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गरमियों में भी दिखें हसीन

गरमी का मौसम आते ही त्वचा में नमी की मात्रा कम होने लगती है. इस की वजह धूप, धूल, गरम हवा, प्रदूषण और पसीना आना है. त्वचा में नमी की मात्रा कम हो जाने से वह बेजान और रूखी हो जाती है. ऐसे में सही मात्रा में पानी पीना, संतुलित आहार लेना, सनस्क्रीन से खुद को प्रोटैक्ट करना, धूप से बचना आदि जरूरी है.

ब्यूटी ऐक्सपर्ट आकृति कोचर कहती हैं कि गरमी के मौसम में त्वचा की नमी का ध्यान रखना जरूरी है वरना कई प्रकार के रैशेज, रैडनैस, ऐलर्जी आदि होने का खतरा रहता है. ऐसे में सनस्क्रीन और मौइश्चराइजर अच्छी कंपनी का ही लगाएं ताकि त्वचा सुरक्षित रहे. इन्हें घर से निकलने से 20 मिनट पहले लगाएं. कम से कम 15 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन त्वचा के लिए अच्छा होता है.

अगर आप ने सही मात्रा वाले एसपीएफ का प्रयोग त्वचा के लिए नहीं किया, तो त्वचा की उम्र आप की उम्र से अधिक दिखेगी, इसलिए ऐक्सपर्ट की राय जरूरी है.

गरमी के मौसम में सैलिब्रिटीज खासतौर पर अपनी त्वचा को ले कर संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उन्हें धूप, धूल, प्रदूषण आदि में शूटिंग करनी पड़ती है. आइए, जानें किस तरह वे गरमी का सामना करते हैं:

श्रद्धा कपूर: वीट की ब्रैंड ऐंबैसेडर अभिनेत्री श्रद्धा कपूर कहती हैं, ‘‘गरमी के मौसम में मैं बहुत ही साधारण दिनचर्या फौलो करती हूं ताकि मेरी त्वचा की खूबसूरती बनी रहे. मैं खूब पानी पीती हूं. इस के अलावा फल और सब्जियां मेरी डाइट में शामिल होती हैं. मैं अपने चेहरे को कई बार साफ पानी से धोती हूं ताकि प्रदूषण, धूलमिट्टी से बची रहूं.

‘‘मैं सनप्रोटैक्शन क्रीम लगाए बिना घर से नहीं निकलती हूं. ये सारी बातें मैं ने अपनी मां से सीखी हैं. शूटिंग के दौरान भी मैं इन बातों का खयाल रखती हूं. इस मौसम में मैं मेकअप कम करती हूं.’’

करीना कपूर खान: करीना की तरह खूबसूरत त्वचा हर लड़की चाहती है. अपनी स्किन त्वचा का श्रेय वे अपने मातापिता को देती हैं, जो उन्हें जन्म से मिली है. वे हमेशा अपनी स्किन को नमीयुक्त रखती हैं. गरमी के मौसम में वे खूब पानी, सूप, जूस आदि पीती हैं ताकि त्वचा डीहाइड्रेट न हो.

करीना कहती हैं, ‘‘मैं पंजाबी परिवार से हूं जहां खाना सब कुछ होता है. मैं भी खूब खाती हूं. पंजाब में जाने पर मैं वहां के अमृतसरी कुलचे अवश्य खाती हूं. अब मेरी जीरो फिगर में रुचि नहीं और न ही मेरी स्विमसूट पहनने की इच्छा है. यह सब मैं ने फिल्म ‘टशन’ के दौरान कर किया था. अब मैं खूब खा रही हूं और खुश रहती हूं. लेकिन वर्कआउट अवश्य करती हूं ताकि फिट रहूं. मैं मेकअप अधिक नहीं करती. धूप में निकलने पर सनस्क्रीन अवश्य लगाती हूं. रात को सोते समय मौइश्चराइजर लगाती हूं. खाने में मौसमी फल, सब्जियां अवश्य लेती हूं. इन के अलावा मैं हमेशा साधारण रहना पसंद करती हूं. घर से निकलते वक्त आंखों के मेकअप के लिए काजल और मौइश्चराइजर अपने पर्स में रखती हूं.’’

नरगिस फाखरी: त्वचा को चिकना और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए नरगिस क्लींजिंग, फेशियल, स्क्रब, मास्क आदि का प्रयोग करती हैं. जब वे बाहर शूट करती हैं, तो वालनट स्क्रब के द्वारा मेकअप को हटाती हैं. इस से मेकअप रोमछिद्रों से बाहर निकल जाता है, साथ ही इस से चेहरे का रक्तसंचार भी बढ़ता है. वे रात में सोते समय मौइश्चराइजर लगाती हैं.

नरगिस कहती हैं, ‘‘मैं उसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हूं, जो मुझ पर सूट करता है. मुझे अधिक मेकअप का शौक नहीं. धूप में अधिक नहीं जाती, संतुलित आहार लेती हूं. भारत में मैं मदर नेचर के पास हूं, जहां हर तरह की सब्जियां और फल आप के आसपास ताजा मिलते हैं. इन्हें खा कर और लगा कर मैं अपनी त्वचा को सुंदर रख सकती हूं. मुंबई में बाहर वाक या जौगिंग करना संभव नहीं, इसलिए घर पर डीवीडी लगा कर जुंबा वर्कआउट करती हूं. बालों के लिए हौट औयल मसाज अवश्य कराती हूं. अधिक शुगर नहीं लेती. भरपूर नींद लेती हूं.’’

दीपिका पादुकोण: दीपिका गरमी के मौसम में अपनी त्वचा का खास ध्यान रखती हैं. दीपिका कहती हैं, ‘‘रात में जो भी मेकअप मेरे चेहरे पर होता है, उसे मैं निकाल कर हाइड्रेटिंग क्रीम लगाती हूं. इस के अलावा खूब पानी पीती हूं. संतुलित आहार लेती हूं. नियमित वर्कआउट करती हूं और नींद पूरी करती हूं. इस मौसम में गरम और सूखी हवा से बाल बेजान से हो जाते हैं. ऐसे में सप्ताह में 1 बार टैंडर कोकोनट औयल से मसाज कराने से बाल खराब होने से बचते हैं.

‘‘मैं मेकअप अधिक पसंद नहीं करती. पर बीबी क्रीम अवश्य लगाती हूं. मुझे लाल लिपस्टिक बहुत पसंद है, जिसे लाइनर के साथ लगाती हूं.’’

मां भी मैं पा भी मैं

भारत में सिंगल मदर होना आसान नहीं है. पूरी हिम्मत दिखा कर सिंगल मदर बनने पर महिलाओं को अकसर चुभते सवालों का सामना करना पड़ता है. मसलन, बच्चे के पिता अब कहां हैं? आप लोग साथ क्यों नहीं हैं? अकेले बच्चा पालना बहुत मुश्किल है, सिर पर बाप का साया होना जरूरी है. इस के अलावा स्कूल में बच्चे के दाखिले के समय या कोई सरकारीगैरसरकारी फार्म भरते समय भी पिता का ही नाम पूछा जाता है. भारत में किसी लड़की का बिना शादी किए मां बनना अपराध माना जाता है.

अकेले बच्चा पालना आसान नहीं है. मांपिता दोनों की भूमिका निभानी पड़ती है. बच्चे की सारी जिम्मेदारी अकेले मां के कंधों पर होती है. घर से ले कर बच्चे की बेहतरी का फैसला मां को ही लेना होता है. कई बार ऐसी स्थितियों से जूझतेजूझते मां ओवर स्ट्रैस हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि ऐसी स्थितियों को पनपने का मौका ही न दिया जाए. यह आप के लिए, आप के बच्चे की परवरिश के लिए, आप के परिवार के लिए बेहद जरूरी है. अन्यथा तनाव स्वस्थ माहौल छीन लेगा और सिंगल मदर होने पर आप को अफसोस होगा.

फाइनैंस पर कंट्रोल

कम आय तनाव का अहम कारण होती है. सिंगल पेरैंटिंग के लिए अहम है कि आप को अपनी आय की सही तरीके से बजटिंग करनी आए. कारण आप की कमाई ही पैसे का एकमात्र स्रोत है. मसलन, मकान, बिजली, गैस, पानी आदि की अदायगी, बच्चे की ट्यूशन फीस आदि. यदि बजटिंग करने के बाद आय कम पड़ती है, तो आय के स्रोत बढ़ाने की सोचें. इस के लिए निश्चित आय के अलावा पार्टटाइम जौब, घर पर किराएदार रख कर, किसी कंपनी के लिए फ्रीलांस आदि का काम करें. इस से आप अपने बच्चे को बेहतर परवरिश दे पाएंगी. तब आप को घर की बेहतरी से ले कर बच्चे की हर जरूरत को पूरा करने के लिए मन मसोसना नहीं पड़ेगा.

बातें जारी रहें

आप के घरपरिवार में किसी प्रकार का फेरबदल होने वाला है, तो इस से बच्चे को अनजान न रखें. फेरबदल पर बच्चे की प्रतिक्रिया जानें अन्यथा वह अलगथलग महसूस करेगा.

सहयोग का इस्तेमाल

सिंगल मदर हो कर बच्चे की परवरिश करना आसान नहीं है. जब सारी जिम्मेदारियां आप के कंधे पर होंगी, तो तनाव होना स्वाभाविक है. ऐसे में अपने परिवार वालों व दोस्तों से जानें कि वे आप के लिए कैसे मददगार साबित हो सकते हैं. मसलन, स्कूल बस से बच्चे को पिक करना, रोजाना बच्चे को ट्यूशन या डांस क्लास छोड़ कर आना आदि. जब नौकरी करते हुए बच्चे को कहीं छोड़ने या लाने की जिम्मेदारी आप उठा तो लेंगी, लेकिन काम का हरजा कोई भी संस्थान बरदाश्त नहीं करेगा.

बच्चे को समय दें

बच्चे के लिए आप ही मां व पिता हैं. उसे पिता के प्यार की कमी महसूस न होने दें. बच्चे को ज्यादा से ज्यादा समय दें. उस के साथ खेलें, गानें सुनें, उस की बातें सुनें. याद रहे कि अच्छी परवरिश के लिए आर्थिक मजबूती के अलावा उसे समय देना भी नितांत जरूरी है.

अपने को समय दें

सिंगल मदर होने का यह मतलब नहीं कि आप की पर्सनल लाइफ खत्म हो गई है. सप्ताह में 1 दिन सिर्फ अपने लिए जीएं. अपनी पसंदीदा किताबें पढ़ें, फिल्म देखें, दोस्तों के साथ शौपिंग पर जाएं. अपने शौक को तरजीह दें. अन्यथा एक सी लाइफ से आप उकता जाएंगी.

स्पेस जरूरी है

सिंगल मदर होने के नाते आप का सारा फोकस बच्चे पर रहता है. बच्चा छोटा हो या बड़ा आप उस की हर जरूरत पूरी करने के लिए सदा तैयार रहती हैं. प्यार व अपनत्व की भावना इतनी असीम होती है कि बच्चा दब्बू बन जाता है. साथ ही आप बच्चे के प्रति ओवर पजैसिव हो जाती हैं. ऐसे में स्पेस देना बहुत जरूरी है ताकि बच्चा आत्मनिर्भर बन पाए.

निश्चित दिनचर्या: बच्चे को जानकारी दें कि किस समय खाना है, सोना है, खेलना है, पढ़ना है, रोज रात को स्कूल की यूनिफौर्म अलमारी से निकालनी है, बैग सैट करना है आदि. इस से आप को थोड़ी राहत मिलेगी और बच्चे में काम करने की आदत पड़ेगी.

जानकारी अपडेट रखें: आप डाइवोर्सी हैं या सैपरेटेड पेरैंट अथवा सिंगल पेरैंट ऐसे में आप की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि बच्चे को अच्छी आदतों के साथ नियंत्रण में रखा जाए. इस के लिए आप सोशल साइट्स, विविध सर्च इंजन्स, लाइब्रेरी या दोस्तों से गुड पेरैंटिंग की जानकारी लें ताकि आप या बच्चे पर किसी भी प्रकार का तनाव हावी न हो.

बच्चे को बच्चा समझें: कभी न कभी सिंगल पेरैंट होने पर आप अकेला महसूस करती होंगी. इस के लिए बच्चे को कतई पार्टनर का सबस्टिट्यूट न समझें. कोशिश करें कि आप अपने आराम या सहानुभूति के लिए बच्चे पर आश्रित न हों वरना बच्चा मैंटली डैवलप नहीं हो पाएगा.

पौजिटिव रहें: आप का हमेशा सकारात्मक रहना बेहद जरूरी है. नन्ही जान का मूड आप के मूड से अच्छा या खराब होता है. आप खुश रहेंगी तो बच्चा भी हंसेगा, चहकेगा. आप दुखी रहें भी तो बच्चा भी गुस्सैल होते हुए यहांवहां गुस्सा निकालेगा. यह जान लें कि अपनी भावनाओं के प्रति ईमानदार होना जरूरी है. बच्चे को समझाएं कि बुरे समय के बाद अच्छा समय आता है.

अपने प्रति लापरवाही नहीं: अकेले बच्चे की परवरिश करना आसान नहीं है. कई तरह की दिक्कतों से रोजाना रूबरू होना पड़ता. कभी समाज के ताने आप को बेचैन करते होंगे, तो कभी औफिस रहते हुए बच्चे को बसस्टौप से लाने की चिंता तनावग्रस्त करती होगी. इन चिंताओं से दूर रहें. यदि आप चिंता में रहेंगी, तो बच्चे की परवरिश पर इस का बुरा असर पड़ेगा. स्ट्रैस से बचने के लिए ऐक्सरसाइज करें, संतुलित भोजन लें. आराम करें और डाक्टरी जांच नियमित करवाएं. आप फिट होंगी, तभी बच्चे की बेहतर केयर कर पाएंगी.

बेहतर चाइल्ड केयर टेकर खोजें: आप औफिस में हैं, पीछे से बच्चे की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी आप को किसी भरोसेमंद केयर टेकर या मेड को देनी होगी ताकि आप निश्ंिचत हो कर औफिस की जिम्मेदारियां निभा सकें. पलपल आप को यह चिंता न सताए कि बच्चे ने खाना खाया, होमवर्क किया या नहीं, बच्चा बिगड़ तो नहीं रहा. दोपहर में बच्चा समय से आराम करता है या नहीं आदि. बेहतरीन चाइल्ड केयरटेकर या फुलटाइम मेड की खोज आप फैं्रड सर्कल या भरोसेमंद प्लेसमैंट एजेंसी से करें. आप वर्किंग हैं तब केयरटेकर या फुलटाइम मेड नितांत आवश्यक है. कुछ पैसे बचाने के चक्कर में बच्चे को घर पर अकेला न छोड़ें. चाइल्ड केयरटेकर या मेड चाइल्ड केयर में दक्ष होनी चाहिए.

फ्रैंड्स की मदद लें: यदि आप के दोस्त अच्छे, नेक हैं, तो उन से गुजारिश करें कि वे आप की गैरहाजिरी में बीचबीच में बच्चे की खैरखबर लें.

आप की जिम्मेदारी: याद रहे बच्चे की सिंगल मदर आप हैं. ऐसे में बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी आप की है. इसे हमेशा याद रखें. बच्चे की जिम्मेदारी अपने मातापिता या भाईबहन पर न थोपें. हां, आप के अच्छे व्यवहार से वे आप के बच्चे की देखरेख आप की गैरहाजिरी में जरूर कर सकते हैं. आप के बच्चे के पालनपोषण की जिम्मेदारी आप की है, उन की नहीं.

बाहरी मदद लें: लोगों से रिश्ता अच्छा रखें ताकि समय पड़ने पर वे आप की मदद करने में पीछे न रहें. मसलन आप की तबीयत खराब है और बच्चे व घर की जिम्मेदारी आप नहीं निभा पा रहीं तो ऐसे में किसी से मदद लें. इस के लिए आप को व्यवहारकुशल बनना होगा.

कतई झूठ न बोलें : आप डाइवोर्सी हैं तो यह बात अपने बच्चे को जरूर बताएं. आप के बताने से बच्चा पूरा सच जान जाएगा. बाहरी लोगों से पता चलने पर उस के नन्हे दिल पर गहरी ठेस लगेगी. उस पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है.        

शादी के बाद भी जीएं आजाद

स्वाति की नईनई शादी हुई है. वह मेहुल को 5 सालों से जानती है. दोनों ने एकदूसरे को जानासमझा तो दोनों को ही लगा कि वे एकदूसरे के लिए ही बने हैं. फिर अभिभावकों की मरजी से विवाह करने का निर्णय ले लिया. लेकिन आजाद खयाल की स्वाति ने विवाह से पहले ही मेहुल के सामने अपनी सारी टर्म्स ऐंड कंडीशंस ठीक वैसे ही रखीं जैसे कोई बिजनैस डील करते समय 2 लोग एकदूसरे के सामने रखते हैं. हालांकि ये लिखी नहीं गईं पर बातोंबातों में स्पष्ट कर दी गईं.

आइए, जरा स्वाति की टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर एक नजर डालते हैं:

  1. शादी के बाद भी मैं वैसे ही रहूंगी जैसे शादी से पहले रहती आई हूं. मसलन, मेरे पढ़ने, पहननेओढ़ने, घूमनेफिरने, जागनेसोने के समय पर कोई पाबंदी नहीं होगी.
  2. तुम्हारे रिश्तेदारों की आवभगत की जिम्मेदारी मेरी अकेली की नहीं होगी.
  3. अगर मुझे औफिस से आने में देर हो जाए, तो तुम या तुम्हारे परिवार वाले मुझ से यह सवाल नहीं करेंगे कि देर क्यों हुई?
  4. मुझ से उम्मीद न करना कि मैं सुबहसुबह उठ कर तुम्हारे लिए पुराने जमाने की बीवी की तरह बैड टी बना कर कहूंगी कि जानू, जाग जाओ सुबह हो गई है.
  5. मेरे फाइनैंशियल मैटर्स में तुम दखल नहीं दोगे यानी जो मेरा है वह मेरा रहेगा और जो तुम्हारा है वह हमारा हो जाएगा.
  6. अपने मायके वालों के लिए जैसा मैं पहले से करती आ रही हूं वैसा ही करती रहूंगी. इस पर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. मेरे और अपने रिश्तेदारों को तुम बराबर का महत्त्व दोगे.

स्वाति की इन टर्म्स ऐंड कंडीशंस से आप भी समझ गए होंगे कि आज की युवती विवाह के बाद भी पंछी बन कर मस्त गगन में उड़ना चाहती है. पहले की विवाहित महिला की तरह वह मसालों से सनी, सिर पर पल्लू लिए सास का हुक्म बजाती, देवरननद की देखभाल करती बेचारी बन कर नहीं रहना चाहती.  

दरअसल, आज की युवती पढ़ीलिखी, आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर है. वह हर स्थिति का सामना करने में सक्षम है. अपने किसी भी काम के लिए पति या ससुराल के अन्य सदस्यों पर निर्भर नहीं है. इसीलिए वह विवाह के बाद भी अपनी आजादी को खोना नहीं चाहती.

जिंदगी की चाबी हमारे खुद के हाथ में

आज की पढ़ीलिखी युवती विवाह अपनी मरजी और अपनी खुशी के लिए करती है. वह नहीं चाहती कि विवाह उस की आजादी की राह में रोड़ा बने. वह अपनी आजादी की चाबी पति या ससुराल के दूसरे सदस्यों को सौंपने के बजाय अपने हाथ में रखना चाहती है. वह चाहती है कि अगर सासससुर साथ रहते हैं, तो वे उस की मदद करें. पति और वह मिल कर बराबरी से घर की जिम्मेदारी उठाएं. आज की युवती का दायरा घर और रसोई से आगे औफिस और दोस्तों के साथ मस्ती करने तक फैल गया है. वह जिंदगी का हर निर्णय खुद लेती है. फिर चाहे वह विवाह का निर्णय हो, पसंद की नौकरी करने का हो अथवा विवाह के बाद मां बनने का.

रहूंगी लिव इन की तरह

आज की युवती के लिए विवाह का अर्थ बदल गया है. अब उस के लिए विवाह का अर्थ पाबंदी या जिम्मेदारी न हो कर आजादी हो गया है. आज वह विवाह कर के वे चीजें अपनाती है, जो उसे अच्छी लगती हैं और उन्हें सिरे से नकार देती है, जो उस की आजादी की राह में रुकावट बनती हैं. मसलन, व्यर्थ के रीतिरिवाज, त्योहार और अंधविश्वास, जो उस के जीने की आजादी की राह में बाधा बनते हैं उन्हें वह नहीं अपनाती. वह उन रीतिरिवाजों और त्योहारों को मनाती व मानती है, जो उसे सजनेसंवरने और मौजमस्ती करने का मौका देते हैं.

वह अपने होने वाले पति से कहती है कि हम विवाह के बंधन में बंध तो रहे हैं, लेकिन रहेंगे लिव इन पार्टनर की तरह. हम साथ रहते हुए भी आजाद होंगे. एकदूसरे के मामलों में दखल नहीं देंगे. एकदूसरे को पूरी स्पेस देंगे. एकदूसरे के मोबाइल, लैपटौप में ताकाझांकी नहीं करेंगे. हमारी रिलेशनशिप फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स वाली होगी, जिस में तुम यानी पति फ्रैंड विद बैनिफिट पार्टनर की तरह रहोगे, जिस में कोई कमिटमैंट नहीं होगी. हमारा रिश्ता फ्रीमाइंडेड रिलेशनशिप वाला होगा, जिस में कोई रोकटोक नहीं होगी. जब हमें एकदूसरे की जरूरत होगी, हम मदद करेंगे, लेकिन इस मदद के लिए कोई एकदूसरे को बाध्य नहीं करेगा. हमारे बीच पजैसिवनैस की भावना नहीं होगी. मैं अपने किस दोस्त के साथ चैटिंग करूं, किस के साथ घूमनेफिरने जाऊं इस पर कोई पाबंदी नहीं होगी.

आजादी मांगने व देने के पीछे का कारण

युवतियों में शादी को ले कर आए इस बदलाव के पीछे एक कारण यह भी है कि उन्होंने अपनी दादीनानी और मां को घर की चारदीवारी में बंद अपनी इच्छाओं व खुशियों को मारते देखा है. वे अपनी हर खुशी के लिए पति पर निर्भर रहती थीं. लेकिन आज स्थिति विपरीत है. आज की पढ़ीलिखी व आत्मनिर्भर युवतियां चाहती हैं कि जब वे बराबरी से घर के काम और आर्थिक मोरचे को संभाल रही हैं, तो वे विवाह के बाद आजाद क्यों न रहें? क्यों वे विवाह के बाद पति और ससुराल के बाकी सदस्यों की मरजी के अनुसार अपनी जिंदगी जीएं? आज की पढ़ीलिखी युवतियां अपनी शिक्षा व योग्यता को घर बैठ कर जाया नहीं होने देना चाहतीं. वे चाहती हैं कि जब पति घर से बाहर व्यस्त है, तो वे घर बैठ कर क्यों उस के आने का इंतजार करें और अगर वह औफिस के बाद अपने दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने का अधिकार रखता है तो उन्हें भी विवाह के बाद ऐसा करने का पूर्ण अधिकार है.

दूसरी ओर पति भी चाहता है कि उस की पत्नी विवाह के बाद छोटीछोटी आर्थिक जरूरतों के लिए उस पर निर्भर न रहे. अगर पत्नी कामकाजी नहीं है, तो उस के घर आने पर घरपरिवार की समस्याओं का रोना उस के सामने रो कर उसे परेशान न करे, इसलिए वह उसे आजादी दे कर अपनी आजादी को कायम रखना चाहता है. तकनीक ने भी आज युवतियों को आजाद खयाल का होने में मदद की है. तकनीक के माध्यम से वे दूर बैठी अपने दोस्तों से जुड़ी रहती है और अपनी आजादी को ऐंजौय करती हैं. पति भी चाहता है कि वह व्यस्त रहे ताकि उस की आजाद जिंदगी में कोई रोकटोक न हो.

आजादी के नाम पर गैरजिम्मेदार न बनें

विवाह के बाद आजाद बन कर मस्त गगन में उड़ने की चाह रखने वाली युवती को ध्यान रखना होगा कि कहीं वह आजादी के नाम पर गैरजिम्मेदार तो नहीं बन रही? उस की आजादी से उस के घरपरिवार, बच्चों पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है, क्योंकि सिर्फ अपनी टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर जीना आजादी नहीं, अपनी बात मनवाना आजादी नहीं, महज घर से बाहर निकल कर मल्टीटास्किंग करना ही आजाद खयाल का होना नहीं. विवाह बंधन नहीं, जिस में आप आजादी चाहते हैं. विवाह का अर्थ एकदूसरे के सुखदुख में भागीदार होना है. पढ़नेलिखने, आत्मनिर्भर होने का अर्थ जरूरी नहीं कि आप नौकरी ही करें. आप चाहें तो अपने आसपास के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दें. अपनी घर की जिम्मेदारियां सुचारु रूप से निभाएं. आजादी का अर्थ है विचारों की स्वतंत्रता, पढ़नेलिखने की स्वतंत्रता, निर्णय लेने की आजादी, अपने ढंग से घर चलाने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी, रुढियों व दकियानूसी विचारों से आजादी, अपना जीवन संवारने की आजादी न कि कर्तव्यों से भटकने की आजादी. प्रकृति ने महिला व पुरुष को अपनीअपनी योग्यता के अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी हैं. उन्हीं जिम्मेदारियों का अपनी सीमाओं में रह कर पालन करना ही सही माने में आजादी है, जिस से प्रकृति का संतुलन भी कायम रहेगा और कोई किसी की आजादी का भी उल्लंघन नहीं करेगा. इसलिए सामाजिक दायरे में रह कर अपनी क्षमताएं पहचान कर अपने दायित्वों को निभाना ही सही में आजादी है.

गलती खुद की तो सजा दूसरे को क्यों

क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी काफी समय से आम्रपाली बिल्डर्स का ब्रैंड ऐंबैसेडर बना हुआ है. हाल ही में उस बिल्डर से नाराज ग्राहकों ने धोनी पर आक्रमण कर डाला कि उन्होंने तो धोनी के कारण उस बिल्डर से फ्लैट खरीदे थे पर उन्हें तो फ्लैट मिले नहीं, देर से मिले या फिर खस्ता हालत में मिले. उन्होंने कहा कि अगर धोनी ने विज्ञापनों में भरपूर प्रचार न किया होता तो वे फ्लैट न खरीदते या फिर और ज्यादा जांचपड़ताल करते. अब एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि सरकार कानून बनाए, जिस में गलत ऐंडोर्समैंट करने वाले सैलिब्रिटी को भी उत्तरदायी बनाया जाए और उस पर क्व50 लाख तक के जुर्माने और 5 साल तक की जेल का प्रावधान हो.

सरकार इस तरह का कानून बना सकती है, क्योंकि इस तरह के कानूनों से नौकरशाही के हाथ मजबूत होते हैं और वे शासन में रह रहे नेताओं के साथ मिल कर और ज्यादा धौंस जमा सकते हैं व रिश्वत भी वसूल सकते हैं. सैलिब्रिटीज इस तरह का ऐंडोर्समैंट सिर्फ पैसे के लिए करते हैं. फिल्मी ऐक्टरों व खिलाडि़यों से आप कुछ भी बिकवा सकते हैं, चड्ढी से ले कर रौल्स रौयस गाड़ी तक. 10-20 पैसे के सामान से ले कर अरबों तक का खर्च सैलिब्रिटियों के नाम पर करा जाता है. कई बड़ी कंपनियों ने उन्हें अपने बोर्ड औफ डायरैक्टर्स में रखा है ताकि इस से काम में आसानी हो.

आम जनता मूर्ख है, वह नीबूमिर्ची से सुरक्षा का विश्वास रखती है, गंडेतावीज से कैंसर का इलाज कराती है, मंदिर, मसजिद, दरगाह, गुरुद्वारे के फोटो लगवा कर मुनाफे की आशा करती है. फिर भगवानों के बराबर सितारों और खिलाडि़यों के ऐंडोर्समैंट को क्यों नहीं मानेगी.

यह कानून बने या न बने पर इतना तो पक्का है कि इस सुझाव के चलते ही सितारे और खिलाड़ी घबरा कर ऐंडोर्समैंट करते हुए सावधान हो जाएंगे. शैंपू, बूट पौलिश, बनियान बेचने में तो कोई कठिनाई नहीं है पर महंगे, विवादास्पद क्षेत्रों में नहीं आएंगे वरना तो ये सैलिब्रिटी आजकल जानलेवा पान मसाले व शराब का जम कर ऐंडोर्स कर रहे हैं. हर दूसरी फिल्म में हीरो ही नहीं हीरोइन भी शराब पीती नजर आती है. फिर भी यह प्रस्तावित कानून गलत है, क्योंकि यह व्यापार व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है. अगर धोनी कहता है कि उसे आम्रपाली ग्रुप का फ्लैट अच्छा लगता है तो यह उस की अपनी मरजी भी तो हो सकती है. इस पर उसे किसी ग्राहक से कंपनी के मामले में घसीटना गलत है. ग्राहकों को अपना सामान खुद देखभाल कर खरीदना चाहिए. हजारों चीजें बिना ऐंडोर्समैंट के बिकती हैं. वहां ग्राहक को कोई प्रभावित करता है? अगर ग्राहक गलत फैसला करता है तो वह भुगते, उसी सामान को इस्तेमाल करने वाला दूसरा क्यों भुगते?

सैलिब्रिटी चूंकि दिखता है, इसलिए उस के खिलाफ मामला दर्ज करने का हक पा लेना फालतू में सुर्खियां बन जाती हैं. हजारों लोग कानूनी प्रावधान का दुरुपयोग करने लगेंगे.

शहरी मतदाताओं को रिझाने में जुटी सपा

समाजवादी पार्टी ग्रामीण मतदातओं के साथ अब शहरी मतदाताओं को भी अपने साथ जोडने में जुटी है.1 मई से 10 मई के बीच पूरे प्रदेश में आयोजित ‘साइकिल संदेश यात्रा’ में पार्टी नेताओं ने समाजवादी सरकारी द्वारा किये गये कामों को जनता तक पहुचाने का काम किया गया.सपा के सभी छोटे बडे नेताआंें ने साइकिल यात्रा को सफल बनाने का काम किया.समाजवादी पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनावों के लिये अपने ज्यादातर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है.जिन प्रत्याशियों की मेहनत में पार्टी को कमी नजर आयेगी उनके टिकट बदले भी जा सकते है.ऐसे में सभी टिकट पा चुके प्रत्याशी और टिकट के दावेदार प्रत्याशियों ने मई की झुलसा देने वाली गरमी में साइकिल चला कर खूब पसीना बहाया.पार्टी ने सभी संगठनों को भी ‘साइकिल संदेश यात्रा’सफल बनाने का काम सौंप दिया था.‘साइकिल संदेश यात्रा’ के साथ सपा ने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत कर दी.

समाजवादी पार्टी के लिये सबसे अच्छी बात यह है कि उसका चुनाव चिन्ह साइकिल है. अखिलेश सरकार ने जहां शहरों में साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया वही अब उसकी योजना आगरा से इटावा तक देश का पहला साइकिल हाइवे ट्रैक बनाने की है.आज शहरों में पार्किग और प्रदूषण की परेशानी के चलते साइकिल चलाने का बढावा दिया जा रहा है.शहरी लोगों में हेल्थ के नजरिये से भी साइकिल बेहतर उपाय है.ऐसे में अखिलेश सरकार ने साइकिल को शहरी लोगों की लाइफ स्टाइल से जोडने का काम किया है.पार्टी की दंबग और गंवई मतदाताओं वाली छवि को तोडने के लिये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शहरी पढेलिखे लोगों खासकर महिलाओं को पार्टी में जोडने में जुटे है. ‘साइकिल संदेश यात्रा’ में इन महिलाओं ने बढचढ कर हिस्सा लिया.यह बात और है कि तमाम महिलाओं ने बिना अदात के साइकिल चलाई तो कमर दर्द का शिकार हो गई.

राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी ने 2 विधानसभा सीट लखनऊ कैंट और लखनऊ पश्चिम विधानसभा सीट से क्रमशः अपर्णा यादव और डाक्टर श्वेता सिंह को टिकट दिया है.दोनो ही पाटी का प्रमुख चेहरा है.अपर्णा यादव मुलायम सिंह की छोटी बहु है और डाक्टर श्वेता सिंह समाजवादी महिलासभा की प्रदेष अध्यक्ष है. डाक्टर श्वेता सिंह कहती है ‘मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि का लाभ होगा.शहरी मतदाताओं में पार्टी के प्रति रूझान बढ रहा है.प्रदेश में किसी भी विरोधी दल के साथ ऐसा साफ सुथरी छवि का मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं है.पार्टी ने इस कार्यकाल में अपने चुनावी वादे पूरे किये है.शहरी क्षेत्रों के लिये लखनऊ मेट्रो के साथ प्रदेश के दूसरे बडे शहरों में मेट्रो रेल येाजना पर काम किया जा रहा है.आईटी सिटी और दूसरी योजनाओं से विकास की गति को तेजी से बढाया गया है.’     
         
                            
 

माँ बनना मेरे लिए गर्व की बात है- कैरोल ग्रासिअस (सुपर मॉडल )

ये सही है कि जब कोई महिला माँ बनने वाली होती है ,तो वह पल उसके जीवन का खास होता है. लेकिन इस रूडिवादी समाज में लोगो की सोच अलग है .माँ बनते ही महिला घर से बाहर निकलना तब बंद कर देती है जब उसका ‘बेबी बम्प’ दिखाई पड़ने लगता है ,वह ‘शाय’ फील करती है .लोग क्या कहेंगे ये सोचती है .इसी सोच को बदलने के लिए सुपर मॉडल कैरोल ग्रासिअस ने रैंप पर अभिनेत्री स्वेता साल्वे और १२ प्रेग्नेंट महिलाओ के साथ वाक किया इसका उद्देश्य महिलाओ मैं जागरूकता फ़ैलाने का है कि माँ बनकर आप अपने मातृत्व का आनंद ले न कि घर पर छुपे बैठे रहे.बायो आयल द्वारा आयोजित इस इवेंट मैं कैरोल ने बताया कि जब मुझे माँ बनने की बात पता चली तो मुझे और मेरे पति को ख़ुशी का ठिकाना नहीं था,क्योंकि शादी के बाद ही उन्होंने बच्चे का ज़िक्र किया था पर मैंने ही उन्हें तीन साल तक ‘वेट’ करवाया .माँ बनने के बाद से  मैं डाक्टर की सलाह के आधार पर हर काम कर रही हूँ.नौ महीने काटना आसान नहीं होता .यह हमारे जीवन का एक पार्ट है .इसे आनंद के साथ बिताना ठीक होता है ताकि आप एक स्वस्थ बेबी डेलिवर कर सके .

आप प्रेगनेंसी को कितना एन्जॉय कर रही है ?पूछे जाने पर कैरोल बताती है कि शुरू –शुरू मैं थोड़ी कठिनाई आती थी ,क्योंकि प्रेग्नेंट होने के बाद पहले की कुछ महीनो मैं हारमोंस में बदलाव की वजह से तबियत बिगड़ गई थी. बाद मैं ठीक हो गई थी ,लेकिन मैं बहुत उत्साही हूँ .अभी मेरा सेवेन एंड हाफ मंथ चल रहा है.मैं अब हैप्पी फेज से गुजर रही हूँ.तैयारियां मैंने बहुत सारी कर रखी है.बच्चे के लिए कपडे ख़रीदे है ,मेरी ‘इन- लॉस’ और भाई ने कई सामान दिए है .धीरे-धीरे मैं अपना कलेक्शन बना रही हूँ. वह आगे कहती है कि हर प्रेगनेंसी अलग होती है और इस दौरान माँ को आज़ादी होनी चाहिए कि वह अपने मन मुताबिक काम करे .लेकिन अगर कोई समस्या है तो डाक्टर की राय के अनुसार ही काम करे.क्योंकि अंत मैं आप एक नयी लाइफ को जन्म दे रही हो .’बेबी बम्प’ कोई छुपाने वाली बात नहीं है .ये आपकी प्राइड है ,मैंने कई महिलाओ को अंत तक काम करते देखा है और अच्छा लगता है .अब मेरी ये लास्ट फ्लाइट है अब मैं कही जाउंगी नहीं ,इसके अलावा मैं अच्छा डाइट लेती हूँ ताकि मैं और बेबी स्वस्थ हो . बच्चा हो जाने पर कुछ करुँगी ,पर मॉडलिंग नहीं .

आजकल अधिकतर महिलाये शादी कर लेती है पर माँ नहीं बनना चाहती ,आप क्या कहना चाहेंगी ?इस प्रश्न के जवाब मे कैरोल कहती है कि किसी भी उम्र में महिला को अपने बॉडी की देखभाल करनी पड़ती है ,बच्चा हो या न हो उम्र होने पर भी आपको अपने बॉडी की देखभाल जरुरी है ,नहीं तो आपको कई समस्या आयेगी.इसलिए बच्चा होने पर आपका शरीर और अधिक अच्छा होता है ,क्योंकि आपको मातृत्व सुख मिलता है . कैरोल इन दिनों थोड़ी कुकिंग , बागवानी ,टहलना ,टीवी देखना आदि कर अपना दिन बिता रही है और बेसब्री से बच्चे का इंतजार कर रही

                                                                    

 

हमेशा साथ निभाएगी बैटरी

गैजेट्स आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं. इस के बिना हम अपनी लाइफ को अधूरा फील करते हैं. क्योकि इस के माध्यम से हम अपने दोस्तों से जुड़े होने के साथसाथ ऐप्स का भी मजा ले पाते हैं. स्मार्टफोन्स, टैबलेट्स, लैपटौप वगैरा पर नैट व ऐप्स का ज्यादा मजा लेने के लिए हमें बैटरी की भी ज्यादा जरूरत पड़ती है, जिस के लिए हम मार्केट से ऐसे गैजेट्स खरीदने की इच्छा रखते हैं जिस की बैटरी लंबे समय तक चल पाए. भले ही हम इस के लिए हजारों रुपए तक खर्च कर डालते हैं लेकिन फिर भी लौंग टाइम तक चलने वाली बैटरी हमें नहीं मिल पाती. सब से ज्यादा झुंझलाहट तब आती है जब हम कहीं बाहर गए होते हैं और वहां हमारे गैजेट की बैटरी खत्म हो जाती है.

ऐसे में दुखी होने और यह सोचने के कि जब हम ने इस गैजेट को खरीदा था तब तो इस की बैटरी ठीकठाक चल जाती थी लेकिन जैसेजैसे यह पुराना होता जा रहा है इस की क्षमता भी घटती जा रही है कुछ नहीं रह जाती.

ऐसे में आप की दोस्त स्मार्ट बैटरी आ रही है जो हर दम आप का पक्के दोस्त की तरह साथ देगी यानी ऐसी बैटरी जो कभी खत्म नहीं होगी. सुन कर भले ही आप को अजीब लगे लेकिन यह सच है. क्योंकि यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने प्रयोग की हुई बैटरी में गोल्ड नैनोवायर का प्रयोग कर बैटरी की उम्र कई लाख गुना बढ़ा दी है. असल में इस का श्रेय जाता है यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया से पीएचडी करने वाली मया ली थाई को. जिन्होंने अपने अथक प्रयास से वो चीज हासिल की जिसे बड़ेबड़े वैज्ञानिक भी हासिल नहीं कर पाए. उन्होंने बैटरी में नैनोवायर फिलामैंट लगाया. गोल्ड नैनोवायर को मैंगनीज डाइऔक्साइड में लगा कर उसे जेल इलैक्ट्रोलाइट जैसे प्लक्सीग्लास में रखा. इस दौरान उन्होंने पाया कि बैटरी की क्षमता को भी नुकसान नहीं पहुंचा और बैटरी की उम्र भी कई लाख गुना ज्यादा बढ़ गई. आप को बता दें कि अधिकांश स्मार्टफोन्स में स्टैंडर्ड लिथियम बैटरीज का यूज किया जाता है जिसे सिर्फ 300-500 बार ही चार्ज किया जा सकता है. क्योंकि लगातार चार्ज करने के कारण ये बैटरीज अपनी क्षमता खो देती हैं. लेकिन थाई के कोटिड नैनोवायर के जेल में इस्तेमाल करने से इस की चार्ज कैपिसिटी बढ़ गई यानी इसे 2 लाख से भी अधिक बार चार्ज किया जा सकता है. तो अब आप को बैटरी खत्म होने की टैंशन लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस तकनीक से बनी रिचार्जेबल बैटरी जीवनभर चलेगी.

रिचा चड्ढा का डर

फिल्म ‘‘गैंग आफ वासेपुर’’से चर्चा में आयी अदाकारा रिचा चड्ढा ने उसके बाद से कई तरह के किरदार निभाए है.उन्होेने संजय लीला भंसाली की फिल्म‘‘गोलियां की रासलीलाः रामलीला’’में ग्लैमरस किरदार भी निभाया था. मगर लोगों के दिलो दिमाग में उनकी देहाती छवि ही अंकित है. लोगो ने उन्हे फिल्म ‘मसान’ में भी देहाती लुक में देखा, जिसके लिए रिचा को कई अवार्ड भी मिल गए. इन दिनों रिचा चड्ढा का फिल्म‘‘सरबजीत’’का देहाती लुक लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है. सभी को पता है कि 20 मई को रिलीज होेने वाली फिल्म‘‘सरबजीत’’में रिचा चड्ढा ने सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत का किरदार निभाया है. यॅूं तो एक कलाकार के लिए यह अच्छी बात कही जाती है कि उसकी फिल्म के रिलीज से पहले ही उसकी छवि चर्चा में हो. लेकिन अपनी देहाती छवि की वजह से रिचा चड्ढा काफी परेशान हैं. क्योंकि उन्हे डर सता रहा  है कि उनकी इस देहाती छवि का खामियाजा उनकी 27 मई को रिलीज होने वाली दूसरी फिल्म ‘‘कैबरे’’को भुगतना पड़ सकता है जाए. जिसमें उन्होने अतिग्लैमरस डांसर का किरदार निभाया है.
जब हमने रिचा चड्ढा का ध्यान एक सप्ताह के अंतराल में रिलीज हो रही उनकी दो फिल्मों की तरफ दिलाया,तो रिचा चड्ढा ने कहा-‘‘मैं इस बात से उत्साहित हॅं. मैने ‘सरबजीत’और‘कैबरे’दोनो फिल्मों में एकदम विपरीत किरदार निभाए हैं. मगर मुझे लग रहा है कि कहीं ‘कैबरे’को नुकसान न हो जाए .मैं आपको एक मजेदार किस्सा बताती हूं. एक दिन मैं ऐसे ही तैयार हो कर बाहर निकली,तो मेरी इमारत में रहने वाले एक अंकलजी मुझसे मिले और मुझे मेरी आने वाली फिल्म‘‘कैबरे’’के लिए शुभकामनाएं देने के बाद कहा-‘‘दिखने में तुम्हारी जैसी लगने वाली एक लड़की की फिल्म ‘सरबजीत’,तुम्हारी फिल्म ‘कैबरे’से एक सप्ताह पहले रिलीज होने वाली है. एकदम देहाती लगती है. यह वही लड़की है,जिसने फिल्म‘गैंग आफ वासेपुर’ में बुढ़िया का किरदार निभाया था.’’मैंने उनसे पूछा कि वह अभिनेत्री कैसी है? इस पर अंकल ने कहा-‘‘बहुत अच्छा अभिनय करती है.’’दूसरे दिन वाॅकिंग करते समय उनकी पत्नी मिली,तो मैंने उनसे कहा कि अंकल को बता देना कि फिल्म ‘सरबजीत’में देहाती लड़की मैं ही हूं.’’यह एक अच्छी बात है.पर मैं चाहती हूं कि लोग ‘सरबजीत’देखने के बाद ‘कैबरे’ देखने आएं.
 

सनी लियोनी को मात देने पहुँची अष्ले इम्मा

ब्रिटिश मूल की माॅडल व पाॅर्न स्टार सनी लियोनी के लिए बॉलीवुड में खतरे की घंटी बज गयी है. इस खतरे की घंटी को बजाने का काम किया है ब्रिटिश मूल की मशहूर हाॅट माॅडल व अभिनेत्री अष्ले इम्मा ने. जी हाॅ! इंग्लैंड में हाॅट अभिनेत्री के रूप में अपनी एक पहचान बना चुकी अष्ले इम्मा अब बौलीवुड में दस्तक देने जा रही हैं. अष्ले इम्मा ने हाल ही में मुंबई में एक हिंदी म्यूजिक वीडियो ‘‘घाटी ट्रांस’के लिए मराठी भाषी फिल्मों व टीवी के चर्चित कलाकार पुष्कर जोग के साथ शुटिंग की है. संगीतकार सचिन गुप्ता के निर्देशन में जसप्रीत जाज और सोनू कक्कड़ की आवाज में रिकार्ड किए गए इस गीत के म्यूजिक वीडियो को मशहूर नृत्य निर्देशक रेमो डिसूजा के सहायक एंडी ने फिल्माया है. वैसे यह म्यूजिक वीडियो पुष्कर जोग की दिमागी उपज है. वह बताते हैं-‘‘मराठी में घाटी शब्द बहुत प्रचलित है. जिसे हमने हिंदी गाने में बड़ी खूबसूरती से उपयोग किया है.’’

उधर अष्ले इम्मा का भारत से वापस जाने का इरादा नहीं है. वह बौलीवुड में अपने अभिनय करियर की संभावनाओं को तलाषने में लगी हुई हैं. भारतीय फिल्मों की पहुॅच अब पूरे विष्व में हो गयी है. भारतीय हिंदी फिल्मों की सबसे बडी खासियत गीत संगीत व लार्जर देन लाइफ पात्र हैं. मुझे भी लार्जर देन लाइफ और ग्लैमरस गाने हमेश भाते रहे हैं. अब म्यूजिक वीडियो ‘‘घटी ट्रांस’’से मैने यहाॅं कदम रख दिया है. मुझे उम्मीद है कि इस म्यूजिक वीडियो के रिलीज होते ही मुझे बौलीवुड फिल्में मिलने लगेगी. मैं यहां किसी के लिए प्रतिस्पर्धी बनकर नहीं आयी हॅूं.’’

जब किसिंग सीन को लेकर भड़क उठी काजल अग्रवाल

दक्षिण भारत की तमिल व तेलगू में फिल्मों में अभिनय करते हुए वहाॅं की सुपर स्टार बन जाने वाली काजल अग्रवाल मूलतः पंजाबी और मंबई की रहने वाली है. वह अजय देवगन के साथ रोहित शेट्टी निर्देषित हिंदी फिल्म‘‘सिंघम’’के अलावा अक्षय कुमार के साथ हंदी फिल्म ‘‘स्पेशल 26’’भी कर चुकी हैं. लेकिन अभी तक उन्होने एक सीमा रेखा खींच रखी है. अब तक काजल अग्रवाल ने किसी भी फिल्म में किसिंग या इंटीमसी के सीन नहीं किए. वह खुद कहती हैं-‘‘मुझे हिंदी फिल्मों में बहुत से प्रयोग करने हैं. मैं हास्य, एक्षन,रोमांटिक सहित हर तरह के किरदार निभाना चाहूंगी. लेकिन मेरी अपनी कुछ सीमाएं हैं. इन सीमाओं को मैं कभी नहीं तोडूंगी. मैं ज्यादा एक्सपोजर या इंटीमसी के दृष्यों के सख्त खिलाफ हूं.’’

यही वजह है कि जब दीपक तिजोरी के निर्देशन में बन रही फिल्म‘‘दो लफ्जों की कहानी’’की मलेशिया में शुटिंग के दौरान एक सीन में अभिनेता रणदीप हुडा ने अचानक कैमरे के सामने काजल अग्रवाल को ‘किस’कर लिया, तो काजल अग्रवाल भड़क गयी. सूत्र बताते हं कि काजल अग्रवाल ने तुरंत शुटिंग रूकवायी और दीपक तिजोरी से कहा कि वह इस सीन को फिल्म से हमेषा के लिए हटा दें. सूत्र की माने तो उस वक्त दीपक तिजोरी ने काजल को कुछ आष्वासन देते हुए शुटिंग करने के लिए राजी कर लिया था. लेकिन अब यह किसिंग सीन काजल अग्रवाल व दीपक तिजोरी के लिए गले की फंस बना हुआ है. क्योंकि दीपक तिजोरी के अनुसार यह किसिंग सीन फिल्म की विषयवस्तु के लिए बहुत अहम है. जबकि काजल अग्रवाल इसे हटाने पर जोर दे रही है. अब देखना यह है कि अंतिम फैसला क्या होता है.

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