने सूखे की स्थिति पर चिंता जताई. सरकार को वोटबैंक की परवा किए बिना इस तरह के मुद्दे पर गंभीरता से काम करना चाहिए और सभी दलों को इस में सरकार का सहयोग करना चाहिए.

 

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