Download App

अब एक सिम से चलाएं दो नंबर, जानिये प्रक्रिया

हम सभी जानते हैं कि स्मार्टफोन में एक सिम कार्ड से आप एक ही नंबर चला सकते हैं. दूसरा नंबर पाने के लिए आपको दूसरी सिम की जरुरत होगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ट्रिक बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप एक सिम से दो नंबर चला सकते हैं. तो आइए जानते हैं कि यह किस तरह काम करेगा.

क्या है तरीका

इस ट्रिक को पूरा करने के लिए आपको सबसे पहले TextMe नाम के एक ऐप को फोन में डाउनलोड करना होगा. इस ऐप को आप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. ऐप को स्मार्टफोन में इंस्टौल करने के बाद आपसे एक्सेस के लिए कुछ परमिशन मांगी जाएगी जिसे आपको OK करना होगा. इन प्रक्रिया के बाद आपको अपने फेसबुक या गूगल अकाउंट से ऐप के जरिए लौगइन करना होगा. अगर आप चाहे तो नया अकाउंट भी बना सकते हैं.

मिलेगा खास मोबाइल नंबर

इन सभी पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, आप अपने किसी भी दोस्त को कौल कर सकते हैं. आपके दोस्त के पास एक अलग नंबर से कौल जाएगा जो कि सामान्य मोबाइल नंबर जैसा ही होगा. इसके अलावा, आप चाहें तो अपनी पसंद के नंबर को भी चुन सकते हैं. इसके लिए ऐप की सेटिंग में जाकर Get Number पर टैप करें या स्क्रीन में सबसे नीचे दिए मेन्यू बार में Numbers पर क्लिक कर अपना नंबर चुने. आपको बता दें कि एक से ज्यादा नंबर का इस्तेमाल करने के लिए आपको भुगतान करना होगा.

एक ही सिम से चलाए दो व्हाट्सऐप

ठीक इसी तरह आप अपने फोन में एक ही नंबर से 2 व्हाट्सऐप औपरेट कर सकते हैं. तो चलिए बताते हैं आपको ये ट्रिक.

इसके लिए सबसे पहले आपको 2 Lines for Whatsapp नाम का ऐप डाउनलोड करना होगा. ये ऐप आपको आसानी से प्लेस्टोर में मिल जाएगी. ऐप इंस्टौल होने के बाद इसे अपने एंड्रायड फोन में ओपन करें. आपके पास एक पौपअप आएगा जिसे आपको accept करना होगा. इसके बाद आपको Add a new line for Whatsapp पर क्लिक करना है. फिर आपको इसमें अपना नंबर एंटर करना है. इसके बाद आप एक ही फोन में दो व्हाट्सऐप चला पाएंगे.

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव परिणाम से राजनीतिक दलों को मिलते सबक

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में सभी दलों ने अपने अपने स्तर पर पूरी ताकत से चुनाव लड़ा. निकाय चुनाव में 16 नगर निगम प्रमुख यानि मेयर, 1300 नगर निगम पार्षद, 198 नगर पालिका परिषद चेयरमैन, 2561 नगर पालिका परिषद सदस्य, 438 नगर पंचायत अध्यक्ष और 5434 नगर पंचायत सदस्य के लिये चुनाव हुआ.

भाजपा ने इस चुनाव 16 में से 14 मेयर के पदों पर विजय हासिल की. उत्तर प्रदेश में पहले 14 नगर निगम थे. इनमें से 12 भाजपा के कब्जे में थे. इस चुनाव में 2 नये नगर निगम बने. इस चुनाव में भाजपा ने 14 मेयर जीते और 2 मेयर बसपा के जीते. जिससे नगर निगम चुनाव में भाजपा का परचम लहराता दिखता है.

अगर इसका सही विश्लेषण किया जाय तो मेयर पद के लिये भाजपा को पहली बार कड़ी चुनौती मिली. कई शहरों में मेयर के पद पर भाजपा की जीत बहुत कम मतों से हुई है. बसपा ने भाजपा को सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और मेरठ में कड़ी टक्कर दी. अलीगढ़ और मेरठ में बसपा ने जीत भी हासिल कर ली.

कांग्रेस ने मेयर चुनाव में मथुरा, वाराणसी, गाजियाबाद, कानपुर और मुरादाबाद में भाजपा को कड़ी टक्कर दी. कई शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस ने पहली बार शहरी मतदाताओं को विकल्प दिया है. 8 माह पहले उत्तर प्रदेश की जनता ने जिस तरह से भाजपा को अपना समर्थन दिया था वह कमजोर पड़ता दिख रहा है.

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले थे, इन चुनावों का प्रभाव वहां पड़ सकता है, भाजपा ने इसको ध्यान में रखकर पूरे दम यह चुनाव लड़ा. पहली बार मुख्यमंत्री ने निकाय चुनावों में अलग अलग शहरों पर चुनाव प्रचार किया. भाजपा ने निकाय चुनाव में संगठित होकर चुनाव लड़ा जबकि विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ था.

मेयर के बाद नगर पालिका और नगर पंचायत में सपा, बसपा और कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी. शहरी इलाकों में पहली बार बसपा के पक्ष में दलित और मुसलिम गठजोड़ दिखा. कांग्रेस के पक्ष में शहरी मतदाता का झुकाव भी साफ नजर आ रहा था.

राजधानी लखनऊ में मेयर के पद को छोड़ कर केवल बक्शी का तालाब सीट ही भाजपा को मिली. ग्रामीण इलाकों की बाकी सीटों पर समाजवादी पार्टी और निर्दलीय ने जीत हासिल की. अगर सभी पदों की संख्या को देखें, तो भाजपा पहले स्थान पर रही. इसके बाद सपा, बसपा और कांग्रेस रही. भाजपा के खिलाफ जहां लोगों को विकल्प दिखा वहां मतदाताओं ने उसके खिलाफ वोट दिया.

विधानसभा चुनावों में मुसलिम प्रत्याशियों से परहेज करने वाली भाजपा ने निकाय चुनावों में मुसिलम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था. निकाय चुनाव एक राजनीतिक संदेश देते नजर आ रहे हैं कि अगर भाजपा को पछाड़ना है तो विपक्षी दलों को तालमेल से चुनाव लड़ना होगा. मुसलिम मतदाताओं ने जिस तरह से सपा को छोड़ बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का समर्थन किया, उससे समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों को सर्तक हो जाना चाहिये. इन चुनावों में चुनाव आयोग और जिला प्रशासन की खामियों को भी उजागर किया. वोटिंग लिस्ट में नाम न होने की आम शिकायत ने पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया.

भारत में बढ़ता ऑडियो बुक्स का बाजार

देश दुनिया में कहानियों को ऑडियो वर्जन में सुनने की एक परंपरा काफी समय से रही है, लेकिन भारत में अभी इसकी शुरुआत है. कहानियां तो यहां खूब पढ़ी जाती हैं, लेकिन जब ऑडियो फॉर्मेट में इन्हें बाजार में उतार जाता है तो लोगों को शायद पता नहीं चल पाता, इसलिये दिलचस्पी कम दिखती है.

इसी क्षेत्र में कई सालों से काम कर रही कम्पनी स्टोरीटेल अब भारत में इन कहानियों के ऑडियो वर्जन के ट्रेंड को बढ़ाने उतरी है. यूरोप में ऑडियो बुक्स का प्रमुख प्लेटफॉर्म स्टोरीटेल भारत में अपनी सेवाएं शुरू कर रहा है. स्टोरीटेल की स्ट्रीमिंग सर्विस, जिसे कुछ-कुछ ऑडियो बुक्स का नेटफ्लिक्स संस्करण कहा जा सकता है, के यूजर्स अपने मोबाइल फोन पर एप डाउनलोड करके अनलिमिटेड ऑडियो बुक्स सुन सकते हैं. भारतीय भाषाओं पर फोकस करने वाली यह पहली ऑडियो बुक्स सब्सक्रिप्शन सर्विस है.

भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों की बढ़ती हुई संख्या, दूरदराज तक तेज रफ्तार मोबाईल ब्रॉडबैंड की पहुंच और सब्सक्रिप्शन आधारित सर्विसेज के लोकप्रिय उभार ने मिलकर वह माहौल तैयार किया है जिसमें लोगों में और अधिक कहानियों तक पहुंचने की ललक बढ़ी है. स्टोरीटेल का लक्ष्य है भारत में ऑडियो बुक्स इंडस्ट्री में हिस्सेदारी करते हुए उसकी ग्रोथ को संचालित करना. 8 देशों में 5 लाखसब्सक्राइबर्स स्टोरीटेल ऑडियो बुक्स सुनते हैं. भारत नौवां देश है जहां कम्पनी की सर्विसेज लांच हो रही हैं.

भारत में स्टोरीटेल अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में शुरुआत कर रहा है. लांच के समय 500 से अधिक किताबें प्लेटफार्म पर होंगी, जिनमें मराठी की 230, हिंदी की 115 और अंग्रेजी की 60 ऑडियो बुक्स शामिल हैं. इसके अलावा कुछ चुनिंदा ई-बुक्स भी प्लेटफार्म पर होंगी. लांच के समय ही मराठी में “मृत्यंजय” और हिंदी में “राग दरबारी” जैसे क्लासिक कैटेलॉग में शामिल हैं.

स्टोरीटेल ‘स्टोरीटेल ओरिजनल’ भी लांच कर रहा है. स्टोरीटेल ओरिजनल खास तौर पर ऑडियो के लिए लिखी गयी 10 एपिसोड की सीरीज होती है. लांच के समय सब्सक्राइबर्स को हिंदी मराठी की 11 ओरिजनल सीरीज डाउनलोड के लिए उपलब्ध होंगी.

स्टोरीटेल के सीईओ योनास टेलेंडर ने बताया कि भारतीय बाजार और ग्राहक को बेहतर समझने के लिए हम सीमित शुरुआत कर रहे हैं. 2018 के आरम्भिक महीनों में हम अपना दायरा फैलाएंगें, बड़े मार्केटिंग कैम्पेन करते हुए. 2018 की पहली तिमाही में ही हम ब्रिटेन और अमेरिका के प्रकाशकों की अंग्रेजी किताबें भी भारतीय सब्सक्राइबर्स को उपलब्ध कराएंगे.

गौरतलब है कि स्टोरीटेल ने 2005 में सर्विस शुरू की और अब तक 2 करोड़ 70 लाख लोग इसके प्लेटफार्म पर ऑडियो बुक्स सुन चुके हैं. स्टोरीटेल एप हर तरह के स्मार्टफोन के साथ काम करती है और इसमें बिना इंटरनेट कनेक्शन के ऑफलाइन सुनने की सुविधा भी है.

2010 से स्टोरीटेल के सब्सक्राइबर बेस में 100% वार्षिक वृद्धि हुई है. अगस्त 2017 में इसका सब्सक्राइबर बेस 5 लाख को पार कर गया. स्टोरीटेल का हेडक्वार्टर स्टॉकहोम में है और अब इसका फैलाव 13 देशों में है. स्वीडन, नॉर्वे, डेनमार्क, फिनलैंड, रूस, स्पेन, पोलैंड, और अब भारत में सर्विस उपलब्ध है जबकि आइसलैंड, बुल्गारिया, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात में जल्द ही शुरू होने वाली है.

यहां देखें सचिन के क्रिकेट करियर का पहला इंटरव्यू

यूं तो खिलाड़ियों द्वारा बनाया गया हर रिकार्ड यादगार होता है. लेकिन कुछ रिकार्ड, कुछ पल बेहद खास होते हैं जो चाह कर भी भुलाए नहीं जा सकते. कुछ ऐसे ही रिकार्ड और यादें मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की जिंदगी से भी जुड़े हैं.

सचिन के लिए उनका पहला इंटरव्यू उनकी जिंदगी के यादगार लम्हों में से एक है. यह इंटरव्यू टौम औल्टर ने 1989 में भारत-वेस्टइंडीज दौरे से पहले लिया था. 15 साल के सचिन तेंदुलकर का यह पहला वीडियो इंटरव्यू था.

सचिन उस समय टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बने थे लेकिन उसी साल पाकिस्तान के दौरे पर सचिन को टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिला था. औल्टर ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया था कि सचिन ने बड़ी बेबाकी से उनके सवालों से जवाब दिए थे. उन्होंने कहा, “मुझे वो इंटरव्यू अच्छे से याद है. वो उसका पहला वीडियो इंटरव्यू था. मैं ये नहीं कहूंगा कि वह बहुत शांत था लेकिन वह काफी मासूम और कम बोलने वाला था. वह कैमरे के सामने थोड़ा शर्मा रहा था. उसमें आत्मविश्वास था लेकिन कोई दिखावा नहीं था.”

इंटरव्यू के दौरान सचिन ने कहा कि वह वेस्टइंडीज दौरे पर जाने वाली टीम इंडिया में चुने जाने पर काफी खुश होंगे. जब औल्टर ने उनसे कहा कि उन्हें इस बात का डर नहीं कि वेस्टइंडीज के पास कई दिग्गज तेज गेंदबाज हैं और उन्हें कुछ साल इंतजार करना चाहिए. जवाब में सचिन ने बड़े शांत तरीके से कहा कि उन्हें तेज गेंदबाजों को खेलना ज्यादा अच्छा लगता है क्योंकि उनकी गेंद सीधा बल्ले पर आती है. एक 15 साल के लड़के में इस तरह का आत्मविश्वास देखकर औल्टर भी चौंक गए थे.

यहां देखें सचिन का पहला इंटरव्यू.

फिरंगी : क्या नए अवतार में कपिल शर्मा को पसंद करेंगे उनके प्रशंसक

हमारे देश में मान्यता है कि यदि कोई नस खिंच जाए, तो उलटा पैदा हुए इंसान के पैर मारते ही वह ठीक हो जाता है. पंजाब में इसे उस इंसान की ‘सफा’ कहा जाता है जिसके लिए वह कोई धन नहीं लेता. इसी मान्यता के साथ 1921 के वक्त ब्रिटिश शासन वाले भारत, महात्मा गांधी का अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन व पंजाब के गांव में पनपी प्रेम कहानी, अंग्रेजों का अपना स्वार्थ और भारतीय राजाओं का लालच. इन सब का मिश्रण है टीवी जगत के मशहूर कौमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म ‘‘फिरंगी’’ में. देसीपना से युक्त एक अति लंबी नीरस फिल्म में दर्शकों को ढाई घंटे से अधिक समय तक बांध कर रखने की क्षमता का अभाव है.

फिल्म की कहानी 1921 में ब्रिटिश शासन काल के दौरान के पंजाब के गांव की है. यह वह दौर था, जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन चला रखा था. विदेशी कपड़े आदि जलाए जा रहे थे. बलरामपुर गांव निवासी मंगतराम उर्फ मंग्या (कपिल शर्मा) बड़ा हो गया है, पर बेरोजगार है. वह ब्रिटिश पुलिस में भरती होना चाहता है, मगर तीन बार दौड़ में असफल होने की वजह से नौकरी नही पाता. पर मंग्या की खूबी है कि वह उलटा पैदा हुआ था. इसी खूबी के चलते ब्रिटिश अफसर मार्क डेनियल (एडवर्ड सोन्नेब्लिक) को मंग्या की जरूरत पड़ती है और वह खुश होकर मंग्या को अपना अर्दली नियुक्त कर लेते हैं.

इस बीच अपने तांगे वाले मित्र हीरा (इनामुल हक) की शादी में मंग्या हीरा के गांव नकुशा जाने पर मंग्या की नजर सारगी (इशिता दत्ता) पर पड़ती है और वह उसे अपना दिल दे बैठता है. सारगी की रजामंदी मिलने पर मंग्या के परिवार के लोग मंग्या की शादी सारगी से हो, इसकी बात करने सारगी के घर पहुंचते हैं. सारगी के माता पिता (राजेश शर्मा) तो तैयार हैं, मगर सारगी के दादाजी उर्फ लाला जी (अंजन श्रीवास्तव) मना कर देते हैं. क्योंकि लाला जी तो महात्मा गांधी के अंग्रेजों के खिलाफ चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं. ऐसे में उन्हें अंग्रेजों की नौकरी करने वाला मंग्या पसंद नही आता.

इधर अंग्रेज अफसर मार्क डेनियल की राजा इंद्रवीर सिंह (कुमुद मिश्रा) से अच्छी दोस्ती है. जिसकी वजह यह है कि मार्क डेनियल, राजा इंद्रवीर सिंह के इलाके में शराब की फैक्टरी खोलना चाहते हैं. इस शराब फैक्टरी के लाभ में राजा का चालिस और डेनियल का साठ प्रतिशत हिस्सा होगा. इतना ही नहीं डेनियल की नजर राजा इंद्रवीर सिंह की बेटी व राजकुमारी श्यामली (मोनिका गिल) पर भी है, जोकि आक्सफोर्ड से पढ़कर वापस आयी है.

शराब फैक्टरी के लिए डेनियल को नदी के किनारे की जगह पसंद आती है. नदी के एक किनारे पर नकुशा गांव है, जिसे खाली करा देने का वादा राजा करते हैं. मंग्या, डेनियल की मदद से गांव को उजड़ने से बचाकर लाला जी का दिल जीतना चाहता है, पर राजा व डेनियल की मिलीभगत के चलते राजा इंद्रवीर सिंह गांव को हर परिवार के मुखिया को अपने जलसाघर में बुलाकर उन्हें शराब में धुतकर जमीन व घर बेचने के कागज पर सभी के अंगूठे लगवा लेता है. अब गांव के लोग मंग्या से नाराज होते हैं, पर मंग्या गांव वालों से कहता है कि उनके जमीन के कागज मिल जाएंगे. अब वह डेनियल के साथ ‘जैसा को तैसा’ वाला कारनामा करना चाहता है.

उधर राजकुमार श्यामली भी मंग्या का साथ देने को तैयार हैं, क्योंकि राजकुमारी श्यामली के पिता व राजा इंद्रवीर ने डेनियल से समझौता किया है कि शराब फैक्टरी के लाभ में साठ प्रतिशत राजा और चालिस प्रतिशत डेनियल का होगा, तो वह श्यामली की शादी डेनियल से कर देंगे. जबकि श्यामली, डेनियल से विवाह नहीं करना चाहती. खैर, श्यामली व मंग्या मिलकर एक योजना बनाकर राजा की तिजोरी से गांव वालों के जमीन के कागजात चुराकर गांव वालों, राजा और डेनियल के सामने फाड़ देता है. डेनियल, मंग्या पर गोली चलाना चाहता है, तभी महात्मा गांधी अपने पीछे भीड़ के साथ पहुंचते हैं. उसके बाद डेनियल को वापस इंग्लैंड बुला लिया जाता है. मंग्या व सारगी की शादी तय हो जाती है. श्यामली उच्चशिक्षा के लिए वापस लंदन चली जाती हैं.

हलकी फुलकी मनोरंजक और उत्कृष्ट कलाकारों वाली फिल्म ‘‘फिरंगी’’ की सबसे बड़ी समस्या इसकी लंबाई व धीमी गति से आगे बढ़ती कहानी है. दूसरी समस्या यह है कि फिल्म की कहानी का मूल बीज 16 साल पुरानी आमीर खान की फिल्म ‘लगान’ से उठायी हुई है और दर्शक को ‘फिरंगी’ देखते हुए बार ‘लगान’ याद आती है. फिल्म कहीं न कहीं जमीन से जुड़ी हुई ‘देसी’ भी है. इसमें फिल्म के कला निर्देशक और कैमरामैन का काफी योगदान है. मगर जब आप किसी कालखंड की फिल्म बनाते हैं, तो उस कालखंड की बारीकी परदे पर नजर आनी चाहिए, उसमें फिल्मकार असफल रहे हैं. फिल्म के कई किरदारों की पोषाकें, उनके बात करने का लहजा वगैरह ब्रिटिश शासन की याद नहीं दिलाता. फिल्म का क्लायमेक्स काफी लंबा और मजाकिया है.

यह लेखक व निर्देशक की कमजोरी ही है कि फिल्म में प्रदर्शित क्रोध, खुशी, डर, प्यार सहित एक भी भावना दर्शकों के दिलों तक नहीं पहुंच पाती. सब कुछ बहुत ही सतही लगता है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो कपिल शर्मा ने पूरी फिल्म में यह साबित करने का प्रयास किया कि वह महज हास्य कलाकार नहीं हैं, बल्कि उनके अंदर अभिनय क्षमता है और वह हर तरह के किरदार निभा सकते हैं, पर इसमें वह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए. पूरी फिल्म में उनके चेहरे पर एक जैसा ही भाव बना रहता है. वैसे अब सवाल यह है कि कपिल शर्मा के प्रशंसक उन्हें इस नए अवतार में देखना चाहेंगे या नहीं. जिसका जवाब तो कुछ दिनों बाद ही मिलेगा. इशिता दत्ता बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाती हैं. इंटरवल से पहले इशिता दत्ता कुछ उम्मीदें जगाती हैं, पर इंटरवल के बाद वह भी सिर्फ बेबस लड़की बनकर रह जाती हैं. पूरे ढाई घंटे तक एक बेबस लड़की के भाव के साथ इशिता को देखते देखते दर्शक बोर हो जाता है. लालची राजा के किरदार में कुमुद मिश्रा व सारगी के पिता के किरदार में राजेश शर्मा ने काफी ठीक ठाक अभिनय किया है.

दो घंटे 41 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘फिरंगी’’ का निर्माण कपिल शर्मा ने किया है. फिल्म के निर्देशक व लेखक राजीव धींगरा, पटकथा लेखक राजीव धींगरा, संगीतकार जतिंदर शाह, कैमरामैन नवनीत मिस्सर व कलाकार हैं- कपिल शर्मा, इशिता दत्ता, मोनिका गिल, अंजन श्रीवास्तव, राजेश शर्मा, एडवर्ड सोन्नेब्लिक, कुमुद मिरा व अन्य.

हाईटेक सुविधाओं के साथ अपग्रेड किये जा रहे हैं राजधानी कोच

भारतीय रेलवे स्वर्ण योजना के तहत राजधानी ट्रेनों में हाईटेक सुविधाएं देने और ट्रेनों में आधुनिक कोच लगाने पर काम कर रही है. आपको बता दें कि हाल ही में दिल्ली-सियालदह स्वर्ण राजधानी शुरू की गई है. इसमें हाईटेक डब्बे जोड़े गए हैं और उनमें आटो-लौकिंग की सुविधा दी गई है. जिससे स्टेशन पर होने वाली गंदगी के रोका जा सके. आटो-लौकिंग सिस्टम के जरिए जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर रुकेगी टायलेट लौक हो जाएगा और ट्रेन के स्टेशन से निकलते ही टायलेट अपने आप अनलौक हो जाएगा.

इस ट्रेन के टायलेट में सिंथेटिक मार्बल और दुर्गंध न आने के लिए परफ्यूम स्प्रे का इस्तेमाल किया गया है. यही नहीं टायलेट में गीजर की सुविधा भी दी गई है और इस ट्रेन के गलियारे भी चमकदार बनाए गए हैं.

रेलवे के मुताबिक ट्रेन के कोच में बर्थ इंडिकेटर और विनायल रैपिंग होगी. हर कोच में सीसीटीवी कैमरे हर कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. कोच में शीशों के ऊपर एलईडी लाइट और पर्दे लगाए गए हैं.

इस बारे में रेलवे बोर्ड के सदस्य अरुण सक्सेना ने बताया कि स्वर्ण योजना के तहत पुराने कोचों को अपग्रेड कर उनकी सूरत बदल दी गई है. कई छोटे बड़े बदलाव कर कोचों को आरामदायक बनाया गया है. एक कोच को अपग्रेड करने के लिए 50 लाख रुपए की लागत आ रही है. गौरतलब है कि 2018 तक 13 राजधानी और 11 शताब्दी का रंग भी बदल दिया जाएगा. दोनों ट्रेनों पर गोल्डन रंग होगा.

..तो बढ़ जाएंगे पेट्रोल डीजल के दाम

और्गेनाइजेशन औफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) ने एक मीटिंग में तेल उत्पादन में कटौती को 2018 के अंत तक जारी रखने का फैसला लिया. इस कदम का उद्देश्य लगातार गिर रही क्रूड औइल की कीमतों को रोकना है. इसका सीधा मतलब यह है कि क्रूड औइल की कीमतें आने वाले समय में लगातार बढ़ सकती हैं. भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका असर निश्चित तौर पर देखने को मिल सकता है.

ओपेक के विएना स्थित हेडक्वार्टर में हुई मीटिंग में कई घंटों की चर्चा के बाद इस बात पर सहमति बनी. हालांकि इस बैठक में इस बात पर अभी तक सहमति नहीं बनी है कि लीबिया के औइल आउटपुट को कंट्रोल करने के लिए प्रोडक्शन कट की जरूरत है या नहीं.

आपको बता दें कि लीबिया अभी आंतरिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. 14 सदस्यीय ओपेक नौन-ओपेक मेंबर देशों के साथ संयुक्त रूप से प्रोडक्शन कट को लेकर बैठक करने जा रहा है. नौन ओपेक देशों का नेतृत्व रूस करेगा. रूस ने इसी साल ओपेक देशों के साथ मिलकर प्रॉडक्शन कट किया था. वह खराब दौर से गुजर रहे अंतरराष्ट्रीय क्रूड औइल मार्केट को घाटे से उबारने के लिए लगातार प्रोडक्शन कट की वकालत कर रहा है.

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड औइल की कीमत प्रति बैरल 60 डौलर से ज्यादा पहुंच चुकी है. प्रोडक्शन कट करने की डील में अमेरिका शामिल नहीं है. रूस को यह डर सता रहा है कि कहीं प्रोडक्शन कट के कारण तेल की बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए अमेरिका अपने यहां उत्पादन बढ़ा न दे.

इंटरनैशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों को नियंत्रित करने की यह कोशिश कितनी सफल होती है यह ओपेक मेंबर कंट्रीज और नौन ओपेक मेंबर कंट्रीज के रवैये पर पूरी तरह से निर्भर करेगा. अगर दोनों पार्टियां इस मामले में आम सहमति बनाने में कामयाब होती हैं तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ना तय है.

क्या आपके भी स्मार्टफोन की इंटनरल मैमोरी फुल हो गई है?

कई बार ऐसा होता है कि जब हम अपने फोन में कुछ इंस्टाल करने की कोशिश कर रहे होते हैं तो उस समय वह इंस्टाल नहीं हो पाता क्योंकि आपके फोन में उतना स्पेस नहीं होता. जब मोबाइल की इंटरनल मैमोरी फुल हो और हमें कुछ बहुत जरूरी इंस्टाल करना हो, तो उस वक्त समझ नहीं आता कि क्या करना चाहिए. आप अपने फोन की मैमोरी खाली करने की सोचते हैं, लेकिन मोबाइल में कुछ ऐसे ऐप होते हैं जिन्हें रखना आपके लिए बहुत जरूरी होता है और उसकी वजह से हम अपने फोन की इंटरनल मैमोरी खाली नहीं कर पाते. तो आइए जानते हैं कि इस स्थिति में कैसे आप अपने फोन में स्पेस बना सकते हैं.

कैशे को करें क्लियर

अपने स्मार्टफोन में आपको स्पेस बनाने के लिए कैशे क्लियर करना होगा. यह एक सुरक्षित और आसान तरीका है, जिसकी मदद से आप फोन में जगह बना सकते हैं. इसके लिए सेटिंग्स में जाकर ऐप पर क्लिक करें. इसके बाद ऐप मे दिये गये विकल्प क्लियर कैशे पर क्लिक करें. ऐसा करने से आपके फोन का काफी स्पेस खाली हो जाएगा.

आनलाइन म्यूजिक सुने

मोबाइल में सबसे ज्यादा कोई चीज स्पेस लेती है, तो वो है म्यूजिक और वीडियो. इस समस्या से निपटने के लिए फोन में म्यूजिक और वीडियो डाउनलोड करने के बजाय आप उन्हें आनलाइन या आफलाइन सुन या देख सकते हैं. आज कल सावन, गाना और हंगामा जैसे कई एप्लिकेशन मौजूद हैं जो आपकी सुविधा के लिए आफलाइन म्यूजिक को स्टोर करती हैं. इसका इक फायदा यह भी है कि यह आफलाइन म्यूजिक फोन की मैमोरी में स्टोर नहीं होते और इससे आपके फोन की इंटरनल मैमोरी खाली रहती है.

गूगल ड्राइव का करें इस्तेमाल

गूगल ड्राइव अनलिमिटेड फोटो सेव करने में आपकी मदद करता है. फोन में स्पेस बनाने के लिए आप अपने एंड्रायड फोन से लिए गए सभी फोटो को गूगल ड्राइव में सेव कर सकते है और अपने फोन से उन फोटो को डिलीट कर स्पेस बना सकते हैं.

एप्लिकेशन अनइंस्टाल करें

ऐसे कई एप्लिकेशन हैं जो आपके फोन में तो होते हैं पर आप उनका इस्तेमाल नहीं करते. ऐसे में आप उन एप्लिकेशन को अनइंस्टाल या डिसेबल कर अपने फोन में स्पेस बना सकते हैं.

माइक्रोएसडी कार्ड का इस्तेमाल करें

अगर इन उपायो के बाद भी आपको आपकी आवश्यकतानुसार स्पेस नहीं मिल पा रहा है तो सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने फोन में माइक्रोएसडी कार्ड का इस्तेमाल करें. आप चाहे तो बड़ी ही आसानी से ऐप्स को माइक्रोएसडी कार्ड मूव कर सकते हैं. ऐप्स को मूव करने के लिए आपको सेटिंग्स में जाना होगा, फिर ऐप सेक्शन में ऐप पर क्लिक करना होगा. इसके बाद आपको ऐप मूव का विकल्प मिलेगा जिस पर जाकर आप किसी भी ऐप को आसानी से माइक्रोएसडी कार्ड मे मूव कर सकेंगे.

ये 5 टेक्नोलाजी बदल देगी दुनिया

दुनिया तेजी से बदल रही है. इंसान की जिंदगी में जितने बदलाव 100 वर्षों में नहीं हुए होंगे, उससे अधिक बदलाव पिछले 20 वर्षों में हो गए और जितने बदलाव पिछले 20 वर्षों में नहीं हुए उससे अधिक बदलाव आने वाले 7-8 वर्षों में हो जाएंगे. और इसका एक ही कारण है, दिन प्रतिदिन बढ़ता टेक्नोलाजी.

तो चलिए आज हम आपको कुछ नई तकनीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल सकती है.

3डी प्रिंटिंग

3डी प्रिंटिंग वर्तमान समय की सबसे शानदार नए तकनीक में से एक है. 3डी प्रिंटर, हमारे डिजिटल डिजाइन को ठोस वास्तविक प्रोडक्ट में प्रिंट कर देता है.

3डी प्रिंटर आने वाले समय में दुनिया में अकल्पनीय बदलाव लाएगा क्योंकि इसका उपयोग हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में होगा. अभी तक 3डी प्रिंटिंग का उपयोग साईकिल से लेकर हवाई जहाज के पार्ट्स, खिलौने, मेटल की वस्तुएं, खाद्य उत्पाद, मानव अंग, मकान और कई तरह की वस्तुएं बनाने में हुआ है.

यह तकनीक निरंतर रूप से विकसित हो रही है और भविष्य में इसका उपयोग लगभग हर तरह की ठोस वस्तुएं बनाने में किया जाएगा.

फ्लाइंग कार

दुनिया की 19 कंपनियां अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं. गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट की चीफ एग्जिक्यूटिव लैरी पेज किटी हौक को सपोर्ट कर रहे हैं. किटी हौक एक स्टार्टअप है, जो कि फ्लाइंग कार के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इसके अलावा, जौबी एविएशन, उबर और एयरबस भी ऐसा व्हीकल बना रहे हैं, जो कि भारी ट्रैफिक वाली सड़कों के ऊपर उड़ सकें. ऐसी कई तरह की कारों पर काम चल रहा है.

क्वांटम कंप्यूटर

क्वांटम कंप्यूटर आज के कंप्यूटर्स के मुकाबले बहुत पावरफुल होगा. क्वांटम कंप्यूटर चुटकियों में इनक्रिप्शन को क्रैक कर देगा. इनक्रिप्शन दुनिया के सबसे प्राइवेट डेटा को प्रोटेक्ट करता है. हालांकि, ऐसी मशीन्स को बनाना काफी कठिन है, लेकिन बड़ी तेजी से इन पर काम चल रहा है. Google, IBM और इंटेल जैसी कंपनियां क्वांटम कंप्यूटर बनाने में भारी भरकम निवेश कर रही है. वहीं, रिगेटी कंप्यूटिंग जैसे स्टार्टअप भी इस पर काम कर रहे हैं. रिसर्चर्स का मानना है कि क्वांटम मशीन ड्रग डिस्कवरी, फाइनेंशियल मार्केट्स को दुरुस्त करना, ट्रैफिक प्राब्लम्स को सौल्व करने में तेजी ला सकती है.

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस हेल्थकेयर

पिछले पांच सालों में जटिल एल्गोरिदम डीप न्यूरल नेटवर्क्स की मदद से कंप्यूटर्स ने देखना सीख लिया है. अस्पष्ट तौर पर इंसानी दिमाग में न्यूरौन्स की वेब के आधार पर, एक न्यूरल नेटवर्क डेटा के पैटर्न की पहचान करके टौस्क को सीख सकता है. साइकिल की लाखों फोटो का विश्लेषण करके कोई न्यूरल नेटवर्क किसी साइकिल को पहचानना सीख सकता है. इसका मतलब है कि फेसबुक और गूगल फोटोज जैसी सर्विसेज इंटरनेट पर अपलोड की गई इमेज में चेहरों और चीजों की आसानी से पहचान कर सकते हैं. इसी तकनीक का यूज करते हुए मशीनें मेडिकल स्कैन में बीमारियों के संकेतों को पहचान सकती हैं.

कान्वर्सेशनल कंप्यूटिंग

न्यूरल नेटवर्क्स केवल इमेज रिकग्निशन तक सीमित नहीं है. इसका दायरा कहीं व्यापक है. यही तकनीक अमेजन इको जैसे काफी टेबल गैजेट्स में तेजी से सुधार ला रही है, जो कि कमरे में कहीं से बोली गई कमांड को पहचान लेती है. यही तकनीक स्काइप जैसी औनलाइन सर्विसेज को भी इम्प्रूव कर रही है, जो कि एक लैंग्वेज में आने वाली फोन कौल्स को तुरंत दूसरी भाषा में ट्रांसलेट कर देता है. गूगल, फेसबुक और माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनियां इसे मोर्चे पर तेजी से कदम बढ़ा रही हैं, जिससे आगे चलकर फोन, कारों और किसी भी मशीन के साथ हमारे इंटरैक्शन में अहम बदलाव आ सकता है.

क्या हिना खान बनेंगी बिग बौस 11 की विजेता

जब से हिना खान बिग बौस 11 में आई हैं तब से ही उनकी बाते सुनकर लग रहा है कि वो खुद को इस शो का फाइनलिस्ट समझती हैं. इस शो में अब उनकी हरकतें भी इस बात का सबूत पेश कर रहे हैं कि हिना खुद को लेकर कुछ ज्यादा ही कान्फिडेंट हैं. बिग बौस में अक्सर ही उन्हें प्रियांक शर्मा और लव त्यागी के साथ यह बातें करते सुना गया है कि जब वे सब चले जाएंगे तो वह यहां पर बिल्कुल अकेली हो जाएंगी.

बिग बौस के एक एपिसोड में हिना खान लव त्यागी से कह रही थीं कि यहां पर मौजूद हर कोई शुरुआत से ही मुझे अकेला करने की कोशिश कर रहा है. आखिर घर में रहने वाले हर सदस्य मुझे ही क्यों निशाना बनाना चाहते हैं. क्या वे यही चाहते हैं कि हिना खान अकेली हो जाए. आखिर वे ऐसा क्यों चाहते हैं. हिना खान ने फिर लव से कहा कि यार मैं तो यह सोच कर एकदम से डर जाती हूं कि मेरा क्या होगा जब तुम सब चले जाओगे.

हिना की इस बात को लव त्यागी बड़े ही धैर्य के साथ सुन रहे थे और हमेशा की तरह अपना सिर हिलाते हुए उनकी हर बात में हां हां कर रहे थे.

इस घर में रहने वाला का कोई भी सदस्य इतने आत्मविश्वास के साथ बात नहीं करता जितने आत्मविश्वास से हिना खान करती हैं. हिना खान की इस तरह की बातों से तो ऐसी बू आती है कि वे खुद को फाइनलिस्ट मान बैठी हैं या फिर ऐसा भी हो सकता है कि बिग बौस में आने से पहले उन्होंने कोई ऐसा कान्ट्रेक्ट साइन किया हो जहां पर यह लिखा हो कि वे इस शो में फाइनल तक जाएंगी.

अगर वाकई में ऐसा कुछ है तो फिर तो संभवतः विजेता भी पहले से तय किया जा चुका होगा. वैसे भी बिग बौस के 11वें सीजन के शुरू होते ही ऐसी खबरें भी आने लगी थी कि हिना खान इस शो में फाइनल तक जाएंगी और वही इस शो की विजेता होंगी. वैसे आगे क्या होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि बिग बौस में जो हो रहा है, वह रियल में हो रहा है या सबकुछ स्क्रिप्ट पर चल रहा है और हिना खान के साथ ही घर का हर सदस्य केवल एक्टिंग कर रहा है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें