अगर आप भी अक्सर रेल से सफर करते हैं तो यह खबर आपके लिए काम की है. जी हां, रेलवे के नए नियमों के तहत आप तत्काल टिकट पर 100 प्रतिशत तक रिफंड ले सकते हैं. यानि आप कुछ शर्तों के साथ तत्काल टिकट का पूरा पैसा वापस लेने के हकदार होंगे. इसके तहत काउंटर और ई-टिकट दोनों पर पैसा वापस मिलेगा.
रेलवे ने इसके लिए पांच शर्तों के तहत रिफंड देने की व्यवस्था शुरू की है. इस नियम का फायदा ऐसे यात्रियों को होगा जो अचानक यात्रा का प्लान बनने पर तत्काल टिकट कराते हैं लेकिन बाद में ट्रेन लेट होने या अन्य किसी कारण से उन्हें गंतव्य पर पहुंचने के लिए अन्य किसी विकल्प का सहारा लेना पड़ता है.
इस स्थिति में वापस होगा पूरा पैसा
नए नियम के मुताबिक ट्रेन के प्रारंभिक स्टेशन पर तीन घंटे विलंब से आने पर, रूट डायवर्ट होने, बोर्डिंग स्टेशन से ट्रेन के नहीं जाने और कोच डैमेज होने या बुक टिकट वाली श्रेणी में यात्रा की सुविधा नहीं मिलने पर यात्री 100 प्रतिशत रिफंड ले सकेंगे. यही नहीं यदि यात्री को लोअर श्रेणी में यात्रा की सुविधा मुहैया करायी जाती है तो रेलवे किराए के अंतर के साथ ही तत्काल का चार्ज भी लौटाएगी. सीपीआरओ, एनईआर, संजय यादव ने बताया कि पांच शर्तों के आधार पर तत्काल टिकट पर भी सौ फीसदी रिफंड देने का नियम बनाया है.
सुबह 10 बजे से शुरू होती है बुकिंग
आपको बता दें कि एसी श्रेणी में तत्काल टिकट बुकिंग सुबह 10 बजे से शुरू होती है, जबकि नौन एसी क्लास की बुकिंग सुबह 11 बजे से होती है. तत्काल टिकट बुकिंग यात्रा से एक दिन पहले करानी पड़ती है. एक पीएनआर पर अधिकतम चार यात्रियों की ही टिकट बुकिंग हो सकती है. तत्काल टिकट की बुकिंग के लिए आपको सामान्य किराया के अलावा तत्काल टिकट शुल्क का भी भुगतान करना पड़ता है.
10 प्रतिशत ज्यादा का भुगतान
यात्री को सेकेंड क्लास के लिए ट्रेन के सामान्य किराये पर 10 प्रतिशत ज्यादा का भुगतान करना पड़ता है जबकि अन्य श्रेणी के लिए 30 फीसदी के करीब भुगतान करना होता है. सेकेंड सिटिंग का तत्काल टिकट बुक करने पर 10 से 15 रुपए का चार्ज लगता है. स्लीपर क्लास का टिकट बुक करने न्यूनतम 100 रुपए और अधिकतम 200 रुपए का अतरिक्त शुल्क देना होता है.
एसी चेयर कार का टिकट बुक करने पर न्यूनतम 125 और अधिकतम 225 रुपए का शुल्क लगता है. एसी 3 टियर के तत्काल टिकट पर कम से कम 300 रुपए और अधिकतम 400 रुपये का चार्ज लगता है. एसी 2 टियर का टिकट बुक करने पर कम से कम 400 रुपये और अधिकतम 500 रुपये का चार्ज लगता है. वहीं एग्जीक्यूटिव क्लास का तत्काल टिकट लेने पर न्यूनतम 400 रुपये और अधिकतम 500 रुपये का शुल्क लगता है.
इससे पहले भारतीय रेलवे की तरफ से ऐसे साढ़े 13 हजार कर्मचारियों की पहचान की गई है जो लंबे समय से बिना बताए छुट्टी पर चल रहे हैं. इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने की अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है. रेलवे ने पिछले दिनों यह कदम तब उठाया है जब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उच्च अधिकारियों से कहा कि वे रेल के सभी विभागों में मौजूद उन लोगों का पता लगाएं जो लंबे समय से बिना बताए छुट्टी पर हैं.
मैच के दौरान कई बार देखा गया है कि भारतीय टीम के खिलाड़ी हिंदी में बात करते हुए विदेशी खिलाड़ियों का जमकर मजाक बनाते हैं. ऐसा ही एक वाकया भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए पांचवे वनडे मैच में देखने को मिला. जब पोर्ट एलिजाबेथ में दक्षिण अफ्रीका के विकेट गिरने का सिलसिला शुरु हुआ. उस समय भारतीय टीम के कप्तान ने जोश में आकर अफ्रीकी बल्लेबाजों से हिंदी में मजाक किया.
यह वाकया मेजबान टीम की पारी के 41.1 ओवर का है. उस वक्त गेंदबाजी के छोर पर टीम इंडिया के स्पिग गेंदबाज कुलदीप यादव खड़े थे. द. अफ्रीका 8 विकेट के नुकसान पर 197 रन बना चुका था. तभी स्ट्राइक पर खड़े अफ्रीकी बल्लेबाज तबरेज शम्सी को उकसाते हुए विराट ने कमेंट किया. उन्होंने हिन्दी में उनका मजाक बनाते हुए कहा, ‘घबराओ मत शम्मों ! तुमने चेस्ट पैड पहना है.’
विराट का कमेंट सुनते ही प्रोटियाज बल्लेबाज ताव में आ गया और अगली ही गेंद को उठाकर मारने के चक्कर में अपना विकेट गंवा बैठा. बांउड्री पर खड़े हार्दिक पांड्या ने एक हाथ से शम्सी का जबर्दस्त कैच पकड़ा. इस मैच में टीम इंडिया ने मेजबान टीम को 73 रन से मात देकर छह मैचों की वन-डे सीरीज पर कब्जा कर लिया.
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• Kohli sledging & giving it back to Shamshi: Chest Pad? C’mon. You’re wearing chest pad?
बता दें कि धोनी हमेशा अपने आगे खड़े बल्लेबाज को कुछ ना कुछ बोलकर उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं. कई बार धोनी को स्टंप माइक पर बल्लेबाजों की कमजोरी गेंदबाज को बताते सुना जा सकता है. वहीं इस सीरीज जीतने के जोश में विराट कोहली ने भी अफ्रीकी खिलाड़ी तबरेज शम्सी पर कमेंट किया. वैसे यह कोई पहला ऐसा वाकया नहीं है जब टीम विराट कोहली खिलाड़ियों पर स्लेजिंग करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं. इससे पहले भी वह कई बार ऐसा कर चुके हैं. बता दें कि द. अफ्रीका के खिलाफ हालिया टेस्ट सीरीज में भी कप्तान विराट कोहली ने कई बार खिलाड़ियों को अपशब्द कहे थे.
साउथ अफ्रीकी गेंदबाज कगीसो रबाडा पर मैच के दौरान उनकी हरकत के चलते मैच फीस का 15% जुर्माना और डिमेरिट अंक दिया गया है. रबाडा ने पांचवें वनडे के वक्त भारतीय बल्लेबाज शिखर धवन को आउट होने पर ‘सैंड औफ’ दिया था, ये वाकया 7.2 ओवर का ही, जिस वक्त भारत का स्कोर 48/1 था. इस दौरान तेज गेंदबाज कगीसो रबाडा की गेंद पर शिखर धवन अपना कैच फेहुलकवायो को थमा बैठे. जब धवन पवेलियन लौटने लगे, तो उस दौरान रबाडा ने उन्हें ‘बाय-बाय’ का इशारा किया था.
रबाडा पर ग्राउंड अंपायर इयान गाउल्ड, शौन जौर्ज और तीसरे अंपायर अलीम डार के अलावा चौथे अंपायर बोंगनी जेले ने अनुच्छेद 2.1.7 के उल्लंघन का आरोप लगाया. मैच के बाद रबाडा ने अपन गलती को मानते हुए आईसीसी मैच रेफरी एंडी पायक्रौफ्ट द्वारा दी गई सजा को कबूल कर लिया. इसी कारण किसी भी आधिकारिक सुनवाई की जरूरत नहीं पड़ी.
बता दें कि भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ छह मैचों की वनडे सीरीज का पांचवां मैच जीतकर 4-1 की अपराजेय बढ़त हासिल कर ली है. देश से बाहर इस अफ्रीकी देश के खिलाफ किसी भी प्रारूप में भारत ने पहली बार कोई सीरीज जीती है. इसके साथ ही ये विराट कोहली की बतौर कप्तान वनडे मैच में 37 वीं जीत थी. दोनों टीमों के बीच अंतिम वनडे मुकाबला 16 फरवरी को खेला जाना है. वहीं 18-24 फरवरी के बीच तीन मैचों की टी20 सीरीज भी खेली जानी है.
भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए रोहिता शर्मा के शतक (126 गेंदों पर 115 रन) की बदौलत सात विकेट खोकर 274 रन बनाए थे और फिर 42.2 ओवर में ही दक्षिण अफ्रीका को औल आउट कर दिया. कुलदीप यादव ने भारत की ओर से 57 रन देकर 4 विकेट झटके. इस मैच में रबाडा ने 58 रन खर्च कर महज 1 ही सफलता प्राप्त की.
वहीं साउथ अफ्रीका के कप्तान एडिन मार्कराम ने जीत का श्रेय टीम इंडिया को देते हुए कहा, ‘यह मुश्किल था. जीत का सारा श्रेय भारत को जाता है. हमारी बल्लेबाजी अच्छी नहीं थी. जब आप विकेट गंवाते हो, तो आपको लय में आने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.’
चाइनीज मोबाइल निर्माता कंपनी शाओमी ने भारत में अपनी रेडमी नोट सीरीज का विस्तार किया है. कंपनी ने बुधवार को भारतीय बाजार में रेडमी नोट 5 (Redmi Note 5) और रेडमी नोट 5 प्रो (Redmi Note 5 Pro) को लौन्च कर दिया है. दोनों ही फोन को कंपनी ने दो-दो वेरिंएट में लौन्च किया है. रेडमी नोट 5 पिछले साल लौन्च किए गए रेडमी नोट 4 (Redmi Note 4) का अपग्रेड वर्जन है.
दोनों स्मार्टफोन भारत में फ्लिपकार्ट के जरिए बेचा जाएगा. साथ ही दोनों फोन एमआई डौट कौम और एमआई होम रिटेल स्टोर में भी उपलब्ध होंगे. दोनों फोन के लौन्चिंग इवेंट में कंपनी ने भारत में मी टीवी 4 सीरीज के टेलीविजन को भी लौन्च किया. आगे पढ़िए दोनों ही फोन के खासियत के बारे में.
रेडमी नोट 5
फोन में 5.99 इंच 1080×2160 पिक्सल रिजोल्यूशन वाली डिस्पले है. यह फोन एंड्रौयड नूगा पर बेस्ड एमआईयूआई 9 पर चलता है. फोन में औक्टा-कोर स्नैपड्रैगन 625 प्रोसेसर दिया गया है. फोन में 12 MP का रियर कैमरा और 5 MP का फ्रंट कैमरा दिया गया है. फोन को 32 GB और 64 GB स्टोरेज वेरिएंट के साथ लौन्च किया गया है. लेकिन दोनों ही वेरिएंट में हाइब्रिड सिम स्लौट दिया गया है. 3 GB रैम वाले वेरिएंट की 32 GB इंटरनल स्टोरेज है.
फोन के 4 GB रैम वाले वेरिएंट की 64 GB इंटरनल स्टोरेज है. रेडमी नोट 5 में 4000 mAh की बैटरी है, जो फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है. इसमें प्रीमियम मेटल बौडी दी गई है और यह रेडमी नोट 4 से काफी पतला है. इसके कैमरे के बारे में कंपनी का दावा है कि इससे अंधेरे में भी अच्छी क्वालिटी की तस्वीर ली जा सकेगी.
रेडमी नोट 5 प्रो
रेडमी नोट 5 प्रो को भी 5.99 इंच की 1080×2160 पिक्सल रिजोल्यूशन वाली डिस्पले के साथ लौन्च किया गया है. यह क्वौलकॉम स्नैपड्रैगन 636 प्रोसेसर के साथ आने वाला दुनिया का पहला स्मार्टफोन है. फोन में लेटेस्ट क्रायो 260 सीपीयू दिया गया है. कंपनी का दावा है कि यह रेडमी नोट सीरीज का सबसे फास्ट परफौर्मेंस वाला फोन है. इस फोन को 4 GB और 6 GB की रैम के साथ लौन्च किया गया है. लेकिन दोनों ही वेरिएंट में 64 GB की इंटरनल स्टोरेज दी गई है.
फोन में रियर डुअल 12 MP व 5 MP कैमरा सेटअप है. डुअल फ्रंट कैमरा 20 MP का है. कंपनी का कहना है कि इस फोन में कम लाइट में भी सेल्फी ली जा सकती है. कैमरे के साथ एलईडी सेल्फी लाइट भी है. इस फोन में फेस अनलौक का फीचर भी है, जिससे फोन का लौक चेहरे को पहचानकर खुलेगा. फोन में 4000 mAh की दमदार बैटरी है. यह फोन ब्लैक, रोज गोल्ड, गोल्ड और ब्लू रंग में मिलेगा.
कीमत
भारतीय बाजार में रेडमी नोट 5 (Redmi Note 5) की कीमत 9,999 रुपये से शुरू होती है. 9,999 रुपये में आप 3 GB रैम और 32 GB स्टोरेज वाला वेरिएंट ले सकते हैं. इसके अलावा आप 11,999 रुपये में 4 GB रैम और 64 GB स्टोरेज वाला वेरिएंट खरीद सकते हैं. दोनों ही वेरिएंट की बिक्री फ्लिपकार्ट, मी डौट कौम और मी होम स्टोर पर 20 फरवरी से शुरू होगी. रेडमी नोट 5 प्रो (Redmi Note 5 Pro) के 4 GB रैम वाले वेरिएंट की कीमत 13,999 रुपये है. इसके 6 GB रैम वाले वेरिएंट की कीमत 16,999 रुपये है. रेडमी नोट 5 की तरह रेडमी नोट 5 प्रो के भी दोनों वेरिएंट की बिक्री फ्लिपकार्ट, मी डौट कौम और मी होम स्टोर पर होगी. इसकी सेल 21 फरवरी से शुरू होगी.
2014 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश से कांग्रेस को महज 2 सीटें मिली थी, पहली थी छिंदवाड़ा जहां से कमलनाथ जीते थें और दूसरी थी गुना जिस पर से सिंधिया राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव को भाजपा और नरेंद्र मोदी का जादू दोनों चुनौती नहीं दे पाये थें. 2013 के विधानसभा चुनावों में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा साफ साफ दिखा था तब मध्यभारत की जो अहम सीटें कांग्रेस ने जीती थीं उनमे गुना संसदीय क्षेत्र की मुंगावली और कोलारस भी थीं. इन दोनों सीटों पर अब कांग्रेसी विधायकों की मौतों के बाद 24 फरवरी को उपचुनाव हैं जिनके नतीजे 28 फरवरी को घोषित होंगे.
ये उपचुनाव कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के लिए अहम हो चले हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसी भी कीमत पर ये सीटें भाजपा के खाते में डलवाकर खुद की लोकप्रियता तो सिद्ध करना ही चाहते हैं साथ ही यह भी जताना चाहते हैं कि उनकी सरकार के कामकाज का मूल्यांकन कोलारस और मुंगावली के वोटर ने सिंधिया और कांग्रेस को नकारते हुये किया, लिहाजा वे अपराजेय हैं और अगली सरकार भी उन्हीं के नेतृत्व में ही भाजपा बना पाएगी.
भाजपा के लिए ये दोनों सीटें करो या मरो वाली इसलिए भी हैं कि साल के आखिर में सूबे में विधानसभा चुनाव होना हैं और गुजरात का चुनाव भाजपा लड़खड़ाते हुए जीती थी. उसकी चिंता राजस्थान के 2 लोकसभा और एक विधानसभा उपचुनाव के नतीजे ने और भी बढ़ा दी है जहां कांग्रेस कुछ इस तरह जीती थी मानो भाजपा वहां मुकाबले में थी ही नहीं. ऐसे में जाहिर है ये सीटें उसके लिए गैरमामूली हो गईं हैं जिनकी हार जीत शिवराज सिंह का कद और वजूद तय करेगी.
आमतौर पर उपचुनाव नीरस और उबाऊ होते हैं पर कोलारस और मुंगावली के चुनाव सभी हिन्दी भाषी राज्यों के लिए दिलचस्पी का शबब बन गए हैं. दो टूक कहा जाये तो भाजपा इनके चक्रव्यूह में अभिमन्यु की तरह घिर गई है जिसे वह भेद पाएगी इसमें हर किसी को शक है. सूबे में पिछले 2 टसल वाले उपचुनाव भाजपा चित्रकूट और अटेर सीट पर हार चुकी है इनमें से भी अटेर, मुंगावली और कोलारस की तरह मध्यभारत की ही थी और सिंधिया के प्रभावक्षेत्र वाली थी. भाजपा ने यहां एडी चोटी का जोर लगा दिया था लेकिन कांग्रेस के हेमंत कटारे आखिरकार भाजपा के अरविंद भदौरिया से मामूली अंतर से ही सही जीत गए थे.
मुंगावली में सीधी टक्कर भाजपा की उम्मीदवार बाई साहब यादव और कांग्रेस के बृजेश सिंह यादव के बीच है. कोलारस में भाजपा ने देवेंद्र जैन को और कांग्रेस ने महेंद्र सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है. इन दोनों ही सीटों पर दलित आदिवासी वोटों की तादाद 35 फीसदी के लगभग है यही वोट फैसला करेंगे कि देश के दलित आदिवासियों का रुख आखिरकार अब भाजपा के प्रति है क्या, उम्मीदवारों के नामों की घोषणा तक भाजपा को उम्मीद थी कि ये वोट विभाजित हो जाएंगे लेकिन हैरत अंगेज तरीके से सपा और बसपा ने इन चुनावों से दूरी बना ली तो समीकरण गड़बड़ाते दिख रहे हैं.
सपा तो कोई खास फर्क इन सीटों पर नहीं डाल पाती लेकिन बसपा को खासे वोट इन सीटों पर मिलते रहे हैं. बसपा प्रमुख मायावती ने हालांकि किसी पार्टी से समझौते का ऐलान नहीं किया है लेकिन हर कोई समझ रहा है कि उनकी तटस्थता से फायदा कांग्रेस को ही होगा. मध्यप्रदेश के आम चुनावों के मद्देनजर अखिलेश यादव की तरह मायावती भी कांग्रेस से सौदेबाजी के मूड में हैं ऐसे में अगर भाजपा इन सीटों पर जीती तो सपा और बसपा दोनों को मध्यप्रदेश से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए.
ऐसा भी नहीं कि इन चुनावों में कोई मुद्दा न हो शिवराज सिंह विकास और भले के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो कांग्रेस की तरफ से दोनों सीटों की कमान संभाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी विकास की ही बात कर रहे हैं कि कौन सा और कैसा विकास, विकास अगर हुआ होता तो विकास की दुहाई देने की जरूरत ही नहीं पड़ती. दोनों ही पार्टियों के दिग्गज जल्द ही प्रचार करते दिखेंगे तो तय है इन सीटों का देहाती मतदाता यह नहीं समझ पाएगा कि वह क्या तय करने जा रहा है और क्यों बड़े बड़े दिग्गज यहां टूटे पड़ रहे हैं.
2 महीने पहले जब इन चुनावों की सुगबुगाहट शुरू हुई थी तब शिवराज सिंह ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बेटी यशोधरा राजे को यहां से दूर ही रखा था लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इन दोनों सीटों पर अटेर की तरह डेरा डाल दिया तो शिवराज सिंह घबरा गए और यशोधरा को जैसे तैसे प्रचार के लिए मना लिया. पिछले एक साल से सिंधिया परिवार के पूर्वजों को अंग्रेजों का साथी और सहयोगी यानि गद्दार बताने बाले शिवराज सिंह पर सिंधिया बहिनो यशोधरा और वसुंधरा की भोंहे तिरछी हुईं थीं और बात भाजपा आलाकमान और आरएसएस तक भी पहुंची थी. शिवराज सिंह को नसीहत यह मिली थी कि वे सिंधिया राजपरिवार के पूर्वजों के बारे में कुछ न कहें ज्योतिरादित्य को जितना चाहें कोस लें.
यशोधरा राजे ने शिवराज सिंह को माफ किया या नहीं यह भी इन नतीजों से साफ होगा लेकिन शिवराज सिंह के एक नजदीकी नेता की माने तो पूर्वजों के मामले पर सिंधिया खानदान एकजुट है अब अगर यह बात कोलारस या मुंगावली में किसी भी स्तर पर उठी तो यशोधरा को लाने का सौदा भाजपा को महंगा पड़ जाएगा. इस नेता के मुताबिक पार्टी को बेहतर यह लगा कि ये चुनाव सिंधिया बनाम सिंधिया कर दिये जाएं जिससे भाईसाहब (शिवराज सिंह) पर कोई उंगली न उठे इसीलिए ज्योतिरादित्य बार बार यह कह रहे हैं कि ये चुनाव सिंधिया बनाम शिवराज सिंह हैं.
तमाम सियासी दांवपेंचो के बाद भी भाजपा की हालत कोलारस और मुंगावली में खस्ता है वजह मतदाता अब शिवराज सिंह के वादों और दावों पर पहले की तरह यकीन नहीं करता और ज्योतिरादित्य की लोकप्रियता की इन सीटों पर पहुंच और प्रभाव की काट भाजपा ढूंढ नहीं पा रही. वैसे भी भाजपा का ग्राफ 2014 के मुकाबले काफी गिरा है खासतौर से गांवों में, यह बात पहले गुजरात और फिर राजस्थान उप चुनाव के नतीजों से उजागर भी हुई फिर ये दोनों सीटें तो शुद्ध ग्रामीण भारत की तस्वीर पेश करती हुईं हैं जहां के वोटर ने साल 2013 और 2014 के चुनावों में भी भाजपा पर विश्वास नहीं किया था अब अगर करले तो इसे चमत्कार ही कहा जाएगा. किसानों के हक में ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रहे शिवराज सिंह के निशाने पर भी यही वोट हैं जो भाजपा के पक्ष में झुके या नहीं यह बैचेनी तो 28 फरवरी की दोपहर ही दूर होगी इसी वक्त मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा सरकार अपने कार्यकाल का आखिरी बजट भी पेश कर रही होगी.
दस साल की उम्र से कविताएं व कहानी लिखती आ रही आलिया सेन शर्मा ने कई विज्ञापन फिल्में, म्यूजिक वीडियो बनाए हैं. अब बतौर निर्देशक पहली रोमांटिक व एडवेंचरस फीचर फिल्म ‘‘दिल जंगली’’ लेकर आ रही हैं, जो कि नौ मार्च को प्रदर्शित होगी. उनकी राय पर प्यार में या वैलेंटाइन डे पर उपहार देना जायज है..
आप किस तरह की कहानियां व कविताएं लिखना पसंद करती हैं?
– प्रेम कहानियां व रोमांटिक कविताएं काफी लिखी हैं. टीनएज में रोमांस से ही हम प्रभावित होते हैं, उसका प्रभाव मेरी कविताओं पर है.
आपके अनुसार रिश्ते जल्दी क्यों बदलने लगे हैं?
– उम्र के साथ इंसान की सोच व रिश्तों में परिपक्वता आती है. समाज में जिस तरह से बदलाव हो रहा है, उसके चलते रिश्तों में कई तरह की समस्याएं आती रहती हैं. ऐसा ही प्यार में होता है. प्यार में जरुरी नही है कि आपकी पार्टनर ही आपको मोटीवेट करे, कई बार आप या आपके आस पास का माहौल भी मोटीवेट करता है.
काफी डे वाला प्यार क्या है?
– पहले पीढ़ी का अंतराल माता पिता व बच्चों के बीच हुआ करता था. पर अब ऐसा नही है. अब तो दो भाइयों के बीच भी पीढ़ी का अंतराल होता है. हमारे आस पास का माहौल बहुत तेजी से बदल रहा है, उसका प्रभाव इंसान की सोच व भावनाओं पर भी पड़ता है. अब हर इंसान खुद के लिए जीने लगा है. हर इंसान के पास सिर्फ प्यार व रोमांस ही नहीं हर बात के लिए कई औप्शन हो गए हैं. इंसान के पास समय नहीं है. जब आप अपनी प्रेमिका को उसके अनुसार समय नहीं दे पाते हैं, तो उसके पास दूसरे विकल्प होते हैं, जो कि प्रेम के रिश्ते में दूरी बढ़ा देते हैं.
आपको नही लगता कि हर युवा रिश्ते व रोमांस की बजाय करियर पर ज्यादा जोर दे रहा है?
– कुछ हद तक इसका कारण हम सभी माता पिता व आपकी परवरिश ही होती है. हर माता पिता अपने बच्चों को उसके बचपन से ही सिखाते हैं कि आपको पढ़लिखकर डाक्टर, इंजीनियर या कुछ और बनना है. एक करियर में आगे बढ़ना है, धन कमाना है, तो यह बात युवा होने पर भी उसके दिमाग में रहती है. टीनएजर में हर युवा को लगता है कि चार पांच कैमरे उस पर नजर रख रहे हैं. इसलिए वह अजीबोगरीब दौड़ का हिस्सा बन जाता है, उसे खुद नहीं पता होता कि वह कहां दौड़ रहा है.
मेरा मानना है कि टीनएज उम्र में जो रिश्ता विकसित होता है, वह कई बार थपेड़े खाकर मजबूत भी होता रहता है. पर उस वक्त उसके सामने कई तरह के विकल्प भी खुले होते हैं.
करियर ओएिंटेड सोच का रिश्तों पर किस तरह का असर पड़ता है?
– मैं अपनी बात करना चाहूंगी. मैं खुद तो बहुत महत्वाकांक्षी हूं, पर अपनी अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए परिवार, दोस्त, अपने बच्चे आदि के लिए भी समय निकालना सीखा है. यह बहुत जरूरी है. जबकि मुझे मेरे परिवार व पति का पूरा सहयोग मिलता है.
आपके लिए रोमांस की फिलौसफी क्या है?
– रोमांस व प्यार दो अलग चीजें हैं. प्यार एक युनिवर्सल अहसास है. पर युवावस्था में प्यार के कई शेड्स होते हैं. हर युवक व युवती के लिए टीन एज में अलग अलग तरह का प्यार होता है. रोमांस हमेशा आपके पार्टनर के साथ होना चहिए, रोमांस के लिए कोई बहानेबाजी नहीं होनी चाहिए. रोमांस में पार्टनर के लिए फूल, चौकलेट वगैरह सब कुछ जायज है.
वैलेंटाइन डे से कितना सहमत हैं?
– सिर्फ वैलेंटाइन डे के दिन ही अपने प्यार का जश्न नहीं मनाना चाहिए. हमें हर दिन अपने पार्टनर को अहसास दिलाते रहना चाहिए कि वह हमारी जिंदगी में बहुत खास है.
वैलेंटाइन के बाजारवाद को आप किस तरह से देखती हैं?
– मेरी राय में वैलेंटाइन डे चार पांच साल में बाजारवाद का शिकार नहीं हुआ है. जब मैं टीनएज की उम्र में थी, तब भी मुझे अपने प्रेमी को उपहार देना पड़ता था. हां! जब कोई सामने से आपसे कुछ मांगे, तब वह उपहार नहीं बल्कि मटेरियालिस्टिक रिश्ता हो जाता है.
VIDEO : रोज के खाने में स्वाद जगा देंगे ये 10 टिप्स
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बेन स्टोक्स इंग्लैंड टीम के जाने माने हरफनमौला खिलाड़ी रहे हैं. साल 2017 में वे शानदार प्रदर्शन से सभी की नजरों में थे. अब तक 39 टेस्ट मैच खेल चुके स्टोक्स ने 69 पारियों में 35.72 की औसत से 2429 रन बनाए हैं जिसमें 6 शतक और 12 अर्धशतक शामिल हैं, वहीं 33.93 की औसत से कुल 95 विकेट लिए है. 62 वनडे मैचों में स्टोक्स ने 54 पारियों में 5.10 की औसत से 1650 रन बनाए हैं जिसमें 3 शतक और 10 अर्धशतक शामिल हैं जबकि 38.20 की औसत से 53 विकेट लिए है. वे इंग्लैंड टीम की रीढ़ माने जाने लगे थे. यही वजह रही कि उनकी टीम में बाहर होना चर्चा में आ गया.
साल 2017 के सितंबर महीने में इंग्लैंड की टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ पांच वनडे मैचों की सीरीज खेल रही थी. सीरीज के तीसरे मैच में इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को 124 रनों से हराया, इस मैच में स्टोक्स ने 73 रनों की शानदार पारी खेली थी. 25 सितंबर को तड़के यह घटना हुई थी, अपनी शानदार पारी का जश्न मनाने वे अपने साथी क्रिकेटर एलेक्स हैल्स के साथ ब्रिस्टल के एक नाइटक्लब में गए. इस सीसीटीवी फुटेज में साफ नजर आ रहा था कि बेन स्टोक्स का पब के बाहर निकलने के बाद कुछ लोगों से कहासुनी हो गई जिसके बाद बेन स्टोक्स अपने गुस्से को काबू में नहीं रख सके और मारपीट करना शुरू कर दिया.
इस वीडियो में नजर आया कि बेन स्टोक्स ने वहां दिखाई दे रहे चार-पांच लोगों को बहुत बुरी तरीके से पीटना शुरू कर दिया पुलिस को रात करीब 2:35 बजे नाइटक्लब में मारपीट की सूचना मिली, इसके बाद पुलिस ने 26 वर्षीय स्टोक्स को हिरासत में ले लिया. घटना के एक दिन बाद वह सीसीटीवी फुटेज भी सामने आ गया था, जिसमें स्टोक्स मारपीट करते हुए नज़र आ रहे थे. यह वीडियो काफी वायरल भी हो गया था.
पहले टीम से हुआ निलंबन
झगड़े का वीडियो ‘सन अखबार’ की वेबसाइट पर आने के बाद इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इस घटना के समय स्टोक्स के साथ रहे एलेक्स हेल्स को भी निलंबित किया गया था. ईसीबी के कहा था, “दोनों खिलाड़ी पूर्ण वेतन पर रहेंगे और अनुशासनात्मक आयोग के फैसले के बाद कुछ निर्णय लिया जायेगा. ईसीबी ने कहा, ‘इस दौरान इन दोनों खिलाड़ियों का अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिये चयन नहीं होगा.”
हाथापाई में स्टोक्स के हाथ में चोट लगने के बावजूद भी उन्हें एशेज के लिये जो रूट के नेतृत्व में चुनी गयी 16 सदस्यीय टीम का उप कप्तान बनाया गया. इससे पहले ईसीबी ने कहा था कि इस मामले की जांच पुलिस कर रही है, जो सभी मौजूद सबूतों की पड़ताल करेगी और हमें उस प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए.’
इसके बाद ईसीबी ने मामले की जांच पूरी होने तक उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने से रोक दिया था जिसकी वजह से वे एशेज सीरीज से बाहर हो गए थे. इस विवाद में फंसते ही इंग्लैंड टीम में उनकी अहमियत और कमी को लेकर चर्चाओं का सिलसिला शुरू हुआ जिसने थमने का नाम ही नहीं लिया था.
फंसते चले गए स्टोक्स
एशेज सीरीज से बाहर होने की वजह से स्टोक्स के स्थान पर तेज गेंदबाज स्टीवन फिन को टीम में जगह दी गई थी. इसके बाद जांच में मामले में उन्हें झगड़े का दोषी पाया गया. आपराधिक आरोप की पुष्टि करते हुये इंग्लैंड क्राउन प्रोस्क्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा था, ‘‘सीपीएस को इस संबंध में एवोन और समरसेट पुलिस ने 29 नवंबर को सबूत दिये थे. सबूतों की समीक्षा के बाद पुलिस को तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का अधिकार दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘इस आरोप के तहत स्टोक्स (26), रेयन अली (28) और रायन हेल(26) को ब्रिस्टल अदालत में तय तिथि को पेश होना होगा.’ स्टोक्स को हाथापाई की उस घटना के बाद राष्ट्रीय टीम के लिए नहीं चुना गया है. उन्हें औस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की एकदिवसीय सीरीज के लिए टीम में चुना गया था, लेकिन मामले का कानूनी निपटारा नहीं होने के कारण उन्हें टीम में जगह नहीं मिली.
एशेज में स्टोक्स की कमी को लेकर चर्चा
शुरू से ही दिग्गजों ने अंदाजा लगाना शुरू कर दिया था कि स्टोक्स का एशेज से बाहर रहना महंगा पड़ सकता है जिसमें इंग्लैंड के जाने माने पूर्व खिलाड़ी भी शामिल थे. बाद में सभी की आशंका सही साबित हुई थी. इंग्लैंड इस सीरीज को 4-0 से हार गया था. लेकिन स्टोक्स वनडे सीरीज में भी शामिल नहीं हो सके थे. हालांकि वनडे सीरीज में इंग्लैंड ने 4-1 से जीत हासिल की थी.
इसी बीच स्टोक्स को घरेलू क्रिकेट में खेलने की अनुमति मिल गई थी. घरेलु क्रिकेट में खेलने की अनुमति मिलने से स्टोक्स का आईपीएल 2018 में खेलने का रास्ता भी साफ हो गया. बेन साल 2017 में आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में बिके थे. इसके बाद वे साल 2018 में भी सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में ही बिके. राजस्थान रौयल्स ने 12 करोड़ 50 रुपये में खरीदा है. 2017 आईपीएल में स्टोक्स राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स की तरफ से खेले थे. पुणे टीम ने उन्हें 14.5 करोड़ में खरीदा था.
न्यूजीलैंड दौरे पर टीम में शामिल होंगे स्टोक्स
इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने स्टोक्स को न्यूजीलैंड दौरे पर गई टीम के साथ जोड़ने का फैसला किया. इस मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी. अदालत में उनकी पेशी के बाद ईसीबी ने स्टोक्स के यात्रा संबंधी विवरण को साझा करते हुए कहा कि पांच महीने टीम से बाहर रहने के बाद इसकी उम्मीद नहीं है कि वह तुरंत वापसी करें. ईसीबी के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ब्रिस्टल की मजिस्ट्रेट अदालत में अपना पक्ष रखने के बाद बेन स्टोक्स न्यूजीलैंड में इंग्लैंड की टीम से जुड़ेंगे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह 14 फरवरी रवाना होंगे और हैमिलटन में 16 फरवरी को टीम के साथ जुड़ेंगे.’’ उन्होंने कहा कि अगामी मैचों में उन्हें टीम में शामिल करने का फैसला इंग्लैंड टीम प्रबंधन को करना है. औस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ मौजूदा त्रिकोणीय टी20 श्रृंखला की टीम में शामिल करने पर फिलहाल उनके नाम पर विचार नहीं किया जा रहा है.
अदालत में खुद को निर्दोष बताया स्टोक्स ने
नाइटक्लब के बाहर झड़प के आरोपी इंग्लैंड के आलराउंडर बेन स्टोक्स ने आज अदालत में खुद को निर्दोष बताया और दोष स्वीकार करने से इंकार कर दिया. इस घटना के कारण स्टोक्स को इंग्लैंड और औस्ट्रेलिया के एशेज दौरे की टीम से बाहर कर दिया गया था. इंग्लैंड की ओर से खेलने से निलंबन के कारण औस्ट्रेलिया दौरे से बाहर रहे 26 साल के स्टोक्स रेयान अली और रेयान हेल के साथ आज ब्रिस्टल की मजिस्ट्रेट अदालत में पेश हुए.
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ट्रेन से सफर के दौरान कई बार ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है कि ट्रेन छूटने वाली होती है, टिकट काउंटर पर कतारें लंबी हैं तो टिकट नहीं ले पाते हैं और फिर बिना टिकट ट्रेन में चढ़ने के बाद जुर्माना भरना पड़ता है. लेकिन, अब इससे निजात पाने के लिए रेलवे ने अनूठा उपाय निकाला है. रेलवे सूत्रों के मुताबिक, अब अगर आप जल्दी में हैं तो ट्रेन में सफर के दौरान भी टिकट ले सकते हैं. इससे यात्रियों को काफी राहत मिलेगी. रेलवे के इस तोहफे से बिना टिकट यात्रा करने वाले अब बहाने नहीं बना सकते हैं. लेकिन, ट्रेन छूटने के डर से बिना टिकट लिए ट्रेन में चढ़ने वालों के लिए यह बेहद अच्छी खबर है.
कैसे मिलेगा ट्रेन में टिकट?
रेलवे ने अप्रैल 2017 से ऐसे लोगों को ट्रेनों में ही टिकट देने की व्यवस्था शुरू कर दी है. इसके लिए आपको ट्रेन से उतरने की जरूरत नहीं है और ना ही इंटरनेट का इस्तेमाल करना है. यात्री ट्रेन में टी.टी.ई. से संपर्क कर टिकट ले सकेंगे.
बिना डरे लें टिकट
टीटीई को देखकर आपको ना तो डरना है और ना ही छुपना है बल्कि एक जागरूक नागरिक की तरह टी.टी.ई. को बताना होगा कि किस कारण से आप बिना टिकट यात्रा कर रहे हैं. उसके बाद टीटीई आपको टिकट काटकर देगा. टीटीई संबंधित यात्री से तय किराए के साथ ही 10 रुपए अतिरिक्त शुल्क लेकर हैंड हेल्ड मशीन से टिकट निकालकर देगा.
ट्रेन में ही मिलेगा आरक्षित टिकट
आरक्षित टिकट देने की यह सुविधा केवल सुपरफास्ट ट्रेनों में शुरू की गई है. इसे बाद में सभी ट्रेनों में शुरू किया जा सकता है. यह हैंड हेल्ड मशीन रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के सर्वर से कनेक्ट होगी. जैसे ही यात्री टिकट मांगेगा, मशीन में नाम और जगह डालते ही टिकट निकल आएगी. मशीन की मदद से ट्रेन में खाली बर्थों की जानकारी भी आसानी से मिलेगी.
वेटिंग वालों को भी मिल सकती है टिकट
वेटिंग क्लीयर होने पर भी ट्रेन में खाली बर्थ की जानकारी हैंड हेल्ड मशीन में उपलब्ध होगी. यदि किसी यात्री की वेटिंग क्लीयर नहीं हुई है तो वह टीटीई के पास जाकर अपनी टिकट दिखाकर खाली सीट की जानकारी लेकर उसे कन्फर्म करा सकता है.
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मानवीय संबंधों के चितेरे के तौर पर अपनी एक अलग पहचान रखने वाले फिल्मकार ओनीर अब तक ‘‘माय ब्रदर निखिल’’, ‘‘बस एक पल’’, ‘‘सौरी भाई’’, ‘‘आई एम’’ और ‘‘शब’’ जैसी फिल्में दे चुके हैं. वह हर फिल्म से शोहरत बटोरते रहे हैं. मगर उनकी पिछली फिल्म ‘‘शब’’ ने बौक्स आफिस पर काफी निराश किया. अब वह ‘सारेगामा’ और ‘यूडली फिल्मस’ के साथ रोमांटिक फिल्म ‘‘कुछ भीगे अल्फाज’’ लेकर आ रहे हैं, जो कि 16 फरवरी को सिनेमाघरों में आएगी.
आपकी पिछली फिल्म ‘‘शब’’को बौक्स औफिस पर आपेक्षित सफलता नहीं मिली?
समय बदल चुका है. अब फिल्म बनाना और उसे प्रदर्शित करना, दोनों बहुत अलग चीजें हो गयी हैं. एक फिल्म का सही समय पर सही थिएटरों पर आना जरूरी होता है. फिल्म के प्रचार और मार्केटिंग पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. इंडीपेडेंट फिल्म को सिनेमाघर आसानी से नहीं मिलते हैं. यानी कि फिल्म को सिनेमाघर तक ले जाने में कई समस्याएं आती हैं. उपर से यदि फिल्म का विषय बहुत अलग हो, तो उसका ठीक से प्रचार होना जरूरी हो जाता है. पर हर मसले पर एक निर्माता के तौर पर हम ध्यान नहीं दे सकते हैं. एक फिल्मकार के तौर पर मेरी कोशिश होती है कि मैं अपनी फिल्म को ईमानदारी के साथ बना दूं. उसके बाद मेरे हाथ में नहीं रहता. इसलिए ‘शब’ की असफलता की वजह पूरी तरह से नहीं बता सकता. पर ‘शब’ को सेंसर बोर्ड से ‘ए’ प्रमाणपत्र मिलना भी उसके हक में नहीं गया. फिल्म में ऐसा कुछ था नहीं. मैं अपनी फिल्म में किसी भी विषय पर बात करूं, पर उसमें ऐसा कुछ नहीं रखता, जो लोगों को शौकिंग लगे. हर फिल्म के बाद हम विश्लेषण करते हैं. उसके बाद योजना बनाते हैं कि नयी फिल्म में वह गलतियां ना हो.
‘‘शब’’से आपने जो सीख ली,उसका क्या उपयोग हुआ?
‘शब’ के समय जो मैंने सीख ली, उसी का परिणाम है कि मैं अपने करियर में पहली बार किसी स्टूडियो यानी कि ‘सारेगामा’ और ‘यूडली फिल्मस’ के साथ फिल्म ‘कुछ भीगे अल्फ़ाज’ का निर्माण किया है. इस फिल्म का मैं निर्देशक हूं. रचनात्मक पक्ष मैंने संभाला है. यह पूरी तरह से स्टूडियो कल्चर से बनी है. इस फिल्म को बनाने की मेरी यात्रा काफी सुखद रही. क्योंकि ‘सारेगामा’ और ‘यूडली’ से मुझे रचनात्मक स्वतंत्रता मिली. इस बार यह लोग फिल्म को बहुत अच्छे ढंग से प्रमोट भी कर रहे हैं. यह पहली बार हुआ है, जब हम अपनी फिल्म को प्रमोट करने के लिए मुंबई के बाहर कई दूसरे शहरों में भी गए. वैसे भी मैं अड़ियल किस्म का नही हूं. मैं दूसरों की राय को भी तव्वजो देता हूं. मुझे अहसास हो रहा है कि पहली बार मुझे किसी का सहयोग मिल रहा है.
लेकिन जब आप स्टूडियो के साथ फिल्म बनाते हैं,तो कुछ निर्णय दूसरे लेने लगते हैं?
स्टूडियो के साथ मेरा जो अग्रीमेंट हुआ, उसमें साफ लिखा था कि सारे रचनात्मक निर्णय मेरे अपने होंगे. एडिट होने तक निर्माता ने फिल्म को देखा नहीं. अग्रीमेंट के अनुसार फिल्म के प्रदर्शन व प्रमोशन में मेरा कोई निर्णय नही होना था, फिर भी यह लोग मेरी राय लेते हैं. सच कह रहा हूं मुझे इस फिल्म को बनाने में कोई तकलीफ नही हुई, बल्कि मुझे काफी इज्जत मिली है.
फिल्म की कहानी की प्रेरणा आपको कहां से मिली?
यह मेरी अपनी कहानी नही हैं. मैं एक स्क्रिप्ट लैब में मेंटर था, वहां मेरे पास यह कहानी अभिषेक चटर्जी लेकर आए. वह खुद इस फिल्म को निर्देशित करना चाहते थे. पर जब मैंने कहा कि मैं इस फिल्म को निर्देशित करना चाहता हूं, तो उसने यह पटकथा मुझे दे दी. उसने बताया कि वह कभी मेरे निर्देशन में फिल्म में अभिनय करना चाहता था, पर मैंने उसे चुना नहीं था. उसके बाद उसने यह स्क्रिप्ट लिखी. और उसे खुशी होगी कि मैं उसकी लिखी स्क्रिप्ट को निर्देशित करूं. फिर मैंने उसे अपना सहायक निर्देशक बनाया. अब मेरी अगली फिल्म की स्क्रिप्ट वही लिख रहा है. यह कहानी पढ़ते वक्त मुझे एकदम नयी व ताजी कहानी लगी. इसलिए मैंने इसे चुना.
फिल्म ‘‘कुछ भीगे अल्फ़ाज’’है क्या?
मेरे करियर की यह पहली पूर्ण रूपेण प्रेम कहानी वाली फिल्म है. इसमें अल्फाज एक रेडियो जौकी है, जो कि अंदर से टूटा हुआ है. वह कलकत्ता रेडियो पर देर रात भीगे अल्फाज नामक एक कार्यक्रम करता है. इसमें वह रोमांटिक कहानियों के साथ कुछ पुराने फिल्मी रोमांटिक गाने सुनाता है. यह शो काफी लोकप्रिय है. इसकी चर्चाएं सोशल मीडिया यानी कि फेसबुक व व्हाट्सऐप आदि पर होती रहती है. लेकिन अल्फाज वास्तव में कौन है, कोई नहीं जानता. वह बहुत अकेलापन वाली जिदंगी जीता है. अपनी पहचान छिपाकर रखता है. एक अर्चना नामक लड़की का गलत नंबर लग जाने पर बातचीत शुरू होती हैं. फिर दोनों एक दूसरे की कमियों को दूर करने में कैसे मदद करते हैं? और उनके बीच कैसे पहला प्यार पनपता है, उसकी कथा है. यह कहानी आज के सोशल मीडिया,फेसबुक व वहाट्सऐप के इर्दगिर्द घूमती है.
तो आपने सोशल मीडिया के फायदे गिनाए हैं?
हर तकनीक के अपने नुकसान फायदे होते हैं. हमारी फिल्म में दिखाया गया है कि हमारी युवा पीढ़ी सोशल मीडिया से कैसे प्यार ढूंढ़ लेती है. देखिए, हर इंसान की अपनी एक पसंद हो सकती है. मैं सोशल मीडिया पर बिलकुल नहीं हूं. लोग मुझसे पूछते हैं कि, ‘पुराना फोन लेकर क्यों घूमते हो’, तो मैं उनको जवाब देता हूं कि, ‘फोन मेरे लिए बना है, मैं फोन के लिए नहीं बना हूं. मैं फोन के पीछे क्यों भागूं?’ तो सोशल मीडिया कई बार आपकी जिंदगी में बेवजह की दखलंदाजी कर सकता है. हो सकता है कि वह कई बार आपके काम भी आए. मेरे अनुसार हर इंसान को सोशल मीडिया से उतना ही जुड़ना चाहिए, जितना कि वह इंसान की जिंदगी में दखलंदाजी ना कर सकें. मैंने एक फिल्म बनायी थी ‘आई एम’, जिसके लिए क्राउड फंडिंग सोशल मीडिया से ही आयी थी. तो मैं सोशल मीडिया के खिलाफ बात तो नहीं कर सकता. मैं यह मानता हूं कि अति हर चीज की नुकसान दायक होती है.
आपने बताया कि फिल्म ‘कुछ भीगे अल्फाज’ में प्रेम कहानियों के साथ ही दो किरदारों के अपनी कमियों से उबरने की दास्तां भी है. तो इस फिल्म को बनाने के पीछे आपका मूल मकसद क्या रहा?
शहरों में युवा पीढ़ी ट्विटर व फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर इतना व्यस्त रहती है कि उसके अंदर अकेलापन बढ़ रहा है. तो दूसरी तरफ अर्चना है, जिसके चेहरे पर दाग है. हमारी फिल्म कहती है कि चेहरे का लुक ऐसा ही है. यदि आपको जिंदगी भर के लिए कोई साथी चाहिए, तो अंदर से एक जुड़ाव होना चाहिए. हमारी फिल्म आंतरिक भावनाओं के मिलन की बात करती है. हमारी फिल्म इस बात को रेखाकिंत करती है कि प्यार किस तरह हर मर्ज की दवा बन सकता है. बिना शर्त का प्यार हीलिंग पावर का काम करता है. प्यार आपके अंदर की नकारात्मकता को स्वीकार कर आपको आगे बढ़ाता है. वह रिश्ते मजबूत और प्रगाढ़ होते हैं, जहां कुछ भी छिपाया नहीं जाता. यदि आप अपनी कमियों को किसी से छिपाते हैं, तो वह नुकसानदायक होता है. क्योंकि तब आपकी मदद करने के लिए कोई नही आता.
फिल्म ‘‘तुम्हारी सल्लू’’में विद्या बालन ने रेडियो जौकी का किरदार निभाया और अब आपकी फिल्म ‘कुछ भीगे अल्फाज’में भी रेडियो जौकी है. दोनों फिल्मों में मूलभूत अंतर क्या है?
देखिए, हमारी फिल्म का माहौल पूरा सोशल मीडिया हैं. रेडियो पर जो कार्यक्रम हो रहा है, उसकी खबर किस तरह से वहाट्सऐप व फेसबुक पर बनती है, वह सब है. इसके अलावा यह फिल्म पहले प्यार व रोमांस की बात करती है.
आपकी हर फिल्म में रोमांस व रिश्ते हावी रहते हैं. तो रिश्ते और रोमांस को लेकर आपकी अपनी सोच क्या है?
मैं अपनी जिंदगी में जो कुछ हूं, वह रिश्तों की वजह से हूं. मैं एक छोटे से शहर के मध्यमवर्गीय परिवार से आया हूं. मेरे दोस्तों ने जो प्यार दिया, उसकी वजह से मैं फिल्में बना पाया. मेरी जिंदगी में दो चीजें महत्वपूर्ण हैं, पहला काम और दूसरा मेरे दोस्त. मैं अर्थशास्त्र को सबसे पीछे रखता हूं. मेरे लिए खुशी की बात है कि मेरे आस पास अच्छे लोग हैं.
आपकी हर फिल्म में नए चेहरे होते हैं?
मैं हमेशा नए चेहरों को आगे बढाता हूं. क्योंकि मैं भी कभी नया था. और किसी ने मुझे आगे बढ़ाया था. मुझे नई प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देने और उनसे बेहतर काम करवाने में आनंद मिलता है.
फिल्म को कहां फिल्माया है?
कोलकता में 19 दिन और शिमला में दो दिन.
आप अपनी फिल्मों को कोलकता में फिल्माना पसंद करते हैं?
जब मैं कलकत्ता में कौलेज में पढ़ रहा था, उस वक्त मुझे पहले प्यार का अहसास हुआ था. मेरी यह फिल्म पहले प्यार की बात करती है. इसलिए मैंने इस फिल्म को वहां जाकर फिल्माया. मुझे कोलकता के टै्म में भी रोमांस दिखता है. मेरी फिल्म में कलकत्ता बहुत अलग ढंग से उभरता है.
तब तो आपने इस फिल्म में अपनी निजी जिंदगी के प्यार की यादों को भी पिरोया होगा?
जब पटकथा पर काम होता है, तो कहीं न कहीं हम अपनी निजी चीजों को उसमें पिरोते हैं. अभिषेक चटर्जी की इस पटकथा में मैंने अपने अनुभव डाले हैं. इसलिए यह फिल्म मेरे लिए खास बन गयी है. मैंने अपनी कई यादों को इस फिल्म का हिस्सा बनाया है. जब मैं अपने पहले प्यार में था, उस वक्त के मेरे जो खुशी के पल थे, उनको याद करके मैंने इस फिल्म में डाले हैं. जो कि फिल्म देखते समय आपको इस बात का अहसास कराएंगे.
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प्यार हर इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा होता है. पर वैलेंटाइन डे आते ही हर इंसान को अपने भूले बिसरे प्यार की भी याद आती है. तो वहीं कुछ लोग इस फिक्र में घुलने लगते हैं कि वह अपने प्रेमी या प्रेमिका को उपहार में क्या दें. यानी कि वैलेंटाइन डे पर प्यार बाजार के रूप में नजर आने लगता है. इसी मसले पर हमने बात की फिल्मकार ओनीर से, जो कि अब तक अपनी हर फिल्म में रोमांस, प्यार व रिश्तों को पूरी अहमियत के साथ चित्रित करते आए हैं.
वैलेंटाइन डे के मौके पर आप अपने पहले प्यार का जिक्र करना चाहेंगे?
अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मेरा पहला प्यार खुशी भी था गम भी था. पर मुझे सिर्फ खुशी के दिन याद है.
यूं तो इंसान के तौर पर मुझे किसी बात से डर नहीं लगता. मेरी सोच यह रहती है कि मैंने अपना काम ईमानदारी से किया, परिणाम चाहे जो रहे. फिल्म को बनाना हो, प्यार हो या रिश्ता हो, मैं अपनी तरफ से सौ प्रतिशत देता हूं. इसके बावजूद यदि कुछ बिखरता है, तो उसमें मेरी क्या गलती?
उस वक्त मैं सिर्फ अच्छे पलों को याद करता रहता हूं. कौलेज के दिनों में कलकत्ता में मुझे एक लड़की से प्यार हुआ था. पर वह प्यार बिखर गया था. लेकिन हमने प्यार करना बंद नहीं किया. उस बिखराव के गम से उभरने में मुझे समय लगा. पर मैंने महसूस किया कि कभी हम दोनों एक दूसरे की जिंदगी के बहुत बड़ा हिस्सा थे, तो बिखराव के बाद उसे क्यों खो दिया जाए? तो हम दोनों ने तय किया कि रोमांस के पक्ष को भुलाकर दोस्त बने रहते हैं. इससे वह हमारी जिंदगी से हमेशा के लिए अलग नहीं हुई. हमारी अच्छी दोस्त है, बातचीत व मुलाकात होती रहती है. एक दूसरे के प्रति हमारे मन में कोई कड़वाहट नहीं है, मगर मैं उनका नाम उजागर नहीं करना चाहता.
वैलेंटाइन डे के सेलीब्रेशन को लेकर आपकी क्या राय है?
सच कहूं तो वैलेंटाइन डे सेलीब्रेशन महज एक कमर्शियल साजिश है. लोग वैलेंटाइन डे के नाम पर अपने अपने प्रोडक्ट बेच रहे हैं. इसके बावजूद इसका विरोध करने वालों से मुझे सख्त नफरत है. मैं दूसरों के यकीन को तोडने में विश्वास नही करता. मैं दूसरों से कभी नही कहूंगा कि आप इस नहीं इस धर्म को माने. मेरी राय में हर दिन प्यार का होता है, इसलिए वैलेंटाइन डे के मायने नहीं है. पर यदि किसी को एक खास दिन मनाना है, तो मुझे कोई समस्या नहीं.
पर आपने जो कमर्शियल साजिश की बात की. वह क्या है?इसे कैसे लिया जाए?
देखिए,ह र जगह आर्थिक साजिश हो रही है. सोशल मीडिया में भी है. लोग कहते हैं कि पैसे दें, तो हम आपके फेसबुक की लाइक बढ़ा देंगे. आज लोग सोचने लगे है कि प्यार को जताने के लिए हम कितना महंगा डायमंड दें? शादी में भी कोई यह नहीं सोचता कि दिखावे के नाम पर जो पैसा खर्च किया जा रहा है,वह पैसा नए दंपति को दे दिया जाए, तो उनके भविष्य के काम आ सकता है. लोग दिखावा करने के लिए डेकोरेशन व अन्य दूसरी चीजों पर ढेर सारा पैसा खर्च करते हैं. वेलेनटाइन डे आते ही युवा पीढ़ी पर महंगे से महंगे उपहार को खरीदने का दबाव बढ़ जाता है. उपहार खरीदने के लिए पैसे कहां से आएं, यह सोच उन्हे परेशान कर देती है. इसके चलते प्यार दबकर रह जाता है और पैसा हावी हो जाता है. मेरी राय में उपहार और प्यार का कोई वास्ता नहीं होता. लेकिन वैलेंटाइन डे पर कौन क्या उपहार देता है, यह महत्वपूर्ण हो जाता है, मैं इसके खिलाफ हूं.
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