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केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के 68 दिन के नियम पर उठ रहे हैं सवाल

‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने जब से किसी भी फिल्म को पारित करने के लिए ‘‘सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952’’ की धारा 41 का सख्ती से पालन करते हुए फिल्म के सेंसर प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के 68 दिन बाद सेंसर प्रमाण पत्र देने का ऐलान किया है, तब से बौलीवुड में एक नई बहस शुरू हो गयी है.

भारतीय सिनेमा से जुड़ा हर फिल्मकार यह तो मानता है कि ऐसा नियम 1952 से ही था. कई निर्माताओं का मानना है कि फिल्म निर्माण बहुत कठिन काम है. यह रचनात्मक दबाव के साथ ही अति खर्चीला मसला है. इसलिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अफसर अब तक फिल्म निर्माताओं की तकलीफ को समझकर, मानवता के आधार पर 68 दिन के नियम का सख्ती से पालन नहीं कर रहे थे. तो अब ऐसा करने से उन्हें परहेज क्यों हो रहा है?

जबकि कुछ फिल्म निर्माता राम रहीम की फिल्म‘मैसेंजर आफ गौड’का उदाहरण देते हुए ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’पर सवाल उठा रहे हैं कि कैसे कुछ फिल्में सिर्फ एक दिन के अंदर सेंसर से पारित की गयी थी. अब लोग सवाल कर रहे हैं कि सेंसर बोर्ड उन फिल्मों के नाम बताए, जिन्हें 68 दिन के नियम का पालन करते हुए सेंसर प्रमाणपत्र दिया गया हो.

इतना ही नहीं केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के इस नियम के चलते हौलीवुड के फिल्मकारों के भी हाथ पांव फूल गए हैं. अब हर किसी को अपनी प्रदर्शन योग्य फिल्म के भविष्य को लेकर आशंकाओं ने घेर लिया है. कई हौलीवुड फिल्मों के वितरण और बौलीवुड फिल्मों के निर्माण व वितरण से जुड़े एक स्टूडियो के अधिकारी इस बात को स्वीकार करते हुए कि 68 दिन का नियम था, कहते हैं, ‘‘68 दिन का नियम था. मगर अब तक हम सभी यह मानकर अपनी फिल्में सेंसर बोर्ड के पास 21 दिन पहले भेजते रहे हैं कि फिल्म को सेंसर प्रमाण पत्र मिल जाएगा और अब तक ऐसा होता भी रहा है.’’

तो वहीं तमाम फिल्मकार ‘‘सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952’’ का हवाला देते हुए यह भी कह रहे हैं कि इस नियम के तहत‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’के अध्यक्ष अपने विवेक से 68 दिन के इस नियम को अनदेखा कर सकते हैं. तो फिर अब प्रसून जोशी क्यों 68 दिन के नियम पर सख्ती बरत रहे हैं.

तो अब राजकुमार राव हौरर कौमेडी फिल्म करेंगे..!

सैफ अली खान के साथ मिलकर कई फिल्मों का निर्माण करने के बाद दिनेश वीजन अब सैफ अली से अलग होकर अपने बैनर के तहत फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं. उनके अपने बैनर की पहली फिल्म ‘‘राब्ता’’ ने भले ही बौक्स आफिस पर असफल रही हो, मगर दिनेश वीजन निराश नही हैं. वह अब एक हौरर कौमेडी फिल्म ‘‘स्प्री’’ का निर्माण करने जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो फिल्म ‘राब्ता’ में राजकुमार ने स्पेशल अपियरेंस के तहत एक छोटा किरदार निभाया था. इस छोटे से किरदार में राजकुमार राव की परफार्मेंस से दिनेश वीजन इस कदर प्रभावित हुए कि अब वह अपनी इस हौरर कौमेडी फिल्म ‘‘स्प्री’’ का हीरो राजकुमार राव को बना रहे हैं.

राजकुमार राव यह स्वीकार करते हैं कि उनके पास एक हौरर कौमेडी फिल्म का औफर आया है, जिसका प्लौट काफी खूबसूरत है. मगर वह यह फिल्म कर रहे हैं या नहीं, इस पर वह अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं.

उधर सूत्र दावा कर रहे हैं कि दिनेश वीजन की यह फिल्म बन रही है और इसमें हीरो राजकुमार राव हैं.

30 सेकेंड में बुक करें कंफर्म तत्काल टिकट, जानें पूरी प्रक्रिया

कहीं जाने के लिए अगर ट्रेन यात्रा करने की बात आती है तो सबसे बड़ी समस्या कन्फर्म टिकट की होती है. कंफर्म टिकट मिलना जंग जीतने जैसा होता है. घंटो रेलवे टिकट काउंटर के सामने लाइनों में खड़े रहते हैं या फिर आईआरसीटीसी की साइट पर टिकट के लिए माथापच्ची करते हैं, लेकिन कंफर्म टिकट मिलना आसान नहीं होता.

संयोगवश आपने महीनों पहले कहीं जाने के लिए टिकट बुक करा रखी है, और आपका टिकट अभी आरएसी या फिर वेटिंग में ही है, तो हम आपको कंफर्म तत्काल टिकट बुक करने का एक आसान उपाय बताने जा रहे हैं.

इस उपाय के जरिए आप चंद मिनटों में ही अपना टिकट कन्फर्म बुक करा सकते हैं. जी हां, हम तत्काल टिकट बुकिंग की बात कर रहे हैं. आज आपको तत्काल टिकट बुंकिंग करने से लेकर ​कैंसिल कराने तक की सभी अहम जानकारियां उपलब्ध कराने जा रहे हैं.

एसी-स्लीपर में ​तत्काल टिकट बुक करने की अवधि

अगर आप एसी तत्काल टिकट से सफर करना चाहते हैं, तो आप यात्रा से ​ठीक एक दिन पहले सुबह दस बजे से 11 बजे के बीच अपना टिकट बुक करा सकते हैं. स्लीपर तत्काल टिकट बुक कराने के लिए सुबह 11 बजे से समय निर्धारित है.

एक आईडी पर दो तत्काल टिकट

घर बैठे तत्काल टिकट बुक कराते हैं तो एक आईडी से दो तत्काल टिकट बुक करा सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक तत्काल टिकट के जरिए अधिकतम चार यात्री आसानी से यात्रा कर सकते हैं. इनमें से कुछ यात्रियों की टिकट कन्फर्म है या आरएसी में है, तो बाकी यात्री भी ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं.

रेलवे नियमानुसार यदि आपका तत्काल टिकट कन्फर्म है और संयोगवश आपकी ट्रेन 3 घंटे से ज्यादा लेट है, ऐसी स्थिति में टिकट कैंसिल कराने पर पूरा पैसा आपके अकाउंट में वापस आ जाएगा.

तत्काल टिकट बुकिंग की पूरी प्रक्रिया

हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं, जिसके जरिए आप घर बैठे मात्र चंद मिनटों में अपना तत्काल टिकट कन्फर्म करा सकते हैं.

सबसे पहले गूगल पर आईआरसीटीसी मैजिक औटोफिल (IRCTC Magic Autofill) सर्च करके क्लिक करें इसके के बाद ऐड टू डेस्कटाप औपशन पर क्लिक करें.

ऐड टू डेक्सटाप पर क्लिक करते ही एक औप्शन खुलकर सामने आएगा, इसमें आप आईआरसीटीसी की यूजर आईडी और पासवर्ड एंटर करें. इसके बाद आप यात्रा की तारीख और कहां से कहां तक जाना है तथा उस ट्रेन का नाम लिखें.

तत्पश्चात कोटा, नाम, उम्र, जेंडर तथा बर्थ से जुड़ी जानकारी भरें.

आगे के औप्शन में बोर्डिंग स्टेशन और मोबाइल नंबर एंटर करें.

अंत में उपरोक्त सभी डिटेल्स भरने के बाद सबमिट डिटेल्स पर क्लिक करें.

इसके बाद कैशे और डेबिट कार्ड का पासवर्ड डालते ही तत्काल टिकट बुक हो जाएगा.

आपको बता दें कि इस प्रक्रिया को पूरा होने में स्पीडी इंटरनेट के जरिए मात्र 30 सेकंड लगते हैं.

गूगल नहीं ये सर्च इंजन है ज्यादा सुरक्षित

आमतौर पर जो भी सर्च इंजन इस्तेमाल किया जाता है, वे सर्च की गई बातों को ट्रैक करते हैं, फिर आपके सर्च के हिसाब से विज्ञापन दिखाना शुरू कर देते है. अगर आप चाहते हैं कि सर्च इंजन न तो आपकी हिस्ट्री स्टोर करे और न ही आपके द्वारा सर्च किया जाने वाला कंटेंट तो आप इसके लिए प्राइवेट सर्च इंजन इस्तेमाल कर सकते हैं. बहुत से प्राइवेट सर्च इंजन ऐसे हैं, जो न तो आपके द्वारा सर्च की गई बातों को स्टोर करते हैं और न ही आपको ट्रैक करते हैं.

वोल्फरम अल्फा (WolframAlpha)

यह कंप्यूटेबल सर्च इंजन है, जो सटीक जवाब ढूंढता है. यह आपके द्वारा सर्च किए गए कौन्टेंट को स्टोर नहीं करता और न ही कुछ ट्रैक करता है. यह प्राइवेट सर्च इंजन इनबिल्ट ऐल्गौरिदम्स से कैलकुलेशन करता है और लोगों, हेल्थ, फिटनस, म्यूजिक और फिल्मों के बारे में काफी जानकारी रखता है.

गिबरू (Gibiru)

यह भी पूरी तरह से अनसेंसर्ड मगर एनक्रिप्टेड सर्च इजन है, जिसमें किसी भी थर्ड पार्टी डेटा लीक होने की गुंजाइश नहीं है. यह अन्य कई प्राइवेट सर्च इंजन्स से तेज चलता है, क्योंकि यह गूगल कस्टम सर्च को इस्तेमाल करता है. हालांकि यह गूगल द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी ट्रैकिंग मेथड्स को हटा देता है.

स्टार्ट पेज (Startpage)

स्टार्टपेज प्रौक्सी सर्वर के जरिए ब्राउजिंग का औप्शन देता है, जिससे वेबसाइट्स आपका आईपी अड्रेस या लोकेशन ट्रैक नहीं कर पातीं. इसे आप अपने ब्राउजर में ऐड कर सकते हैं और कलर थीम्स भी चुन सकते हैं.

प्राइवेटली (Privatelee)

प्राइवेटली की ‘पावरसर्च’ कमांड्स से आप अपना सर्च सोर्स व अन्य चीजें चुन सकते हैं. इसका एक और नाम Qrobe.it भी है.

यिप्पी (Yippy)

इसकी मदद से आप सर्च रिजल्ट को मैन्युअली फिल्टर कर सकते हैं. इस पर आप वेब, तस्वीरें, न्यूज, ब्लौग्स और सरकारी डेटा को सर्च कर सकते हैं. इस पर आप गूगल की ही तरह कैश्ड पेज (Cached page) देख सकते हैं.

लुकोल (Lukol)

यह गूगल के कस्टमाइज्ड सर्च रिजल्ट दिखाने के लिए प्रौक्सी सर्वर इस्तेमाल करता है. इसे बेस्ट प्राइवेट सर्च इंजन्स में से एक माना जाता है. यह औनलाइन फ्रौड करने वालों और स्पैमर्स को दूर रखता है. आपके सर्च को भी गुप्त रखता है.

हुल्बी (Hulbee)

यह सर्च इंजन भी आपके सर्च या लोकेशन हिस्ट्री को ट्रैक किए बिना इंटेलिजेंट इन्फर्मेशन देता है. इस ऐप में आपके सर्च को सिक्यौरिटी के लिए एनक्रिप्ट किया जाता है.

गिगाब्लास्ट (Gigablast)

इस ऐप ने अरबों वेब पेज इंडेक्स किए हैं और आपके ऑनलाइन सर्च को ट्रैक किए बिना तुरंत रिजल्ट दिखाता है. इसे भी बेस्ट प्राइवेट सर्च इंजन्स में शुमार किया जाता है.

डकडकगो (DuckDuckGo)

यह सबसे सिक्यौर सर्च इंजन्स में से एक है. यह आपके द्वारा सर्च की गई चीजों को कभी ट्रैक नहीं करता. यह बिना ऐप के तुरंत रिजस्ट दिखाता है. इसमें एक दिन में 10 करोड़ सर्च होते हैं.

डिस्कनेक्ट सर्च (Disconnect Search)

डिस्कनेक्ट सर्च दरअसल गूगल, बिंग और याहू जैसे बड़े सर्च इंजन्स से सर्च में मदद लेता है, मगर आपके औनलाइन सर्च या आईपी अड्रेस को ट्रैक नहीं करता. इससे आप लोकेशन के आधार पर सर्च कर सकते हैं.

मेटागर (MetaGer)

​यह सर्वर भी गोपनीय सर्च में आपकी मदद करता है. यह प्रौक्सी सर्वर को इस्तेमाल करता है और डेस्टिनेशन सर्वर से आपके आईपी को छिपाए रखता है. इसकी डिफौल्ट लैंग्वेज जर्मन है.

उद्योगपति का किरदार निभाने के लिए शीबा ने ली इस महिला से प्रेरणा

सोनी टीवी पर प्रसारित हो रहे नए सीरियल ‘‘हासिल’’ में अभिनेत्री शीबा आकाशदीप सहगल उद्योगपति सारिका रायचंद के किरदार में नजर आ रही हैं, जो दो युवा बच्चों की मां भी हैं. शीबा आकाशदीप लंबे समय तक अभिनय से दूर रहने के बाद छोटे परदे पर वापसी कर रही हैं. अपनी वापसी पर सारिका रायचंद के सशक्त किरदार के साथ न्याय करने के लिए शीबा ने मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी की पत्नी तथा उद्योगपति व समाज सेवा से जुड़ी  नीता अंबानी से प्रेरणा ली है.

इस बात को स्वीकार करते हुए खुद शीबा कहती हैं, ‘‘सारिका रायचंद दो बच्चों की मां होने के साथ साथ एक ताकतवर बिजनेस वुमन व क्लासी हैं. तो मुझे लगा कि उनके व्यक्तित्व को परदे पर उकेरने के लिए नीता अंबानी को ध्यान में रखा जाना चाहिए. वह सही मायनों में प्रख्यात उद्यमी और अपने व्यक्तित्व की ताकत को समझने वाली शालीन महिला हैं. मैं भी परदे पर सारिका रायचंद को वैसा ही बनाना चाहती थी. इसलिए मैंने इस किरदार को निभाने के लिए उनसे प्रेरणा ली. मुझे खुशी है कि लोग सारिका रायचंद को पसंद कर रहे हैं.’’

देखिए कैसे 200 किलोग्राम के किंग कौन्ग पर भारी पड़ गए थे दारा सिंह

दारा सिंह ऐसी शख्सियत थे जिन्हें हर कोई अलग-अलग रूप में याद करता है. किसी के लिए वह बहुत बड़े पहलवान थे तो किसी के लिए ऐसे स्टार जो अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए जाने जाते थे. पहलवान से अभिनेता बने दारा सिंह ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था. लेकिन उनके द्वारा विश्व चैंपियन किंग कौन्ग को कुश्ती में मात के मैच को आज तक लोग भुला नहीं पाए हैं.

उस जमाने में किंग कौन्ग और दारा सिंह के अलावा फ्लैश गार्डन तीसरे ऐसे पहलवान थे जिसने रिंग में राज किया. तब कहा जाता था कि इन तीनों को हरा पाना असंभव है. लेकिन तीनों में से सिर्फ दारा सिंह को ही अपनी कुश्ती के लिए आज भी याद किया जाता है.

उस वक्त मीडिया के एक तबके ने ऐसा माहौल बना दिया था कि इन तीनों पहलवानों को हरा पाना असंभव है. यही वजह थी कि इन तीनों को मुकाबला करते देखने के लिए बेहिसाब भीड़ जुटी. दर्शकों के लिए इन पहलवानों को लड़ते देखना तीन अजेय पुरुषों की कुश्ती देखने जैसा था.

किंग कौन्ग और दारा सिंह की फाइट का नजारा तो अपने आप में ही बहुत हैरान कर देने वाला था. स्टेडियम में उस वक्त लोगों को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ जब दारा सिंह ने 200 किलो के किंग कौन्ग को दोनों हाथों से उठा कर हवा में लहरा दिया दिया था. इसके बाद तो किंग कौन्ग की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी. वह रेफरी से मदद के लिए चिल्लाने लगे, लेकिन रेफरी के रोकने से पहले ही दारा सिंह ने उन्हें घुमाकर रिंग के बाहर फेंक दिया था. इसके बाद तो लोग उनके फैन हो गए.

दारा सिंह ने अपनी जिंदगी में तकरीबन 500 प्रोफेशनल फाइट्स की थी. इतना ही नहीं वह इन सभी फाइट्स में जीते थे. यही वजह है कि दारा सिंह को ‘रुस्तम-ए-पंजाब’ और ‘रुस्तम-ए-हिंद’ जैसे खिताब से नवाजा गया. उन्होंने पहलवानी के क्षेत्र में भारत ही नहीं दुनिया भर में अपना नाम किया.

जहां तक डाइट की बात है तो दारा सिंह ढेरों रोटियां खाया करते थे, मगर किंग कौन्ग कई दर्जन चिकन खत्म कर देते थे. लेकिन फिर भी उनसे जीत पाने में वह नाकामयाब रहे थे.

तो पीयूष सहदेव हैं बलात्कार के आरोपी

‘देवों के देव महादेव’, ‘सपने सुहाने लड़कपन के’, ‘गीत’, ‘हर घर कुछ कहता है’ और ‘बेहद’ जैसे टीवी सीरियलों में अहम भूमिकाएं निभा चुके अभिनेता पीयूष सहदेव इन दिनों पुलिस के चंगुल में फंस चुके हैं. मुंबई की वर्सोवा पुलिस ने उन्हें बलात्कार के आरापे में 27 नवंबर तक के लिए गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस 28 नवंबर को उन्हें अदालत में पेश करेगी. पुलिस के अनुसार पीयूष सहदेव पर एक मौडल ने बलात्कार करने का आरोप लगाया है.

सूत्रों के अनुसार इस मौडल ने पीयूष सहदेव के खिलाफ 20 नवंबर को वर्सोवा पुलिस थाणे में बलात्कार का आरोप लगाते हुए हुए एफआईआर दर्ज करायी थी. जिस पर कारवाही करते हुए पुलिस ने पीयूष सहदेव को 22 नवंबर को उनके घर से गिरफ्तार किया था. अब 27 नवंबर तक वह पुलिस कस्टडी में रहेंगे तथा 28 नवंबर को उन्हें अदालत के सामने पेश किया जाएगा. अब यह अदालत पर निर्भर करेगा कि पीयूष सहदेव को जमानत दे या नहीं.

वैसे अभिनेता पीयूष सहदेव काफी दिनों से विवादो में हैं. कुछ समय पहले उनकी पत्नी आकांक्षा रावत ने उन पर दूसरी लड़कियों से अवैध संबंध रखने के आरोप लगाते हुए उनसे तलाक लेने की बात कही थी, जिस पर पीयूष ने कभी बात नहीं की. हां! पीयूष ने अपनी सफाई में सिर्फ इतना ही कहा था कि उनके अवैध संबंधों की बातें महज अफवाह हैं.

सांकल : प्रथा के नाम पर नारी शोषण के ज्वलंत मुद्दे पर फिल्म

परंपरा किस तरह इंसान के जीवन में भीषण बदलाव लाती है, इस बात को रेखांकित करने वाली फिल्म है ‘सांकल’. लेखक व निर्देशक देदिप्या जोशी ने अपनी फिल्म ‘‘सांकल’’ में एक ग्यारह वर्षीय बालक की 26 वर्षीय युवती के संग विवाह कराने के बाद किस तरह उस बालक की अगले बीस वर्ष की जिंदगी बर्बाद होती है, उसका सजीव चित्रण करते हुए एक विचारोत्तेजक फिल्म बनाई है.

फिल्म की कहानी राजस्थान में पाकिस्तानी सीमा से सटे जैसलमेर व बाड़मेर सहित थार जिले के एक गांव यानि की खेतू की धानी की है. जहां मेहर मुस्लिम समुदाय के दस बार परिवार आसपास रहते हैं, उसे गांव की बजाय धानी कहा जाता है. धानी में पंचायत व सरपंच का निर्णय ही सर्वोपरी है. इस गांव में पुलिस भी बिना सरपंच के बुलावे के नहीं जाती. इस गांव में कई दशकों से कुछ परंपराएं चली आ रही हैं, जिन्हे तोड़ने का साहस कोई नहीं कर पाया.

खेतू की धानी में प्रथा के अनुरूप ग्यारह वर्षीय केसर (समर्थ शांडिल्य) की शादी युवा 26 वर्षीय लड़की अबीरा (तनिमा भट्टाचार्य) से हो जाती है. समाज की नजर में केसर और अबीरा पति पत्नी हैं, जबकि घर के अंदर केसर का पिता उस्मान उसे बाहर भेजकर अबीरा के साथ जबरन कुकर्म करता था, जिसे अपराध नहीं माना जाता था. बेचारे केसर व अबीरा इस जुल्म को सहते थे. इस बीच केसर व अबीरा एक बेटी गुड़िया के माता पिता भी बन गए. वक्त बीतता है.

अब केसर (चेतन शर्मा) सोलह साल का हो चुका है और उसके पिता ने उसकी पढ़ाई छुड़वाकर ईंट भट्टे पर काम पर लगवा दिया है. इसी बीच उसके पिता उस्मान व्यापार के सिलसिले में पाकिस्तान गए, तो केसर व अबीरा के बीच कुछ ज्यादा ही प्यार पनपा. अब उन्हे यह बर्दाश्त नहीं था कि उनके बीच कोई वापस आए. जब केसर के पिता वापस आए और केसर को काम करने के लिए भेजकर अबीरा के साथ शारीरिक संबंध बनाने चाहे, तो केसर ने आकर इसका विरोध किया. इस पर उसके पिता ने उसे समझाने का प्रयास किया. मगर गुस्से में केसर अपने पिता के सिर पर शराब की बोजल मारता है और उनकी मौत हो जाती है.

सरपंच के बुलाने पर गांव में पुलिस आ जाती है. पर केसर पुलिस के चंगुल से भागकर बीकानेर में मशहूर फोटोग्राफर अपूर्वा सिंह भाटी उर्फ कुंअर (मिलिंद गुणाजी) के पास पहुंचता है और उनके साथ काम करना शुरू करता है. पर वह कुंअर से सच बयान नहीं करता. इधर गांव में सरपंच के दबाव में अबीरा को एक पांच साल के बालक गुलाब खान से शादी करनी पड़ती है और हर दिन उसे अपनी बेटी गुड़िया की सलामती के लिए गुलाब के पिता व दो चाचाओं की हवस का शिकार होना पड़ता. यानी कि वह हर दिन तिल तिलकर मरती है.

गुलाब की मां व चाची अपने पतियों का साथ देती थी. दो साल बाद कुंअर को अपनी दोस्त की एक किताब के लिए फोटोग्राफी करने के लिए उसी गांव में आना पड़ता है. साथ में केसर भी है और वह गुलाब खान के घर पहुंचते हैं. वहां पर केसर अपनी पत्नी अबीरा को देखता है. फिर वह कुंअर से सच बयां कर देता है. कुंअर कहता है कि उसे उस वक्त भागने की बजाय पुलिस में समर्पण करना चाहिए था. वह नाबालिग था, इसलिए दो साल बाल सुधार गृह में रहकर अब अबीरा के साथ अपनी जिंदगी गुजार रहा होता.

खैर, कुंअर के प्रयास से रात में अबीरा व कुंअर मिलते हैं. अबीरा बताती है कि वह कैसे तिल तिलकर मर रही है. कुंअर प्रयास शुरू करता है. पर ग्राम प्रधान कह देता है कि अबीरा, गुलाब खान की ही पत्नी रहेगी. अंततः अबीरा, केसर से गुड़िया को पढ़ाकर इस नर्क से निकालने का वचन लेकर आत्महत्या कर लेती है. समय बीतता है. 32 वर्षीय केसर (जगत सिंह) अपनी 18 साल की गुड़िया का ब्याह 22 साल के लड़के से करवाता है. शादी में आशीवार्द देने कुंअर भी आते हैं.

लेखक निर्देशक देदिप्या जोशी ने नारी की आजादी से जुड़े एक ज्वलंत मुद्दे के साथ ही आजादी के 70 साल बाद भी देश के अंदर चली आ रही एक कुप्रथा पर फिल्म बनाने का साहस दिखाया है. अति सशक्त विषय पर एक कमजोर फिल्म होते हुए भी यह फिल्म दर्शकों को न सिर्फ सोचने पर बल्कि काफी कुछ सीखने पर मजबूर करती है. फिल्मकार देदिप्या जोशी ने अपनी तरफ से इस कुप्रथा और इसके प्रभावों का काफी बेहतर व सजीव चित्रण किया है. मगर नवोदित कलाकारों के अभिनय की कुछ कमजोरियों व कुछ तकनीकी कमियों के चलते यह बेहतर फिल्म नहीं बन पायी.

फिल्मकार ने इस फिल्म को यथार्थ के धरातल पर बनाने की बजाय मेनस्ट्रीम सिनेमा की तरह बनाते हुए ग्लैमर को ज्यादा महत्व दे दिया, जिसके चलते फिल्म कमजोर हो गयी. अबीरा जैसे जैसे बड़ी होती है, वैसे वैसे वह बालक व पति केसर से प्यार करने लगती है. पर उसका यह पति उसे यौन शोषण, यातना व अन्य कष्टों से छुटकारा नहीं दिला पाता, इस बात को और बेहतर ढंग से फिल्म में चित्रित करने की आवश्यकता नजर आती है. इसकी जो बेबसी व दर्द अबीरा के चेहरे पर होना चाहिए था, यह अंत तक नजर नहीं आता. यह निर्देशक और अभिनेत्री तनिमा दोनों की कमजोरी का परिणाम है.

विषय वस्तु के अनुरूप उन्होंने फिल्म के लिए लोकेशन का सही चयन किया. कलाकारों का चयन भी सही रहा. पर पटकथा में कुछ कसावट की जरुरत नजर आती है. यदि फिल्म में बडे़ कलाकार होते, तो शायद फिल्मकार के लिए अपनी इस फिल्म को दर्शकों तक पहुंचाना ज्यादा आसान हो जाता.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अबीरा के किरदार में तनिमा भट्टाचार्य कहीं से भी राजस्थानी मुस्लिम लड़की या औरत नजर नहीं आती. इतना ही नहीं अबीरा जैसे जैसे बड़ी होती है, वैसे वैसे वह बालक व पति केसर से प्यार करने लगती है. पर उसका यह पति उसे यौन शोषण, यातना व अन्य कष्टों से छुटकारा नहीं दिला पाता, यह बेबसी व दर्द अबीरा के चेहरे पर ठीक से नहीं उभर पाती. इसे अभिनेत्री के तौर पर तनिमा व निर्देशक दोनों की कमजोरी कहा जाएगा.

अबीरा एक ऐसी नारी है, जिसकी अपनी कोई स्वतंत्र आकांक्षा नहीं है. उसके लिए तो सामाजिक मांग की ‘दया’ ही परिचय है. और उसे इसे ही आगे बढ़ाना है. उसे पता है कि जब उसका पति ग्यारह साल से बड़ी उम्र का हो जाएगा, तब उसे भी पति की तरह का प्यार देना है, तब तक उसे ससुर द्वारा यौन शोषित होते रहना है.

अबीरा आंतरिक व बाहरी यातना की मूक गवाह है, इसीलिए वह अपने पैर के नाखूनेसे उस यातना व अपनी भावना को दबाते हुए नजर आती है. हकीकत में उसके लिए केसर का प्यार ही अहम है. मगर प्रथा के नाम पर ससुर द्वारा यौन शोषण की पीड़ा, अपनी आंखों के सामने पति की पिटाई के दर्द को आंखों से बयां करने, पति वियोग, पति के जीवित रहते हुए आठ वर्ष के बालक से दूसरी मजबूरन शादी और तीन अधेड़ उम्र के पुरुषों द्वारा यौन शोषण सहने वाली अबीरा के किरदार में जिस प्रतिभाशाली अदाकारा की दरकार थी, उसे तनिमा भट्टाचार्य पूरी तरह से पूरी नहीं कर पाती.

ग्यारह साल के केसर की भूमिका में समर्थ शांडिल्य ने काफी अच्छा काम किया है. ग्यारह वर्षीय केसर विवाह और विवाह की जिम्मेदारी से अनभिज्ञ है. उसके लिए तो खेलकूद और अच्छी शिक्षा ही मायने रखती है. इसलिए शादी के बाद भी उसकी पत्नी अबीरा के साथ उसके पिता क्या करते हैं, इससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता. पर उसे एक बच्चे से आदमी बनना परेशान जरूर करता है. समर्थ शांडिल्य ने किशोर केसर के संस्करण में शानदार अभिनय किया है.

फिर सोलह साल के युवा केसर की भूमिका में चेतन शर्मा हैं. फिल्म में युवा केसर की भूमिका में चेतन शर्मा ने बेहतरीन अभिनय किया है. उनके करियर की यह पहली फिल्म है, मगर उन्होंने मंजे हुए कलाकार की तरह अपने किरदार को निभाया है. अपनी आंखो के सामने अपनी पत्नी का अपने ही पिता द्वारा यौन शोषण होते देखना और कुछ न कर पाने की बेबसी, पिता का विरोध करने पर पिता द्वारा अपनी पिटाई का दर्द झेलना, पत्नी के प्रति प्रेम, फिर अपने प्यार को बचाने व पत्नी का शोषण न होने देने का क्रोध, पिता पर हमला इन सभी भावों को चेतन शर्मा ने अच्छे ढंग से अपने चेहरे पर उकेरा है.

एक घंटे उन्तालीस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘सांकल’’ का निर्माण आनंद राठौड़ और देदिप्या जोशी द्वारा ‘पिससियान पिक्चर्स’ के बैनर तले निर्मित किया गया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक देदिप्या जोशी, संवाद लेखक शिप्रा महर्षि, संगीतकार  निशांत कमल व्यास और शिवांग उपाध्याय, गीतकार अंश व्यास, कुसुम जोशी व कैलाश देथा, कैमरामेन राउत जयवंत मुरलीधर तथा कलाकार हैं-चेतन शर्मा, तनिमा भट्टाचार्य, हरीश कुमार, जगत सिंह, मा. समर्थ शांडिल्य, मिलिंद गुणाजी व अन्य.

यह फिल्म 28 नवंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी.

क्रेडिट कार्ड लेते वक्त ध्यान में रखें ये बातें

बात अगर फाइनेंशियल लेन-देन की की जाए तो इन दिनों क्रेडिट कार्ड ज्‍यादातर लोगों के लिए लाइफलाइन है. चाहे रिटेल आउटलेट से खरीदारी करनी हो, औनलाइन शौपिंग करनी हो, टेलीफोन या इलेक्ट्रिसिटी बिल जमा करना हो या एयर टिकट और होटल बुक करना हो. देश भर में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है.

हालांकि क्रेडिट कार्ड का इस्‍तेमाल सोच समझ के करना चाहिए. क्रेडिट कार्ड का यूज आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री और क्रेडिट स्‍कोर को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है.

आपके क्रेडिट स्‍कोर को बेहतर बना सकता है क्रेडिट कार्ड

अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्‍तेमाल सोच समझ कर और जिम्‍मेदारी से करें तो क्रेडिट कार्ड आपके क्रेडिट स्‍कोर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है. आप कुछ आसान तरीको को अपना कर क्रेडिट कार्ड का जिम्मेदारी से इस्‍तेमाल कर सकते हैं इससे अपनी सिबिल रिपोर्ट और सिबिल ट्रांसयूनियन स्‍कोर को मजबूत कर सकते हैं.

इंटरेस्‍ट रेट कर सकते हैं निगोशिएट

जब आप क्रेडिट कार्ड हासिल करते हैं तो आप इसके फाइन प्रिंट को अच्‍छी तरह से पढें. इस पर लगने वाले इंटरेस्‍ट रेट, ग्रेस पीरिएड की अवधि और ली जाने वाली फीस के बारे में पूरी डिटेल पता करें. बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता होता है कि इंटरेस्‍ट रेट निगोशिएट किया जा सकता है. ऐसे में आप क्रेडिट कार्ड के लिए अप्‍लाई करते समय पूरी रिसर्च करें.

क्रेडिट कार्ड बैलेंश का समय पर करें पेमेंट

आप अपने क्रेडिट कार्ड बैलेंश का समय पर पेमेंट करें. आप हर माह क्रेडिट कार्ड पेमेंट का भुगतान कर क्रेडि कार्ड डेट से बच सकते हैं. इसके अलावा आप कई बारे क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन न करें. अगर आपने कई क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया है तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट के एन्‍क्‍वायरी सेक्‍शन में दिखेगा. इसके अलावा कई सारे क्रेडिट कार्ड को मैनेज करना मुश्किल होता है. ज्‍यादा संभावना है कि आप किसी क्रेडिट कार्ड के पेमेंट को मिस कर दें. इससे अनजाने ही आप डेट ट्रैप की ओर बढ़ सकते हैं.

क्रेडिट कार्ड लिमिट के अधिकतम इस्तेमाल से बचें

अगर आप क्रेडिट कार्ड से ज्‍यादा खर्च करते हैं तो जरूरी नहीं है कि यह आपके क्रेडिट स्‍कोर को नकारात्‍मक तौर पर प्रभावित करे लेकिन आपके क्रेडिट कार्ड का बैलेंश बढ़ना आप पर रिपेमेंट बोझ बढ़ने की ओर संकेत करता है और यह आपके स्‍कोर को प्रभावित कर सकता है.

अपने सिबिल स्‍कोर पर रखें नजर

अगर आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट पर नजर रखते हैं तो आप अपने फाइनेंस का प्रबंधन बेहतर तरीके से कर पाएंगे. इसके अलावा आप संभावित आइडेंटिटी थेफ्ट और क्रेडिट रिपोर्ट में गलत सूचना को लेकर भी अलर्ट रहेंगे.

फोन में हो रहे हैं ये बदलाव तो फट सकता है आपका फोन

हाल के कुछ दिनों में स्मार्टफोन में ब्लास्ट होने की कई घटनाएं सामने आई हैं. अबतक मिलीं रिपोर्ट के अनुसार सैमसंग, आईफोन और शाओमी के बाद जियो फोन में आग लग चुकी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह कि आखिर कैसे पता किया जाए कि फोन फटने वाला है या उसमें आग लगने वाली है. आइए जानते हैं 5 कारण.

फोन का ज्यादा गर्म होना

अगर आपका फोन बार-बार गर्म हो रहा है तो फौरन उसे सर्विस सेंटर में लेकर जाएं. कई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि फटने से पहले स्मार्टफोन गर्म होते हैं या फिर गर्म होने वाले स्मार्टफोन के फटने की संभावना ज्यादा होती है.

बैटरी का फूलना

अगर आपको लगता है कि आपके फोन की बैटरी फूल गई है या फिर फोन के बैक पैनल पर कोई ऊभार नजर आ रहा है तो सावधान हो जाएं. ऐसी स्थिति में बैटरी के फटने की संभावना बहुत ज्यादा होती है.

लोकल चार्जर का इस्तेमाल

अगर आप अपने स्मार्टफोन को किसी भी लोकल चार्जर या फिर अन्य चार्जर से चार्ज करते हैं, तो यह आपके फोन और बैटरी के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.

फोन को बार-बार गिरने से बचाएं

फोन के बार-बार गिरने से भी बैटरी डैमेज होती है और उसके बाद उसमें आग लग सकती है. ऐसे में अपने फोन का ख्याल रखें और उसे गिरने से बचाएं.

पानी में गिरने पर मैकेनिक को दिखाएं

कई बार किसी कारण से फोन पानी में गिर जाता है तो हम खुद ही मैकेनिक बन जाते हैं और उसे रिपेयर करने लगते हैं जो कि गलत है. पानी में गिरने के बाद फोन में कई सारी दिक्कतें आ सकती हैं. यहां तक की बैटरी में शौर्ट सर्किट भी हो सकता है. घर पर ही फोन रिपेयर करने से बचें.

गर्म जगह पर फोन चार्ज ना करें

फोन को हमेशा कम तापमान में ही चार्ज करें, क्योंकि चार्जिंग से दौरान फोन ऐसे ही थोड़ा गर्म होता है. फ्रीज के ऊपर फोन को रखकर कभी चार्ज ना करें. इसलिए फोन को चार्जिंग के समय कमरे के तापमान पर ही रखें.

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