और्गेनाइजेशन औफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) ने एक मीटिंग में तेल उत्पादन में कटौती को 2018 के अंत तक जारी रखने का फैसला लिया. इस कदम का उद्देश्य लगातार गिर रही क्रूड औइल की कीमतों को रोकना है. इसका सीधा मतलब यह है कि क्रूड औइल की कीमतें आने वाले समय में लगातार बढ़ सकती हैं. भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका असर निश्चित तौर पर देखने को मिल सकता है.

ओपेक के विएना स्थित हेडक्वार्टर में हुई मीटिंग में कई घंटों की चर्चा के बाद इस बात पर सहमति बनी. हालांकि इस बैठक में इस बात पर अभी तक सहमति नहीं बनी है कि लीबिया के औइल आउटपुट को कंट्रोल करने के लिए प्रोडक्शन कट की जरूरत है या नहीं.

आपको बता दें कि लीबिया अभी आंतरिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. 14 सदस्यीय ओपेक नौन-ओपेक मेंबर देशों के साथ संयुक्त रूप से प्रोडक्शन कट को लेकर बैठक करने जा रहा है. नौन ओपेक देशों का नेतृत्व रूस करेगा. रूस ने इसी साल ओपेक देशों के साथ मिलकर प्रॉडक्शन कट किया था. वह खराब दौर से गुजर रहे अंतरराष्ट्रीय क्रूड औइल मार्केट को घाटे से उबारने के लिए लगातार प्रोडक्शन कट की वकालत कर रहा है.

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड औइल की कीमत प्रति बैरल 60 डौलर से ज्यादा पहुंच चुकी है. प्रोडक्शन कट करने की डील में अमेरिका शामिल नहीं है. रूस को यह डर सता रहा है कि कहीं प्रोडक्शन कट के कारण तेल की बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए अमेरिका अपने यहां उत्पादन बढ़ा न दे.

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