चीनी के बढ़ते दामों को काबू में रखने के लिए सरकार ने व्यापारियों के लिए चीनी की अधिकतम स्टॉक सीमा तय कर दी है. इससे अब देश में चीनी के व्यापारी 5,000 क्विंटल से अधिक का स्टॉक नहीं रख सकेंगे. कोलकाता के व्यापारियों को अधिकतम 10,000 क्विंटल चीनी रखने की छूट होगी. सूखे के कारण घरेलू उत्पादन में गिरावट आने की आशंका को देखते हुए अधिकांश स्थानों पर चीनी की खुदरा दाम 40 रुपये प्रति किलो के स्तर को पर कर गए हैं.

कैबिनेट ने 28 अप्रैल को हुई बैठक में ही खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. मंत्रालय ने अब अधिसूचना के जरिये अधिकतम स्टॉक सीमा तय कर दी है. भंडारण सीमा आदेश के मुताबिक कोलकाता के लिए अधिक स्टॉक की छूट इसलिए दी गई है, क्योंकि यह देश में चीनी का सबसे बड़ा कारोबारी केंद्र है.

राज्य और कम कर सकते हैं सीमा

भले ही केंद्र ने व्यापारियों के लिए चीनी की अधिकतम स्टॉक लिमिट तय कर दी है, लेकिन राज्य सरकार चाहें तो इस सीमा को कम करने के लिए स्वतंत्र हैं. इस आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी व्यापारी को चीनी की आवक की तारीख के 30 दिनों के भीतर अपने स्टॉक को बेचना होगा.

महाराष्ट्र जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में विकराल सूखे की स्थिति को देखते हुए चालू चीनी सीजन 2015-16 के दौरान भारत में चीनी उत्पादन घटकर 2.5 करोड़ टन रह जाने की आशंका जताई जा रही है. पिछले वर्ष में उत्पादन का आंकड़ा 2.83 करोड़ टन रहा था. देश में चीनी का मार्केटिंग सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है.

अभी तक मिलों ने 2.4 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया है. उत्पादन में गिरावट के बावजूद वर्ष की समाप्ति पर चीनी का बकाया स्टॉक 70 लाख टन रहने की उम्मीद है. इसकी वजह यह है कि पिछले पांच-छह वर्षो के दौरान चीनी का उत्पादन जोरदार रहा है.

 

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