हमारे देश में मान्यता है कि यदि कोई नस खिंच जाए, तो उलटा पैदा हुए इंसान के पैर मारते ही वह ठीक हो जाता है. पंजाब में इसे उस इंसान की ‘सफा’ कहा जाता है जिसके लिए वह कोई धन नहीं लेता. इसी मान्यता के साथ 1921 के वक्त ब्रिटिश शासन वाले भारत, महात्मा गांधी का अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन व पंजाब के गांव में पनपी प्रेम कहानी, अंग्रेजों का अपना स्वार्थ और भारतीय राजाओं का लालच. इन सब का मिश्रण है टीवी जगत के मशहूर कौमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म ‘‘फिरंगी’’ में. देसीपना से युक्त एक अति लंबी नीरस फिल्म में दर्शकों को ढाई घंटे से अधिक समय तक बांध कर रखने की क्षमता का अभाव है.

फिल्म की कहानी 1921 में ब्रिटिश शासन काल के दौरान के पंजाब के गांव की है. यह वह दौर था, जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन चला रखा था. विदेशी कपड़े आदि जलाए जा रहे थे. बलरामपुर गांव निवासी मंगतराम उर्फ मंग्या (कपिल शर्मा) बड़ा हो गया है, पर बेरोजगार है. वह ब्रिटिश पुलिस में भरती होना चाहता है, मगर तीन बार दौड़ में असफल होने की वजह से नौकरी नही पाता. पर मंग्या की खूबी है कि वह उलटा पैदा हुआ था. इसी खूबी के चलते ब्रिटिश अफसर मार्क डेनियल (एडवर्ड सोन्नेब्लिक) को मंग्या की जरूरत पड़ती है और वह खुश होकर मंग्या को अपना अर्दली नियुक्त कर लेते हैं.

इस बीच अपने तांगे वाले मित्र हीरा (इनामुल हक) की शादी में मंग्या हीरा के गांव नकुशा जाने पर मंग्या की नजर सारगी (इशिता दत्ता) पर पड़ती है और वह उसे अपना दिल दे बैठता है. सारगी की रजामंदी मिलने पर मंग्या के परिवार के लोग मंग्या की शादी सारगी से हो, इसकी बात करने सारगी के घर पहुंचते हैं. सारगी के माता पिता (राजेश शर्मा) तो तैयार हैं, मगर सारगी के दादाजी उर्फ लाला जी (अंजन श्रीवास्तव) मना कर देते हैं. क्योंकि लाला जी तो महात्मा गांधी के अंग्रेजों के खिलाफ चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं. ऐसे में उन्हें अंग्रेजों की नौकरी करने वाला मंग्या पसंद नही आता.

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