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गुनाह बस इतना कि पहले प्रेम विवाह और फिर गर्भवती

शहरः कानपुर

स्थानः डफरिन अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड.

वार्ड में दर्द से तड़पती एक गर्भवती महिला पहुँचती है.

डाक्टर महिला सेः तुम्हारे घर वाले कहां हैं?

गर्भवती महिलाः मैं बस चैकअप कराने आई हूं. घर वाले पीछे आ रहे हैं.

डाक्टरः तुम्हारी हालत बहुत खराब है. जान को भी खतरा है. अपने घर वालों को बुलाओ. उन की अनुपस्थिति में तुम्हें कैसे एडमिट किया जाए?

अपना फोन डॉक्टर की तरफ बढ़ाते हुए और फफक कर रोती हुई महिला: आप भी कोशिश कर लीजिए. मेरा तो कोई फोन ही नहीं उठा रहा है.

डाक्टर फोन कान से हटाते हुएः तुम्हारे पति और सासससुर का फोन बंद है और तुम्हारी मां ने अस्पताल आने से मना कर दिया है.

महिला मौन थी. उस के पास कोई जवाब नहीं था. डाक्टर के मन में बहुत से प्रश्न कौंध रहे थे, मगर अभी पूछने का यह सही वक्त नहीं था.

1 घंटे बाद…

महिला ने एक स्वस्थ्य बेटे को जन्म दिया. अस्पताल के डाक्टरों ने ही महिला के इलाज और शिशु की जरूरत की सभी चीजों का इंतजाम किया. इतना ही नहीं एक नर्स को भी महिला और शिशु की देखभाल के लिए लगा दिया. महिला के होश में आने पर अस्पताल के डाक्टरों ने जब उसे उस का बेटा उसे सौंपा, तो महिला की आँखें आंसुओं से भर गईं. उस ने वार्ड में मौजूद डाक्टरों को अपनी आप बीती सुनाई.

महिला ने बताया, “ मैंने और अतुल ने घर वालों की मरजी के खिलाफ प्रेम विवाह किया था. सोचा था शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर सोचा बच्चा होने पर सब ठीक हो जाएगा, लेकिन लगता है अभी भी किसी का दिल नहीं पसीजा. मेरे लिए न सही बच्चे को देखने के लिए ही आ जाते.”

महिला से डाक्टरों ने जब बच्चे के पिता के न आने की वजह पूछी, तो उस के पास फिर कोई जवाब नहीं था. बस इतना ही बोल सकी, “ मैंने फोन पर बताया था कि बहुत दर्द हो रहा है. वो बोले, तुम अस्पताल पहुंचो मैं वहीं आ रहा हूं. दर्द ज्यादा बढ़ा तो मैंने फिर उन्हें फोन किया लेकिन फोन बंद मिला. फिर मैंने अपने और अतुल के घरवालों को फोन किया. कोई भी मदद करने को तैयार नहीं था. पड़ोसी भी साथ अस्पताल चलने को तैयार नहीं हुए. मैं बस किसी तरह अस्पताल आ गई.”

महिला की आपबीती सुन कर डाक्टरों की आंखे भी नम पड़ गईं. सभी के मन में यही सवाल था की पति को तो ऐसा नहीं करना चाहिए था? वैसे यह कहानी सिर्फ इसी महिला की नहीं है. देश भर में महिलाओं को आज भी अपनी सुखसुविधाओं को हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. खासतौर पर गर्भावस्था के दौरान यह संघर्ष और भी बढ़ जाता है.

जो महिला शादी के बाद ससुराल को ही अपना घर और ससुराल के सदस्यों को अपना परिवार समझ लेती है, उसको अपनाने में ससुराल वालों को बहुत समय लग जाता है. भले ही महिला अपने ससुराल के सदस्यों के खानेपीने से ले कर घर की साफसफाई और सभी की इच्छाओं का ध्यान रखती हो लेकिन उस के गर्भधारण करने पर वह ससुराल वालों पर बोझ के समान हो जाती है. फिर चाहे प्रेम विवाह हुआ हो या अरेंज मैरिज, लड़की को गर्भावती होने पर बहुत से समझौते करने पड़ते हैं.

पहला समझौता तो यही होता है कि या तो वह खुद अपने सारे काम करे या फिर अपनी मां के पास मायके चली जाए. लड़के की मां यानी सास तो सब से पहले पीछे हट जाती है. बहु से सेवा कराने में तो सास कभी कोई कमी नहीं छोड़ती, लेकिन बात जब बहु की सेवा की आती है, तो अपने बूढ़े होने की दुहाई देने लगती है. इतना ही नहीं बेटा कहीं बीवी का गुलाम न बन जाए इसके लिए उसे भी पत्नी की सेवा न करने की हिदायत दी जाती है. जबकि गर्भावस्था के दौरान एक महिला को सब से अधिक अपने पति की जरूरत होती है.

मनोचिकित्सक प्रांजली मल्होत्रा कहती हैं, “रिश्तों की डोर मजबूत होने में समय तो लगता ही है, बहु को बेटी मानना भी सास ससुर के लिए थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन पति तो पत्नी का साथी होता है. ससुराल में पत्नी को सब से बेहतर तरीके से सिर्फ पति ही समझ सकता है. इस अवस्था के दौरान होने वाली शारीरिक परेशानियों को एक महिला जितना खुल कर अपने पति को बता सकती है उतना शायद अपनी मां को भी नहीं बता सकती.

पति की जिम्मेदारी तब और भी बढ़ जाती है जब प्रेम विवाह हुआ हो क्योंकि अपनी पत्नी के मूड और इच्छाओं को वह और भी अधिक समझ सकता है क्योंकि दोनों पहले से एक दूसरे को जानते होते हैं. लेकिन पति की दिक्कत होती है कि उस की मां कुछ कहती है और पत्नी कुछ और. दोनों के बीच पिसने से अच्छा उसे बीवी को मायके भेजना लगता है. लेकिन अपनी सुविधा के लिए पत्नी को अकेले छोड़ देने में कोई समझदारी नहीं है.”

पुरुष यह क्यों नहीं समझते कि एक बच्चे को जन्म देना एक महिला के लिए आसान नहीं होता. यह वह अवस्था होती है, जब खुद एक महिला का नया जन्म होता है. इस दौरान असहनीय दर्द और न जाहिर कर पाने वाली तकलीफों से वह गुजरती है. इन तकलीफों को आसान बनाने में एक पति ही अपनी पत्नी की मदद कर सकता है. इसके लिए पति को अपनी तरफ से कुछ प्रयास करने होते हैं, जो निम्नलिखित हैः

1. गर्भावस्था के शुरुआती कुछ महीनों में महिलाओं को कुछ ज्यादा ही तकलीफ रहती है. ऐसे में घर के काम करने का मन न होना स्वभाविक सी बात होती है. कई बार सास का कहना होता है कि बच्चे तो हमने भी पैदा किए हैं लेकिन तकलीफ होने का नाटक नहीं किया. सास की यह बात सुन कर बहु कई बार अपनी तकलीफों को छिपाने का प्रयास करती है. गाइनोकोलोजिस्ट डॉक्टर मीता वर्मा कहती हैं, “बेशक एक वक्त था जब महिलाएं गर्भावस्था में भी फुरती से काम करती थीं. लेकिन उस वक्त उन्हें शुद्ध खानपान मिला करता था.

आज के वक्त में कितने ही पैसे खर्च कर लिए जाएं लेकिन पहले के समय जैसी शुद्धता नहीं लाई जा सकती है. इसलिए बहु की तुलना खुद से करना बेवकूफी है. वर्तमान समय में अच्छा खानपान न मिलने से पहले ही महिलाओं का शरीर कमजोर होता है ऊपर से गर्भधारण करने पर उन के शरीर में वह क्षमता नहीं रह जाती कि वह फुरती के साथ काम कर सकें.

यहां पति का फर्ज है कि इस दौरान पत्नी को आराम करने दें। यदि घर के बुजुर्ग बहु के हर वक्त आराम करन पर आपत्ति जताते हैं, तो पति को पत्नी के साथ घर के काम निबटाने में मदद करनी चाहिए. साथ ही पत्नी को अच्छे से अच्छा और डाक्टर द्वारा बताया आहार खिलाना चाहिए.

2. पति यदि अपनी पत्नी के साथ हर परिस्थिति में साथ खड़ा रहे, तो उस का आत्मविश्वास बना रहता है. हो सकता है कि आप की पत्नी के गर्भधारण करते ही आपकी मां ने उसे मायके जाने का हुकुम सुना दिया हो. मगर इस अवस्था में आपकी पत्नी मायके क्यों जाए? बस इसलिए क्योंकि आपकी मां आपकी पत्नी की गर्भावस्था के दौरान होने वाली इच्छाओं या काम में थोड़ी बहुत मदद करने के लिए तैयार नहीं है. यहां आप को गंभीर होना होगा. आप को साफ बोलना होगा कि आपकी पत्नी आपकी संतान को जन्म देने जा रही है और उसकी देखरेख आपकी नजरों के आगे ही होनी चाहिए.

दरअसल, पति से दूर इस अवस्था में महिलाएं अवसाद की शिकार हो जाती हैं. उन्हें लगता है कि उन्हें इस अवस्था में पति ने अकेला छोड़ दिया. आप को अपनी पत्नी को अवसाद में जाने से बचाना होगा. मनोचिकित्सक प्रांजली मल्होत्रा की माने तो, “भारत में फैमिली काउंसिलिंग का रिवाज नहीं है. हालाकि इस के बड़े फायदे हैं, बेबी प्लानिंग में लड़की और लड़के के पेरैंट्स को भी शामिल करना चाहिए. इस से उन्हें आगे आने वाली जिम्मेदारियों को निभाना बोझ नहीं लगेगा. सब कुछ तय कर के ही बेबी प्लान करना चाहिए.”

3. कई बार पैसे बचाने के चक्कर में घर के बड़ेबुजुर्ग रूटीन चेकअप के लिए डाक्टर के पास बहू को ले जाने के लिए तैयार नहीं होते. उनका मानना होता है कि जब तकलीफ हो तब ही डाक्टर के पास जाया जाए. लेकिन ऐसा अपनी पत्नी के साथ न होने दें. गाइनोकोलॉजिस्ट डा. मीता वर्मा कहती हैं, “गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीने रुटीन चैकअप बहुत महत्वपूर्ण होता है. यह वह वक्त होता है जब बच्चे के और्गेंस बन रहे होते हैं. इस दौरान डॉक्टर की सही सलाह की बहुत जरूरत होती है.” पति को बल्कि खुद पत्नी को रूटीन चेकअप के लिए ले जाना चाहिए न कि अपनी मां या बहन के साथ पत्नी को भेजना चाहिए. इस से पत्नी को आप के केयरिंग नेचर का अंदाजा होगा और वह खुद को सुरक्षित महसूस करेगी.

4. गर्भवती महिलाओं को धर्म और अंधविश्वास के नाम पर कई बेतुकी नसीहतें दी जाती हैं. उन का विरोध करें. अमूमन, हिंदू परिवार में महिलाएं गर्भवती महिला को उस का पेट का बढ़ता आकार और गुप्त अंग दिखाने के लिए बाध्य करती हैं. यह सब देख कर गर्भवती महिला को बताया जाता है कि उसे लड़का होग या लड़की. चाहे भविष्यवाणी करने वाले की बात गलत ही क्यों न हो लेकिन इस तरह से गर्भवती महिला लोगों की उम्मीदों से घिर जाती है. यदि भविष्यवाणी में पता चलता है कि लड़की होने वाली है, तो लोग एक नकली मुस्कराहट के साथ कहते हैं कि लड़का हो जाता तो पहली बार में ही निपट जाती. कुछ तो यह तक कह देते हैं कि, चलो सालभर में लड़के के लिए प्रयास कर लेना. पति चाहे तो पत्नी को इन सब से बचा सकता है.

5.बीवी कामकाजी है. प्रैगनैंट होने से पूर्व नौकरी भी करती थी. लेकिन गर्भावस्था के कारण उसे नौकरी छोड़नी पड़ जाती है. जाहिर है, घर का और बीवी का खर्चा भी अब पति को ही उठाना पड़ता है. मनोचिकित्सक प्रांजली मल्होत्रा कहती हैं, “इस के लिए बात-बात पर बीवी को सुनाए नहीं. उसे इस बात का एहसास न कराएं कि आप उसे पालपोस रहे हैं. क्योंकि इस अवस्था में पत्नी को लाने में आप भी जिम्मेदार हैं और वह आप की ही संतान को जन्म देने वाली हैं. इसलिए उस की हर जरूरत को पूरा करना आपकी ही जिम्मेदारी है.”

6. इस दौरान महिलाओं को अकेलापन सताने लगता है. हो सकता है कि आपकी पत्नी आपको दिनभर में कई बार फोन करे. इस अवस्था में आप अपनी पत्नी के फोन कॉल को कभी नजरअंदाज न करें. क्या पता उन्हें कुछ बहुत जरूरी बताना हो. खुद भी बीच बीच में कॉल करते रहें. इस से गर्भवती महिला का अकेलापन दूर होता है और मनोबल बढ़ता है.

ध्यान रखें, लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज रिश्ते में साथी के लिए स्नेह को कभी कम नहीं होने दें. खासतौर पर गर्भावस्था के दौरान जब पत्नी के स्वास्थ्य में उतारचढ़ाव आ रहे हों, तब पति की भूमिका और भी बड़ी हो जाती है ऐसे वक्त में पति न केवल पत्नी का जीवनसाथी होता है बल्कि उसे उसके मातापिता की भूमिका भी निभानी पड़ती है और इन भूमिकाओं को जिम्मदोरी के साथ निभाने से पति को कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए.

रणवीर और सलमान होंगे आमने सामने

धूम सीरीज की अगली फिल्म 'धूम रीलोडेड: द चेज़ कंन्टीन्यूज़’ में इस बार एक युवा एक्टर लीड रोल निभाने वाले हैं. ये भी खबर मिली है कि अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा जो पिछली तीनों फिल्मों में थे इसमें नहीं होंगे.

एक सूत्र के मुताबिक, आदित्य चोपड़ा (निर्माता) चाहते हैं कि धूम-4 युवाओं के लिए हो. और इसमें युवाओं के डैशिंग आइकन के तौर पर रणवीर सिंह प्राथमिकता में हैं. वे इन दिनों यशराज फिल्म्स के चहेते भी बने हुए हैं.

सलमान खान से नेगेटिव रोल निभाने के लिए बात चल रही है. ये दोनों तय हुए तो पहली बार किसी फिल्म में साथ काम कर रहे होंगे. सलमान ने अन्य युवा एक्टर्स के साथ भी यूं काम नहीं किया है चाहे टाइगर श्रॉफ हों, अर्जुन कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा या वरुण धवन.

रणवीर अभी आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में बन रही फिल्म की शूटिंग पैरिस में कर रहे हैं. कथित तौर पर उन्होंने धूम-4 के लिए हां कर दी है. सूत्रों का कहना है कि इस फिल्म की शूटिंग 2017 के आरंभिक महीनों में चालू हो जानी है. इसे नई विदेशी लोकेशंस पर शूट किया जाएगा. 'धूम-3’ की तरह चौथी फिल्म भी विजय कृष्ण आचार्य शूट कर सकते हैं.

 

निष्क्रिय ईपीएफ खाता धारकों हेतु खुशखबरी

देश के निष्क्रिय पड़े ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि योजना) खातों में तकरीबन 43,000 करोड़ रुपये जमा है. श्रम व रोजगार राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि 2015-16 में ईपीएफओ ने 118.66 लाख ईपीएफ क्लेमों का निपटारा किया है. इनमें 98% मामलों का निपटारा 20 दिन के अंतराल में किया गया है.

सवाल जवाब के दौरान उन्होंने यूएन नंबर के बारे में विस्तृत रूप से बताया है. उन्होंने कहा कि निष्क्रिय और लावारिस खातों पर भ्रम की स्थिति को खत्म करने के लिए सरकार ने एक कर्मचारी का एक ईपीएफ एकाउंट कार्यक्रम बनाया है. ईपीएफओ ने पोर्टेबिलटी और पहले के सभी खातों को एक ही खाते में समाहित करने के लिए यूनिवर्सल एकाउंट नंबर जारी किए हैं.

2015-16 में 118.66 लाख दावों का निपटारा ईपीएफओ द्वारा किया गया, जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा 130.21 लाख और 2013-14 में 123.36 लाख था. उन्होंने कहा कि 2015-16 में 1.18 लाख दावे निपटान के लिए लंबित बचे हैं.

दत्तात्रेय ने कहा कि असंगठित क्षेत्र में सरकार निर्माण श्रमिकों को प्राथमिकता दे रही है. उन्हें यूएएन दिए जाएंगे जिससे वे लाभ हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा ऑटो रिक्शा ओर रिक्शा चालकों के लिए दिल्ली और हैदराबाद में एक पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि प्राथमिकता की सूची में दूसरे स्थान पर आंगनवाड़ी, मिड-डे भोजन योजना और आशा वर्कर हैं.

 

सरकार ने तय की चीनी स्टॉक करने की लिमिट

चीनी के बढ़ते दामों को काबू में रखने के लिए सरकार ने व्यापारियों के लिए चीनी की अधिकतम स्टॉक सीमा तय कर दी है. इससे अब देश में चीनी के व्यापारी 5,000 क्विंटल से अधिक का स्टॉक नहीं रख सकेंगे. कोलकाता के व्यापारियों को अधिकतम 10,000 क्विंटल चीनी रखने की छूट होगी. सूखे के कारण घरेलू उत्पादन में गिरावट आने की आशंका को देखते हुए अधिकांश स्थानों पर चीनी की खुदरा दाम 40 रुपये प्रति किलो के स्तर को पर कर गए हैं.

कैबिनेट ने 28 अप्रैल को हुई बैठक में ही खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. मंत्रालय ने अब अधिसूचना के जरिये अधिकतम स्टॉक सीमा तय कर दी है. भंडारण सीमा आदेश के मुताबिक कोलकाता के लिए अधिक स्टॉक की छूट इसलिए दी गई है, क्योंकि यह देश में चीनी का सबसे बड़ा कारोबारी केंद्र है.

राज्य और कम कर सकते हैं सीमा

भले ही केंद्र ने व्यापारियों के लिए चीनी की अधिकतम स्टॉक लिमिट तय कर दी है, लेकिन राज्य सरकार चाहें तो इस सीमा को कम करने के लिए स्वतंत्र हैं. इस आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी व्यापारी को चीनी की आवक की तारीख के 30 दिनों के भीतर अपने स्टॉक को बेचना होगा.

महाराष्ट्र जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में विकराल सूखे की स्थिति को देखते हुए चालू चीनी सीजन 2015-16 के दौरान भारत में चीनी उत्पादन घटकर 2.5 करोड़ टन रह जाने की आशंका जताई जा रही है. पिछले वर्ष में उत्पादन का आंकड़ा 2.83 करोड़ टन रहा था. देश में चीनी का मार्केटिंग सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है.

अभी तक मिलों ने 2.4 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया है. उत्पादन में गिरावट के बावजूद वर्ष की समाप्ति पर चीनी का बकाया स्टॉक 70 लाख टन रहने की उम्मीद है. इसकी वजह यह है कि पिछले पांच-छह वर्षो के दौरान चीनी का उत्पादन जोरदार रहा है.

 

गेल को आराम नहीं, ड्रॉप किया है: कोहली

रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु के कप्तान विराट कोहली ने साफ किया है कि उनकी आईपीएल टीम के स्टार ओपनर क्रिस गेल को आराम नहीं दिया गया है, बल्कि टीम से बाहर रखा गया है. हमने ट्रेविस हेड को उनकी जगह टीम में शामिल किया. कोहली ने कहा हमें मिडल ऑर्डर में मजबूती चाहिए और ट्रेविस अच्छी बैटिंग कर रहे हैं.” उन्‍होंने कहा कि इस समय केएल राहुल भी अच्छी ओपनिंग कर रहे हैं. इसके अलावा ट्रेविस जरूरत पड़ने पर ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी कर सकते हैं.

क्रिस गेल खराब फार्म से जूझ रहे हैं. पिछले तीन मैचों में उन्होंने सात, जीरो और एक रन बनाए. सरफराज खान की चोट के बारे में विराट ने बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन फिलहाल फिटनेस के चलते ही उन्‍हें टीम में नहीं रखा गया है. सरफराज पिछले तीन मैचों में प्लेइंग इलेवन हिस्सा नहीं बन पाए हैं. सरफराज ने इस साल आईपीएल के 5 मैचों में 66 रन बनाए हैं.

विराट की कप्तानी वाली बंगलुरू टीम ने राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स और पंजाब के खिलाफ शानदार जीत दर्ज की, लेकिन इन मैचों में गेल नहीं खेले. गेल बेटी ‘ब्लश’ के जन्म के कारण जमैका में अपने घर लौट गए थे और इस वजह से टूर्नामेंट के चार मैचों में नहीं खेले थे. 36 साल के गेल 25 अप्रैल को बंगलुरू लौटे थे, लेकिन इसके बाद वह दो मई को कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ हुए मैच में ही खेले. इससे पहले वह 30 अप्रैल और सात मई को हुए बंगलुरु के मैचों में भी खेलने नहीं उतरे थे.

…आखिर कहां चूके कैप्टन कूल

महेंद्र सिंह धोनी को दुनिया के सबसे बेहतरीन कप्तानों में शुमार किया जाता है. कैप्टन कूल अपने बल्ले और चतुराई के दम पर अपनी टीम को ज्यादातर मौकों पर बुरी परिस्थिति से बाहर निकालने में कामयाब हो जाते हैं.

धोनी ने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को साल 2007 टी20 विश्व कप जिताया था. इतना ही नहीं कैप्टन कूल अपनी कप्तानी में इंडियन टीम को अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में भी साल 2011 में वर्ल्ड कप जीता चुके हैं. हालांकि धोनी के लिए इस बार का आईपीएल सफर कुछ खास नहीं रहा है.

आज हम आपको कप्तान धोनी के बारे में ऐसे आंकड़ें बताएंगे, जिसे जानकर आप को शायद यकीन नहीं होगा. धोनी अभी तक टी20 के कुल 68 मैच खेल चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपने टी20 अंतराष्ट्रीय करियर में एक भी अर्धशतक नहीं लगाया है.

धोनी ने 35.89 की औसत से 1041 रन बनाए हैं. टी20 में उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 48 रन रहा है. धोनी का स्ट्राइक रेट 121.89 का रहा है. उन्होंने टी20 अंतराष्ट्रीय करियर में 39 कैच पकड़े हैं . धोनी ने अपने टी20 करियर की शुरूआत साल 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ की थी. दुनिया के सबसे बेहतरीन कप्तानों में शुमार धोनी के लिए ये आंकड़ें सच में हैरान करने वाले है.

राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स के कप्तान धोनी का आइपीएल 9 संस्कऱण कुछ खास नहीं गुजर रहा है. पुणे की टीम आइपीएल में अभी तक कुछ ही मैचों में जीत दर्ज कर पाई है.

इस टीम को आईपीएल 2016 में नीचे गिर जाने के पीछे एक बड़ा कारण टीम के मुख्य खिलाड़ियों का चोट के चलते आइपीएल से बाहर हो जाना माना जा रहा है. इसकी दूसरी बड़ी वजह धोनी का बल्ला इस आइपीएल में लगातार खामोश रहा है.

आखिर कौन है हेड कोच के लिए कोहली की पसंद!

टीम इंडिया का हेड कोच कौन बनेगा इस पर सस्पेंस बना हुआ है. टीम इंडिया के लिए हेड कोच की तलाश जारी है. इस बीच शेन वॉर्न, राहुल द्रविड़ जैसे कई बड़े नाम इस पद के लिए आए, लेकिन अभी तक अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. इस रेस में एक नया नाम और जुड़ता नजर आ रहा है. न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान और आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु (आरसीबी) टीम के कोच डेनियल विटोरी भी इस लिस्ट में शामिल हो सकते हैं. खास बात यह कि इसका प्रस्ताव खुद टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने दिया है.

विराट कोहली ने बीसीसीआई को डेनियल विटोरी को फुलटाइम हेड कोच बनाए जाने का सुझाव दिया है. हालांकि इस पर बीसीसीआई की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है और न ही इसकी पुष्टि हुई है. फिर भी यदि अभी तक के ट्रेंड को देखा जाए, तो जिस प्रकार से ग्रेग चैपल और गैरी कर्स्टन को कोच बनाने के समय कप्तान की सलाह को तवज्जो दी गई थी, उससे विटोरी के नाम पर भी गंभीरता से विचार किया जा सकता है. वैसे भी विराट का इन दिनों दबदबा है.

कोहली-विटोरी की ट्यूनिंग है खास

आरसीबी में कोच के रूप में विराट और विटोरी के बीच अच्छी खासी ट्यूनिंग है. वह पिछले दो साल से विराट के साथ काम कर रहे हैं और विराट उनसे काफी प्रभावित हैं. वह इस टीम के कप्तान भी रह चुके हैं. न्यूजीलैंड के कप्तान रहे बाएं हाथ के स्पिनर विटोरी ने पिछले साल मार्च में ही इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट लिया है. इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग में ब्रिस्बेन हीट टीम के कोच बने थे.

कोचिंग तकनीक काबिले तारीफ

सूत्रों के अनुसार टीम इंडिया के कई सदस्यों ने विटोरी की कोचिंग तकनीक की तारीफ की है,  इसके चलते उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. यह साफ तौर पर माना जा रहा है कि विटोरी का नाम आगे बढ़ाने के पीछे विराट का हाथ है, क्योंकि वर्तमान भारतीय टीम के वे एकमात्र प्रमुख सदस्य है जो इस समय आरसीबी में खेल रहे हैं.

द्रविड़ लगभग कर चुके हैं इंकार

बीसीसीआई की सलाहकार समिति ने इस पद के लिए राहुल द्रविड़ से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने कहा था कि टीम इंडिया का कोच बनने का मतलब है कि आप 9-10 महीने टीम के साथ टूर पर रहते हैं. करियर के इस पड़ाव पर उनके लिए यह मुमकिन नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था, 'इंडिया-A या IPL में कोच बनने का मतलब है कि आप टीम के साथ थोड़े दिन तक ही रहते हैं. लेकिन मैंने करीब 20 साल प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने के बाद अभी तीन साल पहले ही क्रिकेट छोड़ी है, इसलिए हाल के दिनों में टीम इंडिया का कोच बनने के लिए मैं खुद को तैयार नहीं कर पा रहा हूं.'

फ्लेचर रहे अंतिम फुलटाइम कोच

टीम इंडिया के अंतिम फुलटाइम हेड कोच डंकन फ्लेचर थे, जिनका कार्यकाल 2011 से 2015 तक रहा. फ्लेचर के कार्यकाल के दौरान ही इंग्लैंड दौरे पर रवि शास्त्री को टीम डायरेक्टर बना दिया गया था और फिर फ्लेचर के जाने के बाद टी-20 वर्ल्ड कप तक शास्त्री टीम डायरेक्टर थे, लेकिन हेड कोच कोई नहीं था.

शास्त्री की उपलब्धियां

रवि शास्त्री ने 2014 में टीम डायरेक्टर का पद संभाला था. उनकी कोचिंग में टीम इंडिया ने 2014 में इंग्लैंड को वनडे सीरीज़ में हराया. 2015 वनडे विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में पहुंचे. 2016 में ऑस्ट्रेलिया में टी-20 सीरीज़ जीती और 2016 टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल में पहुंचे.

खेलने हैं 18 टेस्ट मैच

विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया को इस जून 2016 से मार्च 2017 तक कुल 18 टेस्ट मैच खेलने हैं. कोहली को दिसंबर 2014 में एमएस धोनी के कप्तानी छोड़ने के बाद टीम का कप्तान बनाया गया था. इसके बाद से टीम का प्रदर्शन श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शानदार रहा था और हमने ऐतिहासिक सीरीज जीत दर्ज की थी.

सलाहकार समिति लेगी फैसला

बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने कहा था, 'रवि शास्त्री का करार टी-20 विश्व कप तक ही था और नए कोच के नाम का फैसला क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी या सलाहकार समिति करेगी. इस समिति में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज हैं. अनुराग ठाकुर ने ये भी साफ किया था कि इस बार कोई दो पद नहीं होंगे. इस बार टीम डायरेक्टर और फुलटाइम कोच की भूमिका एक ही शख्स निभाएगा. फिर भी रवि शास्त्री भी अपना करार के नवीनीकरण के लिए आवेदन दे सकते हैं.

‘कामसूत्र’ की तर्ज पर ‘इमरानसूत्र’

इमरान हाशमी बॉलीवुड के सीरियल किसर के नाम से मशहूर हैं. वह अपनी हर फिल्म में हीरोइन को किस करते हुए नजर आते हैं. अब सुनने में आ रहा है कि फिल्म 'अजहर' की प्रमोशन में बिजी इमरान एक किताब लिखने जा रहे हैं, जिसमें वो लोगों को 'किसिंग टिप्स' देते हुए नजर आएंगे.

इमरान हाशमी ने बताया कि 'कामसूत्र' ग्रंथ की तर्ज पर 'इमरानसूत्र' आने वाला है, जिसमें वो किसिंग टिप्स देंगे. दरअसल, ये आइडिया इमरान को लेखक एस हुसैन जैदी ने दिया है. इमरान ने बताया, 'जैदी ने कुछ दिनों पहले मुझसे कहा कि मुझे अपने किसिंग एक्सपीरियंस पर एक किताब लिखनी चाहिए. हालांकि अभी तक इसको लेकर कुछ फाइनल नहीं है. अभी इस बारे में बातचीत ही चल रही है. वैसे अभी मेरे पास काफी काम है, कई फिल्मों की शूटिंग करनी है. लेकिन मुझे यह आइडिया काफी पसंद आया. हो सकता है कि इस किताब के लिए कोई पब्लिशर भी मिल जाए.'

इमरान को बॉलीवुड में स्मूच किंग भी कहा जाता है. सभी फीमेल को-स्टार्स ने इमरान को किसिंग में पूरे नंबर दिए हैं. इमरान के साथ काम कर चुकीं एक्ट्रेस का कहना है कि इनके जैसा किस कोई दूसरा एक्टर नहीं करता है.

इमरान कहते हैं, 'शायद, किसिंग पर किताब लिखने के आइडिया को मुझे सीरियसली लेना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि अभी तक इस विषय पर किसी ने किताब लिखी होगी.'

बता दें कि इमरान की पिछले दिनों एक बुक लॉन्च हुई, जिसका नाम है 'द किस ऑफ लाइफ'. इस किताब में इमरान ने अपने बेटे की कैंसर से लड़ने के सफर को बयां किया है. इस किताब को पढ़ने के बाद अमिताभ बच्चन ने भी इमरान के बेटे की तारीफ की थी.

महिला कारोबारियों को प्रोत्साहित करेगा ‘महिला ई हाट’

शादी या पार्टी का मौका, मेहंदी लगवानी है और कोई मिल नहीं रहा या फिर आपको अपनी ड्रेस सिलवाने के लिए कोई अच्छा दर्जी नहीं मिल रहा हो तो अब घबराने की बात नही है.

एक विश्वसनीय ई बाजार यानी ‘महिला ई हाट’ पर आपको तमाम छोटी बड़ी सेवाओं के लिए बस अपना आवेदन भेजना होगा और जल्द से जल्द सेवा आपके दरवाजे पर खड़ी होगी या आपको उसके बारे मे बता दिया जाएगा. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से लगभग दो महीने पहले शुरू की गई ‘महिला ई हाट’ में इस तरह की सेवाओं को लगातार शामिल किया जा रहा है.

ग्रामीण महिलाओं को बाजार देने का प्रयास

महिला उद्यमियों और खासकर ग्रामीण महिलाओं को जिन्हें अपना सामान बेचने के लिए उपयुक्त बाजार नहीं मिलता, उनको एक बाजार देने के लिए डिजिटल इंडिया की तर्ज पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘महिला ई हाट’ की शुरूआत की थी. इसमें देश के किसी भी कोने में काम कर रही महिलाएं, सेल्फ हेल्प ग्रुप में अपने को रजिस्टर कर सकती है. लगभग दो महीने पहले शुरू की गई इस सेवा का लगातार विस्तार किया जा रहा है.

2 महीने में ढाई लाख से ज्यादा क्लिक

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ज्वॉइट सेकेट्री रश्मि सहगल ने बताया कि, ‘दिसंबर 2016 तक महिला उद्यमी सेल्फ हेल्प ग्रुप में फ्री रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. मकसद यही है कि ज्यादा से ज्यादा महिला उद्यमी इस ई हाट का इस्तेमाल कर अपना सामान बेंच सके’. उन्होंने बताया कि अब तक लगभग एक लाख महिलाएं इस ‘महिला  हाट’ से जुड़ चुकी हैं.

फिलहाल इस ‘महिला ई हाट’ में 16 अलग-अलग सेक्शन हैं. महिलाओं की ओर से बेची जाने वाली तमाम चीजों की लिस्ट है. इसमें कपड़े, जूते-चप्पल, पर्स, ज्वैलरी से लेकर हैडीक्राफ्ट्र सामान की एक से बढ़कर एक वैरायटी मिल जाएगी.

हर तरह की सेवा उपलब्ध

यही नहीं खाने का सामान, दाल, मसाले, अचार जैसी तमाम चीजों की खरीदारी  इस हाट के जरिए के जरिए की जा सकती है. एक सेक्शन सेवाओं का है जिसका लगातार विस्तार किया जा रहा है. इसमें हेयर कट, नेल आर्ट, टैटू डिजाइनिंग, वेब डिजाइनिंग, कंम्प्यूटर ट्रेनिंग आदि सेवाओं को शामिल करने की योजना है.

ई हाट की सलाहकार मंजू कालरा ने बताया कि इसमें महिलाओं को अपनी सफलता के बारे मे लिखने, अपने अनुभव शेयर करने, टिप्स देने के लिए भी अलग से प्लेटफार्म दिया गया है. इसके जरिए और महिलाओं को इस हाट में शामिल होकर सामन बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. अभी तक इसमें 554 सामान और सेवाओं की लिस्ट है जो लगातार बढ़ रही है.

इस ‘महिला ई हाट’ मे बेचे जाने वाले सामान की गुणवत्ता को लेकर भी मंत्रालय सजग है. महिलाओं को समय-समय पर कार्यशालाओं के जरिए इस ई हाट के बारे में, इसमें कैसे शामिल हों इसकी जानकारी दी जाती है. गुणवत्ता को लेकर महिलाओं को सजग किया जाता है.

आवेदन करने का तरीका आसान

कोई भी महिला उद्यमी जो भारत की नागरिक है, और उम्र 18 साल से ऊपर है, इस ई हाट के जरिए अपना सामान बेच सकती हैं. अपनी सेवाओं का प्रचार कर सकती हैं. बस एक मोबाइल नंबर, अपने प्रोडक्ट की तस्वीरें या सेवा की जानकारी इस हाट पर डालनी होगी. इस ई हाट मे जाकर आवेदन करने का तरीका भी बहुत आसान बनाया गया है.

 

अब आप कर सकते हैं 3D वीडियो कॉलिंग

वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला होलोग्रैफिक फ्लेक्सिबल स्मार्टफोन बनाने का दावा किया है. इस फोन को मोड़ा जा सकता है, जिससे यूजर बिना चश्मे या हेडगिअर के भी 3D विडियो और तस्वीरें देख सकते हैं. इस डिवाइस का नाम 'होलोफ्लेक्स' रखा गया है.

ऐसे करता है काम:

यह फोन फ्लेक्सिबल है और इसे मोड़ा जा सकता है. कनाडा की क्वींस यूनिवर्सिटी में 'ह्यूमन मीडिया लैब' के वैज्ञानिकों ने इसे तैयार किया है. इसमें लगा फ्लेक्सिबल डिस्प्ले मोशन पैरालैक्स और स्टीरियोस्कोपी की मदद से 3D इमेज तैयार करता है. यानी अलग-अलग ऐंगल से यह 3D इमेज तैयार करता है, जिससे यूजर्स को अलग से कोई चश्मा नहीं लगाना पड़ता.

होलोफ्लेक्स नया वर्जन

यह तकनीक दरअसल ReFlex डिस्प्ले टेक्नॉलजी का ही अगला वर्जन है. दोनों टेक्नलॉजीज को एक ही लैब में विकसित किया गया है. दोनों को तैयार करने में बैंड सेंसर इस्तेमाल किए गए हैं, जिससे यूजर को डिस्प्ले को मोड़ने की सुविधा मिलती है और डिस्प्ले में दिखने वाली चीजें मूव करने लगती हैं

होलोग्रैफिक विडियो कॉलिंग

ह्यूमन मीडिया लैब के डायरेक्टर डॉय रेल वेर्टेगल ने कहा कि खास तरह के कैमरों की मदद से यूजर्स एक-दूसरे को होलोग्रैफिक विडियो कॉलिंग भी कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि जब डिस्प्ले को बेंड किया जाएगा तो लगेगा कि सामने वाला स्क्रीन से बाहर आने वाला है.

गेमिंग भी की जा सकती है

इस डिस्प्ले पर ऐंग्री बर्ड्स जैसे गेम्स को भी खेला जा सकता है. उदाहरण के लिए यूजर को गेम में इलास्टिक रबर को खींचने के लिए डिस्प्ले को साइड से मोड़ना होगा.

अभी यह तकनीक शुरुआती दौर में है और इस पर काम चल रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले वक्त में यह और बेहतर होगी.

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