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ईमेल भेज कोई आप पर नजर तो नहीं रख रहा?

आजकल ईमेल ट्रैकिंग टूल बड़े आसानी से आपके लोकेशन और दूसरी जानकारी आपसे झटक सकते हैं और आपको पता भी नहीं चलेगा.कई ऐसे ईमेल ट्रैकिंग टूल बाजार में मिल रहे हैं और उनका काम सिर्फ एक है – ये पता करना कि एक बार ईमेल भेज दिया जाता है उसके बाद उसका क्या होता है. कंपनियां जब अपने ग्राहकों को ईमेल भेजती हैं तो वो इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. कई बार ऑफिस के अंदर भी ईमेल पर ऐसे ही नजर रखी जाती है. अगर आप क्रोम ब्राउजर का इस्तेमाल करते हैं तो उसके भी कई एक्सटेंशन हैं जो भेजे गए ईमेल पर नजर रखते हैं. बनानाटैग जैसी कंपनी का यही काम है और मेल भेजते समय सिर्फ इसके 'ट्रैक ईमेल' फीचर को टिक करना होता है. अगर आप और खर्च करने को तैयार हैं तो और भी जानकारी आपको मिल सकती है.

आम तौर पर ईमेल ट्रैक करने की जरुरत कंपनियों को होती है क्योंकि वो ग्राहकों की पसंद को समझने की कोशिश करते हैं. अगर ईमेल पढ़कर आपने उसे किसी को फॉरवर्ड किया तो उसकी भी खबर ऐसे सॉफ्टवेयर के पास पहुंच जाती है. जीमेल इस्तेमाल करने वालों के लिए बूमेरैंग भी इस्तेमाल किया जा सकता है. आपकी जरुरत के लिए 10 ईमेल महीने में आप फ्री ट्रैक कर सकते हैं. अगर आप करीब 325 रुपये महीने खर्च को तैयार हैं तो सभी कंप्यूटर या मोबाइल पर देखे जा रहे ईमेल पर नजर रख सकते हैं. क्रोम ब्राउजर पर मेल2क्लाउड पर आप 14 दिन तक उसके सभी फीचर मुफ्त इस्तेमाल कर सकते हैं. जीमेल के साथ-साथ ये माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक के साथ-साथ भी काम करता है.

यसवेयर और मेलट्रैक भी ऐसे ही सॉफ्टवेयर हैं जो आपके ईमेल पर नजर रखते हैं. बस ध्यान रहे कि अगर आप ऑफिस में हैं तो काम से जुड़े ईमेल को किसी अनजान व्यक्ति को फॉरवर्ड नहीं कीजिये. आजकल स्मार्टफोन के जमाने में मेल फॉरवर्ड करना बहुत आसान है. कहीं ऐसा नहीं हो कि कंपनी को पता चल जाए और आपको नौकरी से हाथ धोना पड़े.

स्मार्टफोन के साथ ये 8 रिस्क पड़ सकता है महंगा

अगर आपको लगता है कि स्मार्टफोन सिर्फ एक फोन है तो ये गलत सोच है. आज के समय में स्मार्टफोन ही सब कुछ है. स्टाइल स्टेटमेंट से लेकर एक ऐसी जगह जहां आप अपने सीक्रेट्स रखते हैं, लेकिन इस डिवाइस के साथ कई बार अनजाने में हम कई बड़े रिस्क ले लेते हैं. तो अब एंड्रॉयड स्मार्टफोन के साथ ना लें ये 8 बड़े रिस्क…

Paypal, ebay और बाकी हैकिंग एप्स में लॉगइन रहना

अगर आप इन सेंसिटिव एप्स में हमेशा लॉगइन रहते हैं तो इन्फॉर्मेशन और पैसे चोरी होने के साथ-साथ फिशिंग अटैक होने का भी खतरा बढ़ जाता है.

शॉपिंग ऑनलाइन एप की जगह ब्राउजर से करना

ब्राउजर में फिशिंग अटैक से सुरक्षा के लिए कोई खास तकनीक नहीं होती. लेकिन शॉपिंग एप्स को इस तरह के स्पैम से बचने के लिए डिजाइन किया जाता है.

Wifi से ऑटोकनेक्ट रहना

लैपटॉप हो या स्मार्टफोन, डिवाइस में मालवेयर आने का  सबसे ज्यादा खतरा रहता है. इसके अलावा, इससे हैकिंग का भी खतरा बढ़ जाता है.

पुराने स्मार्टफोन्स से पूरा डाटा न निकालना

सिर्फ कॉन्टैक्ट डिलीट करना या फैक्टरी रीसेट करने से ही सारा डाटा नहीं जाता. इससे आपकी पर्सनल जानकारी किसी और के साथ शेयर हो सकती है. इसका सबसे अच्छा तरीका है मैनुअली सारा डाटा डिलीट करना.

कई सारे फ्री एप्स डाउनलोड कर लेना

कोई भी फ्री एप डाउनलोड कर ट्राई करने से मालवेयर और डाटा चोरी का खतरा बढ़ जाता है. कई फ्री एप्स डाउनलोड तो हो जाते हैं. उसके बाद In-App खरीदारी महंगी पड़ सकती है. रिव्यू पढ़ने के बाद ही एप डाउनलोड करें.

रिमोट वाइपिंग सॉफ्टवेयर ना रखना

फोन अगर चोरी हो जाए या खो जाए तो इन एप्स की मदद से उसे लोकेट भी किया जा सकता है. अगर ये सॉफ्टवेयर नहीं है तो फोन चोरी होने पर डाटा और पर्सनल इन्फॉर्मेशन चोरी होने का भी खतरा रहता है.

ब्लूटूथ कनेक्शन खुले रखना

ब्लूटूथ कनेक्शन ओपन रखने से मालवेयर का खतरा बढ़ता है. इससे फोन स्लो होने के साथ-साथ फाइल्स करप्ट होने का भी खतरा होता है.

कोई पासवर्ड प्रोटेक्शन नहीं रखना

फोन में पासवर्ड प्रोटेक्शन नहीं रखने से सबसे ज्यादा खतरा फोटोज चोरी होने का रहता है. इसके अलावा बैंक संबंधित जानकारी और जरूरी कॉन्टैक्ट्स भी कुछ सेकेंड्स में चोरी हो सकते हैं. 

‘बेफिक्रे’ के दूसरे पोस्टर में भी रणवीर-वाणी का लिप-लॉक

रणवीर सिंह और वाणी कपूर इन दिनों पेरिस में अपनी आने वाली फिल्म 'बेफिक्रे' की शूटिंग कर रहे हैं. इनकी फिल्म का दूसरा पोस्टर रिलीज हुआ है जिसमें वाणी, रणवीर को गोद में बैठी उन्हें स्मूच करती नजर आ रही हैं. वाणी ने इस पोस्टर को ट्विटर पर शेयर किया है. ट्विटर अकाउंट पर पोस्टर रीलीज करते हुए बतौर कैप्शन लिखा गया है- बी केयरफ्री इन पेरिस. बता दें कि पहले पोस्टर में भी वे स्मूच करते दिखे थे.

यह पहला मौका है जब वाणी और रणवीर की जोड़ी एक साथ फिल्म में रोमांस करती नजर आएगी. खबरे हैं कि इस फिल्म ने दोनों के बीच करीब 23 किस सीन्स देखने को मिलेंगे. इसके अलावा कई लव मेकिंग सीन्स भी फिल्म में देखे जाएंगे, जैसा कि फिल्म के पोस्टर में देखने को मिल रहा है.

पेरिस की पृष्ठभूमि पर आधारित इस लव स्टोरी से आदित्य आठ साल बाद निर्देशन में वापसी कर रहे हैं. उनकी निर्देशित आखिरी फिल्म शाहरूख खान के अभिनय वाली 'रब ने बना दी जोड़ी' थी. आदित्य इससे पहले तीन फिल्में बतौर निर्देशक बना चुके हैं. आदित्य की पहली फिल्म 'दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे' थी. वहीं उनके निर्देशन में बनी दूसरी फिल्म 'मोहब्बते' थी और तीसरी फिल्म जो उन्होंने बनाई वो 'रब ने बना दी जोड़ी' थी. तीनों फिल्मे सुपरहिट रही है. आदित्य ने तीनों फिल्में शाहरुख खान के साथ बनाई हैं ऐसे में पहली बार वो बिना शाहरुख के फिल्म बना रहे हैं.

वाणी कपूर और रणवीर सिंह दोनों ने अपनी पहली फिल्म यशराज फिल्म्स के लिए ही की थी. लेकिन वाणी, रणवीर और आदित्य पहली बार किसी फिल्म में साथ काम कर रहे हैं.

फिल्म के रीलीज किए गए पिक्चर्स और पोस्टर को देख कर लगता है फिल्म का ज्यादातर हिस्सा पेरिस में ही शूट किया गया है. 'बेफिक्रे' 9 दिसंबर को रिलीज होगी. 

सैक्स प्लैजर है

‘‘और्गेज्म क्या होता है? क्या यह सैक्स से जुड़ा है? मैं ने तो कभी इस का अनुभव नहीं किया,’’ मेरी पढ़ीलिखी फ्रैंड ने जब मुझ से यह सवाल किया तो मैं हैरान रह गई.

‘‘क्यों, क्या कभी तुम ने पूरी तरह से सैक्स को एंजौय नहीं किया?’’ मैं ने उस से पूछा तो वह शरमा कर बोली, ‘‘सैक्स मेरे एंजौयमैंट के लिए नहीं है, वह तो मेरे पति के लिए है. सब कुछ इतनी जल्दी हो जाता है कि मेरी संतुष्टि का तो प्रश्न ही नहीं उठता है, वैसे भी मेरी संतुष्टि को महत्त्व दिया जाना माने भी कहां रखता है.’’

यह एक कटु सत्य है कि आज भी भारतीय समाज में औरत की यौन संतुष्टि को गौण माना जाता है. सैक्स को बचपन से ही उस के लिए एक वर्जित विषय मानते हुए उस से इस बारे में बात नहीं की जाती है. उस से यही कहा जाता है कि केवल विवाह के बाद ही इस के बारे में जानना उस के लिए उचित होगा. ऐसा न होने पर भी अगर वह इसे प्लैजर के साथ जोड़ती है तो पति के मन में उस के चरित्र को ले कर अनेक सवाल पैदा होने लगते हैं. यहां तक कि सैक्स के लिए पहल करना भी पति को अजीब लगता है. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़कियों की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सैक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुषों के एंजौय करने की चीज है.

यौन चर्चा है टैबू

भारत में युगलों के बीच यौन अनुभवों के बारे में चर्चा करना अभी भी एक टैबू माना जाता है, जिस की वजह से यह एक बड़ा चिंता का विषय बनता जा रहा है. दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध जितने माने रखते हैं, उतनी ही ज्यादा उन की वर्जनाएं भी हैं. एक दुरावछिपाव व शर्म का एहसास आज भी उन से जुड़ा है. यही वजह है कि पतिपत्नी न तो आपस में इसे ले कर मुखर होते हैं और न ही इस से जुड़ी किसी समस्या के होने पर उस के बारे में सैक्स थेरैपिस्ट से डिस्कस ही करते हैं. पुरुष अपनी कमियों को छिपाते हैं. भारत में लगभग 72% स्त्रीपुरुष यौन असंतुष्टि के कारण अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं हैं.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब भी महिलाएं अपनी किसी समस्या को ले कर उन के पास आती हैं और वजह जानने के लिए उन के सैक्स संबंधों के बारे में पूछा जाता है तो 5 में से 1 महिला इस बारे में बात करने से इनकार कर देती है. यहां तक कि अगली बार बुलाने पर भी नहीं आती. कानूनविद मानते हैं कि 20% डाइवोर्स सैक्सुअल लाइफ में संतुष्टि न होने की वजह से होते हैं. पुरुष अपने साथी को यौनवर्धक गोलियां लेने के बावजूद संतुष्ट न कर पाने के कारण तनाव में रहते हैं. पुरुष अपने सैक्सुअल डिस्फंक्शन को ले कर चुप्पी साध लेते हैं और औरतें अपनी शारीरिक इच्छा को प्रकट न कर पाने के कारण कुढ़ती रहती हैं. वैवाहिक रिश्तों में इस की वजह से ऐसी दरार चुपकेचुपके आने लगती है, जो एकदम तो नजर नहीं आती, लेकिन बरसों बाद उस का असर अवश्य दिखाई देने लगता है.

सैक्स से जुड़ा है स्वास्थ्य

एशिया पैसेफिक सैक्सुअल हैल्थ ऐंड ओवरआल वैलनैस द्वारा एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 12 देशों में की गई एक रिसर्च के अनुसार एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 57% पुरुष व 64% महिलाएं अपने यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. इस में आस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ताइवान आदि देशों को शामिल किया गया था. यह रिसर्च 25 से ले कर 74 वर्ष के यौन सक्रिय स्त्रीपुरुषों पर की गई थी. सब से प्रमुख बात, जो इस रिसर्च में सामने आई, वह यह थी कि पुरुषों में इरैक्टाइल हार्डनैस में कमी होने के कारण पतिपत्नी दोनों ही सैक्स संबंधों को ले कर खुश नहीं रहते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इरैक्टाइल हार्डनैस का संबंध सैक्स के साथसाथ प्यार, रोमांस, पारिवारिक जीवन व जीवनसाथी की भूमिका निभाने के साथ जुड़ा है. जीवन के प्रति देखने का उन का नजरिया भी काफी हद तक सैक्स संतुष्टि के साथ जुड़ा हुआ है.

सिडनी सैंटर फौर सैक्सुअल ऐंड रिलेशनशिप थेरैपी, सिडनी, आस्ट्रेलिया की यौन स्वास्थ्य चिकित्सक डा. रोजी किंग के अनुसार, ‘‘एशिया पैसेफिक के इस सर्वेक्षण से ये तथ्य सामने आए हैं कि यौन जीवन संतुष्टिदायक होने पर ही व्यक्ति पूर्णरूप से स्वस्थ रह सकता है. आज की व्यस्त जीवनशैली में जबकि यौन संबंध कैरियर की तुलना में प्राथमिकता पर नहीं रहे, पुरुष व महिलाओं दोनों में ही यौन असंतुष्टि उच्च स्तर पर है. इस की मूल वजह अपनी सैक्स संबंधित समस्याओं के बारे में न तो आपस में और न ही डाक्टरों से बात करना है. चूंकि सैक्स संबंधों का प्रभाव जीवन के अन्य पहलुओं पर भी पड़ता है, इसलिए सैक्स के मुद्दे पर बोलने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.’’

जीवन के इस महत्त्वपूर्ण पक्ष को नजरअंदाज कर के युगल जहां एक तरफ तनाव का शिकार होते हैं, वहीं संतुष्टिदायक सैक्स संबंध न होने के कारण उन के जीवन के अन्य पहलू भी प्रभावित होते हैं. स्वास्थ्य के साथसाथ उन की सोच व जीवनशैली पर भी इस का गहरा असर पड़ता है. यौन संतुष्टि संपूर्ण सेहत के साथसाथ प्रेम व रोमांस से भी जुड़ी है.

कम होती एवरेज

कामसूत्र की भूमि भारत में, जहां की मूर्तियों तक पर सदियों पहले यौन क्रीडा से जुड़ी विभिन्न भंगिमाओें को उकेरा गया था, अभी भी अपने यौन अनुभव के बारे में बात करना एक संकोच का विषय है. भारतीय पुरुष के जीवन में सैक्स जीवन की प्राथमिकताओं में 17वें नंबर पर आता है और औरतों के 14वें नंबर पर. आज अगर हम शहरी युगलों पर नजर डालें तो पाएंगे कि वे दिन में 14 घंटे काम करते हैं, 2 घंटे आनेजाने में गुजार देते हैं और सप्ताहांत यह सोचते हुए बीत जाता है कि सफलता की सीढि़यां कैसे चढ़ें. इन सब के बीच सैक्स संबंध बनाना एक आवश्यकता न रह कर कभीकभी याद आ जाने वाली क्रिया मात्र बन कर रह जाता है.

लीलावती अस्पताल, मुंबई के ऐंड्रोलोजिस्ट डा. रूपिन शाह का इस संदर्भ में कहना है, ‘‘प्रत्येक 2 में से 1 भारतीय शहरी पुरुष में पर्याप्त इरैक्टाइल हार्डनैस नहीं होती, फिर भी 40 से कम उम्र के पुरुष अपनी कमजोरी मानने को तैयार नहीं हैं. 40 से कम उम्र की औरतों की सैक्स की मांग अत्यधिक होने के कारण वे एक तरफ जहां अपनी सैक्स संतुष्टि को ले कर सजग रहती हैं, वहीं वे पार्टनर के सुख न दे पाने के कारण परेशान रहती हैं. नीमहकीमों के पास जाने के बजाय डाक्टर व काउंसलर की मदद से यौन संबंधों में व्याप्त तनाव को दूर किया जा सकता है.’’

ड्यूरैक्स सैक्सुअल वैलबीइंग ग्लोबल सर्वे के अनुसार भारतीय पुरुष व महिलाएं अपने सैक्स जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. और्गेज्म तक पहुंचना प्रमुख लक्ष्य होता है और केवल 46% भारतीय मानते हैं कि उन्हें वास्तव में और्गेज्म प्राप्त हुआ है, जबकि ऐसी महिलाएं भी हैं, जो यह भी नहीं जानतीं कि और्गेज्म होता क्या है, क्योंकि एक महिला को इस तक पहुंचने में पुरुष से 10 गुना ज्यादा समय लगता है. पुरुष 3 मिनट में संतुष्ट हो जाता है, ऐसे में वह औरत को और्गेज्म प्राप्त होने का इंतजार कैसे कर सकता है. वैसे भी आज भी भारतीय पुरुष के लिए केवल अपनी संतुष्टि माने रखती है.

संवाद व सम्मान आवश्यक

असंतुष्टि की वजह कहीं न कहीं पतिपत्नी के बीच मानसिक जुड़ाव का न होना भी है. आपस में निकटता को न महसूस करना, सम्मान न करना भी उन की संतुष्टि की राह में बाधक बनता है. सैक्स के बारे में खुल कर बात न करना या किस तरह से उस का भरपूर आनंद उठाया जा सकता है, इस पर युगल का चर्चा न करना या असहमत होना भी यौन क्रिया को मात्र मशीनी बना देता है.

अपने साथी से अपनी इच्छाओं को शेयर कर सैक्स जीवन को सुखद बनाया जा सकता है, क्योंकि यह न तो कोई काम है और न ही कोई मशीनी व्यवस्था, बल्कि यह वैवाहिक जीवन को कायम रखने वाली ऐसी मजबूत नींव है, जो प्लैजर के साथसाथ एकदूसरे को प्यार करने की भावना से भी भर देती है.

सैक्सी मसाज थेरैपी

ज्यादातर देखने में आता है कि शादी के कुछ समय बाद पतिपत्नी एकदूसरे से ऊबने लगते हैं. इस का एक कारण होता है अपनी लाइफ को बोरिंग बना देना, उस में किसी भी तरह का रोमांच का न होना. यह आप पर ही डिपैंड करता है कि आप उसे कैसे रोमांचक बनाएं. मसाज थेरैपी एक ऐसा तरीका है, जिस के जरीए आप बोरिंग लाइफ को चटपटा बना सकते हैं और उस में रोमांच भर सकते हैं.

मसाज थेरैपी

मसाज एक ऐसी थेरैपी है, जिस के जरीए आप के शरीर को आराम तो मिलता है, साथ ही ब्लड सर्कुलेशन सुचारु रूप से चलने लगता है. यौनांगों व मांसपेशियोें को नया रूप और पोषण मिलता है. नतीजतन सैक्स उत्तेजना बढ़ जाती है.

मसाज करने के टिप्स

ऐसा स्थान चुनें जो रोमांच पैदा कर दे: एकदूसरे से रोमांस करने के लिए आप को सब से पहले एक मुलायम बेड की जरूरत तो होगी ही, लेकिन मसाज करने के लिए जगह फार्म हाउस या कोई फ्लैट ऐसा हो, जहां आप दोनों अकेले हों, तो और भी मजा आ जाएगा. इस के साथ ही अगर आप चाहें तो जमीन पर मैट्स को कई तहों में बिछा कर उस पर अपने पार्टनर को लिटा कर उस के गले, कुहनी व घुटनों के नीचे तकिए रख कर मसाज कर सकते हैं.

सुगंधित तेल का प्रयोग: आप जब अपने हलके और गरम हाथों से पार्टनर के शरीर पर तेल लगाते हैं, तो यह उस के लिए बिलकुल नया अनुभव होता है. तेल आप के हाथों व पार्टनर के बीच घर्षण पैदा कर देता है. आप अपने पार्टनर के थके शरीर व खिंचे मसल्स को रिलैक्स कर देते हैं. मसाज के लिए नारियल, जैतून, तिल के तेल के साथसाथ अन्य सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं. यदि सुगंधित तेल इस्तेमाल करते हैं, तो यह सैक्सुअल पावर को और भी अधिक बढ़ा देता है.

शांतिपूर्ण माहौल की व्यवस्था: आप अपने पार्टनर के सामने खुले बाल ले कर व नाइटी पहन कर न जाएं, बल्कि अपने बालों को कस कर बांध लें व टाइट फिटिंग डै्रस पहन कर जाएं. साथ ही, कमरे का वातावरण ऐसा बना दें कि वहां पूरी शांति मिल सके. इस के अलावा आप कम आवाज में संगीत चलाना चाहें तो चला सकती हैं.

शरीर का कोई हिस्सा चुन लें: आप को मसाज करते समय शरीर का कोई हिस्सा या पौइंट चुन लेना चाहिए, जिस से आप उस पर ही ध्यान दे सकें. आप साथी से पूछ कर भी जान सकते हैं कि वह कहां मसाज करवाना पसंद करेगा. इस के बाद मसाज करें.

मूवमैंट के बारे में जान लें: अच्छी मसाज के लिए जरूरी है कि आप को अपनी हथेलियों के मूवमैंट की सही जानकारी हो. इस के लिए आप को सारी जानकारी जुटा लेनी चाहिए.

फीलिंग्स : मसाज करते समय आप को अपना ध्यान इस बात पर भी रखना चाहिए कि आप का पार्टनर उसे कैसे ले रहा है. सैक्स में टच यानी स्पर्श खास रोल अदा करता है. आप के छूने भर से साथी के दिलोदिमाग में सिहरन पैदा हो जाती है. धीरेधीरे सहलाने और स्पर्श करते रहने से प्यार के साथसाथ सैक्स की इच्छा भी बढ़ती जाती है. कभीकभी यह स्थिति आप को औरगेज्म तक भी पहुंचा देती है.

प्रोफैसर सिंह

बहुत जल्द पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रों को व्याख्यान देते नजर आएंगे. यहां से उन्होंने 1954 में अर्थशास्त्र से एमए की डिगरी ली थी और 3 साल बाद ही यहीं वरिष्ठ व्याख्याता बन गए थे. पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइसचांसलर अरुण कुमार ग्रोवर ने मनमोहन सिंह को पढ़ाने का प्रस्ताव दिया तो वे सहर्ष तैयार हो गए.

पढ़ाना एक नेक काम है जिसे अब कभीकभी सीधे चंडीगढ़ जा कर तो कभीकभी वीडियो कौन्फ्रैंसिंग के जरिए मनमोहन सिंह करेंगे. इस से उन पर न बोलने का लगा ठप्पा भी हट जाएगा और वे अपने मन की बात भी छात्रों के साथ साझा कर पाएंगे. ऐसे में पूर्व अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री का यह फैसला स्वागतयोग्य है.

धर्म और तर्क के बीच द्वंद्व

धर्म का अलिखित पर वास्तव में सब से मुख्य उद्देश्य औरतों को गुलामी में धकेलना रहा है. कट्टर इसलामी गुट इसे लगातार साबित कर रहे हैं. सीरिया से ले कर नाइजीरिया तक इसलामी जेहादियों का मुख्य लक्ष्य मुफ्त में औरतें पाना बन गया है और इन औरतों को जेहादियों को खुश रखने के लिए इस्तेमाल करा जा रहा है. हर औरत, इन में 12 साल की लड़कियां तक शामिल हैं, हर समय किसी अनजान जेहादी द्वारा बलात्कार के आक्रमण से भयभीत रहती है.

इसलाम में कहीं यह विधान है कि गर्भवती से यौन संबंध न बनाया जाए, इसलिए इन लड़कियों और औरतों को जबरन गर्भनिरोधक दवाइयां दी जा रही हैं और लगातार टैस्ट कराए जा रहे हैं कि वे गर्भवती तो नहीं हैं. गुलामी की हालत में रह रही इन लड़कियों व औरतों के पास बचाव का साधन केवल एक ही होता है और वह है जेहादियों को खुश रखना और इस के लिए वे जेहादियों को दुत्कारने, उन से लड़ने की जगह उन्हें खुश करने के उपाय सीख लेती हैं. धर्म का औरत और सैक्स से क्यों वास्ता हो? पर सच यही है कि हर धर्म में औरतों की बड़ी जगह है. हर धर्म ने आश्रम, कौन्वैंट, भिक्षुणीगृह बना रखे हैं, जिन में धर्म को समर्पित औरतें ही रखी जाती हैं. यह समर्पण किसी तथाकथित ईश्वर के लिए नहीं, धर्म को चलाने वाले पुरुषों के लिए है.

कोई भी धार्मिक तमाशा हो, उस में औरतों का जमघट न हो तो भीड़ ही नहीं आती. हर संत, मौलवी, भिक्षु, पादरी औरतों की खास सुनता है. धर्म ने विवाह संस्था पर कब्जा कर रखा है, जिस का अर्थ है कि स्त्रीपुरुष यौन संबंध बिना धर्म की अनुमति के बना ही नहीं सकते. प्रकृति ने जब यौन संबंधों में बराबरी का स्थान नरमादा को दिया है तो ईश्वर के आदेश के नाम पर धर्म बीच में कहां से आ गया? अगर भारत में वर्णव्यवस्था की गुलाम लड़कियां वेश्याघरों में ठुंसी पड़ी हैं तो और्थोडौक्स क्रिश्चियनिटी को मानने वाले पूर्व सोवियत संघ के देशों की युवतियों को दुनिया भर के वेश्याबाजारों में ला पहुंचाया है, क्योंकि उन का धर्म उन्हें वैसे भी पुरुष का गुलाम बना कर रखता है.

नए कट्टर इसलाम ने बाकी तकनीकों का इस्तेमाल तो खुशी से कर लिया पर औरतों के अधिकारों के मामले तर्क को धर्मद्रोह बना रखा है. भारत में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को नीचा दिखाने के लिए कट्टरपंथियों को जातिगत भेदभाव की इतनी चिंता नहीं है जितनी वहां मिलने वाले कंडोमों की है. उन्हें स्वीकार्य ही नहीं कि लड़कियां स्वतंत्र जीवन कैसे जी सकती हैं.

आज धर्म और तर्क के बीच द्वंद्व एक बार फिर खड़ा हो गया है. धर्म ने तर्क को ठुकरा कर आधुनिक प्रचारतंत्र का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इंटरनैट, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सैटेलाइट ड्रोनों का इस्तेमाल पुराने जंग खाए एकतरफा धर्म को फिर से स्थापित करने के लिए किया जा रहा है. पुरुषों की तो बन आई है, क्योंकि वे धर्म के सहारे स्त्रियों पर फिर राज कर सकते हैं. अमीर भी खुश हैं, क्योंकि वे धर्म की आड़ में अपने शोषण को छिपा सकते हैं. यहां तक कि अधेड़ औरतें भी खुश हैं, क्योंकि उन्हें युवा सुंदर औरतों से प्रतियोगिता नहीं करनी पड़ती  इसलामिक स्टेट ने इस सोच का लाभ उठाया है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का उदय और भारत में कट्टरपंथी सोच की पकड़ इसी की कडि़यां हैं.

एक हसीना एक दीवाना

पिछले अंक में आप ने पढ़ा: 3 साल बाद अपनी प्रेमिका कामिनी को देख कर प्रभात हैरान था. प्रभात ने बताया कि उस ने अभी तक शादी नहीं की है. कामिनी ने उसे अपने घर बुलाया और उस की हर चाहत पूरी करने का भरोसा दिलाया. दरअसल, प्रभात की कामिनी से पहली मुलाकात कालेज में हुई थी. वह उस से प्यार करने लगा था, लेकिन तब कामिनी ने उस से कहा था कि वह नौकरी मिलने के बाद ही शादी करना चाहेगी. इस के बाद वह प्रभात के प्रस्ताव को बारबार टालती रही. इस से परेशान प्रभात ने कामिनी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाने का फैसला किया. अब पढि़ए आगे…

कामिनी गांव से लौट कर शहर आ गई. वह रोज कालेज आनेजाने लगी, तो प्रभात पहले की तरह उस से मिलनेजुलने लगा. कामिनी को प्रभात ने यह कह कर यकीन दिला दिया था कि जब वह कहेगी, तभी उस से शादी करेगा. 3 महीने बाद प्रभात को शहर में 3-4 घंटे के लिए एक फ्लैट मिल गया. फ्लैट उस के दोस्त का था. उस दिन उस के घर वाले कहीं बाहर गए हुए थे. दोस्त ने सुबह ही फ्लैट की चाबी प्रभात को दे दी थी.

उस दिन प्रभात कालेज के गेट पर समय से पहले ही जा कर खड़ा हो गया. कामिनी आई, तो उसे गेट पर ही रोक लिया. वह बहाने से अपने दोस्त के फ्लैट में ले गया. प्रभात ने जैसे ही फ्लैट के दरवाजे पर अंदर से सिटकिनी लगाई, कामिनी चौंक गई. वह उस की तरफ घूरते हुए बोली, ‘‘तुम ने दरवाजा बंद क्यों किया?’’ ‘‘मुझे तुम से जो बात करनी है, वह दरवाजा बंद कर के ही हो सकती है. बात यह है कामिनी कि जब तक मैं तुम्हें पा नहीं लूंगा, मुझे चैन नहीं मिलेगा. तुम तो अभी शादी नहीं करना चाहती, इसलिए मैं चाहता हूं कि शादी से पहले तुम मुझ से सुहागरात मना लो. इस में हर्ज भी नहीं है, क्योंकि एक न एक दिन तुम मेरी पत्नी बनोगी ही.’’

प्रभात के चुप होते ही कामिनी बोली, ‘‘तुम पागल हो गए हो क्या? ऐसा करना सही नहीं है. मैं अपना तन शादी के बाद ही पति को सौंपूंगी. इस की कोई गारंटी नहीं है कि मेरी शादी तुम से ही होगी, इसलिए अभी मेरा जिस्म पाने की ख्वाहिश छोड़ दो.’’

‘‘प्लीज, मान जाओ कामिनी. मैं अब मजबूर हो गया हूं. देखो, तुम्हें अच्छा लगेगा,’’ कहते हुए प्रभात कामिनी के कपड़े उतारने की कोशिश करने लगा.

कामिनी जोर लगा कर उस की पकड़ से छूट गई और बोली, ‘‘मैं तुम्हारा इरादा समझ गई हूं. तुम्हें यह लगता है कि मेरे साथ जोरजबरदस्ती करोगे, तो मजबूर हो कर मैं अपना मकसद भूल जाऊंगी और तुम से शादी कर लूंगी. मगर ऐसा हरगिज नहीं होगा.

‘‘अगर तुम मेरे साथ जबरदस्ती करोगे, तो मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगी. मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगी. उस के बाद तुम्हारा क्या होगा, यह तुम खुद सोच सकते हो. तुम जेल चले जाओगे, तो क्या तुम्हारी जिंदगी बरबाद नहीं हो जाएगी?’’

रेप के खतरे से कामिनी डर गई थी और बचने का तरीका ढूंढ़ने लगी थी. कुछ देर चुप रहने के बाद कामिनी प्रभात को समझाने लगी, ‘‘मेरी मानो तो अभी सब्र से काम लो. 3 महीने बाद हमारे इम्तिहान होंगे. उस के 2-3 महीने बाद रिजल्ट आएगा. फिर हम बैठ कर आपस में बात कर लेंगे.

‘‘मैं जानती हूं कि तुम हर हाल में मुझे पाना चाहते हो. मैं तुम्हारी ख्वाहिश जरूर पूरी करूंगी. मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगी. मैं तुम्हें प्यार करती हूं, तो तुम से ही शादी करूंगी न.’’ कामिनी ने प्रभात को तरहतरह से समझाया, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस दिन उस के साथ सैक्स करने का इरादा छोड़ कर उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी बात मान लेता हूं. रिजल्ट आने तक मैं शादी के लिए तुम्हें परेशान नहीं करूंगा, लेकिन तुम्हें भी मेरी एक बात माननी होगी.’’

‘‘कौन सी बात?’’ कामिनी ने पूछा.

‘‘मेरे पिता से मिल कर तुम्हें यह कहना होगा कि गे्रजुएशन पूरी करने के बाद तुम मुझ से शादी कर लोगी. नौकरी की तलाश नहीं करोगी.’’

कुछ सोच कर कामिनी प्रभात की बात मान गई. 2 दिन बाद प्रभात के साथ कामिनी उस के घर गई. उस के मातापिता से उस ने वह सबकुछ कह दिया, जो प्रभात चाहता था. साथ ही, उस ने उस के पिता से यह भी कहा कि अभी वे उस के घर वालों से न मिलें. रिजल्ट आने के बाद ही मिलें. प्रभात के मातापिता ने भी कामिनी की बात मान ली. उस के बाद सबकुछ पहले की तरह चलने लगा. इम्तिहान के बाद कामिनी गांव चली गई. उस के बाद प्रभात उस से मिल न सका. गांव जाते समय कामिनी ने उस से कहा था कि वह उस से मिलने कभी गांव न आए. अगर वह गांव में आएगा. तो उस की बहुत बदनामी होगी. वह उस से फोन पर बात करती रहेगी. रिजल्ट मिलने के एक महीने बाद वह अपने पिता को रिश्ते की बात करने के लिए उस के घर भेज देगी.

प्रभात ने उस की बात मान ली. वह उस से मिलने उस के घर कभी नहीं गया. प्रभात ने सोचा था कि रिजल्ट लेने कामिनी आएगी, तो उसी दिन वह उस से भविष्य की बात कर लेगा. मगर उस का सोचा नहीं हुआ. रिजल्ट लेने कामिनी कालेज नहीं आई. उस का कोई रिश्तेदार आया था और रिजल्ट ले कर चला गया. प्रभात फर्स्ट डिवीजन में पास हुआ था, जबकि कामिनी सिर्फ पास हुई थी. बधाई देने के लिए प्रभात ने कामिनी को फोन किया, पर उस का फोन स्विच औफ था. रिजल्ट मिलने के एक दिन पहले तक कामिनी का फोन ठीक था. प्रभात ने उस से बात की थी. अचानक उस का फोन क्यों बंद हो गया, यह वह समझ नहीं पाया.

प्रभात कामिनी से तुरंत मिलना चाहता था, मगर वह उस के गांव इसलिए नहीं गया कि उस ने मना कर रखा था. वह उस के साथ वादाखिलाफी नहीं करना चाहता था. कई दिनों तक प्रभात ने फोन पर कामिनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. एक महीना बीत गया. वादे के मुताबिक कामिनी ने अपने मातापिता को प्रभात के घर नहीं भेजा, तो एक दिन वह उस के गांव चला गया. पहली बार जिस औरत के सहयोग से प्रभात कामिनी से मिला था, वह सीधे उसी के घर गया.

उस औरत से प्रभात को पता चला कि रिजल्ट मिलने के कुछ दिन बाद कामिनी को मुंबई में नौकरी मिल गई थी. अभी वह मुंबई में है.

कामिनी मुंबई में कहां रहती थी, उस औरत को इस की जानकारी नहीं थी. कामिनी के बिना प्रभात रह नहीं सकता था, इसलिए बेखौफ उस के घर जा कर उस के मातापिता और बहनों से मिला. अपनी और कामिनी की प्रेम कहानी बता कर प्रभात ने उस के पिता से कहा, ‘‘कामिनी को मैं इतना प्यार करता हूं कि अगर उस से मेरी शादी नहीं हुई, तो मैं पागल हो कर मर जाऊंगा. मुंबई में वह कहां रहती है? उस का पता मुझे दीजिए. मैं उस से पूछूंगा कि उस ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?’’ कामिनी का पता देना तो दूर उस के पिता ने दुत्कार कर प्रभात को घर से निकाल दिया.

घर आ कर प्रभात ने कामिनी का सारा सच पिता को बता दिया. उस के पिता प्रभात को बरबाद होता नहीं देखना चाहते थे. उन्होंने जल्दी ही उस की शादी करने का फैसला किया. आननफानन उस के लिए लड़की तलाश कर शादी भी पक्की कर दी. प्रभात के दिलोदिमाग से कामिनी अभी गई नहीं थी. उसे लग रहा था कि अगर वह कामिनी से शादी नहीं करेगा, तो जरूर पागल हो कर रहेगा, इसलिए उस ने मुंबई जा कर कामिनी को ढूंढ़ने की सोची. प्रभात जानता था कि उस ने अपने दिल की बात पिता को बता दी, तो वे खुदकुशी करने की धमकी दे कर शादी करने के लिए मजबूर कर देंगे.

शादी में 2 दिन बच गए, तो किसी को कुछ बताए बिना प्रभात घर से मुंबई चला गया. वहां एक दोस्त के घर में रह कर प्रभात ने नौकरी की तलाश के साथसाथ कामिनी की तलाश भी जारी रखी. 6 महीने बाद प्रभात को एक सरकारी बैंक में नौकरी मिल गई, लेकिन कामिनी का पता नहीं चला. इसी तरह 3 साल बीत गए. इस बीच उस ने चिट्ठी लिख कर अपने पिता को यह बता दिया था कि वह मुंबई में सहीसलामत है. कामिनी से शादी करने के बाद ही वह घर आएगा. 3 साल बाद अचानक प्रभात का ट्रांसफर कोलकाता हो गया. 2 महीने से वह कोलकाता की एक शाखा में अफसर था और इस बात से बेहद चिंतित था कि अब वह कामिनी की तलाश कैसे करेगा?

आज अचानक कामिनी खुद ही उस के पास आ गई. शाम के साढ़े 5 बजे प्रभात की छुट्टी हुई, तो वह कामिनी के पास गया. कामिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘अब चलें?’’

‘‘हां, चलो.’’

बैंक से कुछ ही कदम पर कामिनी का घर था. पैदल चलतेचलते प्रभात ने पूछा,  ‘‘रिजल्ट आने के बाद तुम मुझ से शादी करने वाली थीं, फिर मुझे बिना बताए घर से चली क्यों गई थीं?’’

‘‘तुम तो जानते ही थे कि मैं अपने पैरों पर खड़ी होने के बाद ही शादी करना चाहती थी. उस दिन तुम मेरे साथ जिस्मानी हरकत करने पर उतारू हो गए थे, इसलिए मुझे तुम से झूठा वादा करना पड़ा था.

‘‘मैं जानती थी कि रिजल्ट आने के बाद शादी के लिए तुम मुझ पर दबाव डालोगे, इसलिए रिजल्ट निकलने के कुछ दिन बाद ही अपने मामा के पास मुंबई चली गई थी. मेरे मामा वहां एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं.

‘‘मामा के पास रह कर ही मैं ने नौकरी पाने की कोशिश की, तो 7-8 महीने बाद मुझे प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई. पर पोस्टिंग मुंबई में न हो कर कोलकाता हुई. तब से मैं कोलकाता में ही हूं.’’

बात करतेकरते कामिनी घर पहुंच गई. दरवाजा बंद था. ताला खोलने के बाद कामिनी बोली, ‘‘तुम्हारी पूर्व प्रेमिका के घर में तुम्हारा स्वागत है.’’ ‘‘पूर्व क्यों? आज भी तुम मेरी प्रेमिका हो. तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता. जब तक मैं तुम्हें पा नहीं लूंगा, तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा,’’ कहते हुए प्रभात अंदर आ गया.

‘‘ऐसी बात है, तो आज मैं पहले तुम्हारी चाहत पूरी करूंगी, उस के बाद कोई बात करूंगी.’’

दरवाजा अंदर से बंद करने के बाद प्रभात की आंखों में आंखें डाल कर कामिनी बोली, ‘‘तुम बैडरूम में जा कर मेरा इंतजार करो. मैं कपड़े बदल कर जल्दी आती हूं.’’ ‘‘मतलब, शादी से पहले ही तुम अपना सबकुछ मुझे सौंप दोगी?’’

‘‘हां,’’ कामिनी चुहलबाजी करते हुए बोली.

यह सुन कर प्रभात हैरान था. कामिनी में हुए बदलाव की वजह वह समझ नहीं पा रहा था. प्रभात को हैरत में देख कामिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘आज मैं तुम्हारी चाहत पूरी कर देना चाहती हूं, तो तुम्हें हैरानी हो रही है?’’

‘‘हैरानी इसलिए हो रही है कि पहले मैं कभीकभी तुम्हें चूम लेता था, तो तुम यह कह कर डांट देती थीं कि शादी से पहले यह सब करोगे, तो मिलनाजुलना तो दूर बात करना भी बंद कर दूंगी, फिर अचानक आज तुम ने अपना सबकुछ मेरे हवाले करने का मन कैसे बना लिया?’’

‘‘तुम ने अब तक शादी नहीं की और न ही मेरी तलाश बंद की. इसी वजह से तुम पर मेरा प्यार उमड़ पड़ा है. वैसे, तुम नहीं चाहते हो, तो कोई बात नहीं है. हम यहीं बैठ कर बात कर लेते हैं,’’ कामिनी बोली. प्रभात हाथ आए मौके को गंवाना नहीं चाहता था. पता नहीं, कामिनी का मन कब बदल जाए, इसलिए उस ने झट से कह दिया, ‘‘मैं  क्यों नहीं चाहूंगा. तुम्हें पाने के लिए ही तो मैं 3 साल से दरदर भटक रहा था. तुम बताओ कि बैडरूम किधर है?’’

‘‘चलो, मैं साथ चलती हूं,’’ कामिनी के साथ प्रभात बैडरूम में चला गया. वह उसे बांहों में भर कर उस के गालों व होंठों को दीवानों की तरह चूमने लगा.

कामिनी उसे सहयोग करने लगी. प्रभात की बेकरारी बढ़ गई, तो उस ने कामिनी के सारे कपड़े उतार दिए. मंजिल पर पहुंच कर सांसों का तूफान जब थम गया, तो प्रभात ने कहा, ‘‘तुम्हें पा कर आज मेरा सपना पूरा हो गया कामिनी.’’

‘‘यही हाल मेरा भी है प्रभात. तुम्हारा हक तुम्हें दे कर कितनी खुशी मिली है, यह मैं बता नहीं सकती.’’

‘‘ऐसी बात है, तो तुम मुझ से शादी कर लो. अब मैं तुम से जुदा नहीं रह सकता.’’

‘‘मैं भी अब कहां तुम से जुदा रहना चाहती हूं. मैं खुद तुम से शादी करना चाहती हूं, मगर इस में एक अड़चन है.’’

‘‘कैसी अड़चन?’’

‘‘दरअसल, बात यह है कि मैं प्राइवेट नौकरी से खुश नहीं हूं. नौकरी छोड़ कर मैं खुद की एक फैक्टरी लगाना चाहती हूं. इस के लिए मैं ने एक जगह भी देख रखी है. बस, मुझे पैसों की जरूरत है.

‘‘मैं लोन मांगने के लिए ही बैंक गई थी. वहां तुम मुझे मिल गए. अब अगर तुम मेरी मदद कर दोगे, तो मुझे जरूर लोन मिल जाएगा.’’

‘‘कितना लोन चाहिए?’’

‘‘कम से कम 5 करोड़ का.’’

‘‘5 करोड़? तुम पागल हो गई हो क्या? बिना गारंटर के कोई भी बैंक इतनी बड़ी रकम नहीं देता.’’

‘‘क्या तुम मेरे लिए गारंटर बन नहीं सकते?’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यह कि बैंक में गारंटर के कागजात ही तो दिखाने हैं. वे तुम नकली बना लो. तुम बैंक में काम करते ही हो. तुम्हारे लिए ऐसा करना कोई मुश्किल नहीं होगा.’’

बात करतेकरते अचानक कामिनी ने प्रभात को बांहों में भर लिया और बोली, ‘‘तुम मुझे लोन दिला दोगे, तो मैं फिर कभी तुम से कुछ नहीं मांगूंगी.’’ प्रभात चिंता में पड़ गया. प्रभात को परेशान देख कामिनी बोली, ‘‘अगर तुम लोन नहीं दिलाना चाहते हो, तो कोई बात नहीं. मैं यह समझ कर अपने दिल को समझा लूंगी कि तुम्हें मुझ से नहीं, मेरे जिस्म से प्यार था. मेरा जिस्म पाने के बाद तुम ने मुझ से किनारा कर लिया.’’ प्रभात ने मन ही मन तय किया कि वह हर हाल में बैंक से कामिनी को लोन दिला कर यह साबित कर देगा कि वह उस के जिस्म का नहीं, बल्कि उस के प्यार का भूखा है. उस ने नकली गारंटर बनने का फैसला किया. बैंक में अकसर ऐसा किया जाता है, जब पैसा महफूज हो. प्रभात ने ऐसा किया भी. नकली गारंटर बना कर 2 महीने में उस ने कामिनी को बैंक से 5 करोड़ रुपए का लोन दिला दिया.

5 करोड़ रुपए पा कर कामिनी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. 2 महीने तक तो ठीक रहा, पर उस के बाद प्रभात के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. कामिनी प्रभात से कम मिलने लगी. लोन का ब्याज नहीं आ रहा था. सारा पैसा निकाल लिया गया था. कामिनी को लोन दिलाने के 4 महीने बाद बैंक के अफसरों को सचाई का पता चल गया. नतीजतन, प्रभात को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. उस पर मुकदमा चला सो अलग. एक दिन प्रभात ने कामिनी से शादी करने के लिए कहा, तो उस ने शादी करने से साफ मना कर दिया. कामिनी ने कहा, ‘‘आज मैं तुम्हें एक सचाई बता रही हूं…’’

‘‘क्या?’’ प्रभात ने पूछा.

‘‘सचाई यह है कि मैं ने तुम्हें कभी प्यार ही नहीं किया. दरअसल, मैं प्यारमुहब्बत में यकीन नहीं करती. कालेज लाइफ में तुम मेरे आगेपीछे घूमने लगे थे, तो टाइम पास के लिए मैं ने तुम्हारा साथ दिया था, पर तुम से प्यार नहीं किया था.

‘‘दरअसल, मेरी मंजिल रुपए कमाना है. होश संभालते ही मैं भरपूर दौलत की मालकिन बनने का सपना देखने लगी थी. सपना पूरा करने के लिए मैं कुछ भी करगुजरने के लिए तैयार थी. इस के लिए मैं कोई शौर्टकट रास्ता ढूंढ़ रही थी कि बैंक में तुम मिल गए और मुझे रास्ता दिखाई पड़ गया.

‘‘मुझे तुम से जो पाना था, मैं पा चुकी हूं. अब तुम्हारे पास मुझे देने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. तुम मुझ से जो चाहते थे, मैं भी वह तुम्हें दे चुकी हूं,  इसलिए अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं रहा.

‘‘तुम से कमाए पैसों से मैं अपनी जिंदगी संवार लूंगी. तुम भी अपनी जिंदगी के बारे में सोचो, अब तुम मुझ से कभी मिलने की कोशिश मत करना.’’ प्रभात यह सुन कर हैरान रह गया. कोई हसीना इतनी खतरनाक भी हो सकती है, वह नहीं जानता था. अब कामिनी से कोई बात करना बेकार था, इसलिए प्रभात चुपचाप उस के घर से बाहर आ गया. कामिनी से उस का मोह भंग हो गया था और वह जल्दी अपने घर लौट जाना चाहता था.

मर्दानगी बेचने वालों से सावधान

‘यह लीजिए साहब… पुश्तैनी जोड़ों के दर्द को जड़ से मिटा देगी… यह जड़ीबूटी डायबिटीज, पेट की खराबी, सुस्ती, थकावट सब दूर कर देगी… काम में मन न लगना, मन अशांत रहना, हर मर्ज की दवा है हमारे पास,’ जैसी बातें कह कर ठग ग्राहकों को खूब लूटते हैं.

‘यह दवा आप को किसी डाक्टर के पास या मैडिकल स्टोर में नहीं मिलेगी. ‘साहब, हम इसे जंगल से ढूंढ़ढूंढ़ कर लाते हैं. हमारे खानदान के लोगों को ही इस जड़ी के बारे में मालूम है. यह हिमालय की चोटी पर उगती है, बर्फ में ढूंढ़नी पड़ती है. बहुत महंगी बिकती है. इसे खाने के बाद सामने वाला चारों खाने चित नहीं हुआ, तो सारा पैसा वापस.’ ऐसी ही बातें सुन कर खदान में काम करने वाले एक मजदूर ने सड़क किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वाले से तेल लिया. उसे अंग पर लगाने के थोड़ी देर बाद तकलीफ होनी शुरू हो गई. अंग फूल कर मोटा हो गया. उस में जलन व दर्द होने लगा. धीरेधीरे तकलीफ इतनी बढ़ गई कि वह छटपटाने लगा.

उस मजदूर की बीवी ने पड़ोसियों की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया. डाक्टरों ने फौरन इलाज कर के दर्द व जलन दूर कर दी. पर तेल लगाने से जो छूत की बीमारी हुई थी, उसे ठीक होने में डेढ़ महीना लग गया. इसी तरह एक आदमी ने सैक्स ताकत बढ़ाने के लिए सड़क किनारे दवा बेचने वाले से दवा ली. दवा खाने के थोड़ी देर बाद हाथपैरों में ऐंठन शुरू हो गई. उस की बीवी पति की हालत देख कर घबरा गई. उस ने पड़ोसियों को बुलाया, जो उसे अस्पताल ले गए. डाक्टर ने इलाज किया, जहां वह काफी समय बाद ठीक हुआ.

जब उस आदमी ने डाक्टर से ताकत की दवा लेने के बारे में बताया, तो डाक्टर ने उसे बताया कि ऐसी दवाओं में नशीली चीजें होती हैं. उन्हीं के असर से उसे ऐसी तकलीफ हो गई थी. सारणी में सड़क के किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वाले तथाकथित वैद्य के पास एक आदमी पहुंचा. बाहर से साधारण दिखने वाले तंबू के अंदर का नजारा चकाचौंध कर देने वाला था. सामने सैकड़ों शीशियों में गोलियां, चूर्ण, कैप्सूल, जड़ीबूटियां वगैरह रखी हुई थीं. उस ने मरीज के रूप में अपना हाथ दिखाया, तो उस वैद्य ने हाथ की नाड़ी को पकड़ कर कहा, ‘शरीर में गरमी हो गई है. इस से शरीर का धातु पतला हो कर बाहर चला जा रहा है. शरीर में पानी की मात्रा बढ़ रही है, जिस से वह फूल गया है.’ वैद्य ने 750 रुपए की एक महीने की दवा लेने को कहा और पौष्टिक चीजें खाने की राय दी.

जब उस से कहा गया कि मैं तो पूछताछ करने आया हूं, तो वह वैद्य घबरा गया. अपनेआप को संभालते हुए उस ने कहा कि मैं तो मजाक कर रहा था. इतने रुपए की दवा नहीं लगेगी. जब उस से पूछा कि धातु क्या होता है? दवा से अंग कैसे मोटा हो जाता है? जवानी की ताकत बढ़ाने वाली दवा में क्याक्या मिलाते हैं? तो उस ने सवालों के जवाब देने से मना कर दिया और कहा कि वह कल अपने गुरु से इन सवालों के जवाब मालूम कर के बता देगा. दूसरे दिन वहां पर तंबू नहीं था. वैसे, उस तंबू वाले तथाकथित वैद्य की कमाई का अंदाजा उस के पास मौजूदा रंगीन टैलीविजन, मोटरसाइकिल, मेटाडोर वगैरह से लगाया जा सकता है. खानदानी इलाज करने वाले तथाकथित वैद्यों की जवान पीढ़ी भी इसी काम में लगी हुई?है. इस काम में लगे ज्यादातर नौजवान नासमझ हैं. उस की वजह यह है कि एक ही जगह पर अधिक दिनों तक तंबू लगा कर न रहने से बच्चे स्कूली पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

उन का कहना है कि पढ़लिख कर उन्हें कौन सी नौकरी करनी है. उन्हें तो बापदादाओं से मिले हुनर का ही काम करना है. जड़ीबूटी बेचना उन की विरासत है. वह इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं. उन की औरतें भी इसी काम में लगी रहती हैं. मर्दों को बुला कर सैक्स की दवा बेचने में उन्हें शर्म या झिझक महसूस नहीं होती. इन के पास केवल आदमी ही इलाज के लिए जाते हैं, ऐसा नहीं है. तमाम औरतें व स्कूली छात्राएं छाती बढ़ाने, ढीली छाती को कसने, पेट गिराने, बांझपन, ल्यूकोरिया, माहवारी संबंधी बीमारियां, ठंडापन, बालों का झड़ना, कीलमुहांसे वगैरह की शिकायतें ले कर इन तंबुओं में पहुंचती हैं.

पिछले दिनों एक मामला सामने आया. जब एक कालेज की छात्रा कीलमुहांसे के इलाज के लिए तंबू में पहुंची, तब तंबू के तथाकथित वैद्य ने उसे छेड़ दिया. जब बात कालेज के छात्रों को पता चली, तो उन्होंने आ कर तंबू उखाड़ दिया. तथाकथित वैद्य वहां से फरार हो गया. सैक्स मामलों के जानकार डाक्टर का कहना है कि सड़क के किनारे तंबू लगा कर दवा बेचने वालों से किसी भी तरह का इलाज नहीं कराना चाहिए. इन्हें दवाओं के बारे में सही जानकारी नहीं होती, जिस की वजह से इन की दी हुई दवाएं इस्तेमाल करने पर फायदा होने के बजाय नुकसान होता है. इन के द्वारा दी गई जवानी बढ़ाने वाली दवाओं में नशीली चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती हैं.

गूगल पर महिलाओं की खोजी नजर

आज की महिला किसी से कम नहीं हैं. वे हर क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए है और अगर बात हो उन के लुक्स और शौपिंग की तो उन की खोजी नजर से कुछ भी बचना आसान नहीं होता. उन्हें पता होता है कि कहां अच्छे ब्यूटी प्रोडक्ट्स मिल रहे हैं और कहां कपड़ों की सैल लगी हुई है. इन सब मामलों में महिलाएं हमेशा ही नंबर वन रही हैं. पर कय आप को पता है कि महिलाएं गूगल सर्च इंजन में भी अपने मतलब की चीजें खोजने में पुरुषों से आगे हैं? चलिए, हम आप को बताते हैंः

हर मर्ज की दवा है गूगल

आज किसी भी चीज के बारे में कोई खास जानकारी लेनी हो तो हम सब गूगल की शरण में जाना अधिक पसंद करते हैं. गूगल में जहां पल भर में ही हमें जानकारी मिल जाती है वहीं हमारा अतिरिक्त समय भी जाया नहीं करता. आज गूगल हर मर्ज की दवा है और आप को जान कर हैरानी होगी कि औरतें यहां मर्दों से ज्यादा समय बिताती हैं.

गूगल रिपोर्ट के अनुसार, 35 से 44 साल के बीच की महिलाएं गूगल पर इसी आयु वर्ग के पुरुषों से ज्यादा समय इंटरनैट पर बिताती हैं. 2015 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार 15-24 आयु वर्ग और 24-35 आयु वर्ग की कामकाजी औरतों का दबदबा था लेकिन पुरुषों की अपेक्षा कम.

क्या सर्च करती हैं महिलाएं

महिलाएं गूगल सर्च इंजन पर अपने मतलब की 5 चीजें पहले सर्च करती हैं. वे निम्न हैंः

ब्यूटी प्रोडक्ट्स

इस में सब से पहली कैटिगरी में आते हैं ब्यूटी प्रोडक्टस. गूगल सर्च में ब्यूटी प्रोडक्ट्स तलाशने में महिलाओं की तादाद बढ़ी है और वे फैशन ऐक्सैसरीज तलाशने में भी पुरुषों से आगे हैं. इस तरह के सर्च करने के साथसाथ महिलाएं गूगल के अलावा औनलाइन स्टोर्स प भी ज्यादा समय बिताती हैं.

हैल्थ और फिटनैस

हैल्थ और फिटनैस से संबंधी लेख खोजने के मामले में भी महिलाओं के संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इस के अलावा औनलाइन रैसिपी ढूंढ़ने वाली महिलाओं की संख्या भी गूगल पर बढ़ी है.

फूड पौइंट और मनोरंजन

फूड पौइंट और मनोरंजन के साधन ढूंढ़ने में भी अब तक पुरुषों की तादाद ज्यादा थीं, लेकिन कुछ सालों के आंकड़ों ने महिलाओं को आगे दिखाया है.

मैट्रिमोनियल साइट्स

गूगल सर्च के अलावा मैट्रिमोनियल साइट्स पर भी औरतें औसतन ज्यादा समय बितती हैं. इस में दूसरे के प्रोफाइल चैक करने में बिताए गए वक्त में कुछ सालों की तुलना में इजाफा हुआ है.

पौर्न साइट्स

आप को यह जानकर हैरानी होगी कि वेबसाइट्स के अनुसार भारत में कुछ सालों में पौर्न पसंद करने वाली महिलाओं की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हुई है. 2014 में जहां महिलाओं की भागीदारी 24% थी. वहीं 2015 में यह बढ़ कर 30% हो गई है. ये आंकड़े भारत के संदर्भ में हैं. ये डाटा 40 मिलियन यूजर वाले पौर्न हब से प्राप्त किया गया है.

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