किसान की समस्या का निराकरण सरकार की प्राथमिकता बन गया है. किसान परेशान न हो, इस के लिए सभी सरकारें प्रयास करती हैं लेकिन किसान को सही माने में उस का लाभ नहीं मिल पाता है. उस की हालत जस की तस बनी हुई है.

मोदी सरकार भी किसान पर ध्यान दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के दूसरे बजट में किसान और सामाजिक कल्याण की योजनाओं को प्राथमिकता देने जा रहे हैं. इस क्रम में सब से अहम किसान के लिए फसल बीमा जैसी योजना को प्राथमिकता दी जाएगी. फसल के चौपट होने के चलते देश में अकसर किसान आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेते हैं. आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. फसल की बरबादी उस के लिए सर्वाधिक परेशानी का सबब होती है. छोटे और मझोले किसान सर्वाधिक रूप से इसी समस्या की चपेट में हैं. भारी वर्षा, बाढ़ अथवा सूखे का सीधा व सर्वाधिक असर इसी श्रेणी के किसान पर पड़ता है.

विशाल देश का कोई न कोई हिस्सा प्रतिवर्ष इन आपदाओं की चपेट में आ रहा है और किसान को संकट से जूझना पड़ रहा है. संसद के शीतकालीन सत्र में लोक महत्त्व के मुद्दे के तहत नियम 391 के अंतर्गत लोकसभा में इस विषय पर चर्चा भी हुई और सभी दलों ने सूखे की स्थिति पर चिंता जताई. सरकार को वोटबैंक की परवा किए बिना इस तरह के मुद्दे पर गंभीरता से काम करना चाहिए और सभी दलों को इस में सरकार का सहयोग करना चाहिए.

 

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