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नोटबंदी और जीएसटी के बाद उलझन में आम व्यापारी

नोटबंदी और जीएसटी के साथसाथ भारीभरकम एनफोर्समैंट डायरैक्टोरेट की आयकर छापेमारी, गौरक्षकों की मनमानी, रोज बदलते सरकारी नियमों और भय के वातावरण में इंडियन सैल्युलर एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने भारत को व्यापार करने के लिए सब से बुरा देश करार दिया है. नरेंद्र मोदी की विजय के पीछे व्यापारियों की पूरी जमात का खुलाछिपा सहयोग व समर्थन था. वे भाजपा व आरएसएस द्वारा किए गए धर्मराज/रामराज के सुहावने सपने से भ्रमित हो कर भगवा सरकार का प्रयोग करने को बेचैन थे.

अब राज पूरी तरह भगवाइयों के हाथों में आ गया है. इतिहास साक्षी है कि ब्राह्मणों, ऋषिमुनियों, पंडितों को व्यापारी कभी पसंद नहीं आए. हमारे धर्मग्रंथों में ऐसी कहानियां भरी हैं जिन में व्यवसायियों को बुरी तरह दुत्कारा गया है. उन्हें पैसा कमाने के पाप से मुक्ति पाने के लिए बारबार दान देने की सलाह दी गई है.

नए गुड्स ऐंड सर्विसेज ऐक्ट में व्यापारियों पर भारी जुर्मानों और कैद के प्रावधान हैं और हर अफसर को अपार अधिकार दिए गए हैं. यह मान कर चला गया है कि स्वामियों की तरह हर सरकारी अफसर दूध की तरह धुला है जबकि हर व्यापारी बेईमानी के काजल से लिपापुता है.

सरकार कहने को तो हर रोज व्यापार को सुविधाजनक बनाने का वचन देती है पर असल में होता उलटा है. व्यापार चलाना आजकल चारधाम की यात्रा की तरह हो गया है जिस में संकट और खतरे हर पक्ष पर हैं और जब ध्येय पर पहुंच जाओ तो धक्कामुक्की, पुजारियों की डांटफटकार सहने के बाद और मूर्तियों के आगे सैकड़ों का दर्शन पा कर व्यापारीभक्त तृप्त होता है.

ऐसा ही व्यापार चलाने में हो रहा है. पगपग पर अनुमतियां चाहिए. पहले फाइलों के अंबारों से अपने काम निकलवाने होते थे, अब कंप्यूटरों ने उन की जगह ले ली है जिन का सौफ्टवेयर बेहद एकतरफा है, जिस में लचीलापन बिलकुल नहीं है. केवल कुछ चहेते व्यवसायियों को छोड़ कर सब के लिए व्यापार करना कठिन होता जा रहा है.

नोटबंदी के बाद जीएसटी का कानून लाखों छोटे व्यापारियों को नष्ट कर देगा और यह देश की सदियों से बनी व्यापारिक परंपरा को तोड़ देगा. देश का व्यापार कुछ सौ हाथों में सिमट जाएगा. मध्य दरजे के ज्यादातर व्यापारी व उद्योगपति बड़ों के दरबारों के चाटुकार बन कर रह जाएंगे. व्यापार कुशलता नहीं, बल्कि भक्ति और समर्थन इस देश में बिजनैस सैंस बनेंगे, इस का आभास होने भी लगा है. जबजब देश पर विदेशियों ने कब्जा किया, इस देश की अंदरूनी हालत कुछ ऐसी ही थी. आज सिर्फ इतिहास को दोहराया जा रहा है.

संकट से जूझ रहे हैं इंजीनियरिंग कालेज

इंजीनियरिंग हमेशा ही एक प्रशिक्षित पेशा रहा है. हर मातापिता का सपना बच्चे को इंजीनियर या डाक्टर बनाने का रहा है. लेकिन आज इस अवधारणा को धक्का लगता नजर आ रहा है.

लोग बच्चों को इंजीनियर बनाने के बजाय किसी और पेशे में भेजना चाहते हैं.

जिन के बच्चे इंजीनियरिंग कर रहे हैं वे इसे महज स्नातक डिगरी के लिए पढ़ा रहे हैं और कंपीटिशन के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के रूप में ले रहे हैं.

पहले इक्कादुक्का बच्चा इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता सुना जाता था लेकिन अब बाढ़ जैसी आ गई है.

हर बच्चा बीटैक करता नजर आ रहा है. यह सब ठीक है. नौकरी के अवसर इन बच्चों के लिए अब भी कम नहीं हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. प्रतिभाशाली बच्चे नौकरी कर रहे हैं और अच्छा वेतन पा रहे हैं लेकिन ज्यादातर खाली हैं.

कारण, इंजीनियरिंग की डिगरी के बाद भी छात्रों का ज्ञान शून्य है. अंगरेजी बिलकुल नहीं आती और अब बीटैक की पढ़ाई कर बेरोजगार हैं.

इस हालत के लिए जिम्मेदार कुक्करमुत्तों की तरह खुले इंजीनियरिंग कालेज हैं. वहां पढ़ाई नहीं होती और ढांचागत व्यवस्था चौपट है. इसलिए बच्चे बेकार निकल रहे हैं.

भ्रष्टाचार के कारण इंजीनियरिंग कालेज कुकरमुत्तों की तरह खुलते गए और अब हालात यह है कि इस साल औल इंडिया काउंसिल फौर टैक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) को डेढ़दो सौ संस्थान बंद करने के आदेश देने पड़ रहे हैं.

करीब 1 हजार संस्थान जल्दी ही बंद होने के कगार पर हैं. सैकड़ों कालेज ऐसे हैं जहां न अच्छे शिक्षक हैं और न ही अच्छे छात्र. कई इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले ही नहीं हुए हैं.

यह स्थिति दुखद है लेकिन ये हालात सरकार ने ही पैदा किए हैं. जो संस्थान मानक के अनुसार नहीं थे उन्हें खोलने की अनुमति क्यों दी गई?

अनुमति देने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए. सरकारी संस्थानों की हालत भी सुधारी जानी चाहिए और योग्य शिक्षक रख कर इस पेशे की प्रतिष्ठा को बहाल किया जाना चाहिए.

डोकलाम विवाद सुलझने का बाजार पर अच्छा असर

बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई पर सितंबर के आखिरी सप्ताह में देश की दूसरी प्रमुख सूचना तकनीक कंपनी इंफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल सिक्का के इस्तीफे और उन की जगह नंदन नीलेकणी की ताजपोशी का असर रहा और 27 अगस्त को बाजार 2 सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया. लेकिन उस के बाद सूचकांक में तेजी शुरू हो गई. इसी बीच, उत्तर कोरिया ने हाइड्रो बम का परीक्षण किया और इस से वैश्विक तनाव बढ़ गया जिस का सीधा असर बीएसई पर देखने को मिला.

इस बीच चीन में भारत, ब्राजील, रूस, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स की शिखर बैठक हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस में शिरकत की. इसी दौरान भारत व चीन के बीच 2 महीनों से चल रहा डोकलाम विवाद समाप्त हो गया. शेयर बाजार ने इस का जोरदार स्वागत किया और बाजार में उत्साह का माहौल रहा व जम कर कारोबार हुआ. इन सब स्थितियों के बावजूद सितंबर के पहले सप्ताह में सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई. हालांकि डोकलाम विवाद के सुलझने से निवेशकों का मनोबल मजबूत है. सितंबर के पहले सप्ताह में बाजार रिकौर्ड तेजी पर बंद हुआ.

मोबाइल सेवाप्रदाता कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी

आम भारतीय के लिए बाजार में सर्वाधिक प्रतिस्पर्धा मोबाइल फोन सेवाप्रदाताओं के बीच है और इस का सीधा फायदा देश के जनसामान्य को मिल रहा है. आम आदमी को मोबाइल सेवा का यह लाभ दिलाने का सेहरा रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी के सिर बंध रहा है. पहले उन्होंने कौलदरों में कमी कर के बाजार को प्रतिस्पर्धी बनाया और मिस्डकौल के आदी बने कई लोगों को अत्यधिक कम दाम पर सेवा उपलब्ध कराई. इस के चलते बाजार की सभी सेवाप्रदाता कंपनियां प्रतिस्पर्धा में आ गईं. अब मोबाइल का प्रचलन बढ़ा है तो इंटरनैट की दर बहुत ज्यादा थी.

पिछले वर्ष जिओ रिलायंस ने इंटरनैट निशुक्ल जारी किया तो लोग फ्री इंटरनैट की सुविधा पाने के लिए रिलायंस जिओ की तरफ भागने लगे. अपना ग्राहक आधार कम होते देख सभी प्रमुख कंपनियों ने इंटरनैट की दरें घटानी शुरू कर दीं. बाजार में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा हो गई लेकिन जिओ की बाजार हिस्सेदारी जून तक चौथे स्थान पर है.

एअरटेल 23.65 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पहले, वोडाफोन 17.86 दूसरे तथा 16.54 फीसदी के साथ आइडिया तीसरे स्थान पर है. सरकारी क्षेत्र की बीएसएनएल 8.78 प्रतिशत के साथ 5वें स्थान पर है. उस के बाद एअरसेल, रिलायंस टैलीविक्स, टाटा, सिस्टेम हैं. सरकारी क्षेत्र का एमटीएनएल 0.31 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सब से निचले स्तर पर है. एमटीएनएल सार्वजनिक क्षेत्र का सफेद हाथी है. दूसरी सेवाएं उपभोक्ता को रुलाती हैं, नखरे यह कि वे अभी 100 रुपए में आधा जीबी डाटा दे रही हैं. इसी तरह से बीएसएनएल भी उम्मीद से बहुत कम है. बीएसएनएल की सेवाएं एमटीएनएल से कई गुना अच्छी हैं. बिना प्रतिस्पर्धा का एमटीएनएल खुद को घाटे में बताता है जबकि भारती एअरसेल जबरदस्त प्रतिस्पर्धा के बावजूद पहले स्थान पर है और वह भी अच्छे अंतर के साथ इस स्थान पर है.

खाना बनाना हुआ महंगा, फिर बढ़े गैस सिलेंडरों के दाम

तेल बांटने वाली सबसे बड़ी कंपनी इंडियन औयल कौर्पोरेशन के मुताबिक अब दिल्ली में सब्सिडी वाला रसोई गैस सिलेंडर 491.13 रुपये में मिलेगा, जबकि बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर का मूल्य 649 रुपये हो गया है. वहीं मुंबई में सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर 493.80 रुपये, कोलकाता में 493.83 रुपये और चेन्नई में 479.11 रुपये हो गया है.

रसोई गैस पर सब्सिडी खत्म करने की दिशा में बढ़ रही सरकार ने एक बार फिर गैस सिलेंडर के दाम बढ़ा दिये हैं. सब्सिडी वाले सिलेंडर में डेढ़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है, जबकि बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर का दामों में 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. इससे पहले 1 सितंबर को भी गैस सिलेंडर के दाम सात रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ाये गये थे.

इसके साथ ही रविवार को विमान ईंधन की कीमतों में भी 6 फीसदी यानि 3,025 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है. अब दिल्ली में विमान ईंधन की कीमत 53,045 रुपये प्रति एक हजार लीटर हो गई है. वहीं मुंबई में इसकी कीमत 52,318 रुपये, चेन्नई में 55,770 रुपये और कोलकाता में 57,337 रुपये प्रति एक हजार लीटर हो गया है. बता दें कि अगस्त के बाद से विमान ईंधन की कीमतों में ये लगातार तीसरी बार बढ़ोतरी की गई है.

कंपनी का कहना है कि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी होने के कारण तेल और विमान ईंधन की कीमतों में ये वृद्धि की गई है. बता दें कि तेल विपणन कंपनियां हर महीने की 1 तारीख को रसोई गैस और विमान ईंधन की कीमतों की समीक्षा करती हैं, उसके बाद ही तेल की ईंधन की कीमतें बढ़ाई या घटाई जाती हैं.

दरअसल सरकार ने अगस्त महीने में सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत अगले साल मार्च तक हर महीने चार रुपये बढ़ाने की घोषणा की थी. सरकार का कहना है कि इसका मकसद मार्च 2018 तक घरेलू सिलेंडरों पर मिलने वाली छूट को खत्‍म करना है, इसलिये सिलेंडरों के दामों में बढ़ोतरी की जा रही है.

यूट्यूब के ये शार्टकट्स बना देंगे आपके काम को और भी आसान

आज म्यूजिक सुनना हो, फिल्म या कोई और वीडियो देखना हो, यूट्यूब वीडियो स्ट्रीमिंग का सबसे आसान माध्यम है. लोग घंटों इस साइट पर वीडियो देखने में समय बिताते हैं. परंतु क्या आपको मालूम है कि आपके कंप्यूटर या लैपटाप के कीबोर्ड में कई ऐसे शार्टकट्स होते हैं, जिनकी मदद से आप बिना माउस को हाथ लगाए ही यूट्यूब वीडियो को कंट्रोल कर सकते हैं. इतना ही नहीं, ये शार्टकट्स वक्त बचाने में भी सहायक हैं. अपने लैपटाप या डेस्कटाप के कीबोर्ड शार्टकट्स से ही आप वीडियो को पौज, फौरवर्ड, रिवर्स सहित कई अन्य कार्यों को कर सकते हैं. आइए जानते हैं यूट्यूब के शार्टकट्स के बारे में.

टैब से कंट्रोल करें

यूट्यूब में आप टैब बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं. टैब बटन का इस्तेमाल आप किसी फीचर को सलेक्ट करने के लिए कर सकते हैं. जैसे- प्ले, पौज, वौल्यूम, फूल स्क्रीन, शेयर, लाइक और कमेंट, एक-एक कर आप सभी फीचर्स पर जा सकते हैं. यदि आप पीछे के फीचर्स को सलेक्ट करना चाहते हैं तो टैब का उपयोग शिफ्ट बटन के साथ करें.

फौरवर्ड और बैक करना

कीबोर्ड पर बने ‘J’ और ‘L’ बटन का इस्तेमाल करके आप वीडियो को फौरवर्ड और बैक कर सकते हैं. ‘J’ बटन से आप वीडियो को बैक कर सकते हैं. जबकि ‘L’ बटन से आप वीडियो को फौरवर्ड कर सकते हैं.

यूट्यूब वीडियो को 5 सेकेंड फौरवर्ड व बैक करना चाहते हैं तो कीबोर्ड पर ऐरो बटन आपकी मदद कर सकता है. पीछे करने के लिए बाएं ऐरो और आगे करने के लिए दाएं ऐरो का इस्तेमाल कर सकते हैं.

एक ही बार में करें ज्यादा फौरवर्ड और बैक

अगर आप वीडियो को देखते समय काफी आगे या काफी पीछे पहुंच गए हैं तो इसके लिए आप कीबोर्ड के नंबर ‘1’ का इस्तेमाल कर सकते हैं. जबकि नंबर ‘9’ को क्लिक करके आप 90 फीसदी तक आगे आ सकते हैं.

प्ले/पौज

जब भी हम यूट्यूब पर कोई वीडियो देखते हैं तो उसे बीच में रोकने के लिए हम स्पेस को क्सिक करते हैं लेकिन आपको शायद ही पता होगा कि कि आप ‘K’ बटन को क्लिक करके भी वीडियो को प्ले या पौज कर सकते हैं.

स्लो मोशन

अगर आप किसी वीडियो को स्लो मोशन में देखना चाहते हैं तो इसके लिए आप ‘K’ बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

रिस्टार्ट करने के लिए

वीडियो को रिस्टार्ट करने के लिए आप ‘0’ बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

कैप्शन बंद करने के लिए

कैप्शन बंद करने के लिए आप ‘B’ बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी तरह कैप्शन के फौन्ट को घटाने या बढ़ाने के लिए “—” या “+” का उपयोग किया जा सकता है.

वाल्यूम कंट्रोल करने के लिए

कीबोर्ड के ऐरो का अप और डाउन बटन को प्रेस कर वाल्यूम को कंट्रोल कर सकते हैं. इसी तरह म्यूट करने के लिए “M” बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

फुल स्क्रीन

वीडियो को फुल मोड में देखने के लिए आप कीबोर्ड के स्केप बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी तरह एक्जिट के लिए भी स्केप बटन ही काम करेगा.

पाक के खिलाफ मैच में इस बौलर ने तोड़ा कपिल देव का रिकार्ड

श्रीलंका के बांये हाथ के स्पिनर रंगना हेराथ ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में 6 विकेट झटककर टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट हासिल कर ली है. इसकी बदौलत श्रीलंका ने सोमवार (2 अक्टूबर) को आबूधाबी में खेले गए पहले टेस्ट में पाकिस्तान को 21 रन हरा दिया.

हेराथ ने 43 रन में छह विकेट हासिल किए. इस तरह वह टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट झटकने वाले श्रीलंका के दूसरे गेंदबाज बन गए. पांचवें दिन पाकिस्तान की टीम जीत के लिये 136 रन के आसान लक्ष्य का पीछा करते हुए दूसरी पारी में महज 114 रन पर सिमट गई.

इस जीत में रंगना हेराथ का सबसे बड़ा हाथ रहा. रंगना ने इसके अलावा एक और रिकौर्ड बनाते हुए कपिल देव का रिकौर्ड तोड़ दिया. इस मैच में लिए गए छह विकेटों की मदद से रंगना हेराथ ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक कुल 101 विकेट लिए हैं. इस तरह दुनिया में पाकिस्तान के खिलाफ सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की श्रेणी में वह पहले नंबर पर आ गए हैं.

इससे पहले पाकिस्तान के खिलाफ सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकौर्ड भारत के महान औलराउंडर कपिल देव के नाम पर था. कपिल ने पाकिस्तान के खिलाफ पूरे करिअर में कुल 99 विकेट लिए थे. कपिल के बाद इस लिस्ट में औस्ट्रेलिया के जादुई स्पिनर शेन वौर्न का नाम आता है. शेन वौर्न ने पाकिस्तान के खिलाफ 90 विकेट लिए. भारत के सर्वश्रेष्ठ लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने अपने करिअर में 81 विकेट लिए. इसमें कुंबले की वह पारी भी शामिल है, जिसमें उन्होंने एक ही पारी में पाकिस्तान के 10 खिलाड़ियों को आउट किया था.

एक इतिहास की सेवानिवृत्ति

देश के सब से वरिष्ठ और विवादित अधिवक्ता राम जेठमलानी ने वकालत से संन्यास लेने की घोषणा कर दी लेकिन कोई हाहाकार नहीं मचा. हाहाकार मचाने के लिए उन्होंने यह ऐलान किया है कि वे अब नेताओं की नाक में दम करेंगे. अपने इस ऐलान का विमोचन करते उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी वादे पूरे न करने के बाबत पत्र भी लिख दिया है. बहाव के विपरीत चलने वाले 94 वर्षीय इस दिग्गज वकील के नाम कई रिकौर्ड दर्ज हैं. मसलन, उन्होंने महज 17 साल की उम्र में ही एलएलबी की डिगरी ले ली थी और जितनी आजकल मनुष्य की औसत आयु होती है उस से कहीं ज्यादा उन्हें वकालत करने का तजरबा है.

जेठमलानी की कुछ सनकों को छोड़ दें तो बिलाशक वे एक कामयाब और नायाब वकील रहे हैं जिन के तर्कों और प्रतिभा के आगे अदालतें भी सिर झुकाती थीं. अब देखना दिलचस्प होगा कि वे मोदी की नाक में कितना दम कर पाते हैं. इंदिरा गांधी के हत्यारों की पैरवी से ले कर हालिया जेटली-केजरी विवाद तक सुर्खियों में रहने वाले जेठमलानी से एक सबक यह भी लिया जा सकता है कि उम्र को हावी न होने दिया जाए तो आप खुद की उपयोगिता बनाए रख सकते हैं.

संग्रहालय का स्यापा

इंदिरा गांधी वाले आपातकाल में अच्छेअच्छे वक्ताओं की घिग्घी बंध गई थी. इंदिरा गांधी की तानाशाही पर बिना डरे जिन्होंने विरोध दर्ज कराया था, दुष्यंत कुमार त्यागी उन में से एक थे. दुष्यंत कुमार को हिंदी गजलों का गालिब कहा जाता है. उस दौर में उन्होंने जो गजलें कहीं वे आज भी गजलप्रेमियों के जेहन में संग्रहित हैं. इन दिनों जाने क्यों कइयों ने दोबारा उन की गजलों को याद करना शुरू कर दिया है.

दुष्यंत भोपाल के जिस सरकारी मकान में रहते थे उसे, स्मार्ट सिटी बनाने के लिए, प्रदेश सरकार ने जमींदोज कर दिया और दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय को तोड़ने के लिए सरकार भी आमादा हो आई तो साहित्यकार, कलाकार, पत्रकार और बुद्धिजीवी तिलमिलाते सड़कों पर आ गए. और संग्रहालय न तोड़ने की मांग करने लगे. इन्हें कौन समझाए कि इन संग्रहालयों, धरोहरों, मूर्तियों और स्मारकों में झांकने भी कोई नहीं जाता.

हानि के बाद ग्लानि

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की ग्लानि और अपराधबोध आखिरकार दिल चीर कर जबां तक आ ही गए. उन्होंने देर से ही सही, सरेआम कह दिया कि नोटबंदी का सरकार का फैसला देशहित का नहीं था. यह बात राजन गोलमोल कर गए कि अगर वे सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं थे तो क्यों उन्होंने इस मूर्खतापूर्ण फैसले का वक्त रहते विरोध नहीं किया. निसंदेह राजन ने इस्तीफा दे कर अपने स्वाभिमान की रक्षा कर ली थी पर उन की तब की तटस्थता की कीमत अब देश चुका रहा है.

नोटबंदी एक अहम घटना थी जिस के दीर्घकालिक नतीजे जब तक आएंगे तब तक लोग राजन को भूल चुके होंगे पर नरेंद्र मोदी को माफ कर पाएंगे, ऐसा कहने की कोई वजह नहीं.

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