दुनिया तेजी से बदल रही है. इंसान की जिंदगी में जितने बदलाव 100 वर्षों में नहीं हुए होंगे, उससे अधिक बदलाव पिछले 20 वर्षों में हो गए और जितने बदलाव पिछले 20 वर्षों में नहीं हुए उससे अधिक बदलाव आने वाले 7-8 वर्षों में हो जाएंगे. और इसका एक ही कारण है, दिन प्रतिदिन बढ़ता टेक्नोलाजी.
तो चलिए आज हम आपको कुछ नई तकनीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल सकती है.
3डी प्रिंटिंग
3डी प्रिंटिंग वर्तमान समय की सबसे शानदार नए तकनीक में से एक है. 3डी प्रिंटर, हमारे डिजिटल डिजाइन को ठोस वास्तविक प्रोडक्ट में प्रिंट कर देता है.
3डी प्रिंटर आने वाले समय में दुनिया में अकल्पनीय बदलाव लाएगा क्योंकि इसका उपयोग हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में होगा. अभी तक 3डी प्रिंटिंग का उपयोग साईकिल से लेकर हवाई जहाज के पार्ट्स, खिलौने, मेटल की वस्तुएं, खाद्य उत्पाद, मानव अंग, मकान और कई तरह की वस्तुएं बनाने में हुआ है.
यह तकनीक निरंतर रूप से विकसित हो रही है और भविष्य में इसका उपयोग लगभग हर तरह की ठोस वस्तुएं बनाने में किया जाएगा.
फ्लाइंग कार
दुनिया की 19 कंपनियां अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं. गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट की चीफ एग्जिक्यूटिव लैरी पेज किटी हौक को सपोर्ट कर रहे हैं. किटी हौक एक स्टार्टअप है, जो कि फ्लाइंग कार के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इसके अलावा, जौबी एविएशन, उबर और एयरबस भी ऐसा व्हीकल बना रहे हैं, जो कि भारी ट्रैफिक वाली सड़कों के ऊपर उड़ सकें. ऐसी कई तरह की कारों पर काम चल रहा है.
क्वांटम कंप्यूटर
क्वांटम कंप्यूटर आज के कंप्यूटर्स के मुकाबले बहुत पावरफुल होगा. क्वांटम कंप्यूटर चुटकियों में इनक्रिप्शन को क्रैक कर देगा. इनक्रिप्शन दुनिया के सबसे प्राइवेट डेटा को प्रोटेक्ट करता है. हालांकि, ऐसी मशीन्स को बनाना काफी कठिन है, लेकिन बड़ी तेजी से इन पर काम चल रहा है. Google, IBM और इंटेल जैसी कंपनियां क्वांटम कंप्यूटर बनाने में भारी भरकम निवेश कर रही है. वहीं, रिगेटी कंप्यूटिंग जैसे स्टार्टअप भी इस पर काम कर रहे हैं. रिसर्चर्स का मानना है कि क्वांटम मशीन ड्रग डिस्कवरी, फाइनेंशियल मार्केट्स को दुरुस्त करना, ट्रैफिक प्राब्लम्स को सौल्व करने में तेजी ला सकती है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस हेल्थकेयर
पिछले पांच सालों में जटिल एल्गोरिदम डीप न्यूरल नेटवर्क्स की मदद से कंप्यूटर्स ने देखना सीख लिया है. अस्पष्ट तौर पर इंसानी दिमाग में न्यूरौन्स की वेब के आधार पर, एक न्यूरल नेटवर्क डेटा के पैटर्न की पहचान करके टौस्क को सीख सकता है. साइकिल की लाखों फोटो का विश्लेषण करके कोई न्यूरल नेटवर्क किसी साइकिल को पहचानना सीख सकता है. इसका मतलब है कि फेसबुक और गूगल फोटोज जैसी सर्विसेज इंटरनेट पर अपलोड की गई इमेज में चेहरों और चीजों की आसानी से पहचान कर सकते हैं. इसी तकनीक का यूज करते हुए मशीनें मेडिकल स्कैन में बीमारियों के संकेतों को पहचान सकती हैं.
कान्वर्सेशनल कंप्यूटिंग
न्यूरल नेटवर्क्स केवल इमेज रिकग्निशन तक सीमित नहीं है. इसका दायरा कहीं व्यापक है. यही तकनीक अमेजन इको जैसे काफी टेबल गैजेट्स में तेजी से सुधार ला रही है, जो कि कमरे में कहीं से बोली गई कमांड को पहचान लेती है. यही तकनीक स्काइप जैसी औनलाइन सर्विसेज को भी इम्प्रूव कर रही है, जो कि एक लैंग्वेज में आने वाली फोन कौल्स को तुरंत दूसरी भाषा में ट्रांसलेट कर देता है. गूगल, फेसबुक और माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनियां इसे मोर्चे पर तेजी से कदम बढ़ा रही हैं, जिससे आगे चलकर फोन, कारों और किसी भी मशीन के साथ हमारे इंटरैक्शन में अहम बदलाव आ सकता है.